राष्ट्रीय
इटावा (उप्र), 25 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के उसरहर पुलिस सर्किल के पास एक गांव में दो लड़कों के शव पेड़ से लटके हुए बरामद किए गए हैं। ये जानकारी मंगलवार सुबह पुलिस ने दी। पुलिस के मुताबिक, दोनों लड़के रविवार को साइकिल पर सवार होकर समोसा खरीदने गए थे और वापस नहीं लौटे।
मरने वाले लड़कों की पहचान आकाश (16) और अंकुल (15) के रूप में की गई है जो कि महुआ पटियाट गांव के रहने वाले थे। आकाश इंटरमीडिएट का स्टूडेंट था जबकि अंकुल हाई स्कूल में पढ़ता था।
पुलिस ने कहा, उनके शरीर पर गहरे घाव के निशान मिले हैं। कारणों का पता लगाने के लिए जांच जारी है।
एएसपी ग्रामीण ओमवीर सिंह ने कहा, हम पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। उनके परिवार वालों से भी पूछताछ की गई है। हमने उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए हैं। हम उन दो लड़कों के दोस्तों से भी पूछताछ कर रहे हैं।
अंकुल की बहन कल्पना ने बताया, जब रविवार शाम तक वो नहीं पहुंचे, परिवार के दसस्यों ने उनकी तलाश शुरू कर दी। स्थानीय लोगों को उनके शव सोमवार को गांव के बाहर आम के पेड़ से लटके मिले।
पुलिस को अभी तक इस मामले में कोई सुराग नहीं मिला है।
आकाश के पिता ने कहा, मेरा बेटा और अंकुल --दोनों अच्छे दोस्त थे। दोनों ठीक थे जब घर से एक साथ बाहर निकले। मुझे उम्मीद है कि पुलिस आरोपियों को पकड़ लेगी।
नयी दिल्ली, 25 अगस्त (वार्ता)। देश में कोरोना महामारी की बढ़ती विकरालता के बीच पहली बार एक दिन में 66 हजार से अधिक मरीज स्वस्थ हुए हैं और इसकी तुलना में संक्रमण के नये मामलों की संख्या कम रहने से सक्रिय मामलों में छह हजार से अधिक की कमी आई है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से मंगलवार सुबह जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में रिकॉर्ड 66,550 लोगों को संक्रमण से छुटकारा मिला है जिससे स्वस्थ होने वालों की संख्या 24,04,585 हो गयी है। इस दौरान संक्रमण के 60,975 नये मामले सामने आने से सक्रिय मामलों में 6,423 की कमी आयी है। देश में संक्रमितों की संख्या 31,67,324 हो गयी है तथा सक्रिय मामले 7,04,348 हो गये हैं।
देशभर में पिछले 24 घंटों के दौरान 848 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 58,390 हो गयी। देश में सक्रिय मामले 22.24 प्रतिशत और रोगमुक्त होने वालों की दर 75.92 प्रतिशत है जबकि मृतकों की दर 1.84 प्रतिशत है।
कोरोना से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में सक्रिय मामलों की संख्या सबसे अधिक 3416 घटकर 1,68,443 रह गयी तथा 212 लोगों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा 22,465 हो गया। इस दौरान 14,219 लोग संक्रमणमुक्त हुए जिससे स्वस्थ हुए लोगों की संख्या बढक़र 502490 हो गयी। देश में सर्वाधिक सक्रिय मामले इसी राज्य में हैं।
आंध्र प्रदेश में इस दौरान मरीजों की संख्या 226 कम होने से सक्रिय मामले 89,516 हो गये। राज्य में अब तक 3368 लोगों की मौत हुई है, वहीं 8,741 लोगों के स्वस्थ होने से कुल 2,68,828 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
कोरोना संक्रमण मामलों में पूरे देश में चौथे स्थान पर स्थित दक्षिणी राज्य कर्नाटक में पिछले 24 घंटों के दौरान मरीजों की संख्या में 2,337 की कमी हुई है और यहां अब 81,230 सक्रिय मामले हैं। मरने वालों का आंकड़ा 127 बढक़र 4810 पर पहुंच गया है। राज्य में अब तक 1,97,625 लोग स्वस्थ हुए हैं।
नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)। भारत में बीते 24 घंटे में कोरोनावायरस महामारी के 60,975 नए मामले सामने आए हैं जिसके साथ देश में संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 31,67,323 तक पहुंच गई है। इस दौरान 848 लोगों की जानें गई हैं जिसे लेकर देश में मरने वालों की कुल संख्या अब 58,390 हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को ये जानकारी दी।
मंत्रालय ने कहा कि यद्यपि देश में महामारी से हो रहे लोगों की मृत्यु दर गिरकर 1.84 फीसदी तक आ गई है, लेकिन यह अभी भी ब्राजील से लगभग 57,000 कम मौतें और अमेरिका की तुलना में 1,19,000 कम है।
बात अगर संक्रमण से ठीक हुए मरीजों के बारे में की जाए तो यह आंकड़ा 24 लाख के पार पहुंच गया है। बीते 24 घंटे में 66,550 रोगी महामारी से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं जिन्हें शामिल करते हुए स्वस्थ हो चुके मरीजों की कुल संख्या 24,04,585 पहुंच गई है।
देश में सक्रिय मामलों की संख्या फिलहाल 7,04,348 है। सोमवार को अधिकतम 9,25,383 नमूनों की जांच हुई।
महाराष्ट्र वायरस से सबसे अधिक प्रभावित राज्य बना हुआ है। यहां मरीजों का आंकड़ा 6,82,383 है और 22,253 लोगों ने अपनी जानें गंवाई हैं। इसके बाद सूची में 3,79,385 मामलों और 6,517 मौतों के साथ तमिलनाड़ु दूसरे नंबर पर है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश में अपराध चरम पर हर दिन राज्य के किसी न किसी हिस्से रेप, हत्या, लूट जैसी घनाओं की खबरें सामने आती रहती हैं। विपक्ष लगातार योगी सरकार को घेर रहा और यह मांग कर रहा है कि सीएम बोलने की बजाय प्रदेश में बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने पर ध्यान दें। यूपी में बढ़ते अपराध को लेकर एक बार फिर कांग्रेस महासिव प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सीधे तौर पर हमला बोला है।
कांग्रेस महासचिव ने ट्वटी कर कहा, “यूपी के सीएम सरकार की स्पीड बताते हैं और अपराध का मीटर उससे दोगुनी स्पीड से भागने लगता है। प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्, ये यूपी में केवल दो दिनों का अपराध का मीटर है। यूपी सरकार बार-बार अपराध की घटनाओं पर पर्दा डालती है, मगर अपराध चिंघाड़ते हुए प्रदेश की सड़कों पर तांडव कर रहा है।”
प्रियंका गांधी ने सीएम योगी पर निशाना साधते हुए अपने ट्वीट के साथ एक ग्रफिक्स भी शेयर किया है। ग्रफिक्स में दो दिन के भीतर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हुए अपराध का जिक्र है। 2 दिन भीतर हुए अपराध की एक लंबी फेहरिस्त है। जिसमें बताया गया है कि दो दिनों के भीतर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में अपराधियों ने कहां-कहां तांडव मचाया। इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि प्रत्यक्ष को प्रमाण किया क्या जरूरत है। इस लिस्ट को शेयर करते हुए उन्होंने यह भी बताने की कोशिश की है कि अगर दो दिन के भीतर यह अटनाएं हुईं हैं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब से योगी सरकार सत्ता में आई है उन सालों का रिकॉर्ड खंगाला जाए तो यह सूची कितनी बड़ी होगी।
इससे पहले प्रियंका गांधी ने बुलंदशह की घटना पर कड़ी प्रतिक्रिय दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, “बुलंदशहर की घटना यूपी में कानून के डर के खात्मे और महिलाओं के लिए फैले असुरक्षा के माहौल को दिखाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन छेड़खानी की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेता। इसके लिए व्यापक फेरबदल की जरूरत है। महिलाओं पर होने वाले हर तरह के अपराध पर जीरो टॉलरेंस होना चाहिए।”(navjivan)
रिकवरी दर 76 फीसदी के करीब
नयी दिल्ली 25 अगस्त (वार्ता) देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और सोमवार देर रात तक संक्रमण के 56 हजार से अधिक नये मामले सामने आने से कुल संक्रमितों का आंकड़ा 31.61 लाख के पार हो गया तथा 705 कोरोना मरीजों की मौत से मृतकाें की संख्या 58 हजार के पार जा पहुंची।
वायरस के बढ़ते कहर के बीच राहत की बात यह है कि मरीजों के स्वस्थ होने की दर में भी लगातार सुधार हो रहा है और आज यह 76 फीसदी के करीब पहुंच गयी।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु समेत विभिन्न राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार आज देर रात तक 56,460 नये मामले सामने आने से संक्रमितों का कुल आंकड़ा 31,61,502 तथा मृतकों की संख्या 58,527 हो गयी है।
