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घर-घर में मौजूद जहरीले पीफैस रसायनों को खत्म करने की दिशा में अहम सफलता
22-Aug-2022 12:01 PM
घर-घर में मौजूद जहरीले पीफैस रसायनों को खत्म करने की दिशा में अहम सफलता

पीफैस केमिकल नॉन-स्टिक बर्तनों में मौजूद होता है जिनमें रोज खाना बनता है. इन जहरीले रसायनों को खत्म करना बहुत मुश्किल है. इसलिए एक छोटी सी सफलता के भी बड़े मायने हैं.

  डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-

नई दिल्ली, 22 अगस्त । अंग्रेजी में ‘फॉरेवर केमिकल्स' कहे जाने वाले शाश्वत बने रहने वाले रसायनों को सेहत के लिए गंभीर खतरा माना जाता है. नॉन-स्टिक बर्तनों आदि में इस्तेमाल होने वाले इन रसायनों को खत्म करना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि कचरे के रूप में इनका निवारण बहुत कठिन होता है और ये काफी जहरीले होते हैं.

अमेरिका और चीन के वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने आखिरकार पीएफएएस (PFAS) नामक इन जहरीले रसायनों में से एक श्रेणी के निवारण का तरीका खोज लिया है. रसायनशास्त्रियों ने आमतौर पर प्रयोग होने वाले सामान्य यौगिकों के जरिए ही इन रसायनों के विघटन में सफलता पाई है.

साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि जलवायु, इंसानों और मवेशियों को लंबे समय से नुकसान पहुंचा रहे इन रसायनों की समस्या का संभावित हल खोज लिया गया है. शोध के लेखक नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के विलियम डिचल ने पत्रकारों को बताया, "असल में इसी वजह से मैं वैज्ञानिक हूं ताकि मैं संसार पर एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकूं.”
क्या है पीफैस?

पोलीफ्लुओरोअल्काइल सब्सटांस या पीएफएएस (PFAS) सबसे पहले 1940 के दशक में विकसित किए गए थे. तब से इनका प्रयोग लगातार बढ़ा है और अब ये घरों में रोजमर्रा की जिंदगी में प्रयोग होने वाले उत्पादों में पाए जाते हैं. नॉन-स्टिक बर्तन, वॉटर-प्रूफ कपड़े और आग बुझाने वाली झाग में तो आम दिखने वाली चीजे हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि पीएएफएस अब इतने आम हो चुके हैं कि घर की 50-60 फीसदी चीजों में मौजूद हैं.
इन रसायनों की व्यापकता के बारे में पिछले हफ्ते स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक शोध प्रकाशित किया था. इस शोध में कहा गया कि धरती पर कहीं भी बारिश का पानी पीना खतरनाक हो सकता है क्योंकि उसमें पीएफएएस होते हैं.

इनकी मौजूदगी खतरनाक क्यों है, इस बारे में विशेषज्ञ कहते हैं कि पीएफएएस हमारे शरीर में जमा होकर प्रोटीन के साथ प्रतिक्रिया करता है और कंपाउंड बनाता है. डीडब्ल्यू हिंदी से बातचीत में एक विशेषज्ञ ने बताया, "जब पीएफएएस हमारे शरीर में जाते हैं तो वे लिवर या किडनी आदि उन हिस्सों में पहुंचते हैं जहां प्रोटीन के टिश्यू होते हैं. प्रोटीन के टिश्यू में प्रतिक्रिया कर यह कॉम्पलेक्स बना देता है और बायोएक्यम्युलेशन हो जाता है, जिसके कारण यह शरीरा से निकल नहीं पाता.”
वह कहते हैं कि पीएफएएस मनुष्य के शरीर पर कितना असर डालते हैं, इसकी अभी भी पूरी जानकारी नहीं है. वह कहते हैं, "यह एक नया क्षेत्र है और दो दशक में ही इसमें ज्यादा प्रगति हुई है. इसलिए अभी पीएफएएस के असर की पूरी जानकारी नहीं है और इस बारे में अभी भी शोध हो ही रहा है लेकिन इतना कहा जा सकता है कि पीएफएएस के किडनी, लिवर और टेस्टिक्यूलर कैंसर जैसे गंभीर परिणाम देखे गए हैं. साथ ही यह रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर देता है.”
क्यों मुश्किल है खात्मा?

यूं तो पीएफएस रसायनों को पानी में से फिल्टर किया जा सकता है लेकिन उन्हें खत्म करना टेढ़ी खीर है. पीएफएएस को नष्ट करने के मौजूदा तरीके कठोर हैं. जैसे कि बहुत ऊंचे तापमान पर जलाना या अल्ट्रासोनिक किरणों द्वारा उन्हें नष्ट करना आदि इनमें शामिल हैं.

दरअसल, पीएफएएस का रसायनिक बॉन्ड इतना मजबूत है कि उसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है. वह बताते हैं, "कार्बन और फ्लोरीन का बॉन्ड सबसे मजबूत रसायनिक बंधों में से एक है. फ्लोरीन के एटम का साइज कार्बन की तुलना में इतना बड़ा है कि बिल्कुल जगह नहीं छोड़ता कि उस जगह में कोई घुस पाए. इसलिए उसे तोड़ना और खत्म कर पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है.”
डॉ. डिचेल और उनकी टीम ने एक खास वर्ग के पीएफएएस में इस बॉन्ड को तोड़ने का एक नया तरीका खोजा है. उन्होंने मॉलीक्यूल्स की लंबी चेन में उस कमजोर कड़ी को खोज निकाला है, जहां से इसे तोड़ना आसान है. डॉ. डिचले बताते हैं कि इस चेन के एक सिरे पर ऑक्सीजन के एटम होते हैं जिन्हें आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले सॉल्वेंट और रीएजेंट से निशाना बनाया जा सकता है. इसके लिए 80-120 डिग्री सेल्यिस पर सामान्य सॉल्वेंट या रीएजेंट का प्रयोग किया जा सकता है.
डॉ. डिचेल बताते हैं, "जब ऐसा होता है तो (बॉन्ड के भीतर घुसने के लिए) नए रास्ते खुल जाते हैं, जिनके बारे में पहले जानकारी नहीं थी. इससे पूरा मॉलीक्यूल ही धराशायी किया जा सकता है.”

इस अध्ययन के दूसरे हिस्से में पहले हिस्से में शामिल रसायनिक क्रियाओं के पीछे की क्वॉन्टम मकैनिक्स को समझा गया है. इस अध्ययन में 10 पीफैस रसायन शामिल थे जिनमें प्रमुख प्रदूषक जेनएक्स भी एक है. इसी जेनएक्स ने अमेरिका के नॉर्थ कैरोलाइना में केप फीयर निदी को प्रदूषित कर दिया है.

लेकिन ये 10 रसायन तो नाममात्र हैं. अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी ने 12,000 से ज्यादा पीफैस रसायन चिन्हित किए हैं. डॉ. डिचेल ने कहा, "ऐसी और श्रेणियां हैं जिनमें ऐसा एकिलीज हील नहीं होता, लेकिन हरेक की कोई कमजोरी होती है. अगर हम उन्हें पहचान पाएं तो हम जानते हैं कि कैसे उन्हें सक्रिय कर नष्ट किया जा सकता है.” (dw.com)

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