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मुंबई हमला 26/11: वकील की हत्या, गुज़रे 12 साल, 19 अभियुक्त फ़रार
01-Dec-2020 5:34 PM
मुंबई हमला 26/11: वकील की हत्या, गुज़रे 12 साल, 19 अभियुक्त फ़रार

शहीद असलम और शहज़ाद मलिक

21 नवंबर, 2008 की शाम ढलते ही, 10 युवाओं को थाटा ज़िले के काटी पोर्ट के पास एक घर में लाया गया.

अज़ीज़ाबाद नाम की यह जगह कराची से लगभग 100 किलोमीटर दूर है, यहां उन्हें 'मिशन' के बारे में बताया गया. कई महीनों के प्रशिक्षण के बाद, ये लोग अब 'मिशन' को पूरा करने के लिए तैयार थे.

मुंबई हमलावरों में एकमात्र ज़िंदा पकड़े जाने वाले अजमल कसाब के कबूलनामे के अनुसार, अगले ही दिन, यानी 22 नवंबर को, उन लोगों को विभिन्न लक्ष्यों के नक्शे और उनके बारे में आख़िरी ब्रीफिंग दी गई. शाम सात बजे उन्हें एक बड़ी नाव में केटी बंदर के पास ले जाया गया, जहां से वे आत्मघाती हमले के लिए रवाना हुए.

भारतीय जाँच एजेंसियों का कहना है कि यही वह जगह थी, जहां हमलावरों ने अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए जीपीएस का भी इस्तेमाल किया था.

पाकिस्तान की प्रमुख जाँच एजेंसी एफआइए के पूर्व महानिदेशक तारिक़ खोसा ने मार्च 2015 में डॉन अख़बार में प्रकाशित अपने एक लेख में लिखा था कि थाटा ही वह जगह है जहां मुंबई हमलावरों को प्रशिक्षित किया गया था और यहीं से उन्हें मुंबई भेजा गया था.

कसाब पर पाकिस्तान का रुख़
पाकिस्तान का कहना है कि उसके जांचकर्ताओं को कभी अजमल कसाब तक पहुंचने नहीं दिया गया इसलिए उसके इक़बालिया बयान की सच्चाई पर यकीन नहीं किया जा सकता.

इसके साथ ही पाकिस्तान यह भी कहता रहा है कि भारत ने पाकिस्तान को उन नौ हमलावरों के विवरण उपलब्ध नहीं कराया जो मुंबई में मारे गए थे, पाकिस्तान की दलील है कि अगर जानकारी मिलती तभी उनके पाकिस्तानी होने के दावे की पुष्टि की जा सकती थी.

पाकिस्तान के तत्कालीन गृह मंत्री रहमान मलिक ने 12 फरवरी, 2009 को इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि मुंबई हमले में शामिल हमलावर पाकिस्तान से ही भारत गए थे लेकिन उनके पास उनकी पहचान और परिवार के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं थी.

उन्होंने कहा कि हमलावर कराची से एक नाव पर निकले थे जो बलूचिस्तान से मंगवाई गई थी. उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हमलावर थाटा, सिंध से समुद्र के रास्ते भारत गए थे लेकिन इसकी भी जांच होनी चाहिए कि वे वहां (मुंबई) तक कैसे पहुंच गए.

पाकिस्तान के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों पर हाल ही में प्रकाशित एफ़आईए रेड बुक में 2008 के मुंबई हमले के मामले में फ़रार अभियुक्तों का पूरा विवरण है.

बीबीसी इस रेड बुक तक पहुंची है. ये आरोपी मुंबई हमले मामले में आपराधिक साजिश, आतंकवादियों को वित्तीय और लॉजिस्टिक सहायता देने जैसे आरोपों में लिप्त बताए गए हैं. इन लोगों को पिछले एक दशक से फरार चल रहे दहशतगर्दों को इस सूची में शामिल किया गया है लेकिन आज तक पाकिस्तान की जांच एजेंसियां किसी को नहीं पकड़ सकी है.

