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रायपुर / कवर्धा, 25 जून। प्रयागराज से तीर्थयात्रियों को लेकर बिलासपुर आ रही बस कवर्धा कुकदूर थाना क्षेत्र के पोलमी घाट की गहरी खाई में जा गिरी। इस हादसे में 20 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। तीन यात्रियों के अभी बस के नीचे दबे होने की खबर है।
कवर्धा पुलिस अधीक्षक डा.लाल उमेद सिंह ने बताया कि बस प्रयागराज (हैदरगंज) से यात्री लेकर बिलासपुर जा रही थी। इस हादसे में 20 से अधिक यात्री घायल हुए है। वही तीन यात्री बस के नीचे दबे हुए है जिन्हें निकालने देर रात तक रेस्क्यू चलाया गया।इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए 3 लोगों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
एसपी ने बताया कुकदूर थाना क्षेत्र के पोलमी घाट(आगरपानी मोड) का है। बताया जा रहा है कि यह हादसा शाम 6.20 बजे हुआ है। यात्री बस क्रमांक एमपी 19, पी 2356 तेज रफ्तार से आ रही थी। इसी दौरान घाट वाले रास्ते में मोड होने के कारण बस 25 से 30 फीट नीचे खाई में जा गिरी।
मुख्यमंत्री ने घायलों के त्वरित उपचार के दिए निर्देश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस के पलटने की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन को वहां प्रभावितों को तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने घायल व्यक्तियों के त्वरित उपचार के भी निर्देश दिए हैं।इसमें घायल 15 व्यक्तियों को पास के कुकदूर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा पंडरिया के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कर उपचार किया जा रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 जून। राज्य में आज रात 09.00 बजे तक 92 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 26 दुर्ग जिले से हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के इन आंकड़ों के मुताबिक आज रात तक किसी भी जिले में 30 से अधिक कोरोना पॉजिटिव नहीं मिले हैं। आज कुल 16 जिलों मेें एक भी पॉजिटिव नहीं मिले हैं।
आज कोई मौत नहीं हुई है।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 26, राजनांदगांव 3, बालोद 3, बेमेतरा 2, कबीरधाम 0, रायपुर 21, धमतरी 0, बलौदाबाजार 16, महासमुंद 3, गरियाबंद 0, बिलासपुर 11, रायगढ़ 0, कोरबा 0, जांजगीर-चांपा 0, मुंगेली 0, जीपीएम 1, सरगुजा 0, कोरिया 0, सूरजपुर 2, बलरामपुर 0, जशपुर 3, बस्तर 0, कोंडागांव 0, दंतेवाड़ा 0, सुकमा 0, कांकेर 1, नारायणपुर 0, बीजापुर 0, अन्य राज्य 0 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
पति के जेल में होने पर मुख्यमंत्री ने वकील लगाकर विधिक सहायता देने कलेक्टर को दिए निर्देश
रायपुर, 25 जून।‘‘मुझे राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना का एकमात्र सहारा मिला साहब... इस योजना ने मुझ बेसहारा महिला को बड़ा सहारा दिया जिसके लिए मैं आपकी हमेशा आभारी रहूंगी..। मेरे पति जेल में हैं और मैं उनके लिए कुछ नहीं कर पा रही हूं...!’’
जशपुर जिले के ग्राम सलियाटोली में आज शाम को आयोजित भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में ग्राम बेमताटोली की महिला श्रीमती सुनीता लकड़ा ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के समक्ष अपना दुख साझा करते हुए कहा। इस पर मुख्यमंत्री ने महिला को ढांढस बंधाते हुए कहा कि वह चिंता न करें। आपके पति के लिए विधिक सहायता देने शासकीय अधिवक्ता (वकील) की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए उन्होंने तत्काल कलेक्टर को निर्देशित किया। महिला श्रीमती केरकेट्टा ने पुनः मुख्यमंत्री की इस सहृदयता के लिए आभार प्रकट किया।
'भूपेश दादू बेमताटोली रोड को बनवा दो !'
मुख्यमंत्री से बच्चों ने की मांग, मुख्यमंत्री ने बच्चों की मांग पर तुरन्त की सड़क निर्माण की घोषणा
मुख्यमंत्री युवाओं के बीच कका के संबोधन से लोकप्रिय हैं। आज सलियाटोली भेंट मुलाकात कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की बच्चों के बीच लोकप्रियता की प्यारी झलक देखने को मिली। दरअसल सलियाटोली के बच्चे भेंट मुलाक़ात कार्यक्रम में एक बैनर लेकर पहुंचे, जिसपर लिखा था 'भूपेश दादू बेमताटोली रोड को बनवा दो !' । बच्चों के इस मासूमियत भरे अंदाज़ को देखकर मुख्यमंत्री बच्चों पर मुग्ध हो गए और उन्होंने तुरंत बेमताटोली सड़क निर्माण की घोषणा कर बच्चों की मांग को पूरा किया। मुख्यमंत्री ने बच्ची से बात भी की। लोयला अंग्रेजी मीडियम स्कूल की थर्ड क्लास की छात्रा श्रेया केरकेट्टा से मुख्यमंत्री ने पूछा कि क्या मांग लेकर आए हो । श्रेया ने मुख्यमंत्री श्री बघेल को बताया कि बेमताटोली में पीछे बस्ती तक सड़क बनाना है। मुख्यमंत्री ने श्रेया की यह मांग तुरंत पूरी करते हुए कहा ठीक है बेटा स्वीकृत करते हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जल्द सड़क बनाने के निर्देश दिए।
देहरादून, 25 जून। पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में पहली बार यूट्रिकुलेरिया फुरसेलटा नामक एक अत्यंत दुर्लभ मांसाहारी पौधे की प्रजाति पाई गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि दुर्लभ प्रजातियों का पता उत्तराखंड वन विभाग के एक शोध दल ने चमोली जिले में स्थित सुरम्य मंडल घाटी में लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह न केवल उत्तराखंड में, बल्कि पूरे पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में पहली बार देखा गया है।’’
