राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)| एयर इंडिया ने अब स्वीकार किया है कि बेहतर विकल्पों की चाह में 57 पायलटों ने वित्तीय मजबूरी का हवाला देते हुए एयरलाइन की सेवाओं से इस्तीफा दे दिया था। आईएएनएस ने यह रिपोर्ट सबसे पहले दी थी कि 50 पायलटों को अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया गया है। एयर इंडिया ने पायलटों के इस्तीफे की स्वीकृति के मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी किया।
एयर इंडिया ने एक बयान में कहा है, "इस मामले का तथ्य यह है कि इन पायलटों (संख्या में 57) ने बेहतर विकल्प की चाह में वित्तीय मजबूरी का हवाला देते हुए एयर इंडिया की सेवाओं से इस्तीफा दे दिया था।"
एयर इंडिया ने कहा, "इनमें स्थायी और संविदा पर नियुक्त पायलट शामिल हैं। कुछ पायलटों ने बाद में अपने इस्तीफे वापस ले लिए थे। एयर इंडिया को अब इन पायलटों की सेवाओं की आवश्यकता नहीं है और इनके इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं।"
बयान में कहा गया है कि इनमें से कुछ पायलटों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने आग्रह किया है कि एयर इंडिया को उनके इस्तीफों को स्वीकार नहीं करने का निर्देश दिया जाए। यह मामला अदालत में विचाराधीन है।
शुक्रवार को एयर इंडिया के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक राजीव बंसल को लिखे एक पत्र में भारतीय वाणिज्यिक पायलट संघ (आईसीपीए) ने कहा कि लगभग 50 पायलटों को कंपनी के ऑपरेशन मैनुअल और सेवा नियमों के उल्लंघन में कार्मिक विभाग से अवैध टर्मिनेशन लेटर प्राप्त हुए हैं।
जम्मू, 16 अगस्त (आईएएनएस)| माता वैष्णो देवी मंदिर को चार महीने बाद रविवार को श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिया गया है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
अधिकारी ने कहा, "आज से हर दिन सिर्फ दो हजार तीर्थयात्रियों को तीर्थ यात्रा पर जाने की अनुमति होगी।"
उन्होंने आगे कहा, "इनमें से जम्मू एवं कश्मीर के बाहर से 100 और 1900 स्थानीय भक्तों को अनुमति दी जाएगी। सभी बाहरी लोगों को कोविड-19 टेस्ट से गुजरना होगा, तभी उन्हें तीर्थ यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी।"
अधिकारी ने कहा, "माता के मंदिर के रास्ते पर कई स्थानों पर थर्मल स्कैनर लगाए गए हैं। किसी भी हेल्पर या टट्टू को भक्तों के साथ जाने की अनुमति नहीं होगी। उन्हें कटरा बेस कैंप से पूरे रास्ते चलकर जाना होगा।"
कोविड-19 महामारी के कारण जम्मू एवं कश्मीर के धार्मिक स्थल को बंद कर दिया गया था। इसे देखते हुए माता वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा को चार महीने पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया था।
यह मंदिर जम्मू डिविजन के रियासी जिले में त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित सबसे अधिक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
महामारी से पहले हर साल 2.40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते रहे हैं।
पणजी, 16 अगस्त (आईएएनएस)| पूर्व रक्षामंत्री और दिवंगत भाजपा नेता मनोहर पर्रिकर के बड़े बेटे उत्पल कोरोवायरस जांच रिपोर्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं। उन्हें रविवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया। भाजपा नेता उत्पल ने ट्वीट किया, "डॉक्टरों की सलाह पर और सही तरीके से इलाज के लिए मुझे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मंगल कामनाओं के लिए आप सभी को धन्यवाद।"
केंद्रीय रक्षा और आयुष राज्यमंत्री श्रीपद नाइक भी पिछले हफ्ते पॉजिटिव पाए जाने के बाद एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। वह उत्तरी गोवा सीट से लोकसभा सांसद हैं।
मुंबइ, 16 अगस्त (वार्ता)। स्वर्ण भंडार में बड़ी वृद्धि के दम पर 07 अगस्त को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.62 अरब डॉलर बढक़र 538.19 अरब डॉलर के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
विदेशी मुद्रा भंडार लगातार सातवें सप्ताह बढ़ा है। रिजर्व बैंक ने 07 अगस्त को समाप्त सप्ताह में सोने की बड़े पैमाने पर खरीद की। केंद्रीय बैंक द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, सप्ताह के दौरान स्वर्ण भंडार 2.16 अरब डॉलर बढक़र 39.79 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इसी अवधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 1.46 अरब डॉलर की बढ़त के साथ 492.29 अरब डॉलर हो गई जो देश के विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है।
आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 70 लाख डॉलर घटकर 4.63 अरब डॉलर रह गया जबकि विशेष आहरण अधिकार 60 लाख डॉलर बढक़र 1.48 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इससे पहले 31 जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 11.94 अरब डॉलर की भारी वृद्धि के साथ 534.57 अरब डॉलर हो गया था।
नई दिल्ली, 16 अगस्त (वार्ता)। पेट्रोल के दाम लगातार 47 दिन अपरिवर्तित रहने के बाद रविवार को इसमें वृद्धि हुई जबकि डीजल की कीमत लगातार 16वें दिन स्थिर रही।
देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य रविवार को 14 पैसे बढक़र 80.57 रुपये प्रति लीटर पर पहुँच गया जो स्थिर रहा जो 26 अक्टूबर 2018 के बाद का उच्चतम स्तर है। कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में भी इसकी कीमत 12-12 पैसे बढक़र क्रमश: 82.17 रुपये, 87.31 रुपये और 83.75 रुपये प्रति लीटर हो गई। पेट्रोल के दाम इस साल 29 जून के बाद पहली बार बढ़े हैं।
डीजल की कीमत दिल्ली में 73.56 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर रही। कोलकाता में इसका मूल्य 77.06 रुपये पर, चेन्नई में 78.86 रुपये पर और मुंबई में 80.11 रुपये प्रति लीटर के रिकॉर्ड स्तर पर स्थिर रहा।
बस्ती, 16 अगस्त (वार्ता)। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में सरयू नदी की बाढ़ से प्रभावित 16,000 से अधिक नागरिक परेशान हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में अनाज और पशुओं के चारे की समस्या पैदा हो गई है। आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां कहा कि सरयू नदी खतरे के निशान से 48 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। बाढ़ से जिले के हरैया तथा बस्ती तहसील के 50 गांव प्रभावित हैं इसमें से 25 गांव पानी में चारों ओर से गिरे हुए हैं।
15 हजार से अधिक जनसंख्या लगभग एक महीने से बाढ़ का सामना कर रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं। लोगों के घरों में रखा गया अनाज पानी में खराब हो गया है तथा पशुओं के चारे की समस्या पैदा हो गई है।
जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में अनाज का राहत किट और पशुओं के चारे का वितरण कराया गया है। बाढ़ से प्रभावित कल्याणपुर भारतपुर पड़ाव कन्हैया पुर नरसिंहपुर बड़ागांव बतावा अहिल्या जुगाड़ आए पकड़ी संग्राम बिलासपुर भरपूर्वा विष्णु दास पुर शुभिका बाबू आराजी डूबी देवरा गंगवार माझा सहित अन्य गांव के लोग परेशान हैं।
जिला प्रशासन द्वारा पीडि़तों के सहायतार्थ 45 नाव लगाये गये हैं । स्वास्थ्य विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों को बाढ़ क्षेत्र के नागरिकों को चिकित्सा सुविधा और राहत प्रदान करने का निर्देश दिया गया है। सरयू नदी का दबाव कलवारी ,रामपुर, गौरा सैफाबाद, कटोरिया, चांदपुर, लालपुर और विक्रमजोत बांध पर निरंतर बना हुआ है। बाढ़ की निगरानी और सुरक्षा के लिए बाढ़ खंड के अधिकारी और कर्मचारी चौकसी बरत रहे हैं।
बस्ती में सरयू नदी की बाढ़
से 16 हजार प्रभावित
बस्ती, 16 अगस्त (वार्ता)। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में सरयू नदी की बाढ़ से प्रभावित 16,000 से अधिक नागरिक परेशान हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में अनाज और पशुओं के चारे की समस्या पैदा हो गई है। आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां कहा कि सरयू नदी खतरे के निशान से 48 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। बाढ़ से जिले के हरैया तथा बस्ती तहसील के 50 गांव प्रभावित हैं इसमें से 25 गांव पानी में चारों ओर से गिरे हुए हैं।
15 हजार से अधिक जनसंख्या लगभग एक महीने से बाढ़ का सामना कर रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं। लोगों के घरों में रखा गया अनाज पानी में खराब हो गया है तथा पशुओं के चारे की समस्या पैदा हो गई है।
जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में अनाज का राहत किट और पशुओं के चारे का वितरण कराया गया है। बाढ़ से प्रभावित कल्याणपुर भारतपुर पड़ाव कन्हैया पुर नरसिंहपुर बड़ागांव बतावा अहिल्या जुगाड़ आए पकड़ी संग्राम बिलासपुर भरपूर्वा विष्णु दास पुर शुभिका बाबू आराजी डूबी देवरा गंगवार माझा सहित अन्य गांव के लोग परेशान हैं।
जिला प्रशासन द्वारा पीडि़तों के सहायतार्थ 45 नाव लगाये गये हैं । स्वास्थ्य विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों को बाढ़ क्षेत्र के नागरिकों को चिकित्सा सुविधा और राहत प्रदान करने का निर्देश दिया गया है। सरयू नदी का दबाव कलवारी ,रामपुर, गौरा सैफाबाद, कटोरिया, चांदपुर, लालपुर और विक्रमजोत बांध पर निरंतर बना हुआ है। बाढ़ की निगरानी और सुरक्षा के लिए बाढ़ खंड के अधिकारी और कर्मचारी चौकसी बरत रहे हैं।
