राष्ट्रीय
हैदराबाद, 21 अगस्त (आईएएनएस)| तेलंगाना के नागारकुर्नूल जिले में श्रीसैलम लेफ्ट बैंक केनाल में स्थित टीएस गेनको के हाइडल पावर स्टेशन में भीषण आग लगने की जानकारी सामने आई हैं। वहां फंसे नौ लोगों को बचाने के लिए प्रयास जारी हैं। घटना गुरुवार देर रात की बताई गई है। प्रारंभिक रिपोटरें से मिली जानकारी के अनुसार, आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है, जिससे घटनास्थन पर घना धुआं उठता देखा गया।
घटनास्थल पर मौजूद 17 व्यक्तियों में से आठ व्यक्ति सुरंग के रास्ते सुरक्षित स्थान पर निकल आए। वहीं फंसे लोगों में छह टीएस गेनको कर्मचारी और तीन निजी कंपनी के कर्मचारी शामिल हैं।
घटनास्थल पर दमकलकर्मी पहुंच चुके हैं और फंसे हुए डिप्टी इंजीनियर और सहायक इंजीनियर्स को बचाने की कोशिश की जा रही है। दमकलकर्मियों का कहना है कि धुआं बचाव कार्य में बाधा बन रहा है।
तेलंगाना के मंत्री जगदीश रेड्डी और टीएस गेनो के सीएमडी प्रभाकर राव मौके पर पहुंच चुके हैं और बचाव प्रयासों की निगरानी कर रहे हैं।
रेड्डी ने कहा कि पावर स्टेशन की पहली इकाई में दुर्घटना हुई और चार पैनल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बचाव कर्मी घने धुएं के कारण सुरंग में प्रवेश करने में असमर्थ थे।
बचाव अभियान में सहायता के लिए सिंगारेनी कोलियरी से बचाव कर्मियों को लाया जा रहा है।
घटना के बाद पावर स्टेशन पर बिजली उत्पादन संचालन बंद कर दिया गया है।
श्रीसैलम बांध कृष्णा नदी के पार स्थित है जो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच की सीमा के रूप में कार्य करता है।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना संकट में लगे लॉकडाउन के दौरान हजारों प्रवासी मजदूर अपने-अपने घर लौट गए थे, लेकिन काम की तलाश में एक बार फिर प्रवासी मजदूर यूपी, बिहार और झारखंड से वापस लौटने लगे हैं। दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड पर रक्षाबंधन के बाद से ही रोजाना हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घरों से वापस आ रहे हैं। किसी के मालिक, तो किसी के ठेकेदार ने बुलाया, तो कोई नौकरी की तलाश में दिल्ली वापस आ रहा है।
राम चन्दर आजमगढ़ से फिर दिल्ली वापस आए हैं। 5 महीने पहले कोरोना की वजह से अपने घर चले गए थे, लेकिन गांव में काम न होने की वजह से दिल्ली वापस आना पड़ा है। उन्होंने बताया, "जिस कंपनी में वो काम करते थे, उसके मालिक ने फोन करके वापस बुलाया है। गांव में ज्यादा काम नहीं है, कमाने के लिए तो बाहर निकलना ही पड़ेगा। मेरी दो लड़कियां और एक लड़का है, इनका पेट कौन पालेगा।" राम चन्दर दिल्ली के नांगलोई में जूते की कंपनी में काम करते थे। अब फिर से उसी कंपनी में काम करेंगे।
आनंद विहार बस स्टैंड पर बसों के ड्राइवर और कंडक्टर 20 से ज्यादा सवारी नहीं बैठाते। लेकिन पहले जाने की होड़ में सवारियों में ही आपस में झगड़ा हो जाता है और एक साथ बसों में लोग चढ़ना शुरू कर देते हैं। जिसकी वजह से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन भी हो रहा है और जान पर खतरा भी बढ़ रहा है।
फिलहाल जब से प्रवासी मजदूर वापस लौटने लगे हैं, तब से दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड पर बस रूट नम्बर- 236, 165, 534, 469, 473, 543 से जाने वाली सवारियों की संख्या में इजाफा हो गया है। ये सभी बसें नांगलोई, महरौली, और कापसहेड़ा बॉर्डर की ओर जाती हैं। हालांकि बस स्टैंड के बाहर भी सैंकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर मौजूद रहते हैं।
संभल के रहने वाले दीपक दिल्ली में फल की ठेली लगाते थे। होली पर त्यौहार मनाने अपने गांव चले गए। उसके बाद लॉकडाउन लग गया, जिसकी वजह से वहीं फंसे रहे गए। उन्होंने बताया, "होली पर घर गया था, उसके बाद वहीं रह गया। इधर मकान मालिक 5 महीने का किराया मांग रहा है। अब जाकर वापस आए हैं तो फिर से फल की ठेली लगाएंगे।"
यूपी के बिजनौर के रहने वाले शादाब पहले हिमाचल प्रदेश में पुताई का काम करते थे। फिर लॉकडाउन में रोजगार चले जाने की वजह से घर चले गए। अब गुड़गांव नौकरी की तलाश में आए हैं। पूछे जाने पर उन्होंने बताया, "यूपी के बीजनौर से गुड़गांव नौकरी की तलाश में आया हूं। ठेकेदार ने बुलाया है। घर पर कोई काम नहीं मिला। राज मिस्त्री का भी काम किया।"
भारत में अब एक दिन में कोविड-19 के नौ लाख टेस्ट हो रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, WHO के परामर्श के अनुरूप, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हर रोज़ प्रति 10 लाख व्यक्ति 140 से ज़्यादा टेस्ट हो रहे हैं.
दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के मामले दो करोड़ 25 लाख से ज़्यादा, अब तक सात लाख 89 हज़ार लोगों की मौत
अमरीका में कोरोना संक्रमण के मामले 55 लाख 60 हज़ार से ज़्यादा, अब तक एक लाख 74 हज़ार लोगों की मौत
भारत में गुरुवार को 69 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले, कुल मामलों की संख्या 29 लाख के क़रीब, अब तक संक्रमण से 54 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत
संक्रमण के लिहाज से ब्राज़ील दूसरे पायदान पर, 34 लाख 56 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले, अब तक एक लाख 11 हज़ार लोगों की मौत
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| सितंबर के दूसरे सप्ताह में संसद के मानसून सत्र की शुरूआत के संकेत के साथ सरकार पर 11 अध्यादेशों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का दबाव है।
संसद का यह सत्र पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच होने वाला है, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी।
दिसंबर में होने वाले शीतकालीन सत्र से पहले ही इन 11 अध्यादेशों को संसद के आगामी सत्र में पारित किया जाना जरूरी है।
इनमें से प्रमुख अध्यादेशों का जिक्र करें तो इनमें संसदीय कार्य मंत्रालय से जुड़ा मंत्रियों का वेतन और भत्ते (संशोधन) अध्यादेश शामिल है, जिसे नौ अप्रैल, 2020 को जारी किया गया। ये अध्यादेश मंत्रियों का वेतन और भत्ते एक्ट, 1952 में संशोधन करता है।
इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय के महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश को 22 अप्रैल 2020 को जारी किया गया। ये अध्यादेश महामारी रोग एक्ट 1897 में संशोधन करता है। इसमें खतरनाक महामारी की रोकथाम से संबंधित प्रावधान है।
वहीं अगर तीसरे संशोधन की बात करें तो यह उपभोक्ता मामले एवं खाद्य वितरण मंत्रालय का अनिवार्य वस्तुएं (संशोधन) अध्यादेश, 2020 है, जिसे पांच जून 2020 को जारी किया गया था। उक्त अध्यादेश अनिवार्य वस्तुएं एक्ट 1955 में संशोधन करता है।
इसके अलावा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का ही किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 को पांच जून, 2020 को जारी किया गया था, जिसे पारित किया जाना है।
इसके बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 को पांच जून 2020 को जारी किया गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) अध्यादेश 2020 को 24 अप्रैल, 2020 को जारी किया गया। उक्त अध्यादेश होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एक्ट 1973 में संशोधन करता है।
सरकार ने वित्त मंत्रालय के टैक्सेशन और अन्य कानून (विभिन्न प्रावधानों में राहत) अध्यादेश, 2020 को 31 मार्च, 2020 को जारी किया था, जिसे पारित किया जाना है।
वहीं दिवालियापन संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को छह जून को घोषित किया गया था और 26 जून को घोषित बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अध्यादेश को रखा गया है।
इन अध्यादेशों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है और साथ ही कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे किसानों के कल्याण के माध्यम से ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना है।
मानसून सत्र में पारित नहीं होने पर इनमें से लगभग पांच से छह अध्यादेश समाप्त हो जाएंगे।
अध्यादेश अस्थायी कानून हैं, जिन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर प्रख्यापित किया जाता है, जिसका संसद के अधिनियम के समान प्रभाव होगा। अध्यादेश का छह महीने का जीवन होता है और जिस दिन से सत्र शुरू होता है, उसे एक विधेयक द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए, जिसे छह सप्ताह के भीतर संसद द्वारा पारित किया जाना चाहिए, अन्यथा यह समाप्त हो जाता है।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| आम आदमी पार्टी की ओर से उत्तराखंड में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा पर भाजपा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। पार्टी ने कहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार को डूबती दिल्ली नहीं, उत्तराखंड की चिंता है। वह दिल्ली को अधर में छोड़कर भाग जाना चाहते हैं।
उत्तर पूर्व दिल्ली के सासंद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा, अरविंद केजरीवाल को डूबती दिल्ली की नहीं, उत्तराखंड के चुनाव की चिंता है। उनके राजनैतिक इतिहास पर नजर डालें तो उन्होंने किसी भी कार्य को पूरा नहीं किया है और एक बार फिर दिल्ली को अधर में छोड़ कर भाग जाने की फिराक में है। मुख्यमंत्री को जिम्मेदारी से भागने नही देंगे।
दिल्ली बीजेपी के मीडिया रिलेशंस हेड नीलकांत बख्शी ने भी कहा कि कोरोना के बाद बारिश के मौसम में डूबती दिल्ली को छोड़कर फिर मुख्यमंत्री केजरीवाल पलायन करने के मूड में हैं।
भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस से कहा कि बनारस से लेकर पंजाब तक अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़कर देख चुके हैं। 2014 में उन्होंने सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था। भ्रष्टाचार समाप्त करने की बात कहकर दिल्ली की सत्ता में आए अरविंद केजरीवाल से पूछना चाहता हूं कि वह दिल्ली का कोई एक जिला बता दें, जो भ्रष्टाचार मुक्त हो गया हो।
चेन्नई, 20 अगस्त। तमिलनाडु सरकार ने कोविड -19 महामारी और केंद्र सरकार द्वारा धार्मिक मण्डलों पर प्रतिबंध लगाने का हवाला देते हुए गुरुवार को लोगों को अपने घरों के अंदर ही गणेश चतुर्थी मनाने की सलाह दी है। सरकार द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना करने और उन्हें जुलूस में ले जाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए गए हैं।
बयान में कहा गया है कि मद्रास उच्च न्यायालय ने भी इस मामले पर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि सरकार के इस आदेश का पालन किया जाना चाहिए।(IANS)
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा तय करने संबंधी दलीलों की सुनवाई शीर्ष अदालत की दूसरी पीठ द्वारा की जाए। न्यायाधीश अरुण मिश्रा, बी. आर. गवई और कृष्ण मुरारी ने भूषण की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे से कहा कि वह न्यायालय से अनुचित काम करने को कह रहे हैं कि सजा तय करने संबंधी दलीलों पर सुनवाई कोई दूसरी पीठ करे।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि इस धारणा से बचना चाहिए कि इस पीठ से बचने का प्रयास किया जा रहा है।
इस पर दवे ने जवाब दिया, पीठ यह धारणा क्यों दे रही है कि यह पीठ न्यायमूर्ति मिश्रा के सेवानिवृत्त होने से पहले सब कुछ तय करना चाहती है।
दवे ने आग्रह किया कि सजा के मामले पर एक अलग पीठ द्वारा विचार किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अनुरोध स्वीकार नहीं किया जा सकता। दवे ने जोर देकर कहा कि अगर इस सुनवाई को समीक्षा तक टाल देंगे, तो कोई आसमान नहीं गिर जाएगा। हालांकि, न्यायमूर्ति गवई ने मामले को दूसरी पीठ को स्थानांतरित (ट्रांसफर) करने से इनकार कर दिया।
मामले को अलग पीठ को दिए जाने की मांग पर पीठ ने कहा कि यह उचित नहीं है और यह स्थापित प्रक्रिया और मानदंडों के खिलाफ है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने जवाब दिया, "मान लीजिए अगर मैं पद से सेवानिवृत्त नहीं हो रहा हूं, तो क्या इसके बारे में कभी सोचा जा सकता है?"
पीठ ने भूषण को विश्वास दिलाया कि जब तक उन्हें अवमानना मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर निर्णय नहीं आ जाता, सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
अवहेलना या अवमानना मामले में उक्त व्यक्ति को छह महीने तक के साधारण कारावास या 2,000 रुपये तक के जुमोने या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने भूषण को 14 अगस्त को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट्स के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।
भूषण ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि उन्हें गलत समझा गया है।
उन्हें कहा कि वह दया नहीं मांग रहे हैं और न ही वह अदालत से उदारता की अपील कर रहे हैं। भूषण ने कहा, "मेरे ट्वीट जिनके आधार पर अदालत की अवमानना का मामला माना गया है, दरअसल वो मेरी ड्यूटी हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं।" वहीं शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि ट्वीट विकृत तथ्यों पर आधारित थे।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अदालत की अवमानना मामले में सजा पर सुनवाई के दौरान कहा कि हर चीज की एक लक्ष्मण रेखा होती है, जो कि परंपराओं या तय नियमों पर आधारित है, जिसे कभी नहीं तोड़ा जाना चाहिए। न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को भूषण से कहा कि अगर आप अपनी टिप्पणियों को संतुलित नहीं करते हैं, तो आप संस्थान को नष्ट कर देंगे और अदालत इतनी आसानी से अवमानना की सजा नहीं देती है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, संतुलन होना ही चाहिए। संयम तो होना ही चाहिए। हर चीज के लिए एक लक्ष्मण रेखा होती है। आप रेखा को क्यों पार करना चाहते हैं?
