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रायपुर, 27 जनवरी। पिछले दिनों हुए आईएएस, राप्रसे अफसरों के बाद अब सबकी निगाहें आईपीएस अफसरों की लिस्ट पर है। सूची लगभग तैयार है, इसके आज रात या कल जारी होने के संकेत हैं।
पीएचक्यू के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित सूची में दो दर्जन आईपीएस अफसरों के नाम हैं। इनमें पीएचक्यू के एडीजी से लेकर एसपी तक शामिल हैं। यह सूची तैयार कर हर स्तर पर इसकी स्क्रीनिंग की गई है। इसमें अफसर का पूरा बैकग्राउंड देखा गया। विभाग में छवि, कामकाज का तरीके के साथ चारित्रिक स्तर पर भी पतासाजी की गई है। सबसे अहम, पिछली सरकार में शोषित, पीड़ित आईएफएस अफसरों को अधिक तवज्जों दिए जाने की चर्चा है। आईपीएस की सूची निकालने में देरी के पीछे एक अहम कारण बताया गया है। सरकार ने तय किया है कि पिछली सरकार की तरह हर तीन माह में बदलाव नहीं किया जाएगा। एक बार पदस्थ होने वाले एसपी को कम से कम दो वर्ष का अवसर दिया जाएगा। बहरहाल आईपीएस के तबादले दो चरण में भी हो सकते हैं। अभी केवल एसपी बदले जाएंगे और फिर रेंज और पीएचक्यू में पदस्थ एडीजी, आईजी और डीआईजी में बदलाव होगा।
रायपुर, 27 जनवरी। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से राजधानी रायपुर स्थित उनके निवास कार्यालय (पहुना) में मुलाकात के लिए दूरभाष और ईमेल पर समय लिया जा सकता है। आगंतुकों की सुविधा के लिए मुख्यमंत्री निवास कार्यालय द्वारा दो मोबाइल नंबर 7024529444, 7024826444 तथा दूरभाष नम्बर 0771-2331001 जारी किया गया है। इसके अलावा ईमेल के पते [email protected] पर पत्र भेजकर मुलाकात के लिए समय लिया जा सकता है।
युवक कांग्रेसियों ने कहा-कका जिंदा है...
राजीव भवन की बैठक में आम चुनाव पर चर्चा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 27 जनवरी। लोकसभा चुनाव तैयारियों को लेकर शनिवार को हुई युवक कांग्रेस की बैठक में पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने पूछ लिया कि युवक कांग्रेस के नेताओं को टिकट मिल गई, तो खर्चे की व्यवस्था कैसे करोगे। इस पर युवक कांग्रेसियों की तरफ से आवाज आई कि कका जिंदा है। बघेल ने हास-परिहास के बीच कहा कि वो कहां से खर्च की व्यवस्था करेंगे?
राजीव भवन की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, और अन्य प्रमुख नेताओं ने संबोधित किया। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने अपने उद्बोधन में नसीहत दी कि जिस किसी युवक कांग्रेस के नेता को प्रत्याशी बनाया जाता है तो बिना पैसे के काम करना होगा। तभी सफलता मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि कम खर्च में भी चुनाव जीते जा सकते हैं। बैठक में युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा सहित अन्य नेता मौजूद थे।
छत्तीसगढ़ में ऑनलाईन शेयर खरीद-बिक्री पर रोजाना पांच-दस फीसदी मुनाफे का झांसा देकर एक पति-पत्नी से एक मोबाइल ऐप के माध्यम से 68 लाख रूपए की ठगी हो गई। और एक दूसरी खबर इसी प्रदेश में सेना के एक अफसर से कुछ इसी किस्म का शेयर कारोबार का झांसा देकर 89 लाख रूपए ठग लिए। कल ही के अखबारों में ये दोनों खबरें हैं, और हमारे सरीखे कुछ अखबारनवीसों के वॉट्सऐप नंबर हर हफ्ते ऐसे किसी न किसी शेयर खरीदी-बिक्री के ग्रुप में जोड़े जाते हैं, या क्रिप्टोकरेंसी कारोबार के एक नए झांसे में। इन पर होने वाली अलग-अलग लोगों की चर्चा के पोस्ट देखें तो वे ग्रुप के मुखिया की सलाह पर हर दिन लाखों या दसियों लाख रूपए कमाने की खुशी जाहिर करते रहते हैं, और ऐसा लगता है कि उनके झांसे में आकर और बहुत से लोग पैसा इस तरह लुटा बैठते हैं। ऐसे जालसाज और ठग कई फर्जी वेबसाईटें भी बना लेते हैं, और वहां से भी लोगों को फांसते हैं।
यहां तक तो बात ठीक थी, लेकिन कल ही एक दूसरी खबर यह है कि साइबर-मुजरिमों ने मोबाइल फोन की एक मैसेंजर सर्विस पर यह पोस्ट किया है कि उनके पास भारत के 75 करोड़ लोगों के आधार कार्ड, और उससे जुड़ी हुई तमाम जानकारियां बिक्री के लिए मौजूद हैं। इंटरनेट का जो हिस्सा सिर्फ मुजरिमों के बीच लोकप्रिय है, वहां भी ऐसी जानकारी पोस्ट की गई है। दुनिया की जिस साइबर-सुरक्षा फर्म ने यह जानकारी सामने रखी है, उसने अभी तक इन बेचने वालों की जानकारी को परखा तो नहीं है, लेकिन इस तरह की जानकारी दुनिया के कई देशों में कई कंपनियों या सरकारी सेवाओं से चुराकर बिक्री के लिए सामने रखी जाती हैं।
अब हम भारत में इन दो चीजों को मिलाकर देखें तो अधिकतर लोग धोखा खाने के लिए एक पैर पर खड़े दिखते हैं, उन्हें बस कोई फायदे का सौदा दिख जाए। हमारे सरीखे लोग भी फेसबुक पर दो-तीन सौ रूपए में शानदार शर्ट का इश्तहार देखकर पैसा गंवा चुके हैं। लेकिन जब लोग शेयर कारोबार में अंधाधुंध मोटी कमाई के झांसे में आ जाते हैं, या दुनिया में अभी पूरी तरह अविश्वसनीय क्रिप्टोकरेंसी से फायदा पाने के फेर में ठगे जाते हैं, तो कुछ हैरानी होती है। अगर दुनिया में इतनी कमाई मुमकिन होती, तो लोग कारोबार ही क्यों करते? लेकिन यहां पर एक दूसरा सवाल परेशान करता है कि सरकार की इतनी सारी निगरानी एजेंसियां, और जांच एजेंसियां मिलकर भी ऐसी जालसाजी को पकड़ क्यों नहीं पाती हैं? इनके तौर-तरीके मिलते-जुलते रहते हैं, और इंटरनेट पर उन्हें पकड़ पाना इतना मुश्किल भी नहीं होना चाहिए। अभी ब्रिटेन से स्पेन के लिए रवाना हुए एक नौजवान ने लंदन के एयरपोर्ट पर अपने दोस्तों को मजाक में एक संदेश भेजा था कि वह तालिबान है, और वह विमान को विस्फोट से उड़ाने जा रहा है, तो उसके शब्दों को ही एयरपोर्ट के वाईफाई पर निगरानी एजेंसियों ने पकड़ लिया था, और एक खतरे की आशंका को टाल दिया था। हिन्दुस्तान जैसे काबिल देश में जहां से निकलकर आईआईटी और आईआईएम के लोग दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नॉलॉजी कंपनियां चला रहे हैं, उन संस्थानों से निकले हुए हजारों दूसरे लोग देश के भीतर साइबर-ठगी को रोकने की तरकीबें क्यों नहीं निकाल सकते? आज हिन्दुस्तान के कम्प्यूटर विशेषज्ञ बनने वाले नौजवान दुनिया भर में जाकर कामयाबी पा रहे हैं, लेकिन अगर उनकी खूबियों से इस देश में ही साइबर-जुर्म नहीं रूक पा रहे, तो सरकार और जानकार के बीच एक फासले की वजह से ऐसा दिखता है।
