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नई दिल्ली, 8 फरवरी| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जांच एजेंसियो पर विपक्षी दलों उठाए गए सवालों पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि इन दलों को ईडी का धन्यवाद करना चाहिए, क्योंकि उसकी वजह से ये सभी दल एक मंच पर आ गए हैं, एकजुट हो गए हैं।
जांच एजेंसियो के दुरुपयोग को लेकर राहुल गांधी और अन्य कई विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों पर पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोक सभा में कहा कि भ्रष्टाचार के मामले की जांच करने वाली एजेंसियो के बारे में बहुत कुछ कहा गया और कई लोग उनके सुर में सुर मिला रहे थे। पहले लगता था कि देश की जनता का फैसला, चुनावी नतीजा इन्हें एक मंच पर ला देगा, लेकिन जो काम देश के मतदाता नहीं कर सके वो काम ईडी ने कर दिया।
बुधवार को लोक सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों पर बिना नाम लिए पलटवार और कटाक्ष करते हुए कहा कि भविष्य में दुनिया के बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में इस पर रिसर्च और स्टडी होगी कि कांग्रेस की बबार्दी कैसे हुई और कांग्रेस को डुबाने वाले पर भी स्टडी होगी। (आईएएनएस)
ट्रांसजेंडर्स को लेकर सरकार की ओर से प्रतिक्रिया आई है. मंगलवार को लोकसभा में सरकार ने इस बारे में जानकारी दी है.
संसद में पूछे एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से बताया गया कि शिक्षा, रोज़गार के क्षेत्र में ट्रांसजेंडर्स को लेकर किसी तरह के आरक्षण को लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
द हिंदू की ख़बर के मुताबिक़, महाराष्ट्र के कई सांसदों ने इस बारे में सवाल पूछा था कि क्या कोई ऐसी योजना है कि ट्रांसजेंडर्स को किसी तरह का आरक्षण मुहैया करवाया जाएगा?
इसके साथ ये भी पूछा गया था कि सरकार और प्राइवेट सेक्टर में कितने ट्रांसजेंडर्स को नौकरी दी गई? नेशनल पोर्टल फ़ॉर ट्रांसजेंडर्स में कितने ट्रांसजेंडर्स ने ख़ुद को रजिस्टर किया और उनके साथ होते भेदभाव से निपटने के लिए क्या पॉलिसी है? (bbc.com/hindi)
जेईई के पहले सत्र का रिज़ल्ट सामने आ गया है. इस रिज़ल्ट में क़रीब 20 बच्चे ऐसे रहे हैं, जिन्होंने इस परीक्षा में 100 फ़ीसदी नंबर हासिल किए हैं.
इन सफल स्टूडेंट्स में यूपी के हापुड़ ज़िले के जुड़वां भाई भी शामिल हैं. इन भाइयों में से एक निपुण ने 100 में से 100 और निकुंज ने 100 में से 99.99 नंबर हासिल किए हैं. ये दोनों भाई इस साल 12वीं क्लास की परीक्षा देंगे.
द हिंदुस्तान टाइम्स ने इन दोनों भाइयों से बात की है.
निपुण ने कहा, "आईआईटी हमारे लिए नए मौक़ों का रास्ता खोलती है. हम पहले ही कोई सोच बनाकर नहीं चल रहे कि हम आगे क्या करेंगे. सिविल की तैयारी या कुछ और, हमारे करियर में जो भी सामने आएगा, हम उसे एक्सप्लोर करेंगे."
निपुण और निकुंज ने 10वीं क्लास की परीक्षा में भी कमाल किया था और दोनों टॉपर रहे थे.
श्रद्धा वालकर के मर्डर केस से जुड़ी नई जानकारियां सामने आई हैं.
द हिंदू समेत कई अखबारों ने इस ख़बर को जगह दी है. श्रद्धा की हत्या के अभियुक्त आफ़ताब पूनावाला पर दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है.
इस चार्जशीट में पुलिस ने कहा है कि आफ़ताब ने श्रद्धा के शव के 17 टुकड़े किए और इन टुकड़ों को अपने छतरपुर वाले घर में रसोई में बनी अलमारी और फ्रिज में तीन हफ़्तों तक रखा.
पुलिस के मुताबिक़, श्रद्धा की हत्या के बाद जब किसी डेटिंग ऐप के ज़रिए मिली कोई लड़की आफ़ताब के घर आती तो वो श्रद्धा के शरीर के टुकड़े कभी फ्रिज तो कभी रसोई की अलमारियों में रख देता.
पुलिस की चार्जशीट पर मंगलवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने संज्ञान लिया है. ये चार्जशीट क़रीब 6,600 पन्नों की है.
चार्जशीट के मुताबिक़, जब कोई लड़की आफ़ताब से मिलने आती तो वो शव के टुकड़ों को फ्रिज से निकालकर कभी रसोई में छिपाता तो कभी कहीं और. जब लड़की आफ़ताब के फ्लैट से चली जाती तो आफ़ताब शव के टुकड़ों को दोबारा फ्रिज में रख देता.
ये मर्डर केस मई 2022 का है, जिसके बारे में पुलिस को बीते साल नवंबर में पता चला था. आफ़ताब ने श्रद्धा के शवों के टुकड़े कई दिनों तक दिल्ली की अलग-अलग जगहों पर फेंके थे.
इन टुकड़ों को खोजकर डीएनए टेस्ट किया गया जिसके बाद श्रद्धा वालकर की पहचान पुख्ता हुई. अख़बार लिखता है कि आफ़ताब ने श्रद्धा के शव से अंगूठी निकाल ली थी और ये अंगूठी उसने किसी दूसरी महिला दोस्त को तोहफ़े में दी थी.
पुलिस ने ये अंगूठी उस महिला से बरामद कर ली गई है.
द इंडियन एक्सप्रेस भी चार्जशीट के हवाले से लिखता है कि 18 मई 2022 को मर्डर के बाद आफ़ताब ने श्रद्धा की हड्डियों को स्टोन ग्राइंडर में पीसा और पाउडर बनाकर उसे ठिकाने लगाया. चार्जशीट कहती है कि पुलिस की पूछताछ में आफ़ताब ने ये बातें स्वीकार की हैं.
चार्जशीट में ये भी बताया गया है कि हत्या के दिन आफ़ताब ने दो लोगों के लिए खाना ऑर्डर किया था मगर हत्या की रात सिर्फ़ एक चिकन रोल ऑर्डर किया था. इस जानकारी के हवाले से कहा गया है कि रात को श्रद्धा की हत्या की जा चुकी थी.
अभियुक्त आफ़ताब के वकील ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है और कहा है कि ट्रायल के दौरान हम अपना केस मज़बूती के साथ लड़ेंगे.
श्रद्धा और आफ़ताब लिव-इन-रिलेशनशिप में थे और मुंबई से दिल्ली आकर रह रहे थे. आफ़ताब की उम्र 28 साल और श्रद्धा की उम्र 27 साल बताई गई थी. दोनों हत्या से कुछ दिन पहले ही महरौली के छत्तरपुर इलाक़े में एक फ्लैट में किराए पर रहने आए थे. (bbc.com/hindi)
इंद्रावती में डीडीओ के लिए कल कार्यशाला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 फरवरी। ओपीएस या एनपीएस पर वित्त विभाग के निर्देश के बाद प्रदेश भर के अधिकारियों, कर्मचारियों को विकल्प चुनने कहा गया है। हालांकि विकल्प चयन को लेकर कर्मचारियों में भ्रम की स्थिति भी बन गई है। इसे देखते हुए मंत्रालय कर्मचारी संघ ने मुख्य सचिव को ज्ञापन देकर वित्त विभाग के समक्ष अधिकारियों की तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित करने की मांग की है। वहीं कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन की मांग पर इंद्रावती भवन के ट्रेजरी कार्यालय की तरफ से 9 फरवरी को एक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस पर सभी डीडीओ को पत्र जारी कर कार्यशाला में बुलाया गया है।
नई दिल्ली, 8 फरवरी । पीएम मोदी ने अदानी मामले और राहुल गांधी का बिना ज़िक्र किए मंगलवार को उनके द्वारा लगाए गए आरोपों का इशारे में जवाब दिया है.
