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राजपथ-जनपथ : लिस्ट अभी बाकी है
08-Jun-2023 5:41 PM
राजपथ-जनपथ : लिस्ट अभी बाकी है

लिस्ट अभी बाकी है 

सरकार ने 23 आईएएस अफसरों का फेरबदल किया है। चुनाव आचार संहिता लगने में चार महीने बाकी रह गए हैं। ऐसे में इस फेरबदल को अंतिम माना जा रहा था, लेकिन ऐसा नहीं है। अभी कम से कम प्रशासनिक फेरबदल की एक-दो और सूची आने की उम्मीद है। 

आईएएस की वर्ष-2006 बैच की अफसर श्रुति सिंह होम कैडर यूपी से प्रतिनियुक्ति से वापस लौट आई है। उन्होंने जाइनिंग भी दे दी है, लेकिन उनकी पोस्टिंग नहीं हुई है। श्रुति सिंह सचिव स्तर की अफसर है। वो गरियाबंद, और बेमेतरा कलेक्टर रह चुकी हैं। डायरेक्टर इंड्रस्टीज के पद पर काम कर चुकी हैं। ऐसे में उन्हें किसी विभाग का दायित्व सौंपा जा सकता है। 

इसी तरह वित्त सचिव रह चुकीं अलरमेल मंगाई डी ने एक माह की छुट्टी और बढ़ा दी है। जुलाई में उनके लौटने के बाद उन्हें वित्त का फिर से दायित्व सौंपा जा सकता है। जिन्हें वर्तमान में अंकित आनंद संभाल रहे हैं। 

बताते हैं कि दो सचिव स्तर की महिला अफसर आर संगीता, और शहला निगार भी अगले दो महीने में छुट्टी से लौटेंगी। उनके लौटने के बाद विभागों में बदलाव की गुंजाइश बनी है। चर्चा है कि एक अक्टूबर से पांच अक्टूबर के बीच विधानसभा चुनाव आचार संहिता लग सकती है। जानकारों का कहना है कि आचार संहिता लगने से पहले तक अफसरों के प्रभार बदलते रहेंगे। 

प्रशासन के चार पिलर 
सीनियर अफसरों की कमी के चलते सीएम सचिवालय के तीन अफसर एसीएस सुब्रत साहू, सिद्धार्थ कोमल परदेशी, और अंकित आनंद, और डीडी सिंह पर पूरे प्रशासन की बागडोर है। चारों मिलकर एक दर्जन से अधिक अहम विभाग संभाल रहे हैं। एक तरह से उन्हें  मंत्रालय की रीढ़ कहा जाए, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। 

सुब्रत साहू के पास सीएम सचिवालय के साथ ही पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग, आईटी, चेयरमैन पर्यावरण संरक्षण मंडल, चेयरमैन रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट, और प्रशासन अकादमी के डीजी का दायित्व संभाल रहे हैं। सिद्धार्थ परदेशी के पास सीएम सचिवालय के अतिरिक्त उच्च शिक्षा, और स्वास्थ्य विभाग के अलावा विमानन का भी प्रभार है। 

इसी तरह अंकित आनंद के पास सीएम सचिवालय के अलावा ऊर्जा, वित्त सचिव के साथ-साथ चेयरमैन पॉवर कंपनी का प्रभार भी है। इससे परे रिटायरमेंट के बाद संविदा पर नियुक्ति के बाद भी डीडी सिंह अहम बने हुए हैं। उनके पास सामान्य प्रशासन विभाग, और आदिवासी योजना का प्रभार संभाल रहे हैं। 

चांपा की वह रेल दुर्घटना
रेल दुर्घटनाओं के बाद जितनी तेजी से राहत कार्य और पटरियों की मरम्मत का काम शुरू होता है, उसी रफ्तार से दुर्घटना की जांच की घोषणा भी हो जाती है। छत्तीसगढ़ में पिछले दशकों में तीन बड़ी रेल दुर्घटनाएं हुई हैं। 14 सितंबर 1997 को अहमदाबाद हावड़ा एक्सप्रेस की 5 बोगियां चांपा के पास हसदेव नदी में गिर गई थी, जिसमें 88 यात्री मारे गए और 350 घायल हो गए थे। राजनांदगांव में 23 फरवरी 1985 को दो एसी डिब्बों में आग लग गई थी जिसमें 50 यात्रियों की मौत हो गई थी। रायगढ़ के पास 5 सितंबर 1992 को किरोड़ीमल नगर स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी को पीछे से एक यात्री ट्रेन ने टक्कर मारी थी, जिसमें 41 लोगों की जान चली गई थी।