न्यूयॉर्क, 16 अगस्त (आईएएनएस)। शोधकतार्ओं ने मनुष्यों में कोविड-19 के संभावित लक्षण के क्रम को डिकोड कर लिया है, जिसमें सबसे पहले बुखार, इसके बाद खांसी, मांसपेशियों में दर्द, और फिर जी मचलना या उल्टी और दस्त नजर आने लगता है। कोविड -19 लक्षणों के क्रम को जानने से एक यह फायदा हो सकता है कि रोगियों को तुरंत चिकित्सा में मदद मिल सकती है या फिर जल्द से जल्द सेल्फ आइसोलेशन को लेकर निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।
फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, लक्षणों के क्रम को पहचानने से डॉक्टरों को रोगियों के इलाज की योजना बनाने में मदद मिल सकती है, और शायद इस बीमारी को शुरुआत में ही नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
अमेरिका के साउदर्न कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोध लेखक पीटर कुन ने कहा, "यह क्रम विशेष रूप से यह जानने को लेकर महत्वपूर्ण है कि हम कोविड -19 संक्रमण के लक्षण की तरह होने वाले फ्लू जैसी बीमारियों के साइकिल को कब पार कर रहे हैं।"
शोध के अन्य लेखक जोसेफ लार्सन ने कहा, "इससे कोविड-19 के उपचार के लिए अब बेहतर ²ष्टिकोण उपलब्ध हैं, जिसे पहचान कर पहले ही मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है।"
बुखार और खांसी अक्सर विभिन्न प्रकार की सांस की बीमारियों से जुड़े होते हैं, जिनमें मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) शामिल हैं।
हालांकि ऊपरी और निचले गेस्ट्रोइनेस्टाइनल ट्रैक्ट में लक्षणों को देखते हुए कोविड-19 की पहचान की जा सकती है।
वैज्ञानिकों ने लिखा, ऊपरी गेस्ट्रोइनेस्टाइनल ट्रैक्ट (जी मचलना/ उल्टी) निचले गेस्ट्रोइनेस्टिनल ट्रैक्ट (दस्त) से पहले प्रभावित होने लगती है, जो कि कोविड-19 का लक्षण है और यह मर्स और सार्स से विपरीत है।
शोधकतार्ओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एकत्र किए गए चीन में 55,000 से अधिक कोरोनावायरस मामलों के लक्षण घटना की दर को देखते हुए इस संक्रमण के लक्षणों के क्रम की भविष्यवाणी की।
कानपुर, 16 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में एक किशोर लड़की का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इसमें लड़की ने आरोप लगाया है कि गोविंद नगर पुलिस स्टेशन के एक इंस्पेक्टर ने उससे एफआईआर दर्ज करने के एवज में डांस करने के लिए कहा। लड़की अपने मकान मालिक के भतीजे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए गई थी। 16 वर्षीय लड़की ने वीडियो में आरोप लगाया कि निरीक्षक ने उसे पुलिस स्टेशन में बुलाया और उसे उसके सामने डांस करने के लिए कहा।
लड़की अपने परिवार के साथ गोविंद नगर के डाबौली पश्चिम क्षेत्र में किराए के मकान में रहती है।
लड़की का परिवार "जागरण" पार्टियां करके अपना पेट पालता है। उन्होंने कहा कि वे मकान मालिक के भतीजे के खिलाफ लड़की से छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज कराने गए थे। इसके अलावा उन्हें कुछ दिन पहले घर के किराए के हिस्से से जबरन बाहर निकाला गया था।
लड़की की मां ने कहा कि मकान मालकिन का भतीजा आरोपी अनूप यादव 26 जुलाई को उनके घर में घुस गया और उन पर हमला कर दिया।
लड़की की मां ने संवाददाताओं से कहा, "7 अगस्त की रात को फिर से मेरी बेटी के साथ छेड़छाड़ की गई जब वह बाजार से घर वापस आ रही थी। फिर बेटी ने गोविंद नगर के इंस्पेक्टर अनुराग मिश्रा से संपर्क किया, उसने मेरी बेटी से कहा कि पहले मेरे सामने डांस करो तब वह उसकी शिकायत दर्ज करेगा।"
गोविंद नगर अधिकारी विकास कुमार पांडेय ने कहा कि एक मकान पर कब्जे को लेकर दोनों पक्षों के बीच पहले से ही विवाद चल रहा था।
पांडे ने आगे कहा, "आरोपों में कोई दम नहीं है। प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि लड़की ने पुलिस पर दबाव बनाने के लिए वीडियो वायरल किया है। हालांकि, इस संबंध में एक जांच चल रही है।"
मेरठ (उत्तर प्रदेश), 16 अगस्त (आईएएनएस)| समाजवादी पार्टी (सपा) के एक पूर्व नेता और सामाजिक कार्यकर्ता को मेरठ पुलिस ने बेंगलुरु कांग्रेस विधायक के भतीजे की हत्या करने के लिए 51 लाख रुपये का इनाम देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। कथित तौर पर बेंगलुरु के विधायक अखण्ड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे द्वारा अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद मंगलवार को बेंगलुरु में हिंसा भड़कने से कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
बेंगलुरु हिंसा के चार दिन के बाद मेरठ में शाहजेब रिजवी ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने अपना गुस्सा निकालते हुए, "आरोपी का सिर लाने वाले" के लिए 51 लाख रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की।
रिजवी ने कहा, "कांग्रेस विधायक के भतीजे की सोशल मीडिया पोस्ट के कारण मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं। जो भी मुझे विधायक के भतीजे का सिर भेजेगा, उसे बदले में 51 लाख रुपये मिलेंगे। यह पैसा उन लोग की मदद से इकट्ठा किया जाएगा जो इस मामले में मेरा समर्थन करते हैं।"
जैसे ही ये वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैला स्थानीय पुलिस ने इस पर ध्यान दिया और उसके खिलाफ मामला दर्ज किया।
पूर्व सपा नेता पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय साहनी ने कहा, "हमने रिजवी के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद जांच का आदेश दिया है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।"
रिजवी पर कुछ दिन पहले सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए भी महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इस बीच, एससी/एसटी आयोग ने भी इस बयान को लेकर मेरठ पुलिस को कार्रवाई करने के लिए कहा है।
पणजी, 16 अगस्त (आईएएनएस)| देश में कोरोनावायरस महामारी के मामलों में हो रही निरंतर वृद्धि के बीच गोवा पुलिस की क्राइम ब्रांच ने रविवार को उत्तरी गोवा में स्थित वागाटोर के एक विला में चल रहे रेव पार्टी का भंडाफोड़ किया। यहां की पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि तीन विदेशियों सहित तेईस लोग गिरफ्तार किए गए हैं और तकरीबन नौ लाख रुपये की ड्रग्स बरामद की गई है।
यह पार्टी वागाटोर बीच विलेज के पास फ्रेंगिपैनी नामक एक विला में रखी गई थी।
गोवा पुलिस ने यह भी कहा, "गहराई से तलाशी लेने पर कोकीन, एमडीएमए, एक्सटेसी की गोलियां और चरस जैसे ड्रग्स भारी मात्रा में बरामद किए गए जिनकी कीमत नौ लाख रुपये से अधिक होगी। आरोपियों में तीन विदेशी महिलाएं भी शामिल हैं।"
बयान में आगे कहा गया, "लोगों की सुरक्षा को खतरे में डालने और मादक पदार्थों के लिए एफआईआर दर्ज की गई है। आगे की कार्रवाई जारी है।"
गोवा पुलिस के महानिदेशक मुकेश मीणा की चेतावनी के कुछ दिनों बाद यहां छापा मारा गया। उन्होंने कहा था कि महामारी के बीच गोवा में चल रही रेव पार्टी की उन्हें भनक है और उन्होंने इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी थी।
कानपुर, 16 अगस्त (आईएएनएस)। पिछले सप्ताह चित्रकूट से गिरफ्तार किए गए विकास दुबे का सहयोगी बाल गोविंद दुबे ने स्वीकार किया है कि वह और उसका दामाद विनीत 3 जुलाई को हुए बिकरू नरसंहार का कारण थे। इस हत्याकांड में आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। दुबे ने एसटीएफ को बताया कि राहुल तिवारी, जिन्होंने विकास दुबे के खिलाफ शिकायत की थी, उसका उनके दामाद विनीत के साथ संपत्ति का झगड़ा चल रहा था। इसी एफआईआर पर बिकरू पुलिस छापेमारी करने गई थी और उसने विकास दुबे के साथ मिलकर पुलिसकर्मियों पर हमला किया था।
एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया कि, "संपत्ति को लेकर विवाद के अलावा इस साल अप्रैल में बाल गोविंद के दामाद की बहन के साथ कथित तौर पर भागकर शादी के बाद से राहुल के साथ उनका विवाद बढ़ गया। इसके अलावा, उन्होंने पुलिस को बताया कि राहुल ने विनीत की भैंस को अवैध रूप से बेच दिया था, जिसे लेकर चौबेपुर पुलिस स्टेशन में एक अलग मामला दर्ज किया गया था।"
एसटीएफ अधिकारी ने कहा, "जुलाई की घटना से दो दिन पहले, पुलिस ने राहुल को हिरासत में लिया था और पूछताछ के लिए उसे बाल गोविंद के घर ले गई, इस दौरान विकास दुबे और उसके पांच सहयोगी भी मौजूद थे। तब विकास ने जेल में बंद चौबेपुर के थानेदार विनय तिवारी के मोबाइल फोन को छीन लिया और राहुल तिवारी की पिटाई कर दी। पुलिस ने जल्दबाजी में राहुल को थाने से भगा दिया।"
बाल गोविंद दुबे को चित्रकूट जिले के कर्वी कोतवाली क्षेत्र में कामतानाथ मंदिर परिक्रमा से गिरफ्तार किया गया था और पूछताछ के दौरान उसने स्वीकार किया कि वह और उनका दामाद बिकरू कांड की मुख्य वजह थे।
बाल गोविंद विकास दुबे का दूर का चचेरा भाई भी है।
नई दिल्लीः भारत में फेसबुक के एक आला अधिकारी ने भाजपा के कम से कम एक नेता पर इस सोशल मीडिया मंच के हेट स्पीच के लिए निर्धारित नियम लगाने का विरोध किया था.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत में फेसबुक की एक शीर्ष अधिकारी ने भाजपा के एक नेता और अन्य ‘हिंदू राष्ट्रवादी लोगों और समूहों’ की नफरत भरी पोस्ट को लेकर उन पर फेसबुक के हेट स्पीच नियम लगाए जाने का विरोध किया था.
