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वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के एक कार्यालय ज्ञापन के हवाले से सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने नई नौकरियों की भर्ती पर रोक लगा दी है.
व्यय विभाग ने 4 सितंबर को इस ज्ञापन को जारी किया था. बीबीसी हिंदी के फ़ैक्ट चेक व्हाट्सऐप नंबर पर भी कई पाठकों ने इस ज्ञापन की कटिंग भेजकर इसकी सत्यता जाननी चाही है.
इस ज्ञापन में लिखा है कि सार्वजनिक और ग़ैर-विकासात्मक ख़र्चों को कम करने के लिए वित्त मंत्रालय समय-समय पर ख़र्चों के प्रबंधन के लिए निर्देश जारी करता रहा है. जिसके मद्देनज़र आर्थिक निर्देशों को तुरंत लागू किया जा रहा है.
साथ ही यह भी कहा गया है कि वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए ज़रूरी ख़र्चों को बनाए रखने के लिए यह फ़ैसला लिया जा रहा है. इसमें सभी मंत्रालयों/विभागों और उनके अधीनस्थ कार्यालयों के लिए ये निर्देश जारी किए गए थे.
इसमें पोस्टर, डायरी छापने पर प्रतिबंध के अलावा स्थापाना दिवस मनाने जैसे कार्यक्रमों पर रोक और परामर्शदाताओं की छंटनी के निर्देश दिए गए थे. हालांकि, इन सबसे अलग सबसे अधिक चर्चा हुई दूसरे पन्ने पर मौजूद निर्देशों की.
इसमें कहा गया था कि नए पदों के सृजन पर रोक रहेगी लेकिन व्यय विभाग, मंत्रालय/विभाग, अधीनस्थ कार्यालय, वैधानिक निकाय आदि चाहें तो उनकी अनुमति के बाद पदों का सृजन हो सकता है.
इसके अलावा कहा गया कि अगर कोई पद 1 जुलाई 2020 के बाद बनाया गया है और उस पर किसी की बहाली नहीं हुई है तो उसको तुरंत समाप्त कर दिया जाए.
सोशल मीडिया पर क्या कहा जा रहा?
व्यय विभाग के इस कार्यालय ज्ञापन के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर यह मुद्दा छा गया. कई अख़बारों ने इसे अपने यहां जगह दी.
एक अख़बार की कटिंग को राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि कोविड-19 के बहाने सरकारी दफ़्तरों को स्थाई कर्मचारियों से मुक्त किया जा रहा है.
मोदी सरकार की सोच -
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 5, 2020
'Minimum Govt Maximum Privatisation'
कोविड तो बस बहाना है,
सरकारी दफ़्तरों को स्थायी ‘स्टाफ़-मुक्त’ बनाना है,
युवा का भविष्य चुराना है,
‘मित्रों’ को आगे बढ़ाना है।#SpeakUp pic.twitter.com/Lu8BKjJ7bg
इसके बाद वित्त मंत्रालय के एक विभाग के कार्यालय ज्ञापन को इस तरह से सोशल मीडिया पर फैलाया जाने लगा कि केंद्र की मोदी सरकार ने सभी नौकरियों पर रोक लगा दी है.
4 सितंबर का कार्यालय ज्ञापन सोशल मीडिया पर अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है.
क्या है सच?
सोशल मीडिया पर इस कार्यालय ज्ञापन के वायरल होने के बाद वित्त मंत्रालय ने अगले ही दिन इस पर सफ़ाई जारी कर दी थी.
ज्ञापन को ट्वीट करते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा, "भारत सरकार में पदों को भरने के लिए कोई रोक या प्रतिबंध नहीं है. बिना किसी प्रतिबंध के स्टाफ़ सेलेक्शन कमिशन (SSC), UPSC, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड आदि की भर्तियां जारी रहेंगी."
CLARIFICATION:
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) September 5, 2020
There is no restriction or ban on filling up of posts in Govt of India . Normal recruitments through govt agencies like Staff Selection Commission, UPSC, Rlwy Recruitment Board, etc will continue as usual without any curbs. (1/2) pic.twitter.com/paQfrNzVo5
वित्त मंत्रालय ने इसके बाद अगला ट्वीट किया कि व्यय विभाग का 4 सितंबर 2020 का सर्कुलर केवल नए पद बनाने की आंतरिक प्रक्रिया के लिए था और यह नई भर्तियों पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं डालेगा और न ही उन्हें प्रतिबंधित करेगा.
बीबीसी हिंदी के फ़ैक्ट चेक में हमने पाया है कि केंद्र सरकार की नई नौकरियों पर कोई रोक नहीं है और वित्त मंत्रालय का कार्यालय ज्ञापन केवल आंतरिक प्रक्रिया के तहत बनाए जाने वाले नए पदों के लिए था.(bbc)
ऐसा पहली बार है कि भारत में कोई महत्वपूर्ण चुनाव न होने पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक लंबे समय से देश में ही हैं
- अभय शर्मा
दुनिया भर में कोरोना वायरस का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. भारत सहित पूरी दुनिया में सवा लाख से ज्यादा लोग इसके चलते अपनी जान गवां चुके हैं. इस महामारी के चलते आम लोग ही नहीं दुनिया भर के बड़े नेताओं का भी दूसरे देशों में आना-जाना बेहद कम या फिर बंद हो गया है. भारत की तरफ से देखें तो सबसे बड़े नेताओं में विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कोरोना काल में विदेश यात्राएं की हैं. ये दोनों हाल ही में रूस और फिर ईरान की यात्रा पर गए थे. राजनाथ सिंह ने बीते जून में भी रूस की यात्रा की थी.
लेकिन, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल के दौरान विदेश का रुख नहीं किया. अगर आंकड़ों को देखें तो आज विदेश से लौटे हुए उन्हें पूरे दस महीने हो गए हैं. बीते साल 15 नवंबर को वे दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील की दो दिवसीय यात्रा से लौटे थे. इसके बाद से वे किसी भी विदेश यात्रा पर नहीं जा पाए हैं.
आइए जानते हैं कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी ने हर साल नवंबर से लेकर सितंबर तक कितने देशों की यात्राएं कीं. यह भी कि वे इससे पहले कब-कब लंबे समय तक देश में ही रुके रहे और रुकने की वजह क्या थी?
नवंबर 2014 से सितंबर 2015
नरेंद्र मोदी मई 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बने थे. इसके बाद अगले चार महीनों यानी सितंबर तक उन्होंने अमेरिका सहित पांच देशों की यात्रा कर ली थी. इसके बाद उन्होंने नवंबर 2014 से लेकर सितंबर 2015 तक यानी 11 महीनों में कुल 24 देशों की यात्राएं की. नवंबर में वे म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, फिजी और नेपाल की यात्रा पर गए. इसके बाद मार्च 2015 में उन्होंने सेशेल्स, मॉरीशस, श्रीलंका और सिंगापुर की यात्रा की. इसी साल अप्रैल में पहली बार बतौर प्रधानमंत्री उन्होंने यूरोप का रुख किया और फ्रांस एवं जर्मनी की यात्रा की.
2015 की फ्रांस की यात्रा बीते दिनों काफी चर्चा में रही थी और इसे लेकर भारत में काफी सियासी घमासान हुआ था. इसकी वजह थी कि इसी यात्रा में भारत और फ्रांस के बीच रफाल लड़ाकू विमान खरीदने पर सहमति बनी थी. 2018 में फ्रांसीसी खबरिया वेबसाइट ‘मीडियापार्ट’ ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का एक बयान छापा था. इसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा के दौरान भारत सरकार ने रफाल सौदे में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को शामिल करने का प्रस्ताव रखा था. हालांकि, इन विवादों का इस डील पर कोई असर नहीं पड़ा और सरकार ने इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि 36 विमानों की डील फाइनल हो चुकी है. इस डील के तहत ही बीते जुलाई में फ़्रांस ने पांच रफाल लड़ाकू विमानों की पहली खेप भारत को सौंप दी.
बहरहाल, 2015 के अप्रैल महीने से लेकर सितंबर तक प्रधानमंत्री ने 14 देशों की यात्राएं की. इनमें कनाडा, चीन, मंगोलिया, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश, उज्बेकिस्तान, कजाख्स्तान, रूस, तुर्कमेनिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, आयरलैंड और अमेरिका शामिल हैं. अगस्त 2015 में नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भी गए थे. उनके रूप में कोई भारतीय प्रधानमंत्री 34 साल बाद यूएई पहुंचा था.
नवंबर 2015 से सितंबर 2016
नवंबर 2015 से लेकर सितंबर 2016 तक पीएम नरेंद्र मोदी ने कुल 26 मुल्कों की यात्रा की. 2015 नवंबर में वे पहली यात्रा पर ब्रिटेन गए. इसके बाद वे इसी महीने तुर्की, मलेशिया और सिंगापुर गए. दिसंबर में उन्होंने फ्रांस, रूस और अफगानिस्तान की आधिकारिक यात्राएं की. अफगानिस्तान की इसी यात्रा के बाद प्रधानमंत्री ने एक ऐसा निर्णय लिया जिसने भारत सहित पूरी दुनिया को चौंका दिया था. 25 दिसंबर को काबुल से निकलने के बाद अचानक नरेंद्र मोदी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से मिलने लाहौर पहुंच गए. लाहौर हवाई अड्डे पर शरीफ़ ने खुद मोदी की अगवानी की. इसके बाद वे हेलीकॉप्टर से नवाज़ शरीफ़ के घर रायविंद पैलेस पहुंचे और उनकी नातिन की शादी में शरीक हुए. इसके बाद मार्च 2016 में पीएम मोदी बेल्जियम और अप्रैल में सऊदी अरब के दौरे पर गए. मार्च 2016 में वे अमेरिका में हुए परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मलेन में भी हिस्सा लेने गए थे. यह यात्रा एक दिन की थी.
इसी साल मई से लेकर सितंबर तक प्रधानमंत्री ने 15 देशों की यात्राएं कीं, इनमें अफगानिस्तान और अमेरिका दो ऐसे देश हैं जिनकी यात्रा पर प्रधानमंत्री एक साल में दूसरी बार गए. इसके अलावा वे जिन देशों की यात्रा पर गए थे, उनमें ईरान, क़तर स्विट्जरलैंड, मैक्सिको, उज्बेकिस्तान, अफ्रीका के दक्षिण में स्थित छोटे देश मोजाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, केन्या, वियतनाम और चीन शामिल हैं. सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल होने लाओस गए थे.