दूसरी तरफ भारत में सेक्स के भूखे बहुत से लोगों को जब किसी लडक़ी का संदेश मिलता है कि बाथरूम में पहुंचकर कपड़े उतारो, तो वे लार टपकाते हुए अपने कपड़े उतार देते हैं, और मोबाइल फोन पर कैमरे पर अपने को दिखाते हुए, और सामने किसी पेशेवर ठग लडक़ी को देखते हुए ब्लैकमेल होने का सामान बन जाते हैं। ऐसी ठगी के शिकार देश में हर दिन दसियों हजार लोग हो रहे हैं, और ब्लैकमेल की शिकायत करने वे पुलिस तक भी नहीं जाते क्योंकि उससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा खतरे में पड़ सकती है। यह तरीका इतना आम हो चुका है, और इतनी अधिक घटनाएं छप चुकी हैं कि कोई बहुत ही मूढ़ और मूर्ख समाज ही ऐसे झांसे में आ सकता है, लेकिन हिन्दुस्तानी मर्द के दिल-दिमाग में सेक्स की भूख इतनी बैठी रहती है कि महिला का बदन देखते ही वे मानो सम्मोहन का शिकार होकर उसके आदेश पर कपड़े उतार फेंकते हैं। लेकिन अधिक हैरानी इसलिए नहीं होती है कि जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने कहा है कि 90 फीसदी हिन्दुस्तानी बेवकूफ होते हैं, और अब वे 90 फीसदी लोग यह साबित करने में लगे हुए हैं कि वे वेबकूफ भी हैं।
ठगी के कुछ ऐसे बहुत प्रचलित और बहुत छप चुके तरीके भी जब रोके नहीं जा सक रहे हैं, तो हैरानी होती है कि सरकार की इंटरनेट और साइबर सुरक्षा क्या बिल्कुल ही बेअसर है? होना तो यह चाहिए कि कुछ शब्दों को लेकर भारत में सरकारी एजेंसियां निगरानी करती रहें, और आतंक की धमकी या किसी तरह के आर्थिक फ्रॉड का रूख दिखते ही और बारीक जांच की जाए, और मुजरिमों को पकड़ा जाए। कुछ अरसा पहले टेलीफोन फ्रॉड के एक मामले में जब सरकारी एजेंसियों ने जांच की थी, तो बंगाल में एक व्यक्ति के पास 25 हजार सिमकार्ड मिले थे। जब एक-एक सिमकार्ड के लिए कई तरह के पहचान पत्र लगते हैं, आधार कार्ड लगता है, अंगूठे का निशान लिया जाता है, तो फिर इतने सिमकार्ड कैसे बन जाते हैं? लेकिन ठगों के जाल को तोडऩे के लिए सरकारी एजेंसियां समय रहते कुछ नहीं कर पाती हैं, और जब लोगों के खाते खाली हो चुके रहते हैं, उनकी अश्लील फिल्में बन चुकी रहती हैं, तब जाकर सरकार कुछ मुजरिमों तक पहुंचती है। भारत में सरकार ने खुद ही जितने तरह के काम को डिजिटल करवाया है, उसे देखते हुए सरकार को ही सारे डिजिटल ट्रैफिक पर जुर्म रोकने के तरीके निकालने चाहिए, जो कि लोगों को उनकी निजता भंग किए बिना भी बचा सके।
जहां श्री होगा वहां लाभ रहेगा
भाजपा की राजनीति में कई तरह के उलटफेर होते रहे हैं । कभी कोई नेता किसी के साथ तो कोई किसी के साथ । आज कल पहली बार के दो पूर्व विधायक एक साथ नजर आ रहे हैं। एक बेमेतरा जिले के एक राजधानी के । इन्हें साथ देखते ही नेता कह उठते हैं कि जहां श्री होता है वहां लाभ रहता ही है। अब दोनों की जोड़ी ऐसे ही नहीं बनी। दोनों टिकट से वंचित किए गए । तो दिल तो मिलना ही था। और जोड़ी बन गई। अब देखना है कि यह जोड़ी क्या गुल खिलाती है ।
एफआईआर और हाई-टी
चुनाव के नतीजों ने राजभवन के स्वागत समारोह ( हाई-टी) का दृश्य ही बदल दिया। अब तक दरबार हाल में होनेवाला यह समारोह इस बार लॉन में हुआ । 15 अगस्त को जहां राजभवन कांग्रेस के नेताओं से भरा हुआ था। पांच माह 11 दिन बाद 26 जनवरी को भाजपा और संघ के नेता जय श्रीराम से अभिवादन करते नजर आए। गणमान्यों की मौजूदगी में कांग्रेस का एक नेता या पदाधिकारी को लोग तलाशते रहे। राजभवन के प्रोटोकॉल विभाग ने कांग्रेस के भी सभी प्रमुखों को आमंत्रण भेजा था। लेकिन कोई भी नामचीन नहीं आया । यह बायकाट नहीं था बल्कि इसके पीछे एसीबी में दो हुई एफआईआर को कारण माना जा रहा था । यहां तक की शहर के प्रथम नागरिक कहलाने वाले महापौर भी गैरहाजिर रहे। उनको आमंत्रण यानी शहरवासियों को आमंत्रण और महापौर का रहना व्यक्तिगत नहीं होता बल्कि शहरवासियों का प्रतिनिधित्व माना जाता है ।
जितना कमाया नहीं उतना...
कोल लेवी वसूली, मनी लांड्रिंग और शराब घोटाले में फंसे लोगों की मुश्किल बढऩे वाली है। इन लोगों ने जिनके लिए काम किया उन्होंने हाथ उठा दिया है । गिरफ्तारी के बाद सीखचों के पीछे रहना होगा या फिर बाहर रहने के लिए घर का पैसा लगाना होगा। यानी अब महाधिवक्ता कोष से मदद नहीं मिलने वाली। जब सरकार रहती है तो एजी के जरिए देश के नामचीन वकील बुला लिए जाते हैं । उनकी सारी फीस विधि विभाग के बजट से दे दी जाती है। इस फंड से पुराने बंदियों को भी बीते एक महीने से मदद नहीं मिल पा रही है। पिछली सरकार ने चुनाव से पहले ही हाथ उठा दिया था। यानी अब जितना कमाया नहीं उतना गँवाना होगा, क्योंकि दोनों ही घोटालों में कई तो पैसे के कूरियर रहे हैं। और अब सब फंस गए हैं। ऐसे में यह खतरा बढ़ गया है कि ये लोग कहीं और लोगों का नाम न ले लें। इससे बचने लोग इनसे मॉल-भाव न कर लें। आने वाले दिनों जब एसीबी कार्रवाई करेगी तो ऐसे ही कई खुलासे होंगे।
फिर चुनाव फिर धान का मुद्दा..