इन लोगों और समूहों की ओर से फेसबुक पर पोस्ट किए गए कंटेट को आंतरिक रूप से ‘पूरी तरह से हिंसा को बढ़ावा देने वाला’ माना गया, इसके बावजूद इसका बचाव किया जाता रहा.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में फेसबुक की दक्षिण और मध्य एशिया प्रभार की पॉलिसी निदेशक आंखी दास ने भाजपा नेता टी. राजा सिंह के खिलाफ फेसबुक के हेट स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया था क्योंकि उन्हें डर था कि इससे कंपनी के संबंध भाजपा से बिगड़ सकते हैं.
How Facebook polices hate speech has emerged as a big issue. In India, one company executive brought politics into the discussion. https://t.co/OjAZaxj2D5
— The Wall Street Journal (@WSJ) August 15, 2020
टी. राजा सिंह तेलंगाना विधानसभा में भाजपा के एकमात्र विधायक हैं और वह अपने सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ बयानों के लिए जाने जाते हैं.
अमेरिकी अख़बार की इस रिपोर्ट में फेसबुक के कुछ पूर्व और कुछ वर्तमान कर्मचारियों के हवाले से कहा गया है कि आंखी दास ने अपने स्टाफ को बताया कि मोदी के नेताओं द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर उन्हें दंडित करने से भारत में कंपनी की कारोबारी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है.
रिपोर्ट कहती है, ‘दास, जिनके कामों में फेसबुक की ओर से भारत सरकार के साथ लॉबीइंग करना भी शामिल है, ने स्टाफ से कहा कि मोदी की पार्टी के नेताओं द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर उन्हें दंडित करने से भारत में कंपनी की कारोबारी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है…’
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, ‘फेसबुक के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों का कहना है कि सिंह के पक्ष में आंखी दास का हस्तक्षेप किया जाना मोदी की पार्टी भाजपा और हिंदू राष्ट्रवादियों के प्रति फेसबुक द्वारा पक्षपात किए जाने के व्यापक पैटर्न का हिस्सा है.’
कोई एकमात्र कारक नहींः फेसबुक प्रवक्ता
फेसबुक के प्रवक्ता ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि आंखी दास ने टी. राजा सिंह को ‘खतरनाक’ शख्स के रूप में चिह्नित करने पर राजनीतिक संबंधों को लेकर चिंता जताई थी, लेकिन उनका विरोध करना वह एकमात्र कारक नहीं था, जिससे यह निर्धारित किया जाए कि क्या भाजपा के नेता को फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर रहने दिया जाए या नहीं.
प्रवक्ता ने बताया कि फेसबुक अभी भी विचार कर रही है कि क्या सिंह पर प्रतिबंध लगाए जाएं या नहीं.
वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, भाजपा नेताओं द्वारा मुस्लिमों पर जानबूझकर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाने, देश के खिलाफ साजिश रचकर या ‘लव जिहाद’ के बारे ने लिखने के बाद भी दास की टीम ने कोई कार्रवाई नहीं की थी.
चुनावी मदद?
इसके अलावा द वॉल स्ट्रीट जर्नल में कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दास ने चुनाव से संबंधित मुद्दों को लेकर अनुकूल प्रचार करने को लेकर भाजपा की मदद भी की थी.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘पिछले साल भारत में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से पहले फेसबुक ने ऐलान किया था कि उसने पाकिस्तान की सेना और भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस के अप्रमाणिक फेसबुक पेजों को हटा दिया है. इसके साथ ही दास के हस्तक्षेप की वजह से भाजपा से जुड़ी झूठी खबरों वाले पेजों को भी हटा दिया गया था.’
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिंह और भाजपा सांसद अनंत कुमार हेगड़े की कई फेसबुक पोस्टों को फेसबुक ने तब तक नहीं हटाया, जब तक वॉल स्ट्रीट जर्नल के संवाददाताओं ने इनके बारे में इशारा नहीं किया. ये तमाम पोस्ट मुस्लिमों के प्रति घृणा से भरी हुई थीं.
रिपोर्ट में कहा गया कि वॉल स्ट्रीट जर्नल के हस्तक्षेप के बाद फेसबुक ने सिंह की कुछ पोस्ट डिलीट की हैं.
मीडिया रिपोर्ट में आगे कहा गया, ‘ट्विटर ने इसी तरह की मुस्लिम विरोधी पोस्ट को लेकर अनंत कुमार हेगड़े का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया है जबकि फेसबुक ने तब तक इस तरह का कोई कदम नहीं उठाया, जब तक वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कंपनी से हेगड़े की ‘कोरोना जेहाद’ पोस्ट को लेकर उनसे जवाब नहीं मांगा. फेसबुक ने गुरुवार को हेगड़े के कुछ पोस्ट हटाए हैं. हेगड़े ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया.’
द वायर द्वारा आंखी दास से वॉल स्ट्रीट जर्नल की इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया मांगी गई है, जिसके मिलने पर इस खबर को अपडेट किया जाएगा.(thewire)
राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) के चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती (Indrajit Mahanty) की COVID-19 रिपोर्ट पॉजिटिव निकली है. इस बात की जानकारी सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने शनिवार को ट्वीट कर दी है.
सीएम गहलोत ने लिखा, ”राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती की COVID-19 रिपोर्ट पॉजिटिव होने की जानकारी मिली है. उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हूं और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं.”
हालांकि चीफ जस्टिस की ओर से आधिकारिक रूप में अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस महंती ने शनिवार सुबह स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हाईकोर्ट परिसर में पौधा लगाकर पौधारोपण महाअभियान की शुरुआत की थी. इस अवसर पर हाईकोर्ट के अन्य न्यायाधीश, महाधिवक्ता भी मौजूद थे.
राजस्थान में अब तक का कोरोना आंकड़ा
शनिवार रात 9 बजे जारी रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में शनिवार को 1287 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं. इसके अलावा 16 लोगों ने कोरोना से जान गंवाई है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक अब राजस्थान में एक्टिव मरीजों की संख्या 13,863 हो गई है, जबकि अब तक संक्रमित हुए मरीजों की संख्या 59 हजार 979 हो गई है. साथ ही शनिवार तक कोरोना से 862 मरीजों की मौत हो गई है. इसके अलावा अब तक 8916 प्रवासी संक्रमित पाए गए हैं.