उन्होंने कहा कि विपक्ष कभी कहता है कि भारत कमज़ोर हो गया है और कभी कहते हैं कि भारत इतना मज़बूत हो गया है कि दूसरे देशों पर दबाव डालकर फ़ैसले करवा रहा है.
इससे पहले राहुल गांधी ने मंगलवार को श्रीलंका के इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के चेयरमैन के संसदीय समिति के समक्ष दिए गए कथित गवाही का हवाला देते हुए आरोप लगाया था.
गांधी ने आरोप लगाया था कि पीएम मोदी के दबाव में महिंद्रा राजपक्षे सरकार ने अदानी समूह को श्रीलंका में ठेके दिलवाए.
इसी दौरान उन्होंने कहा कि मोदी का भरोसा अख़बार की सुर्ख़ियों से नहीं पैदा हुआ. टीवी पर चमकते चेहरे से नहीं पैदा हुआ. मैंने जीवन खपा दिया है, पल पल खपा दिया है, देश के उज्ज्वल के लिए.
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरे विश्वास के कवच को विपक्ष गालियों से नहीं भेद सकता. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 8 फरवरी । पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए विपक्ष पर हताशा में अपनी सरकार पर हमले करने का आरोप लगाया है.
उन्होंने व्यंग्य कवि काका हाथरसी की एक पंक्ति 'आगा पीछा देखकर क्यों होते ग़मगीन, जैसी जिसकी भावना वैसा दिखे सीन' का हवाला देते हुए विपक्ष की मंशा पर सवाल उठाए.
विपक्ष की इस निराशा के दो कारण हैं. ये निराशा ऐसे ही नहीं आई, एक तो जनता का हुकुम और बार बार हुकुम.
दूसरा कारण जो सबसे बड़ा है वो है अंतर्मन में पड़ी चीज़.
पीएम मोदी ने इसे साफ़ करते हुए दावा किया कि 2004 से 2014 के बीच यूपीए की सरकार के दौरान भारत की हालत ख़स्ताहाल हो गई.
हर मौक़े को मुसीबत में बदला
इन्होंने हर मौक़े को मुसीबत में बदल दिया. ऐसे में निराशा नहीं होगी तो क्या होगी?
इनके शासन में महंगाई डबल डिजिट में रही. ऐसे में मौजूदा सरकार में कुछ अच्छा होता है तो इन्हें निराशा नहीं होगी तो क्या होगी?
जिन्होंने बेरोज़गारी दूर करने के वादे किए थे, वो उन्हें क़ानून बनाने का दिखावा करने लगे.
अपनी बात को साफ़ करने के लिए पीएम मोदी ने एक कहानी सुनाई.
उन्होंंने कहा- एक बार की बात है एक जंगल में दो नौजवान शिकार करने गए. वो गाड़ी में अपनी बंदूक रखकर घूमने लगे. सोचा थोड़ा आराम कर लें. लेकिन इतने में बाघ वहां आ गया. लेकिन वे अब करें भी क्या बंदूक तो गाड़ी में था, तो उन्होंने उस बाघ को अपनी बंदूक का लाइसेंस दिखाया. यही उनका हाल है.
यूपीए के 10 साल घोटाले के साल
उन्होंने आरोप लगाया, "यूपीए के 10 साल घोटालों के साल रहे.
उस दौरान कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक आतंकवादी हमलों का सिलसिला चलता रहा.
उस समय ख़बरें चलती थीं कि अनजानी चीज़ों से दूर रहना. पूरे देश में हिंसा होती रही. उस 10 साल में भारत की आवाज़ इतनी कमज़ोर थी कि दुनिया सुनने को तैयार नहीं थी.
इनकी निराशा का कारण ये भी है कि आज जब देश की क्षमता का परिचय मिल रहा है. 140 करोड़ लोगों का सामर्थ्य सामने आ रहा है लेकिन इन्होंने उस क्षमता को गंवाया."
पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि जब टेक्नोलॉजी की क्षमता का इस्तेमाल करना था, तो यूपीए सरकार 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में फंसे रहे.
जब कॉमनवेल्थ खेल हुए, तब भी मौक़े को भुनाने के बजाय ये कॉमनवेल्थ घोटाले में फंसे रहे. (bbc.com/hindi)
विश्व के असाधारण नाटककार और कवि विलियम शेक्सपियर ने ‘कॉमेडी ऑफ एरर्स’ नाम का हास्य नाटक भी लिखा था। उसमें सभी प्रमुख चरित्रों के दोहरे चेहरे बार बार दृश्य पटल पर लटक आते हैं। दर्शक या पाठक को नाटक की थीम के साथ जुडक़र हंसने और गुदगुदी खिलाने का काफी मौसम मिलता है। इसी नाटक पर आधारित कॉमेडी फिल्म ‘अंगूर’ बनी थी जिसने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था। छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद को लेकर मुख्य किरदारों के परेशान दिमाग चरित्रों को पढ़ते हुए और ‘कॉमेडी ऑफ एरर्स’ की याद आना स्वाभाविक है।
किस्सा कोताह यह है कि 19 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों के आरक्षण संबंधी 2012 के राज्य के संशोधन विधेयक को दो तीन आधारों पर खारिज कर दिया था। पहला यह कि कुल आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले इंदिरा साहनी में की गई बंदिष के कारण 50 प्रतिशत से ज्यादा सामान्य तौर पर नहीं हो सकता। दूसरा यह कि राज्य सरकार अर्थात् भाजपा सरकार ने 2012 में संशोधन विधेयक पारित करने के बावजूद क्वांटिफाइबल डाटा (परिमाणात्मक आंकड़े) संतोषजनक ढंग से नहीं बनाए कि किस तरह कमजोर वर्गों को आरक्षण की ज़रूरत है। कितने पद खाली हैं और सरकार द्वारा प्रस्तावित संख्या में नियुक्त कर दिए जाने से प्रशासकीय स्तर कैसे कायम रहेगा। मजा यह है कि बहस तो कांग्रेस सरकार के वक्त हुई जिसके कानूनी कर्ताधर्ताओं ने भी यह देखने की जहमत नहीं उठाई कि भाजपा सरकार के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में दिए गए निर्देषों का ठीक से पालन नहीं हुआ है। भाजपा की आधी अधूरी वर्जिश की ताईद करते कांग्रेसी वकीलों ने बहस कर दी। नतीजा पुनर्मूशको भव रहा। चीफ जस्टिस ने साफ कहा कि सरकार संतुष्ट करने में असमर्थ रही है। संवैधानिक सलाह पाकर छत्तीसगढ़ सरकार ने दुबारा संशोधन विधेयक 2022 पारित किया। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्थगन नहीं मिलने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में आखिरी बहस में भी हाईकोर्ट का फैसला कायम रह जाने की संभावना रही होगी। दुबारा संशोधन करने से राज्य सरकार को उम्मीद रही होगी कि औपचारिक रूप से राज्यपाल द्वारा उस पर हस्ताक्षर कर दिया जाएगा।