हमलावरों की समुद्री यात्रा
अजमल कसाब के इक़बालिया बयान के अनुसार 23 नवंबर को दोपहर 12 बजे, उन्होंने मछली पकड़ने वाली भारतीय नाव 'एमवी कोबर' को अगवा कर लिया. नाव पर सवार पांच लोगों में से चार की हत्या कर दी और नाव के कप्तान अमर सिंह सोलंकी को ज़िंदा छोड़ दिया गया.

अल-हुसैनी नाव से सारा सामान उस भारतीय नाव में शिफ्ट करने के बाद, अमर सिंह से कहा गया कि वे नाव को चलाते रहें और उन्हें उनकी मंज़िल पर ले जाएं. तारिक़ खोसा के लेख के अनुसार, अल-हुसैनी नाव को बाद में पाकिस्तानी जांचकर्ताओं ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया था.

अजमल कसाब के इक़बालिया बयान के अनुसार, 26 नवंबर 2008 की शाम लगभग 4 बजे, दस हमलावर भारतीय समुद्री सीमा में घुस गए. जिसके बाद निर्देश के अनुसार नाव के कप्तान अमर सिंह सोलंकी की भी हत्या कर दी. बाकी यात्रा उन लोगों ने जीपीएस की मदद से ख़ुद तय की.

26 नवंबर की रात 8 बज कर 20 मिनट पर, ये लोग किनारे पर स्थित मछुआरों की एक बस्ती, बुधवार पार्क के पास उतरे, और अपने-अपने लक्ष्यों की तरफ रवाना हो गए.


दो-दो हमलावरों के पाँच ग्रुप
अजमल कसाब के इक़बालिया बयान के मुताबिक, 10 हमलावरों को दो-दो लोगों के पांच ग्रुपों में बांटा गया था. इस्माइल ख़ान इन सभी हमलावर ग्रुपों का लीडर था और उसके साथ दूसरा हमलावर अजमल कसाब था.

ये दोनों एक टैक्सी में सवार हुए और 9 बज कर 20 मिनट पर भारत के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पहुंचे, वहां पहुँचकर उन्होंने हैंड ग्रेनेड और एके-47 राइफ़लों से हमला कर दिया.

इस हमले में 58 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए. इस्माइल ख़ान और अजमल कसाब ने इसके बाद एक अस्पताल पर हमला किया, जिसमें कई लोग मारे गए और घायल हुए. गोरेगांव चौपाटी में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में इस्माइल ख़ान की मौत हो गई, जबकि अजमल कसाब को ज़ख़्मी हालत में जिंदा गिरफ़्तार कर लिया गया.

उस रात लगभग 10 बजे, अब्दुल रहमान और फ़हद नामक हमलावरों ने ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल पर हमला किया, जिसमें 33 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए.

10 बज कर 25 मिनट पर, बाबर इमरान और नज़ीर ने एक यहूदी केंद्र, नरीमन हाउस पर हमला किया जिसमें चार लोग मारे गए और कई लोग घायल हो गए. लियोपोल्ड कैफ़े और बार पर हाफ़िज अरशद और नसीर नामक हमलावरों ने हमला किया जिसमें 10 लोग मारे गए.

इसी तरह, शोएब और जावेद ने ताज होटल पर हमला किया जहां बाद में हाफ़िज अरशद और नसीर भी उनके साथ शामिल हो गए. ताज होटल पर हमले में 32 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए.

हमलावरों ने कई स्थानों पर लोगों को बंधक बना लिया था इसलिए नई दिल्ली से एनएसजी कमांडो दस्ते को बुलाया गया था. मुंबई हमला 26 नवंबर को रात 9 बजकर 15 मिनट पर शुरू हुआ और तीन दिनों तक चलता रहा. भारतीय बलों ने 29 नवंबर को सुबह 9 बजे तक सभी हमलावरों को मारकर ऑपरेशन ख़त्म होने की घोषणा की.

इस हमले में 26 विदेशियों सहित 166 लोग मारे गए और लगभग 300 घायल हो गए.

आरोप और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
अजमल कसाब से पूछताछ के बाद पता चला कि हमलावर पाकिस्तान से आए थे और इनका संबंध प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैबा से था. भारत ने आरोप लगाया कि हमलों की योजना लश्कर-ए-तैबा के प्रमुख हाफ़िज सईद ने बनाई और उनकी पार्टी के सदस्यों ने ही इसे अंजाम दिया.