सुनवाई के दौरान भूषण ने दावा किया कि उन्होंने शीर्ष अदालत में कुछ व्यक्तिगत और व्यावसायिक मुद्दों पर जनहित के लिए मुकदमे लड़े हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके ट्वीट गैरहाजिर रहने की स्थिति में नहीं किए गए।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि अदालत जनहित में अच्छे मामलों को लड़ने का स्वागत करती है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, मैंने एक न्यायाधीश के रूप में 20 वर्षों में किसी को अवमानना का दोषी नहीं ठहराया। यह मेरा पहला ऐसा आदेश है।
भूषण का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने अदालत के समक्ष दलील दी कि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है कि दोनों ट्वीट्स ने शीर्ष अदालत की महिमा को कम किया हो।
धवन ने पीठ से पूछा कि वह बताएं कि अदालत को ऐसा क्यों लगा कि भूषण के ट्वीट अपमानजनक थे।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जांच की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुधवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दिए जाने के एक दिन बाद एजेंसी की विशेष जांच दल मुंबई के लिए रवाना होगी। सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार शाम को एसआईटी की टीम मुंबई के लिए रवाना हो सकती है और यह टीम सम्भवत: इसी दिन मुम्बई पहुंचकर जांच का काम औपचारिक तौर पर अपने हाथ में ले लेगी।
सूत्र ने कहा कि मुंबई जाने वाली टीम की अगुवाई सीबीआई की पुलिस अधीक्षक (एसपी) नूपुर प्रसाद करेंगी। कोविड-19 से जुड़ी मेडिकल रिपोर्ट के साथ वे मुंबई पहुंचेंगे जिसके चलते हफ्ते भर पहले बिहार पुलिस की टीम को परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
सूत्र ने यह भी कहा कि सीबीआई की टीम द्वारा मुंबई पुलिस से सारे दस्तावेजों का संग्रह किया जाएगा और वे जांच अधिकारी से भी मिलेंगे जिन्होंने सुशांत मामले को संभाला था।
जरूरत पड़ी तो टीम, मुंबई पुलिस के डीसीपी से भी बात करेगी, जिनके साथ सुशांत के परिवार ने इस साल फरवरी में अभिनेता की जान को खतरा होने का हवाला देते हुए एक व्हाट्सअप चैट साझा किया था।
एजेंसी के अधिकारी बांद्रा में स्थित सुशांत के घर पर भी जा सकते हैं जहां 14 जून को वह मृत पाए गए थे और साथ ही टीम द्वारा उन पांच लोगों को भी बुलाए जाने की संभावना है जो मौत के बाद वहां पहुंचे हुए थे।
अधिक जानकारी जुटाने के लिए टीम की सुशांत की बहन मीतू सिंह से भी मिलने की संभावना है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| कोविड -19 महामारी के कारण लगे झटके से कृषि क्षेत्र को बचाने के प्रयास में सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से किसानों को रियायती दरों पर ऋण देने के लिए एक विशेष संतृप्ति अभियान शुरू किया है। इसके तहत 17 अगस्त तक 1.22 करोड़ केसीसी को 1,02,065 करोड़ रुपये की क्रेडिट सीमा के साथ मंजूरी दी जा चुकी है।
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए और कृषि विकास में तेजी लाने के लिए यह कदम एक लंबा रास्ता तय करेगा।
बता दें कि "आत्मनिर्भर भारत" पैकेज के हिस्से के रूप में सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपये के रियायती ऋण का प्रावधान करने की घोषणा की थी। यह घोषणा करते हुए उम्मीद जताई गई थी कि इससे मछुआरों और डेयरी किसानों सहित 2.5 करोड़ किसानों को लाभ होने की संभावना है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के स्वास्थ्य में हल्का सुधार हो रहा है। आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल ने गुरुवार को यह जानकारी दी। इससे पहले फेफड़े में संक्रमण की वजह से उनकी हालत बिगड़ने लगी थी। वह बीते 10 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं और ब्रेन सर्जरी के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
अस्पताल के अधिकारियों ने कहा, ' प्रणब मुखर्जी के श्वास पैरामीटर में सुधार हो रहा है, हालांकि वह लगातार वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।"
अधिकारियों ने यह भी कहा कि उनके महत्वपूर्ण और क्लिनिकल पैरामीटर स्थिर बने हुए हैं और विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा करीब से उसका अवलोकन किया जा रहा है। बुधवार को, अधिकारियों ने कहा था कि पूर्व राष्ट्रपति की तबीयत बिगड़ रही है।
प्रणब मुखर्जी को 10 अगस्त को ब्रेन क्लॉट की आपात सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, हालांकि जांच में वह कोविड-19 से संक्रमित पाए गए थे।
सीबीआई ने 7 अगस्त को बिहार सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसी की जांच के लिए सिफारिश किए जाने के बाद केंद्र सरकार के आदेश पर 34 वर्षीय अभिनेता की मौत की जांच की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली थी।
25 जुलाई को बिहार पुलिस के पास सुशांत के पिता केके सिंह द्वारा दर्ज शिकायत के आधार पर सीबीआई ने सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती, उनके पिता इंद्रजीत, मां संध्या, भाई शोविक, सुशांत के पूर्व मैनेजर श्रुति मोदी और फ्लैट मेट सैमुअल मिरांडा सहित कई अन्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
सीबीआई ने सुशांत के पिता और उनकी बड़ी बहन रानी सिंह का बयान भी दर्ज किया है। एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, बयान में उनके परिवार का यही कहना है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है।
संदीप पौराणिक
बैतूल, 20 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की पुलिस ने अवैध शराब के खिलाफ अनूठी जंग छेड़ी है। पुलिस इस कारोबार में लिप्त लोगों के नजरिए में बदलाव लाने का अभियान चला रही है जिसके तहत अवैध शराब बनाए जाने वाली जगह का गाय के गोबर से शुद्धिकरण किया जा रहा है और रंगोली उकेरी जा रही है।
बैतूल जिले के कई हिस्सों में अवैध शराब का कारोबार चलता है, इसे रोकने के साथ इस कारोबार में लगे लेागांे की सोच और नजरिए में बदलाव लाने के प्रयास तेज किए गए हैं। जिन स्थानों पर अवैध तरीके से शराब बनाई जाती है उन क्षेत्रों और कारोबार से जुड़े लोगों पर कार्रवाई तो हो रही है, साथ में उन्हें इस कारोबार से दूर रखने की शपथ भी दिलाई जा रही है।
पुलिस को इस अभियान के तहत जहां भी अवैध शराब बनाने की जानकारी मिलती है, वहां पुलिस मौके पर पहुंचती है और सभी सामग्री को नष्ट करने की कार्रवाई करती है। उसके बाद शराब बनाने वालों से संकल्प पत्र भरवाए जाते हैं और शपथ दिलाई जाती है कि दोबारा वह शराब नहीं बनाएंगे। इसके अलावा पुलिस द्वारा जिस स्थान पर शराब बनाई जा रही थी उस स्थान को बाकायदा गाय के गोबर से लिपाई-पुताई कर शुद्ध करवाती है और उस पर रंगोली भी उकेरी जा रही है ताकि शुद्धता बनी रह सके ।