पेंच यहीं पर अटक गया। राज्यपाल को राज्य सरकार के विधायी आचरण से शायद संतुष्टि नहीं हुई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट निर्णयों के निर्देषों के प्रकाश में कई तरह के स्पष्टीकरण मांगे। स्पष्टीकरण की मांग को पब्लिक डोमेन में नहीं आना चाहिए था लेकिन उसे छबि बरकरार करने के कारण लाया गया। राज्य सरकार ने जो जवाब दिया उसमें संविधान के उसी अनुच्छेद 163 पर निर्भर होना ही दिखा कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह से बिना किसी ना नुकुर के चलना होगा। अनुच्छेद 163 कहता है, ‘राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि-परिषद्-(1) जिन बातों में इस संविधान द्वारा या इसके अधीन राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने कृत्यों या उनमें से किसी को अपने विवेकानुसार करे, उन बातों को छोडक़र राज्यपाल को अपने कृत्यों का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि-परिषद् होगी जिसका प्रधान, मुख्य मंत्री होगा।’ (2) यदि कोई प्रष्न उठता है कि कोई विषय ऐसा है या नहीं जिसके संबंध में इस संविधान द्वारा या इसके अधीन राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने विवेकानुसार कार्य करे तो राज्यपाल का अपने विवेकानुसार किया गया विनिश्चय अंतिम होगा और राज्यपाल द्वारा की गई किसी बात की विधिमान्यता इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जाएगी कि उसे अपने विवेकानुसार कार्य करना चाहिए था या नहीं। (3) इस प्रश्न की किसी न्यायालय में जांच नहीं की जाएगी कि क्या मंत्रियों ने राज्यपाल को कोई सलाह दी, और यदि दी तो क्या दी। फिर शायद राज्यपाल की ओर से सवाल उछाला गया कि राज्यपाल ने तो केवल आदिवासी वर्गों के लिए ही दुबारा संषोधन विधेयक पारित करने की इच्छा जाहिर की थी क्योंकि आदिवासी वर्ग का आबादी के अनुपात में 32 प्रतिशत आरक्षण घटाकर 20 प्रतिशत हो गया था। सरकार और राजभवन के बीच गोपनीय पत्राचार मीडिया में भी उछलता रहा जो कतई मुनासिब परम्परा नहीं है। लोकप्रिय होने की हविश ने भी आग में घी डालने का काम किया। ऐसे गंभीर प्रश्नों को सडक़ के प्रदर्शनों पर डालने के साथ साथ मीडिया में वाहवाही लूटने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाए गए। राजभवन तक जनमार्च भी किया गया। भाजपा चुप कैसे बैठे? आग लगाए जमालो दूर खड़ी का मुहावरा उस पर भी चस्पा किया गया।
यह अनुभव में है कि राज्यपाल का पद हकीकत और व्यवहार में तो केन्द्र सरकार का किसी भी राज्य में एक्सटेंशन काउंटर ही हो जाता है। संविधान कहता रहे कि राज्यपाल एक स्वायत्त संवैधानिक इकाई है। राज्यपाल ने चुप्पी मार दी तब छत्तीसगढ़ सरकार को संवैधानिक सलाह और व्यूह रचना शायद दिल्ली से सिखाई गई होगी। क्योंकि बड़े मुकदमों के पैरवीकार तो वहीं रहते हैं। फिर सरकार और निजी व्यक्ति की ओर से हाईकोर्ट में हालिया याचिका दायर कराई गई कि राज्यपाल को लंबे वक्त तक केवल चुप बैठने का संवैधानिक क्षेत्राधिकार नहीं है। याचिका में राज्यपाल पर कई तरह के आरोप भी लगाए गए जो संवैधानिक भाषा में लिखने के बावजूद राजनीति की गंध से सराबोर हैं। अब जानकारी है कि राज्यपाल की ओर से हाईकोर्ट की नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया जाना है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार (1) राष्ट्रपति अथवा राज्य का राज्यपाल या राजप्रमुख अपने पद की शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन के लिए या उन शक्तियों का प्रयोग और कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने द्वारा किए गए या किए जाने के लिए तत्यार्पित किसी कार्य के लिए किसी न्यायालय को उत्तरदायी नहीं होगा।
राज्यपाल की ओर से सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के एक निर्णय रामेश्वर प्रसाद बनाम भारत संघ पर भरोसा किया जा रहा है। राज्यपाल के खिलाफ उनके तहत कार्य कर रही सरकार द्वारा ही हाईकोर्ट में मामला दायर करना एक अजीबोगरीब संवैधानिक परिस्थित है। अनुच्छेद 154 (1) कहता है ‘राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।’ लगता नहीं कि हाईकोर्ट कुछ कर पाएगा। ऐसी संवैधानिक पेचीदगियों का अंतिम निराकरण हाईकोर्ट के एकल जज द्वारा तो क्या दूसरी बड़ी पीठ द्वारा भी किया जाने की संवैधानिक संभावना या परम्परा दिखती नहीं। मामले में केन्द्र सरकार को भी पक्षकार बनाए जाने से गेंद अब केन्द्र सरकार के पाले में भी है। राज्य के विधेयक को संविधान की नौवीं अनुसूची में जगह दिलाने का राज्य सरकार का इरादा बिना संसद की मंजूरी के वैसे भी नहीं हो सकता। बेचारा आरक्षण तो हाशिए पर चला गया। राजनीतिक मल्ल युद्ध के लिए अखाड़े की धरती तैयार हो रही है। इसी साल विधानसभा के चुनाव भी हैं। इसलिए वोट बैंक पर पकड़ की अहमियत संविधान के प्रति निष्ठा से कहीं ज्यादा राजनेताओं को होगी।
विधानसभा द्वारा पारित विधेयक पर राज्यपाल का कितना अधिकार होना चाहिए। इस पर संविधान सभा में बहस हुई थी। ब्रजेश्वर प्रसाद ने कहा था कि राज्यपाल को किसी विधेयक को स्वविवेक से नामंजूर करने की शक्ति प्राप्त होनी चाहिए, चाहे विधानसभा ने उसे एक बार पारित किया हो या दो बार।
उन्होंने कहा था कि मैं जानता हूं कि यह प्रस्ताव लोकतन्त्रात्मक प्रवृत्तियों से असंगत है। लोगों का यह विश्वास है कि वे लोकतन्त्र के युग में जीवन व्यतीत कर रहे हैं, किन्तु मेरी यह धारणा है कि हमारा युग निरंकुश सत्ताधारियों का युग है। कनाडा के संविधान में इस प्रकार का प्रावधान है। देश के राजनैतिक जीवन को देखते हुए चाहता हूं कि हमारे संविधान में भी इस प्रकार का उपबन्ध होना चाहिए। यदि राष्ट्रपति और राज्यपाल को किसी विधेयक को नामंजूर करने की शक्ति प्राप्त होगी तो विघटनकारी विधेयक पारित नहीं हो सकेंगे। देश में विघटनकारी विधेयकों के पारित होने की बहुत आशंका है। यह आशंका काल्पनिक नहीं है बल्कि वास्तविक है। मैं यह भी चाहता हूं कि राज्यपाल इस अस्वीकार करने की शक्ति का अमूमन ही प्रयोग करते ही रहें। प्रदेश के मंत्रियों पर मेरा विश्वास नहीं है। राज्यपाल कोई बाहर का आदमी नहीं होगा। वह भारत सरकार का प्रतिनिधि होगा। उसकी राय प्रान्त के किसी अन्य प्राधिकारी की राय से श्रेष्ठ समझी जानी चाहिए। उनसे असहमत प्रोफेसर शिब्बनलाल सक्सेना ने कहा था मैं जानता हूं कि राज्यपाल पद पर राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित व्यक्ति होगा, किन्तु यह हो सकता है कि किसी प्रदेश में जो दल सत्ता में हो, वह केन्द्र में सत्ताधारी दल से अलग हो और राष्ट्रपति उस दल का व्यक्ति न हो। इसलिए मेरे विचार से यह एक बहुत ही गलत सिद्धान्त है कि राज्यपाल को विधानसभा की (और विधान परिषद्) की इच्छा के विरुद्ध कदम उठाने दिया जाय। तब टीटी कृष्णमाचारी ने कहा था कि डॉ. अम्बेडकर ध्यान दिला चुके हैं, कि राज्यपाल किसी विधेयक को अपने संदेश के साथ सदन को स्वविवेक से नहीं लौटाएगा। अब राज्यपाल को स्वविवेक से कार्य करने की शक्ति नहीं प्राप्त है। यदि राज्यपाल किसी संशोधन विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाएगा तो वह मन्त्रिपरिषद् के परामर्श से ही लौटाएगा। इससे उत्तरदायी मन्त्रिमण्डल की शक्ति किसी प्रकार कम नहीं होती। न इस से राज्यपाल को ही अधिक शक्ति प्राप्त होती है।
