रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 दिसंबर। नवम्बर के शुरूआत के साथ ही प्रदेश में ठंड का मौसम शुरू हो गया। वैसे शुआत में ठंड न के बराबर रही। इस मौसम में लोगा अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी केयर करते हैं। ऐसे में वो सुुबह मार्निग वॉक और व्यायाम के लिए गार्डनों, उद्यानों का रूख करते हैं। जहां वे शांति भरे वातावरण में एक्सर साईज करते है।
ऐसे में उद्यानों में मुलभूत सुविधाओं का आभाव होने से गार्डनों की रौनक कम हो गई हैं। लोग दो पल सुकून से बिताने ऐसी जगह की तलाश करते हैं जहां वे कुछ देर शांति से बैठ सकें, प्रकृति के बीच कुछ पल बीता सके, लेकिन शहर में ऐसी जगह का अभाव है। देख-रेख के अभाव में शहर के गार्डन की सुंदरता खो गई है। ऐसा ही हाल शहर के बुढ़ातालाब, मोतीबाग, और बाल उद्यानों का है। गार्डन में लगे फव्वारे महीनों से बंद हैं। कई झूले भी टूटे पड़े हैं। खंभों में लाइट्स नहीं है। हरियाली भी गायब हो गई है। गार्डन के सौंदर्यीकरण को लेकर किसी प्रकार ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
शहर के बड़े उद्यान में तो रखरखा काफी हद तक होती है। लेकिल शहर के छोटे उद्यानों की बात करें तो वहां टूटे झूले और गार्डन निगम के द्वारा बनाए गए ओपन जिम की हालत बत से बत्तर हो गई है। यहां आने वाले बच्चे इन टूटे हुए झूले को देख यहां आने वाले मायूश लौट जाते हैं। नगर निगम उद्यान में आकर्षक लाइटिंग, झूले, वाटर फाउंटेन लगाया गया था। जिससे यहां की सुंदरता अच्छी थी। सुबह मॉर्निंग वॉक के समय गार्डन में लोगों की अच्छी खासी भीड़ लगी रहती है। लोग हरी घास में बैठकर योग, व्यायाम भी करते थे। शाम को तो गार्डन गुलजार रहता था। बच्चों के लिए भी यहां झूले, फिसलपट्टी आदि थे जिसमें बच्चे धमाचौकड़ी करते नजर आते थे। लेकिन देखरेख के अभाव में यहां गार्डन की सुंदरता कहीं खो गई। वाटर फाउंटेन भी कई महीनों से बंद है। बच्चों के खेलने के लिए लगाए गए झूलों में से अधिकांश टूटफूट गए हैं।
गार्डन में सुबह और शाम को आने वाले लोगों को व्यायाम करने जमीन पर हरी घांस भी नहीं। कई खंभों के लाइट्स फ्यूज हो गए हैं। इससे शाम होने के बाद अंधेरा हो जाता है। बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां भी नहीं है। साफ-सफाई का अभाव है। इसके चलते लोगों का आना-जाना भी यहां काफी कम हो गया है। निगम के अफसरों ने बताया कि शहर में निगम के छोटे- बड़े 189 गार्डन हैं। इन सभी के मेंटेनेंस में हर साल करीब 30 लाख से अधिक का खर्च होते हैं। हर माह लाखों का खर्च और कर्मचारियों की कमी के कारण शेष गार्डन व्यवस्थित नहीं हो पा रहे हैं। निगम गार्डनों में मरम्मत का काम तो कराती है। लेकिन असमाजिक तत्वों के कारण गार्डन में लगे झूलों में तोडफ़ोड़ के कारण ऐसा होता है।