भारत ने हाफ़िज सईद सहित लश्कर के 35 सदस्यों की एक सूची तैयार की. भारत ने पाकिस्तान से कहा कि इन आरोपियों को भारत के हवाले किया जाए ताकि उनका ट्रायल किया जा सके.

पाकिस्तान को भारत की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था जिसकी वजह से दो परमाणु शक्तियों के बीच युद्ध का माहौल बन रहा था. दूसरी ओर, पाकिस्तान शुरू में भारत के सभी आरोपों का खंडन करता रहा. पाकिस्तान यह भी कहता रहा कि भारत आरोपों के बजाय ऐसे सबूत उपलब्ध कराए जिससे यह साबित हो सके कि इन हमलों में पाकिस्तानी शामिल थे, या हमले की योजना पाकिस्तान में बनी थी, ताकि उन लोगों के ख़िलाफ़ यहां कार्रवाई की जा सके.

इस बीच, पाकिस्तान ने आरोपों की जांच के एसआइटी का गठन किया जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ अधिकारी ख़ालिद क़ुरैशी ने की, जबकि जांच की देखरेख की जिम्मेदारी एफ़आईए के तत्कालीन डीजी तारिक़ खोसा को सौंपी गई थी.

दिसंबर 2008 में पश्चिमी सहयोगियों और भारत की तरफ़ से उपलब्ध कराई गई जानकारी के बाद, एफआईए ने थाटा में लश्कर के एक प्रशिक्षण शिविर पर छापा मारा और सबूत ज़ब्त किए.

'लोग मुझे क़साब की बेटी बोलते थे'

पाकिस्तान के तत्कालीन गृह मंत्री रहमान मलिक ने 12 फरवरी, 2009 को मुंबई हमलों के ढाई महीने बाद इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में रहमान मालिक ने बताया कि मुंबई हमलों की साजिश का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में रचा गया लेकिन इसके कुछ सिरे अमरीका, ऑस्ट्रिया, स्पेन, इटली और रूस जैसे देशों में भी मिले हैं.

उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट के माध्यम से बात करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला डोमेन ह्यूस्टन (अमरीका) में पंजीकृत था जबकि इसके लिए 238 डॉलर स्पेन से ट्रांसफर किए गए थे.

उन्होंने कहा कि इस्तेमाल किया गया दूसरा डोमेन रूस में पंजीकृत था जबकि एक सैटेलाइट फोन मध्य पूर्व के एक देश में पंजीकृत था.

रहमान मलिक ने कहा कि 238 डॉलर भेजने वाला आरोपी जावेद इक़बाल था. जो उस समय बार्सिलोना, स्पेन में था. उसे वापस लाकर वित्तीय सहायता प्रदान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

रहमान मलिक ने कहा कि अजमल कसाब के बयान और भारत की ओर से मिली जानकारी के रौशनी में, एक एफ़आईआर दर्ज की गई है और इसमें नौ आरोपियों को नामज़द किय गया है. जिनमें अजमल कसाब उर्फ़ अबू मुजाहिद, ज़की-उर-रहमान लखवी, अबू हमज़ा, ज़रार शाह, मुहम्मद अमजद ख़ान, शाहिद जमील, हम्माद अमीन सादिक़ और अन्य शामिल हैं.

रहमान मलिक ने कहा कि नामजद आरोपियों में से पांच को गिरफ्तार कर लिया गया है जिनमें मुंबई हमलों के कथित मास्टरमाइंड ज़की-उर-रहमान लखवी का नाम भी शामिल है.

औकाड़ा निवासी ज़की-उर-रहमान लखवी को 18 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. रहीम यार ख़ान के हम्माद अमीन सादिक़ को 15 फरवरी को पकड़ा गया. इनके ऊपर मुंबई हमलावरों को धन और आश्रय देने के आरोप थे.

इसी तरह, मंडी बहाउद्दीन के मज़हर इक़बाल को और शेखपुरा में कंप्यूटर नेटवर्क के विशेषज्ञ अब्दुल वाजिद को 18 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार होने वाले बहावलपुर के शहीद जमील रियाज़ को नावों की सुविधा देने का आरोप था.