निर्वाचित विधायिका के ऊपर राज्यपाल को एकाधिकार नहंीं हैं कि अधिकारों के प्रतिरोध के कारण संविधान को ही गतिरोध का सामना करना पड़े। राज्यपाल के अधिकारों में एक शब्द ‘यथाशीघ्र’ भी है। उसका आशय कई महीनों तक हस्ताक्षर नहीं करना तो नहीं माना जा सकता। इसके अतिरिक्त राज्यपाल के पद को राजनीति में घसीटा जाना भी कतई मुनासिब नहीं है। इससे संविधान की हेठी होती है। यह कई बार हुआ है कि राज्यपाल केन्द्र के एजेंट के तौर पर काम करते हैंं लेकिन फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक व्याख्या की है कि राज्यपाल का पद स्वायत्त है। उस पर नियुक्त होने के बाद उन्हें केवल संवैधानिक आचरण करना चाहिए। हालांकि व्यवहार में ऐसा होता नहीं है क्योंकि केन्द्र सरकार तो राज्यपाल पद पर संवैधानिक ज्ञान के ही प्रतिनिधियों का मनोनयन नहीं करती है। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ वह राज्य है जहां कांग्रेस भाजपा के मल्ल युद्ध के कारण अखाड़े में पिटना तो आदिवासी और अन्य उपेक्षित वर्गों को ही है। न तो उसके पास कोई बड़ा वकील है। न उनमें कोई जागरूक चेतना है। न ही राजनीतिक पार्टियों में उनकी हिस्सेदारी के लिए जम्हूरियत की चेतना है। आरक्षण प्रकरण में नायाब संवैधानिक आचरण की छटाएं देखने के बदले राजनीतिक पैंतरेबाजी को ही अगर सहारा बनाया जाएगा। तो संविधान बेचारा टुकुर-टुकर देखने के अलावा क्या करेगा। हालांकि संवैधानिक अधिकारों की हेठी और दुर्भावना दिखाई पडऩे पर संविधान न्यायालय लाचार नहीं होंगे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 फरवरी। ओपीएस या एनपीएस पर वित्त विभाग के निर्देश के बाद प्रदेश भर के अधिकारियों, कर्मचारियों को विकल्प चुनने कहा गया है। हालांकि विकल्प चयन को लेकर कर्मचारियों में भ्रम की स्थिति भी बन गई है। पिछले सप्ताह कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने पत्र जारी कर मांग की थी कि एक कार्यशाला का आयोजन कराया जाए, ताकि विकल्प चयन में आ रही भ्रम की स्थिति खत्म हो।
फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा की मांग पर इंद्रावती भवन के ट्रेजरी कार्यालय की तरफ से 9 फरवरी को एक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।इस पर सभी डीडीओ को पत्र जारी कर कार्यशाला में बुलाया गया है। 9 फरवरी को इंद्रावती भवन में दोपहर 12 बजे ऑडिटोरियम में कार्यशाला बुलाई गई है।
कोझिकोड (केरल), 8 फरवरी । केरल के एक ट्रांसजेंडर युगल ने बुधवार को माता-पिता बनने की घोषणा की। जोड़े ने हाल में गर्भावस्था की जानकारी साझा की थी, जो देश में इस तरह का पहला मामला माना जा रहा है।
ट्रांसजेंडर जोड़े के एक सदस्य जिया पावल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में सुबह साढ़े नौ बजे ऑपरेशन के जरिये बच्चे का जन्म हुआ।’’
पावल ने कहा कि जहाद (जच्चा) और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
हालांकि, जोड़े ने बच्चे की लैंगिक पहचान की जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया और कहा कि अभी वह इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहते।
पावल ने पार्टनर जहाद के आठ महीने की गर्भवती होने के संबंध में इंस्टाग्राम पर हाल ही में घोषणा की थी।
यह युगल बीते तीन साल से साथ रह रहा है। (भाषा)
नई दिल्ली, 8 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बजट सत्र के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए लोकसभा में बोल रहे हैं.
क्या कहा पीएम मोदी ने?
सबसे पहले उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का धन्यवाद दिया. उन्होंने चर्चा में शामिल सभी सदस्यों का आभार जताया.
मैं राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद करता हूं और यह मेरा सौभाग्य रहा है कि पहले भी कई बार उनके अभिभाषण पर धन्यवाद करने का अवसर मिला है, लेकिन इस बार धन्यवाद के साथ उनका अभिनंदन भी करना चाहता हूं.
गणतंत्र के मुखिया के रूप में उनकी उपस्थिति ऐतिहासिक तो है ही, देश की कोटि-कोटि बेटियों के लिए यह बहुत बड़ा प्रेरणा का अवसर भी है.
यहां चर्चा में हर किसी ने अपने अपने आंकड़े और तर्क दिए. अपनी रुचि, प्रवृति और प्रकृति के अनुसार अपनी बातें रखी और जब इन बातों को समझने का प्रयास करते हैं, तो यह भी ध्यान में आता है कि किसकी कितनी क्षमता, योग्यता और इरादा है. देश इन सभी का मूल्यांकन करता है.
राष्ट्रपति का अपमान करने का आरोप
उन्होंने आरोप लगाया कि एक बड़े नेता ने माननीया राष्ट्रपति महोदया का अपमान भी किया. उन्होंने जनजातीय समाज का अपमान करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उनके अंदर नफ़रत का जो भाव था, वो सामने आ गया.
उन्होंने कहा, "जब राष्ट्रपति का भाषण हो रहा था तो कुछ लोग कन्नी भी काट गए और एक बड़े नेता राष्ट्रपति का अपमान भी कर चुके हैं. जनजातीय समुदाय के प्रति नफ़रत और उनके प्रति उनकी सोच क्या है, ये भी दिखाई दी. जब टीवी पर इस प्रकार की बातें कही गई तो अंदर पड़ा नफ़रत का भाव बाहर आ गया."
पीएम मोदी ने कहा कि नेताओं के भाषणों को सुनने के बाद ऐसा लगा कि किसी को भी राष्ट्रपति महोदया के अभिभाषण पर कोई ऐतराज नहीं है.
उन्होंने कहा कि मुझे ख़ुशी है कि किसी ने भी उनके अभिभाषण का विरोध नहीं किया. इससे बड़ी गौरव की बात क्या होगी.
राहुल गांधी पर कसा तंज़
उन्होंने कहा कि एक नेता के संबोधन के बाद पूरा इकोसिस्टम उछल रहा था और कुछ लोग तो कह रहे थे कि ये हुई न बात
पीएम मोदी ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन पर तंज़ कसते हुए कहा, ''शायद नींद बहुत अच्छी आई होगी, शायद उठ भी नहीं पाए होंगे. ऐसे लोगों के लिए ही कहा गया है- ये कह कह कर हम दिल को बहला रहे हैं, वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं.''
कोरोना से निपटने के लिए थपथपाई अपनी सरकार की पीठ
100 साल में आई हुई यह भयंकर महामारी, दूसरी तरफ युद्ध की स्थिति, बंटा हुआ विश्व…इस स्थिति में भी, संकट के माहौल में, देश जिस प्रकार से संभला है, इससे पूरा देश आत्मविश्वास और गौरव से भर रहा है.
