अंतरराष्ट्रीय
-इक़बाल अहमद
अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार क़तर की राजधानी दोहा में अफ़ग़ानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत हुई जिसमें युद्ध रोकने, तालिबान क़ैदियों की रिहाई और अंतरिम सरकार बनाने पर दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी.
अख़बार के अनुसार किसी भी मामले में कोई सहमति नहीं बन पाई है. इस अवसर पर अफ़ग़ानिस्तान सरकार के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने कहा कि "हम सब की प्राथमिकता युद्ध की पूरी तरह समाप्ति और सर्वसम्मति से सियासी हल की तलाश होनी चाहिए. हम सब की निगाह संयुक्त भविष्य पर होनी चाहिए जिसके अफ़ग़ान नागरिक हक़दार हैं."
इस अवसर पर तालिबान प्रतिनिधि मंडल के नेता अब्दुल ग़नी बिरादर ने कहा कि किसी भी राजनीतिक समझौते तक पहुँचने के लिए सबसे ज़रूरी है कि एक दूसरे पर अविश्वास को ख़त्म किया जाए. उन्होंने कहा, "हमें अपने निजी स्वार्थ को नज़रअंदाज़ कर अफ़ग़ानिस्तान की अवाम की एकता के लिए कोशिश करनी चाहिए."
अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई भी इस बातचीत में शामिल होने वाले थे लेकिन डॉन न्यूज़ के अनुसार वो काबुल में ही रुक गए और बातचीत में शामिल नहीं हो सके. अफ़ग़ानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत ज़िल्मे ख़लीलज़ाद दोहा बातचीत के दौरान मौजूद थे.
डॉन न्यूज़ के अनुसार तालिबान नेता ने बातचीत में ज़्यादा प्रगति नहीं होने पर अफ़सोस जताया है. अब्दुल ग़नी बिरादर ने कहा, "लेकिन फिर भी उम्मीद पैदा होनी चाहिए और तालिबान बातचीत के सकारात्मक नतीजे के लिए कोशिश करेंगे."
अफ़ग़ानिस्तान सरकार के प्रतिनिधिमंडल की प्रवक्ता नाजिय अनवरी ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि बातचीत तेज़ी से पूरी हों और जल्द ही दोनों पक्ष किसी नतीजे पर पहुँच जाएंगे और अफ़ग़ानिस्तान में स्थायी शांति का दौर देखें."
दोनों पक्षों ने बातचीत को जारी रखने और ज़्यादा से ज़्यादा संपर्क बनाए रखने पर सहमति जताई लेकिन अभी यह तय नहीं है कि बातचीत कब तक चलेगी और ना ही कोई साझा बयान जारी किया गया.
पिछले साल 29 फ़रवरी को अमेरिका और तालिबान के बीच समझौता होने के बाद अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न गुटों के बीच बातचीत की शुरुआत हुई थी लेकिन 10 महीनों तक चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला था और बातचीत बंद कर दी गई थी. लेकिन अब दोनों पक्षों के बीच दोबारा बातचीत शुरू हुई है. लेकिन यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब तालिबान हर दिन अफ़ग़ानिस्तान के एक नए इलाक़े पर अपनी पकड़ मज़बूत करते जा रहे हैं. (bbc.com)