अब तक देश का कोरोना आंकड़ा
देश में मामलों की संख्या बढ़कर 25,26,193 तक पहुंच गई है, जिसमें 6,68,220 एक्टिव केस जबकि 18,08,937 रिकवर्ड केस हैं. अब तक देशभर में 49,036 लोगों की कोरोनावायरस के चलते जान गई है.(tv9bharat)
जयंत के. सिंह
नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)| मुंबई पुलिस सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच इस एंगल से रही है कि सम्भवत: वह डिप्रेस्ड थे और इसी कारण उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।
मरहूम अदाकारा जिया खान की मां राबिया खान ने कहा है कि "सुशांत के मामले में डिप्रेशन की थिएरी को जानबूझकर डाला गया है, क्योंकि इससे सुशांत की मौत को आत्महत्या बताना बेहद आसान हो जाएगा। राबिया खान ने यह भी कहा कि उन्हें रिया चक्रवर्ती पर भी शक है, क्योंकि उसे जितना चालाक बताया जा रहा है, असल में वह उतनी चालाक है नहीं।"
राबिया खान ने जिया, सुशांत सिंह और उनकी पूर्व मैनेजर दिशा सालियान के केस से जुड़ा एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है, राबिया खान के मुताबिक तीनों मामलों में डिप्रेशन का एंगल पैदा किया गया है, और ऐसा करने वाला फिल्म जगत का एक शीर्ष निर्देशक है।
राबिया ने कहा, ''महेश भट्ट भी मेरी बेटी के फ्यूनरल में पहुंचे थे और तब भी उन्होंने कहा था कि वह डिप्रेस्ड थी। अब महेश भट्ट ने सुशांत मामले में भी यही कहा कि वो डिप्रेस्ड था। मेरी बेटी डिप्रेस्ड नहीं थी और उसका मर्डर हुआ है, लेकिन सुशांत तो बेचारा फंस गया।''
राबिया ने कहा कि "सात साल पहले मेरी बेटी के फ्यूनरल में जब महेश भट्ट आए थे तब उन्होंने कहा था कि तुम्हारी बेटी डिप्रेस्ड थी। विरोध किया तो महेश भट्ट ने कहा कि चुप हो जाओ नहीं तो तुम्हे भी इंजेक्शन देकर सुला देंगे।"
राबिया बोलीं, ''महेश भट्ट और रजा मुराद मेरी बेटी के फ्यूनरल पर आए थे। इन दोनों से मैं कभी मिली तक नहीं थी। इसके बाद महेश भट्ट हमारे घर के अंदर आए, और हॉल में बैठ गए। मैं नीचे जमीन पर बैठी हुई थी, इसी दौरान मुझसे बोले.. डिप्रेस्ड। तो मैंने कहा कि सर वो डिप्रेस्ड नहीं थी। उस समय मैं कुछ और बोलना चाहती थी, लेकिन वो बोले कि चुप हो जाओ नहीं तो तुम्हे भी इंजेक्शन देकर सुला देंगे।''
राबिया ने आगे कहा, ''मैं झूठ नहीं बोलती। मैं सच बोलती हूं। मैं किसी पर आरोप नहीं लगाती। आप उस सच को चाहे जिस तरह से लीजिए। आप मुझे कोर्ट-कचहरी ले जाइए। मैं जाउंगी। इतने साल मैं चुप रही थी। इतने वक्त मैं चुप थी। क्योंकि मैं अपनी लड़ाई लड़ रही हूं। आज जब सुशांत सिंह और दिशा सालियान के मामले में सब देख रही हूं तो मुझसे रहा नहीं गया। इसीलिए मैंने सब बता दिया, क्योंकि सुशांत के साथ भी डिप्रेशन की कहानी जोड़ी जा रही है। हू-ब-हू वही चीज देखने को मिली, जो मेरी बेटी के केस में था। जब वही चीज फिर से देख रही हूं, तो बोलना तो पड़ता है ना।''
राबिया के मुताबिक "मुंबई पुलिस पर जब सुशांत की संदिग्ध मौत की जांच को लेकर दबाव बढ़ा तो जानबूझकर डिप्रेशन की थिएरी तैयार कर ली गई। माया जाल तैयार कर मामले को पिछले दो महीने से खींचा जा रहा है। ये तो खेल है.. ये एक चाल है।''
नई दिल्ली, 15 अगस्त। कई कोरोना रोगी स्वस्थ होने के बाद भी ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। कोरोना निगेटिव हो चुके कई व्यक्तियों की ऑक्सीजन स्तर कम होने से मौत भी हुई है। दिल्ली में ऐसे व्यक्तियों के लिए दिल्ली सरकार ऑक्सीजन की व्यवस्था करवाएगी। कोरोना निगेटिव आने के बाद अस्पताल से घर चले गए जिन लोगों का ऑक्सीजन स्तर नीचे चला जाता है, उनके लिए अगले सप्ताह से दिल्ली में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि दिल्ली में कोरोनावायरस से अब तक 4178 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "अगले सप्ताह से हम दिल्ली में एक और काम करने जा रहे हैं। दिल्ली में कुछ मरीज ऐसे सामने आए हैं, जिनमें कोरोना तो निगेटिव हो गया है, वे अस्पताल से घर आ गए हैं, लेकिन तीन-चार दिन के अंदर अचानक ऑक्सीजन स्तर नीचे चला गया और उनकी मौत हो गई।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "अब ऐसे मरीज, जिनका घर आने के बाद ऑक्सीजन स्तर कम हो जाता है, उनके घर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचाने का काम करने वाले हैं। होम आइसोलेशन का मॉडल दिल्ली ने पूरे देश को दिखाया, इसकी वजह से काफी फायदा हुआ। हमारे अस्पताल के बेड खाली हो गए।"
दिल्ली सरकार के मुताबिक, लोग अपने घर के अंदर इलाज कराना चाहते हैं। यदि कोई जरा सा बीमार हो जाए या एसिम्टोमैटिक हो जाए, तो वह अस्पताल नहीं जाना चाहता। उसे क्वारंटीन सेंटर भी जाने से डर लगता है। इसलिए वो जांच ही नहीं कराना चाहता। कई राज्यों के अंदर इसलिए लोग जांच ही नहीं कराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि जांच के बाद रिपोर्ट एसिम्टोमैटिक आ गई, तो सरकार उन्हें उठाकर क्वारंटीन सेंटर में डाल देगी। कोई भी 14-14 दिनों तक क्वारंटीन सेंटर में नहीं रहना चाहता। यह होम आइसोलेशन का मॉडल पूरे देश के अंदर दिल्ली ने दिया।
केजरीवाल ने कहा, "दिल्ली के दो करोड़ लोगों के अनुशासन, मेहनत और लगन की बदौलत कोरोना नियंत्रण में हैं। हमें अभी लंबी लड़ाई जीतनी है। आज पूरी दुनिया में दिल्ली मॉडल केस स्टडी बना हुआ है। इस दौरान कोरोना योद्धाओं ने बहुत पुण्य का काम किया। उन्होंने लोगों की जान बचाई। मैं उन सभी लोगों को नमन करता हूं।"(IANS)
कोलकाता, 15 अगस्त। स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने को लेकर पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और विपक्षी भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच शनिवार को हुई झड़प में भाजपा जिला परिषद के एक सदस्य की मौत हो गई। यह घटना खानकुल में हरिशचक गांव में घटी, जब तृणमूल कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर सुदाम प्रमाणिक के सिर पर धारदार हथियार से वार किया।
सुदाम हुगली जिले में भाजपा द्वारा संचालित जिला परिषद के सदस्य थे।
भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों ने दावा किया कि तृणमूल समर्थित बदमाशों ने सुदाम को मौत के घाट उतार दिया। क्षेत्र के तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने आरोप से इनकार किया और दावा किया कि घटना भाजपा में आपसी लड़ाई के कारण हुई।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर लिया गया है।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "हमने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है कि वास्तव में सुदाम प्रमाणिक पर किसने धारदार हथियार से हमला किया। अभी तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है।"
सूत्रों ने कहा कि दोनों पार्टियों द्वारा गांव में एक ही जगह पर ध्वजारहण समारोह आयोजित किया गया था, जिसके कारण प्रतिद्वंद्वी दलों के बीच झड़प हुई।
जिला तृणमूल कांग्रेस के नेता प्रबीर घोषाल ने कहा, "मैंने इस घटना के बारे में सुना। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस झड़प में शामिल नहीं है। यह जिला भाजपा कार्यकर्ताओं के आपसी झगड़े के कारण हुआ।"
तृणमूल नेता ने इस घटना की निष्पक्ष जांच की भी मांग की।(IANS)
नई दिल्ली, 15 अगस्त। जाने माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट की आवमानना के एक मामले में दोषी ठहराया गया है. इस मामले में उनको 20 अगस्त को सजा सुनाई जाएगी.
प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायधीश और चार अन्य पूर्व मुख्य न्यायधीशों को लेकर ट्वीट किए थे. इसी मामले में यह फ़ैसला आया है.
जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की इस बेंच ने कहा कि यह अवमानना का गंभीर मामला है. इस बेंच में जस्टिस अरुण मिश्र के अलावा जस्टिस बीआर गावी और जस्टिस कृष्णा मुरारी थे. हालांकि यह फ़ैसला वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए सुनाया गया.
कंटेम्ट ऑफ़ कोर्ट्स ऐक्ट, 1971 के तहत इस मामले में प्रशांत भूषण को अधिकतम छह माह तक की सजा हो सकती है या फिर दो हज़ार रूपये का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों सजा सुनाई जा सकती है.
इसी क़ानून में ये भी प्रावधान है कि अभियुक्त के माफ़ी मांगने पर अदालत चाहे तो उसे माफ़ कर सकती है.
इसी साल 22 जुलाई को भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के दो विवादित ट्वीट्स पर ख़ुद से संज्ञान लेते हुए उन्हें नोटिस जारी किया था. अदालत का कहना था कि शुरुआती तौर पर प्रशांत भूषण के इन ट्वीट्स से न्याय व्यवस्था का अपमान होता है.