इस अभियान का नेतृत्व बैतूल के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) संतोष पटेल कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे इस अभियान से निर्भया, संगवारी मोबाइल, महिला सेल और ग्राम रक्षा समिति की महिला सदस्यों को जोड़ा गया है। यह दल उन इलाकों का दौरा करता है जहां कच्ची महुआ शराब बनाने और बेचे जाने की जानकारी मिलती है। मौके पर पहुंचकर दल के सदस्य पहले तो अवैध कच्ची शराब और उसे बनाने के लिए उपयोग किये जाने वाले साधनों को नष्ट करते हैं।
पुलिस के मुताबिक अवैध शराब बनाते पकड़े गए परिवारों को मौके पर समझाया जाता है, संकल्प दिलाया जाता है और गोबर से लिपाई-पुताई कराने के बाद रंगोली बनवाई जाती है। उसके बाद भी अगर वह फिर से इस अवैध काम में लिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डीएसपी संतोष पटेल ने बताया है कि इस अभियान के तहत दल ने कोतवाली थाना इलाके के गांव गौठान के इलाको में सर्च अभियान चलाया। यहां पर एक चूल्हे पर कच्ची शराब बनाते हुए एक महिला को पकड़ा गया। मौके पर बनाया गया चूल्हा और बर्तन नष्ट कर स्थान का शुद्धिकरण किया गया। इसके साथ ही यह दल शहर में भी अवैध शराब और जुए के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चला रहा है।
डीएसपी पटेल ने आगे बताया कि अभियान के तहत उन स्थलों और गांवों को चिन्हित किया गया है। जहां शराब बनाने की सामाजिक बुराई ज्यादा है। वहा ग्रामीणों को इस बुराई से हटाने के लिए सामाजिक रीति परम्पराओ का सहारा लिया जा रहा है।
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 20 अगस्त (आईएएनएस)| खादी -फैब्रिक ऑफ फ्रीडम, जंगे आजादी और स्वदेशी का प्रतीक। वैश्विक महामारी कोरोना के इस दौर में अपनी नयी भूमिका में है। खादी के मास्क जिंदगी बचाने से लेकर लाखों लोगों की जीविका का जरिया बन चुके हैं।
खादी के मास्क से कितनों की जिंदगी बची यह तो नहीं बताया जा सकता है, पर उत्तर प्रदेश में -- स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी करीब छह लाख महिलाओं को रोजगार मिल चुका है। अब तक करीब छह लाख मीटर खादी के कपड़ों से बने 5.7 मिलियन मास्क वाजिब दाम प्रति मास्क 10 रुपये पर लोगों को दिये जा चुके हैं। यह क्रम अभी जारी है।
खास बात यह है कि जिन महिलाओं को अभूतपूर्व संकट के इस दौर में रोजगार मिला है, वे ग्रामीण क्षेत्रों की हैं। यह समाज का वह तबका है जो 25 मार्च को घोषित लॉकडाउन से सर्वाधिक प्रभावित रहा। इस तबके को न केवल प्रतिदिन 200 रुपये के औसत से रोजगार मिला बल्कि जहां जरूरत हुई वहां मास्क की गुणवत्ता के अनुपालन के लिए इनको प्रशिक्षण भी दिया गया। आज स्थिति यह है कि खादी के मास्क कोरोना के खिलाफ जारी जंग के प्रमुख हथियार - सोशल डिस्टेंसिंग, हैंडवॉश-सैनीटाइजर में से एक है।
इस तरह खादी के मास्क के लिए पहल करने वाला उत्तर पद्रेश पहला राज्य बन गया है।
अप्रैल 2020 में घर से निकलने पर मास्क को अनिवार्य किए जाने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में इसके लिए पहल शुरू कर दी गयी। तय हुआ कि खादी विभाग कपड़े मुहैया कराएगा। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं का सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) इसको बनाएंगी। मानक के अनुसार मास्क की गुणवत्ता सुनिश्चित कराने के लिए जहां जरूरी होगा वहां महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
अपर प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग नवनीत सहगल ने कहा, खादी के मास्क की कई खूबियां हैं। यह पूर्णत: स्वदेशी है। पूरी तरह इकोफ्रेंडली होने के साथ इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। दुबारा उपयोग और बायोग्रेडिवल होना इसकी अतिरिक्त खूबियां हैं। यही वजह है कि लोग इसे पसंद भी कर रहे हैं। मास्क लोगों को वाजिब दाम पर मिले इसके लिए सरकार कोविड फंड से अनुदान भी दे रही है।
मनोज पाठक
पटना, 20 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार के गोपालगंज जिले के कई इलाकों में अब बाढ़ का पानी कम जरूर हुआ है लेकिन बाढ़ से हुई बर्बादी का मंजर देख ग्रामीणों को आने वाली जिंदगी को फिर से बसाने की चिंता सताने लगी है। ऐसे लोग गांव में पहुंचकर बाढ़ के मंजर को देख कर आए लेकिन अभी वे गांव में रहने के लिए जाना नहीं चाहते। वे अभी भी सड़कों के किनारे और बांध पर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं।
सिधवलिया प्रखंड के सकला गंडक नहर पर सकला और बुचेया गांव के 35 से 40 परिवार शरण लिए हुए हैं, कुछ दिन तो इन्हें सरकार की ओर से भोजन मिला लेकिन अब वह भी बंद हो गया। आज भी ये लोग सरकार की ओर से मिले तिरपाल से झोपड़ी बनाकर दिन और रात गुजार रहे हैं। कई लोगों के तिरपाल भी फट गए हैं।
इनके सामने बाढ़ और बारिश से दोहरी मार परेशानी का सबब बनी हुई है। भादो महीने की अंधेरी रात और सड़कों पर जीवन गुजाराना इनके लिए मुश्किल हो गया है। सकला गांव के राजेंद्र राम कहते हैं कि प्रशासन द्वारा जो तिरपाल दिया गया था, वह भी फट गया है। किसी तरह कपड़ों के सहारे फिर से झोपड़ी बनाकर सिर और तन ढंक रहे हैं। बारिश में तो यह भी सिर और तन छिपाने में असफल हो जा रहे हैं।
इसी गांव की रहने वाली प्रमिला देवी कहती है, गरीबों को देखने वाला कोई नहीं है, बाबू। सबलोग आपना फायदा देखता है। एक महीना से हमलोग यहां हैं। गांव में जितना कच्चा मकान था, सब बाढ़ के पानी में ढह गया है। बाढ़ का पानी तो उतर रहा है, लेकिन अब हमलोग जांएगें तो कहां जाएंगें?
एक बाढ़ पीड़ित कहते हैं, मैंने खेत में फसल लगा रखी थी, वो बर्बाद हो गई थी, लेकिन मुआवजा नहीं मिला। कब मिलेगा कोई नहीं जानता।
इधर, बरौली प्रखंड के बरौली बाजार में बाढ़ ने सबकुछ बर्बाद कर दिया है। सिधवलिया बाजार पहुंचने के लिए सभी ओर की सड़कें बाढ़ के पानी में तबाह हो चुकी हैं। बाजार तो खुल रहे हैं लेकिन ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं। व्यवसायी पहले से ही कोरोना से परेशान थे, अब बाढ़ के चलते उनकी कमर ही टूट गई है। अब तो स्थिति इनके सामने बैंक से लिए गए ऋण चुकाने की चिंता है।
बिहार में ऐसे तो 16 जिले बाढ से प्रभावित हैं, लेकिन गोपालगंज में इस साल गंडक ने काफी तबाही मचाई है। फिलहाल गंडक के जलस्तर में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा/दि प्रिंट)। कांग्रेस ने प्रियंका गांधी की ओर से पार्टी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को सौंपने की पैरवी किए जाने के दावे की पृष्ठभूमि में बुधवार को कहा कि यह टिप्पणी एक साल पुरानी है और पार्टी के हर कार्यकर्ता की यह भावना है कि राहुल गांधी ही एक बार फिर से कांग्रेस की कमान संभालें।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि प्रियंका गांधी की एक साल पुरानी टिप्पणी को भाजपा के इशारे पर तूल दिया जा रहा है।
दरअसल, हाल ही में आई एक पुस्तक ‘इंडिया टुमॉरो’ में दावा किया गया है कि प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी की उस बात का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति को कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया जाना चाहिए।
