खेल
विमल कुमार
पोर्ट ऑफ स्पेन से, 24 जुलाई। रोहित शर्मा और टीम इंडिया को इस बात का बख़ूबी अहसास है कि पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट के आख़िरी दिन अगर किसी एक टीम की सिर्फ़ जीत की संभावना है तो वो टीम इंडिया है.
इसकी वजह ये है कि आख़िरी दिन मेज़बान को जीत के लिए 289 रनों की ज़रूरत है जबकि इस पिच पर पहले दिन सबसे ज़्यादा 278 रन बने थे.
यानी वेस्ट इंडीज़ के लिए रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा की जोड़ी के सामने ऐसा सोचना भी बेहद कठिन लगेगा.
ख़ासकर, ये देखते हुए कि ये दिग्गज जोड़ी अब साझेदारी में 500 विकेट पूरी कर चुकी है और महज़ दो विकेट के बाद वो अनिल कुंबले और हरभजन सिंह के 501 विकेट के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे.
बहरहाल, मैच के चौथे दिन टीम इंडिया के लिए हीरो रहे पारी में पाँच विकेट लेने वाले मोहम्मद सिराज.
तीसरे दिन 229 रनों के स्कोर पर पाँच विकेट के स्कोर से खेलने उतरी कैरेबियाई टीम चौथे दिन अचानक से ही ताश के पत्तों की तरह बिखर गई और 255 रन पर सिमट गई.
इसके बाद जो रोहित शर्मा-यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल ने मिलकर महज़ 12. 2 ओवर में किसी भी टीम के लिए इतिहास का सबसे तेज़ शतक बना डाला.
मौजूदा बेज़बॉल वाले दौरे में इंग्लैंड के ओपनर भी इतने आक्रामक नज़र नहीं आए, जैसा कि कप्तान रोहित शर्मा और जायसवाल की जोड़ी दिखी.
रोहित का इरादा
रोहित ने अगर अपने करियर का सबसे तेज़ अर्धशतक महज़ 35 गेंदों पर बनाया तो जायसवाल ने पहले ही ओवर में केमार रोच जैसे अनुभवी गेंदबाज़ के ओवर में एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से छक्का जड़ दिया.
रोहित की तेज़ तर्रार पारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनसे तेज़ अर्धशतक सिर्फ वीरेंद्र सहवाग ने लगाया है जिन्होंने ये कामल 32 गेंदों पर दिखाया है.
बहरहाल, तमाम कैरेबियाई दर्शक इस नज़ारे को देखकर स्तब्ध थे कि आखिर जिस पिच पर तीसरे दिन उनकी टीम घुटने के बल पर रेंगते हुए बल्लेबाज़ी कर रही थी और वहां पर टीम इंडिया टी20 वाली रफ्तार से बल्लेबाज़ी कर रही थी.
निश्चित तौर पर, बारिश की आशंका को ध्यान में रखते हुए रोहित शर्मा ने बेहद आक्रामक रुख़ अपनाया था.
रोहित शायद ये नहीं चाहते हों कि जिस तरह से 2011 में महेंद्र सिंह धोनी ने 1-0 की बढ़त को 2-0 में बदलने से इनकार कर दिया था और बाद में हर किसी को मलाल होता रहा.
रोहित का इरादा हर हाल में 2-0 की बढ़त लेने का है और इसलिए मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाज़ी करने के लिए विराट कोहली से ऊपर ईशान किशन आए और झारखंड के इस विकेट कीपर-बल्लेबाज़ ने अपने साथी ऋषभ पंत के ही चिर-परिचित अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करते हुए 33 गेंदों पर अर्धशतक ठोक दिया.
12 साल बाद फिर घूमा वक़्त का पहिया
टीम इंडिया के लिए चौथे दिन आक्रामक बॉडी लैंग्वेज का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिन के खेल के दौरान एक बार स्लिप और विकेटकीपर के बीच से गेंद निकली तो उसे बाउंड्री से रोकने के लिए कीपर ईशान किशन और पहली स्लिप पर अजिंक्य रहाणे के बीच रेस लग गई.
इतना ही नहीं इस रेस में थर्ड मैन से तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज भी जुड़ गए.
एक युवा विकेट कीपर, एक बेहद अनुभवी उप-कप्तान और एक युवा तेज़ गेंदबाज, इन तीनों का सिर्फ़ एक रन बचाने के लिए एक साथ दौड़ना दिखा रहा था कि भारत हर हाल में टेस्ट जीतने के लिए बेकरार है.
दिन का खेल ख़त्म होने के बाद सिराज प्रेस-वार्ता के लिए आए. हमने उनसे सवाल किया कि क्या मैच के आखिरी दिन उनके अलावा अश्विन-जडेजा की जोड़ी को झेलना कैरेबियाई बल्लेबाज़ों के लिए आसान नहीं होगा तो सिराज ने अपने दिलचस्प अंदाज़ में जवाब देते हुए कहा कि अश्विन भाई तो इस पिच पर खोल देंगे अगर हम लोग पहले सत्र में अच्छी गेंदबाज़ी करते हैं.
सिराज ने ये भी माना कि जब भी अनुभवी गेंदबाज़ टीम के साथ नहीं होते हैं तो उन पर अतिरिक्त ज़िम्मेदारी आती है और वो उस पर खरा उतरने की कोशिश करते हैं.
शिवनारायण चंद्रपॉल ने 2011 में डोमिनाक टेस्ट के दौरान शतक बनाते हुए इतना वक्त टीम इंडिया के लिए खत्म कर दिया था कि उनके पारी घोषित करने के बाद इतना वक्त नहीं बचा था कि कोई भी कप्तान आसानी से लक्ष्य़ के लिए जाता.
12 साल बाद वक्त का पहिया फिर से दिलचस्प अंदाज़ में घूमा है और एक बार फिर से चौथे दिन का खेल खत्म होने तक चंद्रपॉल क्रीज़ पर नाबाद टिके हैं औऱ अगर तेजनारायण ने तेज़ शतक बनाया तो कौन जाने जीत ना ही सही लेकिन ड्रॉ नतीजे के लिए वो अहम भूमिका निभा सकते हैं.
लेकिन, ऐसा सोचने के लिए भी ना सिर्फ उन्हें बल्कि निचले क्रम के बल्लेबाज़ों के लिए काफी अनुशासन की जरूरत पड़ेगी, नहीं तो अगर मैच लंच से पहले या फिर चाय से पहले खत्म हो जाए तो चौंकने की ज़रूरत नहीं, बशर्ते बारिश इस बार मेज़बान को बचा ना दे. (bbc.com/hindi)