नवंबर 2016 से सितंबर 2017
नरेंद्र मोदी के अब तक के पूरे कार्यकाल में नवंबर 2016 से लेकर सितंबर 2017 तक की समयावधि ऐसी है जब उन्होंने सबसे कम (13) देशों यात्राएं कीं. इस दौरान उन्होंने शुरूआती छह महीनों में यानी नवंबर 2016 से अप्रैल 2017 की समयावधि में केवल तीन दिन ही विदेश में गुजारे. इस दौरान उन्होंने केवल थाईलैंड और जापान का दौरा ही किया. इन छह महीनों के दौरान नरेंद्र मोदी के कम यात्रायें करने की वजह उत्तर प्रदेश के चुनाव को माना जाता है. फरवरी और मार्च 2017 में हुए इस चुनाव के लिये प्रधानमंत्री ने जनवरी से ही प्रचार करना शुरू कर दिया था.
उत्तर प्रदेश के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी जीत दिलवाने के एक महीने बाद प्रधानमंत्री ने फिर विदेश का रुख किया और अगले पांच महीनों में 11 देशों की यात्रायें की. मई में वे सबसे पहले एक दिन के लिए श्रीलंका पहुंचे फिर इसी महीने के अंत में उन्होंने जर्मनी, स्पेन और रूस की यात्रा की. 2 जून को रूस से सीधे फ्रांस का रुख किया. जून 2017 में पीएम मोदी ने कजाखस्तान, पुर्तगाल, अमेरिका और नीदरलैंड का दौरा भी किया. इस साल जुलाई में वे इजरायल और सितंबर में चीन और म्यांमार के दौरे पर गए. जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने एक दिन के लिए जर्मनी भी गए थे.
नवंबर 2017 से सितंबर 2018
नवंबर 2017 से सितंबर 2018 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई ऐसे देशों का दौरा किया जहां कई दशकों से कोई भारतीय प्रधानमंत्री नहीं गया था. नवंबर में फिलीपींस और जनवरी में स्विटजरलैंड जाने के बाद उन्होंने फरवरी में एक के बाद एक चार मुस्लिम देशों - जॉर्डन, यूएई, फिलस्तीन और ओमान का दौरा किया. नरेंद्र मोदी के रूप में कोई भारतीय प्रधानमंत्री 58 साल बाद फिलस्तीन, 30 साल बाद जॉर्डन और 10 साल बाद ओमान पहुंचा था. इसके बाद अप्रैल में प्रधानमंत्री ने स्वीडन, ब्रिटेन, जर्मनी और चीन की यात्रा की. इस साल अगले पांच महीनों के दौरान नरेंद्र मोदी ने 10 देशों की यात्राएं की, इनमें उन्होंने नेपाल का दो बार दौरा किया.
नवंबर 2018 से सितंबर 2019
नवंबर 2018 से सितंबर 2019 के बीच पीएम मोदी 15 देशों की यात्राओं पर गये. इस दौरान कुछ देशों की यात्राओं पर वे दो बार भी गए. नवंबर 2018 में उन्होंने सिंगापुर, मालदीव और अर्जेंटीना का दौरा किया. इसके बाद फरवरी 2019 में उन्होंने दक्षिण कोरिया की दो दिवसीय यात्रा की. इसके बाद लोकसभा चुनाव के चलते अगले तीन महीने वे देश में ही रहे. लोकसभा का चुनाव निपटने के बाद जून 2019 से प्रधानमंत्री ने फिर विदेश यात्रा शुरू की और 11 देशों की यात्रायें कीं. इस दौरान उनकी जो विदेश यात्रा सुर्ख़ियों में रही थी, वह बहरीन की थी. दरअसल, नरेंद्र मोदी के रूप में पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने मध्यपूर्व के इस छोटे मुस्लिम देश की सरजमीं पर अपने कदम रखे थे.
नवंबर 2019 से सितंबर 2020
बीते सालों में अगर देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय तक विदेश यात्रा पर तब नहीं गए, जब देश में कोई महत्वपूर्ण चुनाव था. ऐसा पहली बार ही हुआ है कि देश में कोई बड़ा चुनाव नहीं है और प्रधानमंत्री इतने लंबे समय से देश में हैं. कोरोना वायरस संकट के चलते बीते मार्च में उनका बांग्लादेश का दौरा रद्द हो गया था. इसके बाद मार्च में ही इसी कारण से उन्हें अपना यूरोप का दौरा भी रद्द करना पड़ा.
हालांकि, मार्च से पहले प्रधानमंत्री के विदेश न जाने की वजह जानकार कोरोना वायरस के संकट को नहीं मानते. इनके मुताबिक 15 नवंबर 2019 से लेकर फरवरी 2020 तक प्रधानमंत्री नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के चलते विदेश नहीं गए. दुनिया भर में भारत सरकार के इस कदम का विरोध हो रहा था. यही नहीं, यूरोप से लेकर अमेरिका और मध्यपूर्व से लेकर चीन तक में सत्ताधारी नेता इस कानून को लेकर नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रहे थे. विश्लेषकों की मानें तो ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी असहज स्थिति से बचने के लिए घर में बैठना ही बेहतर समझा.(satyagrah)
मास्को/नयी दिल्ली 16 सितंबर (वार्ता) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रूस की अध्यक्षता में मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की शिखर बैठक में पाकिस्तान द्वारा भारतीय भूभाग को प्रदर्शित करने वाला मानचित्र दर्शाये जाने पर कड़ा विरोध व्यक्त करते हुए आज बैठक का बहिष्कार किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यहां संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि रूसी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में पाकिस्तानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने बदनीयती से वह काल्पनिक मानचित्र पेश किया जो उसने कुछ दिन पहले आधिकारिक तौर पर जारी किया है। यह मेज़बान द्वारा जारी परामर्श का घोर असम्मान और बैठक के नियमों का उल्लंघन था। भारतीय पक्ष उसी समय मेजबान से परामर्श करके बैठक से उठकर निकल गया।
प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तानी पक्ष बैठक को गुमराह करने वाली बातें करता रहा। राजनयिक सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की इस हरकत से रूस भी हतप्रभ रह गया। सूत्रों के अनुसार मानचित्र में भारतीय भूभाग को पाकिस्तान का क्षेत्र दिखाया जाना एससीओ घोषणापत्र का घोर उल्लंघन है और एससीओ सदस्य देशों की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता की सुरक्षा के स्थापित मानदंडों के विरुद्ध है।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष द्वारा पाकिस्तानी पक्ष के अवैध मानचित्र दिखाने पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की गई। रूसी पक्ष ने भी पाकिस्तानी पक्ष को ऐसा करने से रोकने की बहुत कोशिश की। रूस ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह पाकिस्तान की इस हरकत का कतई समर्थन नहीं करता है और उम्मीद जतायी कि पाकिस्तान की इस हरकत से एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी प्रभावित नहीं होगी तथा श्री डोभाल एवं रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग के सचिव निकोलई पत्रुशेव के बीच गर्मजोशी भरी मित्रता पर कोई असर नहीं होगा। श्री पत्रुशेव ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बैठक में आने के लिए उनका व्यक्तिगत रूप से आभार व्यक्त किया। श्री पत्रुशेव ने आशा व्यक्त की कि श्री डोभाल आगे अन्य कार्यक्रमों में सम्मिलित होंगे।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मंगलवार को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन (एससीओ) की एक मीटिंग छोड़कर अचानक चले गए.
इस वर्चुअल मीटिंग में पाकिस्तानी प्रतिनिधि डॉक्टर मोईद युसुफ़ ने अपने देश का नया राजनीतिक नक़्शा पेश किया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर को 'विवादित क्षेत्र' के तौर पर दर्शाया गया है और गुजरात के जूनागढ़ को पाकिस्तान का हिस्सा बताया गया है. इससे नाराज़ होकर अजीत डोभाल मीटिंग से बाहर निकल गए.
इसके बाद एक मीडिया ब्रीफ़िंग में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने अजीत डोभाल के ग़ुस्से की पूरी कहानी बताई.
उन्होंने कहा, "अजीत डोभाल एससीओ के सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की एक वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा ले रहे थे जिसकी मेजबानी रूस कर रहा था. इस मीटिंग में पाकिस्तान ने एनएसए मोईद युसुफ़ ने जानबूझकर अपना वो 'काल्पनिक नक़्शा' दिखाया जिसका पाकिस्तान ने हाल ही में प्रचार किया था."
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तानी एनएसए का यह राजनीतिक नक़्शा मीटिंग में दिखाना 'मेजबान (रूस) के दिशानिर्देशों का अपमान और बैठक के नियमों का उल्लंघन था. अजीत डोभाल ने रूसी एनएसए से सलाह-मशविरा करने के बाद ही विरोध के तौर पर मीटिंग छोड़ी थी."
वहीं, पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ का दावा है कि शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन ने उसके नए राजनीतिक नक़्शे पर सहमत था और उसने अजीत डोभाल के विरोध को ख़ारिज कर दिया था.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पांच अगस्त की शाम यानी अनुच्छेद-370 निरस्त किए जाने के एक साल पूरे होने पर पाकिस्तान का नया राजनीतिक नक़्शा जारी किया था.
इस नक़्शे में जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और जूनागढ़ को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है. इस नक़्शे में गिलगित बल्टिस्तान और सर क्रीक को भी साफ़ तौर पर पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है.
भारत ने पाकिस्तान के इस नक़्शे को ख़ारिज करते हुए कहा था कि न तो इसकी क़ोई क़ानूनी वैधता है और न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कोई विश्वसनीयता है.
नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)| माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले नेपाली मूल के पर्वतारोही तेनजिंग नॉर्गे शेरपा को भारतरत्न देने की मांग उठी है। भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने मंगलवार को लोकसभा में यह मुद्दा उठाया। भाजपा सांसद ने कहा कि तेनजिंग नॉर्गे शेरपा को अभी तक वह सम्मान नहीं मिला है, जिसके वह हकदार थे। देश ने उन्हें पद्मभूषण दिया है, लेकिन वह भारतरत्न देने के काबिल हैं। पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग सीट से सांसद राजू बिष्ट ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि न्यूजीलैंड के एडमंड हिलरी के साथ 29 मई 1953 को तेनजिंग शेरपा ने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहला कदम रखा था। इसके बाद उन्हें स्पेशल ओलंपिक मेडल, इरान शाह मेडल, नेपाल तारा, फ्रेंच स्पोर्ट्स मेडल सहित दुनियाभर में कई तरह के सम्मान मिले। नासा ने भी उन्हें सम्मानित किया। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण दिया। लेकिन जिस तरह का उन्होंने योगदान दिया है, उस लिहाज से उन्हें भारतरत्न मिलना चाहिए। भाजपा सांसद ने दार्जिलिंग हिल्स एरिया की तरफ से तेनजिंग नॉर्गे शेरपा को भारतरत्न देने की मांग की।
तेनजिंग नॉर्गे शेरपा का जन्म 29 मई, 1914 को उत्तरी नेपाल के एक शेरपा बौद्ध परिवार में हुआ था। सन् 1933 में नौकरी की तलाश में वह पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में आए थे। फिर एक ब्रिटिश मिशन में शामिल होने के बाद उन्होंने एवरेस्ट मिशन में हिस्सा लेना शुरू किया। आखिरकार सातवें प्रयास में 29 मई, 1953 को उन्होंने न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी के साथ एवरेस्ट फतह कर दुनिया को चौंका दिया था। सन् 1933 में तेनजिंग नॉर्गे शेरपा को भारत की नागरिकता मिल गई थी।
नई दिल्ली, 16 सितंबर आईएएनएस। जेईई मेन परीक्षा के नतीजे आ चुके हैं। दिल्ली को लेकर इन नतीजों में खास बात यह रही कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले 510 बच्चों ने जेईई मेन की परीक्षा पास की है। यह संख्या पिछले साल 473 थी और इसके पिछले साल 350 थी। कोरोना के कारण आइसोलेशन में रह रहे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने छात्रों की इस कामयाबी पर संतोष जाहिर किया है। सिसोदिया ने कहा, "मुझे खुशी है कि टीम एजुकेशन की मेहनत रंग ला रही है। इन बच्चों में कई के माता पिता सिक्योरिटी गार्ड, प्रेसवाले, रिक्शा वाले और घरों में काम करने वाले सहायक आदि हैं।"
उधर, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मनीष सिसोदिया को संदेश भेजते हुए उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की है। उपराज्यपाल के संदेश के जवाब में मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल का धन्यवाद किया।
जेईई मेन परीक्षा में प्रथम स्थान गुजरात के निसर्ग चड्ढा को मिला है। वहीं दूसरे नंबर पर दिल्ली के गुरुकीरत सिंह रहे। तीसरे नंबर पर हरियाणा के दिव्यांशु अग्रवाल अपना स्थान सुरक्षित रखने में कामयाब हुए।
6 सितंबर को समाप्त हुई जेईई मेन परीक्षा के लिए 8.58 लाख छात्रों ने फॉर्म भरा था। इनमें से 82 प्रतिशत से अधिक छात्रों ने जेईई की परीक्षा दी है। जो छात्र जेईई मेन की परीक्षाओं में शामिल हुए हैं, उन्हें नतीजों के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। जेईई मेन परीक्षाओं का रिजल्ट 10 सितंबर को घोषित किया गया। रिजल्ट घोषित किए जाने के बाद अब जेईई एडवांस की परीक्षा ली जाएगी।
जेईई मेन परीक्षा का नतीजा घोषित किए जाने के बाद 17 सितंबर तक छात्र जेईई एडवांस के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे। जेईई एडवांस की परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड 20 सितंबर को जारी होगा। जेईई एडवांस में जेईई मेन के नतीजो के आधार पर 2.5 लाख छात्रों को परीक्षा देने का मौका मिलेगा। जेईई एडवांस की परीक्षा 27 सितंबर को होगी।
जेईई परीक्षा के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने 10 लाख मास्क और 6 हजार लीटर से अधिक सेनिटाइजर तैयार कराया है। परीक्षा केंद्रों पर छात्रों को सेनिटाइजर एवं मास्क निशुल्क उपलब्ध कराए गए हैं। कोरोना के दौरान आयोजित की यह पहली बड़ी राष्ट्रीय परीक्षाएं हैं।
नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)| देश में सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर मार्च में हुए लॉकडाउन को लेकर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मंगलवार को सवाल उठाया तो केंद्र सरकार ने लिखित में जवाब दिया। कहा कि दुनिया के कई देशों के अनुभवों को देखने के साथ विशेषज्ञों की सिफारिश पर यह कदम उठाया गया। लोगों की आवाजाही से देश भर में कोरोना फैलने का खतरा था।
सरकार ने यह भी बताया कि अगर लॉकडाउन न होता तो फिर 14 से 29 लाख ज्यादा संक्रमण के मामले आते, वहीं 37-78 हजार ज्यादा मौतें होतीं।
दरअसल, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पूछा था, "वे कारण क्या हैं, जिनकी वजह से 23 मार्च को मात्र चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन लगाया गया। ऐसी क्या जल्दी थी कि देश में इतनी कम अवधि में लॉकडाउन लगाया गया। क्या लॉकडाउन कोविड 19 रोकने में सफल रहा है?"
जिस पर गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सरकार की तरफ से लिखित जवाब में कहा कि 7 जनवरी को कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद सरकार ने कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए कई उपाय किए थे, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं पर रोक, जनता को एडवाइजरी, क्वारंटीन सुविधाएं आदि शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ ने 11 मार्च 2020 को कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया था।
कुछ देशों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई, वहीं कुछ देशों में कोरोना संक्रमण को रोका गया। दोनों तरह के देशों के बीच तुलना के बाद वैश्विक अनुभव हासिल हुए। इन सबको ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों ने सामाजिक दूरी जैसे उपायों की सिफारिश की। 16 से 23 मार्च के बीच, अधिकांश राज्य सरकारों ने स्थिति के आकलन के आधार पर आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन का सहारा लिया।
लोगों की किसी भी बड़ी आवाजाही ने देश के सभी हिस्सों के लोगों में बीमारी को बहुत तेजी से फैला दिया होता। लिहाजा वैश्विक अनुभव और देशभर में विभिन्न रोकथाम उपायों को देखते हुए दोश में कोरोना रोकने के लिए 24 मार्च को एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी।
क्या लॉकडाउन सफल रहा?
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि देश व्यापी लॉकडाउन लगाकर, भारत ने कोविड के आक्रामक प्रसार को सफलतापूर्वक विफल कर दिया। लॉकडाउन ने आवश्यक अतिरिक्त स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को विकसित करने में देश की मदद की। मार्च 2020 की उपलब्धता की तुलना में आईसोलेशन बेडों में 22 गुना और आईसीयू बेडो में 14 गुना की बढ़ोतरी हुई। वहीं प्रयोगशालाओं की क्षमता भी दस गुना बढ़ाई गई।
अनुमान है कि लॉकडाउन के निर्णय ने महामारी के फैलने की गति को धीमा करके 14-29 लाख मामलों और 37-78 हजार मौतों को रोका है।
नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुदर्शन टीवी के संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में कथित तौर पर मुस्लिमों की घुसपैठ की साजिश पर केंद्रित कार्यक्रम पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को कलंकित करने का है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत विविधता भरी संस्कृतियों वाला देश है। मीडिया में स्व-नियंत्रण की व्यवस्था होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि टीवी पर बहस (डिबेट) के दौरान पत्रकारों को निष्पक्ष होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के एक कार्यक्रम 'यूपीएससी जिहाद' के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सवाल उठाते हुए यह सख्त टिप्पणी की। इस टीवी कार्यक्रम के प्रोमो में दावा किया गया था कि सरकारी सेवा में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की घुसपैठ की साजिश का पदार्फाश किया जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा, "हम केबल टीवी एक्ट के तहत गठित प्रोग्राम कोड के पालन को सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं। एक स्थिर लोकतांत्रिक समाज की इमारत और अधिकारों और कर्तव्यों का सशर्त पालन समुदायों के सह-अस्तित्व पर आधारित है। किसी समुदाय को कलंकित करने के किसी भी प्रयास से निपटा जाना चाहिए।"
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और के.एम. जोसेफ की एक पीठ ने याद दिलाया कि पत्रकार की स्वतंत्रता कोई परम सिद्धांत नहीं है। पीठ ने साथ ही यह भी कहा कि एक पत्रकार को किसी भी अन्य नागरिक की तरह ही स्वतंत्रता है और उन्हें अमेरिका की तरह कोई अलग से स्वतंत्रता नहीं है।
टीवी चैनल को फटकार लगाते हुए पीठ ने उसके वकील से कहा, "आपका मुवक्किल यह स्वीकार नहीं कर रहा है कि भारत विविध संस्कृतियों वाला देश है। आपके मुवक्किल को सावधानी के साथ अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करने की जरूरत है।"
सुदर्शन टीवी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलील दी कि चैनल का कहना है कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक खोजी कहानी है।
पीठ ने कहा, "हमें उन पत्रकारों की जरूरत है, जो अपनी बहस में निष्पक्ष हैं।"
पीठ ने कहा, "कैसा उन्माद पैदा करने वाला यह कार्यक्रम है कि एक समुदाय प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश कर रहा है।" पीठ ने कहा कि इस तरह के शो लोगों को अपने टीवी से दूर कर देते हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर मीडिया को इस बात का अहसास नहीं हुआ, तो वे बिजनेस से बाहर हो जाएंगे। अदालत ने कहा, "अंत में आखिर गुणवत्ता ही मायने रखती है।"
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पत्रकारों की स्वतंत्रता सर्वोच्च है और किसी भी लोकतंत्र के लिए प्रेस को नियंत्रित करना विनाशकारी होगा।
मामले की सुनवाई जारी रहेगी।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने टीवी शो पर पूर्व-प्रसारण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था और केंद्र को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि कार्यक्रम की सामग्री सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने वाली है।
