खेल
ARSHAD NADEEM
-अब्दुल रशीद शकूर
पाकिस्तान के स्पोर्ट्स कल्चर में, जहाँ हर बात क्रिकेट से शुरू होकर क्रिकेट पर ही ख़त्म हो जाती है और क्रिकेटर्स को ही स्टार का दर्जा मिलता है, वहां अन्य खेल दूसरे दर्जे के हो जाते हैं.
हॉकी में अब हसन सरदार और शाहबाज़ अहमद नहीं रहे, जिनके जादुई खेल की दुनिया दीवानी थी और स्क्वैश कोर्ट से जहांगीर ख़ान और जान शेर ख़ान की जीत की ख़बरें भी आना बंद हो गई हैं.
अतीत की यादों को ताज़ा करने के लिए एथलेटिक्स भी है, जिसमें अब्दुल ख़ालिक़, मोहम्मद इक़बाल, मोहम्मद नवाज़, ग़ुलाम राज़िक़, मुबारक शाह और मोहम्मद यूनिस के कारनामे सुन कर दिल ख़ुश हो जाता था, लेकिन अब पाकिस्तान के एथलेटिक्स को एक नया चेहरा मिल गया है, जिसने ट्रैक एंड फ़ील्ड की दुनिया में पाकिस्तान को एक नए अंदाज़ में पेश किया है.
अरशद नदीम आज पाकिस्तान के हर घर में चर्चा का विषय हैं. हर घर में उनके ही चर्चे हैं. सिर्फ़ पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी उनकी चर्चा हो रही है.
पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान और मशहूर बल्लेबाज़ बाबर आज़म इस समय पाकिस्तान में सबसे ज़्यादा ध्यान खींचने वाले खिलाड़ी हैं, जिनके प्रशंसक दुनिया भर में हैं, लेकिन सोचिए अरशद नदीम की उपलब्धि कितनी बड़ी है कि बाबर आज़म भी उनकी तारीफ़ किए बिना नहीं रह सके.
दुनिया भर से मिले बधाई संदेशों में भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा भी प्रमुख हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "अरशद भाई गोल्ड मैडल और नए गेम्स (कॉमनवेल्थ) रिकार्ड के साथ 90 मीटर की दूरी पार करने के लिए मुबारकबाद. आगे के कॉम्पीटिशन के लिए शुभकामनएं."
अरशद नदीम के बारे में यह कहना ग़लत होगा कि उनकी चर्चा सिर्फ़ इसलिए हो रही है, क्योंकि वह राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहे, बल्कि वह पिछले दो साल से दुनिया की नज़रों में हैं और उनकी इस यात्रा में एक अजीब आकर्षण है जो सभी को अपनी तरफ़ खींचता है.
सवाल यह उठता है कि आख़िर अरशद नदीम में ऐसा क्या है कि उन्होंने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया हुआ है और हर कोई उनके बारे में ही बात कर रहा है.
अरशद नदीम पिछले छह वर्षों से अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबलों में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, लेकिन साल 2019 तक वह सुर्ख़ियों में नहीं आए थे.
साल 2016 में, भारत के गुवाहाटी में आयोजित हुए दक्षिण एशियाई खेलों में उन्होंने कांस्य पदक जीता था, और अगले वर्ष बाकू में आयोजित हुए इस्लामिक खेलों में भी वह तीसरे स्थान पर रहे थे.
साल 2018 के एशियाई खेलों में उन्होंने कांस्य पदक जीता था, लेकिन उसी साल गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में वो आठवें स्थान पर रहे थे.
अरशद नदीम के कैरियर का टर्निंग पॉइंट साल 2019 में नेपाल में आयोजित दक्षिण एशियाई खेलों में आया, जहां उन्होंने 86.29 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर न केवल उन खेलों में एक नया रिकॉर्ड बनाया, बल्कि वो टोक्यो ओलंपिक के लिए भी क्वालिफ़ाई करने में सफल हो गए थे.
पाकिस्तान के एथलेटिक्स इतिहास में यह पहली बार था कि किसी एथलीट ने ओलंपिक के लिए सीधे क्वालीफ़ाई किया, क्योंकि इससे पहले हाल के वर्षों में पाकिस्तान के एथलीटस वाइल्ड कार्ड एंट्री के माध्यम से ही ओलंपिक में शामिल होते रहे हैं.
ओलंपिक से पहले, अरशद नदीम ने ईरान में एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 86.38 मीटर के साथ अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड बेहतर किया था.
टोक्यो ओलंपिक में, वह 84.62 मीटर से आगे नहीं जा सके और उन्हें पांचवें स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था, लेकिन वह यह संकेत दे चुके थे, कि आने वाले मुक़ाबलों में वो अपने प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देने की स्थिति में होंगे.
कोहनी का दर्द कितना ख़तरनाक है?
कोहनी की चोट के कारण टोक्यो ओलंपिक के बाद का समय अरशद नदीम के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं बीता, साथ ही, घुटने के दर्द ने भी उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया.
कोहनी की इस चोट के कारण अरशद नदीम कई बड़े इवेंट में हिस्सा नहीं ले सके, लेकिन उन्होंने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप, वर्ल्ड चैंपियनशिप और इस्लामिक गेम्स के बारे में सोच लिया था, कि वह इन तीनों इवेंट्स में हिस्सा लेंगे.