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का लक्ष्य 130 लाख मीट्रिक टन रखा गया था, जो अंतिम तिथि 31 जनवरी के पहले ही पूरा हो गया है। इसके बावजूद खरीदी केंद्रों में धान बेचने और टोकन लेने के लिए कतार लगी हुई है। इनमें वे किसान भी हैं, जो पहले सिर्फ 15 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान बेच पाए थे। अंतिम तिथि यदि बढ़ती है तो धान खरीदी का आंकड़ा और बहुत आगे बढ़ सकता है। मगर अब सिर्फ तीन दिन बाकी है। (छुट्टी के दिन खरीदी बंद रहती है।) कांग्रेस ने धान खरीदी एक मार्च तक बढ़ाने की मांग की है। उसने यह भी आरोप लगाया है कि घोषणा के अनुसार 3100 रुपए की दर से भुगतान शुरू नहीं किया गया है। अनुपूरक बजट में इसका प्रावधान भी नहीं किया गया है। पिछली सरकारों ने धान खरीदी की आखिरी तारीख बढ़ाई थी। बीते विधानसभा चुनाव में धान एक बड़ा मुद्दा रहा। अब फिर प्रदेश लोकसभा चुनाव के मोड में है। सरकार को अभी यह सोचना है कि धान की खरीदी की समय सीमा और बढ़ी हुई कीमत पर भुगतान को कांग्रेस लोकसभा चुनाव की वोटिंग से पहले बड़ा मुद्दा न बना ले।
दो बड़े नाम छूट गए
राष्ट्रीय पर्व, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर जिलों के मुख्य समारोहों में ध्वजारोहण के लिए मुख्य अतिथि बनाया जाना बड़े सम्मान की बात होती है। किसे कितना महत्वपूर्ण जिला दिया गया है, इसकी भी चर्चा होती है।
पहले जब जिले कम थे और मंत्रियों की संख्या पर कोई नियंत्रण नहीं था, प्रत्येक जिले में कैबिनेट या राज्य मंत्री ही मुख्य अतिथि होते थे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद लगातार जिले बढ़े, तब संसदीय सचिवों को भी मौका मिलने लगा। इस बार सरकार ने एक नया प्रयोग किया है कि भाजपा सांसदों को भी ध्वजारोहण कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि बनाया गया। मंत्रियों के लिए जिले तय होने के बाद अनेक विधायकों को भी मौका दिया गया। मंत्रिमंडल में जगह पाने से जो वरिष्ठ विधायक चूक गए उनका खास ख्याल रखा गया। धरमलाल कौशिक, रेणुका सिंह, भैया लाल राजवाड़े, गोमती साय, अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, लता उसेंडी आदि विभिन्न जिलों में मुख्य अतिथि थे। पर इस सूची में सातवीं बार विधायक चुने गए, मंत्री रहे और चार बार सांसद रह चुके पुन्नूलाल मोहले का नाम शामिल नहीं थे। इसके अलावा पांचवीं बार के विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर को भी मौका नहीं मिला। जब परंपरा से हटकर सांसदों को मौका दिया गया, नए-नए विधायक भी झंडा फहराने जा रहे हैं तब इन वरिष्ठ विधायकों का नाम किसी जिले के लिए क्यों नहीं रखा गया, इस पर तरह-तरह की बात हो रही है।
न्यूज़ वैल्यू वाले बाबा
बाबा बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री का एक बार फिर दिव्य दरबार रायपुर में लग गया है। आते ही उन्होंने छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण रोकने की बात की है। हिंदू राष्ट्र की पैरवी तो वे पहले से ही करते आ रहे हैं। पिछले साल भी उनका भव्य समारोह हुआ था। इस बार भी हजारों लोग पहुंच रहे हैं जिसमें छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, उड़ीसा, यूपी, बिहार के अनुयायी भी हैं। समाचार चैनलों ने पहले बाबा के लिए भीड़ बढ़ा दी, फिर रिपोर्टर उनके पीछे भागते दिखाई दे रहे हैं। लोग उनके चरणों पर दिखाई देते हैं...। सोशल मीडिया पर वायरल यह एक तस्वीर है। ([email protected])
रायपुर, 27 जनवरी। नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड से पूर्व 24 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विभिन्न प्रदेशों से झांकी के प्रदर्शन के लिए राजधानी आए लोक-कलाकारों को आमंत्रित कर उनसे मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। इसी दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ की झांकी ‘बस्तर की आदिम जनसंसद : मुरिया दरबार’ में शामिल लोक-कलाकारों से भी मुलाकात की। इन कलाकारों को मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अपनी शुभकामनाओं के साथ छत्तीसगढ़ से नई दिल्ली रवाना किया था।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सभी राज्यों से आयीं महिला कलाकारों को अच्छे एवं जीवंत प्रदर्शन के लिए शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राज्यों से नई दिल्ली पहुंचे एनसीसी और एनएसएस के बच्चों से भी मुलाकात की। इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सूचना एंव प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा, तथा अन्य मंत्रिगण मौजूद थे।
श्री मोदी ने कलाकारों को संबोधित करते हुए कहा कि इस बार गणतंत्र दिवस की परेड देश की नारी शक्ति को समर्पित है। मैं आज यहां इतनी बड़ी संख्या में देश के अलग-अलग हिस्सों से आई बेटियों को देख रहा हूं। आप यहां अकेले नहीं आए हैं बल्कि आप सभी अपने साथ अपने राज्यों के रीति रिवाज और अपने समाज की समृद्ध सोच भी लेकर आए हैं। आज आप सब से मिलना भी एक विशेष अवसर बन गया है। कड़ाके की ठंड में आप सभी ने घने कोहरे के बीच दिन-रात रिहर्सल किया और गजब की परफॉर्मेंस दे रहे हैं। मुझे पक्का विश्वास है कि जब आप यहां से अपने घर जाएंगे तो आपके पास गणतंत्र दिवस के अनुभवों के बारे में बताने के लिए काफी कुछ होगा और यही तो इस देश की विशेषता है। विविधताओं से भरे हमारे देश में सिर्फ एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने से ही जीवन में नए अनुभव जुडऩे लग जाते हैं।
रायपुर, 27 जनवरी । लोकसभा चुनावों के लिए भी ओम माथुर, नितिन नवीन और डॉ.मांडविया छत्तीसगढ़ के संगठन प्रभारी बने रहेंगे। विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत को देखते हुए राष्ट्रीय नेतृत्व ने यह फैसला किया ।
संचालक ने सभी कलेक्टरों को पत्र भेजा
रायपुर, 27 जनवरी । महतारी वंदन योजना का लाभ दिलाने फार्म भरवाने के नाम पर महिलाओं से वसूली का सिलसिला थम नहीं रहा है। यह सिलसिला चुनाव के पहले से जारी है। राजधानी के फाफाडीह,रमन मंदिर इलाके से पार्षद ने एक महिला को गंज पुलिस के हवाले भी किया था। कल शुक्रवार को राजधानी उत्तर के पॉश इलाके के एक मंदिर में फार्म जमा करने को लेकर भारी भीड़ जमी रही।
प्रदेश भर से मिल रही वसूली की शिकायतों पर संचालक महिला बाल विकास विभाग के जिलाधिकारियों के साथ सभी कलेक्टरों, को पत्र भेजकर कर आगाह किया है । संचालक तूलिका प्रजापति ने पत्र में कहा है कि
