खेल

विशेषज्ञों को उनके क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए : कल्याण चौबे
13-Jan-2021 7:36 PM
विशेषज्ञों को उनके क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए : कल्याण चौबे

नई दिल्ली, 13 जनवरी | सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) की उस याचिका की सुनवाई को टाल दिया है, जिसमें उसने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें अदालत ने 2016 में प्रफुल पटेल के एआईएफएफ अध्यक्ष चुने जाने वालु चुनावों को नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट (2011) का उल्लंघन बताया था।

केंद्र की तरफ से दलील दे रहे सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की बेंच के सामने सुनवाई को टालने की अपील की, ताकि वह अपना जवाब दाखिल कर सकें। शीर्ष अदालत अब दो सप्ताह बाद इसकी सुनवाई करेगी।

पूर्व भारतीय फुटबॉलर कल्याण चौबे ने पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) में नए चुनाव कराने की मांग की है। चौबे ने साथ ही कहा था कि एआईएफएफ के मौजूदा कार्यकारी समिति का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाए और जल्द नया चुनाव कराया जाए।

चौबे ने आईएएनएस से कहा कि चूंकि सरकार इतने अच्छे काम कर रही है, इसलिए उसे उम्मीद है कि खेल मंत्रालय फुटबॉल फेडरेशन के मामलों को सकारात्मक तरीके से देखेगा।

यह याद किया जा सकता है कि शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के नवंबर 2016 के आदेश पर रोक लगा दी थी।

प्रफुल्ल पटेल के चुनाव को एआईएफएफ प्रमुख के रूप में तीसरे कार्यकाल के लिए निर्धारित करते हुए कहा कि चुनाव स्वयं राष्ट्रीय खेल संहिता का उल्लंघन था और महासंघ को निर्देश दिया था गया था कि पांच महीने की अवधि के भीतर नए चुनाव कराएं। एआईएफएफ ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

शीर्ष अदालत ने पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस.वाई. कुरैशी और पूर्व भारतीय फुटबॉल कप्तान भास्कर गांगुली को आठ सप्ताह के भीतर एआईएफएफ संविधान तैयार करने के लिए लोकपाल के रूप में नियुक्त किया था।

यह पूछे जाने पर कि किस चीज ने उन्हें एआईएफएफ के खिलाफ शीर्ष अदालत जाने के लिए प्रेरित किया, चौबे ने कहा कि किसी को तो आगे आना था और इसलिए उन्होंने 16 दिसंबर, 2020 की याचिका दायर की थी।

उन्होंने कहा, "किसी को आगे आना पड़ा था। मैंने भी एआईएफएफ चुनावों से ठीक चार-पांच दिन पहले ही याचिका दायर कर दी थी, जो 21 दिसंबर, 2020 को होने वाले थे। मैं विभिन्न स्रोतों से सुन रहा था कि इस बार भी चुनाव कराने की एआईएफएफ की योजना नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके, चुनाव की तारीख को स्थगित करने का आग्रह करते हुए, महासंघ ने कार्यकारी समिति के कार्यकाल को लंबा करना चाहा। इसलिए मैंने सोचा कि किसी को आगे आना होगा और मुझे वह व्यक्ति बनना चाहिए।"

चौबे ने कहा कि जल्द चुनाव की मांग के अलावा, उन्होंने अदालत से पूर्व फुटबॉलरों को बिना किसी मापदंड के महासंघ के चुनाव लड़ने की अनुमति देने का भी अनुरोध किया था।

पूर्व गोलकीपर ने कहा, "देखिए, मुझे लगता है कि जो लोग अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं, उन्हें उस क्षेत्र की देखभाल करने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। यदि किसी किसान कल्याण बोर्ड का गठन किया जाता है तो इसमें किसानों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि ऐसे निकाय ठीक से काम कर सकते हैं। यहां फेडरेशन ने एक मानदंड रखा है कि आपको निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए कम से कम चार साल तक राज्य संघ में रहना होगा, लेकिन मुझे इसमें कोई तर्क नजर नहीं आता है।"

--आईएएनएस

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news