चतुर्वेदी ने कहा कि रेंज ऑफिसर हरीश नेगी और जूनियर रिसर्च फेलो मनोज सिंह की उत्तराखंड वन विभाग की टीम द्वारा की गयी इस खोज को प्रतिष्ठित 'जर्नल ऑफ जापानीज बॉटनी' में प्रकाशित किया गया है, जो प्लांट टैक्सोनॉमी और वनस्पति विज्ञान पर 106 साल पुरानी पत्रिका है, जो इस क्षेत्र की उत्कृष्ट पत्रिका है।
उन्होंने कहा कि यह उत्तराखंड वन विभाग के लिए गौरव का क्षण है, क्योंकि यह उसकी पहली खोज है, जो प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुई है।
यह खोज उत्तराखंड में कीटभक्षी पौधों के एक परियोजना अध्ययन का हिस्सा थी। चतुर्वेदी ने कहा कि यह मांसाहारी पौधा ऐसी प्रजाति का है, जिसे आमतौर पर ब्लैडरवॉर्ट्स के रूप में जाना जाता है।
मांसाहारी पौधे ज्यादातर ताजे पानी और गीली मिट्टी में पाए जाते हैं। सामान्य पौधों की तुलना में भोजन और पोषण की व्यवस्था करने का उनका पूरी तरह से अलग तरीका है।
चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘यह पौधा प्रोटोजोआ से लेकर कीड़े, मच्छर के लार्वा और यहां तक कि मेंढक के बच्चों को पकड़ने के लिए एक बहुत ही परिष्कृत और विकसित संरचना का उपयोग करता है।’’ शिकार पकड़ने के लिए कपाटयुक्त संरचना का संचालन एक यांत्रिक प्रक्रिया पर आधारित होता है।
इसके तहत यह शिकार को अपने कपाट के अंदर खींचने के लिए पहले एक तरह का निर्वात उत्पन्न करता है, ताकि बाहर दबाव अधिक होने के कारण कपाट खुल जाए और शिकार अंदर आ जाए। सामान्य पौधों के प्रकाश संश्लेषण की तुलना में ये पौधे अपने बुद्धिमत्तापूर्ण जाल तंत्र के माध्यम से भोजन और पोषण की व्यवस्था पूरी तरह से अलग तरीके से करते हैं।
अधिकारी ने कहा कि आमतौर पर खराब पोषक मिट्टी पर उगने वाले मांसाहारी पौधों के संभावित औषधीय लाभों के कारण उनके प्रति दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय में नई रुचि पैदा हुई।
इससे पहले उत्तराखंड वन विभाग की शोध शाखा द्वारा दुर्लभ आर्किड प्रजाति लिपारिस पाइग्मीन की खोज को सितंबर 2020 में प्रतिष्ठित फ्रांसीसी पत्रिका ‘रिचर्डियाना’ में जगह मिली थी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 25 जून। प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को कहा कि उसने कई घर खरीदारों से कथित तौर पर ठगी करने से जुड़े धन शोधन के मामले में बेंगलुरु स्थित रियल एस्टेट समूह ‘मंत्री डेवलेपर्स प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक सुशील पी मंत्री को गिरफ्तार किया है।
ईडी ने एक बयान में कहा कि मंत्री को बेंगलुरु में धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां उसे 10 दिनों की ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।
जांच एजेंसी ने कहा कि उसने 2020 में समूह और उसके प्रोमोटर्स के खिलाफ दर्ज बेंगलुरु पुलिस की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद मार्च में उनके खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज कराया है।
ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘कई घर खरीदारों ने पुलिस के साथ ही ईडी में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि आरोपी समूह/लोग धन शोधन में शामिल हैं और उन्होंने खरीदारों को भ्रामक पुस्तिकाएं दिखाकर लुभाया तथा हजारों खरीदारों से अग्रिम राशि के तौर पर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि एकत्रित की।’’
ईडी ने कहा, ‘‘हालांकि, उन्हें सात से 10 साल बाद भी उनके फ्लैटों का कब्जा नहीं दिया गया।’’
जांच एजेंसी ने कहा कि अभी समूह पर विभिन्न वित्तीय संस्थानों का करीब 5,000 करोड़ रुपये बकाया है। (भाषा)
ठाणे (महाराष्ट्र), 25 जून । शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के सैकड़ों समर्थक शनिवार को ठाणे जिले में उनके आवास के पास भगवा झंडे और पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे तथा क्षेत्रीय नेता आनंद दिघे की बड़ी तस्वीरों के साथ एकत्र हो गए।
शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का बिगूल फूंकने के बाद 21 जून से बड़ी संख्या में विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्य असम के गुवाहाटी शहर में डेरा डाले हुए हैं।
उपस्थित लोगों को संबोधित करने वालों में शिंदे के पुत्र और कल्याण से शिवसेना के सांसद श्रीकांत शिंदे भी थे। श्रीकांत के उल्हासनगर कार्यालय पर दिन में 8-10 लोगों ने पथराव करते हुए ठाकरे के समर्थन में नारेबाजी की थी।
कल्याण के सांसद ने कहा कि महा विकास आघाड़ी के गठन के बाद से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कारण शिवसेना को काफी नुकसान हुआ है।
उन्होंने दावा किया कि ठाकरे नीत सरकार में वित्त विभाग संभाल रही राकांपा ने शिवसेना के विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों को धन आवंटित नहीं किया और शिवसेना में चीजों को दुरूस्त करने के सारे प्रयास व्यर्थ रहें।
सांसद ने दावा किया कि शिवसेना के सभी असंतुष्ट हिस्से शिंदे का साथ दे रहे हैं क्योंकि उन्हें शिंदे पर भरोसा है कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ न्याय करेंगे।
कल्याण के सांसद ने दावा किया कि एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के करीब 40 विधायक और 10 निर्दलीय विधायक हैं।
श्रीकांत ने कहा कि बागी समूह के समर्थक शिंदे के निर्देशों और दिघे द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलते हुए चुप हैं। दिघे की 2001 में मृत्यु हो गई थी। उन्हें शिंदे का संरक्षक माना जाता है।
सांसद ने दावा किया कि लोग (शिंदे को) भले गद्दार कहें लेकिन शिंदे ‘वफादार’ शिवसैनिक हैं।(भाषा)
मुंबई, 25 जून। शिवसेना सांसद संजय राउत ने शनिवार को दावा किया कि एकनाथ शिंदे के खेमे में गये महाराष्ट्र के बागी मंत्री “24 घंटे में” अपना पद गंवा देंगे।