सुरजेवाला ने इस पर ट्वीट किया, ‘नेहरू-गांधी परिवार ने सत्ता के मोह से दूर, सदा सेवाभाव से कांग्रेस को एक सूत्र में बांधे रखा है। 2004 में सोनिया गांधी ने सत्ता के बजाए पार्टी की सेवा चुनी। 2019 में राहुल गांधी ने भी दृढ़ विश्वास की हिम्मत दिखाई और कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।’
उन्होंने दावा किया, ‘हम प्रियंका गांधी की एक वर्ष पुरानी टिप्पणी (1 जुलाई, 2019) में अचानक उपजी मीडिया के एक धड़े की रूचि (सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर) के खेल को समझते हैं। आज समयज् मोदी-शाह द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर किए जा रहे बर्बरतापूर्ण हमले का सामना करने और निडरता से इससे लोहा लेने का है।’
सुरजेवाला ने कहा, ‘लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी के उस अथक संघर्ष व संकल्प के गवाह हैं, जिससे उन्होंने इस लड़ाई का नेतृत्व किया है। न तो उन्होंने विपरीत परिस्थितियों की परवाह की और न ही मोदी सरकार के वीभत्स हमलों की। यही वह निडरता और अदम्य साहस है जिसकी कांग्रेस को ही नहीं, बल्कि देश को सबसे ज्यादा जरूरत है।’
पुस्तक में किए गए दावे के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, ‘नेहरू-गांधी परिवार का बड़प्पन है कि उसने हमेशा निजी हितों से ऊपर पार्टी और देश के हित को रखा है। उन्होंने कई मौकों पर बड़े त्याग किए।’
उन्होंने कहा, ‘आज देश के युवा और कार्यकर्ता चाहते हैं कि राहुल गांधी ही कांग्रेस का नेतृत्व करें। लेकिन इस बारे में निर्णय लेने का अधिकार कांग्रेस कार्यसमिति और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को है।’
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| भारत में जीमेल और ड्राइव जैसी गूगल की सर्विसेज में गुरुवार सुबह से ही रुकावट आ रही है। यूजर्स ने सोशल मीडिया पर शिकायत की कि उन्हें गूगल के कई सर्विसेज में कनेक्ट करने संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर जीमेल में यह दिक्कत सबसे ज्यादा आ रही है। आउटेज मॉनिटर पोर्टल डाउन डिटेक्टर के मुताबिक, 62 फीसदी लोगों को अटैचमेंट से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ा और लॉग-इन से जुड़ी 25 फीसदी शिकायत दर्ज की गई।
हालांकि ऐसा सभी के साथ नहीं हुआ है। सेवाओं में रुकावट आने की वजह का पता अभी तक नहीं लग पाया है।
गूगल ऐप्स के स्टेटस पेज ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें जीमेल और गूगल ड्राइव से संबंधित शिकायत प्राप्त हुए हैं।
जीमेल पर 11 प्रतिशत से अधिक यूजर्स ने मैसेज मिलने से संबंधित दिक्कतों को लेकर शिकायत की है।
एक यूजर द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किया गया, "हैशटैगजीमेल का सर्वर डाउन हो गया है, डाक्यूमेंट्स को अटैच करने में परेशानी हो रही है।"
गूगल ने आधिकारिक तौर पर इस पर अब तक अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त। वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि 3-जजों की बेंच, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस अरुण मिश्रा ने की है, उसके फैसले पर पुनर्विचार किया जाए, जिसमें अधिवक्ता प्रशांत भूषण को दो ट्वीट्स के कारण अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया गया है। जयसिंह ने मामले की सुनवाई के लिए 32 न्यायाधीशों की एक पूर्ण अदालत की मांग की है। उन्होंने यह टिप्पणी भारतीय-अमेरिकियों द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कीनोट स्पीच के दौरान की है। भारतीय-अमेरिकियों के समूह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भूषण के साथ एकजुटता का प्रदर्शन किया है और उनके खिलाफ अवमानना के आरोपों पर रोष प्रकट किया है।
उल्लेखनीय है कि 14 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई, और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के बारे में प्रशांत भूषण द्वारा किए गए दो ट्वीटों के मामले अवमानना का दोषी ठहराया। बेंच उन्हें 20 अगस्त को सजा सुनाएगी। इस संदर्भ में, जयसिंह ने कहा, अगर मैं अपने मन की बात कहती हूं, इसलिए मेरा अस्तित्व है। लेकिन, अगर यह अधिकार खतरे में पड़ता है, तो मेरी अस्तित्व भी नहीं बच पाएगा।
उन्होंने कहा कि एक अदालत, जिसके पास जनहित याचिका की सुनवाई की शक्ति है, वह असंतोष के स्वरों को सुनने से खुद को रोक नहीं सकती। उन्होंने कहा, आधुनिक उदारवादी लोकतंत्रों में, एक स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता है, और एक स्वतंत्र न्यायपालिका को पारदर्शी होने की आवश्यकता है। जयसिंह ने कहा, हमारा कर्तव्य है कि यदि हम न्यायालय को उसके रास्ते से भटकते हुए देखें तो बोलें। जयसिंह ने आपराधिक अवमानना के अपराध के अस्तित्व पर भी सवाल उठाया।
उन्होंने कहा, हमारा नागरिक के रूप में एक कर्तव्य है कि हम जीवंत आलोचना करें। लेकिन, बोलने की आज़ादी की नींव को झकझोर दिया गया है। हमें स्वतंत्र रूप से बोलने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है? सत्ता के समक्ष सत्य। उन्होंने कहा कि न्याय देने का सुप्रीम कोर्ट मुख्य कार्य सभी के लिए है, और वो बड़े पैमाने पर जनता के प्रति जवाबदेह होना है। यह जवाबदेही अवमानना के भय के बिना, स्वतंत्र भाषण के साथ ही इस्तेमाल की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जनता का सहयोगी है और एक भारतीय नागरिक का सार्वजनिक क्षेत्राधिकार सार्वजनिक है इसलिए, नागरिकों को असहमति का अधिकार है। जयसिंह ने फैसले की विसंगतियों पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, अदालत निष्पक्ष आलोचना के पहलू को संबोधित करने में विफल रही है और यह दिखाने में विफल रही कि ट्वीट न्याय में हस्तक्षेप कैसे हो सकता है। उन्होंने फैसले के उस बयान का मुद्दा भी उठाया, जिसमें कहा गया था कि न्यायालय पर से जनता का विश्वास हिल जाएगा। जयसिंह ने कहा, कहा गया है कि जनता का विश्वास न्यायालय पर से हिल जाएगा। क्या जनता से सलाह ली गई थी? या क्या तीन न्यायाधीश ही जनता हैं? उन्होंने कहा कि कई संपादकीय और फैसले के खिलाफ आए बयानों ने से स्पष्ट है कि लोग बोलने की आजादी के पक्षधर हैं। जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार करने के साथ अपना भाषण समाप्त किया।
उन्होंने कहा, मैं सुप्रीम कोर्ट के 32 जजों की एक पूर्ण अदालत द्वारा फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करती हूं। क्या यह पूरे न्यायालय का दृष्टिकोण है? हम यह जानना चाहते हैं। मुझे अपनी बात कहने का मौका देने के लिए धन्यवाद। प्रशांत भूषण के मामले में ही सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, जस्टिस कुरियन जोसेफ ने एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया कि सुओ मोटो अवमानना मामलों में अंतर-न्यायालयीय अपील की सुनवाई प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि न्याय के गर्भपात की दूरस्थ संभावना से बचने के लिए अंतर-न्यायालयीय अपील की सुरक्षा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जस्टिस सीएस कर्णन के खिलाफ अवमानना मुकदमे का फैसला 7 जजों की पीठ द्वारा पारित किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के महत्वपूर्ण मामलों को प्रत्यक्ष सुनवाई में विस्तार से सुना जाना चाहिए, जहां व्यापक चर्चा और व्यापक भागीदारी की गुंजाइश है। (hindi.livelaw)