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 8 फरवरी। लूटपाट की नीयत से पेट्रोल पंप में नकली पिस्तौल लहरा कर पत्थरबाजी करने के चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनमें एक दिव्यांग है तथा एक नाबालिग भी शामिल है।
तखतपुर इलाके के जूनापारा चौकी क्षेत्र में स्थित ग्राम भौराकछार के पेट्रोल पंप में पहुंचे कार सवारों ने कल रात नकली बंदूक की नोक पर लूटपाट करने की कोशिश की। आरोपियों ने पहले कर्मचारियों को कट्टा दिखाकर डराया और जब उन्हें पता चला कि सीसीटीवी में उनकी हरकत रिकॉर्ड हो रही है तो पत्थरबाजी कर कैमरा तोडऩे की कोशिश की।
इस बीच पेट्रोल पंप के ऑफिस का दरवाजा बंद कर कर्मचारी छिप गए। इसके बाद आरोपी खुद ही कार में सवार होकर फरार हो गए। उनके जाने के बाद घटना की सूचना कर्मचारियों ने जूनापारा पुलिस चौकी में दी। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गाड़ी नंबर और फिर उसके आधार पर आरोपियों को पहचान लिया और कुछ ही घंटों के भीतर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा एक आरोपी लंगड़ा कर चल रहा था। उसने भी उतर कर पत्थरबाजी की थी। गिरफ्तार गौरव मिश्रा (18 वर्ष), दीपक मिश्रा (22 वर्ष) और अमित नवरंग (22 वर्ष) सभी जूनापारा के भीमपुरी चौक के रहने वाले हैं। घटना में शामिल 16 साल के नाबालिग को भी पकड़ा गया है। इनसे नकली पिस्तौल, नकली कारतूस, चाकू और घटना में उपयुक्त कार जब्त की गई है।
ओडिशा से की थी चोरी, महासमुंद में खपाने की फिराक में थे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 8 फरवरी। महासमुंद की कोतवाली पुलिस ने 2 युवकों को चोरी के 40 लाख के सोने चांदी के जेवरातों के साथ हिरासत में लिया है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने ओडिशा से जेवरात चोरी की थी, जिसे महासमुंद में खपाने की फिराक में थे। दोनों को जेवरात के साथ ग्राहक तलाशते मुखबिर ने देखा और पुलिस को सूचना दी थी।
बुधवार दोपहर पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आकाश राव, एसडीओपी मंजूलता बाघ, साइबर प्रभारी नसीम उद्दीन, कोतवाली थानेदार गरिमा दादर से एक पत्रकार वार्ता में बताया कि आज मुखबिर से सूचना मिली कि दो व्यक्ति सराफा बाजार गांधी चौक महासमुंद में भारी तादाद में सोना-चांदी के आभूषणों को बेचने की फिराक में है।
उक्त सूचना की तस्दीक के लिए एसपी ने तत्काल पुलिस की एक टीम रवाना की। टीम मौके पर पहुंची तो दोनों आरोपी साइकल से भागने की कोशिश करने लगे। जिन्हें टीम ने पकड़ा।
पूछताछ में आरोपियों ने पुलिस को अपना नाम गुरू नेताम (25वर्ष) भीमखोज तथा करण नेताम (24) साटिन बीकेबाहरा बताया है।
दोनों आरोपियों के पास लाल रंग की थैली में सोने चांदी से बने जेवरात काफी तादात में थे, लेकिन उन जेवरातों के संबंध में उनके पास कोई दस्तावेज नहीं था।
आरोपियों ने उक्त जेवरातों को ओडि़शा के किसी ज्वेलर्स से चोरी करना बताया है। लिहाजा पुलिस ने आरोपियों के पास रखे 40 लाख कीमती आभूषण बरामद कर आरोपियों को हिरासत में लिया है। दोनों आरोपियों के खिलाफ 41-1+4तथा 379 दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया है।
ठहाका मारने के मायने
झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस रायपुर आए, तो पार्टी के कई नेता स्वागत के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे। स्वागत-सत्कार के बीच बैस पार्टी नेताओं का कुशलक्षेम भी पूछ रहे थे। उन्होंने सुनील सोनी को देखते ही कहा-कैसे हो, विधायकजी...। सुनील सोनी कुछ बोलते इसके पहले ही एक पदाधिकारी ने बैसजी की गलती सुधारते हुए कहा कि विधायक नहीं, सांसद हैं। इस पर रमेश बैस ठहाका लगाते हुए आगे बढ़ गए। अब बैस की टिप्पणी, और ठहाका मारने के भावी मायने तलाशे जा रहे हैं।
शादी में इतनी भीड़ जुटी कि...
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की बेटी की शादी के जलसे में इतनी भीड़ जुटी कि कई लोग अपने परिवार के सदस्यों से बिछड़ गए थे। उनके लिए बकायदा माइक से अनाउंसमेंट भी हो रहा था। इन्हीं में पूर्व मंत्री पुन्नूलाल मोहिले भी थे। मोहिले अपने दो गनमैन के साथ वीआईपी पंडाल में एक-दो लोगों से चर्चा कर रहे थे। मौका पाकर दोनों गनमैन खाने में व्यस्त हो गए। और जब खाना खत्म करके आए तो पुन्नूलाल वहां नहीं थे।
करीब 80 बरस के पुन्नूलाल की नजर अब थोड़ी कमजोर हो चली है, और ठंड की वजह से कनटोप पहन लिया था जिसके कारण वो पहचान नहीं आ रहे थे। इसके बाद हड़बड़ाए दोनों गनमैन लोगों से मोहिले को ढूंढने के लिए भागदौड़ करते रहे। इधर, मोहिले भी भटककर पंडाल से हटकर दूसरी जगह पहुंच गए, जहां खाना बन रहा था। वहां काफी देर अफरा-तफरी का माहौल रहा। मोहिले के गनमैन के साथ-साथ अन्य लोग भी ढूंढने निकले, और करीब 15 मिनट बाद मोहिले को ढूंढने में सफल रहे। तब कहीं जाकर सुरक्षाकर्मियों ने राहत की सांस ली।
नजरों के घेरे में
वैसे तो पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ विशेषकर ट्विटर पर काफी मुखर रहते हैं। लेकिन बृजमोहन की बेटी की शादी में भूपेश पहुंचे, तो अजय ललककर उनके पास पहुंचे, और काफी आत्मीयता से मिले। अजय खुद उन्हें लेकर दुल्हा-दुल्हन से मिलाने पहुंचे। उस समय बृजमोहन नहीं थे। इसके बाद भूपेश जब तक वहां रहे, अजय उनके कानों में फुसफुसाते नजर आए। शिवरतन शर्मा, और अन्य नेताओं की नजर पूरे समय अजय पर लगी रही।
शंकराचार्य के स्वागत में लखमा
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जगदलपुर प्रवास पर हैं। लाल बाग मैदान में उन्होंने धर्मसभा को संबोधित भी किया। प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने भी अन्य नेताओं के साथ उनका स्वागत किया। राजनीति की जरूरत है कि नेता सभी धर्माचार्यों, गुरुओं से मिलते रहे और पूजा स्थलों में भी जाएं । फिर शंकराचार्य तो लखमा के अपने कार्यक्षेत्र बस्तर में ही आए हुए हैं। यह जरूर हो रहा है कि बहुत से इस तस्वीर को लेकर टिप्पणी कर रहे हैं कि हाल में लखमा ने आदिवासियों को हिंदुओं से अलग बताया था। े
रेलवे पायलटों को पुरस्कार!
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने ट्रेनों को समयबद्ध तरीके से चलाने वाले पायलट और स्टाफ को हर सप्ताह पुरस्कृत करने का फैसला लिया है। हाल में इसका सिलसिला शुरू हो चुका है। इसके बावजूद ट्रेनों की लेटलतीफी ने यात्रियों को हलकान करके रखा है। जोन से गुजरने वाली लंबी दूरी की ट्रेनों की बात छोड़ भी दें यहां तो 300-400 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली पैसेंजर और मेमू ट्रेनों की भी समयबद्धता दिखाई नहीं दे रही है। जब रेलवे से इस बारे में जानकारी जुटाई गई तो समझाया गया कि टाइम टेबल केवल यात्री ट्रेनों का नहीं, मालगाडिय़ों का भी होता है।रेलवे हर महीने लदान का कीर्तिमान रच रही है। ऐसे में समझ सकते हैं पुरस्कार यात्री ट्रेन के चालकों को मिलेगा या मालगाडिय़ों के। ट्रेनों में कितनी कष्टदायक यात्रा हो रही है इसका नमूना देखा जा सकता है। यह विशाखापट्टनम से रायपुर आने वाली इस ट्रेन 08528 है। महासमुंद से शाम को 4:30 बजे छूटी और इसने 3 घंटे 15 मिनट में 56 किलोमीटर की दूरी तय की। कोई तेज धावक होता तो वह ट्रेन से पहले पहुंच सकता था। रेलवे यदि पुरस्कार देने के साथ-साथ ट्रेन देर करने वालों को दंड देने का प्रावधान कर भी कर दे, बात शायद तब बनेगी।
सरकार के खिलाफ धरने पर विधायक पत्नी
बीच में जो मैडम बैठी हैं वह बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी की पत्नी किरण शाह मंडावी है। पूरी तरह से कांग्रेस के प्रति समर्पित है। लेकिन जब बात अपने हक, अधिकारी की है तो संगठन सर्वोपरि। किरण प्रधान पाठक के पद पर ब्लाक भैरमगढ़ में पदस्थ है। प्रदेश के शिक्षक इन दिनों पदोन्नति, वेतन भत्तों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सो अपने पति की पार्टी की सरकार के खिलाफ ही अपनी मांगे बुलंद कर रही है।
नई दिल्ली, 8 फरवरी । अरबपति कारोबारी गौतम अदानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्तों पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लगाए आरोपों को लोकसभा के रिकॉर्ड से हटाने के जयराम रमेश के दावे को कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी दोहराए हैं. कुछ पत्रकारों ने भी यही दावा किया है.