नई दिल्ली, 16 सितंबर आईएएनएस। दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति को लगता है कि फेसबुक इंडिया जानबूझकर कानूनी प्रक्रिया से बचने की कोशिश कर रहा है। फेसबुक अपने ऊपर पर लगे गंभीर आरोपों की वास्तविकता का पता लगाने में सहयोग नहीं कर रहा है। समिति के मुताबिक फेसबुक भाग रहा है और उस पर लगे आरोप निराधार नहीं है।
राघव चड्ढा ने कहा, "भारत के संविधान से प्राप्त विशेष शक्तियों और विशेषाधिकारों का प्रयोग करते हुए समिति ने फेसबुक इंडिया के अधिकारी को समिति के सामने पेश होने का एक और अवसर प्रदान करने का फैसला लिया है। इसके बाद भी वो उपस्थित नहीं होते हैं, तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।"
चेयरमैन राघव चड्ढा ने कहा, "कई सारे सबूत इस कमेटी के सामने पेश किए गए। यह कमेटी अपनी पिछली बैठक में इस नतीजे पर पहुंची थी कि फेसबुक के उपर कई सारे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसी साल फरवरी महीने में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे में फेसबुक की भूमिका को लेकर सवाल खड़े हुए। कुछ सबूत ऐसे रखे गए, जिसमें नजर आया कि फेसबुक ने दंगा शांत कराना तो दूर, दंगा भड़काने का काम किया। उसी के चलते कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि इतने दिनों की कार्रवाई के बाद यह बहुत जरूरी हो जाता है कि फेसबुक इंडिया के आला अधिकारियों को इस कमेटी के सामने आकर अपना बयान दर्ज कराने और उनपर लगे आरोपों का जवाब देने के लिए बुलाया जाए।"
शांति एवं सद्भाव समिति के चेयरमैन राघव चड्ढा ने कहा, "मोटे तौर पर उन्होंने इस कमिटी को यह हिदायत दी है कि हम इस नोटिस को वापस ले लें। यह विषय संसद की इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी समिति के सामने विचाराधीन है और फेसबुक के आला अधिकारी वहां पेश हुए, तो हमें इस मसले में नहीं घुसना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहने का प्रयास किया है कि क्योंकि यह कानून व्यवस्था से संबंधित मसला है। आईटी एक्ट संसद द्वारा पारित कानून है, उससे संबंधित मसला है, तो हमें इस विषय में नहीं पड़ना चाहिए।"
राघव चड्ढा ने कहा, "इस प्रकार से इस कमेटी के नोटिस का तौहीन करना और कमेटी के सामने पेश होने से इनकार कर देना, यह सीधे तौर पर दिल्ली विधानसभा की तौहीन है और दिल्ली विधानसभा को कौन चुनता है। इसमें कौन लोग बैठते हैं। यह दिल्ली का मतदाता तय करता है। इस कमेटी का अपमान करना, दिल्ली के दो करोड़ आबादी वाले राज्य के लोगों का विरोध है। मैं यह समझता हूं कि जो फेसबुक इंडिया के वकील हैं या जो उनके कानून के जानकार है, उन्होंने इन्हें बहुत गलत सलाह दी है।"
राघव चड्ढा ने कहा, "कोई भी विषय पार्लियामेंट्री कमेटी के अधीन हो, तो इसका यह मतलब नहीं कि दिल्ली विधानसभा उस विषय पर चर्चा नहीं कर सकती है। हमारा देश एक संघीय ढांचा है। जिसमें संसद अपने विषय पर चर्चा करता है और राज्य विधानसभा अलग विषयों पर चर्चा करती है। एक समय में एक ही मुद्दे पर भी चर्चा कर सकते हैं।"
नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)| लोकसभा ने मंगलवार को एक विधेयक पारित किया, जिसमें दो साल के लिए सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीलैड) निधियों को निलंबित करने का प्रावधान है। इसके साथ ही सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिए 30 प्रतिशत कटौती करने को भी लोकसभा की मंजूरी मिल गई है। इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिए किया जाएगा।
संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2020 मानसून सत्र के दूसरे दिन पारित किया गया।
अप्रैल में केंद्रीय मंत्रिपरिषद की ओर से वर्ष 2020-21 और 2021-22 में संसद के सभी सदस्यों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती और एमपीलैड के निलंबन को मंजूरी दी गई थी। यह विधेयक इससे संबंधित संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेंशन अध्यादेश 2020 की जगह लाया गया है। इसके माध्यम से संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन अधिनियम 1954 में संशोधन किया गया है।
प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद सहित सांसदों का वित्तवर्ष 2020-2021 में 30 प्रतिशत वेतन काटा जाएगा। कई सांसदों ने पहले ही कोरोनावायरस महामारी से निपटने के प्रयासों के तहत अपने एमपीलैड फंड पांच करोड़ रुपये का उपयोग करने का वादा किया था।
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि एमपीलैड फंड का निलंबन अस्थायी है और दो साल के लिए है। जोशी ने कहा, "मुझे खुशी है कि चैरिटी लोकसभा और राज्यसभा से शुरू हुई। यह चैरिटी इसलिए है, क्योंकि अर्थव्यवस्था राष्ट्रव्यापी बंद और अन्य चीजों के कारण प्रभावित हुई है। जब ऐसी चीजें होती हैं तो हमें कुछ असाधारण फैसले लेने की जरूरत होती है।"
मंत्री ने कहा कि सरकार ने दूसरों के लिए रोल मॉडल बनने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, "हमने कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए बहुत सारे उपाय और अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुझसे कहा कि सभी सांसदों को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह केंद्र या राज्य से संबंधित नहीं है।"
जोशी ने उल्लेख किया कि किस तरह सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज और 1.76 लाख करोड़ रुपये की गरीब कल्याण योजना बनाई है, जिसके माध्यम से इस साल नवंबर तक सभी गरीब लोगों को मुफ्त राशन मुहैया कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के लिए 40,000 करोड़ रुपये का बजट भी दिया।
विधेयक पर बहस की शुरुआत करते हुए, कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि एमपीलैड पर बिना किसी परामर्श और पूर्व सूचना फैसला लिया गया। सांसद ने कहा कि वह इस कदम का समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार द्वारा अपनाए गए तरीके का विरोध करते हैं।
द्रमुक के चेन्नई (उत्तर) सांसद वीरस्वामी कलानिधि ने कहा कि देश के लिए धन जुटाने के अन्य तरीके भी हैं। उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह वर्तमान स्थिति के अनुसार नहीं किया जाना चाहिए, हमें धन जुटाने के अन्य तरीकों की तलाश भी करनी होगी।"
उन्होंने कहा कि सरकार अगले तीन-पांच वर्षों में 20,000 करोड़ रुपये की नई संसद बनाने के प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ी है, जबकि देश एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। कलानिधि ने कहा कि इस राशि का इस्तेमाल महामारी और आर्थिक संकट से निपटने के लिए किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री निवास से 5, खुर्सीपार, धमधा, पाटन, नेहरू नगर हॉटस्पॉट,
"छत्तीसगढ़' संवाददाता
भिलाई नगर 15 सितंबर। दुर्ग जिले में आज सर्वाधिक 401 मरीज कोरोना संक्रमित मिले हैं। 7 मौतों के साथ मौतों का आंकड़ा 240 पहुंच गया है।
मुख्यमंत्री निवास भिलाई 3 से 5 कर्मचारी संक्रमित पाए गए हैं। जिले के हर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी संख्या में मरीज मिले हैं। सर्वाधिक खुर्सीपार, नेहरू नगर, पाटन, धमधा ब्लॉक से मरीज मिले हैं । इसके अलावा शहर के चार थानों में कोतवाली सेक्टर 6, थाना जामुल थाना नेवई एवं थाना पुलगांव से पुलिस कर्मचारी संक्रमित पाए गए हैं।
चंदूलाल चंद्राकर कोविड-19 केयर सेंटर आजाद कोविड-19 केयर सेंटर एवं बीएसएफ आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉ अनिल शुक्ला ने बताया कि आज जिले से रिकॉर्ड सर्वाधिक 401 संक्रमित मरीज मिले हैं। यह मरीज जिले के तीनों ही ब्लॉक से हैं ।शहरी क्षेत्र में खुर्सीपार क्षेत्र सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बन गया है ।आज भी संक्रमित मरीज इस क्षेत्र से मिले हैं। धमधा ब्लॉक से करीब 24 संक्रमित मरीज मिले हैं। इसी प्रकार से ब्लाक पाटन के अलग-अलग गांव से 14 संक्रमित मरीज मिले हैं। पंचशील नगर दुर्ग से सात संक्रमित मरीज मिले हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री निवास भिलाई 3 से 5 कर्मचारी संक्रमित पाए गए हैं। दुर्ग के खंडेलवाल कॉलोनी से एक ही परिवार के 4 सदस्य संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा शहरी थानों में जामुल, नेवई ,भिलाई कोतवाली एवं पुलगांव थाना से एक-एक कर्मचारी संक्रमित पाया गया है ।
बीएसएफ के दो जवान, प्रथम बटालियन के 2 जवान एवं सीआईएसफ के भी जवान संक्रमित मिले हैं। साथ ही दुर्ग शहरी क्षेत्र के लगभग सभी कालोनियों से संक्रमित मरीज आज मिले हैं। भिलाई क्षेत्र में नेहरू नगर कॉलोनी से भी काफी संख्या में संक्रमित मरीज मिले हैं। इसके अलावा जिले से आज 7 मरीजों की मौत भी हुई है। जिसके कारण मौत का आंकड़ा जिले से 240 तक पहुंच गया है। लगातार संक्रमण घर-घर तक फैल चुका है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 सितंबर। राज्य में आज रात 10.15 बजे तक 3450 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 1015 रायपुर जिले से हैं।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 138, राजनांदगांव 223, बालोद 85, बेमेतरा 15, कबीरधाम 169, धमतरी 51, बलौदाबाजार 214, महासमुंद 77, गरियाबंद 48, बिलासपुर 232, रायगढ़ 121, कोरबा 158, जांजगीर-चांपा 120, मुंगेली 75, सरगुजा 123, कोरिया 51, सूरजपुर 39, बलरामपुर 19, जशपुर 41, बस्तर 136, कोंडागांव 37, दंतेवाड़ा 58, सुकमा 19, कांकेर 58, नारायणपुर 45, बीजापुर 81, अन्य राज्य 2 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
नई दिल्ली, 15 सितंबर | सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर ने सोमवार को एक वेबिनार में कहा कि देश में सरकार बोलने की आजादी पर अंकुश लगाने के लिए राजद्रोह कानून का उपयोग कर रही है। पूर्व न्यायाधीश लोकुर की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब रविवार रात जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली दंगों में यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले शनिवार को सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, योगेंद्र यादव, अपूर्वानंद, जयति घोष, राहुल रॉय, उमर खालिद समेत ऐसे कई लोगों के नाम दिल्ली पुलिस द्वारा दंगों की चार्जशीट में डालने की खबर आई, जिन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध-प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और उसके बाद उसके आयोजकों की गिरफ्तारी के खिलाफ मुखर विरोध दर्ज करा रहे थे।