हसदेव नदी पर अहमदाबाद एक्सप्रेस के गिरने की जांच शुरू की गई तो यह बात सामने आई थी कि पुल पर पटरियों का मेंटेनेंस वर्क चल रहा था। पटरी पर न तो डेटोनेटर-संकेतक लगाया गया था, न इसकी जानकारी स्टेशन मास्टर, गार्ड या ट्रेन ड्राइवर को थी। पटरी पर पूरी रफ्तार से गुजरी हसदेव एक्सप्रेस नदी में गिर गई। ट्रैक पर हो रही मरम्मत की जानकारी रेलवे लोको पायलट, स्टेशन मास्टर और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों को होनी चाहिए थी ताकि सावधानी से किसी यात्री ट्रेन को वहां से गुजारा जाए। बड़े अफसरों की लापरवाही साफ दिख रही थी, मगर इस मामले में गिरफ्तारी पीडब्ल्यूआई के एक कर्मचारी अब्दुल खालिक की हुई। उसके खिलाफ आईपीसी और रेलवे एक्ट की कई धाराएं लगी। गैंगमैन तो घटना के तुरंत बाद फरार हो गया था। जांजगीर पुलिस  ने  16 साल बाद सन् 2014 में उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। तब उसकी आयु 75 साल हो चुकी थी। इन 16 सालों तक मुकदमा चल ही रहा था। तब यह भी पता किया गया कि जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। मालूम हुआ कि डीआरएम, एडीआरएम और अधिकारियों की जवाबदेही पर एक जांच कमेटी बनी थी, जिसकी कोई रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है।

सभी बड़ी रेल दुर्घटनाओं की जांच की पहली जिम्मेदारी कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी यानी सीआरएस की होती है। इसमें रेलवे के ही अधिकारी होते हैं लेकिन जांच में निष्पक्षता रहे इसके लिए इन्हें रेलवे डेपुटेशन पर दूसरे मंत्रालयों एवियेशन, पेट्रोलियम, डिफेंस आदि में रखता है। दुर्घटना के तुरंत बाद उन्हें मौके पर पहुंचकर जांच शुरू करनी पड़ती है। इंडियन रेलवे की वेबसाइट पर सीआरएस का लिंक दिया हुआ है। उसकी पेज पर जाने के बाद इंक्वायरी रिपोर्ट पढऩे के लिए भी क्लिक करने कहा जाता है लेकिन उसके सारे कॉलम खाली हैं। एक भी जांच रिपोर्ट और कार्रवाई का ब्यौरा नहीं है। इससे यह निष्कर्ष निकालना कठिन नहीं है कि दुर्घटना चाहे बड़ी हो या छोटी रेलवे के अफसरों को बचा लिया जाता है। बालासोर रेल दुर्घटना के बाद से रेल मंत्री लगातार कह रहे हैं कि इसमें साजिश है। इस साजिश की जांच सीबीआई करेगी। सीबीआई जांच की घोषणा का मतलब यह है कि जानबूझकर किसी ने अपराध किया है। रेलवे ने अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से निभाई।

एक-एक ऐसी रेल दुर्घटना अनेक परिवारों को उजाड़ देता है। घायलों की भी शेष जिंदगी अभिशप्त हो जाती है। पर लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा क्या मिली, इसका कुछ पता नहीं चलता।

मनरेगा मजदूर तक जी 20
जी20 सम्मेलन का नेतृत्व करने का बारी-बारी मौका इससे जुड़े देशों को मिलता है। इस बार यह अवसर भारत को मिला है, जिसे मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करने में कोई कमी नहीं बरती जा रही है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को महान बनाने का माध्यम भी बना हुआ है। गांवों में 1 जून से 15 दिन का जी 20 जनभागीदारी कार्यक्रम चल रहा है। ऐसे में महात्मा गांधी नरेगा के तहत काम कर रही बिल्हा इस मजदूर महिला के हाथ में जी20 की तख्ती देखकर अचरज नहीं होना चाहिए। 

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