इससे पहले दिन में, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने शिवसेना अध्यक्ष एवं राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्य के वरिष्ठ मंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया।
शाम को एक मराठी समाचार चैनल से राउत ने कहा, “उन्हें हटाने की प्रक्रिया जारी है।”
उन्होंने कहा, “गुलाबराव पाटिल, दादा भूसे, संदीपन भुमरे जैसे मंत्रियों को शिवसेना का वफादार कार्यकर्ता माना जाता था, जिन्हें उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट मंत्री बनाया था... पार्टी ने उन्हें काफी कुछ दिया है। उन्होंने गलत रास्ता अपनाया है और वे 24 घंटे में अपना पद गंवा देंगे।”
विद्रोही खेमे के अन्य मंत्री शंभूराज देसाई, अब्दुल सत्तार और बच्चू कडू हैं। कडू, प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रमुख हैं जो शिवसेना के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।
राउत ने यह भी दावा किया कि जब शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था और कहा था कि मुख्यमंत्री का पद दोनों दलों के पास बारी-बारी रहेगा, तो ठाकरे के मन में इस शीर्ष पद के लिए शिंदे का नाम था।
राज्य में 2019 के चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद बारी-बारी से रखने के मुद्दे को लेकर दोनों सहयोगियों के बीच गठबंधन टूट गया, जिसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिला लिया।
राउत ने यह भी कहा कि आधे विद्रोहियों का हिंदुत्व से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन वे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहे हैं। (भाषा)
कोलकाता, 25 जून। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की निलंबित नेता नुपुर शर्मा पैगंबर मोहम्मद के बारे में की गई टिप्पणी के मामले में एक बार फिर कोलकाता पुलिस के सामने पेश नहीं हुईं। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
शर्मा की टिप्पणी के खिलाफ पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए थे।
शर्मा ने अमहर्स्ट स्ट्रीट थाने को भेज गए ई-मेल में कहा है कि यदि वह कोलकाता पहुंची तो उनपर हमला हो सकता है। इसलिये उन्होंने पुलिस अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है। इस सप्ताह नरकेलडंगा थाने की तरफ से जारी समन पर भी वह उन्हीं कारणों का हवाला देते हुए पेश नहीं हुईं।
अधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हमें नुपुर शर्मा की ओर से ईमेल मिला है, जिसमें उन्होंने अमहर्स्ट स्ट्रीट थाने के अधिकारियों के समक्ष पेश होने में असमर्थता प्रकट की है। उन्होंने चार सप्ताह का समय मांगा है और आशंका जतायी है कि यदि वह कोलकाता आईं, तो उनपर हमला हो सकता है।'
पुलिस ने अमहर्स्ट स्ट्रीट थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद बृहस्पतिवार को उनके खिलाफ समन जारी किया था। (भाषा)
मुंबई, 25 जून। शिवसेना के असंतुष्ट विधायक दीपक केसरकर ने शनिवार को कहा कि विधायक दल में बागी गुट के पास दो-तिहाई बहुमत है और वह सदन में अपनी संख्या साबित करेगा लेकिन किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय नहीं करेगा।
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागी विधायक असम के गुवाहाटी शहर में डेरा डाले हुए हैं जिनकी बगावत से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
गुवाहाटी से एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में केसरकर ने कहा कि उन्होंने शिवसेना नहीं छोड़ी है, लेकिन अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखा है और शिंदे को अपना नेता चुना है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ 16 या 17 लोग 55 विधायकों के समूह के नेता को नहीं बदल सकते हैं और शिवसेना का बागी गुट शिंदे को शिवसेना समूह के नेता के रूप में बदलने के महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल के आदेश को अदालत में चुनौती देगा।
केसरकर ने कहा, ‘‘विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से कहा था कि हमें उस पार्टी के साथ रहना चाहिए जिसके साथ हमने चुनाव लड़ा था.. जब इतने सारे लोग एक ही राय व्यक्त करते हैं, तो उसमें कुछ ठोस होना चाहिए।’’
वह शिंदे समूह की उस शुरुआती मांग का संदर्भ दे रहे थे कि शिवसेना को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ अपना गठबंधन फिर से शुरू करना चाहिए और कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से संबंध तोड़ लेना चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या शिंदे समूह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार से समर्थन वापस लेगा, केसरकर ने कहा, ‘‘हमें समर्थन क्यों वापस लेना चाहिए? हम शिवसेना हैं। हमने पार्टी को हाईजैक नहीं किया है, राकांपा और कांग्रेस ने इसे हाईजैक कर लिया है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि शिंदे समूह विधानसभा में बहुमत साबित करेगा लेकिन ‘‘हम किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय नहीं करेंगे।’’
केसरकर ने कहा, "हमने अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखने का फैसला किया है क्योंकि हम उनकी (बाल ठाकरे की) विचारधारा में विश्वास करते हैं।"
पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के नाम का अन्य समूहों द्वारा इस्तेमाल किए जाने को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की आपत्ति के बारे में पूछे जाने पर केसरकर ने कहा, "हम इस पर विचार करेंगे।"
यह पूछे जाने पर कि बागी विधायक कब मुंबई लौटेंगे, उन्होंने कहा कि वे उचित समय पर वापस आएंगे।