सेवानिवृत्त जस्टिस लोकुर ने यह बात ‘बोलने की आजादी और न्यायपालिका’ विषय पर आयोजित एक वेबिनार में अपने संबोधन के दौरान कही। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “बोलने की आजादी को कुचलने के लिए सरकार लोगों पर फर्जी खबरें फैलाने के आरोप लगाने का हथकंडा भी अपना रही है। कोरोना संक्रमण के मामलों और वेंटिलेटर की कमी जैसे मुद्दों की रिपोर्टिंग करने वाले कई पत्रकारों पर फर्जी खबर के कानूनों के तहत आरोप लगाए गए और केस दर्ज किए जा रहे हैं।”
जस्टिस लोकुर ने कहा, “देश में अचानक ही ऐसे मामलों की संख्या बढ़ गई है, जिसमें लोगों पर राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं। इसी साल अब तक राजद्रोह के 70 मामले देखे जा चुके हैं। हालत ये है कि कुछ भी बोलने वाले एक आम नागरिक पर राजद्रोह का आरोप लगाया जा रहा है।” उन्होंने डॉ कफील खान पर एनएसए लगाने के मामले का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आरोप लगाते समय उनके भाषण और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उनके बयानों को गलत पढ़ा गया।” उन्होंने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ न्यायालय की अवमानना के मामले का भी जिक्र किया।
कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफार्म्स और स्वराज अभियान द्वारा आयोजित इस वेबिनार में वरिष्ठ पत्रकार एन राम ने कहा, “प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में दी गई सजा बेतुकी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निष्कर्षो का कोई ठोस आधार नहीं है।” उन्होंने कहा कि उनके मन में न्यायपालिका के लिए बहुत सम्मान है, क्योंकि यह न्यायपालिका ही है जिसने संविधान में प्रेस की आजादी को स्थापित किया। वेबिनार में सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय ने कहा कि प्रशांत भूषण की प्रसिद्धी काफी व्यापक होने के कारण इस मामले ने काफी लोगों को सशक्त किया है।(navjivan)
नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने बलवंत सिंह मुल्तानी के 1991 के अपहरण-हत्या मामले में सेवानिवृत्त पंजाब के पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी को मंगलवार को तीन सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है। न्यायाधीश अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एम.आर. शाह की पीठ ने पंजाब सरकार से सैनी की अग्रिम जमानत याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। वहीं इसके साथ ही अदालत ने सैनी को जांच में सहयोग करने को कहा है। पीठ ने सैनी की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिस पर तीन सप्ताह में जवाब आ सकता है।
अदालत में सैनी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने किया। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने सैनी की जमानत याचिका का विरोध किया। लूथरा ने दलील देते हुए कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उल्लेख किया था कि पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सैनी ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया था।
इस पर पीठ ने पूछा कि 1991 के एक मामले में लगभग 30 साल बाद सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तार करने की इतनी जल्दी क्या लगी हुई है।
लूथरा ने जोर देकर कहा कि अदालत ने नोट किया कि एक व्यक्ति (मुल्तानी) ने सैनी द्वारा अमानवीय व्यवहार के बाद चोटों के कारण दम तोड़ दिया था। इसके साथ ही लूथरा ने कहा कि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी आरोपी अधिकारी के पास खुद के नियंत्रण में कुछ आधिकारिक फाइलें थीं।
वहीं मुल्तानी के भाई का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता के.वी. विश्वनाथन ने दलील दी कि सैनी एक 'कुख्यात पुलिस अधिकारी' थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके मुवक्किल का भाई याचिकाकर्ता के हाथों मारा गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में पंजाब सरकार का जवाब सुने जाने से पहले कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकती।
मालूम हो कि पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हालांकि, पंजाब सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैवियट याचिका दाखिल कर रखी है। पंजाब सरकार ने कोर्ट में अर्जी दखिल कर कहा है कि अदालत राज्य सरकार के पक्ष को सुने बिना कोई आदेश जारी न करे।
इससे पहले सात सितंबर को अग्रिम जमानत और जांच सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से करवाने की मांग को लेकर दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सैनी को बड़ा झटका दिया था। न्यायाधीश फतेहदीप सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था और फिर अपना फैसला सुनाते हुए सैनी की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
बता दें कि 1991 के बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी आरोपी हैं। पहली याचिका में सैनी ने मामले की पंजाब से बाहर किसी अन्य जांच एजेंसी या सीबीआई से जांच की मांग की थी। सैनी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ मोहाली पुलिस ने मटौर थाने में छह मई को एफआईआर दर्ज की है। यह पूरी तरह से राजनीतिक रंजिश के तहत दायर की गई है। इस एफआईआर पर पंजाब पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती है, लिहाजा इस मामले की सीबीआई या राज्य के बाहर की किसी जांच एजेंसी से जांच करवाई जाए।
सैनी ने दूसरी याचिका मोहाली की ट्रायल कोर्ट द्वारा एक सितंबर को उनकी अंतरिम जमानत को खारिज किए जाने के खिलाफ दायर की थी। सैनी ने न्यायालय से अग्रिम जमानत की अपील की थी।
लखनऊ, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| कोरोना महामारी के चलते स्कूल वगैरह बंद हैं, ऐसे में पढ़ाई के लिए ऑनलाइन क्लासेज और बाहर ज्यादा न निकलने की अवस्था में गेमिंग में बच्चे अपना अधिक समय बिता रहे हैं और इन सारी चीजों का प्रभाव उनकी आंखों पर पड़ रहा है। मोटे तौर पर, हाल के सप्ताहों में करीब 40 प्रतिशत बच्चों में आंखों व देखने की तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
जाने-माने नेत्र विशेषज्ञ अनिल रस्तोगी के मुताबिक, इनमें से अधिकतर बच्चों में अभिसरण अपर्याप्तता की समस्या देखी गई - यह एक ऐसी अवस्था है, जहां निकट स्थित किसी चीज को देखने के दौरान आंखें एक साथ काम करने में असक्षम रहती हैं। इस स्थिति के चलते एक आंख के अंदर रहने के दौरान दूसरी बाहर की ओर निकल आती है, जिससे चीजें या तो दो या धुंधली लगती हैं।
उन्होंने आगे कहा, बच्चे कंप्यूटर के आगे लंबे समय तक बैठे रहते हैं, स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं जिससे आंखों में खुजली और जलन की समस्या पैदा हो जाती है, ध्यान लगाने में परेशानी होती है, सिर दुखता है, आंखों में दर्द होता है।
नेत्र विशेषज्ञ शिखा गुप्ता भी यही कहती हैं कि लॉकडाउन के चलते बच्चे आठ से दस घंटे तक का समय इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में बिताते हैं। "वे या तो ऑनलाइन क्लासेज कर रहे हैं या कार्टून देख रहे हैं या वीडियो गेम्स खेल रहे हैं। माता-पिता को लगता है कि यह उन्हें व्यस्त रखने का सबसे बेहतर तरीका है, लेकिन इतना ज्यादा वक्त इलेक्ट्रॉनिकडिवाइस में बिताने से आंखों को नुकसान पहुंचता है।"
इनसे बचने के लिए डॉक्टर्स का सुझाव है कि आंखों की एक्सरसाइज पर ध्यान दें, टीवी/कंप्यूटर/मोबाइल फोन के स्क्रीन से कुछ-कुछ देर का ब्रेक लेते रहें, ताकि आंखों की अच्छी सेहत बरकरार रखी जा सकें।
इस्लामाबाद, 15 सितंबर (आईएएनएस)| अफगानिस्तान सुलह के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जाल्मे खलीलजाद ने सोमवार को पाकिस्तानी सैन्य और असैन्य नेतृत्व के साथ महत्वपूर्ण बैठकें करने के लिए पाकिस्तान की एक दिवसीय यात्रा की, जिससे अफगान शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
अपने इस्लामाबाद प्रवास के दौरान, खलीलजाद ने रावलपिंडी में जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) में पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की। खलीलजाद ने अफगान शांति के लिए पाकिस्तान की ओर से 'ईमानदारी और बिना शर्त समर्थन' की सराहना की। उन्होंने कहा कि शांति प्रक्रिया इस्लामाबाद के समर्थन के बिना संभव नहीं होगी।
खलीलजाद के साथ अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी था। बैठक में अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि, राजदूत मोहम्मद सादिक भी मौजूद रहे।
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख के हवाले से प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "राष्ट्रीय शक्ति के सभी तत्व क्षेत्र में लंबे समय से प्रतीक्षित शांति, प्रगति और समृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में एकजुट हैं।"
पाकिस्तानी पक्ष ने अपनी प्रस्तावित चार-स्तरीय रणनीति पर विस्तार से बताया, जिसमें शामिल हैं :
- अंतर-अफगान वार्ता से उभरने वाली सर्वसम्मति का सम्मान करते हुए अफगान-नीत और अफगान-स्वामित्व वाली शांति प्रक्रिया को समर्थन जारी रखना।
- यह सुनिश्चित करना कि अफगानिस्तान अतीत के हिंसक दिनों का गवाह न बने और न ही यहां ऐसे तत्वों के लिए जगह बने, जो इसकी सीमाओं से परे दूसरों को नुकसान पहुंचाए।
- आर्थिक विकास को गहरा और निरंतर करना।
- अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी मातृभूमि में उनकी गरिमा और सम्मान के साथ समयबद्ध वापसी सुनिश्चित करना।
दिलचस्प बात यह है कि खलीलजाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान या विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से नहीं मिले और उन्होंने केवल पाकिस्तान के सेना प्रमुख और राजदूत सादिक के साथ बैठक की।
ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान की खलीलजाद की त्वरित यात्रा तालिबान को दबाने के लिए इस्लामाबाद की मदद लेने और दोहा में पहले दौर की वार्ता के दौरान दीर्घकालिक युद्धविराम की घोषणा करने के लिए मजबूर करने के लिए है।
अफगान सरकार तालिबान से लंबे समय से संघर्ष विराम की मांग कर रही है और दोहा में चल रही वार्ता के दौरान इस बिंदु को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखा है। अफगान सरकार की शांति प्रक्रिया और बातचीत करने वाली टीम के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने तालिबान द्वारा लंबे समय तक युद्धविराम के बदले में अधिक कैदियों और तालिबान लड़ाकों को रिहा करने की पेशकश की है।
कोलकाता, 15 सितंबर (आईएएनएस)| चाइनमैन कुलदीप यादव पर आईपीएल के 13वें सीजन में भी अच्छा करने का दबाव है लेकिन वह इसकी परवाह किए बगैर अपने तरकश में से कुछ नए तीर निकालने को तैयार हैं।