राहत की एक और बात यह है कि नये मामलों की अपेक्षा स्वस्थ हुए मरीजों की संख्या में वृद्धि होने से सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है। आज 6,203 मरीज कम होने से सक्रिय मामले घटकर 7,04,568 रह गये।
इस दौरान 63,071 लोगों के स्वस्थ होने से संक्रमण मुक्त हाेने वालों का आंकड़ा 23,99,867 पर पहुंच गया जिससे स्वस्थ होने वाले मरीजों की दर गत दिवस के 74.90 प्रतिशत से आज सुधरकर 75.90 फीसदी पर पहुंच गयी। मृत्यु दर भी घटकर 1.85 फीसदी रह जाने से भी राहत मिली है।
राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में सबसे अधिक 14,219 मरीज स्वस्थ हुए। इसके बाद आंध्र प्रदेश में 8741, कर्नाटक में 8061, तमिलनाडु में 6129, उत्तर प्रदेश में 4494, पश्चिम बंगाल में 3285, बिहार में 2908, ओडिशा में 2519, पंजाब में 1819,राजस्थान में 1276, केरल में 1238, दिल्ली में 1200 और गुजरात में 1021 लोग संक्रमण से निजात पाने में कामयाब रहे।
कोरोना महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के 11,015 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या सोमवार रात बढ़कर 6,93,398 पहुंच गयी। राज्य में इस दौरान नये मामलों की तुलना में स्वस्थ मामलों में भी वृद्धि दर्ज की गयी और इस दौरान 14,219 मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या भी पांच लाख के पार 5,02,490 पहुंच गयी है। यानि मरीजों के स्वस्थ होने की दर 72 फीसदी के पार पहुंच गयी है। इस दौरान 212 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 22,465 हो गयी है।
राज्य में मरीजों के स्वस्थ होने की दर आज आंशिक वृद्धि के साथ 72.46 फीसदी पहुंच गयी जबकि मरीजों की मृत्यु दर आंशिक गिरावट के साथ 3.23 प्रतिशत पर आ गई। इससे लोगों ने राहत की सांस ली है।
राहत की असली वजह यह है कि राज्य में आज सक्रिय मामलों में 3416 की कमी दर्ज की गयी। राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या घटकर अब 1,68,126 रह गयी है जो रविवार को 1,71,542 थी।
रायगढ़, 25 अगस्त (आईएएनएस)| महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले के महाड में सोमवार शाम को एक पांच मंजिला इमारत ढह गई। इस घटना में 2 मौतों की पुष्टि कलेक्टर ने की है. 15 लोगों को बचा लिया गया है जबकि 75 अन्य के अभी भी मलबे में दबे होने की आशंका है। पुलिस ने यह जानकारी दी।
मुंबई के 170 किलोमीटर दूर दक्षिण में रायगढ़ पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तैनात एक अधिकारी ने कहा कि काजलपुरा इलाके में स्थित आवासीय इमारत में लगभग 45 फ्लैट थे जहां लगभग 100 लोग रहते थे। इमारत लगभग 7 बजे ढह गई।
मलबे के नीचे दबे बचे लोगों की तलाश के लिए विशेष उपकरणों के साथ बचाव दल घटनास्थल पर जुटा हुआ है.
नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)| राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) छात्रों के लिए केवल नए कागजों पर ही किताबें छापेगा। किताबें छापने के लिए पुराने और रिसाइकिल कागज का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक रिसाइकिल कागज से छात्रों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने सोमवार को नई दिल्ली में एनआईओएस की विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा की। बैठक में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अनीता करवाल भी मौजूद थी।
निशंक ने एनआईओएस से कहा, "वह अपनी पुस्तकों के प्रकाशन के लिए रिसाइकिल किए गए कागजों का उपयोग न करें, क्योंकि यह छात्रों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं है। अपनी पुस्तकों का प्रकाशन करने के लिए केवल नए कागजों का ही उपयोग करें।"
शिक्षा मंत्री ने एनआईओएस को निर्देश दिया कि एनआईओएस द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले पाठ्यक्रमों की समीक्षा की जाए जिससे कि छात्रों की जरूरत के अनुसार कुछ नए विषयों को इसमें सम्मिलित किया जा सके।
एनआईओएस के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि अगर उन्हें एनआईओएस परीक्षा केंद्रों के खिलाफ कोई शिकायत मिलती है तो वो जल्द से जल्द उन शिकायतों का समाधान करें। एनआईओएस अधिकारियों को परीक्षा प्रक्रिया में सुधार लाने का भी निर्देश दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने एक डैशबोर्ड बनाने का भी सुझाव दिया, जिसमें देश भर के सभी केंद्रों की विस्तृत जानकारी और संपर्को को शामिल किया जाना चाहिए। इसमें हितधारकों से संबंधित सारी जानकारियों और सुझावों को शामिल किया जाएगा जिससे कि प्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जा सके।
शिक्षा मंत्री ने कहा, "एनआईओएस दुनिया की सबसे बड़ी खुली स्कूली शिक्षा प्रणाली है और जमीनी स्तर तक शिक्षा प्रदान करने के लिए इसका उपयोग हमारे द्वारा और भी प्रभावी रूप से किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "हमें अपने देश के अशिक्षित लोगों को शिक्षित करने के लिए इस नेटवर्क का उपयोग करना चाहिए।"
उन्होंने अधिकारियों को इस संदर्भ में संभावनाओं की समीक्षा करने के लिए एक टीम का गठन करने के भी निर्देश दिए।
मंत्री ने सुझाव दिया कि एनसीईआरटी की तर्ज पर एनआईओएस का पाठ्यक्रम बनाना चाहिए, जिससे कि छात्रों को विषयों की बेहतर समझ प्राप्त हो सके।
नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)| प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के 28 अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्रधान न्यायाधीश बोबडे के अलावा, कॉलेजियम में न्यायाधीश एन.वी. रमन, अरुण मिश्रा, आर.एफ. नरीमन और यू.यू. ललित शामिल रहे।
स्थायी न्यायाधीश बनने वालों में न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया, न्यायमूर्ति आलोक माथुर, न्यायमूर्ति पंकज भाटिया, न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया, न्यायमूर्ति विवेक वर्मा, न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह, न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल, न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी, न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह, न्यायमूर्ति राजीव सिंह, न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान, न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार, न्यायमूर्ति योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति मनीष माथुर, न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल, न्यायमूर्ति राम कृष्ण गौतम, न्यायमूर्ति उमेश कुमार, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति अनिल कुमार नवम, न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ, न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान, न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति घंटीकोटा श्रीदेवी, न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी, न्यायमूर्ति राजवीर सिंह और न्यायमूर्ति अजीत सिंह शामिल हैं।
कॉलेजियम ने कलकत्ता हाईकोर्ट के पांच अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी।
स्थायी न्यायाधीश बनने वालों में एम. निजामुद्दीन, र्तीथकर घोष, हिरण्मय भट्टाचार्य, सौगत भट्टाचार्य और मनोजीत मंडल शामिल हैं।
निर्णय सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है।
मुंबई, 24 अगस्त। एसपी चरण ने पिता व अनुभवी गायक एसपी बालासुब्रह्मण्यम का कोविड-19 टेस्ट निगेटिव आने की खबर को अफवाह बताया। साथ ही कहा कि प्लेबैक आइकन अभी भी लाइफ सपोर्ट पर हैं। चरण ने सोमवार सुबह एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने सभी से अफवाह फैलाने वालों से बचने का अनुरोध किया। गायक के निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट की खबर सामने आने के कुछ मिनट बाद चरण का वीडियो आया, जिसमें दावा किया गया कि 74 वर्षीय गायक का कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव नहीं आया है।