हालांकि प्रशांत भूषण की ओर से दलील दे रहे वकील दुष्यंत दवे ने अदालत में साबित करने की कोशिश की कि प्रशांत भूषण के दो ट्वीट संस्था के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं करते.
पिछले दिन जिन मामलों को लेकर प्रशांत भूषण चर्चा में रहे हैं, उनमें प्रमुख निम्नांकित हैं-
पीएम केयर्स फंड पर सवाल
सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से प्रशांत भूषण ने जनहित याचिक दाख़िल करके कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने में राहत कार्यों के लिए पीएम केयर्स फंड से एनडीआरएफ को फंड ट्रांसफर करने की मांग की थी.
इस याचिका में यह भी कहा गया था कि राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) का उपयोग अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्य संकट के बावजूद नहीं किया जा रहा है और पीएम केयर्स फंड आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के दायरे से बाहर है. इस याचिका में पीएम केयर्स फंड के संबंध में पारदर्शिता की कमी के मुद्दे को उठाया गया था और यह भी कहा गया था कि यह कैग ऑडिट के अधीन नहीं है.
इसके जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पीएम केयर्स फंड के बनाने पर कोई रोक नहीं है क्योंकि यह राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से स्वतंत्र और अलग है जो आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत निर्धारित है.
इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सराकरों के लिए कई निर्देश दिए जिससे लोगों के घर लौटने में मदद मिली. हालांकि 27 जुलाई, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया.
लॉकडाउन में फंसे मजदूरों के हक की मांग
प्रशांत भूषण के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान यह याचिका अप्रैल, 2020 के दौरान दाख़िल की गई जिसमें कहा गया था कि प्रवासी मज़दूर, लॉकडाउन के कारण सबसे ज़्यादा प्रभावित तबका है.
जब महानगरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों की ओर पैदल जाने को मजबूर थे तब इस याचिका में देश भर में फंसे लाखों प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक सुरक्षित भेजने की मांग की गई थी.
इस याचिका के जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकार वास्तव में प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपने स्तर पर अच्छा कर रही है. इतना ही नहीं, सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि श्री भूषण एक मात्र ही नहीं हैं, जिन्हें देश में लोगों के अधिकारों के बारे में चिंता है.
जनरल तुषार मेहता ने इस सुनवाई में प्रशांत भूषण पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि आप पीआईएल दाख़िल करने के अलावा मजदूरों की मदद नहीं कर सकते.
रफ़ाल मामले में पुनर्विचार याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने भारत सरकार की ओर से फ्रांसीसी कंपनी डैसो एविएशन से 36 रफ़ाल जट खरीदने के सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच को फिर से करने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी.
लेकिन तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने 14 नंवबर, 2019 को इनकी पुनर्विचार याचिकाओं को सुनवाई के योग्य नहीं माना था.
आरटीआई को कमजोर करने की कोशिश
केंद्र और राज्य सूचना आयोगों में सचूना आयुक्तों के रिक्त पदों को भरने के लिए याचिका तो वैसे अंजलि भारद्वाज की थी लेकिन भारद्वाज के वकील प्रशांत भूषण ही थे. इस मामले में तर्क देते हुए प्रशांत भूषण ने कहा था कि केवल जो भ्रष्ट हैं वो इस क़ानून से डरते हैं.तब मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा था कि हर कोई अवैध नहीं कर रहा है.
इसी बहस के दौरान भूषण ने दलील दी कि सरकार आरटीआई क़ानून नहीं चाहती है और इसे निरर्थक मनाने के प्रयास किए गए है. तब मुख्य न्यायाधीश बोबड़े ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा था कि हम चाहते हैं कि आप कानून के किसी भी दुरुपयोग को रोकने में मदद करें.
गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री हरेन पांड्या की हत्या की एसआईटी से जांच
गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री हरेन पांड्या की हत्या के मामले की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली जनहित याचिका प्रशांत भूषण की संस्था सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटीगेशन ने लगाई थी.
इस याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि किसी आपराधिक मामले को लेकर जनहित याचिका दाख़िल नहीं की जा सकती.
सीपीआईएल ने अपनी याचिका में कहा था कि इस हत्या कांड में नए सिरे से जांच की आवश्यकता है क्योंकि मामले में नई जानकारियां सामने आई हैं. याचिका में दावा किया गया था हरेन पांड्या की हत्या डीजी वंजारा के इशारे पर की.
गौरतलब है कि गुजरात में भाजपा सरकार के दौरान गृह राज्यमंत्री हरेन पांड्या की हत्या अहमदाबाद में 26 मार्च, 2003 को गोली मारकर कर दी गई थी. सीबीआई जांच के मुताबिक वर्ष 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगे का बदला लेने के लिए पांड्या की हत्या की गई थी.
जस्टिस लोया की मौत की जांच की अपील
गुजरात के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस लोया की दिसंबर, 2014 में नागपुर में मौत हो गई थी, जिसे संदिग्ध माना गया. जस्टिस लोया के बाद जिस जज ने इस मामले की सुनवाई की उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था.
जस्टिस लोया की मौत की निष्पक्ष जांच को लेकर भी जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थी, यह याचिकाएं कई लोगों की ओर से लगाई गईं लेकिन पैरवी करने वाले वकीलों में प्रशांत भूषण शामिल थे.
अप्रैल, 2018 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी ने इस मामले में फिर से सुनवाई करने इनकार कर दिया था.
ये दरअसल कुछ ऐसे मामले हैं जिनसे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि प्रशांत भूषण का अब तक किन तरह के मामलों से साबका रहा है.
उनको लेकर यह दावा ज़रूर किया जा सकता है कि आप कोई भी क़ानूनी केस उठा लीजिए, जो सरकार के बेचैन करने वाली हो, परेशान करने वाली हो या फिर सवाल पूछने वाली हो, आपको उस मामले में कहीं ना कहीं वकील प्रशांत भूषण का नाम दिख जाएगा.
2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल
यह कोई नरेंद्र मोदी की सरकार के समय का सच नहीं है, बल्कि बीते चार दशक से प्रशांत भूषण यही करते आए हैं. यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के समय में प्रशांत भूषण ने 2 जी मोबाइल टेलीफोन स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में जनहित याचिका दाख़िल किया था.
तब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को जांच करने को कहा और तत्कालीन दूर संचार मंत्री ए राजा को ना केवल इस्तीफ़ा देना पड़ा बल्कि जेल भी जाना पड़ा. इस मामले में 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पेक्ट्रम आवंटन को रद्द कर दिया था.
2012 में प्रशांत भूषण के कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर भी जनहित याचिका दाख़िल की, जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ कंपनियों का राजनेताओं ने फेवर किया है, इसके बाद कोल ब्लॉक के आवंटन रद्द करने पड़े थे.
इसके बाद गोवा में अवैध लौह अयस्क खनन को लेकर भी प्रशांत भूषण की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में खनन पर रोक लगाई थी.
प्रशांत भूषण की जनहित याचिकाओं की कोई भी सूची केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस की नियुक्ति को चैलेंज करने वाली याचिका के बिना पूरी नहीं होगी. उनकी याचिका के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने पीजे थॉमस की नियुक्ति को मार्च, 2011 में अवैध ठहराया था.
इससे पहले 2009 में प्रशांत भूषण ने ही उस मामले की पैरवी की थी जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों को आरटीआई के दायर में लाया गया, अदालत की वेबसाइटों पर उन्हें अपना पद और अपनी संपत्ति की जानकारी देनी पड़ी.
2003 में प्रशांत भूषण ही उस मामले के वकील रहे जिसके चलते केंद्र सरकार हिंदुस्तान पेट्रोलियन और भारत पेट्रोलियम का निजीकरण के लिए संसद की मंजूरी को अनिवार्य बनाया गया था.
इससे पहले 1990 में प्रशांत भूषण भोपाल गैस कांड के मामले को सुप्रीम कोर्ट में फिर से शुरू कराकर पीड़ितों को मुआवजा दिलाने का काम कर चुके थे. हालांकि नर्मदा बचाओ आंदोलन में लंबी अदालती लड़ाई में उन्हें कामयाबी नहीं मिली.
देश की न्याय व्यवस्था में जवाबदेही तय करने की मुहिम प्रशांत भूषण अपने पिता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण के साथ चलाते रहे हैं.
प्रशांत भूषण मौत की सजा के पक्ष में नहीं हैं. यही वजह है कि उन्होंने 2008 के मुंबई हमले में शामिल अजमल कसाब को फांसी दिए जाने का विरोध किया था.
500 जनहित याचिकाओं की पैरवी
अपने पिता से प्रभावित होकर वकालत के पेशे में आए प्रशांत भूषण आईआईटी मद्रास में मैकनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने गए लेकिए एक ही सेमेस्टर में लौट आए. फिर इकॉनामिक्स और फिलॉसोफ़ी पढ़ने अमरीका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी गए लेकिन वहां भी पढ़ाई पूरी नहीं की. फिर वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट हुए.
