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देखना है क्या होगा?
छत्तीसगढ़ के भाजपा के बड़े नेता, और महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस का कार्यकाल 21 जुलाई को खत्म हो रहा है। बैस दो दिन रायपुर में थे, और उनके करीबी सेवा विस्तार की उम्मीद से हैं। मगर चर्चा है कि खुद बैस को बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। बैस के अलावा केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके समेत आधा दर्जन राज्यपालों का कार्यकाल खत्म हो रहा है।
सुनते हैं कि केंद्र में लोकसभा चुनाव के बाद परिस्थिति काफी बदल गई है। केंद्र में भाजपा को अकेले बहुमत नहीं है। सरकार एनडीए की है। ऐसे में चर्चा है कि राज्यपाल की नियुक्ति के लिए सहयोगी दलों से भी नाम लिए जाएंगे। ऐसी स्थिति में खालिस भाजपाइयों की संख्या कम हो सकती है। देखना है बैस जी का क्या होता है।
थाने और विधायक
पिछली सरकार से राज्य में गिरा पुलिसिंग का स्तर उठ ही नहीं पा रहा है। लोगों को उम्मीद थी कि बीते दिसंबर के बाद से पुराना सिस्टम बंद हो जाएगा। लेकिन इसके ठीक विपरीत सिस्टम एक कदम आगे चल रहा है। पुरानी सरकार में टीआई थाना के लिए बोली लगाते था। जिसकी जितनी बोली उस हिसाब से पोस्टिंग होती। बोली पूरी करने हर आपराधिक मामलों की धाराओं की कीमत तय थी।
इसमें नई व्यवस्था जुड़ गई है। चर्चा है कि अब टीआई के चयन में क्षेत्र के विधायकों का भी दखल बढ़ गया है। कहा जा रहा है कि थानों से विधायकों को डेढ़ लाख मंथली बंध गया है। इसमें और अन्य की भी हिस्सेदारी तय हो रही है। जो बोली में शामिल नहीं उसकी थानों में जरूरत नहीं। उसे हटा दिया जा रहा है। ज्यादातर नए नवेले जनप्रतिनिधि यही व्यवस्था चला रहे है। थाना में टीआई, भी नेता तय कर रहे हैं। नेता ही तय कर रहे है कि इलाके में कबाड़ा, डीजल चोरी, रेत खनन, अवैध परिवहन, सप्लाई, शराब और गांजा की तस्करी कौन करेगा।
खटाखट लिखने पर चालान?
लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में दिए गए राहुल गांधी के भाषण से प्रेरणा लेकर एक युवक ने अपनी कार में लिखवा लिया-खटाखट, खटाखट, खटाखट...पचासी सौ। जौनपुर पुलिस के ध्यान में यह बात तब आई, जब हर्षवर्धन त्रिपाठी नाम के एक पत्रकार ने एक्स पर इसकी फोटो के साथ पोस्ट डाली। त्रिपाठी अक्सर टीवी डिबेट में दिखते हैं। यूट्यूब पर उनके 5 लाख फॉलोअर्स भी हैं। उनकी पोस्ट के जवाब में जौनपुर पुलिस ने लिखा- मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन करने के कारण उक्त वाहन का चालान किया गया है। फिर खबर चली कि चालान भी 8500 रुपये का ही काटा गया है। खोजी पत्रकारों ने उस गाड़ी के मालिक को ढूंढ लिया। उनका नाम रोहित सिंह है। उन्होंने इसे कार ब्यूटी नाम के दुकान में लिखवा लिया था। लिखने का कारण बताया- जन जागरण। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में इलाके के टीआई के हवाले से यह भी दावा किया गया है कि कोई चालान नहीं काटा गया है। मगर, कार की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।
सरकार बदल गई, पटवारी तो वही है..
मुख्यमंत्री निवास पर गुरुवार को दूसरा जनदर्शन था। बड़ी संख्या में लोग आए, बहुत लोगों को तुरंत राहत मिली। एक शिकायत बेमेतरा जिले के नवागढ़ ब्लॉक के पौंसरी के किसान अशोक रजक की भी थी। वह किसी काम के लिए बार-बार पटवारी के चक्कर लगा रहा था लेकिन काम नहीं हो रहा। मुख्यमंत्री से उसने कहा कि पटवारी से हलकान हो गया हूं। मुख्यमंत्री ने आवेदन बेमेतरा कलेक्टर को फॉरवर्ड कर तत्काल समस्या दूर करने के लिए कहा है।
किसी कलेक्टर के लिए अच्छी बात नहीं है कि उनके जिले के एक पटवारी से परेशान किसान को सीधे मुख्यमंत्री के पास आना पड़े। वैसे तो पटवारी को निर्देश देने के लिए आरआई, तहसीलदार, एसडीएम ही काफी हैं। किसान वहां अपनी शिकायत कर सकता था। क्या किसान को ऐसा लगा कि तहसीलदार और एसडीएम मदद नहीं करेंगे। ऐसा संभव है क्योंकि हाल ही में एंटी करप्शन ब्यूरो ने रेड मारकर राजस्व विभाग के बाबुओं को ही नहीं बल्कि एसडीएम तक को गिरफ्तार किया है। एंटी करप्शन ब्यूरो ने हाल के दिनों में कुल 14 कार्रवाई की जिनमें करीब 21 लोग पकड़े गए। सबसे ज्यादा इसी राजस्व विभाग के हैं। ऐसा लगता है कि इक्के-दुक्के धरपकड़ के मामलों का कोई असर नहीं हो रहा है। जब कांग्रेस की सरकार थी तो भी शुरू-शुरू की भेंट मुलाकात में सबसे ज्यादा शिकायत पटवारी, आरआई और तहसीलदार की ही आ रही थी। बाद में अफसरों ने सीख लिया कि सीएम के सामने भीड़ में से किसे बोलने देना है, किसे नहीं। शिकायत आनी बंद हो गई। मगर, पौसरी के अशोक रजक का मामला बताता है कि सरकार बदली है, नीचे के स्तर पर बहुत कुछ बदला जाना बाकी है।