अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान: शनिवार रात इमरान ख़ान के आवास पर आख़िर क्या-क्या हुआ?
10-Apr-2022 1:57 PM
पाकिस्तान: शनिवार रात इमरान ख़ान के आवास पर आख़िर क्या-क्या हुआ?

-आसिफ़ फ़ारूक़ी

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव के हंगामे के बीच शनिवार की रात पीएम आवास में असामान्य हचलच देखी गई.

इस दौरान कुछ ऐतिहासिक फ़ैसले और घटनाएं हुईं जिन्हें कैमरे में कैद किया गया, हालांकि, ज़्यादातर गतिविधियां बंद कमरों में ही हुईं.

शनिवार को पूरे दिन संसद भवन गहमागहमी का केंद्र रहा, कभी भाषण होते, तो कभी सत्र स्थगित करके सरकार के सदस्य, विपक्षी सदस्य और नेशनल असेंबली स्पीकर के बीच बातचीत होती.

लेकिन शाम को जब नेशनल असेंबली का सत्र इफ़्तार के लिए स्थगित किया गया, तो अचानक से देश का प्रधानमंत्री आवास गतिविधि का केंद्र बन गया.

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपने क़ानूनी और राजनीतिक सलाहकारों, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर और कुछ नौकरशाहों के साथ संघीय कैबिनेट की एक आपातकालीन बैठक बुलाई.

देर रात उतरा हेलीकॉप्टर
कैबिनेट की बैठक में कुछ अधिकारियों को कथित केबल दिखाने की मंज़ूरी दी गई, जिसके बारे में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का कहना था, कि उनकी सरकार को गिराने के लिए अमेरिकी साजिश के बारे में जानकारी है.

इस बीच नेशनल असेंबली के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर भी प्रधानमंत्री आवास पहुंचे लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय के बगल वाले लाउंज में इंतज़ार करने को कहा गया.

इस बीच दो बिन बुलाए मेहमान भी असाधारण सुरक्षा और हथियारों से लैस जवानों की घेराबंदी में हेलीकॉप्टर से प्रधानमंत्री आवास पहुंचे और क़रीब 45 मिनट तक प्रधानमंत्री से अकेले में मुलाक़ात की.

फ़िलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि इस मुलाक़ात में क्या बात हुई है. हालांकि, विश्वसनीय और सरकारी सूत्रों ने, जिन्हें बाद में इस बैठक के बारे में सूचित किया गया था, उन्होंने बीबीसी को बताया कि बैठक बहुत सुखद नहीं थी.

एक घंटे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ अधिकारी को हटाने का आदेश दिया था. इसलिए इन बिन बुलाए मेहमानों का अचानक आना प्रधानमंत्री के लिए अप्रत्याशित था. इमरान ख़ान हेलीकॉप्टर का इंतज़ार तो कर रहे थे, लेकिन इस हेलीकॉप्टर के यात्रियों के बारे में उनका अनुमान और उम्मीदें पूरी तरह ग़लत साबित हुईं.

सूत्रों ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री उम्मीद कर रहे थे, कि उनके नवनियुक्त अधिकारी इस हेलीकॉप्टर से प्रधानमंत्री आवास पहुंचेंगे और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद संसद भवन में उठा शोर शांत हो जाएगा.

शायद ऐसा हो भी जाता, लेकिन समस्या यह हुई कि इस उच्च स्तर की बर्ख़ास्तगी के लिए जो क़ानूनी दस्तावेज़ (अधिसूचना) रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी होने चाहिए थ, वो जारी नहीं हो सके. इस तरह इस 'क्रांतिकारी' बदलाव की प्रधानमंत्री की कोशिश विफल हो गई.

वैसे अगर बर्ख़ास्तगी की यह प्रक्रिया प्रधानमंत्री के आदेश पर पूरी हो भी जाती, तो इसे भी अमान्य घोषित करने की व्यवस्था की जा चुकी थी.

शनिवार रात को इस्लामाबाद हाईकोर्ट के ताले खोल दिए गए और चीफ़ जस्टिस अतहर मिनाल्लाह के साथ काम करने वाले कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंचे.

बताया गया है कि हाईकोर्ट एक तत्काल याचिका पर सुनवाई करने वाला था, जिसमें अदनान इक़बाल एडवोकेट ने एक सामान्य नागरिक के रूप में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान द्वारा सेना प्रमुख को हटाने की 'संभावित' अधिसूचना को अदालत में चुनौती दी थी.

इस याचिका में कहा गया था, कि इमरान ख़ान ने राजनीतिक और व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए, सेना प्रमुख को हटाने की सिफ़ारिश की है. याचिका में कोर्ट से दरख़्वास्त की गई कि अदालत इस आदेश को जनहित में अमान्य घोषित करे.

यहां यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि यह याचिका तैयार तो कर ली गई थी, लेकिन इसमें सेना प्रमुख को हटाने के लिए अधिसूचना संख्या के स्थान को खाली छोड़ दिया गया था. इसका कारण यह था कि प्रधानमंत्री की इच्छा के बावजूद यह अधिसूचना जारी नहीं की जा सकी और इस तरह इस याचिका पर सुनवाई की नौबत ही नहीं आई. (bbc.com)

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