जाँच के प्रमुख की राय
एफआईए के पूर्व महानिदेशक और इस केस के निगरानी अधिकारी तारिक़ खोसा ने 2015 में डॉन अख़बार में प्रकाशित एक लेख में मामले की जांच के बारे में विस्तार से लिखा और कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी प्रकाश डाला था.

तारिक़ खोसा के अनुसार, (पहला) अजमल कसाब एक पाकिस्तानी था, जिसका आवास और स्कूली शिक्षा और फिर चरमपंथी संगठन (लश्कर-ए-तैयबा) में शामिल होने की बात का जांच अधिकारियों ने पता लगाया था.

(दूसरे) लश्कर-ए-तैबा के आतंकवादियों को थाटा, सिंध के पास प्रशिक्षित किया गया था और बाद में वहीं से उन्हें समुद्री रास्ते से भेजा गया था. इस प्रशिक्षण शिविर का सुराग़ जांचकर्ताओं ने लगाया था. इसी तरह मुंबई हमलों में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक के सैंपल न केवल प्रशिक्षण शिविर से बरामद किए गए थे, बल्कि वो मैच भी हो गए थे.

(तीसरा) मछली पकड़ने वाली (अल-हुसैनी) नाव, जिसका उपयोग आतंकवादियों ने भारतीय बोट को अगवा करने के लिए किया था और बाद में इससे मुंबई के लिए रवाना हुए. अल हुसैनी को वापस बंदरगाह पर लाकर उसका रंग बदलकर छिपा दिया गया था. वो भी बरामद कर ली गई थी जो आरोपियों को इस केस से जोड़ती है.

(चौथा) मुंबई बंदरगाह के पास आतंकवादियों की एक छोटी नाव के इंजन में एक पेटेंट नंबर था जिसके ज़रिये जांचकर्ताओं ने इसके जापान से लाहौर में आयात होने का पता लगाया. जहां से इसे कराची की एक खिलौनों की दुकान तक पहुंचाया गया था. इसके बाद यहां से इसे लश्कर से जुड़े एक चरमपंथी ने एक छोटी नाव के साथ ख़रीदा था. मनी ट्रेल को ट्रैक किया किया गया और आरोपी की पहचान की गई और उसे गिरफ्तार किया गया.

(पाँचवा) जांचकर्ताओं ने कराची में ऑपरेशन रूम की भी तलाशी ली और उसे सुरक्षित कर लिया. जहां से (मुंबई) ऑपरेशन के बारे में निर्देश दिए गए थे. ऑपरेशन रूम से वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल के माध्यम से हो रही बातचीत का भी पता लगाया.

(छठा) कमांडर माने जा रहे व्यक्ति और उसके अंडर काम करने वालों की पहचान की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

(सातवां) एक दंपति को जिनके फाइनेंसर और सूत्रधार देश से बाहर थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें मुक़दमे के लिए पेश किया गया.

अपने इस लेख में, तारिक़ खोसा ने आगे लिखा है कि भारत ने अजमल कसाब को जीवित पकड़कर उसके कबूलनामे से इस केस को तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचा दिया था लेकिन कई जगहों पर रची गई साजिश का पता लगाना एक चुनौती पूर्ण कार्य है जिसे प्रमाणित करने के लिए ठोस सबूतों की ज़रूरत होती है.

बीबीसी के संपर्क करने पर एफआईए के पूर्व महानिदेशक तारिक़ खोसा ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उन्हें जो कुछ कहना था वह अपने लेख में लिख चुके हैं अब कोई बात नहीं करना चाहते.


मुंबई हमलों के 19 आरोपी अभी तक फ़रार
इन 19 फरार लोगों में से मुल्तान का निवासी मोहम्मद अमजद ख़ान है जिस पर मुंबई हमलों में इस्तेमाल की गई नाव ख़रीदने का आरोप था. इसके अलावा उसने कराची से एक यामाहा मोटरबोट इंजन, लाइफ जैकेटस भी खरीदे, जो बाद में मुंबई हमलों में इस्तेमाल किए गए थे जिन्हें बाद में भारतीय अधिकारियों ने बरामद किया था.