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| देश में गुरुवार को एक ही दिन में 69,652 नए कोरोनावायरस मामले दर्ज हुए जो कि अब तक के दैनिक मामलों में सबसे ज्यादा है। इसके बाद देश में मामलों की कुल संख्या बढ़कर 28,36,925 हो गई है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि पिछले 24 घंटों में कोविड-19 के कारण 977 लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जिससे अब राज्य में कुल मृत्यु संख्या 53,866 हो चुकी है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में अभी कुल सक्रिय मामले 6,86,395 हैं। वहीं अब तक कोरोना मुक्त हुए लोगों की कुल संख्या 20,96,664 हो चुकी है। पिछले 24 घंटों में 58,794 लोग अस्पताल और क्वारंटीन सेंटर्स से डिस्चार्ज हुए हैं। इसके बाद देश में रिकवरी दर 73.91 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
सरकार ने कहा कि 19 अगस्त तक कुल 3,26,61,252 नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है।
सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में 1,60,728 सक्रिय मामले हैं। यहां 4,46,881 लोग अब तक संक्रमण से उबर चुके हैं। वहीं पिछले 24 घंटों में 346 लोगों की मौत के साथ यहां मौतों की कुल संख्या 21,033 हो गई है।
आंध्र प्रदेश में वर्तमान में 86,725 सक्रिय मामले हैं। पिछले 24 घंटों में 8,061 लोगों के ठीक होने के साथ यहां अब तक कुल 2,26,372 लोग इस घातक वायरस से उबर चुके हैं। इसके अलावा राज्य ने पिछले 24 घंटों में 86 मौतें भी दर्ज कीं, जिससे यहां मृत्यु संख्या 2,906 पर पहुंच गई है।
वहीं कर्नाटक में कुल 81,113 सक्रिय मामले हैं। यहां अब तक 1,64,150 लोग ठीक हो चुके हैं और पिछले 24 घंटों में 126 मौतों के साथ राज्य में इस वायरस के कारण मरने वालों की संख्या 4,327 हो चुकी है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां 11,137 सक्रिय मामले हैं। पिछले 24 घंटों में 1,320 लोगों के ठीक होने के साथ अब तक 1,40,767 लोग ठीक हो चुके हैं। पिछले 24 घंटों में वायरस से 9 लोगों की मौत के साथ राजधानी में अब तक हुई मौतों की संख्या 4,235 हो चुकी है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| पद्म विभूषण पंडित जसराज का 17 अगस्त को 90 साल की उम्र में अमेरिका के न्यू जर्सी में निधन के बाद उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि बापूजी का दिल एक बच्चे की तरह था। वह लगातार सीखते रहने में विश्वास रखते थे। दुर्गा जसराज ने आईएएनएस को बताया, "मैं, मेरे भाई (संगीतकार शारंग देव) बापूजी को अपने पिता के रूप में पाकर धन्य और भाग्यशाली महसूस करती हूं, क्योंकि हम सभी भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में उनके योगदान के बारे में जानते हैं। लेकिन उन्होंने जिस तरह अपना जीवन व्यतीत किया उससे हमें उनके नक्शेकदम पर चलने की प्रेरणा मिली।"
उन्होंने आगे कहा, "हम एक ऐसे घर में पले-बढ़े हैं, जहां उनके कम से कम सात से 10 छात्र हमारे साथ रहते थे, क्योंकि वे गुरु-शिष्य परंपरा में विश्वास करते थे। उन्होंने कभी उनसे पैसे नहीं लिए क्योंकि उनके लिए यह "विद्या दान" था। जब हम बड़े हो रहे थे, तब तक बापूजी एक सुपरस्टार बन चुके थे लेकिन तब भी उनके पास हम सभी के लिए समय होता था।"
संगीत में विभिन्न प्रयोगों के लिए मशहूर पंडित जसराज को लेकर उनकी बेटी कहती हैं, "बापूजी बहुत खुले विचारों वाले थे और हमेशा हमें प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। लेकिन बापूजी कुछ चीजों को लेकर बहुत सख्त थे। अनुशासन और शारीरिक फिटनेस को लेकर वो बहुत सख्ती बरतते थे। उन्होंने हमेशा कहा कि यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं तो आप किसी भी चीज में उत्कृष्टता प्राप्त नहीं कर सकते।"
उन्होंने बताया, "बापूजी का दिल बच्चे की तरह था। वह हमेशा कुछ न कुछ नया सीखते रहते थे। लॉकडाउन के दौरान दुनिया भर में फैले स्टूडेंट्स को संगीत सिखाने के लिए उन्होंने टेक्नॉलॉजी का उपयोग करना सीखा।"
सुशांत सिंह राजपूत मामले में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेशवर पांडे की रिया चक्रवर्ती पर टिप्पणी सुर्ख़ियाँ बटोर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला सीबीआई को सौंप दिया है और ये भी कहा है कि बिहार सरकार ने सीबीआई जाँच की जो सिफ़ारिश की थी, वो सही थी. कोर्ट ने ये भी कहा कि पटना में दर्ज एफ़आईआर में भी कुछ ग़लत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद बिहार के डीजीपी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री पर टिप्पणी करने की औकात रिया चक्रवर्ती की नहीं है. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर ख़ुशी जताते हुए कहा कि बिहार पुलिस ने जो भी किया, वो सही था और क़ानून के दायरे में था.
पत्रकारों ने गुप्तेश्वर पांडे से रिया चक्रवर्ती के उस बयान के बारे में पूछा था, जिसमें रिया ने बिहार पुलिस की जाँच में राजनीति की बात की थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी ज़िक्र किया था. रिया चक्रवर्ती ने बिहार पुलिस की जाँच पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी.
हालांकि अब बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने इस मामले में क्षमा मांग ली है. एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर उनकी बात से कोई तकलीफ़ है तो वे क्षमा मांगते हैं.
गुप्तेश्वर पांडे ने कहा, "मुझे कोई समझा दे कि इसमें क्या अभद्र है, क्या अमर्यादित है और क्या ग़ैर क़ानूनी है. मैंने कहा कि उनकी हैसियत नहीं है कि वो बिहार के माननीय मुख्यमंत्री पर रिया चक्रवर्ती कोई अभद्र, अशोभनीय टिप्पणी करें. अगर इससे उनको कोई तकलीफ़ है. उनको लगता है कि मैंने ये औकात शब्द का जो इस्तेमाल किया है, उससे उनकी गरिमा को चोट पहुँची है, तो इसके लिए मुझे क्षमा मांगने में कोई संकोच नहीं है. लेकिन केवल महिला होने की लिबर्टी ये नहीं है कि आप किसी प्रांत के मुख्यमंत्री, वैसा मुख्यमंत्री जो अपनी ईमानदारी के लिए और अपनी इंसाफ़पसंदी के लिए जाना जाता है, उस पर आप कोई अमर्यादित, अशोभनीय टिप्पणी करे. अगर मेरी बात से कोई तकलीफ़ है तो क्षमा मांगते हैं."
बिहार के रहने वाले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत 14 जून को मुंबई स्थित अपने आवास पर मृत पाए गए थे. मुंबई पुलिस ने इसे आत्महत्या कहा था. बाद में सुशांत सिंह के पिता केके सिंह ने पटना पुलिस में एफ़आईआर दर्ज कराई और रिया चक्रवर्ती पर आत्महत्या के लिए उकसाने के साथ-साथ अन्य गंभीर आरोप भी लगाए.