आईपीएल का 13वां सीजन 19 सितंबर से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में शुरू हो रहा है। कोविड-19 के कारण इस बार आईपीएल यूएई में खेला जा रहा है।
कुलदीप का पिछला आईपीएल अच्छा नहीं रहा था और वह नौ मैचों में सिर्फ चार विकेट ले पाए थे। इसी कारण अंत के मैचों में वह टीम अंतिम-11 से बाहर कर दिए गए थे। टीम पांचवें स्थान पर रही थी और प्लेऑफ में क्वालीफाई नहीं कर पाई थी।
कुलदीप ने अपना आखिरी टी-20 मैच जनवरी में श्रीलंका के खिलाफ खेला था। वहीं पांच फरवरी को हेमिल्टन में उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना आखिरी वनडे मैच खेला था। इसके बाद कोविड-19 ने सब कुछ रोक दिया।
कुलदीप ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "मैंने कुछ गेंदों पर काम किया है खासकर टी-20 प्रारूप के लिए। आईपीएल में आपको यह देखने को मिलेगा।"
कुलदीप ने कहा कि उनके सफल होने की संभावना यूएई में मौजूद पिचों के कारण और बढ़ गई हैं जिनका स्वाभव स्पिनरों के पक्ष में है।
बाएं हाथ के इस स्पिनर ने कहा, "यह परिस्थियां मुझे भाती हैं। यहां काफी गर्मी है। जब मैं घर पर पर था तब भी ऐसा ही था, गर्मी और उमस। इसलिए मैं ज्यादा गर्मी महसूस नहीं करती। इस लिहाज से मैं काफी खुश हूं, अगर आप विकेट की बात करें तो मैं खुश हूं क्योंकि यहां स्पिनरों की मददगार विकेट हैं। इसलिए मुझे काफी फायदा होगा।"
कुलदीप से जब पिछले आईपीएल से मिली सीख के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह अब किसी चीज को लेकर जल्दबाजी में नहीं रहेंगे और असफलता स्वीकार करने के लिए वो तैयार हैं।
उन्होंने कहा, "आपको हर समय प्लान करने की जरूरत होती है। यह अनुभव काफी जरूरी है। साथ ही, आपको हमेशा कुछ करने का समय मिलता है। आपको जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। अगर आप जल्दबाजी करते हो तो गलती होने की संभावना है। क्रिकेट ऐसा खेल है जहां आप हर समय अच्छा नहीं कर सकते। आपको असफलता स्वीकार करनी होगी। इसके बाद ही आप अच्छे खिलाड़ी बन पाओगे।"
उन्होंने कहा, "अनुभव ऐसी चीज है जिससे मैं सीखूंगा। मेरे साथ पिछले आईपीएल में जो हुआ वो सभी के साथ होता है। संघर्ष खेल का हिस्सा है। इस तरह से हाइप नहीं करना चाहिए कि आपके प्रदर्शन पर इसका असर पड़े, लोग बात करें। खिलाड़ी का आंकलन उस हिसाब से नहीं करना चाहिए। आप नहीं जानते हैं कि कितनी मेहनत लगती है। यह कई बार काम करता है और कई बार नहीं।"
उम्मीदों का दबाव है?, "मैं इसे दबाव के तौर पर नहीं लेता। यहां, प्रशंसकों, परिवार और टीम को आपसे उम्मीदें होती हैं। आप चाहते हो कि आप उन पर खरा उतरो। मेरे ऊपर दबाव नहीं है, लेकिन मैं उम्मीदों पर खरा उतरना चाहता हूं और टीम को आगे ले जाना चाहता हूं।
उन्होंने कहा, "एक सीनियर खिलाड़ी के तौर पर आप हमेशा अच्छा करना चाहते हो और प्रशंसक भी यही चाहते हैं। इसलिए आप शायद थोड़ा नर्वस महसूस करते हो लेकिन मैं इसे दबाव के तौर पर नहीं लूंगा।"
नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति के समक्ष फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन पेश नहीं हुए। उन्हें समिति ने 15 सितंबर को पेश होने के लिए समन किया था। घृणा फैलाने वाले नियमों को लागू करने में जानबूझ कर निष्क्रियता के आरोपों में फेसबुक प्रबंध निदेशक को समन किया गया था। दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा, "प्रमुख गवाहों के बयानों के साथ-साथ उनकी तरफ प्रस्तुत की गई सामग्री व रिकॉर्ड में दोषी ठहराए जाने के आधार पर फेसबुक को समन जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने उल्टा कमेटी को ही हिदायत दी है कि हम नोटिस को वापस ले लें। फेसबुक का कहना है कि यह मामला संसद की एक कमेटी के समक्ष विचाराधीन है। वैसे भी दिल्ली में कानून व्यवस्था केंद्र का विषय है, इसलिए हमें इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।"
विधायक राघव चड्ढा की अध्यक्षता वाली समिति ने फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन को 15 सितंबर को समिति के सामने उपस्थित होने के लिए नोटिस दिया था। समिति के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि फेसबुक पर लगे आरोपों की जांच की जा सके।
राघव चड्ढा ने कहा, "गवाहों की तरफ से प्रस्तुत किए गए मजबूत साक्ष्य के संबंध में समिति का मानना है कि फेसबुक को दिल्ली दंगों की जांच में सह-अभियुक्त के रूप में आरोपित किया जाना चाहिए।"
राघव चड्ढा ने कहा, "दुख के साथ बताना चाहूंगा कि फेसबुक के अधिकारियों ने एक पत्र के जरिए अपना जवाब भेजा है। फेसबुक में नोटिस दिए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है और कहा है कि दिल्ली विधानसभा की कमेटी अपना नोटिस वापस ले ले।"
समिति ने अपने अध्यक्ष राघव चड्ढा के माध्यम से अब तक चार अत्यंत महत्वपूर्ण गवाहों की जांच की है। जिनमें प्रख्यात लेखक परांजॉय गुहा व डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता निखिल पाहवा शामिल हैं।
समिति के मुताबिक परांजॉय गुहा ने स्पष्ट रूप से बयान दिया कि फेसबुक प्लेटफॉर्म उतना नास्तिक और कंटेंट न्यूट्रल नहीं है, जितना कि वह होने का दावा करता है। साथ ही फेसबुक पर एक अपवित्र सांठगांठ का आरोप लगाया गया है।
नई दिल्ली, 15 सितंबर | सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के मुसलमानों के सिविल सेवा में चुने जाने को लेकर दिखाए जा रहे कार्यक्रम पर सख़्त एतराज़ जताते हुए बचे हुए एपिसोड दिखाने पर रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस चैनल की ओर से किए जा रहे दावे घातक हैं और इनसे यूपीएसी की परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लग रहा है और ये देश का नुक़सान करता है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "एक ऐंकर आकर कहता है कि एक विशेष समुदाय यूपीएससी में घुसपैठ कर रहा है. क्या इससे ज़्यादा घातक कोई बात हो सकती है. ऐसे आरोपों से देश की स्थिरता पर असर पड़ता है और यूपीएससी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लगता है."
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति जो यूपीएससी के लिए आवेदन करता है वो समान चयन प्रक्रिया से गुज़रकर आता है और ये इशारा करना कि एक समुदाय सिविल सेवाओं में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है, ये देश को बड़ा नुक़सान पहुँचाता है.
सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को मामले की फिर से सुनवाई करेगा.
हाई कोर्ट ने लगाई थी रोक, सूचना मंत्रालय ने दी थी इजाज़त
सुदर्शन न्यूज़ के जिस कार्यक्रम को लेकर विवाद था उसमें 'नौकरशाही में एक ख़ास समुदाय की बढ़ती घुसपैठ के पीछे कोई षडयंत्र होने' का दावा किया गया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस कार्यक्रम पर 28 अगस्त को रोक लगा दी थी. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश नवीन चावला ने इस कार्यक्रम के प्रसारण के ख़िलाफ़ स्टे ऑर्डर जारी किया था.
मगर 10 सितंबर को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चैनल को ये कार्यक्रम प्रसारित करने की इजाज़त दे दी.
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा था कि उन्हें सुदर्शन न्यूज़ के इस प्रोग्राम के ख़िलाफ़ कई शिकायतें मिली हैं और मंत्रालय ने न्यूज़ चैनल को नोटिस जारी कर इस पर जवाब माँगा है.
10 सितंबर को मंत्रालय ने अपने आदेश में लिखा कि सुदर्शन चैनल के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने 31 अगस्त को आधिकारिक रूप से अपना जवाब दे दिया था जिसके बाद मंत्रालय ने निर्णय लिया कि अगर कार्यक्रम के कंटेंट से किसी तरह नियम-क़ानून का उल्लंघन होता है तो चैनल के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जायेगी.
मंत्रालय ने ये भी कहा है कि कार्यक्रम प्रसारित होने से पहले कार्यक्रम की स्क्रिप्ट नहीं माँगी जा सकती और ना ही उसके प्रसारण पर रोक लगायी जा सकती है.
इस आदेश के अनुसार, सुदर्शन चैनल ने दावा किया कि उन्होंने अपने कार्यक्रम में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और कहा है कि 'इस तरह की रोक टीवी प्रोग्रामों पर प्रसारण से पहले ही सेंसरशिप लागू करने जैसी है.'
मंत्रालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार टीवी कार्यक्रमों की प्री-सेंसरशिप नहीं की जाती. प्री-सेंसरशिप की ज़रूरत फ़िल्म, फ़िल्मी गाने, फ़िल्मों के प्रोमो, ट्रेलर आदि के लिए होती है जिन्हें सीबीएफ़सी से सर्टिफ़िकेट लेना होता है.
मंत्रालय ने सुदर्शन चैनल को यह हिदायत दी थी कि वो इस बात का ध्यान रखे कि किसी तरह से प्रोग्राम कोड का उल्लंघन ना हो, अन्यथा उसके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई हो सकती है.
क्या है पूरा मामला?
सुदर्शन न्यूज़ चैनल ने 25 अगस्त को एक टीज़र जारी किया था जिसमें चैनल के संपादक ने यह दावा किया था कि 28 अगस्त को प्रसारित होने वाले उनके कार्यक्रम 'बिंदास बोल' में 'कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों पर मुस्लिम घुसपैठ का पर्दाफ़ाश' किया जाएगा.
टीज़र सामने आते ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर आलोचना शुरू हो गई थी.
इसके बाद भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के संगठन ने इसकी निंदा करते हुए इसे 'ग़ैर-ज़िम्मेदाराना पत्रकारिता' क़रार दिया.
पुलिस सुधार को लेकर काम करने वाले एक स्वतंत्र थिंक टैंक इंडियन पुलिस फ़ाउंडेशन ने भी इसे 'अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के आईएएस और आईपीएस बनने के बारे में एक हेट स्टोरी' क़रार देते हुए उम्मीद जताई थी कि ब्रॉडस्काटिंग स्टैंडर्ड ऑथोरिटी, यूपी पुलिस और संबंद्ध सरकारी संस्थाएँ इसके विरूद्ध सख़्त कार्रवाई करेंगे.
हालाँकि, सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हानके ने आईपीएस एसोसिएशन की प्रतिक्रिया पर अफ़सोस जताते हुए कहा था कि 'उन्होंने बिना मुद्दे को समझे इसे कुछ और रूप दे दिया है.' उन्होंने संगठन को इस कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया था.
राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने इस कार्यक्रम के बारे में दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी.
पूनावाला ने साथ ही इस बारे में न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन (एनबीए) के अध्यक्ष रजत शर्मा को एक पत्र लिख उनसे इस कार्यक्रम का प्रसारण रुकवाने और सुदर्शन न्यूज़ तथा इसके संपादक के विरूद्ध क़ानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया था.
दिल्ली की जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के शिक्षकों के संगठन ने भी एक बयान जारी कर यूनिवर्सिटी प्रशासन से इस बारे में अवमानना का मामला दायर करवाने का अनुरोध किया था.
आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने की आलोचना
छत्तीसगढ़ के आईपीएस अधिकारी आरके विज ने इस कार्यक्रम के टीज़र पर प्रतिक्रिया करते हुए इसे 'घृणित' और 'निंदनीय' बताया था और कहा था कि वो इस बारे में 'क़ानूनी विकल्पों पर ग़ौर कर रहे हैं'.
छत्तीसगढ़ काडर के आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने भी इस शो पर प्रतिक्रिया करते हुए लिखा था कि 'इसे बनाने वाले से इस कथित पर्दाफ़ाश के स्रोत और उसकी विश्वसनीयता के बारे में पूछा जाना चाहिए'.
पुड्डुचेरी में तैनान आईपीएस अधिकारी निहारिका भट्ट ने लिखा था कि "धर्म के आधार पर अफ़सरों की निष्ठा पर सवाल उठाना ना केवल हास्यापस्द है बल्कि इसपर सख़्त क़ानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. हम सब पहले भारतीय हैं."
हरियाणा के आईएएस अधिकारी प्रभजोत सिंह ने लिखा था कि "पुलिस इस शख़्स को गिरफ़्तार क्यों नहीं करती और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट या अल्पसंख्यक आयोग या यूपीएससी इस पर स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लेते? ट्विटर इंडिया कृपया कार्रवाई करे और इस एकाउंट को सस्पेंड करे. ये हेट स्पीच है."
बिहार में पूर्णिया के ज़िलाधिकारी राहुल कुमार ने लिखा था कि "ये बोलने की आज़ादी नहीं है. ये ज़हर है और संवैधानिक संस्थाओं की आत्मा के विरूद्ध है. मैं ट्विटर इंडिया से इस एकाउंट के विरूद्ध कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूँ."
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी एनआईए में कार्यरत आईपीएस अधिकारी राकेश बलवल ने लिखा था, "हम सिविल सेवा अधिकारियों के लिए एकमात्र पहचान जो कोई अर्थ रखती है, वो है भारत का राष्ट्र ध्वज." (bbc)
नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद में कहा कि चीन ने भारत की 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर अनिधिकृत कब्जा कर रखा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) स्पष्ट रूप से चित्रित नहीं है और चीन भारत की सीमा से लगे लगभग 90 हजार वर्ग किलोमीटर की जमीन को भी अपनी बताता है। रक्षा मंत्री सिंह ने चीन की एक-एक नापाक करतूतों की जानकारी सदन को दी। उन्होंने कहा कि चीन ने मई और जून में यथास्थिति को बदलने की कोशिश की, मगर भारतीय सेना ने उसके प्रयासों को विफल कर दिया। राजनाथ ने कहा, "हमने चीन से कहा है कि ऐसी घटनाएं हमें स्वीकार्य नहीं होंगी।"
मंत्री ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में चीन ने लगभग 38,000 वर्ग किमी के अवैध कब्जे में है। इसके अलावा, 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान 'सीमा समझौते' के तहत पाकिस्तान ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में 5,180 वर्ग किमी भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी। उन्होंने कहा कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र में लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र का दावा किया है।
सिंह ने कहा, "हम मानते हैं कि यह संधि अच्छी तरह से स्थापित भौगोलिक सिद्धांतों पर आधारित है।"
दोनों देशों ने 1950 और 60 के दशक के दौरान विचार-विमर्श किया था, लेकिन इन प्रयासों से पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान नहीं निकल सका।
भारत और चीन दोनों औपचारिक रूप से सहमत हो गए हैं कि सीमा प्रश्न एक जटिल मुद्दा है, जिसके लिए धैर्य की जरूरत है और बातचीत व शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की मांग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव पर राजनाथ सिंह ने लोकसभा में विस्तृत बयान दिया।
दरअसल, विपक्ष चीन के साथ चल रहे तनाव पर लगातार सरकार से बयान की मांग कर रहा था। इसके बाद राजनाथ ने मंगलवार को जवाब देते हुए कहा कि सीमा पर भारतीय जवान पूरी सर्तकता के साथ तैयार हैं। राजनाथ ने चीन को बातचीत का प्रस्ताव देते हुए कहा कि अगर ड्रैगन सीमा पर कोई हरकत करेगा तो हमारे जवान उसे माकूल जवाब भी देंगे।
राजनाथ ने कहा कि सेना के लिए विशेष अस्त्र-शस्त्र और गोला बारूद की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उनके रहने के तमाम बेहतर सुविधाएं दी गई हैं। उन्होंने कहा कि लद्दाख में हम एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं। यह समय है कि यह सदन अपने जवानों को वीरता का एहसास दिलाते हुए उन्हें संदेश भेजे कि पूरा सदन उनके साथ खड़ा है।
राजनाथ ने तनाव खत्म करने के लिए समाधान निकाले जाने पर भी जोर दिया। राजनाथ ने कहा, "हम सीमाई इलाकों में मुद्दों का हल शांतिपूर्ण तरीके से किए जाने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। हमने चीनी रक्षा मंत्री से रूस में मुलाकात की। हमने कहा कि इस मुद्दे का शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहते हैं, लेकिन भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। 10 सितंबर को एस. जयशंकर को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि अगर चीन पूरी तरह से समझौते को माने तो विवादित इलाके से सेना को हटाया जा सकता है।"
रक्षा मंत्री ने कहा कि कोविड-19 की चुनौतीपूर्ण दौर में सैन्य बल और आईटीबीपी की तुरंत तैनाती की गई है। सरकार ने सीमा के विकास को प्राथमिकता दी है। हमारी सरकार ने सीमा के विकास के लिए काफी बजट बढ़ाया है। सीमाई इलाके में काफी रोड और ब्रिज बने हैं और सैन्य बलों को बेहतर समर्थन भी मिला है।
राजनाथ ने सदन को बताया कि "अभी की स्थिति के अनुसार, चीन ने एलएसी के अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक और गोला बारूद जमा कर रखे हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी सेना ने पूरी काउंटर तैनाती कर रखी है। सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेना इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करेगी।"
उन्होंने कहा, "पूर्वी लद्दाख और गोगरा, कोंगका ला और पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर तनाव वाले कई इलाके हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी सेना ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त काउंटर तैनाती की है, ताकि भारत के सुरक्षा हित पूरी तरह सुरक्षित रहें। अभी जो स्थिति बनी हुई है उसमें संवेदनशील ऑपरेशन मुद्दे शामिल हैं। इसलिए मैं इस बारे में ज्यादा खुलासा नहीं करना चाहूंगा।"
रक्षा मंत्री ने कहा, "अप्रैल माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन की सेनाओं की संख्या तथा उनके हथियारों में इजाफा देखा गया। मई महीने के प्रारंभ में चीन ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारे सैनिकों के परंपरागत पैट्रोलिंग पैटर्न में रुकावट डाली, जिससे आमने-सामने की स्थिति पैदा हुई। हमने चीन को राजनयिक तथा मिल्रिटी चैनल्स के माध्यम से यह अवगत करा दिया कि इस प्रकार की गतिविधियां यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास है। यह भी साफ कर दिया गया कि यह प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।"
रक्षा मंत्री ने कहा कि अभी तक भारत और चीन के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में आमतौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा का परिसीमन नहीं हुआ है और पूरी एलएसी की कोई आम धारणा नहीं है। इसलिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों ने कई समझौतों और प्रोटोकॉल का सहारा लिया है।
उन्होंने कहा कि इन समझौतों के तहत दोनों पक्ष एलएसी के पास वाले क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं।
उन्होंने कहा कि 1993 और 1996 दोनों समझौतों का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ क्षेत्रों में अपने सैन्य बलों को न्यूनतम स्तर पर रखेंगे।
कोलकाता, 15 सितंबर (आईएएनएस)| तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती पर कथित रूप से अभद्र टिप्पणी और आपत्तिजनक इशारे करने पर एक टैक्सी ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया है। अभिनेत्री से राजनेता बनीं मिमी चक्रवर्ती अपनी कार में सोमवार की रात घर वापस आ रही थीं, जब यह घटना गरियाहाट-बल्लीगंज फेरी इलाके के पास हुई। अभिनेत्री मिमी जिम से अपने दक्षिणी कोलकाता स्थित निवास की ओर जा रही थीं।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एक टैक्सी ने जादवपुर के सांसद की कार को ओवरटेक किया और अभिनेत्री पर कुछ भद्दी टिप्पणियां कीं। उसने तुरंत कैबी को बीच रास्ते में रोक दिया और पुलिस को सूचित किया।
मिमी चक्रवर्ती ने ड्राइवर के खिलाफ गरियाहाट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। ड्राइवर की पहचान लक्षमण यादव के रूप में की गई है, जिसको गिरफ्तार कर लिया गया है।
नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का 13वां संस्करण शुरू होने वाला है और इसके साथ ही क्रिकेट का बुखार देश के सिर चढ़ने लगा है। क्रिकेट प्रेमी घर बैठे आईपीएल देखने का मजा ले सकें, इसके लिए जियो ने आगामी आईपीएल के लिए कई नए टैरिफ प्लान्स की घोषणा की है। 'जियो क्रिकेट प्लान्स' के तहत लॉन्च किए गए। इन प्लान्स में डेटा और वॉयस कॉलिंग के साथ एक साल के डिज्नी-हॉटस्टार वीआईपी का सब्सक्रिप्शन मिलेगा। इस सब्सक्रिप्शन की कीमत 399 रुपये है।
जियो क्रिकेट प्लान्स में क्रिकेट प्रेमी डिजनी-हॉटस्टार ऐप के माध्यम से फ्री लाइव ड्रीम11 आईपीएल मैच देख सकते हैं। यह प्लान्स एक महीने से लेकर एक साल तक की वैधता वाले प्रीपेड प्लान्स हैं। प्लान्स की वैद्यता चाहे कितनी भी हो पर डिजनी-हॉटस्टार का सब्सक्रिप्शन पूरे साल भर के लिए मिलेगा।
जियो क्रिकेट प्लान 401 रू. से शुरू हो कर यह प्लान्स 2599 रू. तक का है। 28 दिन की वैद्यता वाले 401 रू. के प्लान में प्रतिदिन 3 जीबी डेटा मिलेगा। वहीं 598 रू. वाले प्लान में 2 जीबी डेटा प्रतिदिन मिलेगा पर उसकी वैद्यता 56 दिनों की होगी।