केसरकर ने महाराष्ट्र में बागी विधायकों के कार्यालयों और आवासों पर हमले की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मौजूदा समय में दबाव है, हमें नहीं लगता कि वापस आना सुरक्षित है।’’
उन्होंने कहा कि बागी गुट के मन में उद्धव ठाकरे के खिलाफ कुछ भी नहीं है।
केसरकर ने कहा, "हम पार्टी को बचाना चाहते हैं। हम उनका (उद्धव ठाकरे का) इस्तीफा भी नहीं मांग रहे हैं।"
महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल द्वारा बागी खेमे द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र (विद्रोही समूह को मान्यता देने और शिंदे को शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में नामित करने की मांग से संबंधित) को खारिज किए जाने पर टिप्पणी करते हुए केसरकर ने कहा, ‘‘वह हमारे पत्र को कैसे अस्वीकार कर सकते हैं लेकिन हमारी अयोग्यता की मांग करने वाले काफी देर बाद मिले पत्र पर विचार करते हैं। अगर जरूरत पड़ी तो हम राज्यपाल से भी संपर्क करेंगे या न्याय की गुहार लगाने के लिए अदालत जाएंगे।’’
शिवसेना ने बागी खेमे के नेता एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों के नाम उपाध्यक्ष को भेजकर उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए केसरकर ने कहा कि अगर पिछले इतने महीनों में सरकार वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए काम कर सकती है, तो जिरवाल हमारे साथ ऑनलाइन बैठक क्यों नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें इस (वीडियो) कॉल में अपनी संख्या दिखा सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सच है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और हमारे साथ उसका अपमानजनक व्यवहार हमारा एक बड़ा मुद्दा है। कई विधायक जो यहां हमारे साथ हैं, पिछले कई महीनों से पार्टी नेतृत्व के सामने इस मुद्दे को उठा रहे थे लेकिन इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया।’’
केसरकर ने कहा कि 2019 के चुनाव से पहले राकांपा के प्रतिनिधित्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों को अधिक महत्व दिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री पद के अलावा, शिवसेना को कोई अच्छा विभाग नहीं मिला जिससे हमें बिलकुल भी मदद नहीं मिली।’’
केसरकर ने पूछा कि ऐसी राजनीतिक व्यवस्था का (इसका हिस्सा बनने का) क्या मतलब है जहां पार्टी (शिवसेना) को अन्य दो सहयोगियों द्वारा समाप्त कर दिया जाएगा।
उन्होंने दावा किया, ‘‘राकांपा के मंत्रियों ने हमारे साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया। हम हमेशा उनके द्वारा दरकिनार किए जाते रहे। एक उदाहरण के तौर पर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक अच्छी योजना को रद्द कर दिया था। जब मैंने इसके खिलाफ शिकायत की, तो उन्होंने मुझसे कहा कि उनके फैसले को केवल मुख्यमंत्री ही नकार सकते हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री ने इसे कभी रद्द नहीं किया।”
केसरकर ने दोहराया कि बागी समूह शिवसेना से अलग नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा, "हम उनसे (उद्धव) भाजपा से हाथ मिलाने के लिए कह रहे हैं। मैंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से कई बार कहा है कि हमें भाजपा के साथ काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शिवसेना से विशेष लगाव है।"
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रवर्तन निदेशालय द्वारा संभावित छापेमारी से बचने के लिए शिवसेना के विधायकों ने बगावत की, केसरकर ने कहा, “केवल कुछ मुट्ठी भर लोग हैं जिन पर ईडी द्वारा छापा मारा जा सकता है। अन्य साधारण व्यक्ति हैं और वे एक सरल पृष्ठभूमि से आते हैं तथा पिछले कुछ वर्षों में उन्हें अपने नेतृत्व से कोई प्यार नहीं मिला है।”
केसरकर ने कहा कि गुवाहाटी में जिस होटल में वे ठहरे हैं, वहां बागी विधायक अपना खर्च खुद उठा रहे हैं तथा ‘‘भाजपा का इससे कुछ भी लेना-देना नहीं है।’’
इससे पहले दिन में, राकांपा ने यह जानना चाहा था कि गुवाहाटी और सूरत में होटलों के बिल का भुगतान कौन कर रहा है। इसने आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से इसमें शामिल "काले धन" के स्रोत का पता लगाने को कहा।
केसरकर ने कहा कि शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत उग्र वक्ता हैं।
उन्होंने बागी विधायकों के खिलाफ महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में शिवसेना कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में कहा, ‘‘उनके (राउत) भाषणों से आग लग जाती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालाँकि, हम राउत पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे क्योंकि वह महाराष्ट्र विधानमंडल के सदस्य नहीं हैं।’’ (भाषा)
जापान की जानी मानी कार कंपनी टोयोटा ने अपने पहले बड़े पैमाने पर बनाई इलेक्ट्रिक कारों में से 2,700 को वापिस बुला रही है. कंपनी को डर है कि उनके पहिए चलती गाड़ी में खुलकर निकल सकते हैं.
कंपनी के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया, "कम माइलेज यूज के बाद पहियों पर लगे बोल्ट उस प्वाइंट तक ढीले हो सकते हैं जहां पहिया वाहन से अलग हो सकता है."
कार को जापान में लॉन्च किए जाने के दो महीने से भी कम समय बाद वापस लिया गया है. कार निर्माता सुबारू का यह भी कहना है कि इसी के चलते वो टोयोटा के साथ मिलकर बनाई 403 इलेक्ट्रिक कारों को वापस बुलाएगी.
टोयोटा ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि उसने यूएस, यूरोप, कनाडा और जापान में 2,700 bZ4X एसयूवी के लिए सेफ्टी रिकॉल जारी किया है.
