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तिरुपति लड्डू विवाद: न्यायालय का नायडू के दावे पर सवाल; कहा-कम से कम देवताओं को राजनीति से दूर रखें
30-Sep-2024 10:30 PM
तिरुपति लड्डू विवाद: न्यायालय का नायडू के दावे पर सवाल; कहा-कम से कम देवताओं को राजनीति से दूर रखें

नयी दिल्ली, 30 सितंबर। उच्चतम न्यायालय ने तिरुपति मंदिर लड्डू विवाद में सोमवार को कहा कि कम से कम देवताओं को तो राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। साथ ही न्यायालय ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के इस सार्वजनिक बयान पर सवाल उठाया कि वाई एस जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार के शासन के दौरान तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में कथित तौर पर पशुओं की चर्बी का इस्तेमाल किया गया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रयोगशाला परीक्षण रिपोर्ट ‘‘बिलकुल भी स्पष्ट नहीं’’ है और प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि ‘अस्वीकृत घी’ का परीक्षण किया गया था।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा, ‘‘रिपोर्ट से साफ है कि यह वह घी नहीं है, जिसका इस्तेमाल किया गया है। जब तक आप आश्वस्त न हों, आप इसे लेकर जनता के बीच कैसे गए?’’

आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पीठ ने कहा, ‘‘यह बिलकुल भी स्पष्ट नहीं है और प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि यह अस्वीकृत घी था, जिसका परीक्षण किया गया। अगर आपने खुद ही जांच के आदेश दे दिए हैं तो प्रेस में जाने की जरूरत कहां रह जाती है?’’

शीर्ष अदालत कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में पशु चर्बी के कथित इस्तेमाल की अदालत की निगरानी में जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाएं भी शामिल थीं।

यह देखते हुए कि ये दलीलें एक ऐसे मुद्दे से संबंधित हैं जो दुनिया में रहने वाले करोड़ों लोगों की भावनाओं को प्रभावित करता है, पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से यह बयान दिया था कि पिछले शासन के तहत तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में पशु चर्बी का उपयोग किया गया।

इसने कहा कि राज्य सरकार के अनुसार, मामले में प्राथमिकी 25 सितंबर को दर्ज की गई और विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन 26 सितंबर को किया गया।

पीठ ने कहा, ‘‘इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया बयान 26 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज होने और एसआईटी गठित होने से भी पहले का है। मुख्यमंत्री 18 सितंबर को जनता के बीच जा चुके हैं।’’

इसने कहा, ‘‘हमारा प्रथम दृष्टया यह मानना है कि जब जांच प्रक्रिया जारी है, तो एक उच्च संवैधानिक पदाधिकारी के लिए सार्वजनिक रूप से जाकर ऐसा बयान देना उचित नहीं है, जो करोड़ों लोगों की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है।’’

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह निर्णय लेने में सहायता करने को कहा कि क्या राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जांच जारी रहनी चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई तीन अक्टूबर को तय करते हुए शीर्ष विधि अधिकारी से इस मुद्दे पर विचार करने और इस संबंध में सहायता करने को कहा।

पीठ ने कहा कि कुछ समाचार रिपोर्ट हैं जिनके अनुसार तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी ने भी बयान दिया था कि मिलावटी घी का इस्तेमाल कभी नहीं किया गया।

रोहतगी ने कहा कि इनमें से कुछ याचिकाएं प्रामाणिक नहीं हैं और वे वर्तमान सरकार पर हमला करने के अलावा पूर्ववर्ती सरकार के हितों का समर्थन करने के लिए दायर की गई हैं।

टीटीडी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि चूंकि पहले आपूर्ति किया गया घी दूषित पाया गया था, इसलिए नमूनों की जांच कराना जरूरी समझा गया।

उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट आने के बाद ही कदम उठाए गए।’’

पीठ ने कहा, ‘‘आपने एसआईटी को जांच के आदेश दिए थे और जांच के नतीजे आने तक प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी?’’

इसने कहा, ‘‘कम से कम, हम उम्मीद करते हैं कि देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाएगा।’’

पीठ ने कहा कि रिपोर्ट जुलाई में प्राप्त हुई थी और मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को बयान दिया था।

इसने पूछा, ‘‘क्या वह घी, जिसके नमूने मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए, का उपयोग लड्डू बनाने में किया गया था?’’

पीठ ने पूछा कि जब राज्य सरकार ने जांच का आदेश दिया था तो फिर प्रेस के पास जाने की क्या आवश्यकता थी।

इसने कहा, ‘‘आप जानते हैं, इससे एक लाख या दो लाख लोगों की नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की भावनाओं पर असर पड़ा है।’’

पीठ ने पूछा, ‘‘इस बात का सबूत कहां है कि यह वही घी था जिसका इस्तेमाल लड्डू बनाने में किया गया था?’’ इसने पूछा कि क्या कोई द्वितीयक राय ली गई थी।

मेहता ने कहा कि यह ‘‘आस्था का मामला’’ है और अगर मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया है, तो यह ‘‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’’ है।

उन्होंने कहा कि किसी को इस सवाल पर गौर करना होगा कि क्या मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया था, कौन जिम्मेदार था और क्या यह लापरवाही थी या जानबूझकर ऐसा किया गया।

पीठ ने जब लूथरा से टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी के कथित बयान के बारे में पूछा, तो वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अखबार की खबरों पर भरोसा किया है।

इसने कहा, ‘‘उचित निर्देश लें और अपना पक्ष रखें, क्योंकि आप जो कह रहे हैं उसके गंभीर निहितार्थ हैं...।’’

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने इस महीने की शुरुआत में दावा किया था कि राज्य में पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान तिरुपति मंदिर के लड्डू तैयार करने में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। इससे बड़े पैमाने पर राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था।

वाईएसआर कांग्रेस ने आक्षेप लगाया था कि नायडू ने राजनीतिक लाभ के लिए ‘‘घृणित आरोप’’ लगाया है। (भाषा)

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