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रूस पर प्रतिबंधों से भारत को हो सकता है बड़ा फायदा, वेनेजुएला में फंसे 420 मिलियन डॉलर मिलने की उम्मीद बढ़ी
13-Mar-2022 9:37 AM
रूस पर प्रतिबंधों से भारत को हो सकता है बड़ा फायदा, वेनेजुएला में फंसे 420 मिलियन डॉलर मिलने की उम्मीद बढ़ी

रूस-यूक्रेन जंग और पश्चिमी देशों के रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बीच भारत के लिए एक अच्छी खबर आ रही है. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौर में लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारत की सरकारी कंपनी का कुछ पैसा दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला में फंस गया था, जो अब वापस मिल सकता है. इस वक्त पूरी दुनिया का ध्यान रूस पर है, उसने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला कर दिया था. जिसके बाद से उसपर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं. जबकि अमेरिका दूसरे देशों पर लगाए गए इन्हीं प्रतिबंधों में ढिलाई करने की सोच रहा है.

रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों के बीच भारत ने अमेरिका के साथ अपनी कूटनीतिक वार्ताओं को तेज कर दिया है, ताकि वेनेजुएला में उसकी कंपनी की बकाया राशि जारी हो सके. भारत की दूसरी बड़ी तेल और गैस कंपनी ONGC विदेश के सीईओ ने बताया कि भारत, अमेरिका के विदेश मंत्रालय के साथ इस मसले पर बातचीत कर रहा है. ताकि कंपनी को वेनेजुएला के तेल कार्गो के व्यापार से पिछले कर्जों का निपटारा किए जाने की अनुमति मिल सके. अमेरिका के वेनेजुएला पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण ये पैसा फंसा हुआ है.

मिल सकते हैं 420 मिलियन डॉलर
सूत्रों का कहना है कि अमेरिका अब उन प्रतिबंधों में ढिलाई कर सकता है, जिससे ओएनजीसी की विदेशी शाखा ओवीएल को उसके 420 मिलियन डॉलर वापस मिल सकें. जो कुछ सालों से फंसे हुए हैं. 8 मार्च को बाइडेन प्रशासन ने रूस के तेल, गैस और कोयले के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था. ऐसे में अब माना जा रहा है कि इन सभी जरूरी चीजों के आयात के लिए अमेरिका रूस को भुलाकर दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला का रुख कर सकता है. अमेरिका ने जब से वेनेजुएला पर प्रतिबंध लगाए हैं, तभी से वहां से आयात बंद किया हुआ है.

ट्रंप कार्यकाल में लगे थे प्रतिबंध
साल 2017 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने OPEC के दो बड़े सदस्य देशों- वेनेजुएला और ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए थे. वेनेजुएला पर प्रतिबंध लगाए जाने के पीछे का कारण वहां के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सत्ता से बेदखल करना था. जबकि ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए गए थे. जिसके चलते भारत ने बड़े स्तर पर 2019 में वेनेजुएला से तेल आयात में कटौती की. उसने ईरान से भी तेल खरीदना बंद कर दिया.

अमेरिका और वेनेजुएला के बीच बातचीत
अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने वेनेजुएला की राजधानी काराकास में वहां के अधिकारियों से मुलाकात की है. ये बैठक दो घंटे तक चली. हालांकि इसमें किन मुद्दों पर चर्चा हुई, ये स्पष्ट नहीं किया गया है. इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस ने वाशिंगटन डीसी में एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा था कि अधिकारियों ने काराकास का दौरा कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए किया था. जिसमें ‘ऊर्जा सुरक्षा’ के साथ-साथ देश (वेनेजुएला) में 9 अमेरिकी नागरिकों को जेल में रखे जाने का विषय शामिल है.

मादुरो ने पुतिन के प्रति समर्थन जताया
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जुआन गोंजलेज ने किया. जो व्हाइट हाउस में लातिन अमेरिकी मामलों के टॉप सलाहकार हैं. उनके साथ वेनेजुएला में अमेरिकी राजदूत जेम्स स्टोरी भी थे. अधिकारियों ने वेनेजुएला का दौरा ऐसे वक्त पर किया है, जब यूक्रेन युद्ध के कारण दुनियाभर के देश रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं. अमेरिका ने 2019 में इस दक्षिण अमेरिकी देश से रिश्ता तोड़ लिया था. हालांकि राष्ट्रपति मादुरो ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को आश्वस्त किया है कि वह यूक्रेन मामले में उनका समर्थन कर रहे हैं.

कच्चे तेल के व्यापार पर लगाए थे प्रतिबंध
अमेरिका ने मादुरो को सत्ता से हटाने के लिए इस देश पर तमाम प्रतिबंध लगाए थे, जिसमें देश को अमेरिकी बाजार में अपने कच्चे तेल के व्यापार से रोकना भी शामिल है. वेनेजुएला के राजस्व का 96 फीसदी हिस्सा तेल के व्यापार से ही आता है. अमेरिका ने मादुरो की सरकार से बातचीत करने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और विपक्षी नेता जुआन गाइदो को देश का वैध राष्ट्रपति बताया, साथ ही अमेरिका उन्हें नेता के रूप में मान्यता देने वाले 60 देशों में से एक है.

प्रतिबंध नीति की समीक्षा करेगा अमेरिका
फरवरी 2022 में (बाइडेन सरकार) अमेरिका ने संकेत दिया था कि वह अपनी प्रतिबंध नीति की समीक्षा करने के लिए तैयार है, केवल तभी जब मादुरो की सरकार और विपक्ष के बीच वार्ता आगे बढ़े. वहीं भारत की बात करें, तो वह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है. जो एक ही देश से तेल ना लेकर दूसरे देशों से भी लेना चाहता है, ताकि उसका आयात बिल कम हो सके और विदेशी मुद्रा बचाने के लिए सस्ता तेल खरीद सके.

अमेरिका से मंजूरी मिलना जरूरी
ईरान और वेनेजुएला पर लगे प्रतिबंधों के कारण प्रति दिन 30 लाख बैरल (बीपीडी) या विश्व आपूर्ति का 3 प्रतिशत तक तेल अवरुद्ध हो गया है. इस बीच अब भारत ने अमेरिका के माध्यम से वेनेजुएला से अपना बकाया वसूल करने के लिए अनुरोध किया है. अमेरिका में विदेश विभाग और भारतीय दूतावास इस मामले में चर्चा कर रहे हैं. वेनेजुएला से किसी भी तरह का बकाया पैसा लेने के लिए अमेरिका की मंजूरी काफी जरूरी है. अब देखना ये होगा कि अमेरिका कब तक इसपर हामी भरता है और भारत को उसका पैसा वापस मिल पाता है.(tv9hindi.com)

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