महतारी यन्दन योजना के अंतर्गत पात्र / चयनित विवाहित महिलाओं को रू. 1000/- प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी जानी है। इस संबंध में बताया जा रहा कि अभी महतारी वन्दन योजना लागू नहीं की गयी है तथा लागू करने की प्रक्रिया निर्णयाधीन है। योजना लागू किए जाने की स्थिति में विभाग द्वारा बनाए गए वेब पोर्टल में विभागीय अमले के माध्यम से ही फार्म भरे जाएंगे तथा लाभ दिए जाने की कार्यवाही की जाएगी।ऐसे अनेक प्रकरण प्रकाश में आए है, जिसमें अनाधिकृत लोगो के द्वारा महिलाओं से सम्पर्क कर महतारी वन्दन योजना से लाभ दिलाए जाने के फार्म उपलब्ध कराए जा रहे है एवं लाभ दिलाने राशि ली जा रही है. जो कि पूर्णतः धोखाधड़ी का प्रकरण है। ऐसे प्रकरण संज्ञान में आते है तो तत्काल नियमानुसार विधिसम्मत कार्यवाही की जाए। विभाग से इस योजना का निःशुल्क लाभ दिया जाएगा।
रायपुर, 27 जनवरी। पूर्व सीएम भूपेश बघेल को कांग्रेस अध्यक्ष ने राहुल गांधी की यात्रा के बिहार पड़ाव और बिहार के घटनाक्रम के लिए विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया है । बघेल आज शाम दिल्ली जा रहे और फिर पटना जाएंगे
रायपुर, 27 जनवरी। पूर्व सीएम भूपेश बघेल को कांग्रेस अध्यक्ष ने राहुल गांधी की यात्रा के बिहार पड़ाव का विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया है ।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जशपुरनगर, 27 जनवरी। जशपुर जिले के बागबहार थाना क्षेत्र में बीती रात एक कार्यक्रम से लौट रही किशोरी से गांव के ही 5 युवकों द्वारा गैंगरेप का मामला सामने आया है। पुलिस ने पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस के मुताबिक बागबहार थानाक्षेत्र की एक गांव में 17 वर्षीय किशोरी पंचायत भवन के पास डीजे पार्टी में शामिल होने गई थी। रात को वह डीजे में डांस कर वापस घर लौट रही थी। नाबालिग को अकेले लौटते देख गांव के ही पांचों युवकों ने उसका पीछा किया, और सूनसान स्थान पर उसे दबोच लिया।
किशोरी ने शोर मचाने की कोशिश की, लेकिन कुछ दूर पर तेज आवाज में बज रहे डीजे के कारण उसकी आवाज कोई नहीं सुन सका। आरोपी उसे दूर खेत में ले गए और गैंगरेप किया। इसके बाद मौके पर ही छोडक़र आरोपी भाग निकले।
सुबह दर्ज हुई रिपोर्ट, आरोपी गिरफ्तार
घटना की जानकारी पीडि़त किशोरी ने अपने परिजनों को दी। सुबह बागबहार थाने पहुंचकर घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई। जशपुर एसपी डी. रविशंकर ने तत्काल आरोपियों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए। बागबहार थाना प्रभारी अंबरीश शर्मा के नेतृत्व में पुलिस गांव में पहुंची और अलग-अलग स्थानों पर छापा मारकर सभी पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पांचों आरोपी उसी गांव के हैं
पुलिस ने बताया कि आरोपी और पीडि़ता एक ही गांव के हैं। आरोपी भी डीजे पार्टी में शामिल हुए थे। आरोपियों में राकेश तिर्की (21), सावल एक्का (19), अमित एक्का (20), सचिन तिर्की (21) और दीपक तिर्की शामिल हैं। आरोपियों के खिलाफ धारा 341, 363, 366, 366 (क), 376 व 4,6 पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है।
नयी दिल्ली, 27 जनवरी। कांग्रेस ने महंगाई के मुद्दे को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि देश की जनता महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक मंदी को लेकर चिंतित है लेकिन सरकार ध्यान भटकने में लगी हुई है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ महंगाई और बेरोजगारी डायन खाए जात है। ‘अहंकाराचार्य’ के महंगाई काल में हर तीन में से एक भारतीय को इस साल नौकरी खोने की चिंता सता रही है, वहीं 57 प्रतिशत महंगाई से चिंतित हैं।"
उन्होंने एक खबर का हवाला देते हुए कहा कि पिछले एक साल में सब्जियों की कीमत 15 से 60 प्रतिशत तक बढ़ी है।
रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘भारत में हर दूसरा व्यक्ति अन्याय काल में पीड़ित है और महंगाई, आर्थिक मंदी, बेरोज़गारी तथा लड़ाई झगड़े बढ़ने से चिंतित है, पर मोदी सरकार अपने चित परिचित अंदाज़ में देश का ध्यान भटकाने में लगी है।"
उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस जनता को न्याय दिलाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेगी। कल दोपहर से न्याय यात्रा जलपाइगुड़ी से शुरू होगी। अब होगा न्याय।’’ (भाषा)
नोएडा (उत्तर प्रदेश) 27 दिसंबर। गौतमबुद्ध नगर जिले के जेवर क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेसवे पर कई वाहन आपस में टकरा गये, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि 10 लोग घायल हो गये। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि घटना शुक्रवार देर रात यमुना एक्सप्रेसवे पर करौली बांगर गांव के पास हुई जब एक बस आगे चल रहे कैंटर से टकरा गई।
थाना जेवर के प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया इसके बाद पीछे आ रहे वाहन एक के बाद एक टकराते चले गये। उन्होंने बताया कि सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने कड़ी मश्क्कत के बाद घायलों को बाहर निकाला और अस्पताल में भर्ती कराया।
सिंह ने कहा, ‘‘इलाज के दौरान इटावा निवासी सत्यप्रकाश की मौत हो गई।’’
उन्होंने बताया कि घटना में घायल अन्य लोगों का जेवर और ग्रेटर नोएडा के अलग-अलग अस्पतालों में उपचार किया जा रहा है, जिनमें से दो की हालत गंभीर बनी हुई है।
थाना प्रभारी ने बताया कि संभवत: हादसा घने कोहरे के कारण हुआ और मामले की जांच जारी है। (भाषा)
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने अपनी भूख हड़ताल ख़त्म कर दी है.
महाराष्ट्र सरकार के उनकी मांगें मान लेने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उन्हें जूस का गिलास दिया, जिसके बाद जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल ख़त्म की.
एकनाथ शिंदे की महायुति सरकार ने मराठा आरक्षण के मामले में मनोज जरांगे की सभी मांगों को मंजूर कर लिया है और इस संबंध में एक अध्यादेश भी जारी किया है.
शुक्रवार आधी रात को राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने वाशी में जरांगे से मुलाक़ात की जिसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई. इसमें ये घोषणा की गई कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उनकी भूख हड़ताल ख़त्म करने के लिए वाशी आएंगे.
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जरांगे ने 26 जनवरी से मुंबई के आज़ाद मैदान पर अनिश्चितकाल के लिए भूख हड़ताल शुरू करने का एलान किया था.
मुंबई पुलिस ने उन्हें मुंबई के आज़ाद मैदान में भूख हड़ताल पर बैठने की इजाज़त देने से इनकार कर दिया था लेकिन इसके बावजूद जरांगे अपने हज़ारों समर्थकों के साथ मुंबई पहुंच गए.