वकील बनने के बाद अपने पहले ही केस, दून वैली मामले के जरिए उत्तराखंड़ में अवैध खनन पर रोक के साथ उन्होंने पर्यावरण, मानवाधिकार और पारदर्शी न्यायव्यवस्था की अपनी लड़ाई शुरू की थी.
प्रशांत भूषण का दावा है कि अब तक वे करीब 500 जनहित याचिकाओं की पैरवी कर चुके हैं, इसी दावे के मुताबिक वे अपना तीन चौथाई समय ऐसी याचिकाओं पर लगाते हैं. इतना ही नहीं जिस 25 प्रतिशत समय में पैसे लेकर मामले की पैरवी करते हैं, उसमें अपने समकक्षों की तुलना में मामूली फीस से काम चलाते हैं.
इस दौरान प्रशांत भूषण विभिन्न संस्थाओं से भी जुड़े रहे. सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) के अलावा वे पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के साथ साथ ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल से भी जुड़े रहे. वहीं न्यायिक सुधार के लिए कैंपेन फॉर ज्यूडिशिएल एकाउंटबिलिटी और ज्यूडिशिएल रिफॉर्म्स की वर्किंग कमेटी के संयोजक भी हैं.
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता की अपनी भूमिका से अन्ना आंदोलन के समय में वे थोड़ा भटके और राजनीति में आ गए. 2012 में वे आम आदमी पार्टी की स्थापना करने वाले लोगों में रहे. हालांकि बाद में पार्टी ने उन्हें, योगेंद्र यादव के साथ बाहर का रास्ता दिखा दिया था.
हालांकि समय समय पर उनके बयानों को लेकर विवाद भी होते रहे हैं. चाहे वह जम्मू कश्मीर में सशस्त्र बलों के विशेषाधिकार को हटाने को लेकर उनका बयान रहा हो या फिर मौजूदा समय में उनके ट्वीट को लेकर हो रहा विवाद.(bbc)
नई दिल्ली, 15 अगस्त। जाने माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट की आवमानना के एक मामले में दोषी ठहराया गया है. इस मामले में उनको 20 अगस्त को सजा सुनाई जाएगी.
प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायधीश और चार अन्य पूर्व मुख्य न्यायधीशों को लेकर ट्वीट किए थे. इसी मामले में यह फ़ैसला आया है.
जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की इस बेंच ने कहा कि यह अवमानना का गंभीर मामला है. इस बेंच में जस्टिस अरुण मिश्र के अलावा जस्टिस बीआर गावी और जस्टिस कृष्णा मुरारी थे. हालांकि यह फ़ैसला वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए सुनाया गया.
कंटेम्ट ऑफ़ कोर्ट्स ऐक्ट, 1971 के तहत इस मामले में प्रशांत भूषण को अधिकतम छह माह तक की सजा हो सकती है या फिर दो हज़ार रूपये का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों सजा सुनाई जा सकती है.
इसी क़ानून में ये भी प्रावधान है कि अभियुक्त के माफ़ी मांगने पर अदालत चाहे तो उसे माफ़ कर सकती है.
इसी साल 22 जुलाई को भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के दो विवादित ट्वीट्स पर ख़ुद से संज्ञान लेते हुए उन्हें नोटिस जारी किया था. अदालत का कहना था कि शुरुआती तौर पर प्रशांत भूषण के इन ट्वीट्स से न्याय व्यवस्था का अपमान होता है.
हालांकि प्रशांत भूषण की ओर से दलील दे रहे वकील दुष्यंत दवे ने अदालत में साबित करने की कोशिश की कि प्रशांत भूषण के दो ट्वीट संस्था के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं करते.
पिछले दिन जिन मामलों को लेकर प्रशांत भूषण चर्चा में रहे हैं, उनमें प्रमुख निम्नांकित हैं-
पीएम केयर्स फंड पर सवाल
सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से प्रशांत भूषण ने जनहित याचिक दाख़िल करके कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने में राहत कार्यों के लिए पीएम केयर्स फंड से एनडीआरएफ को फंड ट्रांसफर करने की मांग की थी.
इस याचिका में यह भी कहा गया था कि राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) का उपयोग अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्य संकट के बावजूद नहीं किया जा रहा है और पीएम केयर्स फंड आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के दायरे से बाहर है. इस याचिका में पीएम केयर्स फंड के संबंध में पारदर्शिता की कमी के मुद्दे को उठाया गया था और यह भी कहा गया था कि यह कैग ऑडिट के अधीन नहीं है.
इसके जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पीएम केयर्स फंड के बनाने पर कोई रोक नहीं है क्योंकि यह राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से स्वतंत्र और अलग है जो आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत निर्धारित है.
इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सराकरों के लिए कई निर्देश दिए जिससे लोगों के घर लौटने में मदद मिली. हालांकि 27 जुलाई, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया.
लॉकडाउन में फंसे मजदूरों के हक की मांग
प्रशांत भूषण के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान यह याचिका अप्रैल, 2020 के दौरान दाख़िल की गई जिसमें कहा गया था कि प्रवासी मज़दूर, लॉकडाउन के कारण सबसे ज़्यादा प्रभावित तबका है.
जब महानगरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों की ओर पैदल जाने को मजबूर थे तब इस याचिका में देश भर में फंसे लाखों प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक सुरक्षित भेजने की मांग की गई थी.
इस याचिका के जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकार वास्तव में प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपने स्तर पर अच्छा कर रही है. इतना ही नहीं, सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि श्री भूषण एक मात्र ही नहीं हैं, जिन्हें देश में लोगों के अधिकारों के बारे में चिंता है.
जनरल तुषार मेहता ने इस सुनवाई में प्रशांत भूषण पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि आप पीआईएल दाख़िल करने के अलावा मजदूरों की मदद नहीं कर सकते.
रफ़ाल मामले में पुनर्विचार याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने भारत सरकार की ओर से फ्रांसीसी कंपनी डैसो एविएशन से 36 रफ़ाल जट खरीदने के सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच को फिर से करने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी.
लेकिन तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने 14 नंवबर, 2019 को इनकी पुनर्विचार याचिकाओं को सुनवाई के योग्य नहीं माना था.
आरटीआई को कमजोर करने की कोशिश
केंद्र और राज्य सूचना आयोगों में सचूना आयुक्तों के रिक्त पदों को भरने के लिए याचिका तो वैसे अंजलि भारद्वाज की थी लेकिन भारद्वाज के वकील प्रशांत भूषण ही थे. इस मामले में तर्क देते हुए प्रशांत भूषण ने कहा था कि केवल जो भ्रष्ट हैं वो इस क़ानून से डरते हैं.तब मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा था कि हर कोई अवैध नहीं कर रहा है.
इसी बहस के दौरान भूषण ने दलील दी कि सरकार आरटीआई क़ानून नहीं चाहती है और इसे निरर्थक मनाने के प्रयास किए गए है. तब मुख्य न्यायाधीश बोबड़े ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा था कि हम चाहते हैं कि आप कानून के किसी भी दुरुपयोग को रोकने में मदद करें.
गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री हरेन पांड्या की हत्या की एसआईटी से जांच
गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री हरेन पांड्या की हत्या के मामले की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली जनहित याचिका प्रशांत भूषण की संस्था सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटीगेशन ने लगाई थी.
इस याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि किसी आपराधिक मामले को लेकर जनहित याचिका दाख़िल नहीं की जा सकती.
सीपीआईएल ने अपनी याचिका में कहा था कि इस हत्या कांड में नए सिरे से जांच की आवश्यकता है क्योंकि मामले में नई जानकारियां सामने आई हैं. याचिका में दावा किया गया था हरेन पांड्या की हत्या डीजी वंजारा के इशारे पर की.
गौरतलब है कि गुजरात में भाजपा सरकार के दौरान गृह राज्यमंत्री हरेन पांड्या की हत्या अहमदाबाद में 26 मार्च, 2003 को गोली मारकर कर दी गई थी. सीबीआई जांच के मुताबिक वर्ष 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगे का बदला लेने के लिए पांड्या की हत्या की गई थी.
जस्टिस लोया की मौत की जांच की अपील
गुजरात के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस लोया की दिसंबर, 2014 में नागपुर में मौत हो गई थी, जिसे संदिग्ध माना गया. जस्टिस लोया के बाद जिस जज ने इस मामले की सुनवाई की उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था.
जस्टिस लोया की मौत की निष्पक्ष जांच को लेकर भी जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थी, यह याचिकाएं कई लोगों की ओर से लगाई गईं लेकिन पैरवी करने वाले वकीलों में प्रशांत भूषण शामिल थे.
अप्रैल, 2018 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी ने इस मामले में फिर से सुनवाई करने इनकार कर दिया था.
ये दरअसल कुछ ऐसे मामले हैं जिनसे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि प्रशांत भूषण का अब तक किन तरह के मामलों से साबका रहा है.
उनको लेकर यह दावा ज़रूर किया जा सकता है कि आप कोई भी क़ानूनी केस उठा लीजिए, जो सरकार के बेचैन करने वाली हो, परेशान करने वाली हो या फिर सवाल पूछने वाली हो, आपको उस मामले में कहीं ना कहीं वकील प्रशांत भूषण का नाम दिख जाएगा.