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, "अगर गाड़ी चलाते समय कोई पहिया कार से अलग हो जाता है, तो इससे कार अपना नियंत्रण खो देगी जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ सकता है."
उन्होंने कहा, "जब तक इसे ठीक नहीं कर लिया जाता, तब तक किसी को भी इन वाहनों को नहीं चलाना चाहिए.”
बीबीसी को लगता है कि कुछ bZ4X मॉडलों को वापस नहीं लिया गया है. हालांकि, टोयोटा के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि कंपनी ने कितने वाहन बनाए हैं.(bbc.com)
गुजरात एटीएस ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लिया है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक तीस्ता सीतलवाड़ को उनके मुंबई के घर से सांताक्रूज पुलिस स्टेशन ले जाया गया.
एनजीओ से जुड़े एक मामले के सिलसिले में मुंबई पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को ख़ारिज कर दिया.
अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी में हुए दंगों में कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफ़री समेत कुल 69 लोग मारे गए थे.
अहसान जाफ़री की विधवा ज़किया जाफ़री ने इस मामले में नरेंद्र मोदी और अन्य कथित साज़िशकर्ताओं की भूमिका पर विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जारी क्लीन चिट की फिर से जाँच की माँग की थी.
ज़किया जाफ़री की क़ानूनी लड़ाई में हमेशा उनका साथ देने वाली तीस्ता सीतलवाड़ इस मामले की सह-याचिकाकर्ता भी हैं.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि इस पूरे मामले में ज़किया जाफ़री की शिकायत के पीछे तीस्ता सीतलवाड़ का हाथ था. (bbc.com)
बांग्लादेश ने शनिवार को राजधानी ढाका के पास एक महत्वपूर्ण पुल का उद्घाटन किया है जिसका नाम पद्मा है.
पद्मा पुल की योजना दो दशक पहले बांग्लादेश में बनाई गई थी.
बांग्लादेश का सबसे बड़ा पुल देश के दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र के 19 जिलों को राजधानी ढाका और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने का काम करेगा.
यह पुल कोलकाता और ढाका के बीच यात्रा के समय को भी लगभग आधा कर देगा.
पद्मा पुल का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा, "यह पुल सिर्फ ईंट, सीमेंट, लोहा और कंक्रीट नहीं है. यह पुल हमारा गौरव है. हमारी क्षमता, ताकत और गरिमा का प्रतीक है."
पद्मा नदी पर बने 6.15 किलोमीटर लंबे पुल को बनाने में सारा पैसा बांग्लादेश ने खर्च किया है.
पुल के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद विश्व बैंक ने अपने हाथ पीछे खींच लिए थे.
पद्मा ब्रिज के पूरा होने पर भारत ने बांग्लादेश की सरकार और लोगों को बधाई दी है.
ढाका में भारतीय हाई कमीशन ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि पद्मा ब्रिज न केवल बांग्लादेश के अंदर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद करेगा बल्कि यह भारत और बांग्लादेश को जोड़ने वाले लॉजिस्टिक्स और बिजनेस को भी बढ़ाने का काम करेगा. (bbc.com)
रायपुर, 25 जून। आरपीएफ ने मुखबीर सूचना पर रेलवे स्टेशन के प्लेट फार्म नं 01 ए के सामने के ओला पार्किंग के अंदर लावारिस अवस्था में 02 ट्रॉली बैग में 12 पैकेट गांजा बरामद किया। इसका कुल वजन 36 किलो और कीमत एक लाख अस्सी हजार रूपए है। जिसे एनडीपीएस के तहत विधिवत कार्यवाही कर जीआरपी रायपुर को सूपूर्द किया गया। अज्ञात के विरूद्ध अपराध धारा 20 बी एनडीपीएस के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया।
रायपुर, 25 जून। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव कोरोना पाज़िटिव हो गये है।इसकी जानकारी उन्होंने स्वयं वाट्स एप मैसेज कर दी है। सिंहदेव ने कहा है कि दिल्ली प्रवास से लौटकर मैने अपनी कोविड की जांच करवाई। जिसमें मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।अभी मेरा स्वास्थ्य ठीक है एवं चिकित्सकों के परामर्श अनुसार मैं होम आइसोलेशन का पालन कर रहा हूं।
नई दिल्ली, 25 जून | देश में 25 जून,1975 को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की 47वीं बरसी पर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
नड्डा ने कहा कि तानाशाही बर्बरता का जो जुल्म इंदिरा गांधी की सरकार ने देश की जनता पर, मीडिया पर और विपक्षी नेताओं पर ढाया, वह एकतरफा अत्याचारों का पर्याय बन गया। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश ने आपातकाल से विकासकाल तक का सफर तय किया है।
नड्डा ने बयान जारी कर कहा कि, आपातकाल के काले दिनों में कांग्रेस पार्टी द्वारा हमारे देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को सुनियोजित और व्यवस्थित तरीके से नष्ट करने की साजिश को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। उन्होंने आपातकाल और इंदिरा गांधी सरकार द्वारा अपने विरोधियों के दमन के लिए लाए गए आंतरिक सुरक्षा अधिनियम- मीसा के तहत लोकनायक जयप्रकाश नारायण से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक, सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डालने की बात कहते हुए दावा किया कि उस समय एक और काले कानून यानि डीआईआर के तहत भी एक लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