वो शुक्रवार को मुंबई पहुंचे और दोपहर 3.15 बजे उन्होंने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा था कि सरकार ने एक सूची दी है जो उन लोगों की है जिन्हें प्रमाण पत्र जारी किया गया है. (bbc.com/hindi)
भारत और इंग्लैंड के बीच हैदराबाद टेस्ट मैच के तीसरे दिन भारत ने 436 रन बना लिए हैं.
रवींद्र जडेजा, के एल राहुल और यशस्वी जायसवाल की हाफ सेंचुरी की बदौलत भारत ने इंग्लैंड पर 190 रन की बढ़त बना ली है. यशस्वी राहुल और राहुल के सेंचुरी से चूकने के बाद अजय जडेजा भी अपना शतक पूरा नहीं कर पाए. उन्हें जो रूट ने 87 रन पर आउट कर दिया.
भारत की पारी 436 रन बना कर खत्म हुई. मोहम्मद सिराज नाबाद रहे. हालांकि उन्होंने वो खाता नहीं खोल पाए थे. इससे पहले इंग्लैंड की टीम 246 रन बना कर आउट हो गई थी.
भारत और इंग्लैंड के बीच हैदराबाद में 5 मैच की सीरीज का पहला टेस्ट खेला जा रहा है. (bbc.com/hindi)
मुंबई, 27 जनवरी। मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शनिवार को अपना प्रदर्शन समाप्त करने की घोषणा की और कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने उनकी सभी मांगें मान ली हैं।
जरांगे ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि सरकार ने मराठा समुदाय के लोगों के उन सभी रिश्तेदारों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने के लिए एक अधिसूचना जारी की है, जिनके रिकॉर्ड (कुनबी जाति से जुड़े) पाए गए हैं।
उन्होंने नवी मुंबई के वाशी में यह घोषणा की। वह शुक्रवार रात को वाशी पहुंचे थे और वह एवं उनके हजारों समर्थक रात भर वहीं रहे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जरांगे से मुलाकात करने वाले हैं। ऐसी संभावना है कि शिंदे और जरांगे वहां मौजूद लोगों को संबोधित करेंगे।
जरांगे ने शुक्रवार को एक नई मांग करते हुए कहा था कि जब तक आरक्षण का लाभ पूरे मराठा समुदाय को नहीं मिल जाता तब तक महाराष्ट्र सरकार अपनी मुफ्त शिक्षा नीति में संशोधन करके इस समुदाय के सभी लोगों को इसका लाभ दे।
उन्होंने राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए 37 लाख कुनबी प्रमाणपत्रों का आंकड़ा मांगा है। कुनबी एक कृषक समुदाय है जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है और जरांगे मराठा समुदाय के सभी लोगों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र जारी किए जाने की मांग कर रहे हैं। (भाषा)
तिरुचिरापल्ली, 26 जनवरी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने किसी व्यक्ति के महिमामंडन के खिलाफ डॉ. बी आर आंबेडकर की चेतावनी को शुक्रवार को रेखांकित किया और ‘तर्क व संवाद’ पर आधारित राजनीतिक संस्कृति को अपनाने का आह्वान किया।
यहां विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) के ‘लोकतंत्र की जीत होगी’ सम्मेलन में खरगे का संबोधन कांग्रेस के लोकसभा सदस्य एस. थिरुनावुक्कारासर ने पढ़ा। इससे पहले रात साढ़े नौ बजे वीसीके ने घोषणा की कि कांग्रेस के शीर्ष नेता बैठक में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
कांग्रेस प्रमुख को यह कहते हुए उद्धृत किया गया कि आंबेडकर ने अंधभक्ति के खतरों को पहले ही भांप लिया था; चाहे वह राजनीति हो या धर्म। संविधान के वास्तुकार आंबेडकर ने व्यक्तित्व के महिमामंडन के खिलाफ चेतावनी दी और ‘‘हमारे राजनीतिक विमर्श में तर्कसंगत सोच और न्याय के लिए प्रतिबद्धता’’ की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘आज, जब हम एक ऐसे राष्ट्र की ओर बढ़ रहे हैं, जहां व्यक्तित्व अक्सर सिद्धांतों पर हावी हो जाता है, आइए हम आंबेडकर के सिद्धांतों का पालन करें और तर्क, संवाद और समावेशिता पर आधारित राजनीतिक संस्कृति के लिए प्रयास करें।’’
खरगे ने विभिन्न मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए अपने संबोधन में ये टिप्पणियां कीं। (भाषा)
पटना/नयी दिल्ली, 26 जनवरी। बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार के अपना रुख एक बार फिर बदल कर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में वापसी के संकेतों के बीच सत्तारूढ़ महागठबंधन में अनिश्चितता के बादल छाये हुए प्रतीत हो रहे हैं।
भाजपा के राज्यसभा सदस्य और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजनीति में ‘‘दरवाजे कभी भी स्थायी रूप से बंद नहीं होते।’’
राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता को लेकर जारी अटकलों को उस समय और बल मिला जब नीतीश कुमार ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां राजभवन में आयोजित जलपान समारोह में भाग लिया पर उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव इस समारोह में शामिल नहीं हुए।
राजभवन में आयोजित समारोह के दौरान मुख्यमंत्री को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा सहित अन्य आगंतुकों के साथ अभिवादन करते देखा गया।
समारोह से बाहर निकलते हुए, कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि यह यादव और विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी सहित राजद के अन्य नेताओं का काम है कि वे इस पर टिप्पणी करें कि वे (तेजस्वी यादव एवं पार्टी के अन्य नेता) समारोह में क्यों नहीं आये। राजद की ओर से राज्य के शिक्षा मंत्री आलोक मेहता उपस्थित थे।
हालांकि न तो मेहता और न ही राजद के किसी अन्य नेता ने यादव की अनुपस्थिति पर कोई टिप्पणी की। बताया जाता है कि तेजस्वी यादव ने कुमार के गठबंधन तोड़ने का फैसला करने की स्थिति में सत्ता जाने से रोकने की रणनीति बनाने के लिए अपने आवास पर पार्टी के करीबी नेताओं के साथ बैठक की।
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जद (यू) प्रमुख नीतीश कुमार इन अफवाहों के बीच स्थिति स्पष्ट करेंगे कि क्या वह भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में वापस जाने की योजना बना रहे हैं।
झा की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राज्य में जद(यू) के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘हमारे नेता महागठबंधन के नेता के रूप में मुख्यमंत्री आवास में हैं। भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर कुछ लोग अभी भी भ्रम में हैं तो हम इसमें कुछ नहीं कर सकते।’’
दिल्ली में, पत्रकारों द्वारा भाजपा के रुख के बारे में पूछे जाने पर सुशील मोदी ने कहा, ‘‘जहां तक जद (यू) या नीतीश कुमार का सवाल है, राजनीति में दरवाजा हमेशा बंद नहीं रहता, जो दरवाजा बंद रहता है, आवश्यक्ता पडने पर खुल भी सकता है। लेकिन वे खुलेंगे या नहीं, यह हमारे केंद्रीय नेतृत्व को तय करना है।’’
हालांकि, भाजपा सूत्रों ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या जद(यू) के साथ हाथ मिलाने का फैसला लिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा बिहार के घटनाक्रम पर बैठकें कर रहे हैं।
भाजपा नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे सहयोगियों के साथ भी संपर्क में हैं।
पासवान और कुशवाहा का कुमार के प्रति राजनीतिक विरोध का इतिहास रहा है। हालांकि, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने सुझाव दिया कि वह भाजपा नेतृत्व द्वारा लिए गए निर्णय को मानेंगे।