नीतीश ने जताई ख़ुशी
लेकिन मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस को जाँच में सहयोग नहीं किया और अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए. बाद में रिया चक्रवर्ती सुप्रीम कोर्ट पहुँच गईं. इस बीच बिहार सरकार ने इस मामले में सीबीआई जाँच की सिफ़ारिश भी कर दी और केंद्र सरकार ने सिफ़ारिश मंज़ूर भी कर ली. और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई जाँच को हरी झंडी दे दी है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर ख़ुशी ज़ाहिर की है और कहा है कि उन्हें अब उम्मीद है कि सुशांत सिंह मामले में न्याय हो पाएगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से बिहार सरकार का पक्ष सही साबित हुआ है और ये भी स्पष्ट हो गया है कि इस मामले में कोई राजनीतिक दख़ल नहीं था.
रिया चक्रवर्ती पर टिप्पणी करते हुए बिहार के डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहयोग के कारण ही सुशांत सिंह राजपूत को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है.
रिया चक्रवर्ती के मामले में बिहार के डीजीपी ने मुंबई पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे. गुप्तेश्वर पांडे का कहना है कि जब उनके आईपीएस अधिकारी विनय तिवारी को बेवजह क्वारंटीन किया गया, तभी उन्होंने अपना मुँह खोला.
मीडिया में अपने बयानों के कारण चर्चित गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि उन्हें सरकार ने बिहार पुलिस का पक्ष रखने को कहा है और वे कोई राजनीतिक बयान नहीं दे रहे हैं.
सोशल मीडिया पर घिरे डीजीपी
बिहार के डीजीपी के औकात वाले बयान पर सोशल मीडिया में भी ख़ूब चर्चा हो रही है. ट्विटर पर सलमान नाम के एक यूज़र ने आईपीएस एसोसिएशन को टैग करते हुए लिखा है- क्या है ये. क्या ये महिलाओं का सम्मान है. कृपया कोई कार्रवाई करें. एक तरफ़ बोलते हैं नारी का सम्मान करो, दूसरी तरफ़ नारी की औकात निकाल के उसका अपमान करते हैं.
एक और यूज़र अभिषेक ने लिखा है- किसी औरत की "औकात" पर बोलने वाले आप कोन होते हैं गुप्तेश्वर पांडेय जी?
बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे के पक्ष में भी कुछ लोगों ने टिप्पणी की है.
एक यूजर ऋषभ राजपूत ने लिखा है कि हम भारतीय औकात शब्द का इस्तेमाल करते रहते हैं.(bbc)
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक अर्जी दायर की है, जिसमें अवमानना मामले के संबंध में उनकी सजा पर सुनवाई टालने की गुहार लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि जब तक इस संबंध में एक समीक्षा याचिका दायर नहीं की जाती और अदालत द्वारा इस पर विचार नहीं किया जाता, तब तक सजा पर सुनवाई को टाल दिया जाए। भूषण को दो ट्वीट के माध्यम से न्यायपालिका पर टिप्पणी करने के मामले में अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है और गुरुवार को उनकी सजा सुनाने के बारे में फैसला होना है।
अधिवक्ता कामिनी जायसवाल के माध्यम से दायर एक आवेदन में उन्होंने कहा है किया कि मानव निर्णय अचूक नहीं है और सभी प्रावधानों के बावजूद निष्पक्ष सुनवाई तथा न्यायपूर्ण निर्णय सुनिश्चित करने में गलती संभव है और त्रुटियों से इनकार नहीं किया जा सकता है।
अर्जी में कहा गया है, आपराधिक अवमानना कार्यवाही में यह अदालत एक ट्रायल कोर्ट की तरह काम करती है और यह अंतिम अदालत भी है। धारा 19 (1) हाईकोर्ट द्वारा अवमानना का दोषी पाए गए व्यक्ति को अपील का वैधानिक अधिकार देती है। यह फैक्ट है कि अदालत के फैसले के खिलाफ कोई भी अपील नहीं है और यह दोगुना आवश्यक हो जाता है कि यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत सावधानी बरती जाए कि न्याय केवल किया ही नहीं जाए, बल्कि यह होता हुआ दिखे भी।
शीर्ष अदालत में 2009 के अवमानना मामले में भूषण की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि भूषण 14 अगस्त के फैसले के खिलाफ एक समीक्षा दायर कर सकते हैं, जिन्हें अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है।
भूषण ने सुप्रीम कोर्ट और प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबड़े के खिलाफ कथित तौर पर ट्वीट किया था, जिस पर स्वत: संज्ञान लेकर अदालत कार्यवाही कर रही है।
प्रशांत भूषण ने 27 जून को अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ और दूसरा ट्वीट प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ किया था। 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रशांत भूषण को नोटिस मिला।
प्रशांत भूषण ने अपने पहले ट्वीट में लिखा था कि जब भावी इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और प्रधान न्यायाधीश की भूमिका को लेकर सवाल पूछेंगे।
छिंदवाड़ा, 19 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में प्रेमी जोड़े की याद में हर साल आयोजित किए जाने वाले गोटमार मेले में परंपरा के मुताबिक दो पक्षों में जमकर पत्थरबाजी हुई। इस पत्थरबाजी में 25 लोगों केा चोटें आई हैं। छिंदवाड़ा मुख्यालय से 98 किलोमीटर दूर विकासखंड पांढुर्णा में वर्षो से चली आ रही परंपरा के मुताबिक, पोला पर्व के दूसरे दिन गोटमार मेला भरता है। इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव और रोकथाम के दृष्टिगत अनुविभाग स्तरीय आपदा प्रबंधन समूह और शांति समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, मेला समिति द्वारा सांकेतिक रूप से गोटमार मेला मनाने के लिए सुबह 10 बजे तक झंडा मां चंडिका देवी के मंदिर में समर्पित कर पूजन व आरती के बाद मेला समाप्त कर जनता कर्फ्यू का निर्णय लिया गया था, मगर प्रशासन के निर्देशों को दरकिनार कर पांढुर्णा और सांवरगांव के लोगों ने एक दूसरे पर पत्थर बरसाए।
छिंदवाड़ा के पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल ने बताया है कि गोटमार में कुल 25 लोगों के घायल होने की सूचना मिली है, जिनका उपचार किया गया। दूसरी ओर, स्थानीय लोग घायलों की संख्या इससे कहीं ज्यादा बता रहे हैं।
स्थानीय लोग बताते हैं कि गोटमार मेले केा लेकर किंवदंती है कि सावरगांव की एक आदिवासी कन्या का पांढुर्णा के किसी लड़के ने प्रेम प्रसंग था और उसने सावरगांव की लड़की से चोरी-छिपे प्रेम विवाह कर लिया था। जब वह लड़का अपने साथ लड़की को लेकर जाम नदी पार कर रहा था, तब सावरगांव के लोगों को पता चला और उन्होंने उन पर पत्थरों से हमला कर दिया था।
प्रचलित किंवदंती के अनुसार, जब सावरगांव के लोगों के पथराव करने की सूचना पांढुर्णा के लोगों हुई तो वे भी जवाब में पथराव करने लगे। दोनों गांवों के लोगों द्वारा किए गए पथराव से प्रेमी जोड़े की मौत हो गई थी। बाद में दोनों प्रेमियों के शवों को उठाकर क्षेत्र में स्थित किले पर मां चंडिका के दरबार में ले जाकर रखा और पूजा-अर्चना करने के बाद दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया। इसी घटना की याद में मां चंडिका की पूजा-अर्चना कर गोटमार मेले का हर साल आयोजन होता है। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है।