आपातकाल के दौरान मीडिया को दबाने का आरोप लगाते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि उस समय प्रेस सेंसर कर दिया गया था। प्रकाशित करने से पहले सभी समाचार पत्रों को सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजना जरूरी कर दिया गया। अखबार द्वारा आपातकाल के विरोध में किसी तरह की सामग्री छापने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इतना ही नहीं, कई अखबारों के दफ्तरों की बिजली भी काट दी गई। प्रेस के साथ-साथ कलाकारों, विपक्षी नेताओं और बड़ी संख्या में जनता के साथ भी अत्याचार किया गया।
नड़्डा ने आरोप लगाया कि आपातकाल के दौरान कांग्रेस की सरकार ने राजनीतिक लोगों के नागरिक अधिकार खत्म करने के साथ ही इस कानून के जरिये सुरक्षा के नाम पर लोगों को प्रताड़ित करने का काम किया, उनकी संपत्ति छीन ली गई और उन्हें परेशान करने के नए-नए बहाने तलाश किए गए। यहां तक कि आम आदमी को भी नहीं बख्शा गया। उन्होने कहा कि आज का दिन उन महान नायकों को याद करने का दिन है जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी।
नड्डा ने आपातकाल के दौरान वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 महीने तक भूमिगत रहकर इस अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश ने आपातकाल से विकासकाल तक का सफर तय किया है। कांग्रेस की सरकार ने गरीबों को गरीब बनाए रख कर केवल ह्यगरीबी हटाओ' के नारे के सहारे गरीबों का वोट हड़पने की साजिश की जबकि मोदी सरकार ने 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के सहारे हर गरीब का सशक्तिकरण किया है और इसी का परिणाम है कि भारत आज हर क्षेत्र में विकास के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। नड्डा ने आगे कहा कि, इसका मतलब स्पष्ट है कि कांग्रेस आती है तो आपातकाल आता है लेकिन भाजपा की सरकार आती है तो विकास होता है, यह बात जनता समझ चुकी है। (आईएएनएस)
अमदाबाद , 25 जून | गुजरात में अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने राज्य के पूर्व डीजीपी आर बी श्रीकुमार और मानवाधिकार कार्यकर्ता को फर्जीवाड़े के मामले में गिरफ्तार किया है।
इस मामले के अन्य आरोपी गुजरात के पूर्व डीआईजी संजीव भट्ट पहले से ही पालनपुर जेल में बंद हैं और उन्हें ट्रांसफर वारंट के जरिये लाया जाएगा। अपराध शाखा ने तीस्ता को मुम्बई से और पूर्व डीजीपी श्रीकुमार को गांधीनगर से गिरफ्तार किया है।
अपराध शाखा के पुलिस निरीक्षक डी बी बराड ने इन तीनों आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज के इस्तेमाल और गलत सबूत देने आदि का मामला दर्ज किया था।
संजीव भट्ट पर आरोप है कि उन्होंने नानावती आयोग के समक्ष जो दस्तावेज पेश किए, वे फर्जी और गलत थे। ये दस्तावेज बाद में एसआईटी के समक्ष भी पेश किए गए थे। आरोप है कि इन दस्तावेजों के जरिए संजीव भट्ट कानून की गंभीर धाराओं के तहत कई लोगों को फंसाना चाहते थे।
आर बी श्रीकुमार पर आरोप है कि जाकिया जाफरी की शिकायत में जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें से अधिकतर पूर्व डीजीपी द्वारा नानावती आयोग के समक्ष दायर नौ हलफनामों से लिए गए थे। श्रीकुमार ने अपने शुरूआती दो हलफनामों में राज्य सरकार पर कोई आरोप नहीं लगाए थे।
पूर्व डीजीपी श्रीकुमार ने तीसरे हलफनामे से राज्य सरकार पर आरोप लगाने शुरू किए थे। श्रीकुमार ने फर्जी दस्तावेज बनाए और कार्यालय के मुहरों का इस्तेमाल किया जबकि उन्हें जारी करने वाले अधिकारियों को उसकी जानकारी भी नहीं थी।
तीस्ता और अन्य पर आरोप है कि उन्होंने कई लोगों के खिलाफ झूठे दस्तावेज पेश करके कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। उन्होंने ऐसे आरोप लगाए कि दोष साबित होने पर उक्त लोगों को मृत्युदंड की सजा मिल सकती थी। (आईएएनएस)
मुंबई/ठाणे, 25 जून। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के बेटे और कल्याण सीट से लोकसभा सदस्य श्रीकांत शिंदे के कार्यालय पर पथराव करने के आरोप में ठाणे जिले में शनिवार को शिवसेना के कम से कम पांच समर्थकों को हिरासत में लिया गया। पुलिस ने इसकी जानकारी दी ।
यह घटना सांसद के उल्हासनगर स्थित गोल मैदान कार्यालय में दोपहर एक बजे हुई और इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। वीडियो में कुछ लोगों को श्रीकांत शिंदे के उल्हासनगर कार्यालय पर पथराव करते और एक बोर्ड को नुकसान पहुंचाते हुए देखा गया तथा वे उद्धव ठाकरे के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे। वीडियो में चार पुलिसकर्मी आठ से दस लोगों के समूह का पीछा करते हुए देखे जा सकते हैं।
उल्हासनगर के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना के लिए जिम्मेदार शिवसेना के पांच समर्थकों को हिरासत में लिया गया है और आगे की जांच जारी है। इसके अलावा, नवी मुंबई में एकनाथ शिंदे के पोस्टर पर कालिख पोत दी गई। नागपुर और नासिक से भी इसी तरह की घटनाओं की सूचना मिली है।
इस बीच, मुंबई के कुर्ला इलाके के नेहरूनगर में विधायक मंगेश कुडालकर के कार्यालय में लगे बोर्ड से तोड़फोड़ करने के आरोप में शिवसेना के कुछ पदाधिकारियों सहित कम से कम 20 समर्थकों को शुक्रवार को हिरासत में लिया गया।
मुंबई पुलिस के अधिकारी ने कहा कि बाद में उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। (भाषा)
अहमदाबाद, 25 जून। गुजरात के अहमदाबाद शहर में पांच मंजिला एक वाणिज्यिक परिसर की चौथी मंजिल पर स्थित बच्चों के अस्पताल में शनिवार को आग लग गई। हालांकि, समय रहते 13 नवजात बच्चों सहित 75 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उन्होंने शनिवार को बताया कि परिमल गार्डन चौराहे के पास स्थित देव कॉम्प्लेक्स में दोपहर बाद आग लगने की सूचना मिली। अधिकारी ने बताया कि इमारत में हादसे के समय अस्पताल में 13 नवजात बच्चे और उनके माता-पिता सहित करीब 75 लोग इमारत में थे जिन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