इसके अलावा 84 दिनों की वैद्यता वाले प्लान की कीमत 777 रू. रखी गई है। इस प्लान में 1.5जीबी डेटा प्रतिदिन खर्च किया जा सकेगा। साथ ही एक वार्षिक प्लान भी है, जिसकी कीमत 2599 रू. है और इस प्लान में ग्राहक को हर दिन 2 जीबी डेटा मिलेगा।
बॉल दर बॉल पूरे मैच को कई बार देखने के शौकीनों के लिए जियो क्रिकेट प्लान्स में डेटा एड-ऑन की सुविधा भी उपलब्ध है। 499 रू. में 1.5 जीबी डेटा प्रतिदिन का टॉप-अप मिल जाएगा, जिसकी वेद्यता 56 दिनों की रहेगी।
एड-ऑन प्लान मौजूदा प्लान्स के साथ भी लिया जा सकता है। इसमें डेटा के साथ एक साल तक के लिए डिजनी प्लस हॉटस्टार ऐप की सब्सक्रिप्शन भी साथ मिलेगी।
आईपीएल का 13वां सीजन इस बार संयुक्त अरब अमीरात में 19 सितंबर से खेला जाएगा। सीजन का पहला मैच मौजूदा चैंपियन मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच खेला जाएगा।
मुंबई, 15 सितंबर (आईएएनएस)| एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, मुंबई पुलिस ने मंगलवार को छह शिव सैनिकों को फिर से गिरफ्तार कर लिया, जिन्होंने कथित रूप से एक सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी मदन शर्मा पर हमला किया था। नौसेना अधिकारी पर हमले के बाद लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिला था।
आरोपियों को बोरीवली की एक मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
गिरफ्तार किए गए लोगों में शाखा प्रधान कमलेश कदम और संजय मंजरे शामिल हैं। इसके अलावा कार्यकर्ता प्रताप वेरा, सुनील देसाई, राकेश मुलिक और राकेश बेलनेकर को गिरफ्तार किया गया है।
समता नगर पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी इनके खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में मारपीट, चोट पहुंचाने और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 452 के तहत मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद हुई है।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में शिवसैनिकों द्वारा पूर्व नौसेना अधिकारी की पिटाई किए जाने की घटना की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कड़ी निंदा की थी। सिंह ने कहा कि देश के पूर्व सैनिक पर इस तरह का हमला बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं कामना करता हूं कि पूर्व सैन्य अधिकारी जल्द ठीक हो जाएं।
इस घटनाक्रम के बाद से सोशल मीडिया पर भी इसकी खूब चर्चा हो रही है।
राजनाथ ने शुक्रवार के हमले के मद्देनजर 65 वर्षीय सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी मदन शर्मा को फोन किया। इस मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों को शनिवार को जमानत दे दी गई थी।
सिंह ने ट्वीट किया, "पूर्व सैनिकों पर इस तरह का हमला पूरी तरह से अस्वीकार्य और अपमानजनक है।"
शर्मा की शिकायत के बाद, समता नगर पुलिस ने शुक्रवार देर शाम चार आरोपियों - शिवसेना प्रमुख प्रधान कमलेश कदम और उनके साथी संजय मंजरे, राकेश बेलवेकर और प्रताप को गिरफ्तार किया था।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (उत्तर) दिलीप सावंत ने कहा कि उनके खिलाफ गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होने और हिंसा सहित कई आरोपों में मामला दर्ज किया गया था।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कार्टून सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड करने को लेकर शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी के साथ लोखंडवाला परिसर में उनके निवास के बाहर मारपीट की गई थी।
दरअसल इस कार्टून में शिवसेना की हिंदुत्व की छवि को लेकर उद्धव ठाकरे पर तंज कसा गया है। कार्टून में भगवा रंग के कपड़े में उद्धव ठाकरे को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार सफेद रंग का कपड़ा पहनाते दिखाई दे रहे हैं। इसी कार्टून को लेकर सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी मदन शर्मा के साथ शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मारपीट की।
भारतीय जनता पार्टी के विधायक अतुल भातलकर द्वारा पोस्ट किए गए एक सीसीटीवी क्लिप में हमलावरों को शर्मा का पीछा करते हुए देखा जा सकता है। जब आरोपी उनके कॉलर को खींच रहे थे, तो सोसायटी के सुरक्षा कर्मियों ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
शर्मा को इस हमले में गंभीर चोट तो नहीं आई, मगर उनकी आंख के पास चोट आई है, जो कि सूज गई है। बाद में उन्होंने एक पुलिस शिकायत दर्ज की। कई भाजपा नेताओं ने महा विकास अघाड़ी सरकार पर निशाना साधा।
सैनिक महासंघ के अध्यक्ष ब्रिगेडियर सुधीर सावंत (रिटार्यड) ने इस घटना को निंदनीय करार दिया है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना को लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, "बेहद दुखद और चौकाने वाली घटना। रिटायर्ड नौसेना अधिकारी को गुंडों ने इसलिए मारा कि उन्होंने केवल एक व्हाट्सएप फॉरवर्ड किया था। इसे रोकिए आदरणीय उद्धव ठाकरे जी। हम इन गुंडों पर कठोर कार्रवाई और सजा की मांग करते हैं।"
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 सितंबर। छत्तीसगढ़ में आज शाम 7 बजे तक रिकॉर्डतोड़ 3932 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। केन्द्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के अब तक के आंकड़ों के अनुसार इनमें सबसे ज्यादा 1182 अकेले रायपुर जिले में हैं। आज यह पहला मौका है जब रायपुर में कोरोना पॉजिटिव हजार पार कर रहे हैं।
अन्य जिलों के आंकड़ों में दुर्ग 561, राजनांदगांव 343, जांजगीर-चांपा 182, बस्तर 162, बलौदाबाजार 134, सरगुजा 122, रायगढ़ 117 पॉजिटिव मिले हैं। इनके अलावा अन्य जिलों में कोरिया 88, दंतेवाड़ा 85, कोरबा 81, बीजापुर 79, महासमुंद 64, कोंडागांव 61, कबीरधाम 54, सूरजपुर 47, धमतरी 45, जशपुर 42, मुंगेली 41, बालोद 39, नारायणपुर 38, कांकेर 34, सुकमा 30 पॉजिटिव मिले हैं।
केन्द्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के इन आंकड़ों में रात तक राज्य शासन के जारी किए जाने वाले आंकड़ों से कुछ फेरबदल हो सकता है क्योंकि ये आंकड़े कोरोना पॉजिटिव जांच के हैं, और राज्य शासन इनमें से कोई पुराने मरीज का रिपीट टेस्ट हो, तो उसे हटा देता है। लेकिन हर दिन यह देखने में आ रहा है कि राज्य शासन के आंकड़े रात तक खासे बढ़ते हैं, और इन आंकड़ों के आसपास पहुंच जाते हैं, कभी-कभी इनसे अधिक भी हो जाते हैं।
राज्य शासन के शाम 7 बजे तक के कुछ आंकड़े इस अखबार को मिले हैं जो औपचारिक रूप से घोषित नहीं किए गए हैं। ये आंकड़े आज के पूरे आंकड़े नहीं हैं। राज्य शासन के 1281 में से अकेले रायपुर जिले में 615 कोरोना पॉजिटिव बताए गए हैं। इनके अलावा बलौदाबाजार 95, कबीरधाम 88, दुर्ग 80, रायगढ़-कोरबा 78-78, बस्तर 66, जांजगीर-चांपा 24, बीजापुर 22, बिलासपुर 20, महासमुंद 18, जशपुर 14, बालोद 12, बेमेतरा 11, गरियाबंद 10, दंतेवाड़ा-नांदगांव 9-9, कोंडागांव 8, मुंगेली 7, कोरिया और नारायणपुर 5-5, सूरजपुर 3, धमतरी 2, एवं अन्य जिलों के दो कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। रात दस बजे के करीब राज्य शासन के बुलेटिन में यह संख्या इससे कई गुना हो जाने की आशंका है।
कानपुर, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| गैंग्सटर विकास दुबे मर चुका है, लेकिन उसका नाम आज भी आतंक पैदा करता है। उत्तरप्रदेश में कई छोटे-मोटे अपराधी, यहां तक की अपराध जगत में कदम रखने वाले नए लोग अब 'कानपुरवाला' के कद को भुना रहे हैं। कानपुर में चौबेपुर और बिल्हौर पुलिस स्टेशन में पुलिस को दुबे के गुर्गो द्वारा उगाही और भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर फोन आ रहे हैं।
बिकरू गांव के एक निवासी ने पुलिस को पत्र लिखकर दुबे के सहयोगी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है, जिसने गांव में जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है।
शिकायकर्ता ने कहा, "वह गांववालों को डरा रहा है और जमीन पर कब्जा कर रहा है।"
शिकायतकर्ता ने कथित बदमाश के पते के बारे में भी जानकारी दी थी। पुलिस बदमाश का पता लगाने गांव गई, जहां पता चला कि यह फर्जी टेलीफोन नंबर के साथ गलत एड्रेस है।
बाद में जांच में पता चला कि यह शिकायत व्यक्तिगत विवाद निपटाने लिए की गई थी।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "बिल्हौर में आईजी रेंज, डीआईजी और सर्किल ऑफिसर के कार्यालय में ऐसी 100 से ज्यादा शिकायत दर्ज की गई हैं। इनमें से आधे फर्जी निकले। लोग निजी दुश्मनी के मामलों में विकास दुबे के नाम का प्रयोग कर रहे हैं।"
विकास दुबे कथित रूप से अपने पीछे 60 करोड़ की संपत्ति छोड़ गया है और स्थानीय बदमाश कानपुर में अपना वर्चस्व जमाने के लिए उसके नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं।
हाल ही में, नागालैंड में पोस्टेड सेना के एक जवान को खुद को विकास दुबे का सहयोगी बताने वाले एक व्यक्ति ने धमकाने के लिए फोन किया और जवान को उसकी अलग रह रही पत्नी को घर वापस ले जाने या फिर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी।
इससे पहले, एक कंम्युटर इंस्टिट्यूट के मालिक को उगाही के लिए 'कानपुरवाला' के नाम पर फोन आया।
पुलिस अब शिकायतों की एक सूची बना रही है और इनके बैकग्राउंड को खंगाला जाएगा।
आईजी कानपुर रेंज मोहित अग्रवाल ने कहा, "इस पहल से पुलिस स्टेशनों में अनावश्यक केसों से निपटने में मदद मिलेगी और इससे समय और ऊर्जा दोनों की बचत होगी।"
उन्होंने कहा, "उगाही के लिए फोन करने वालों के खिलाफ हमने पहले से ही कार्रवाई शुरू कर दी है और एक आरोपी को हाल ही में बार्रा दक्षिण से गिरफ्तार किया गया है। उसने स्वीकार किया कि उसके पास पैसे खत्म हो गए थे और उसने उस संस्थान से पैसे ऐंठने का निर्णय किया, जहां से उसने डिप्लोमा कोर्स किया था।"