2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल
यह कोई नरेंद्र मोदी की सरकार के समय का सच नहीं है, बल्कि बीते चार दशक से प्रशांत भूषण यही करते आए हैं. यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के समय में प्रशांत भूषण ने 2 जी मोबाइल टेलीफोन स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में जनहित याचिका दाख़िल किया था.
तब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को जांच करने को कहा और तत्कालीन दूर संचार मंत्री ए राजा को ना केवल इस्तीफ़ा देना पड़ा बल्कि जेल भी जाना पड़ा. इस मामले में 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पेक्ट्रम आवंटन को रद्द कर दिया था.
2012 में प्रशांत भूषण के कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर भी जनहित याचिका दाख़िल की, जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ कंपनियों का राजनेताओं ने फेवर किया है, इसके बाद कोल ब्लॉक के आवंटन रद्द करने पड़े थे.
इसके बाद गोवा में अवैध लौह अयस्क खनन को लेकर भी प्रशांत भूषण की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में खनन पर रोक लगाई थी.
प्रशांत भूषण की जनहित याचिकाओं की कोई भी सूची केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस की नियुक्ति को चैलेंज करने वाली याचिका के बिना पूरी नहीं होगी. उनकी याचिका के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने पीजे थॉमस की नियुक्ति को मार्च, 2011 में अवैध ठहराया था.
इससे पहले 2009 में प्रशांत भूषण ने ही उस मामले की पैरवी की थी जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों को आरटीआई के दायर में लाया गया, अदालत की वेबसाइटों पर उन्हें अपना पद और अपनी संपत्ति की जानकारी देनी पड़ी.
2003 में प्रशांत भूषण ही उस मामले के वकील रहे जिसके चलते केंद्र सरकार हिंदुस्तान पेट्रोलियन और भारत पेट्रोलियम का निजीकरण के लिए संसद की मंजूरी को अनिवार्य बनाया गया था.
इससे पहले 1990 में प्रशांत भूषण भोपाल गैस कांड के मामले को सुप्रीम कोर्ट में फिर से शुरू कराकर पीड़ितों को मुआवजा दिलाने का काम कर चुके थे. हालांकि नर्मदा बचाओ आंदोलन में लंबी अदालती लड़ाई में उन्हें कामयाबी नहीं मिली.
देश की न्याय व्यवस्था में जवाबदेही तय करने की मुहिम प्रशांत भूषण अपने पिता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण के साथ चलाते रहे हैं.
प्रशांत भूषण मौत की सजा के पक्ष में नहीं हैं. यही वजह है कि उन्होंने 2008 के मुंबई हमले में शामिल अजमल कसाब को फांसी दिए जाने का विरोध किया था.
500 जनहित याचिकाओं की पैरवी
अपने पिता से प्रभावित होकर वकालत के पेशे में आए प्रशांत भूषण आईआईटी मद्रास में मैकनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने गए लेकिए एक ही सेमेस्टर में लौट आए. फिर इकॉनामिक्स और फिलॉसोफ़ी पढ़ने अमरीका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी गए लेकिन वहां भी पढ़ाई पूरी नहीं की. फिर वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट हुए.
वकील बनने के बाद अपने पहले ही केस, दून वैली मामले के जरिए उत्तराखंड़ में अवैध खनन पर रोक के साथ उन्होंने पर्यावरण, मानवाधिकार और पारदर्शी न्यायव्यवस्था की अपनी लड़ाई शुरू की थी.
प्रशांत भूषण का दावा है कि अब तक वे करीब 500 जनहित याचिकाओं की पैरवी कर चुके हैं, इसी दावे के मुताबिक वे अपना तीन चौथाई समय ऐसी याचिकाओं पर लगाते हैं. इतना ही नहीं जिस 25 प्रतिशत समय में पैसे लेकर मामले की पैरवी करते हैं, उसमें अपने समकक्षों की तुलना में मामूली फीस से काम चलाते हैं.
इस दौरान प्रशांत भूषण विभिन्न संस्थाओं से भी जुड़े रहे. सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) के अलावा वे पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के साथ साथ ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल से भी जुड़े रहे. वहीं न्यायिक सुधार के लिए कैंपेन फॉर ज्यूडिशिएल एकाउंटबिलिटी और ज्यूडिशिएल रिफॉर्म्स की वर्किंग कमेटी के संयोजक भी हैं.
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता की अपनी भूमिका से अन्ना आंदोलन के समय में वे थोड़ा भटके और राजनीति में आ गए. 2012 में वे आम आदमी पार्टी की स्थापना करने वाले लोगों में रहे. हालांकि बाद में पार्टी ने उन्हें, योगेंद्र यादव के साथ बाहर का रास्ता दिखा दिया था.
हालांकि समय समय पर उनके बयानों को लेकर विवाद भी होते रहे हैं. चाहे वह जम्मू कश्मीर में सशस्त्र बलों के विशेषाधिकार को हटाने को लेकर उनका बयान रहा हो या फिर मौजूदा समय में उनके ट्वीट को लेकर हो रहा विवाद.(bbc)
नयी दिल्ली 15 अगस्त (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को दिये अपने संबोधन में आज से राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन शुरु किये जाने की घोषणा करते हुए कहा कि यह भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में नयी क्रांति लेकर आयेगा। ।
श्री मोदी ने कहा, “देश में आज से एक बहुत बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है, नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन। अब आपका हर टेस्ट, हर बीमारी, आपको किस डॉक्टर ने कौन सी दवा दी, आपकी रिपोर्ट्स क्या थीं, ये सारी जानकारी एक हेल्थ आईडी में समाहित होंगी।”
उन्होंने कहा कि जब कोरोना शुरु हुआ था, तब हमारे देश में कोरोना टेस्टिंग के लिए सिर्फ एक लैब थी। आज देश में 1,400 से ज्यादा लैब हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना के इस असाधारण समय में, सेवा परमो धर्म: की भावना के साथ, अपने जीवन की परवाह किए बिना हमारे डॉक्टर्स, नर्सें, पैरामेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस कर्मी, सफाई कर्मचारी, पुलिसकर्मी, सेवाकर्मी समेत अनेक लोग चौबीसों घंटे लगातार काम कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस पर देश को मेक इन इंडिया के साथ मेक फॉर वर्ल्ड का मंत्र दिया है। लाल किले की प्राचीर से उन्होंने कहा है कि आज दुनिया की बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं। हमें मेक इन इंडिया के साथ-साथ मेक फॉर वर्ल्ड के मंत्र के साथ आगे बढ़ना है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर कब तक हमारे ही देश से गया कच्चा माल, प्रोडक्ट बनकर भारत में लौटता रहेगा?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत को आधुनिकता की तरफ तेज गति से ले जाने के लिए देश के ओवरऑल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को एक नई दिशा देने की जरूरत है। ये जरूरत पूरी होगी नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन प्रोजेक्ट से।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर देश 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अलग-अलग सेक्टर्स के लगभग 7 हजार प्रोजेक्ट्स को चिह्न्ति भी किया जा चुका है। ये एक तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर में एक नई क्रांति की तरह होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान आत्मनिर्भर भारत पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सिर्फ कुछ माह पहले तक एन.95 मास्कए पीपीई किटए वेंटिलेटर ये सब हम विदेशों से मंगाते थे। आज इन सभी में भारत, न सिर्फ अपनी जरूरतें खुद पूरी कर रहा है, बल्कि दूसरे देशों की मदद के लिए भी आगे आया है।
उन्होंने कहा कि एक समय था, जब हमारी कृषि व्यवस्था बहुत पिछड़ी हुई थी। तब सबसे बड़ी चिंता थी कि देशवासियों का पेट कैसे भरे। आज जब हम सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों का पेट भर सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब सिर्फ आयात कम करना ही नहीं, हमारी क्षमताएं हमारी क्रिएटिविटी, हमारी स्किल्स को भी बढ़ाना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कौन सोच सकता था कि कभी देश में गरीबों के जनधन खातों में हजारों-लाखों करोड़ रुपए सीधे ट्रांसफर हो पाएंगे, कौन सोच सकता था कि किसानों की भलाई के लिए एपीएमसी एक्ट में इतने बड़े बदलाव हो जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने बताया कि वन नेशन, वन टैक्स, इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड, बैंकों का मर्जर, आज देश की सच्चाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा "इस शक्ति को, इन रिफॉर्म्स और उससे निकले परिणामों को देख रही है। बीते वर्ष, भारत में एफडीआई ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भारत में एफडीआई में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।"
नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)| एयर इंडिया के पायलटों ने 50 पायलटों की सेवाएं "अवैध तरीके से समाप्त" करने के मुद्दे को लेकर प्रबंधन से हस्तक्षेप करने की मांग की है। इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (आईसीपीए) ने शुक्रवार को एयर इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजीव बंसल को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि लगभग 50 पायलटों को कंपनी के सेवा नियमों के उल्लंघन को लेकर कार्मिक विभाग से अवैध समाप्ति पत्र प्राप्त हुए हैं।