चरण ने वीडियो में कहा, "मैं आमतौर पर अस्पताल के मेडिकल टीम के साथ चर्चा करने के बाद अप्पा के स्वास्थ्य अपडेट पोस्ट करता हूं। लेकिन दुर्भाग्य से, मुझे सुबह पोस्ट डालने के लिए मजबूर किया गया। मैं इकलौता वह इंसान हूं, जिसे डैड के बारे में सूचित किया जाता है। डैड के बारे में जानकारी, सभी अपडेट पहले मेरे पास आते हैं और उसके बाद ही मैं इसे मीडिया में पोस्ट करता हूं। आज दुर्भाग्य से एक अफवाह फैल रही है कि डैड का कोविड-19 टेस्ट निगेटिव आया है।"
उन्होंने अंत में कहा, "भले ही उनका कोविड टेस्ट निगेटिव या पॉजिटिव हो, उनकी स्थिति अभी भी वही है। क्लिनिकल रूप से वह ईसीएमओ वेंटिलेटर पर लाइफ सपोर्ट पर हैं। सौभाग्य से उनकी हालत स्थिर है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि स्थिरता उनके फेफड़ों को जल्द से जल्द ठीक करने में मदद करेगी। इसलिए कृपया अफवाह फैलाने वालों से दूर रहें। डॉक्टरों और मेडिकल टीम के साथ चर्चा के बाद मैं आज शाम को एक पोस्ट डालूंगा, और मैं आपको एक अपडेट दूंगा। आपका बहुत धन्यवाद।"(IANS)
वाराणसी, 24 अगस्त (आईएएनएस)| यहां एक व्यावसायिक परिसर बनाने के लिए शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के घर को तोड़ा जा रहा था, जिस पर वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) ने रोक लगा दी है। वीडीए के जोनल अधिकार और कनिष्ठ अभियंता समेत अन्य अधिकारियों की एक टीम ने पिछले सप्ताह हादा सराय इलाके में उस्ताद के घर का दौरा किया था। टीम यह पता चलने के बाद वहां गई थी कि उनके परिवार का एक सदस्य आर्थिक लाभ पाने के लिए घर को तोड़ रहा है।
इस घर को 'राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत' के रूप में संरक्षित करने की मांग उठने के बाद घर को तोड़ने का काम रोक दिया गया था।
वीडीए द्वारा किए गए निरीक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रसिद्ध संगीतकार के पोते और मरहूम मेहताब हुसैन के बेटे मोहम्मद शिफ्तेन दूसरी मंजिल के कमरे को तोड़ रहे थे। वह वर्तमान में इसी घर में रहते हैं। यह भी पता चला कि परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति का विवाद था। बता दें कि बिस्मिल्ला खां के पांच बेटे थे।
वीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "निजी संपत्ति का मामला होने के कारण वीडीए की टीम ने मौखिक रूप से और नोटिस के जरिए परिवार के सदस्यों से कहा है कि यदि घर जर्जर स्थिति में है तो उसे तोड़ने से पहले नगर निगम से अनुमति लेनी चाहिए। इसके अलावा किसी नए निर्माण को शुरू करने से पहले उन्हें वीडीए से नक्शा स्वीकृत करवाने का निर्देश भी दिया गया है।"
हालांकि घर को व्यावसायिक परिसर के रूप में विकसित करने के निर्णय पर परिवार के कुछ सदस्यों द्वारा भी आपत्ति जताई गई थी।
वहीं घर को तोड़ने की खबर फैलते ही, कई युवा संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। साथ ही सरकार और सांस्कृतिक मंत्रालय को इस को घर बचाने और इसे संग्रहालय के रूप में संरक्षित करने की मांग की।
विभिन्न संगठनों की ओर से जारी एक संयुक्त प्रेस बयान में कहा गया है, "इसे एक शहनाई प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए और परिवार के सदस्यों का कहीं और पुनर्वास किया जाना चाहिए। साथ ही उन्हें वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।"
वहीं बिस्मिल्लाह खान की पालक बेटी और गायिका सोमा घोष और कांग्रेस नेता अजय राय ने भी सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।
नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी ने समाजसेवी अन्ना हजारे से दिल्ली आकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और आंदोलन चलाने की मांग की है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने अन्ना हजारे को भ्रष्टाचार का धुर-विरोधी करार देते हुए उन्हें पत्र लिखकर बुलावा भेजा है। बीजेपी ने इस बार आम आदमी पार्टी के खिलाफ आंदोलन चलाकर दिल्ली की जनता को इंसाफ दिलाने की गुहार लगाई है। कहा है कि स्वच्छ राजनीति का दावा कर बनी आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से दिल्ली की जनता को ठगा, उसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने अन्ना हजारे को सोमवार को लिखे पत्र में कहा है, "साल 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में जनलोकपाल बिल की मांग करते हुए आपने तत्कालीन सरकार के खिलाफ आमरण अनशन किया था। आपके नाम पर कुछ लोगों ने स्वच्छ राजनीति की वकालत करते हुए आम आदमी पार्टी नामक नए राजनीतिक दल का गठन किया। चुनाव लड़कर केजरीवाल मुख्यमंत्री बने तो प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रोफेसर आनंद कुमार, कुमार विश्वास को धकियाते हुए नए चेहरों को सामने लाए।"
आम आदमी पार्टी में सोमनाथ भारती, संदीप कुमार, अमानतुल्लाह खान हों या जितेंद्र तोमर जैसे नाम और उनके कारनामों की लंबी फेहरिश्त है। कन्हैया कुमार हों या फिर ताहिर हुसैन हर राष्ट्रविरोधी के समर्थन में केजरीवाल सरकार खड़ी दिखाई देती है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि स्वच्छ राजनीति और शुचिता के नाम पर सरकार में आई आम आदमी पार्टी ने सारी सीमाएं तोड़ दी हैं। जिस लोकपाल आंदोलन के दम पर आम आदमी पार्टी बनी उसी ने लोकपाल एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास को भी निकाल दिया।
गुप्ता ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी राजनीतिक चंदे के लिए फर्जी कंपनियों को बनाने और काले धन को सफेद करने की मशीन बन गई है। फर्जी कंपनियों से दो करोड़ रुपये चंदे के मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया। पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के हवाला करोबारियों से सीधे संपर्क के सबूत मिले हैं। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत पर सौ करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी और विधायक करतार सिंह के पास 130 करोड़ की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ है। अब आम आदमी पार्टी कालेधन की पार्टी बनकर रह गई।
प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने अन्ना हजार से कहा, "आपसे प्रार्थना है कि फिर से दिल्ली आकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाइए और इस आंदोलन में हमारा साथ दीजिए। युवा और दिल्ली का जनसमुदाय जो खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं, उनकी राहत के लिए आपको अपनी आवाज फिर से बुलंद करनी होगी और तभी राजनीतिक शुचिता की नई शुरूआत होगी। आम आदमी पार्टी सांप्रदायिक दंगे कराकर दिल्ली वाल को मौत के मुंह में धकेल रही है। दिल्ली में रहने का उसे कोई हक नहीं है।"
मुंबई, 24 अगस्त (आईएएनएस)| दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की जिस दिन हत्या हुई थी, उस दिन उन्होंने दुबई के एक ड्रग डीलर से मुलाकात की थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सोमवार को एक ट्वीट में यह आरोप लगाया है। स्वामी लगातार सुशांत के मामले पर मुखर रहे हैं और उनका आरोप है कि सुशांत ने आत्महत्या नहीं की है बल्कि उनकी हत्या हुई है। स्वामी पिछले कुछ हफ्तों से इस मामले पर ट्वीट कर रहे हैं और कई तरह के आरोप लगा चुके हैं।
अब सोमवार को स्वामी ने अपने सत्यापित अकाउंट से ट्वीट करते हुए एक और दावा किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, "सुनंदा पुष्कर के मामले में अहम यह था कि पोस्टमॉर्टम में उनके पेट में एम्स के डॉक्टरों को क्या मिला। लेकिन ऐसा श्रीदेवी या सुशांत के मामले में नहीं हुआ। सुशांत के मामले में एक दुबई का ड्रग डीलर आयश खान सुशांत की हत्या के दिन उनसे मिला था, क्यों?"
