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सहारनपुर हिंसा: सबूतों के अभाव में जेल से रिहा हुए सात अभियुक्त, पुलिस ने बताया 'निर्दोष'
04-Jul-2022 7:05 PM
सहारनपुर हिंसा: सबूतों के अभाव में जेल से रिहा हुए सात अभियुक्त, पुलिस ने बताया 'निर्दोष'

-अनंत झणाणें

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 10 जून को जुमे की नमाज़ के बाद हुई हिंसा में गिरफ़्तार किए गए आठ अभियुक्तों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. इनमें से सात रिहा हो गए हैं.

सहारनपुर पुलिस ने इनके ख़िलाफ़ दंगे में शामिल होने का कोई सबूत नहीं पाया और अदालत में अर्ज़ी दी कि इन्हे सबूतों के आभाव में रिहा कर दिया जाए.

बीबीसी से इस बात की पुष्टि इन अभियुक्तों के वकील बाबर वसीम और थाना कोतवाली के एसएचओ अशोक सोलंकी ने फ़ोन पर की.

कोर्ट के आदेश के मुताबिक़ अभियुक्त अली, आसिफ़, मोहम्मी, गुलफ़ाम, मेहराज, फुरक़ान, सुभान और अब्दुस समद को 50-50 हज़ार के बॉन्ड पर रिहा किया गया है और अदालत को जब भी ज़रूरत होगी तो वो कोर्ट के सामने पेश होंगे.

फ़िलहाल इन आठों में से सिर्फ़ 7 रिहा हुए हैं. अभी मेहराज की रिहाई काग़ज़ी करवाई में गलतियों की वजह से उनका नाम महाराज लिख दिया गया तो इसलिए रिहाई नहीं हो पाई.

क्या है पुलिस का कहना?
सहारनपुर के एडिशनल एसपी राजेश कुमार ने इस बात की पुष्टि की कि 10 जून की हिंसा की घटना के मामले में, "8 लोगों के रिहाई की आदेश हुए हैं."

उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि पुलिस द्वारा कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 169 के तहत अर्ज़ी दी गयी. राजेश कुमार कहते हैं, "उनको लोगों ने सबूत दिए की हमारे लोग इस घटना में शामिल नहीं है. उसे हमारे लोगों ने जांचा और सीसीटीवी फुटेज मिलाया गया. तो पता लगा की उस दिन घटना के वक्त वो कहीं और थे. तो निर्दोष आदमी को रिहा किया."

कोर्ट ने यह आदेश शुक्रवार को दिया और शनिवार सुबह आठ में से साथ की रिहाई हुई है.

तो क्या ऐसे सबूत पुलिस को इन 8 लोगों के अलावा दूसरे गिरफ़्तार किए गए अभियुक्तों के ख़िलाफ़ भी मिले हैं? इस बारे में एडिशनल एसपी राजेश कुमार ने कहा कि, "हमें लगता है कि जितने एप्लीकेशन आए थे आ गए हैं."

बीबीसी ने इस बारे में और जानकारी सहारनपुर के एसएसपी आकाश तोमर और डीआईजी सुधीर कुमार से जानने की कोशिश की.

एसएसपी आकाश तोमर ने मैसेज का जवाब देते हुए कहा कि उनका तबादला हो चुका है. डीआईजी से बात हुई लेकिन उन्होंने सोमवार को इस बारे में ज़्यादा जानकारी देने के बारे में कहा.

इन आठों को छोड़ने का आदेश पुलिस द्वारा दाखिल सीआरपीसी की धरा 169 के तहत सबूतों की कमी के वजह से हुआ.

इस बारे में और बीबीसी को और जानकारी इन लोगों के वकील बाबर वसीम ने देते हुए कहा, "ऐसे मामलों में अगर अभियुक्तों के ख़िलाफ़ कोई अपराध नहीं पाया जाता है तो पुलिस कोर्ट में एक रिपोर्ट दाखिल करती है कि यह आदमी ग़लत चला गया है, यह मुल्ज़िम नहीं है और इसे तुरंत रिहा किया जाए."

उनके मुताबिक़ यह रिपोर्ट कोर्ट में आदेश आने के चार दिन पहले ही दाखिल हो गयी थी और रिहाई का आदेश शुक्रवार को पारित हुआ.

आपको याद दिला दें कि सहारनपुर से संदिग्ध दंगाइयों को पुलिस हिरासत में पिटाई का एक वायरल वीडियो भी सामने आया था. तो क्या इन आठ लोगों में से कोई ऐसा कोई है जिसके साथ इस वीडियो में मार पीट होते दिख रही हैं?

इनके वकील वसीम बाबर का दावा है कि, "रिहा होने वालों में से चार ऐसे हैं जो उस वायरल वीडियो में नज़र आ रहे हैं. एक अली है, एक मेहराज है, एक सुभान है और अब्दुल समद है."

जब बीबीसी ने यह सवाल एडिशनल एसपी राजेश कुमार से पुछा के किया यह चारों इस वायरल वीडियो में भी थे जिसकी पुलिस जांच कर रही हैं तो उन्होंने कहा, "ऐसा कुछ नहीं है. इन सभी की रिहाई पुलिस के प्रयासों से हुई है."

वसीम बाबर कहते हैं, "रिहा होने वाले लोगों के पास 'प्ली ऑफ़ एलीबाई' याने अन्यत्र उपस्थिति का सबूत था. और दूसरी चीज़ यह थी कि घटना के दिन इन्हे तीन बजे पुलिस ने गिरफ़्तार दिखाया है. मतलब यह तीन बजे तक पुलिस की हिरासत में थे. हमने सबूत दिखाया कि पांच बजे अली, सुभान और एक और अभियुक्त स्कूटर ख़रीद रहे हैं. सुज़ूकी शो रूम से उनकी फुटेज ली गई. तो यह तो हो नहीं सकता है कि जो आदमी शाम के पांच बजे स्कूटर ख़रीद रहा है वो तीन बजे गिरफ़्तार हो गया हो."

तो क्या ऐसे और भी मामले हैं?
वकील वसीम बाबर का कहना है, "जिन लोगों से जुड़े हमारे पास सबूत थे उनकी हमने अर्ज़ी लगाई थी. बाकी तकरीबन सब की बेल अर्ज़ियाँ दाखिल की हैं."

सहारनपुर में हुए हिंसा के मामले में पुलिस ने 108 संदिग्ध दंगाइयों को गिरफ़्तार किया था.

आपको यह भी बता दें कि रिहा हुए इन लोगों में से कुछ के परिवार वालों को घर का नक्शा पास न होने के कारण घर गिराने के लिए कारण बताओं नोटिस भी जारी हुए हैं. उनके परिवार वालों का दावा है कि उन्होंने इन नोटिस के जवाब सहारनपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी को लिखित में दिए हैं लेकिन अभी मामले में कोई सुनवाई की तारीख़ तय नहीं हुई है. (bbc.com)

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