कांग्रेस नेता और राज्यसभा टीवी के पूर्व सीईओ गुरदीप सिंह सप्पल ने भी अपने ट्वीट में यह दावा किया है. उन्होंने लिखा, ''राहुल गांधी द्वारा अदानी के साथ पीएम मोदी के रिश्ते और उनकी यात्राओं पर उठाए गए सवालों को लोकसभा अध्यक्ष ने रिकॉर्ड से हटा दिया है.''
वहीं केरल कांग्रेस ने ट्वीट किया, ''यदि पीएम-अदानी गठजोड़ पर राहुल गांधी के बयान को हटाया गया है, तो यह सरकार के दोषी होने, उसकी घबराहट और कायरता का एक और प्रमाण है. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है और यह अलोकतांत्रिक है. मोदी-अदानी मामला प्रमाण के साथ पब्लिक डोमेन में है. हम जांच होने तक इस मामले को उठाते रहेंगे.''
पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक निखिल वागले ने भी एक न्यूज़ वेबसाइट की ख़बर को ट्वीट करते हुए दावा किया है कि पीएम मोदी और अदानी के रिश्तों पर राहुल गांधी के लगाए आरोपों को लोकसभा के रिकॉर्ड से हटा दिया गया है.
वहीं इस वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने ऐसा उस नियम के तहत किया है जिसमें संसद में लगाए गए आरोपों को प्रमाणित करना होता है.
इस वेबसाइट का दावा है कि राहुल गांधी ने अपने आरोपों के पक्ष में कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं कराए.
उधर लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बुधवार को राहुल गांधी के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन का एक नोटिस दिया. इसमें बताया गया है कि गांधी ने पीएम मोदी के ख़िलाफ़ 'निराधार, लापरवाही भरे आरोप' लगाए.
गांधी के आरोप और रमेश का दावा
इससे पहले जयराम रमेश ने एक ट्वीट में लिखा था, ''प्रधानमंत्री से संबंधित अदानी महामेगास्कैम पर राहुल गांधी की टिप्पणी हटाने के साथ ही लोकसभा में लोकतंत्र का अंतिम संस्कार कर दिया गया. ओम शांति.''
इससे पहले मंगलवार को राहुल गांधी ने संसद में आरोप लगाया था कि मौजूदा केंद्र सरकार ने सरकारी संसाधनों से अदानी समूह का कारोबार आगे बढ़ाने में मदद की.
उन्होंने कहा था कि यह देश की विदेश नीति नहीं, अदानी जी का कारोबार बढ़ाने की विदेश नीति है. गांधी ने ये आरोप भी लगाया कि सरकार के दबाव में अदानी समूह को हज़ारों करोड़ रुपए के सरकारी लोन दिए गए, जिससे समूह का कारोबार आगे बढ़ा. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 8 फरवरी । कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को लोकसभा में अदानी मामले पर राहुल गांधी के लगाए आरोपों को लोकसभा के रिकॉर्ड से हटाने का आरोप लगाते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है.
उन्होंने सरकार पर लोकसभा में लोकतंत्र का 'अंतिम संस्कार' कर देने जैसा गंभीर आरोप लगाया है.
कांग्रेस के संचार मामलों के प्रभारी महासचिव रमेश ने इस बारे में एक ट्वीट किया है.
उन्होंने लिखा, ''प्रधानमंत्री से संबंधित अदानी महामेगास्कैम पर राहुल गांधी की टिप्पणी हटाने के साथ ही लोकसभा में लोकतंत्र का अंतिम संस्कार कर दिया गया. ओम शांति.''
इससे पहले मंगलवार को राहुल गांधी ने संसद में आरोप लगाया था कि मौजूदा केंद्र सरकार ने सरकारी संसाधनों से अदानी समूह का कारोबार आगे बढ़ाने में मदद की.
उन्होंने कहा था कि यह देश की विदेश नीति नहीं, अदानी जी का कारोबार बढ़ाने की विदेश नीति है. गांधी ने ये आरोप भी लगाया कि सरकार के दबाव में अदानी समूह को हज़ारों करोड़ रुपए के सरकारी लोन दिए गए, जिससे समूह का कारोबार आगे बढ़ा.
हालांकि वे जब ये आरोप लगा रहे थे, तब बीजेपी के कई सांसदों ने उनका कड़ा विरोध किया. निशिकांत ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, अर्जुन राम मेघवाल जैसे सांसदों ने दावा किया कि राहुल गांधी बिना किसी प्रमाण के संसद में पीएम मोदी पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. (bbc.com/hindi)
लोग सुबह-सुबह पूजा करने की तैयारी में निकलते हैं, और किसी बगीचे, किसी कॉलोनी, या किसी सरकारी अहाते के फूल तोडऩे लगते हैं कि मानो पूजा के लिए कहीं से भी हर फूल को तोड़ लेने का ईश्वर का आदेश उनके पास है। धर्म लोगों को कई तरह के गलत काम करने का हौसला देता है जिनमें फूल तोडऩा सबसे ही छोटा जुर्म है। इसके बाद सार्वजनिक जगहों पर देखें तो धार्मिक प्रतीकों को ढो रहे लोग तरह-तरह के गलत काम करते दिखते हैं, जो अपने ईश्वर को बताने वाले प्रतीक सिर पर, चेहरे पर, कपड़ों की शक्ल में, या धागे या ताबीज की तरह दिखाते चलते हैं, उन्हें ऐसी नुमाइश के साथ-साथ गलत काम करने में कोई हिचक नहीं रहती। अभी कुछ महीने पहले एक धर्मांध और कट्टर इस्लामी हमलावर ने विख्यात लेखक सलमान रूश्दी पर जानलेवा हमला किया था जिसमें वे खुद तो किसी तरह बच गए, लेकिन उनकी एक आंख चली गई। अब उनकी उस तस्वीर के साथ उनके नाम से मुसलमानों और कुरान के खिलाफ एक बात चिपकाकर लोग चारों तरफ फैला रहे हैं, और हिंदुस्तान से की गई एक हिंदू की ऐसी ट्वीट की तस्वीर लगाकर सलमान रूश्दी ने यह लिखा है कि यह उनके नाम से फैलाया जा रहा झूठ है जो कि उन्होंने नहीं कहा है।
अब पिछले दो दिनों से इस लेखक की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, उनकी वजह से साथ की खबरों पर भी ध्यान जा रहा है, और काफी दिनों बाद सलमान रूश्दी ट्विटर पर दिखे हैं। लेकिन यह देखना हैरानी की बात थी कि मुसलमानों और कुरान के खिलाफ दिखती हुई रूश्दी का नाम लगाकर की गई यह पोस्ट हिंदुस्तान के एक हनुमान-भक्त की की हुई थी जिसके सारे ही ट्वीट मुस्लिम विरोधी हैं, या भाजपा और अदानी के समर्थन की हैं, या मोदी की भक्ति के हैं। तमाम हिंदुत्व की ट्वीट, मुस्लिम विरोधी ट्वीट से यह अकाउंट भरा पड़ा है। अब ऐसा व्यक्ति मुस्लिमों के खिलाफ अपनी भड़ास निकालने के लिए रूश्दी के नाम से झूठ को फैला रहा है। अब सवाल यह उठता है कि ऐसा व्यक्ति अपनी फोटो की जगह बजरंग बली की फोटो लगाता है, ट्विटर पेज की तस्वीर की जगह मंदिरों की फोटो लगाता है, तो क्या वह अपने ऐसे झूठ के साथ, अपनी ऐसी नफरत के साथ काम करते हुए हिंदू धर्म का भी अपमान करता है?