यह पहली बार नहीं है जब स्वामी ने सुनंदा पुष्कर और श्रीदेवी के मामलों को सुशांत मामले के साथ जोड़ा है। पिछले गुरुवार को पोस्ट किए गए एक ट्वीट में अनुभवी राजनेता ने सुशांत की मौत में दुबई लिंक पर संकेत दिया था। उन्होंने कहा था कि सीबीआई को पिछले हाई-प्रोफाइल मौत के मामलों पर भी गौर करना चाहिए, जिसमें सुपरस्टार श्रीदेवी भी शामिल हैं।
उन्होंने ट्वीट किया था, "इजरायल और यूएई संग राजनयिक संबंधों के चलते भारत के दुबई दादा लोग काफी परेशानी में हैं। सीबीआई को सुशांत, श्रीदेवी और सुनंदा की हत्या के मामलों पर जानकारी के लिए मोसाद और शिन बेथ की मदद लेनी चाहिए।"
बॉलीवुड की सुपरस्टार अभिनेत्री श्रीदेवी का 24 फरवरी, 2018 को निधन हुआ था। यह कहा गया कि वह गलती से दुबई के एक होटल के बाथटब में डूब गई थीं।
वहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी, 2014 की रात रहस्यमय परिस्थितियों में दिल्ली के एक होटल के कमरे में मृत पाई गई थीं।
भोपाल, 24 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की राजधानी में आयकर विभाग की टीमों के फेथ बिल्डर के दफतर और उससे जुड़े लोगों के कई स्थानों पर दी गई दबिश के बाद पर्दे के पीछे की बड़ी कहानी सामने आने लगी है। जो बातें सामने आ रही हैं उसके मुताबिक बड़े रसूखदार नौकरशाहों पर भी आंच आने के आसार बनने लगे हैं। ज्ञात हो कि पिछले दिनों आयकर विभाग की टीमों ने फेथ बिल्डर राघवेंद्र सिंह तोमर के ऑफि स सहित उसके और उससे जुड़े पियूष गुप्ता के कई ठिकानों पर एक साथ दबिश दी थी। कहा तो यह जा रहा है कि आयकर विभाग को जो दस्तावेज मिले हैं, उसके मुताबिक सौ से ज्यादा संपत्तियों का ब्यौरा उसके हाथ लगा है।
आयकर के छापों के बाद जो बातें सामने आई है वह चौंकाने वाली है। बताया जा रहा है कि राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ पहले लोकायुक्त में शिकायत की गई थी। इसमें संपत्ति और निवेश का सिलसिलेवार ब्यौरा भी दिया गया था। इतना ही नहीं यह मामला भारत सरकार के प्रवर्तन निदेषालय तक गया। उसके बाद छानबीन हुई और यह पाया गया कि भोपाल और उसके आसपास के क्षेत्रों में सौ से अधिक संपत्तियों में निवेश किया गया है।
सूत्रों की मानें तो आयकर विभाग को भोपाल में रातीबढ़ में लगभग दो सौ एकड़ क्षेत्र में क्रिकेट स्टेडियम है, इसके अलावा 20 से ज्यादा आवासीय भूखंड, सात फ्लैट, छह मकान, होटल, रिसोर्ट एवं आवासीय परियोजनाएं, शापिंग मॉल, दुकानें आदि में निवेश की पुष्टि हुई है। उसके बाद ही छापे की कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
आयकर विभाग के सूत्रों का दावा है कि जिस बेनामी संपत्ति का पता चला है उसमें से कई संपत्तियों को राजसात भी किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बेनामी प्रॉपर्टी टांजेक्शन एक्ट में वर्ष 2016 में कें द्र सरकार द्वारा किए गए संशोधन से बेनामी संपत्ति को राजसात करने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए ज्वाइंट डायरेक्टर स्तर के अधिकारी की तैनाती भी की गई है। संपत्ति राजसात की प्रक्रिया को ज्वाइंट डायरेक्टर स्तर का अधिकारी आयकर के प्रतिवेदन के पंद्रह दिन बाद अंजाम दे सकता है।
सूत्रों की मानें तो प्रवर्तन निदेशालय को जो शिकायत की गई है उसमें भोपाल के अलावा इंदौर, लखनऊ, मुम्बई, मंसूरी, गोवा, दिल्ली में भी बेनामी संपत्तियां और बेनामी कंपनियों का ब्यौरा भी दिया गया है। इस पर भी कार्रवाई आगामी समय में संभावित है। इस शिकायत में एक गठजोड़ की तरफ भी इशारा किया गया है।
आयकर के छापों में जिन संपत्तियों का खुलासा हुआ है उनमें भोपाल में एक होटल की खरीदी का मामला भी विवादों में है। बताया जा रहा है कि यह होटल बैंक से कर्ज लेकर एक व्यक्ति ने बनाया, वह कर्ज नहीं चुका पाया तो उसको बैंक ने जब्त कर नीलामी की प्रक्रिया अपनाई। जब उसका मूल्यांकन कराया गया तो होटल की स्थिति को ही बदल दिया गया, ताकि संपत्ति की कीमत को कम आंका जा सके, जिससे होटल की कीमत मे बड़ा बदलाव आ गया, परिणामस्वरुप होटल कम कीमत पर बिका, साथ ही राज्य सरकार को राजस्व की हानि भी हुई। इस मामले की जांच लंबित है।
नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)| सोमवार को हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने पिछले दिनों पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वालों को भाजपा का एजेंट नही कहा। पार्टी की ओर से जारी बयान में ये कहा गया है। राहुल गांधी ने पत्र लिखे जाने की टाइमिग को लेकर सवाल जरूर उठाए लेकिन उन्होंने पत्र लिखने वालों को भाजपा का एजेंट नहीं कहा था। हरियाणा कांग्रेस की नेता कुमारी शैलजा ने पत्र लिखने वाले 'असंतुष्टों' पर हमला बोलते हुए कहा कि वो भाजपा के एजेंट हैं। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी ने असंतुष्टों के लिए भाजपा से सांठगांठ होने की कोई बात नहीं की।
मीडिया रिपोर्ट पर ध्यान न दें। हां हम सबको एक साथ इस सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़नी है, सूरजेवाला ने कहा।
बता दें कि सोनिया गांधी को लिखे इस पत्र में नेतृत्व परिवर्तन और सुधार की मांग की गई थी।
राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने साफ तौर पर कहा कि वो पार्टी छोड़ने के लिए तैयार हैं अगर भाजपा से सांठगांठ की बात साबित हो जाय। आजाद ने मुश्किल वक्त में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए सोनिया गांधी की तारीफ की।
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिबल ने ट्वीटर पर लिखा, राजस्थान हाई कोर्ट में पार्टी का बचाव करने में हम सफल हुए। मणिपुर में भी पार्टी को डिफेंड किया। पिछले तीस सालों में भाजपा के समर्थन में मैने कोई बयान नहीं दिया। फि र हम कैसे भाजपा से सांठगांठ कर रहे हैं।
रणदीप सुरजेवाला का बयान सिबल के इसी ट्वीट को लेकर था जिसमें उन्होंने भाजपा से सांठगांठ के आरोप का जवाब दिया था।
राहुल गांधी ने कार्य समिति की बैठक में पत्र लिखे जाने की टाइमिग को लेकर सवाल उठाए और कहा कि ऐसे समय में जब सोनिया गांधी बीमार थी तब चिट्ठी लिखने की क्या जरूरत थी। क्या जरूरत थी पत्र लिखने की। ऐसे समय में जब सोनिया गांधी बीमार थी और राजस्थान में राजनीतिक संकट चल रहा था, राहुल गांधी ने कहा।
बता दें कि सोनिया गांधी को 30 जुलाई को रू टीन चेक अप के लिए सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जबकि राजस्थान का सियासी संकट 11 जुलाई को शुरू हुआ था जब सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था।
इससे पहले कार्य समिति की बैठक में सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ने उनसे पद पर बने रहने का आग्रह किया।
सोनिया गांधी ने कहा कि नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए। पार्टी के महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने सोनिया का ये संदेश पढ़ा।
मनमोहन सिंह और ए के अंटोनी ने पार्टी में सुधार और नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर पिछले दिनों लिखे गए पत्र पर नाराजगी जाहिर की।
हम आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी में उस वक्त एक नया सियासी तूफान खड़ा हो गया जब 20 कांग्रेस नेताओं का लिखा एक पत्र सामने आया जिसमें फुल टाइम अध्यक्ष और कांग्रेस में सुधार लाने की मांग की गई थी।
रविवार को कांग्रेस के चार मुख्यमंत्रियों ने भी पत्र लिख कर गांधी परिवार पर भरोसा जताया था और परिवार से ही किसी व्यक्ति के अध्यक्ष बनने की मांग की थी।
नई दिल्ली, 24 अगस्त। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकर कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वे माफी मांगेंगे तो यह उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सबसे ज़्यादा विश्वास रखते हैं।
