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नयी दिल्ली, 25 जून। जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए जर्मनी की अपनी यात्रा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि वह समूह और इसके भागीदारों के साथ ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, आतंकवाद रोधी उपायों, पर्यावरण और लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
विश़्व के सात सबसे धनी देशों के समूह जी-7 के शिखर सम्मेलन के लिए मोदी 26 और 27 जून को दक्षिणी जर्मनी के श्लॉस एलमाऊ का दौरा करेंगे। जी-7 के नेताओं के यूक्रेन संकट पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है जिसने वैश्विक खाद्य और ऊर्जा संकट को बढ़ावा देने के अलावा भू-राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया है।
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के आमंत्रण पर मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले हैं। शिखर सम्मेलन की मेजबानी जर्मनी द्वारा जी-7 के अध्यक्ष के रूप में की जा रही है।
प्रधानमंत्री ने अपने दौरे के पहले एक बयान में कहा, ‘‘मानवता को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के प्रयास में जर्मनी ने अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका जैसे अन्य लोकतांत्रिक देशों को भी जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘शिखर सम्मेलन के सत्र के दौरान मैं पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, आतंकवाद रोधी, लैंगिक समानता और लोकतंत्र जैसे सामयिक मुद्दों पर जी-7 के भागीदार देशों और अतिथि अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करूंगा।’’
मोदी ने कहा कि वह शिखर सम्मेलन से इतर भाग लेने वाले जी-7 और अतिथि देशों में से कुछ के नेताओं से मिलने के लिए उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह पिछले महीने ‘सार्थक’ भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के बाद चांसलर शॉल्त्स से फिर से मिलने के लिए उत्सुक हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जर्मनी की यात्रा के दौरान मैं यूरोप के भारतीय प्रवासी सदस्यों से मिलने के लिए भी उत्सुक हूं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में बहुत योगदान दे रहे हैं और साथ ही यूरोपीय देशों के साथ हमारे संबंधों को समृद्ध कर रहे हैं।’’ मोदी शनिवार रात जर्मनी के लिए रवाना होंगे।
जर्मनी से मोदी 28 जून को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जाएंगे और यूएई के पूर्व राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर शोक व्यक्त करेंगे। मोदी ने कहा, ‘‘भारत वापस आते समय मैं 28 जून को यूएई के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ एक बैठक के लिए अबू धाबी, यूएई में कुछ देर ठहरूंगा तथा यूएई के पूर्व राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर निजी तौर पर शोक प्रकट करूंगा।’’
जायद अल नाहयान का 13 मई को निधन हो गया था। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू भारत की तरफ से संवेदना प्रकट करने के लिए यूएई गए थे। (भाषा)
मुंबई, 25 जून। शिवसेना के असंतुष्ट विधायक दीपक केसरकर ने शनिवार को कहा कि विधायक दल में बागी गुट के पास दो तिहाई बहुमत है और उन्होंने महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे को अपना नेता नियुक्त किया है।
शिंदे और अन्य बागी विधायक असम के गुवाहाटी शहर में डेरा डाले हुए हैं जिनकी बगावत से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
गुवाहाटी से एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में केसरकर ने कहा कि उन्होंने शिवसेना नहीं छोड़ी है, लेकिन अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखा है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ 16 या 17 लोग 55 विधायकों के समूह के नेता को नहीं बदल सकते हैं और शिवसेना का बागी गुट शिंदे को शिवसेना समूह के नेता के रूप में बदलने के महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल के आदेश को अदालत में चुनौती देगा।
केसरकर ने कहा, ‘‘विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से कहा था कि हमें उस पार्टी के साथ रहना चाहिए जिसके साथ हमने चुनाव लड़ा था.. जब इतने सारे लोग एक ही राय व्यक्त करते हैं, तो उसमें कुछ ठोस होना चाहिए।’’
वह शिंदे समूह की उस शुरुआती मांग का संदर्भ दे रहे थे कि शिवसेना को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ अपना गठबंधन फिर से शुरू करना चाहिए और कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से संबंध तोड़ लेना चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या शिंदे समूह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार से समर्थन वापस लेगा, केसरकर ने कहा, ‘‘हमें समर्थन क्यों वापस लेना चाहिए? हम शिवसेना हैं। हमने पार्टी को हाईजैक नहीं किया है, राकांपा और कांग्रेस ने इसे हाईजैक कर लिया है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि शिंदे समूह विधानसभा में बहुमत साबित करेगा लेकिन हम किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय नहीं करेंगे।