कोहनी की चोट के कारण वह पिछले महीने अमेरिका में हुई विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पांचवें स्थान पर रहे थे. उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो 86.16 मीटर था.
उनके दोस्त और पारम्परिक प्रतिद्वंद्वी भारत के नीरज चोपड़ा इस इवेंट में रजत पदक जीतने में सफल रहे थे. उस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही था कि वह कोहनी के दर्द के साथ कॉमनवेल्थ गेम्स में कैसे हिस्सा ले पाएंगे.
बीबीसी उर्दू को दिए एक इंटरव्यू में अरशद नदीम ने ख़ुद कहा था कि एक समय उन्हें भी ऐसा लग रहा था कि शायद उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स छोड़ना पड़ेगा.
अतीत में हम यह देख चुके हैं कि कई बड़े बड़े एथलीट्स और खिलाड़ियों के कैरियर फिटनेस समस्या और चोट के कारण समय से पहले ख़त्म हो चुके हैं.
इस मायने में, अरशद नदीम अपने कैरियर के अहम मोड़ पर हैं जहाँ उन्हें अपनी कोहनी और घुटने के इलाज के लिए अच्छे डॉक्टरों से परामर्श लेना होगा.
बिना कोच के स्वर्ण पदक
अरशद नदीम पाकिस्तान स्पोर्ट्स की उस व्यवस्था का हिस्सा हैं जहां खिलाड़ियों को दी जाने वाली ट्रेनिंग और सुविधाएं हमेशा सवालों के घेरे में रहती हैं.
अरशद नदीम मियां चिन्नू के एक छोटे से गांव से निकल कर आये हैं. उन्हें कोच राशिद अहमद साक़ी ने जेवलिन थ्रो सिखाया और क्षेत्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में उनकी भागीदारी सुनिश्चित कराना जारी रखा.
इसके बाद, जब वे 'वापडा' में आए, तो वहां उनकी मुलाक़ात कोच फ़ैयाज़ बुख़ारी से हुई, जो पिछले आठ वर्षों से उनकी ट्रेनिंग और कोचिंग करा रहे हैं, और कोविड की स्थिति और पाकिस्तान सुपर लीग के दौरान गद्दाफ़ी स्टेडियम के आसपास के मैदान और सड़कें बंद किये जाने के बावजूद, वह अरशद नदीम की ट्रेनिंग को दूसरी जगह पर संभव बनाते रहे.
लेकिन टोक्यो ओलंपिक से लौटने के बाद, फ़ैयाज़ बुख़ारी को आश्चर्यजनक रूप से अरशद नदीम की ट्रेनिंग से हटा दिया गया था, हालांकि राष्ट्रमंडल खेलों के लिए फ़ैयाज़ बुख़ारी की एक्रीडिटेशन प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी.
अरशद नदीम को ट्रेनिंग के लिए दक्षिण अफ्रीका भेजा गया था लेकिन दो महीने से भी कम समय में यह ट्रेनिंग किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता की तैयारी के लिए अपर्याप्त थी.
इस समय पाकिस्तान ओलंपिक एसोसिएशन, पाकिस्तान एथलेटिक्स फ़ेडरेशन और पाकिस्तान स्पोर्ट्स बोर्ड के त्रिपक्षीय रस्साकशी की वजह से अरशद नदीम और उनके जैसे कई खिलाड़ी अनिश्चितता का शिकार हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वो किसकी ओर देखें.
पाकिस्तान ओलंपिक एसोसिएशन ने एथलेटिक्स फ़ेडरेशन को निलंबित कर दिया है, जबकि पाकिस्तान स्पोर्ट्स बोर्ड को इस बात पर कड़ी आपत्ति है कि पाकिस्तान ओलंपिक एसोसिएशन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उन खेलों को भी अपने दस्ते में शामिल कर रहा है जिनमें अच्छे परिणाम की उम्मीद नहीं है.
दूसरी ओर, स्पोर्ट्स हलकों को भी पाकिस्तान स्पोर्ट्स बोर्ड की भूमिका पर आपत्ति है कि वह खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के संबंध में अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में असमर्थ है.
ध्यान रहे कि राष्ट्रमंडल खेलों से पहले पाकिस्तान एथलेटिक फ़ेडरेशन के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अकरम शाही ने अरशद नदीम के साथ किसी कोच को न भेजने के लिए पाकिस्तान ओलंपिक एसोसिएशन को ज़िम्मेदार बताया था.
भविष्य के इरादे
अरशद नदीम ने 90.18 मीटर के थ्रो के साथ कॉमनवेल्थ गेम्स का नया रिकॉर्ड बनाया है, लेकिन वह और आगे जाना चाहते हैं.
बीबीसी से बात करते हुए, अरशद नदीम का कहना है, कि अगर कोहनी और घुटने की समस्या नहीं होती तो वह राष्ट्रमंडल खेलों में 95 मीटर तक थ्रो कर सकते थे.
अरशद नदीम का कहना है कि राष्ट्रमंडल खेलों के बाद उनकी कोशिश है कि वो विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम करें.
याद रहे कि जेवलिन थ्रो का विश्व रिकॉर्ड चेक गणराज्य के यान ज़ेलेनी के नाम है, जिन्होंने साल 1996 में जर्मनी में होने वाले मुक़ाबलों में 98.48 मीटर की दूरी पर जेवलिन थ्रो किया था. (bbc.com)