सोमवार को प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया जिसमें उन्होंने लिखा कि आज के परेशानी भरे दौर में, भारत के लोगों को अगर किसी से उम्मीद बंधती है तो वो सर्वोच्च न्यायालय है ताकि देश में क़ानून व्यवस्था और संविधान को स्थापित रखा जा सके, नाकि किसी निरंकुश व्यवस्था को।
अपने जवाब में उन्होंने लिखा, यही वजह है कि जब चीज़ें भटकती हुई दिखें, तो हम बोलें। इस अदालत से मिला जि़म्मेदारी का एहसास ही हमें यह विशेष कर्तव्य देता है।
उन्होंने लिखा, मेरे बयान सद्भावनापूर्ण थे, मैंने सुप्रीम कोर्ट या किसी न्यायाधीश को निशाना बनाने के लिए टिप्पणी नहीं की थी। वह मेरी सकारात्मक आलोचना थी।
भारत के नामी वकीलों में से एक प्रशांत भूषण को सर्वोच्च न्यायालय ने कोर्ट की अवमानना का दोषी मानते हुए सोमवार, 24 अगस्त तक अपनी बगावती बयानबाज़ी पर पुनर्विचार करने और बिना शर्त माफ़ी माँगने का समय दिया था।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को आदेश दिया था कि वे बिना शर्त माफी माँगें। वरना भूषण को छह महीने की जेल या दो हज़ार रुपये का जुर्माना या फिर सज़ा के तौर पर ये दोनों भी झेलने पड़ सकते हैं।
हालांकि, सुनवाई के दौरान ही प्रशांत भूषण ने यह स्पष्ट किया था कि वे माफ़ी बिल्कुल नहीं मांगेंगे बल्कि कोर्ट जो सज़ा देगा, वे उसे भुगतने के लिए तैयार हैं।
प्रशांत भूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
63 वर्षीय प्रशांत भूषण को उनके दो ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि भूषण के ट्वीट्स से सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को धक्का लगा है।
भूषण ने दो जून 2020 को अपने ट्वीट्स में मुख्य न्यायाधीश पर टिप्पणी की थी। साथ ही उन्होंने कुछ अन्य न्यायाधीशों की आलोचना की थी।
भूषण ने कोर्ट में भी कहा था कि उन्होंने अपने ट्वीट में जो कुछ लिखा उसे वो हकीकत मानते हैं और उसमें उनका विश्वास है जिसे ज़ाहिर करने का अधिकार उन्हें देश के संविधान और लोकतंत्र से मिलता है।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भूषण अगर सोमवार को माफी माँग लेते हैं, तो कोर्ट इस मामले में मंगलवार को फिर सुनवाई करेगा।
पर यह अभी स्पष्ट नहीं कि प्रशांत भूषण के माफ़ी ना माँगने पर कोर्ट आगे किस तरह कार्यवाही करने वाला है।
बहरहाल, केस का नतीजा जो भी हो, प्रशांत भूषण के मामले से भारत में सर्वोच्च न्यायालय को भी परखा जा रहा है कि आखिर भारत के शीर्ष न्यायाधीश आलोचनाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर कितने सहनशील हैं?
हालांकि, भूषण के केस पर अब तक राय बँटी हुई रही है। कई बड़े वकील, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस और संपादकीय लिखने वाले नामी पत्रकार यह मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जरूरत से ज़्यादा कठोर रहा है।
2400 से ज़्यादा भारतीय वकीलों ने प्रशांत भूषण के पक्ष में ऑनलाइन याचिका लिखी है जिसमें कहा गया है कि वकीलों के मुँह पर ताला डालने का मतलब है कोर्ट की स्वतंत्रता और शक्ति को कम कर देना।
एक वर्ग प्रशांत भूषण के खिलाफ भी है जिसकी राय है कि कोई भी वकील कानून से ऊपर नहीं है और भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सही कार्रवाई की है। (bbc.com/hindi)
लखनऊ, 24 अगस्त (वार्ता)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हसनगंज इलाके के डालीगंज स्थित कबीर मठ के प्रशासनिक अधिकारी धीरेंद्र दास को बदमाशों ने आज गोली मार दी।
पुलिस ने यहां कहा कि बदमाश बारात घर बुकिंग कराने के बहाने आए थे। घायल धीरेंद्र दास को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है।
अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर राजेश श्रीवास्तव समेत कई वरिष्ठ अधिकारी घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंचे । धीरेंद्र दास पर 2015 में भी जानलेवा हमला हुआ था । उस समय भी बदमाश बारात घर की बुकिंग के लिए आए थे। श्री राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि कबीर मठ की संपत्तियों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है।
संपत्ति विवाद को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है। मठ के पास सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। जिसकी फुटेज के आधार पर हमलावरों की तलाश की जा रही है। हमलावर गोली मारने के बाद फरार हो गये ।
लखनऊ 24 अगस्त (वार्ता)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर भारतीय पुलिस सेवा के दो अधिकारी पुलिस उपमहानिरीक्षक रूल्स एवं मैनुअल्स दिनेश चन्द्र दुबे तथा उपमहानिरीक्षक पीएसी आगरा अरविन्द सेन को निलम्बित कर दिया गया है।
गृह विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिनेश चन्द्र दुबे के सम्बन्ध में यूपीसिडको नोडल एजेन्सी के तहत कस्तूरबा हॉस्टल, शिवगढ़, बछरावां, रायबरेली एवं सादाबाद में बनवाने का ठेका तथा बरेली एवं कौशाम्बी में बस अड्डा एवं लखनऊ में दिव्यांगो की बिल्ंिडग बनवाने के ठेके दिलाने एवं उससे होने वाले लाभ सम्बन्धी शिकायत प्राप्त हुई थी।
सूत्रों के अनुसार अरविन्द सेन के सम्बन्ध में पशुपालन विभाग में कूट रचित कर ठगी किये जाने की शिकायत मिली थी।
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 61408 नए केस सामने आए हैं. वहीं 836 लोगों की मौत भी हुई है. इसी के साथ में देश में कोरोना के केस 31,06,349 हो गए हैं, जिसमें 23,38,036 लोग इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं.
भारत में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 3 मिलियन यानी तीस लाख से ज्यादा हो गई है. अब हमसे ज्यादा मामले सिर्फ ब्राजील और अमेरिका में हैं. हालांकि जिस हिसाब से अभी देश में कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं, उससे आशंका है कि हम जल्द ही नंबर दो पर पहुंच जाएंगे. हाल के महीनों में जिस तरह से देश में कोरोना के मामले बढ़े हैं उसे आप ‘कोरोना विस्फोट’ कह सकते हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, मृत्यु दर 1.86 फीसदी तक आ गई है, जबकि रिकवरी दर 74.90 तक पहुंच गया है. बीते 24 घंटे में देश में 57,989 मरीज ठीक हो चुके हैं और 912 मरीज वायरस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं.
6,71,942 मामलों और 21,995 मौतों के साथ महाराष्ट्र अब भी महामारी से प्रभावित राज्यों की सूची में पहले नंबर पर है जिसके बाद तमिलनाड़ु दूसरे स्थान पर है, जहां 3,73,410 मामले और 6,420 मौतें दर्ज हुई हैं. इसके बाद सूची में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य हैं.(thequint)
कोरोना काल में बेरोजगारी
कोरोना महामारी (Corona Outbreak) में नौकरी ढूंढना कितना मुश्किल है और काम-धंधों का कैसा बुरा हाल (Unemployment in Corona) है इसको लेकर हैरान कर देनेवाले आंकड़े सामने आए हैं. केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई को एक जॉब पोर्टल की शुरुआत की थी. इसपर 40 ही दिनों में 69 लाख लोगों ने नौकरी के लिए अप्लाइ किया लेकिन नौकरी पानेवालों की संख्या बहुत ही कम है.
एक हफ्ते में 7 लाख रजिस्ट्रेशन, नौकरी सिर्फ 691 को
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, 14 अगस्त से 21 अगस्त के बीच 7 लाख से ज्यादा लोगों ने रजिस्टर किया. वहीं इस हफ्ते में सिर्फ 691 को नौकरी मिली.
मोदी सरकार की तरफ से आत्मनिर्भर स्किल्ड इंप्लॉय इंप्लॉयर मैपिंग (ASEEM) पोर्टल लॉन्च किया गया था. इसपर काम ढूंढनेवाले और काम देनेवाले दोनों थे. खबर के मुताबिक, नौकरी ढूंढ रहे सिर्फ 2 प्रतिशत लोगों को काम मिल पाया. वहीं 69 लाख प्रवासी मजदूरों में से 1.49 लाख लोगों को काम की पेशकश हुई लेकिन कोरोना काल में सिर्फ 7,700 ही जॉइन कर पाए.
