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हैती में शनिवार को आए भूकंप ने फिर सैकड़ों जानें ले लीं. ऐसा क्या है कि हैती में आने वाले भूकंप इतनी तबाही मचाते हैं?
हैती में शनिवार को आए भूकंप में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए. 11 साल पहले भी ऐसा ही एक भूकंप आया था जिसमें दसियों हजार लोग मारे गए थे. 2010 के उस भूकंप में एक लाख इमारतें क्षतिग्रस्त हुई थीं.
हैती में ऐसा क्या है कि वहां आने वाले भूकंप इतनी तबाही मचाते हैं. पेश है, एक पड़ताल...
क्यों आते हैं हैती में इतने भूकंप?
पृथ्वी की अंदरूनी परत में एक टेक्टॉनिक प्लेट के ऊपर दूसरी रखी होती है. ये प्लेट हिलती डुलती या खिसकती रहती हैं और उसे ही भूकंप कहते हैं. हैती जहां है, वहां दो प्लेट एक दूसरे से मिलती हैं. नॉर्थ अमेरिकी प्लेट और कैरेबियाई प्लेट के सिरे के ठीक ऊपर हैती है.
हैती और डॉमिनिकन रिपब्किल के साझे द्वीप हिस्पैन्योला के ठीक नीचे कई दरारें हैं. हर दरार का व्यवहार अलग होता है. अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के शोधकर्ता रिच ब्रिग्स बताते हैं, "हिस्पैन्योला के ठीक नीचे दो प्लेट एक दूसरे से टकराती हुई गुजरती हैं. यह वैसा ही है जैसे शीशे के स्लाइडिंग डोर की ट्रैक में पत्थर फंस जाए. फिर उसका आना जाना ऊबड़ खाबड़ हो जाएगा.”
अब भूकंप क्यों आया?
शनिवार को जो भूकंप आया था, उसकी तीव्रता 7.2 आंकी गई थी. माना जा रहा है कि यह एनरिकीलो-प्लैन्टेन दरार के करीब हुई हलचल की वजह से आया. अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण संस्थान (USGS) के मुताबिक यह दरार हैरती के दक्षिण-पश्चिम में टिबरोन प्रायद्वीप के नीचे से गुजरती है.
इसी जगह 2010 का भयानक भूकंप आया था. और अनुमान है कि 1751 और 1860 के बीच कम से कम तीन भूकंप इसी दरार के कारण आए थे. उनमें से दो ऐसे थे जिन्होंने राजदानी पोर्ट ओ प्राँ को तहस नहस कर दिया था.
इतने विनाशकारी क्यों होते हैं हैती के भूकंप?
इसकी कई वजह हैं. सबसे पहली बात तो यह कि हैती के नीचे सक्रियता बहुत ज्यादा है. फिर वहां, आबादी का घनत्व भी काफी है. देश में एक करोड़ दस लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. वहां की इमारतों को चक्रवातीय तूफानों को झेलने लायक तो बनाया जाता है लेकिन वे भूकंप रोधी नहीं होतीं.
हैती की इमारतें कंक्रीट की बनाई जाती हैं जो तेज हवाओं को झेल सकती हैं लेकिन जब धरती हिलती है तो उनके गिरने का, उनके गिरने की वजह से विनाश का खतरा ज्यादा होता है.
2010 में भूकंप का केंद्र पोर्ट ओ प्राँ के नजदीक था और उसने भयानक तबाही मचाई थी. हैती की सरकार ने मरने वालों की संख्या तीन लाख बताई थी जबकि अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट में 46 हजार से 85 हजार के बीच लोगों के मरने की बात कही गई थी.
इनकॉरपोरेटेडे रीसर्च इंस्टिट्यूशंस फॉर सीस्मोलॉजी में जियोलॉजिस्ट वेंडी बोहोन कहती हैं, "एक बात हमें समझनी चाहिए कि कुदरती आपदा कुछ नहीं होती. यह एक कुदरती घटना है जिसे आपकी व्यवस्था संभाल नहीं पाती.”
क्या भविष्य में भी ऐसा होगा?
भूगर्भ विज्ञानी कहते हैं कि भूकंप का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. यूएसजीएस के गैविन हेज कहते हैं, "हम इतना जानते हैं कि ऐसा भूकंप अगली दरार में भी ऐसी ही हलचल पैदा कर सकता है. और ऐसी हलचल कम तैयार जगहों पर भारी तबाही मचा सकती है.”
हैती में भूकंप-रोधी इमारतों का निर्माण एक चुनौती है. पश्चिमी गोलार्ध के इस सबसे गरीब देश के पास इतने संसाधन भी नहीं हैं. अभी तो देश पिछले भूकंप की तबाही से भी नहीं उबरा है. 2016 के चक्रवात मैथ्यू ने भी हैती को काफी नुकसान पहुंचाया था. फिर पिछले महीने देश के राष्ट्रपति की हत्या हो गई, जिससे वहां राजनीतिक कोलाहल भी मचा है.
नॉर्दन इलिनोई यूनिवर्सिटी में मानवविज्ञानी प्रोफेसर मार्क शूलर कहते हैं, "हैती में तकनीकी ज्ञान है. प्रशिक्षित आर्किटेक्ट हैं. नगरयोजना बनाने वाले हैं. वहां समस्या नहीं है. समस्या है धन की और राजनीतिक इच्छाशक्ति की.”
वीके/सीके (एपी)