राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 27 जुलाई | तृणमूल कांग्रेस , राष्ट्रवादी कांग्रेस और डीएमके ने बुधवार को लोक सभा में निलंबित किए गए कांग्रेस के चार सांसदों का मुद्दा उठाते हुए इनके निलंबन को वापस लेकर इन्हें सदन में बुलाने की मांग की। विपक्षी दलों की मांग पर सरकार की तरफ से यह कहा कि अगर स्पीकर इसके लिए तैयार हैं तो सरकार को कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन क्या ये दल इस बात की गारंटी लेने के लिए तैयार हैं कि ये सांसद तख्तियां लेकर वेल में नहीं आएंगे, स्पीकर के मुहं पर तख्तियां नहीं लहरायेंगे। सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर टीएमसी और डीएमके के सांसदों ने लोक सभा से वॉकआउट कर दिया। 2 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होती ही राष्ट्रवादी कांग्रेस की नेता सुप्रिया सुले और तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि सरकार यह कह चुकी है कि वह चर्चा के लिए तैयार है, हम भी चर्चा चाहते हैं। कांग्रेस के निलंबित सांसदों को वापस बुलाकर चर्चा शुरू की जाए, अब कोई वेल में नहीं जाएगा। डीएमके सांसद ए राजा ने यह कहते हुए कांग्रेस सांसदों के निलंबन को वापस लेने की मांग की कि प्लेकार्ड लहराना इस सदन के लिए कोई नया नहीं है।
सरकार की तरफ से जवाब देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा सरकार पहले दिन से चर्चा को तैयार है। अगर स्पीकर इसके लिए (निलंबन वापसी) तैयार हैं तो सरकार को कोई ऐतराज नहीं है लेकिन क्या ये दल इस बात की गारंटी लेने के लिए तैयार हैं कि ये सांसद तख्तियां लेकर वेल में नहीं आएंगे, स्पीकर के मुहं पर तख्तियां नहीं लहरायेंगे। उन्होंने कहा कि ये चारों निलंबित सांसद कांग्रेस के हैं, इस बात की गारंटी कौन लेगा कि ये निलंबन वापसी के बाद ये सांसद वेल में नहीं आएंगे, तख्तियां नहीं लहरायेंगे। सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर टीएमसी और डीएमके के सांसदों ने लोक सभा से वॉकआउट कर दिया।
दरअसल, लोक सभा में तख्तियां लहराने और वेल में आकर नारेबाजी करने के लिए 25 जुलाई को कांग्रेस के चार सांसदों -माणिक टैगोर,एस. ज्योतिमणि, टीएन प्रथापन और राम्या हरिदास को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था।(आईएएनएस)