अहमदाबाद अग्नि और आपात सेवा (एएफईएस)के प्रभागीय अग्निशमन अधिकारी ओम जडेजा ने बताया, ‘‘हमे अपराह्न करीब डेढ़ बजे इमारत की चौथी मंजिल पर अस्पताल के विपरीत दिशा में मौजूद अकाउंट फर्म के सर्वर कक्ष में आग लगने की सूचना मिली, जिसके बाद आग बुझाने की 20 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया।’’
उन्होंने बताया कि चौथे तल पर मौजूद अस्पताल से 13 नवजात बच्चों, जिनमें से तीन अस्पताल की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में भर्ती थे, उनके माता-पिता सहित कम से 75 लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
जडेजा ने बताया कि लोगों को सीढ़ी की मदद से बाहर निकाला गया और सभी मरीजों को एंबुलेंस के जरिये नजदीकी अस्पतालों में स्थनांतरित किया गया है।
उन्होंने बताया कि इमारत में मौजूद बच्चों के अस्पताल में करीब चार चिकित्सा देखभाल सुविधा है और एक हड्डी रोग इकाई है जो ठीक उस स्थान के सामने है जहां पर आग लगी थी।
अधिकारी ने बताया कि बच्चों के अस्पताल में आग नहीं लगी थी लेकिन धुंआ होने की वजह से वहां पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया था।
अधिकारियों ने बताया कि बचाव अभियान संपन्न् हो गया है और कुछ घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 25 जून। भारत के सबसे तेजतर्रार यूनियन नेताओं में से एक और पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के जीवन पर आधारित एक नयी पुस्तक मुंबई की सड़कों से लेकर दिल्ली में सत्ता के गलियारों तक उनकी यात्रा का ब्योरा देगी। यह जानकारी पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (पीआरएचआई) ने शनिवार को दी।
राहुल रामागुंडम द्वारा लिखित ‘द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ जॉर्ज फर्नांडिस’ 25 जुलाई को पेंगुइन के प्रकाशक 'एलन लेन' के माध्यम से प्रकाशित होगी।
व्यापक रूप से आपातकाल-विरोधी नायक माने जाने वाले वयोवृद्ध समाजवादी नेता पर ‘‘पहली व्यापक जीवनी’’ की घोषणा, आपातकाल की 47 वीं वर्षगांठ का प्रतीक है।
तीन जून, 1930 को तत्कालीन मैंगलोर (अब मंगलुरु) में एक ईसाई परिवार में जन्मे फर्नांडिस उस समय राष्ट्रीय सुर्खियों में आए जब मुंबई में एक मजदूर नेता के रूप में उन्होंने 1974 में एक रेलवे हड़ताल का आयोजन किया, जिससे देश ठहर गया था।
वह 1989 में वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा गठबंधन सरकार के तहत रेल मंत्री बने। इस गठबंधन में ज्यादातर वामपंथी झुकाव वाले दल शामिल थे।
फर्नांडिस का लंबी बीमारी के बाद जनवरी 2019 में 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
रामागुंडम ने कहा, ‘‘बारह लंबे वर्षों तक, मैंने केवल जॉर्ज के बारे में सोचा है, उनकी आत्मा को टटोला है, उनकी पसंद के बारे में जानने का प्रयास किया है और उनकी उतार-चढ़ाव की यात्रा में साथ रहा हूं। राजनीति के लिए फर्नांडिस की दीवानगी की तरह ही मैंने भी इस जीवनी के लिए अपने परिवार, दोस्ती, नौकरी और खुशियों को दांव पर लगा दिया है।’’
रामागुंडम ने ‘‘गांधीज खादी’’ और‘‘"इंक्लूडिंग द सोशली एक्सक्लुडेड’’ पुस्तकें भी लिखी हैं।
प्रकाशकों के अनुसार, यह जीवनवृत न केवल उन लोगों के लिए जरूरी है जो फर्नांडिस के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, बल्कि ‘‘उन लोगों के लिए भी, जो इतिहास के प्रति उत्सुक होते हैं और इस देश की दिशा बदलने वाली स्थितियों का लेखाजोखा जानना चाहते हैं।’’
पीआरएचआई की सहयोगी प्रकाशक प्रेमांका गोस्वामी ने कहा, ‘‘जॉर्ज फर्नांडिस के जीवन और राजनीति ने सभी लोगों को आकर्षित किया। मजदूर वर्ग के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने की उनकी प्रतिबद्धता, आपातकाल के दौरान उनकी भूमिका और भारतीय राजनीति की शक्तिशाली कांग्रेस पार्टी को हराने के लिए उनका जुनून, इन बातों की इस पुस्तक में एक विशिष्ट अभिव्यक्ति मिलती है।’’ (भाषा)
मुंबई, 25 जून। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने शनिवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार ने पार्टी के 38 बागी विधायकों के आवास और उनके परिवारों की सुरक्षा वापस ले ली है। साथ ही, शिंदे ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” की भावना से की गई कार्रवाई बताया। हालांकि, गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने इन आरोपों से इनकार किया है।
शिंदे ने दावा किया कि जिन नेताओं के आवास की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें उनका आवास भी शामिल है।
इस समय बागी विधायकों के साथ गुवाहाटी में डेरा डाले हुए शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल को संबोधित एक पत्र ट्वीट किया। पत्र पर शिंदे और अन्य विधायकों के हस्ताक्षर हैं।
पत्र में विधायकों ने कहा है कि अगर उनके परिवार के लोगों को कुछ हुआ तो मुख्यमंत्री ठाकरे और सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के नेता उसके लिये जिम्मेदार होंगे।
शिंदे ने ट्वीट में कहा कि “राजनीतिक प्रतिशोध” की भावना के चलते ठाकरे और वलसे पाटिल के आदेश पर विधायकों के आवास की सुरक्षा वापस ले ली गई है।
उन्होंने कहा, “इन विधायकों और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए सरकार जिम्मेदार है।”
वहीं, पाटिल ने कहा कि मुख्यमंत्री और गृह विभाग ने राज्य के किसी विधायक की सुरक्षा वापस लेने का कोई आदेश जारी नहीं किया है। उन्होंने कहा, “ट्विटर के जरिये लगाए गए आरोप गलत और विद्वेषपूर्ण हैं।”