आज यह बात जरूरी इसलिए है कि हिंदुस्तान जैसे देश में किसी धर्म का अपमान सिर्फ धर्मांध लोगों को दिख रहा है। आम अमनपसंद लोग जिन बातों में अपनी धार्मिक भावनाओं का कोई अपमान नहीं देखते हैं, उन बातों में भी कट्टर धर्मांध लोगों को अपमान दिखता है, और वे पुलिस और अदालतों तक भी दौड़ते हैं, और सडक़ों पर भी हिंसा करते हैं। दूसरी तरफ जब वे अपने धर्म को बचाने के नाम पर तरह-तरह की हिंसा करते हैं, सोशल मीडिया पर कत्ल और बलात्कार की धमकी देते हैं, गालियां लिखते हैं, अश्लील बातें पोस्ट करते हैं, तो उन्हें यह नहीं लगता कि उनके धर्म और उनके ईश्वर का असली अपमान तो इससे हो रहा है।
यह बात हमने उस वक्त भी लिखी थी जब स्वर्ण मंदिर पर ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार नाम की फौजी कार्रवाई हुई थी, और सिख लोगों ने उसे पवित्र स्वर्ण मंदिर को अपवित्र करने की कार्रवाई माना था, और बाद में उसी का बदला लेने के लिए सिख अंगरक्षक ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। उस वक्त भी हमने लिखा था कि स्वर्ण मंदिर की पवित्रता को उन लोगों ने खत्म की थी जिन लोगों ने इस मंदिर परिसर को आतंकियों का डेरा बना दिया था। भिंडरावाले के आतंकी वहां से निकलते थे, चुनिंदा कत्ल करते थे, और लौटकर आ जाते थे। स्वर्ण मंदिर की पवित्रता तो ऐसे आतंकियों ने खत्म की थी जिन्होंने उसे आतंकियों की पनाहगाह बना रखा था, और धर्म से जुड़े लोगों ने उसका कोई विरोध भी नहीं किया था। आज भी हिंदुस्तान में अपने-अपने धर्म के बलात्कारियों को बचाने के लिए उस धर्म के लोग अपने झंडे-डंडे लेकर तो निकलते ही हैं, जम्मू में मुस्लिम खानाबदोश बच्ची से मंदिर में बलात्कार और उसका कत्ल कर देने वाले पुजारी से लेकर हिंदू पुलिसवाले तक को बचाने के लिए जिस तरह धर्म का इस्तेमाल किया गया था, उसके बाद इस धर्म का अपमान करने की किसी और को कोई जरूरत पड़ सकती है?
कोई धर्म उतना ही इज्जतदार हो सकता है जितना इज्जतदार उस धर्म को मानने वाले आम और औसत लोगों का बर्ताव होता है। अपने मानने वाले लोगों के औसत से अधिक सम्मान कोई धर्म नहीं पा सकता। आज हिंदुस्तान में अपने घर बैठे घायल रूश्दी के नाम से मुसलमान और कुरान के खिलाफ झूठ फैलाकर कोई व्यक्ति बजरंग बली की तस्वीर का सम्मान बढ़ा रहा हो, ऐसा कोई बेवकूफ ही सोच सकते हैं। इसलिए जिन लोगों को अपने धर्म की इज्जत की बड़ी फिक्र है, वे अपने धर्म को मानने वाले लोगों के बर्ताव की फिक्र करें। यह बात तमाम धर्मों पर लागू होती है, और हर किसी को पहले अपने घर में झांकना चाहिए, अपना घर सुधारना चाहिए, फिर दूसरे धर्म, और उसके ईश्वर पर सवाल उठाने चाहिए।
एसपी स्वयं कर रहे जांच, एक हिरासत में
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव-कवर्धा, 8 फरवरी। कवर्धा के गुरूकुल स्कूल में 4 साल की एक मासूम से रेप का मामला सामने आया है। पीडि़त मासूम एक सरकारी विभाग के महिला अफसर की बेटी है। यह डे-बोर्डिंग स्कूल है।
एसपी डॉ. लाल उमेंद सिंह ने ‘छत्तीसगढ़’ से मामले में एक व्यक्ति को हिरासत में लेने की पुष्टि की है।
बताया जा रहा है कि मेडिकल जांच में मासूम बच्ची के साथ यौन उत्पीडऩ की बात सामने आने के बाद पुलिस ने मामले में अपराध दर्ज किया और पूरे घटनाक्रम की तफ्तीश शुरू की। पुलिस ने रेप के आरोप में एक व्यक्ति की संदिग्ध भूमिका होने पर पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
मिली जानकारी के मुताबिक कवर्धा शहर से बाहर स्थित गुरूकुल पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत नर्सरी क्लास की 4 साल की मासूम के साथ रेप का मामला सामने आया। बच्ची जब घर लौटी तो उसकी बिगड़ती हालत को देखकर परिजन अस्पताल ले गए। मेडिकल जांच में रेप होने की पुष्टि होने से परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। वहीं कोतवाली थाना में मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
बताया जा रहा है कि मासूम की माता एक विभाग में पदस्थ है। गुरूकुल स्कूल कवर्धा शहर के प्रतिष्ठित स्कूल में से एक है। डे-बोर्डिंग व्यवस्था से लैस इस स्कूल में संभ्रात परिवार के अलावा आला अफसरों के बच्चे भी तालीम हासिल कर रहे हैं।
एसपी डॉ. सिंह इस पूरे मामले को लेकर स्वयं निगरानी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति से पुख्ता साक्ष्य मिलने के बाद ही उसकी पहचान सार्वजनिक की जाएगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 8 फरवरी। लेखन के क्षेत्र में भिलाई की युवा लेखिका गरिमा प्रधान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्डन बुक अवार्ड के लिए चयनित हुई हैं।
ज्ञात हो कि पुस्तक लेखन के लिए दिए जाने वाले इस इंटरनेशनल अवार्ड के लिए दुनिया भर से 2 लाख से अधिक लोगों ने प्रविष्टियां भेजी थी, जिसमें से केवल 150 का इस सम्मान के लिए चयनित किया गया। चयनित लोगों में प्रसिद्ध हैरी पॉटर लेखक जेके रोलिंग और रस्किन बॉन्ड शामिल हैं, जो अपनी पुस्तक-नीली छतरी के लिए प्रसिद्ध हैं। जिसमें शार्क टैंक इंडिया शो में शार्क की भूमिका अदा कर चुकी नमिता थापर और आध्यात्मिक व्यक्तित्व गौरांग गोपाल दास जैसे बहुचर्चित हस्तियां भी शामिल हैं। गरिमा को यह अवार्ड उनकी पुस्तक ‘ए गर्ल दैट हैड टू बी स्ट्रांग’ के लिए मिला है। इस किताब को रोलरकॉस्टर फिक्शन श्रेणी मैं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। उनकी यह किताब जीवन में विफलता के बाद आगे बढऩे की प्रेरणा देती है।
गौरतलब हो कि भिलाई की गरिमा को इससे पहले हॉबीस्कोप इंडिया द्वारा वर्ष 2022 में भारत के 200 सबसे प्रेरणादायक लोगों से सम्मानित किया जा चुका है। उनके उपन्यास को उकियोटो प्रकाशन द्वारा 2022 के लिए सर्वश्रेष्ठ 30 पुस्तकें में शामिल किया गया था। गरिमा को वुमेन एक्सीलेंस अचीवमेंट अवार्ड 2020 व सेक्सी ब्रिलियंट अवार्ड 2020 भी मिल चुका है।
लेखिका गरिमा प्रधान ने अब तक 2 किताबें लिखी हैं जिनमें पहली किताब 2017 में प्रकाशित हुई ‘ब्रोकन इस द न्यू ब्यूटीफुल’ शामिल है।
मूल रूप से मध्यप्रदेश की रहने वाली गरिमा विवाहोपरांत भिलाई आ गईं और यहां वो बतौर कंटेंट राइटर एक निजी फर्म में कार्यरत हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 फरवरी। भारत सरकार के नीति आयोग की ओर से आकांक्षी जिलों को लेकर रिपोर्ट जारी की जाती है। इसी कड़ी में दिसम्बर 2022 के लिए जारी की गई। चैम्पियन ऑफ चेंज डेल्टा रैंकिंग में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले का परफॉर्मेंस बेहतर रहा है। देश में घोषित 112 आकांक्षी जिलों में से ओवरऑल परफॉर्मेंस श्रेणी में शीर्ष पांच जिलों में छत्तीसगढ़ के आकांक्षी जिलों में शामिल नारायणपुर जिला चौथे स्थान पर है। वहीं स्वास्थ्य और पोषण श्रेणी में नारायणपुर जिले का स्थान तीसरा है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में बीते चार के भीतर स्वास्थ्य और पोषण सहित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया गया है। छत्तीसगढ़ में हुए इन प्रयासों को भारत सरकार ने भी कई बार सराहा है। सीएम श्री बघेल ने बच्चों में कुपोषण दूर करने और किशोरी बालिकाओं व महिलाओं को एनिमिया से मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान चलाया है।
छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से पोषण के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम भी सामने आये हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करते हुए मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक, दाई-दीदी क्लिनिक, मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना, हमर लैब, मलेरिया मुक्त बस्तर और मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ योजना का संचालन करने के साथ ही छत्तीसगढ़ में लोगों को डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी लाभ पहुंचाए जा रहे हैं।
तुर्की , 8 फरवरी । तुर्की और सीरिया में सोमवार को आए भूकंप में 8700 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है. ये संख्या और बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है.
