अंतरराष्ट्रीय
भारत के दो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और श्रीलंका राजनीतिक संकट से जूझ रहे हैं. पाकिस्तान में शनिवार को प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ नेशनल असेंबसली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोट होगा.
वहीं दूसरी ओर श्रीलंका में जारी भयंकर आर्थिक संकट ने देश को राजनीतिक संकट की ओर धकेल दिया.
अंग्रेजी अख़ाबर द हिंदू में छपी ख़बर के मुताबिक़, श्रीलंका के नेता प्रतिपक्ष सजिथ प्रेमदासा ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह अपने पद से इस्तीफ़ा नहीं देते हैं तो वह राजपक्षे सरकार के खिलाफ़ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे.
श्रीलंका अब तक के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है. देश में ईंधन, खाने के सामान, बिजली और आवश्यक दवाओं की भारी किल्लत है. देश भर में बिजली की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, इसलिए आम लोगों को कई-कई घंटों तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ा रहा है.
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के ख़िलाफ़ देश की सड़कों पर आम लोगों का प्रदर्शन दिन-प्रति-दिन तेज़ होता जा रहा है.
प्रदर्शनकारी गोटाबाया के इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं. जनता के ग़ुस्से को देखते हुए बीते सप्ताह श्रीलंका की पूरी कैबिनेट ने इस्तीफ़ा दे दिया था. लेकिन बढ़ते जन आक्रोश के बावजूद राष्ट्रपति गोटाबाया और उनके भाई और देश के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे अब तक पद पर बने हुए हैं.
देश की विपक्षी पार्टी ने गोटाबाया राजपक्षे के उस प्रस्ताव को भी ख़ारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने विपक्षी पार्टियों के नेताओं को सरकार में शामिल होन का न्योता दिया था.
अख़बार कहता है कि श्रीलंका की आर्थिक स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की रिपोर्ट को लेकर हो रहे एक स्थगन बहस के दौरान संसद में अपनी बात कहते हुए समागी जाना बालवेगया पार्टी यानी एसबीजे के नेता प्रेमदासा राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को सीधे संबोधित करते हुए कहा- "या तो नेतृत्व करें, या फिर हट जाएं."
राजपक्षे गोटाबाया के इस्तीफ़े की मांग को दोहराते हुए उन्होंने देश की एक्ज़ेक्युटिव प्रेजिडेंसी को रद्द करने की मांग की.
लेकिन राष्ट्रपति गोटाबाया को पद से हटाना मौजूदा समय में विपक्ष के लिए इतना भी आसान नहीं है.
एसजेबी के पास 54 सीटें हैं, यहाँ तक कि विपक्ष में बैठे अन्य सभी दलों के समर्थन के साथ गोटाबाया राजपक्षे के ख़िलाफ़ सिर्फ़ 70 वोट ही जुटाए जा सकेंगे. 225 सदस्यीय सदन में विश्वास मत पारित करने के लिए विपक्ष को सरकार के 42 सांसदों के समर्थन की ज़रूरत होगी. (bbc.com)