आईसीपीए ने एक ट्वीट में कहा, "क्या हो रहा है? बिना उचित प्रक्रिया अपनाए रातों-रात हमारे लगभग 50 पायलटों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। इस महामारी के समय में राष्ट्र की सेवा करने वालों के लिए यह एक सदमे की बात है।"
यह भी पता चला है कि दक्षिण में पांच साल पूरे कर चुके कई बेस क्रू के कॉन्ट्रैक्ट का नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है। दक्षिणी क्षेत्र में 18 केबिन क्रू की सेवाएं भी समाप्त कर दी गईं हैं।
आईसीपीए ने एयर इंडिया के सीएमडी को लिखे अपने पत्र में कहा है कि जिन पायलटों ने पिछले साल अपने इस्तीफे दे दिए थे और 6 महीने की नोटिस अवधि में अपने इस्तीफे वापस भी ले लिए थे, उन्हें गुरुवार को रात 10 बजे अचानक सेवामुक्त कर दिया गया।
पायलटों का आरोप है कि क्रू को उनके इस्तीफों की स्वीकृति और उसके बाद के नोटिस पीरियड आदि के बारे में सूचित नहीं किया गया था।
इसमें कहा गया, "13 अगस्त को कार्यालय बंद होने के बाद जाहिर है इन पायलटों की सेवाएं भी समाप्त हो गईं थीं, इसके बाद भी एक पायलट की 14 अगस्त को एआई 804/506 को संचालित करने की ड्यूटी लगाई गई। जाहिर है इन फ्लाइट्स को उड़ाने वाले पायलट 13 अगस्त के बाद तकनीकी रूप से एयर इंडिया के कर्मचारी नहीं थे।"
इसमें आगे कहा गया, "यह उड़ान की सुरक्षा को लेकर एक हास्यस्पाद और बेहद गंभीर उल्लंघन है। सोचने वाली बात है कि इस विमान को उड़ा रहे पायलट की मानसिक स्थिति क्या होगी जिसकी सेवाएं ही समाप्त कर दी गईं हैं।"
आईसीपीए ने याद दिलाया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयर इंडिया ने आश्वासन दिया था कि अन्य एयरलाइनों के विपरीत, एयर इंडिया अपने किसी भी कर्मचारी को नहीं निकालेगी।
14 अगस्त, 14 अगस्त(भाषा)। तेलंगाना के वानापर्थी जिले में शुक्रवार को 10 वर्षीय बच्ची सहित एक परिवार के चार सदस्य संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि जिले के रेवल्ली मंडल के नागापुर गांव में उनके घर के पीछे के हिस्से में एक गड्ढे के पास कुछ नींबू और नारियल पाए गए थे। कुछ ग्रामीणों ने संदेह जताया है कि वहां 'क्षुद्र पूजा' (काला जादू) की गई थी।
पुलिस ने बताया कि घर के अलग-अलग हिस्सों में 60 वर्षीय बुजुर्ग महिला, महिला की 30 वर्षीय बेटी, उसका 40 वर्षीय दामाद और 10 वर्षीय बच्ची का शव पड़ा मिला। बच्ची के गाल और एक पैर पर चोट के निशान थे।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक जांच के आधार पर उन्हें संदेह है कि परिवार के सदस्यों ने बृहस्पतिवार की आधी रात को किसी जहरीले पदार्थ का सेवन करके आत्महत्या की होगी। हालांकि लड़की के शरीर पर कुछ चोटों के निशान पाए गए हैं।
पड़ोसियों को आज सुबह चारों मृत अवस्था में मिले और उन्होंने पुलिस को जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा, “ मौतों के सही कारण का पता लगाने के लिए विस्तृत जांच की जा रही है।'
अधिकारी ने कहा, कुछ साल पहले बुजुर्ग महिला ने कथित तौर पर किसी छिपे हुए खजाने के लिए 'काला जादू' करने के लिए किसी को बुलाया था।
सुमित सक्सेना
नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के प्रति कथित रूप से अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ स्वत: शुरू की गई अवमानना कार्यवाही में भूषण को अवमानना का दोषी माना है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल अवधि को सबसे काला युग माना जाता है।
जून के अंत में भूषण ने अपनी राय व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, भविष्य में इतिहासकार जब यह देखने के लिए पिछले छह वर्षों पर नजर डालेंगे कि कैसे आपातकाल की घोषणा किए बिना ही भारत में लोकतंत्र को बर्बाद कर दिया गया, तो वे सुप्रीम कोर्ट की भूमिका का उल्लेख निश्चित तौर पर करेंगे और विशेषकर चार पिछले प्रधान न्यायाधीशों (सीजेआई) का।
108 पन्नों के फैसले में न्यायाधीश अरुण मिश्रा, बी. आर. गवई और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने कहा, यह सभी जानते हैं कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल के युग को सबसे काला युग माना जाता है।
पीठ ने भूषण के ट्वीट का संदर्भ देते हुए कहा कि पहली नजर यानी आम लोगों की नजर में सामान्य तौर पर सुप्रीम कोर्ट और भारत के प्रधान न्यायाधीश की 'शुचिता एवं अधिकार' को कमतर करने वाला है।
पीठ ने कहा, एक आम नागरिक को जो ट्वीट का आभास होता है, वह यह है कि भविष्य में इतिहासकार जब यह देखने के लिए पिछले छह वर्षो पर नजर डालेंगे कि कैसे आपातकाल की घोषणा किए बिना ही भारत में लोकतंत्र को बर्बाद कर दिया गया, तो वे सुप्रीम कोर्ट की भूमिका का उल्लेख निश्चिततौर पर करेंगे और विशेषकर चार पिछले मुख्य न्यायाधीशों (सीजेआई) का।
अदालत ने कहा कि न्यायपालिका पर हमले को दृढ़ता के साथ निपटा जाना चाहिए, क्योंकि यह राष्ट्रीय सम्मान और प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकता है।
पीठ ने न्यायालय की निडरता और निष्पक्षता का हवाला देते हुए कहा कि न्यायालय एक स्वस्थ लोकतंत्र की बुलंदी है और उस पर दुर्भावनापूर्ण हमलों की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
अदालत ने कहा कि " विकृत विचारों पर आधारित ट्वीट, हमारे विचार में, आपराधिक अवमानना है।"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र की नीव हिलाने की कोशिश से बड़ी सख्ती से निपटना होगा। शीर्ष अदालत ने माना कि ट्वीट स्पष्ट रूप से यह आभास देता है कि सुप्रीम कोर्ट, जो देश की सर्वोच्च संवैधानिक अदालत है, उसने पिछले छह वर्षो में भारतीय लोकतंत्र के विनाश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अदालत ने यह भी कहा कि भूषण पिछले 30 वर्षों से सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं और लगातार हमारे लोकतंत्र और इसके संस्थानों की बेहतरी विशेष रूप से हमारी न्यायपालिका के कामकाज से संबंधित जनहित के कई मुद्दों को उठाया है।
नई दिल्ली, 14 अगस्त।गृह मंत्री अमित शाह की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है. उन्होंने खुद ट्ववीट कर ये बात कही. उन्होंने कहा कि आज मेरी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई है. मैं ईश्वर का धन्यवाद करता करता हूं और इस समय जिन लोगों ने मेरे स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएं देकर मेरा और मेरे परिजनों को ढांढस बंधाया, उन सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं. डॉक्टर्स की सलाह पर अभी कुछ और दिनों तक होम आइसोलेशन में रहूंगा.
आज मेरी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
— Amit Shah (@AmitShah) August 14, 2020
मैं ईश्वर का धन्यवाद करता हूँ और इस समय जिन लोगों ने मेरे स्वास्थ्यलाभ के लिए शुभकामनाएं देकर मेरा और मेरे परिजनों को ढाढस बंधाया उन सभी का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
डॉक्टर्स की सलाह पर अभी कुछ और दिनों तक होम आइसोलेशन में रहूँगा।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक के पूर्व प्रमोटरों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को जमानत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया, जिन्हें 2017 में घर खरीदने वाले ग्राहकों को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। शीर्ष अदालत ने संजय चंद्रा को तुरंत आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और एम.आर. शाह ने संजय चंद्रा को दी गई अंतरिम जमानत को रद्द कर दिया और कहा कि वह और उनके भाई अक्टूबर 2017 में तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा निर्देशित 750 करोड़ रुपये जमा करने में विफल रहे थे। शीर्ष अदालत ने आत्मसमर्पण के लिए दो सप्ताह का समय देने से भी इनकार कर दिया, जिसकी मांग चंद्रा के वकील ने की थी।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह चंद्रा भाइयों द्वारा की गई धोखाधड़ी के सभी पहलुओं की जांच करे, जैसा कि फॉरेंसिक ऑडिटर ग्रांट थॉर्नटन ने जिक्र किया है। न्यायालय ने केंद्र की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वह एक अलग व्यापक हलफनामा दायर करें, जिसमें जांच एजेंसियों, फॉरेंसिक रिपोर्ट द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण दिया जाए।
जुलाई में, शीर्ष अदालत ने यूनिटेक लिमिटेड के प्रमोटर और पूर्व प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा को अंतरिम जमानत दी थी, जो तीन साल सलाखों के पीछे रहे हैं।
न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने चंद्रा को एक महीने की अवधि के लिए रिहा करने की अनुमति दी थी, क्योंकि उनके माता-पिता दोनों बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे।