अंतरराष्ट्रीय
बीजिंग, 16 अगस्त | वर्ष 2001 में अमेरिका ने आतंकवादी संगठन को खत्म करने के उद्देश्य से अफगानिस्तान में प्रवेश किया। इसके बाद अफगानिस्तान की राजनीतिक स्थिति लंबे समय तक अस्थिर रही। जो बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद इस मुसीबत को छोड़ने के लिये अमेरिकी सेना जल्द से अफगानिस्तान से हट गयी, जिसने अफगान जनता के लिये एक बड़ा सुरक्षा जोखिम पैदा किया। हाल ही में अफगानिस्तान की स्थिति निरंतर रूप से बिगड़ रही है।
हालांकि 18 जुलाई को अफगान सरकार ने तालिबान के साथ कतर की राजधानी दोहा में शांति वार्ता की और दोनों ने उच्च स्तरीय शांति वार्ता करने और वार्ता की प्रक्रिया को तेज करने पर सहमति प्राप्त की, लेकिन वार्ता अफगान स्थिति को शिथिल करने में असफल रही। अफगान सरकारी सेना और तालिबान के बीच पश्चिम व दक्षिण अफगानिस्तान के तीन बड़े शहरों में भीषण लड़ाई हुई। 15 अगस्त तक तालिबान ने पूरे देश के अधिकांश शहरों का कब्जा कर लिया है।
गौरतलब है कि अफगान युद्ध का समय अमेरिका के इतिहास में सबसे लंबा है। इस युद्ध में न सिर्फ अमेरिका ने बहुत ज्यादा खर्च किया, बल्कि अफगानिस्तान की राजनीतिक स्थिति भी निरंतर रूप से अस्थिर बनी। अमेरिका के हस्तक्षेप से अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति में स्पष्ट रूप से सुधार नहीं हुआ। हिंसक घटनाएं बार-बार सामने आयीं, जिसमें कई बेगुनाह अफगान नागरिक मारे गए।
अफगानिस्तान स्थित संयुक्त राष्ट्र सहायता दल द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में कुल 8,820 अफगान बेगुनाह हिंसक संघर्षों में मारे गये। केवल वर्ष 2021 की पहली छमाही में अफगान आम लोगों में मृतकों की संख्या बढ़कर 1,659 तक पहुंच गयी जबकि अन्य 3,254 लोग घायल हुए हैं। हताहतों की संख्या गत वर्ष की इसी अवधि से 47 प्रतिशत अधिक रही।
साथ ही संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने भी यह कहा था कि अफगानिस्तान में 30 लाख बच्चों समेत 60 लाख लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है।(आईएएनएस)