मांझी के बेटे विधान पार्षद संतोष कुमार सुमन ने दावा किया कि राज्य में जद (यू)-राजद-कांग्रेस सरकार एक या दो दिन में गिर सकती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को कुमार की राजग में संभावित वापसी के बारे में भाजपा से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है। सुमन ने कहा, ‘‘मुझे ऐसा लगता है कि यह सरकार एक या दो दिन में गिर जायेगी।’’
इस बीच, प्रदेश जद (यू) अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने पटना में कहा, ‘‘बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन में सब कुछ ठीक है और मीडिया की अटकलें किसी एजेंडे से प्रेरित हैं।’’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल और आज भी मुख्यमंत्री से मुलाकात की। यह एक नियमित मामला है। अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है।’’
नीतीश अगस्त 2022 में भाजपा से नाता तोड़ने के बाद अपने पूर्व चिर प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद की पार्टी राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गए थे। उस वक्त नीतीश ने भाजपा पर जद(यू) में विभाजन की कोशिश करने का आरोप लगाया था।
बिहार में महागठबंधन की नयी सरकार बनाने के बाद यहां सबसे लंबे समय तक सेवारत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा को केंद्र में सत्ता से उखाड फेंकने के लिए देश भर में सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने का अभियान शुरू किया जिसकी परिणति विपक्षी गठबंधन ‘‘इंडिया’’ के गठन के रूप में हुई। अगर कुमार राजग में लौटने का फैसला करते हैं, तो विपक्षी गठबंधन को भी बड़ा झटका लगेगा।
नीतीश ने एक तरह से तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए यह घोषणा की थी कि राजद नेता 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व करेंगे। नीतीश की इस घोषणा के बाद जद(यू) में नाराजगी फैल गई जिसके कारण उपेन्द्र कुशवाहा जैसे उनके करीबी सहयोगी को पार्टी छोड़नी पड़ी।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि वह नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जद(यू) के भाजपा के साथ फिर से ‘जुड़ने’ की संभावना से न तो खुश हैं और न ही नाखुश हैं।
बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन में उथल-पुथल की अटकलों के बीच विपक्षी दल भाजपा ने शनिवार को सांसदों और राज्य विधानमंडल के सदस्यों की एक बैठक बुलाई है।
भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सम्राट चौधरी से उन अटकलों के बारे में पूछा गया कि क्या भाजपा जद(यू) के साथ फिर से गठबंधन करने के लिए तैयार है, उन्होंने कहा, ‘‘हमारे स्तर पर ऐसी किसी बात पर चर्चा नहीं हुई है।’’
चौधरी ने यह भी कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव पर चर्चा के लिए शनिवार को बैठक बुलाई गई है। (भाषा)
-विनीत खरे
बिहार में अटकलें तेज़ हैं कि मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) प्रमुख नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ महागठबंधन को छोड़कर एक बार फिर एनडीए में जा सकते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स में तो नीतीश कुमार के भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने तक की ख़बरें चल रही हैं.
हालांकि बिहार जेडीयू प्रमुख उमेश सिंह कुशवाहा ने इन ख़बरों को केवल कयास बताया और कहा उनकी पार्टी 'अभी भी महागठबंधन का हिस्सा' है और इसमें कोई 'भ्रम' नहीं है.
उन्होंने कहा, "हमें कोई जानकारी नहीं है. हम तो इतना ही जानते हैं कि हमारे नेता काम कर रहे हैं और वो उसमें व्यस्त हैं."
उमेश कुशवाहा ने कहा, "हमारे नेता विपक्षी एकता के सूत्रधार हैं. उन्होंने सभी विपक्षी दलों को एक जगह लाने का काम किया, तभी इंडिया गठबंधन ने अपना आकार लिया... जो हमारे नेता चाह रहे थे कि जल्द से जल्द सीटों का बंटवारा हो, तो उस पर कांग्रेस को सोचना चाहिए, उनको आत्ममंथन करना चाहिए."
वहीं भाजपा नेता रेनु देवी ने बताया, "इसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता है. अभी हमारा एक ही लक्ष्य है कि हम लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं."
ग़ौरतलब है कि इससे पहले नीतीश कुमार कह चुके हैं कि वो एनडीए में वापस नहीं जाएंगे और भाजपा भी ये कह चुकी है कि नीतीश कुमार का एनडीए में स्वागत नहीं है.
इसी सप्ताह नीतीश कुमार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर श्रद्धांजलि देते बिना किसी का नाम लिए कहा कि कर्पूरी ठाकुर अपने परिवार का पक्ष नहीं लेते थे लेकिन आज लोग परिवार को आगे बढ़ाने में लगे हैं. इसके बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि वो महागठबंधन से बाहर जा सकते हैं.
नीतीश कुमार साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले साल 2013 में एनडीए से अलग हुए थे. बाद में उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया.
2017 में वो महागठबंधन से अलग होकर फिर से एनडीए में शामिल हुए. बाद में वो एनडीए से नाता तोड़कर फिर महागठबंधन में आए. अब एक बार फिर एनडीए में उनकी वापसी के कयास लग रहे हैं.
इतनी बार पाला बदलने के कारण मीडिया के कई हलकों में उन्हें 'पाला बदलने वाले' तक की उपाधि दी गई है.
पूर्व निदेशक, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल स्टडीज़
पटना में एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल स्टडीज़ के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर कहते हैं, "नीतीश सत्ता की राजनीति करते हैं. वो अनप्रेडिक्टिबल (अप्रत्याशित) हैं और इस बात को समझते हैं कि हाथ में अगर सत्ता रहेगी तो सब कुछ ठीक रहेगा."
वहीं पटना में वरिष्ठ पत्रकार सुरूर अहमद कहते हैं, "(अगर ये ख़बरें सच हैं तो) ये बहुत ज़्यादा आगे-पीछे कर रहे हैं. जो लोग लालू यादव के साथ हैं, वो उनके बारे में कह रहे हैं कि लालू जी का एक स्टैंड रहा है. उधर नीतीश जी को देखिए, डेढ़ साल पहले ही आप आए हैं, अध्यापकों की बहाली करवाई, और अब ये? क्या ये कर्पूरी ठाकुर मामला (बहाना) था, या फिर ये सब पहले से ही चल रहा था?"
मीडिया में कई दिनों से ये बातें चल रही थीं कि इंडिया अलायंस का चेहरा न बनाए जाने से नीतीश नाखुश थे. अलायंस के सहयोगी पार्टियों के बीच सीटों को लेकर तालमेल में देरी भी उनकी नाखुशी की एक और वजह थी.
राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' की शुरुआत से ठीक पहले जेडीयू नेता केसी त्यागी ने बीबीसी से बातचीत में चिंता जताई थी कि दिल्ली में राहुल गांधी की अनुपस्थिति का इंडिया गठबंधन के दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर हो रही बातचीत पर असर पड़ सकता है.
इसके बाद नीतीश कुमार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए वंशवाद की राजनीति पर निशाना साधा था. मीडिया में इसे लालू परिवार पर निशाने के तौर पर देखा गया, हालांकि जनता दल यूनाइटेड ने इससे इनकार किया था.