इसके अलावा सूची में एक बहावलपुर निवासी शाहिद ग़फूर भी है, जो अल-हुसैनी नाव का कप्तान था.

एफआईए रेड बुक के अनुसार, मुम्बई हमलों में आरोपी इफ्तिखार अली, अब्दुल रहमान, मोहम्मद उस्मान, अतीक़-उर-रहमान, रियाज़ अहमद, मोहम्मद मुश्ताक़, अब्दुल शकूर, मोहम्मद नईम, मोहम्मद साबिर सलफी और शकील अहमद, मुंबई हमलों में इस्तेमाल होने वाली नावों पर सवार थे.

इसी तरह, मोहम्मद उस्मान जिया, मोहम्मद अब्बास नासिर, जावेद इक़बाल, मुख्तार अहमद और अहमद सईद इस सूची में शामिल वो आरोपी हैं, जिन्होंने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद के एक प्राइवेट बैंक से, आरोपी हम्माद अमीन सादिक़ और शहीद जमील रियाज़ के कराची में स्थित एक निजी बैंक खाते में, कुल 30 लाख से अधिक रुपये जमा किए गए थे.

इसके अलावा, दाज़िन तुरबत जिले का आरोपी मोहम्मद ख़ान भी इस मामले में फरार है जिस पर आरोप है कि उसने मुंबई हमलों के आरोपियों को अल-हुसैनी नाव मुहैया कराई थी.

रेड बुक के अनुसार, ये सभी आरोपी प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा के थे. एफआईए के रिकॉर्ड से यह भी पता चलता हैं कि सभी फरार अभियुक्तों में से एक के अलावा बाक़ी सभी पंजाब के विभिन्न जिलों से थे.

वकील की हत्या और वक्त की बर्बादी
हमले के बाद 12 साल बीत चुके हैं लेकिन इस मामले की सुनवाई अब भी विभिन्न कारणों से लंबित है. इस दौरान आतंकवाद-विरोधी अदालत के कम से कम छह न्यायाधीशों और कई सरकारी वकीलों को बदल दिया गया.

इस मामले में पहले सरकारी वकील (चौधरी जुल्फिकार अली, जो कि बेनजीर भुट्टो हत्याकांड मामले में भी वकील थे) की मई 2013 में रावलपिंडी में अज्ञात व्यक्तियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी जिसके बाद मामले में वकील रब नवाज़ को अभियोजक नियुक्त किया गया था.

दिल का दौरा पड़ने के कारण अधिवक्ता रब नवाज़ की अचानक मृत्यु के बाद, उनके स्थान पर अधिवक्ता अजहर चौधरी को अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया था लेकिन 2018 में उन्हें भी अचानक बदल दिया गया जिसके बाद अधिवक्ता अकरम क़ुरैशी को मामले में अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया.

मामले के विशेष अभियोजक अकरम क़ुरैशी ने बीबीसी को बताया कि मामले की सुनवाई ऑन कैमरा चल रही है और अदालत ने उन्हें बात करने से मना किया हुआ था इसलिए वह बोलना नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा कि वह सिर्फ इतना कहेंगे कि मामले की सुनवाई जल्द ही समाप्त हो जाएगी.

ज़की-उर-रहमान लखवी के अलावा, अन्य आरोपी न्यायिक रिमांड पर जेल में हैं जबकि लखवी को ज़मानत मिल गई है. इस्लामाबाद हाइकोर्ट ने भी मुकदमे का फैसला जल्द करने का निर्देश दिया था.

मुंबई हमलों के मुकदमे के एक पूर्व सरकारी वकील अजहर चौधरी ने बीबीसी को बताया कि वे सबूतों को जमा करने के लिए दो बार भारत गए थे. उन्होंने कहा कि "भारत ने पाकिस्तानी टीम को जेल में बंद अजमल कसाब से मिलने की इजाज़त नहीं दी जिससे उसके इक़बालिया बयान पर संदेह होता है".

उन्होंने बताया कि भारत "यह तो अब सिर्फ आपराधिक साजिश का मामला रह गया है, जिसकी अधिकतम सज़ा सात साल है लेकिन आरोपी पिछले 11 साल से जेल में हैं." (bbc.com)
 

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