बताया गया है कि अब इतने महीने खाली रहने के बाद लोग फिर काम पर लौटना चाहते हैं, इस वजह से इस हफ्ते नौकरी खोजनेवाले बहुत तेजी से बढ़े हैं. सिर्फ एक हफ्ते में नौकरी की खोज वाले 80 फीसदी तक बढ़ गए. लेकिन नौकरी पाने वाले इस दौरान सिर्फ 9.87 फीसदी ही बढ़ पाए हैं जो चिंता की बात है.
डेटा के मुताबिक, इस पोर्टल पर 514 कंपनियां रजिस्टर हैं. इनमें से 443 ने 2.92 लाख जॉब्स पोस्ट कीं. इसमें से 1.49 लाख को नौकरी की पेशकेश की गई. इस जॉब पोर्टल पर 77 फीसदी नौकरियां 5 राज्यों के लिए हैं. इसमें कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल हैं.(tv9bharat)
कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व गांधी परिवार का कोई सदस्य करे या फिर परिवार के बाहर का कोई नेता, सोमवार को होने वाली कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक से ठीक पहले सोशल मीडिया पर ये चर्चा तूल पकड़ रही है.
ऐसा दिख रहा है कि पार्टी एक बार फिर सोनिया गांधी या राहुल गांधी के नाम पर आकर ठहर सकती है.
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी के कार्यकाल का एक साल पूरा हो चुका है और पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष की माँग तेज़ हो गई है.
ऐसे में हाल में पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी के भीतर शीर्ष से लेकर नीचे तक बड़े बदलाव की बात कही थी.
इन हालातों के बीच सोमवार को होने वाली बैठक से पहले रविवार को मीडिया में ये ख़बरें आने लगीं कि सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के पद से इस्तीफ़ा दे सकती हैं. हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने देर शाम इस ख़बर का खंडन करते हुए कहा कि सोनिया गांधी के इस्तीफ़े की ख़बर झूठी है.
रविवार को सोशल मीडिया पर कांग्रेस के जहां कई नेताओं ने सोनिया गांधी से गुहार लगाई कि वो पार्टी अध्यक्ष के पद पर बनी रहें, वहीं कइयों ने कहा कि इस पद के लिए अगर राहुल गांधी का नाम पेश किया जाए तो वो उनके नाम का भी समर्थन करते हैं.
सोनिया गांधी के नाम का समर्थन
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव कमलनाथ ने ट्वीट किया, "सोनिया गांधी के नेतृत्व पर कोई भी सुझाव या आक्षेप बेतुका है. मैं श्रीमती सोनिया गांधी से अपील करता हूं कि वे अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी को मज़बूती प्रदान करें और कांग्रेस का नेतृत्व करती रहें."
राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने ट्वीट किया कि "अगर पार्टी के 23 नेताओं के कार्यकारी अध्यक्ष को पत्र लिखने वाली बात सही है तो ये अविश्वसनीय है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके लिए मीडिया के पास जाने की कोई ज़रूरत नही थी."
उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, "एक ऐसे वक्त जब हमारा गणतंत्र मुश्किल वक्त से गुज़र रहा है सोनिया गांधी को पार्टी की कमान संभाले रखनी चाहिए. लेकिन अगर वो किसी कारणवश पार्टी का नेतृत्व करना नहीं चाहतीं तो ऐसे में कमान राहुल गांधी को सौंपी जानी चाहिए."
पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद बी मणिकराम टैगोर ने पत्र लिखकर सोनिया गांधी से कहा है कि, "उनके नेतृत्व पर पार्टी को पूरा भरोसा है और उनके व राहुल गांधी ने हाथों में पार्टी सुरक्षित रहेगी."
वहीं कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा है "कर्नाटक कांग्रेस गांधी परिवार और सोनिया गांधी के नेतृत्व के साथ है."
उन्होंने कहा, "सोनिया गांधी ने मुश्किल दौर में पार्टी का नेतृत्व किया है और पार्टी को बचाया है."
गांधी परिवार पर भरोसा जताते नेता
वहीं, यूथ कांग्रेस, सचिन पायलट, असम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बाला साहेब थोराट और पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह ने राहुल गांधी को नेतृत्व की कमान सौंपने का समर्थन किया है.
यूथ कांग्रेस ने मांग की है कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष पद से सोनिया गांधी हटती हैं तो उस सूरत में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए.
कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने ट्वीट किया है, "श्रीमती गांधी और राहुल जी ने दिखाया है कि पार्टी और लोगों की भलाई के लिए बलिदान करने का क्या अर्थ होता है. यह समय आम सहमति और मज़बूती बनाने का है. हमारा भविष्य तभी मज़बूत होगा जब हम एकजुट रहेंगे. अधिकतर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग है कि राहुल जी पार्टी का नेतृत्व करें."
असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने एक पत्र जारी कर लिखा, "पार्टी की कमान राहुल गांधी को सौंपी जाए जो न केवल पार्टी का नेतृत्व करें बल्कि बीजेपी और आरएसएस के ख़िलाफ़ भी आगे बढ़ कर लड़ाई करें."
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने लिखा, "अब वक्त आ गया है जब राहुल गांधी पार्टी की कमान अपने हाथों में लें. हम कहना चाहते हैं कि राहुल जी आप वापस आइए और पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कम करें. सोनिया जी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर पार्टी का मार्गदर्शन करें."
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि जब तक सोनिया गांधी चाहें पार्टी की कमान संभालें, उनके बाद ये ज़िम्मेदारी राहुल गांधी को दी जाए जो इस ज़िम्मेदारी को निभाने में पूरी तरह सक्षम हैं.
पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा है कि राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष के पद पर रहें या ना रहें, पार्टी का पूरा समर्थन उन्हें है.
पिछले दो लोकसभा चुनावों में पार्टी की बड़ी हार हुई है और पहली बार 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में उसे सौ से कम सीटें आईं.
2019 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था जिसके बाद सोनिया गांधी को एक साल के लिए पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था.