लेकिन बीते सालों में ये देखा गया है कि चाहे बीजेपी हो या फिर आरजेडी, दोनो ही पक्षों के लिए नीतीश कुमार ने खुद को प्रासंगिक बना कर रखा है.
डीएम दिवाकर कहते हैं, "बिहार में जब तक कोई दल किसी दूसरे का साथ न ले तब तक सरकार नहीं बना सकता है. नीतीश ने दोनों ओर से मौक़े खुले रखे हैं - राजद के लिए भी और भाजपा के लिए भी. जब उनको राजद के साथ मुश्किल होती है तो वो भाजपा के साथ चले जाते हैं. जब भाजपा के साथ मुश्किल होती है तो वो राजद के साथ चले जाते हैं."
वो कहते हैं, "नीतीश के पास अपना बहुत वोट नहीं हैं लेकिन जब वो किसी के साथ होते हैं तो उसके प्रभाव के साथ वो वोट उनके साथ होता है. जाति की राजनीति इतनी हावी हो गई है और जानिगत जनगणना के बाद हर जाति को अपना प्रतिनिधित्व भी दिख रहा है."
नीतीश कुमार ने अपनी राजनीति का सफ़र लालू यादव और जॉर्ज फ़र्नांडीस के साथ में शुरू किया था. इसकी शुरुआत 1974 के छात्र आंदोलन से शुरू हुई थी.
1990 में लालू प्रसाद यादव जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तब नीतीश कुमार उनके अहम सहयोगी थे. लेकिन जार्ज फर्नांडीस के साथ उन्होंने 1994 में समता पार्टी बना ली.
पहली बार 1995 में नीतीश कुमार की समता पार्टी ने लालू प्रसाद यादव के राज के 'जंगलराज' को मुद्दा बनाया था. इसी मुद्दे पर विपक्ष ने 2000 और 2005 का चुनाव लड़ा, 2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनी.
शुरुआती सालों में 'ईमानदार' और 'सुशासन बाबू' की छवि वाले नीतीश कुमार खुद को लालू यादव के ख़िलाफ़ एक ठोस विकल्प बनाने में कामयाब रहे.
पटना में वरिष्ठ पत्रकार सुरूर अहमद बताते हैं, "साल 2005-2010 में उन्होंने जो काम किया उसी वजह से राज्य में उनका नाम हुआ. चाहे वो कोई जाति, समुदाय, पार्टी या समाज हो, वो अपने स्तर पर 12 से 13 प्रतिशत वोट लाते रहे हैं. बहुत सारे वामपंथी सोच वाले लोग उनके पास इन्हीं कारणों से गए. लालू के ख़िलाफ़ विकल्प बनने पर उन्हें जो जगह मिली, वो जगह अभी भी है, चाहे वो जगह कम ही क्यों न हो गई हो."
नीतीश कुमार ने बिहार के अत्यंत पिछड़े समुदाय और दलितों का एक बड़ा वोट समूह बनाया और इस समूह ने लगातार उनका साथ दिया है.
2007 में नीतीश कुमार ने दलितों में भी सबसे ज़्यादा पिछड़ी जातियों के लिए 'महादलित' कैटेगरी बनाई. इनके लिए सरकारी योजनाएं लाई गईं. नीतीश ख़ुद कुर्मी जाति से आते हैं.
फिलहाल वो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ महागठबंधन का हिस्सा हैं.
डीएम दिवाकर के मुताबिक़ राजद के साथ जदयू के तकरार की अपनी कुछ वजहें हैं.
वो बताते हैं, "जैसे बिहार में राजद ने दबाव बनाना शुरू किया था कि मुख्यमंत्री तेजस्वी को बना दीजिए और आप केंद्र की राजनीति देखिए."
2019 लोकसभा चुनाव में जदयू ने भाजपा के साथ चुनाव लड़ा और पार्टी ने 17 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए. लेकिन दिवाकर के मुताबिक़, इस बार जदयू से कहा गया कि समीकरण और गठबंधन अलग होने की वजह से जदयू को 17 सीटों से कम सीटें मिलनी चाहिए.
इंडिया अलायंस के घटक दलों के बीच दिक्कतों से भी नीतीश खुश नहीं थे. उनका मानना था कि सीटों पर तालमेल पर काम बहुत धीमी गति से हो रहा है.
हाल ही में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने और पंजाब में आम आदमी पार्टी ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है.
इसे एक ऐसे इशारे के तौर पर देखा गया कि विपक्षी दलों के अलायंस में सब ठीक नहीं है. विपक्ष के सामने चुनौती है कि कैसे भाजपा को लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने से रोका जाए और तमाम सर्वे कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं.
डीएम दिवाकर के मुताबिक़, "भाजपा को ये फ़ायदा है कि अगर वो बिहार में सत्ता में आ जाती है तो लोकसभा चुनाव उसके शासनकाल में होगा जिसका फ़ायदा उसे चुनाव में मिल सकता है."
सुरूर अहमद
साथ ही नीतीश का साथ लेना भाजपा की मजबूरी इसलिए भी है क्योंकि पार्टी के पास बिहार में कोई बड़ा चेहरा नहीं है.
सुरूर अहमद कहते हैं, "भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा बिहार में नहीं था और नहीं है. उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह रहे. मध्य प्रदेश में उमा भारती थीं. बाद में शिवराज सिंह चौहान को आगे किया गया. उस तरह का चेहरा बिहार में नहीं रहा."
22 जनवरी के दिन जब उत्तर प्रदेश के अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे, उस दिन देश के कई हिस्सों में दिए जलाए गए, हवन और विशेष पूजा की गई. इस दिन को एक महत्वपूर्ण दिन की तरह मनाया गया.
राजनीतिक विश्लेषक पवन वर्मा की मानें तो चाहे उत्तर, पश्चिम, पूर्व और दक्षिण हो, देश का ऐसा कोई हिस्सा नहीं रहा, जहां राम मंदिर से जुड़े कार्यक्रम का असर न हुआ हो.
लेकिन पत्रकार सुरूर अहमद पूछते हैं कि अगर भाजपा नीतीश कुमार से दोबारा राजनीतिक रिश्ता जोड़ रही है तो क्या इसका मतलब है कि राम मंदिर के कार्यक्रम का असर बिहार में उम्मीद के मुताबिक़ नहीं हुआ?
वहीं डीएम दिवाकर कहते हैं, "श्रीराम का मंदिर तो बन गया. अब आगे उसका असर बना रहेगा, ये ज़रूरी तो नहीं है."
वो कहते हैं, "बिहार में मंदिर का मुद्दा अचानक से या स्वतंत्र रूप से काम नहीं करता. ऐसे में भाजपा चाहती है कि वो मंडल, कमंडल साथ लेकर चले. उसने यहां (भाजपा ने) पिछड़ा कार्ड खेला है."
"राजनीति में कभी किसी के लिए दरवाज़ा बंद नहीं होता है. संसदीय राजनीति अवसरवाद के दलदल में फंस गई है. अब कैडर, मर्यादा, या कार्यक्रम इससे चीज़ें तय नहीं होतीं. अब चीज़ें तय होती हैं ताक़त, मसल पॉवर और फ़ाइनेंस से." (bbc.com/hindi)
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले मनोज जरांगे पाटिल आज अपनी भूख हड़ताल खत्म करने जा रहे हैं.
