अंतरराष्ट्रीय
ईरान और पाकिस्तान के बीच हुए हमले के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक पारा चढ़ा हुआ है.
गुरुवार को पाकिस्तान के हमले के बाद ईरान ने पाकिस्तान के राजदूत को तलब किया है.
बीबीसी हिंदी के पॉडकास्ट कार्यक्रम में बीबीसी संवाददाता मोहन लाल ने तेहरान में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार ज़ेहरा ज़ैदी से बात की.
पाकिस्तान के हमले को ईरान में किस तरह देखा जा रहा है, इस सवाल पर ज़ेहरा ज़ैदी ने कहा कि जिस समय ईरान ने हमला किया था तो उसके पीछे की वजह थी कि पाकिस्तान से दहशतगर्द ईरान में घुस कर ईरानी सुरक्षाकर्मियों को मार देते थे और वापस चले जाते थे.
इस बारे में पाकिस्तान से शिकायत की जाती थी तो ऐसा लगता था कि पाकिस्तान की हुकूमत कुछ कर नहीं पा रही है. और आरोप दाएश (इस्लामिक इस्टेट) पर मढ़ दिया जाता था. इसलिए ईरान ने चिह्नित कर पाकिस्तान के अंदर उनके ठिकाने पर हमला किया.
उन्होंने कहा कि ईरान में इसे एक सामान्य तरह से लिया जा रहा था कि जब सीमा पर रोज़ाना ऐसी घटनाएं हो रही हैं तो कुछ करना ज़रूरी है.
लेकिन जब पाकिस्तान ने ईरान में हमला किया तो इसकी ईरानी मीडिया में कोई ख़ास प्रतिक्रिया नहीं देखी जा रही है.
मीडिया में पाकिस्तान को लेकर भी बहुत अधिक तल्ख़ी नहीं देखी जा रही है क्योंकि बलूचिस्तान में अलगाववादियों को निशाना बनाकर हमला बोला है.
दोनों तरफ़ से जो हमले हुए हैं वो आधिकारिक तौर पर नहीं बल्कि वहां छिपे हुए चरमपंथियों पर किए गए हैं. दोनों तरफ़ से यही कहा जा रहा है और दोनों देशों के ताल्लुक़ात पर भी कोई असर नहीं पड़ा है.
दोनों देशों ने अपने बयानों में कहा है कि वो दूसरे देश की संप्रभुता का सम्मान करते हैं और दोनों अच्छे दोस्त हैं.तो क्या माना जाना चाहिए कि इस मुद्दे को कूटनीतिक तौर पर हल कर लिया जाएगा?
ज़ेहरा ज़ैदी ने कहा, “असल में बयानों को देखते हुए ऐसा लगता है कि यह मुद्दा कूटनीतिक स्तर पर हल किया जा चुका है. यह मसला आगे नहीं बढ़ेगा क्योंकि दोनों देशों ने न तो अपने फ़्लाई ज़ोन बंद किए हैं और न ही ताल्लुक़ात में कोई कमी आई है. आतंकवादियों और आतंकवाद को लेकर, मेरे ख़्याल से दोनों देशों के बीच कोई सहमति बन गई है.”
हालांकि चीन ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की है लेकिन ज़ेहरा ज़ैदी का कहना है कि चीन वैसे भी मध्यस्थता के अलावा ज़्यादा शामिल नहीं होता और यहां दोनों मुल्कों ने मुद्दा खुद सुलझा लिया है इसलिए चीन के बीच बचाव की कोई ज़रूरत नहीं बची है.
पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरानकहा कि आज के हमले पाकिस्तान की अपनी सुरक्षा और राष्ट्र हितों को मद्देनज़र रख कर किए गए, जो कि सर्वोपरि है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता.
पाकिस्तान ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक ज़िम्मेदार सदस्य होने के नाते पाकिस्तान अन्य सदस्यों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने सहित यूएन चार्टर के सभी नियमों का पालन करता है. लेकिन इन्हीं सिद्धांतों को आधार मानते हुए पाकिस्तान कभी भी अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को भी चुनौती मिलने नहीं देगा. (bbc.com/hindi)