इस बीच, पार्टी में नए पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग होने लगी. लेकिन पार्टी को एक बार फिर गांधी परिवार से ही अध्यक्ष मिलेगा या फिर किसी और के नाम पर मुहर लगेगी ये सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए होने वाली कार्यसमिति की बैठक के बाद ही पता चलेगा.(bbc)
नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली में ताजिया रखने का सिलसिला मुगलकाल से ही चला आ रहा है, पर 700 वर्ष में ऐसा पहली बार होगा कि मोहर्रम पर ताजिये तो रखे जाएंगे, लेकिन इनके साथ निकलने वाला जुलूस नहीं निकल सकेगा। यह बात हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह शरीफ के प्रमुख कासिफ निजामी ने कही।
निजामी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय यानी 1947 में भी दरगाह से ताजियों के साथ निकालने वाले जुलूस पर पाबंदी नहीं लगी थी, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते दिल्ली और केंद्र सरकार से धार्मिक सामूहिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं है। इसलिए मोहर्रम पर ताजिये के साथ जुलूस निकलने की अनुमति भी नहीं मिली है।"
उन्होंने बताया, "700 वर्षो से अधिक समय से दरगाह से कुछ ही दूरी पर स्थित इमामबाड़ा में सबसे बड़ा फूलों का ताजिया रखा जाता है। यहां और चार ताजिये रखे जाते हैं। 10वीं मोहर्रम पर दरगाह से ताजियों के साथ छुरी और कमां का मातमी जुलूस निकलता है। नौजवान हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करके अपने बदन से लहू बहाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते इन सब पर पाबंदी लगी है। इसलिए इस बार कर्बला में सिर्फ ताजिये का फूल भेजा जाएगा।"
दिल्ली के अलीगंज जोरबाग में शा-ए-मरदान दरगाह व अंजुमन कर्बला कमेटी के सदस्य गौहर असगर कासमी ने बताया, "हर साल मोहर्रम की पहली तारीख से ही मजलिसें शुरू हो जाती हैं। ज्यादा जगहों पर ताजिया भी रख दिए जाते हैं। दस तारीख को लगभग यहां 70 बड़ी ताजियों के साथ जुलूस पहुंचता है। यहां पर ताजियों को दफन किया जाता है। 12 तारीख को तीज पर मातम का जुलूस निकलता है। लेकिन इसबार प्रशासन से अनुमति नहीं मिली है। सिर्फ इमामबाड़ा में मजलिस का आयोजन हो रहा है। कोरोना वायरस के चलते हो रही मजलिस का सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आयोजन में भाग लेने की अनुमति दी जा रही है।"
उन्होंने बताया, "जोरबाग की कर्बला सबसे पुरानी कर्बला है। यहां तैमूर लंग के शासनकाल से ताजिये रखने का सिलसिला चला आ रहा है। कर्बला में दिल्ली के आखिरी सुल्तान बहादुर शाह जफर की दादी कुदशिया बेगम की भी कब्र है।"
मोहर्रम पर प्रतिवर्ष हिंदू-मुस्लिम एकता भी देखने को मिलती है। हजारों की संख्या में लोग मोहर्रम के मातमी जुलूस में शामिल होने के लिए पहुंचते थे।
हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह से जुड़े मोहम्मद जुहैब निजामी ने बताया, "आसपास के कई हिंदू परिवार भी आस्था के कारण कई वर्षो से ताजिये रखते चले आ रहे हैं। वहीं महरौली का एक हिंदू परिवार तो कई दशकों से ऐसा कर रहा है।"
कोरोना वायरस ने ताजिये के कारोबार से जुड़े लोगो की जिंदगी पर भी असर डाला है। पूरी दिल्ली में हजारों की संख्या में तीजिये बनाए जाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते लोग अकीदत के लिए ताजिये खरीद नहीं रहे हैं।
मोहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग हुसैन की शहादत में गमजदा होकर उन्हें याद करते हैं। शोक के प्रतीक के रूप में इस दिन ताजिये के साथ जूलूस निकालने की परंपरा है। ताजिये का जुलूस इमाम बारगाह से निकलता है और कर्बला में जाकर खत्म होता है।
ताजिये का भारत में इतिहास के बारे में बताया गया है कि इसकी शुरुआत तैमूर लंग के दौर में हुई। ईरान, अफगानिस्तान, इराक और रूस को हराकर भारत पहुंचे तैमूर लंग ने यहां पर मुहम्मद बिन तुगलक को हराकर खुद को शहंशाह बनाया। साल में एक बार मुहर्रम मनाने वह इराक जरूर जाता था। लेकिन एक साल बीमार रहने पर वह मुहर्रम मनाने इराक नहीं जा पाया, दिल्ली में ही मनाया।
तैमूर के इराक नहीं जाने परे उसके दरबारियों ने अपने शहंशाह को खुश करने की योजना बनाई। दरबारियों ने देशभर के बेहतरीन शिल्पकारों को बुलवाया और उन्हें कर्बला में स्थित इमाम हुसैन की कब्र के जैसे ढांचे बनाने का आदेश दिया। बांस और कपड़े की मदद से फूलों से सजाकर कब्र जैसे ढांचे तैयार किए गए और इन्हें ताजिया नाम दिया गया और इन्हें तैमूर के सामने पेश किया गया।
उसके बाद शहंशाह तैमूर को खुश करने के लिए देशभर में ताजिये बनने लगे। ताजिये की यह परंपरा भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार में भी चली आ रही है।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में बगावत झेल चुकी 'दिशाविहीन' कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर से नेतृत्व का मुद्दा चर्चाओं में है। पिछले चुनाव के बाद से पार्टी ऑटो पायलट मोड पर चल रही है। पार्टी के कई नेता ये सवाल पूछ रहे हैं कि पार्टी का बॉस कौन है - सोनिया गांधी, राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा? कोई स्पष्टता नहीं होने से कांग्रेस नेता अब खुल कर नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर सवाल उठा रहे हैं। पिछले साल नेतृत्व के मुद्दे पर टकराव के बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया ताकि पार्टी में यथास्थिति बनी रहे। उसके बाद से नए नेतृत्व का चुनाव अब तक नहीं हो पाया है। वहीं, सं भावित उम्मीदवार को लेकर अनौपचारिक रूप स पार्टी के अंदर बातचीत होती रही, लेकिन हुआ कुछ नहीं। क्या इस बार भी ऐसा ही होगा? क्या फिर पार्टी में यथास्थिति बनी रहेगी?
पिछली बार चर्चा थी कि पार्टी में एक कार्यकारी अध्यक्ष होगा और क्षेत्रीय स्तर पर उपाध्यक्ष होंगे जो पार्टी में जान फूंकने का काम करेंगे। ऐसा कुछ नहीं हुआ, क्योंकि पार्टी 'फैमिली फस्ट' सोच का शिकार हो गई।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए जो नाम चल रहे हैं, उनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी नाम शामिल है जो सचिन पायलट की बगावत झेल चुके हैं। गहलोत के पास संगठन का अनुभव भी है। इसके अलावा कमल नाथ हैं, जनकी अग्निपरीक्षा मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव में होगी। रेस में पिछली लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, हरियाणा के भूपिंदर हुड्डा और मनीष तिवारी भी हैं।
जानकारों का मानना है कि पार्टी में अब गैर गांधी परिवार के नेता के अध्यक्ष पद बनने का वक्त आ गया है। ये बात इससे भी साफ हो जाती है कि राहुल गांधी ने ही 2019 चुनाव में हार के बाद इसके लिए मांग की थी।
पार्टी के संगठन को मजबूत करना और चुनाव के जरिए पार्टी के पदों पर नियुक्ति एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए गहलोत की क्षमता को नकारा नहीं जा सकता। गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने तक पार्टी के महासचिव (संगठन) थे।
अगर गहलोत अध्यक्ष बनते हैं तो सचिन पायलट के लिए राजस्थान में रास्ता साफ हो सकता है। गहलोत को अहमद पटेल और राहुल गांधी दोनों नेताओं का समर्थन प्राप्त है और वो एक सबकी सहमति से बनने वाले अध्यक्ष हो सकते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ और यथा स्थिति बनी रही तो 'फैमिली फस्ट' वाली सोच फिर से हावी हो सकती है।
आने वाले समय में बिहार में चुनाव हैं उसके बाद पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम, केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में मतदान। देश की सबसे पुरानी पार्टी दिशाहीन फिलहाल बनी हुई है और के रल, पंजाब और असम को छोड़ कर देश के अन्य भागों में इसकी उपस्थिति न के बराबर है।
लोकतंत्र में एक मजबूत विपक्ष का होना भी उतना ही जरूरी है। लेकिन राहुल गांधी के अध्यक्ष पद बनने से इनकार करने के बाद कांग्रेस पार्टी 'सस्पेंडेंड एनीमेशन' में है। अब वक्त आ गया है कि पार्टी खुद अपने अंदर लोकतंत्र को जीवित करे और 'फैमिली फस्ट' की मानसिकता से बाहर निकले। अगर इस साल भी ऐसा ही हुआ, जैसा पिछले साल हुआ था तो पार्टी और कमजोर हो सकती है।
बेंगलुरू, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भगोड़े स्वंयभू बाबा नित्यानंद का उद्देश्य 'रिजर्व बैंक ऑफ कैलासा' के बाद अब छह माह में एक हिंदू संसद के निर्माण का है। उन्होंने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से कहा, "गणपति के आशीर्वाद से, हम हिंदू धर्म आधारित संगठनों के प्रशासन के लिए एक मॉडल सरकार स्थापित करने के लिए एक हिंदू संसद स्थापित करना चाहते हैं।"