सरकार की ओर से उनकी मांग मान लिए जाने के बाद वो मुख्यंत्री एकनाथ शिंदे के सामने नवी मुंबई में अपनी भूख हड़ताल खत्म करेंगे.
एकनाथ शिंदे की महायुति सरकार ने मराठा आरक्षण के मामले में मनोज जरांगे की सभी मांगों को मंजूर कर लिया है और इस संबंध में एक अध्यादेश भी जारी किया है.
शुक्रवार आधी रात को राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने वाशी में जरांगे से मुलाक़ात की जिसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई. इसमें ये घोषणा की गई कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उनकी भूख हड़ताल ख़त्म करने के लिए वाशी आएंगे.
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जरांगे ने 26 जनवरी से मुंबई के आज़ाद मैदान पर अनिश्चितकाल के लिए भूख हड़ताल शुरू करने का एलान किया था.
मुंबई पुलिस ने उन्हें मुंबई के आज़ाद मैदान में भूख हड़ताल पर बैठने की इजाज़त देने से इनकार कर दिया था लेकिन इसके बावजूद जरांगे अपने हज़ारों समर्थकों के साथ मुंबई पहुंच गए.
वो शुक्रवार को मुंबई पहुंचे और दोपहर 3.15 बजे उन्होंने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा था कि सरकार ने एक सूची दी है जो उन लोगों की है जिन्हें प्रमाण पत्र जारी किया गया है.
जरांगे ने मांग की कि "जिन 54 लाख लोगों के रिकॉर्ड मिले हैं उन्हें कुनबी उप-जाति का प्रमाणपत्र दिया जाए. जिनके पास रिकॉर्ड नहीं हैं उन्हें एक शपथपत्र लिख कर दें कि ये दस्तावेज़ हमारे परिजन के हैं. लिहाज़ा हमें भी प्रमाणपत्र मिलने चाहिए." (bbc.com/hindi)
बिहार में जारी राजनीतिक सरगर्मियों के बीच बीजेपी ने अपने सांसदों और विधायकों की बैठक बुलाई है.
बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा होगी. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ बिहार बीजेपी के प्रमुख सम्राट चौधरी ने कहा है कि बैठक लोकसभा चुनाव में पार्टी की रणनीतियों पर चर्चा होगी. हालांकि बैठक कब होगी ये नहीं बताया गया है.
सम्राट चौधरी से जब ये पूछा गया है कि क्या बीजेपी नीतीश कुमार के साथ एक और पारी खेलने जा रही है तो उन्होंने कहा,''अभी तक हमारे स्तर पर इस संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है.''
राज्य में बीजेपी के नेताओं ने शुक्रवार को नीतीश कुमार के पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के संकेत दिए थे. बिहार के वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि राजनीति में कोई भी दरवाजा हमेशा के लिए बंद नहीं होता.
जरूरत पड़ने पर दरवाजा खोला जा सकता है. इस बीच, कांग्रेस नेता शकील अहमद ने पार्टी और मौजूदा और पूर्व विधायकों की शनिवार को बैठक बुलाई है.
बैठक दोपहर दो बजे पूर्णिया में होगी. उन्होंने कहा कि पूर्णिया में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तैयारियों के सिलसिले में ये बैठक बुलाई गई है. (bbc.com/hindi)
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने देश के कई हिस्सों में 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकाली है.
एसकेएम ने एक बयान में कहा, "किसान यूनियनों और संगठनों के अलावा, ट्रेड यूनियनों ने भी इस ट्रैक्टर परेड में भाग लिया और भारतीय गणराज्य के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक चरित्र को मजबूत करने की शपथ ली."
एसकेएम ने कहा, " केंद्र सरकार ने जिन मांगो को पूरा करने का आश्वसन दिया है, उसे पूरा करे. एसकेएम ने 16 फरवरी 2024 को भी ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया है." (bbc.com/hindi)
भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई है.
फ्रांस के राष्ट्रपति गुरुवार को जयपुर पहुंचे थे, जहां उनका स्वागत पीएम मोदी ने किया और रात्रि भोज पर दोनों की बैठक भी हुई.
फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ 40 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल भी आया है, जिसमें विदेश, रक्षा और संस्कृति मंत्री शामिल हैं.
ये मैक्रों का तीसरा भारत दौरा है. वो 2018 में और जी20 में भारत आ चुके हैं.
विदेश सचिव ने बताया कि भारत और फ्रांस के बीच अंतरिक्ष, रक्षा और एनर्जी क्षेत्र में साझेदारी पर बातचीत हो रही है. उन्होंने बताया कि टाटा और एयरबस हेलीकॉप्टर्स के बीच एच125 हेलीकॉप्टर के उत्पादन के लिए औद्योगिक साझेदारी हुई है.
ग़ज़ा-लाल सागर घटनाक्रम पर क्या बात हुई?
दोनों ही नेताओं ने न सिर्फ़ द्विपक्षीय मुद्दों बल्कि दुनिया भर के अलग-अलग हिस्सों में क्या हो रहा है, उसके बारे में बात की. इसमें ग़ज़ा में संघर्ष और मानवीय मदद पर भी बात हुई.
लाल सागर के घटनाक्रम पर भी बात हुई.
विदेश सचिव ने कहा, "हम हमेशा विभिन्न साझेदारों के साथ इस पर चर्चा करते रहे हैं, इसमें मेरिटाइम सुरक्षा भी शामिल है, हम दूसरे पार्टनर्स के साथ बात कर रहे हैं."
फ्रांस के राष्ट्रपति के दौरे से पहले फ्रांस की एक पत्रकार को भारत सरकार के नोटिस के बारे में पूछे जाने पर क्वात्रा ने कहा, "फ्रांस की तरफ़ से ये मामला हमारे ध्यान में लाया गया है. संबंधित विभाग इस मामले को देख रहे हैं.''
केंद्र सरकार ने फ्रांस की पत्रकार वेनेसा डाउगनक के ख़िलाफ़ नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है.
उनसे 'द्वेषपूर्ण रिपोर्टिंग' और वीजा नियमों के उल्लंघन को लेकर जवाब मांगा गया है कि इस पर क्यों न उनका ओवरसीज सिटीजन ऑफ़ इंडिया (ओसीआई) कार्ड कर दिया जाए. वो पिछले 22 साल से भारत में रह रही हैं. (bbc.com/hindi)
ताइवान की बड़ी टेक कंपनी फॉक्सकॉन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) यंग लियू को भारत सरकार ने पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा की है.
साल 2024 के पद्म सम्मान पाने वाले नामों का एलान कर दिया गया है और ताइवान के यंग लियू का नाम इस फ़ेहरिस्त में शामिल है.
फॉक्सकॉन ऐपल के आईफ़ोन को असेंबल करने का काम करती है और इसके पास ऐपल का सबसे बड़ा मैन्यूफ़ैक्चरिंग कॉन्ट्रैक्ट है.
साल 2023 में लियू ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी.
उस समय पीएमओ ने एक्स पर लिखा था- “ पीएम मोदी ने भारत में सेमीकंडक्टर और चिप मैनुफ़ैक्चरिंग क्षमता का विस्तार करने की फॉक्सकॉन की योजनाओं का स्वागत किया है.”
यंग लियू ने कहा था कि भारत में हुए सुधार और नीतियों ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के इकोसिस्टम के विकास के कई अवसर पैदा किए हैं.
इस साल कुल 132 लोगों को पद्म सम्मान दिया जाएगा.