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कठिन पूल से चिंतित नहीं , पदक का रंग बदलने का यकीं : भारतीय हॉकी फॉरवर्ड ललित उपाध्याय
16-Jul-2024 12:30 PM
कठिन पूल से चिंतित नहीं , पदक का रंग बदलने का यकीं : भारतीय हॉकी फॉरवर्ड ललित उपाध्याय

बेंगलुरू, 16 जुलाई भारतीय हॉकी टीम को पेरिस ओलंपिक में पूल चरण में ही आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, अर्जेंटीना जैसे दिग्गजों का सामना करना है लेकिन अनुभवी फॉरवर्ड ललित उपाध्याय को यकीन है कि बेहतरीन तैयारियों और काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद से टीम पदक का रंग बदलकर लौटेगी ।

तोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे ललित ने रवानगी से पहले यहां भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ ओलंपिक में पूल पर ध्यान देना बेमानी है क्योंकि सभी टीमें पूरी तैयारी के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने आती हैं । हम मैच दर मैच रणनीति बनायेंगे और हर मैच में सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करेंगे ।’’

भारतीय टीम पेरिस ओलंपिक से पहले मानसिक दृढता के लिये स्विटजरलैंड के माइक होर्न्स बेस में तीन दिवसीय शिविर के बाद अब नीदरलैंड में अभ्यास मैच खेलेगी ।

भारत को पेरिस ओलंपिक में पूल बी के पहले मैच में 27 जुलाई को न्यूजीलैंड से, 29 जुलाई को रियो ओलंपिक 2016 चैम्पियन अर्जेंटीना, 30 जुलाई को आयरलैंड, एक अगस्त को तोक्यो ओलंपिक चैम्पियन बेल्जियम और दो अगस्त को पूर्व चैम्पियन आस्ट्रेलिया से खेलना है ।

भारत के लिये 168 मैचों में 45 गोल कर चुके 30 वर्ष के इस फॉरवर्ड ने कहा ,‘‘ हमें पता है कि उम्मीदें बढी हुई हैं क्योंकि लंबे समय बाद हमने ओलंपिक पदक जीता था । हमें भी खुद से पूरी उम्मीद है कि पदक का रंग बदलेंगे ।’’

वाराणसी के रहने वाले इस खिलाड़ी ने कहा ,‘‘ हमने पिछले चार साल में फिटनेस पर भी काफी मेहनत की है जो मैदान पर नजर आ रही है ।फिटनेस में हम दुनिया की शीर्ष टीमों के समकक्ष हैं । युवा खिलाड़ियों के साथ सीनियर्स की फिटनेस का स्तर भी जबर्दस्त है ।’’

तोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारतीय टीम के 11 खिलाड़ी पेरिस में भी खेलेंगे जबकि पांच खिलाड़ियों का पहला ओलंपिक है । ललित ने हालांकि कहा कि युवा खिलाड़ी भी इतना खेल चुके हैं कि ओलंपिक का दबाव आसानी से झेल लेंगे ।

उन्होंने कहा ,‘‘ ये लड़के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं जहां ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने का काफी दबाव होता है लिहाजा ओलंपिक का दबाव भी झेलने में सक्षम हैं। हम काफी समय से इनके साथ खेल रहे हैं और तालमेल अच्छा है । एक दूसरे से बात करते रहते हैं और अनुभव साझा करते हैं ।’’

टीम की तैयारियों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘ हॉकी हमेशा बदलती रहती हैं और सारी टीमें खुद को अपडेट करती रहती हैं । इसी को देखकर हमारा ट्रेनिंग कार्यक्रम भी तैयार होता है । हमने हाल ही में एफआईएच प्रो लीग खेला और हम शीर्ष टीमों जैसे आस्ट्रेलिया, जर्मनी, बेल्जियम को ध्यान में रखकर अभ्यास करते हैं और अपने ओलंपिक ढांचे पर काम करते रहते हैं ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ इस बार प्रो लीग में काफी फील्ड गोल हुए हैं और फोकस डी के भीतर जाकर मौका बनाने पर रहता है । फॉरवर्ड पंक्ति की कोशिश यही रहती है कि फील्ड गोल करे या डी में जाकर पेनल्टी कॉर्नर बनाये ।’’

ललित ने आपसी तालमेल को इस टीम की ताकत बताते हुए कहा कि तोक्यो से पहले कोरोना के दौरान यहां साथ बिताये समय ने एक ईकाई के रूप में टीम को काफी मजबूती दी ।

उन्होंने कहा ,‘‘ कोविड के समय हम सभी यहां साइ सेंटर पर काफी समय साथ रहे जिससे एक दूसरे को जानने का अधिक मौका मिला था । इससे टीम बांडिंग मजबूत हुई और तोक्यो में पदक लेकर हॉकी को एक तरह से नया जीवन दिया ।’’

भारतीय आक्रमण की अहम कड़ी बने ललित उस दौर को भुला चुके हैं जब एक टीवी स्टिंग आपरेशन ने उनका कैरियर बनने से पहले ही लगभग खत्म कर दिया था । वर्ष 2008 में आईएचएफ के तत्कालीन सचिव के ज्योतिकुमारन के सामने रिपोर्टर ने एजेंट बनकर उत्तर प्रदेश के ललित को टीम में लेने पर प्रायोजन करार देने का प्रस्ताव रखा था ।

इस तरह की ‘डील’ से नावाकिफ ललित को इस घटना ने झकझोर दिया था और वह हॉकी छोड़ने का मन बना चुके थे।

उन्होंने यादों की परतें खोलते हुए कहा ,‘‘ मैने ओलंपिक खेलने और पदक जीतने का सपना हमेशा से देखा था ।कोई भी लड़का जो अपरिपक्व है और बड़े सपने लेकर टीम में आया है , उसके साथ ऐसा हो जाये तो वह टूट ही जायेगा ।

उन्होंने कहा ,‘‘ लेकिन शुरूआत में ही यह सब झेल लिया तो मानसिक रूप से और मजबूत हो गया । वैसे तो मैं वह प्रकरण भूल गया हूं लेकिन कभी याद भी आता है तो खुद को और मजबूत पाता हूं।’’

उन्होंने कहा ,‘‘अब तो हालात बहुत बदल गए हैं , सोशल मीडिया भी आ गया है तो अब तो किसी के साथ गलत नहीं हो सकता । मैं खुशकिस्मत हूं कि दूसरी बार ओलंपिक खेल रहा हूं और जब भी यह जर्सी पहनता हूं तो कुछ खास करने की प्रेरणा रहती है ।’’

हॉकी को मोहम्मद शाहिद जैसा सितारा देने वाले बनारस का ललित के जीवन और कैरियर पर अमिट प्रभाव है जो उनकी बातों में भी झलकता है ।

उन्होंने कहा ,‘‘ हमारे बनारस में कहावत है कि सब यहीं से शुरू होता है और यहीं खत्म हो जाता है । हम भी गंगा किनारे बैठते हैं तो यही लगता है जहां एक तरफ दशाश्वमेध घाट (आरती घाट) है और दूसरी तरफ मणिकर्णिका घाट (दाह संस्कार घाट) है ।’’

हर टूर्नामेंट से पहले काशी विश्वनाथ के दर्शन करने वाले इस खिलाड़ी ने कहा ,‘‘ इसलिये ईश्वर ने जितना दिया उससे संतुष्ट हूं । बस इतना ही चाहते हैं कि हॉकी की यह विरासत बरकरार रहे और भारतीय हॉकी का परचम लहराता रहे ।’’  ( भाषा ) 

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