उन्होंने कहा, "संसद को स्थापित करने में छह माह का वक्त लग सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि जनवरी तक यह कार्य पूरा हो जाएगा।"
हिंदू संसद में पांच संस्थाओं का गठन होगा, जिनमें चित सभा, राजा सभा, देव सभा, कांगा सभा और नित्यानंद सभा रहेंगी।
ये सभी पांच संस्थाएं उस तरह से होंगे, जिसके बारे में 'परमशिव' ने वेदों और 'आगमशास्त्रों' में कहा है।
चित सभा चेतना आधारित आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान पेश करेगी, जो सभी हिंदू प्रतिनिधियों, प्रबुद्ध स्वामी, गुरु और अन्य लोगों का स्वागत करती है, जो स्वेच्छा से संसद के विनम्र अनुरोध और निमंत्रण को स्वीकार करती है।
यह साथ ही हिंदू आशीर्वाद प्रणाली पेश करेगी।
राजा सभा एक जिम्मेदार लोकतांत्रिक सेटअप होगी, जो देशों के हिंदू नेताओं, सहानुभूति रखने वाले और हिंदू सिद्धांतों की सराहना करने वाले राजनीतिक नेताओं को आमंत्रित करेगी।
उन्होंने कहा, "जो इन सिद्धांतों को कई देशों में राजनीतिक स्तर पर कार्यात्मक बना सकती है।"
जबकि हिंदू देव सभा व्यक्तियों के लिए एक थिंक टैंक है, जो वेदों, इतिहास, पुराणों और आगामों में निहित उच्चतम हिंदू प्रशासनिक सिद्धांतों पर रहने के लिए दूसरों को प्रेरित करती है।
कांगा सभा हिंदू अस्तित्व के विकास से संबंधित संघटित सिद्धांतों के समूह के साथ एक इकाई है।
उन्होंने कहा, "इसमें इंसान की समृद्धि से संबंधित व्यक्तियों और महत्वपूर्ण नेताओं को शामिल किया जाएगा, जिसमें जीवनशैली, धनराशि, अनाज, ईंधन, बिजली जैसे विभिन्न आवश्यक संसाधन शामिल हैं।"
कांगा सभा का उद्देश्य इन सूचनाओं को एकत्रित करना और इसे बाहर की दुनिया में शेयर करना है।
उन्होंने कहा, "नित्यानंद सभा, एक जिम्मेदार लोकतांत्रिक सभा है जिसमें उन व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा, जो महाकालीसा के प्रशासन को सुव्यवस्थित करेंगे, जो स्वयं विज्ञान के साथ दुनिया की समृद्धि को अनुभव करते हैं।"
इन पांच सभाओं के संगम को नित्यानंद हिंदू संसद बता रहे हैं।
प्रत्येक सभा में 1,008 सदस्यों की क्षमता होगी।
दुष्कर्म के आरोपी बाबा ने कहा, "छह माह के अंदर, हम सदस्यों के नाम, संरचना, इसके सिद्धांत व नीतियों के नाम जारी कर देंगे।"
रविवार को रात 7.30 बजे, वह संसद की योजना के बारे में नित्यानंदा डॉट टीवी पर बताएंगे।
इसबीच, उन्होंने कैलासा के लिए मुफ्त में ई-सिटीजनशिप लांच किया है। साथ ही उन्होंने मुफ्त में ई-पासपोर्ट की भी पेशकश की है।
शनिवार को स्वयंभू बाबा ने रिजर्व बैंक ऑफ कैलासा की करेंसी पेश की थी, जिसमें भगवान गणेश के पांव की तस्वीर है।
माना जाता है कि दुष्कर्म का आरोपी आधात्मिक गुरु अक्टूबर 2019 में भारत से भाग गया था।
दिसंबर 2019 में, नित्यानंद ने घोषणा की थी कि उसने अपने हिंदू देश कैलासा की नींव रख दी है।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| कांग्रेस कार्य समिति (सी डब्ल्यू सी) की सोमवार को होने वाली बैठक से पहले पार्टी के कई नेताओं का लिखा हुआ एक पत्र सामने आया है जिसमें पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन और सुधार करने की मांग की गई है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी के पार्टी का नेतृत्व संभालने को लेकर कोई चुनौती नहीं है, लेकिन अगर कोई दूसरा नेता अध्यक्ष पद की दावेदारी पेश करता है तो पार्टी में जबरदस्त घमासाम मच सकता है। बता दें कि राहुल गांधी पहले ही पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं।
माना जा रहा है कि राहुल गांधी पार्टी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल का नाम आगे कर सकते हैं। इसलिए हर नेता अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। लेकिन अगर कार्य समिति चुनाव कराने पर फैसला लेती है तो बात वहीं खत्म हो सकती है। इस बीच पता चला है कि कांग्रेस के बड़े नेता असंतुष्टों से बात करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
राज्य सभा सांसद पी.एल. पुनिया ने कहा, हम राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग करते हैं। पार्टी के दूसरे गुट की भी यही राय है।
कांग्रेस पार्टी से निलंबित प्रवक्ता संजय झा ने कहा, करीब 300 कांग्रेसी नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। ये नेता देश के हर कोने से हैं। लेकिन सिर्फ 23 नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।
कांग्रेस ने पहले किसी भी पत्र से इनकार किया था लेकिन अब 20 नेताओं के हस्ताक्षर का पत्र सामने आ रहा है।
पत्र में भाजपा के उत्थान पर चिंता जताई गई है और पार्टी के लिए एक फुल-टाइम अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की गई है। पिछले साल के अगस्त महीने से ही सोनिया गांधी पार्टीी की अंतरिम अध्यक्ष पद पर हैं।
पत्र में ये भी कहा गया है कि देश आर्थिक संकट, कोरोना महामारी और चीन से सीमा विवाद के संकट से जूझ रहा है। इन नेताओं का कहना है कि कार्य समिति से लेकर पार्टी के दसूरे सभी पदों के लिए चुनाव होने चाहिए। इसके साथ ही पार्लियामेंट्री बोर्ड को भी फिर से जीवित किया जाना चाहिए।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रमुख हैं -- गुलाम नबी आजाद, आनन्द शर्मा, भूपिन्दर सिंह हूडा, वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चौहान आदि।
पत्र में कहा गया है कि हार पर पश्चाताप करने के बजाय पार्टी आगे का एजेंडा सेट करे और भाजपा को घेरने के लिए एक नई रणनीति बनाए। इसके अलावा राज्यों में नेतृत्व को और ज्यादा स्वतंत्रता देने की मांग की गई है।
सूत्रों के मुताबिक पत्र में सोनिया गांधी के कामकाज की भी तारीफ की गई है।
पत्र में कहा गया है कि पार्टी लगातार नीचे की ओर जा रही है और भाजपा से लड़ने में विफल साबित हो रही है।
सोमवार को होने वाली कार्य समिति की बैठक में पार्टी सभी मुद्दों पर खुल कर चर्चा करना चाहती है।
गुवाहाटी, 23 अगस्त। असम के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं.
असम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, तरुण गोगोई ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया, ‘मेरे सूत्रों से पता चला है कि रंजन गोगोई का नाम राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की सूची में है. मुझे लगता है कि उन्हें असम के अगले संभावित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जा सकता है.’
उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई राज्यसभा सांसद बन सकते हैं, तो वह असम में भाजपा के अगले संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर भी सहमत हो सकते हैं.
गोगोई ने कहा, ‘यह सब राजनीति है. भाजपा अयोध्या राममंदिर मामले में फैसले को लेकर रंजन गोगोई से खुश थी. उसके बाद उन्होंने राज्यसभा नामांकन स्वीकार कर धीरे-धीरे राजनीति में प्रवेश किया. उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से क्यों इनकार नहीं किया? वह आसानी से मानवाधिकार आयोग या किसी अन्य अधिकार संगठन के अध्यक्ष बन सकते थे. उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं थी इसलिए उन्होंने राज्यसभा का नामांकन स्वीकार किया.’
असम के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह असम में कांग्रेस के अगले संभावित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं बनने जा रहे.
वह भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), लेफ्ट और क्षेत्रीय पार्टियों के महागठबंधन की वकालत कर रहे हैं.
तरुण गोगोई ने कहा, ‘मैं राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनने जा रहा. मैं मार्गदर्शक या सलाहकार के तौर पर काम करना चाहूंगा. कांग्रेस में कई योग्य उम्मीदवार हैं, जो प्रभार संभाल सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि संभावित गठबंधन के एक साझा उम्मीदवार को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदावर के तौर पर पेश करना चाहिए.
हालांकि, कांग्रेस के कई नेता एआईयूडीएफ के साथ पार्टी के गठबंधन के विचार का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष अपना नाराजगी व्यक्त भी की है.
इन नेताओं का मानना है कि एआईयूडीएफ के साथ हाथ मिलाने से असम के ऊपरी इलाकों में कांग्रेस के मतदान प्रतिशत पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. ऐसे इलाकों में जहां चाय बागान समुदाय या जनजातीय लोगों के वोट अधिक हैं.
जोरहाट के पूर्व विधायक राणा गोस्वामी का कहना है, ‘मैंने तरुण गोगोई से बात की और उनसे कहा कि हो सकता है कि एआईयूडीएफ के साथ हाथ मिलाना उचित नहीं हो. हालांकि, अगर महागठबंधन होगा तो स्थिति में बदलाव आएगा.’ (thewire)