शिंदे ने आरोप लगाया है कि पिछले ढाई साल के दौरान एमवीए के सहयोगी दलों (राकांपा और कांग्रेस) ने शिवसेना को कमजोर करने का प्रयास किया। विधायकों ने पत्र में कहा कि उनके परिवार के सदस्यों और उनके आवास को प्रोटोकॉल के तहत मिली सुरक्षा अवैध रूप से और प्रतिशोध की भावना से हटाई गई है।
विधायकों ने कहा, “इस कदम का उद्देश्य हमारे संकल्प को तोड़ना और राकांपा तथा कांग्रेस के गुंडों वाली एमवीए सरकार के समक्ष हमें झुकने के लिए मजबूर करना है। एमवीए सरकार के कई नेता अपने कार्यकर्ताओं को हिंसा के लिए उकसा रहे हैं ताकि हमें धमकाया जा सके।”
पत्र में कहा गया है, “(शिवसेना नेता) संजय राउत ने हमें धमकी दी है कि वह राज्य में लौटने वाले विधायकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर देंगे। इन बयानों का असर यह हुआ कि सुरक्षा वापस लिए जाने के कुछ घंटों बाद ही हमारे दो सदस्यों के कार्यालयों पर शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया।”
विधायकों ने कहा कि पंजाब में भी वहां की सरकार ने कुछ हाई-प्रोफाइल लोगों की सुरक्षा वापस ली थी जिसकी वजह से उनमें से ज्यादातर व्यक्ति गैंगस्टर के निशाने पर आ गए।
पत्र में कहा गया, “यदि हमारे परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचा तो मुख्यमंत्री, महा विकास आघाड़ी के नेता, जैसे कि शरद पवार, संजय राउत और आदित्य ठाकरे इसके लिए जिम्मेदार होंगे।”
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले विधायकों में एकनाटन शिंदे, गुलाबराव पाटिल, सदा सरवनकर, दादा भूसे, शंभूराज देसाई, दीपक केसरकर, भरत गोगावले, प्रताप सरनाईक, योगेश कदम, श्रीनिवास वंगा, लता सोनवणे, संजय शिरसत, तानाजी सावंत और दिलीप लांडे शामिल हैं। (भाषा)
लखनऊ, 25 जून। उत्तर प्रदेश में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में मतदान के बाद अब रविवार को मतगणना होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'पीटीआई—भाषा' को बताया कि "रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्रों के लिए हुए उपचुनावों की मतगणना रविवार को आठ बजे से शुरू होगी।"
आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए 23 जून को क्रमश:49.43 फीसदी और 41.39 फीसदी मतदान हुआ था। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के इस्तीफे के बाद रामपुर सीट रिक्त हुई है। इस सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में 63.19 प्रतिशत मतदान हुआ था।
आजमगढ़ से 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव जीते थे और तब आजमगढ़ में 57.56 प्रतिशत मतदान हुआ था। यादव के विधायक बनने के बाद इस्तीफा देने से आजमगढ़ में उपचुनाव घोषित हुआ।
इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों के उपचुनावों में 19 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं और वहां 35 लाख से अधिक मतदाता हैं।
इस बीच शुक्रवार को रामपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार असीम राजा ने निष्पक्ष मतगणना की मांग की है। उन्होंने रामपुर में संवाददाताओं से कहा "मतगणना निष्पक्ष होनी चाहिए और और मतों की गिनती की घोषणा क्रमवार की जानी चाहिए।"
रामपुर के उप जिला चुनाव अधिकारी वैभव शर्मा ने शुक्रवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया था कि मतों की गणना चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त तीन पर्यवेक्षकों की निगरानी में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के दिशा-निर्देशों के अनुसार की जाएगी। शर्मा का दावा था कि 'मतगणना निष्पक्ष रूप से होगी।'
चुनाव आयोग के मुताबिक आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में 13 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई और वहां 18.38 लाख मतदाता हैं। रामपुर से छह उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं और वहां 17.06 लाख पंजीकृत मतदाता हैं।
रामपुर से भाजपा ने घनश्याम लोधी और सपा ने असीम राजा को उम्मीदवार बनाया जबकि मायावती के नेतृत्व वाली बसपा रामपुर में चुनाव नहीं लड़ी।
आजमगढ़ सीट पर 2019 में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से पराजित हो चुके भोजपुरी गायक और अभिनेता दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' को भाजपा ने दोबारा मौका दिया जबकि सपा से अखिलेश यादव के चचेरे भाई पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव और बसपा से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा गया। (भाषा)
नागपुर, 25 जून। महाराष्ट्र में युवा सेना के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को प्रदेश के नागपुर शहर में शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे का एक विशाल बैनर हटा दिया।
इस दौरान युवा सेना कार्यकर्ताओं ने महल क्षेत्र के गांधी पुतला चौक पर लगे शिंदे के इस विशाल बैनर को फाड़ दिया।
युवा सेना के नागपुर जिलाध्यक्ष विक्रम राठौड़ ने शिंदे के समर्थकों से शहर में उनका कोई बैनर नहीं लगाने को कहा।
महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री शिंदे और शिवसेना के अधिकतर विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी है और वे गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं।
उन्होंने मांग की है कि शिवसेना को 'अप्राकृतिक' महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन से बाहर निकलना चाहिये। (भाषा)