तुर्की की आपदा एजेंसी के मुताबिक कुल मौतों में तुर्की में मरने वालों की संख्या 6234 है.
सीरियाई स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सीरिया में मौत के आंकड़ों की पुष्टि कर पाना मुश्किल है. लेकिन, स्थानीय मीडिया और बचाव समूह का कहना है कि 2500 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है. सरकार के नियंत्रण वाले इलाक़े में कुल 1250 लोगों की मौत हुई है.
सीरिया में विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाक़े व्हाइट हेल्मेट ने बताया कि मौत का आंकड़ा 1280 के पार पहुंच गया है.
वहीं, बचावकर्मी दक्षिणी तुर्की और उत्तरी सीरिया में लोगों को बचाने की कोशिश में जुटे हैं. उनके साथ-साथ पीड़ितों के परिवार भी बचाव कार्य में लगे हुए हैं.
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने देश के दक्षिणी हिस्से के 10 प्रांतों में आपातकाल लगा दिया है. ये आपातकाल तीन महीनों के लिए होगा. (bbc.com/hindi)
मां बम्लेश्वरी के ट्रस्ट के आदेश में दिन में ही दर्शन की इजाजत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 8 फरवरी। डोंगरगढ़ के ऊपर पहाड़ में तेन्दुए की चहल-कदमी के चलते मां बम्लेश्वरी के दर्शनार्थियों को रात में दर्शन करने पर रोक लगा दी गई है। मंदिर ट्रस्ट की ओर से जारी बयान में तेन्दुए के लगातार प्रत्यक्ष मौजूदगी के कारण दर्शनार्थियों की सुरक्षा के मद्देनजर ट्रस्ट ने सिर्फ सुबह 6 से शाम 6 बजे तक ही दर्शन करने की अनुमति दी है। वहीं रात को भक्तों के दर्शन करने पर रोक लगा दी है।
मिली जानकारी के मुताबिक डोंगरगढ़ श्री बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट समिति के मंत्री महेन्द्र परिहार ने दर्शनार्थियों से आह्वान करते कहा कि ऊपर मां बम्लेश्वरी पहाड़ी एवं मंदिर परिसर में रात्रि के समय तेन्दुआ विचरण करते दिखाई दिया है। इस कारण ऊपर मां बम्लेश्वरी देवी जी के दर्शन सुबह 6 से शाम 6 बजे तक
ही रखा गया है। शाम 6 से सुबह 6 बजे तक ऊपर मंदिर के पहुंच मार्ग को बंद कर दिया गया है। उन्होंने दर्शनार्थियों को होने वाली असुविधा के लिए खेद जाहिर किया है।
उधर खैरागढ़ डीएफ पुष्पलता ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि तेन्दुए की मूवमेंट पर एक विशेष टीम पहाड़ पर तैनात है। पहाड़ के जंगल और गुफाओं में छुपने के कारण तेन्दुए को पकडऩे में व्यवहारिक दिक्कतें आ रही है। इधर मंदिर ट्रस्ट ने रात के दर्शन पर पूर्णता प्रतिबंध लगा दिया है।
नई दिल्ली, 8 फरवरी । बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के पीएम मोदी पर लगाए आरोपों का जवाब दिया.
उन्होंने अदानी मामले पर बताया कि कांग्रेस और यूपीए के कार्यकाल में अदानी समूह को कहां-कहां कॉट्रैक्ट मिले थे.
साथ ही उन्होंने कई भ्रष्टाचार के मामलों का भी ज़िक्र किया जो यूपीए सरकार में सामने आए थे.
रविशंकर ने प्रसाद ने कहा, ''राहुल गांधी की स्पीच सुनी. उसमें टिप्पणी थी, कुछ पीड़ा, क्लेश भी था और हताशा भी थी. वो 14 में हारे, 19 में हारे और 24 में और कसकर हारने वाले हैं.''
उन्होंने सवाल उठाया, ''क्या बोलते समय सारी संवैधानिक मर्यादाओं को तार-तार कर दिया जाए. विदेश नीति की बात हो रही थी. श्रीलंका को लेकर बात हो रही थी. उन्होंने जो संदर्भ दिया उसे श्रीलंका के राष्ट्रपति ने खारिज किया था. आप जब आरोप लगाते हैं तो कोट करते हैं एक विशेष अधिकारी को लेकिन उस देश के राष्ट्रपति के खंडन को और उस अधिकारी के बयान वापस लेने को छुपा जाते हैं.''
उन्होंने कहा, ''2008 में अदानी ने इंडोनेशिया में बुनियो कोलमाइन खरीदी थी जो उनकी विदेश में पहली खरीद थी. 2010 में यूपीए सरकार में अदानी समूह ने ऑस्ट्रेलिया में कार्माइकल माइन का अधिग्रहण किया.''
''2010 में ही अदानी ने बंदरगाह और रेल बुनियादी ढांचे के लिए 1.65 अरब की डील इंडोनेशिया की सरकार के साथ की थी. 2011 में यूपीए शासन में अदानी ने ऑस्ट्रेलिया में अबॉट प्वाइंट कोल टर्मिनल खरीद था.''
रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''क्या हम मानकर चलें कि मनमोहन सिंह जी ऑस्ट्रेलिया जा रहे थे और इनको माइन मिल रही थी. क्या मतलब है इनका? भारत के उद्यमी बाहर जाकर काम करें ये अच्छी बात है ना. उनको परेशानी होती है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत की अर्थव्यवस्था पांचवें नंबर पर आ गई है.''
रविशंकर प्रसाद ने इस दौरान यूपीए सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का भी ज़िक्र किया. उन्होंने बोफोर्स घोटाला, 2जी घोटाला, कोयाला घोटाला और आदर्श घोटाले पर भी बोला. साथ ही उन्होंने यूपीए सरकार के दौरान प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को फायदा पहुंचाने का आरोप भी लगाया.
राहुल गांधी ने क्या कहा था
राहुल गांधी ने लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गौतम अदानी की दोस्ती पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अदानी ग्रुप को सरकार ने नाजायज फायदा पहुंचाया है.
राहुल गांधी ने कहा कि अदानी ग्रुप किसी भी बिजनेस में एंट्री कर लेता है और बिना फेल हुए सफलता भी पा लेता है.
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वे जहां जाते हैं उसी देश से अदानी को कॉन्ट्रैक्ट मिलने लगते हैं.
उन्होंने कहा, "पीएम ऑस्ट्रेलिया जाते हैं, और जादू से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक बिलियन डॉलर का लोन अदानी जी को ऑफर करता है." राहुला गांधी ने बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका का भी ज़िक्र किया. (bbc.com/hindi)