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ग्रीनलैंड में बर्फ की चादर पर पहली बार हुई बारिश
24-Aug-2021 6:46 PM
ग्रीनलैंड में बर्फ की चादर पर पहली बार हुई बारिश

ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर में सबसे ऊंचे स्थान पर पहली बार बारिश हुई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि कई घंटों तक हुई इस बारिश का कारण जलवायु परिवर्तन ही हो सकता है.

(dw.com)  

अमेरिका के स्नो ऐंड आइस डाटा सेंटर के मुताबिक बारिश 14 अगस्त को बर्फ में 3,000 मीटर से भी ज्यादा की ऊंचाई पर कई घंटों तक हुई. बारिश के होने के लिए तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से ऊपर या बस थोड़ा सा नीचे होना चाहिए.

ग्रीनलैंड में बारिश का होना इस बात का संकेत है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बर्फ की चादर को बढ़ते हुए वैश्विक तापमान से कितना खतरा है. डेनिश मीटियोरोलॉजिकल इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता मार्टिन स्टेंडल का कहना  है,"यह एक एक्सट्रीम घटना है क्योंकि मुमकिन है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ हो. संभव है कि यह ग्लोबल वॉर्मिंग का एक संकेत हो."

असाधारण घटना

उन्होंने बताया कि पिछले 2,000 सालों में बर्फ की चादर पर सिर्फ नौ बार तापमान हिमांक बिंदु से ऊपर बढ़ा है. इनमें से तीन बार तो ऐसा सिर्फ पिछले 10 सालों में ही हुआ है, लेकिन 2012 और 2019 में जब पिछली बार ऐसा हुआ था तब बारिश नहीं हुई थी.

स्टेंडल ने कहा,"हम यह साबित नहीं कर पाए हैं कि उसके पहले बाकी छह बार बारिश हुई थी या नहीं लेकिन इसकी संभावना कम ही है. इस वजह से यह जो बारिश हमने देखी है वो और ज्यादा असाधारण है."

बारिश गर्मियों के ऐसे मौसम के बाद आई जिस दौरान ग्रीनलैंड में नए रिकॉर्ड बनाने वाला 20 डिग्री से ज्यादा तापमान देखा गया. गर्मी की इस लहर के बीच बर्फ की चादर के पिघलने की रफ्तार और बढ़ गई है. चादर का पिघलना कई दशकों पहले शुरू हुआ था लेकिन 1990 में इसकी रफ्तार बढ़ने लगी.

कोलंबिया विश्वविद्यालय की लामों-डोहर्टी अर्थ ऑब्जर्वेटरी की ग्लेशियोलॉजिस्ट इन्द्राणी दास का कहना है,"यह बर्फ की चादर के लिए अच्छा संकेत नहीं है. बर्फ पर पानी बुरा होता है...उससे बर्फ की चादर का पिघलना और बढ़ जाता है."

क्यों बुरी है बारिश

पानी ना सिर्फ बर्फ के मुकाबले गर्म होता है, वो और गहरे रंग का भी होता है जिसकी वजह से वो सूरज की रोशनी को प्रतिबिंबित करने की जगह उसे ज्यादा सोख लेता है. बर्फ के पिघलने से जो पानी निकल रहा है वो समुद्र में बह रहा है जिसे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है.

ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर का क्षेत्रफल फ्रांस के कुल क्षेत्रफल से भी तीन गुना ज्यादा बड़ा है. इसमें इतना पानी है कि इसके पिघलने से पूरी दुनिया में समुद्र का स्तर सात मीटर तक बढ़ सकता है.

बर्फ के पिघलने से वैज्ञानिक चिंतित हैं क्योंकि आर्कटिक की बर्फ वैश्विक औसत से ज्यादा रफ्तार से पिघल रही है. जनवरी में छपे एक यूरोपीय अध्ययन के मुताबिक, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के पिघलने से समुद्र का स्तर साल 2100 तक 10 से 18 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है. यह रफ्तार पिछले अनुमान से 60 प्रतिशत ज्यादा तेज है.

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पहले ही ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के पिघलने से निकले हुए पानी ने पिछले कुछ दशकों में दुनिया में समुद्र के स्तर के बढ़ने में 25 प्रतिशत योगदान दिया है. वैश्विक तापमान के बढ़ने से इस योगदान के और बढ़ने की संभावना है. (dw.com)

सीके/वीके (एएफपी/रॉयटर्स)

 

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