धार, 20 अगस्त (आईएएनएस)| हर पिता का सपना होता है कि उसका बेटा सफलताओं के कीर्तिमान स्थापित करें और जब कोई बाधा सामने आती है तो वह मुकाबला करने से भी नहीं हिचकता। मध्यप्रदेश के धार जिले में भी ऐसी ही कुछ बात सामने आई है, जहां बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए पिता ने 105 किलोमीटर साइकिल चलाई। वाक्या धार जिले के मनावर तहसील के बायडीपुरा गांव का है। यहां मजदूरी करने वाले शोभाराम के बेटे ने माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं की परीक्षा दी थी मगर उसे सफलता नहीं मिली। राज्य सरकार ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा में असफल छात्रों के लिए रुक जाना नहीं योजना शुरू की। इसके तहत असफल छात्र दोबारा परीक्षा दे सकते हैं और अपना भविष्य संवार सकते हैं।
शोभाराम के बेटे आशीष भी दसवीं की परीक्षा में असफल रहा और उसे भी रुक जाना नहीं योजना के तहत परीक्षा देनी थी मगर कोरोना महामारी के कारण सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह बंद होने पर उसके सामने एक बड़ी समस्या आ गई, क्योंकि मोटरसाइकिल आदि उसके पास थी नहीं, लिहाजा उसने साइकिल से ही जिला मुख्यालय पर स्थित परीक्षा केंद्र तक पहुंचने का फैसला लिया। उसके घर से परीक्षा केंद्र की दूरी 105 किलोमीटर है।
शोभाराम ने बेटे आशीष को साइकिल पर बैठाया और चल दिया परीक्षा केंद्र की ओर जहां परीक्षा होनी थी। शोभाराम ने लगभग 7 घंटे साइकिल चलाई तब वह कहीं जाकर परीक्षा केंद्र तक पहुंच पाया।
सोशल मीडिया पर शोभाराम का वीडियो वायरल हो रहा है। शोभाराम 3 दिन का राशन बांधकर गांव से परीक्षा दिलाने आया है। वह अपने बेटे को अधिकारी बनाना चाहता है। वह अपने साथ बिछौना भी लेकर आया है, क्योंकि होटल आदि में रुकने की उसकी हैसियत नहीं है।
मुंबई, 19 अगस्त (आईएएनएस)| महाराष्ट्र में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को सुशांत सिंह मौत मामले की सीबीआई जांच को अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। बीजेपी के कई नेता अब महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। वहीं जानेमाने वकील उज्जवल निकम ने भी इसे 'एक ऐतिहासिक फैसला' करार दिया। विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "अब दिवंगत अभिनेता और उसके फैंस को न्याय मिलने की उम्मीद की जा सकती है।"
फडणवीस ने कहा, "इस फैसले ने न्यायिक प्रणाली में विश्वास बढ़ाया है। महाराष्ट्र सरकार को अब खुद का अवलोकन करने की जरूरत है, जिस तरह से उन्होंने केस को हैंडल किया। मुझे विश्वास है कि सीबीआई जल्द ही अपनी जांच शुरू करेगी।"
निकम ने कहा कि, " इस फैसले का दूरगामी प्रभाव दिखेगा। इतिहास में यह पहली बार है कि अपराध किसी अन्य जगह हुआ, एफआईआर कहीं और दर्ज की गई और तीसरी एजेंसी-सीबीआई इसकी जांच करेगी।"
उन्होंने कहा कि, " सुशांत सिंह की मौत मामले में पूरे देश में इस बात पर संदेह जताया जा रहा था कि यह आत्महत्या है या हत्या। साथ ही मुंबई पुलिस की क्षमता पर भी सवाल उठे, जिसने समय पर इस संदेह को मिटाने के लिए कार्य नहीं किया।"
वहीं प्रदेश में भाजपा के उपाध्यक्ष किरिट सोमैया ने कहा, "अब तो ठाकरे सरकार की दादागीरी खत्म होगी।"
सोमैया ने साथ ही महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख और मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह से इस्तीफे की मांग की।
भाजपा नेता नीतीश राणे ने राज्य के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे पर ट्वीट कर निशाना साधा, "अब बेबी पेंगुईन तो गियो। इट इज शोटाइम।"
वहीं दूसरी तरफ शिवसेना नेता और शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने सुशांत केस में महाराष्ट्र सरकार पर लगाए जा रहे आरोपों की निंदा की है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद ही इस पर टिप्पणी करेंगे।
इटावा, 19 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के आगरा में करीब 15 घंटे की सनसनी फैलाने के बाद आखिरकार अगवा बस को इटावा में बरामद कर लिया गया है। पुलिस ने बताया कि सभी यात्री सुरक्षित हैं और मध्यप्रदेश के थाना नौगांव पहुंचे हैं। किसी के साथ किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। इटावा पुलिस अधीक्षक अधीक्षक अकाश तोमर ने बताया कि आगरा जनपद से एक बस अगवा हुई थी। बुधवार दोपहर में हाइजेक बस इटावा के बलरइ थाना क्षेत्र के लखेरे कुआं पर ढाबे पर बस बड़ी मिली है। इसे एक व्यक्ति लाया था। उन्होंने कहा, "इस मामले में हम आगरा पुलिस के साथ सहयोग से काम कर रहे हैं।"
आगरा के अतरिक्त पुलिस अधीक्षक रवि कुमार ने बताया कि मंगलवार रात आगरा के न्यू दक्षिणी बाइपास से हाइजैक बस को इटावा में बराबद कर लिया गया है। उसमें बैठे सभी यात्री सुरक्षित हैं। वे अपने गंतव्य को जा रहे हैं। सभी से मध्यप्रदेश के नौगांव थाना क्षेत्र में बात की गई है। किसी के साथ कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। हाईजैक होने के बाद बस से यात्री दूसरी बस में चले गए थे, लेकिन किसी के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया गया है। सभी यात्रियों को छतरपुर के नौगांव थाने में रुकवा लिया गया और उनसे बातचीत की गई। सभी सुरक्षित हैं, किसी के साथ कोई घटना नहीं हुई है। इस घटना को अंजाम देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सभी की पहचान की जा रही है। मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा।
ज्ञात हो कि आगरा के मलपुरा के न्यू दक्षिणी बाईपास स्थित रायभा टोल प्लाजा के पास से 34 यात्रियों को लेकर गुरुग्राम से मध्यप्रदेश के पन्ना जा रही बस को बुधवार सुबह हाईजैक कर लिया गया है।
चालक के अनुसार, गाड़ी सवार कुछ लोगों ने बस का पीछा करके रुकवाया। उन्होंने खुद को फाइनेंस कर्मी बताया था। बस को रोकने के बाद उन्होंने इसे अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद बस को लेकर आगे बढ़े। रास्ते में एक ढाबे पर बस को रोका और सभी यात्रियों के पैसे वापस करवाए। खाना भी खिलाया। इसके बाद उन्होंने एत्मादपुर क्षेत्र में चालक को उतार दिया।
चालक ने मलपुरा थाने आकर पुलिस को सूचना दी। घटना की जानकारी के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।
आगरा के एसएसपी बबलू कुमार ने घटना के बारे में कहा कि उनकी टीम ने बस में मौजूद सवारियों से बात की है। उन्होंने बताया, "रात सवा दो बजे इस बस ने जैसे ही इटावा टोल क्रॉस किया, पीछे से आए कुछ लोगों ने उसे रोक लिया। उन्होंने यात्रियों से खुद को फाइनेंस कर्मी बताया। उन्होंने बस और परिचालक को खाना खिलाया। दोनों को 300-300 रुपये भी दिए, फिर उन्हें छोड़ दिया। इसके बाद वे यात्रियों को गंतव्य तक छोड़ देने की बात कहते हुए बस अपने साथ ले गए। बस मालिक का मंगलवार को ही देहांत हुआ था। वह किस्त नहीं दे पा रहा था।"
पूरे मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री योगी और यूपी के गृह विभाग ने भी रिपोर्ट तलब की है। सरकार और पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि 34 यात्रियों से भरी बस को अगवा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।