केसरकर ने कहा, "हमने अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखने का फैसला किया है क्योंकि हम उनकी (बाल ठाकरे की) विचारधारा में विश्वास करते हैं।"
पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के नाम का अन्य समूहों द्वारा इस्तेमाल किए जाने को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की आपत्ति के बारे में पूछे जाने पर केसरकर ने कहा, "हम इस पर विचार करेंगे।"
यह पूछे जाने पर कि बागी विधायक कब मुंबई लौटेंगे, उन्होंने कहा कि वे उचित समय पर वापस आएंगे।
केसरकर ने महाराष्ट्र में बागी विधायकों के कार्यालयों और आवासों पर हमले की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मौजूदा समय में दबाव है, हमें नहीं लगता कि वापस आना सुरक्षित है।’’ (भाषा)
श्रीनगर, 25 जून। नियंत्रण रेखा के उसपार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में बने अलग-अलग लांचिंग पैड पर करीब 150 आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं जबकि 500 से 700 के करीब अन्य आतंकवादी 11 प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण ले रहे हैं। यह दावा सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को किया।
उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की एलओसी पार घाटी में घुसपैठ करने की कोशिश को सफलतापूर्वक नाकाम किया है।
सेना के अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया, ‘‘एलओसी के उस पास मनसेरा, कोटली और मुजफ्फराबाद स्थित 11 प्रशिक्षिण शिविरों में 500 से 700 लोग आतंकवाद का प्रशिक्षण ले रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि खुफिया जानकारी के मुताबिक पीओके में बने लांचिंग पैड पर करीब 150 आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं।
अधिकारी ने कहा कि इस साल अबतक एलओसी पार कर घुसपैठ की कोई कोशिश सफल नहीं हुई है।
सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में विदेशी आतंकवादियों के मारे जाने का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मई तक सब कुछ ठीक रहा है। एक विशेष समूह था जिसके बारे में आप जानते हैं और उसे बांदीपोरा और सोपोर में मार गिराया गया।’’
सैन्य अधिकारी ने बताया कि आतंकवादी अब घुसपैठ के लिए पूर्व में पहचान किए गए रास्तों के अलावा दूसरे रास्तों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमने शून्य घुसपैठ सुनिश्चित करने के लिए प्रणाली बना ली है। हां, यहां घुसपैठ की संभावना बनी हुई है, लेकिन हाल के वर्षों में जिस तरह से हमने मजबूत सुरक्षा दीवार बनाई है, निगरानी उपकरणों सहित जिस तरह से तैनाती की गई है, उससे घुसपैठ में सफल होने की दर नीचे चली गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसका नतीजा है, कि जब एक ओर दबाव बढ़ता है तो वे वैकल्पिक रास्तों की तलाश करते हैं। वे (आतंकवादी) अब दक्षिण पीर पंजाल के राजौरी-पुंछ के रास्ते से घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। अन्य मार्गों के मुकाबले यहां (कश्मीर घाटी में) घुसपैठ कम हुआ है।’’
अधिकारी ने कहा कि अब घुसपैठ का केंद्र मोटे तौर पर दक्षिण पीर पंजाल स्थानांतरित हो गया है। तथ्य यह है कि ऐसी जानकारी है कि कुछ लोग नेपाल के रास्ते भी आने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की संख्या ‘‘गत सालों के मुकाबले न्यूनतम स्तर पर है, लेकिन यह संख्या बदलती रहती है। ‘‘
अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने पिछले 40-42 दिनों में 50 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया। वे समाज के लिए अभिशाप हैं। वे चुनौती और सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए है। इसलिए हम कदम उठा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह 100 या 150 की संख्या तबतक बनी रहेगी जबतक लोग इसकी निरर्थकता को नहीं समझेंगे, जबतक लोग नहीं समझेंगे की गलत क्या है और सही क्या है। जबतक उनका समर्थन होगा, वे बने रहेंगे। लेकिन एक बार वे (लोग) उनसे (आतंकवादियों) मुंह मोड़ लें तो उनके पास कोई रास्ता नहीं होगा और स्वत: उनके खात्मे या संख्या कम होने का लक्ष्य प्राप्त होगा ।’’ (भाषा)
बेलगावी, 25 जून। अवैध गर्भपात के एक संदिग्ध मामले में कर्नाटक के बेलगावी जिले के मुदालगी कस्बे में एक पुल के नीचे पानी में सात भ्रूण पाए गए, जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए हैं। पांच बोतलों में बंद इन भ्रूण को शुक्रवार को कुछ स्थानीय लोगों ने पाया, जो नदी किनारे कपड़े धोने गए थे।
जिले के स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ महेश कोणी ने कहा कि यह स्थानीय तौर पर या किसी और शहर में अवैध गर्भपात की घटना प्रतीत होती है।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भ्रूणों का लिंग निर्धारण करने के बाद गर्भपात किया गया होगा। अधिकारियों के अनुसार, भ्रूण पांच से सात महीने के हैं। घटनास्थल पर पहुंचे स्वास्थ्य और पुलिसकर्मियों ने प्लास्टिक की बोतलों को जब्त कर लिया है और उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया है।
बरामद किये गए भ्रूणों को फॉरेंसिक प्रयोगशाला भी भेजा जाएगा। इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है। अधिकारी आसपास के प्रसूति अस्पतालों और स्कैन केंद्रों में पूछताछ कर रहे हैं। भ्रूणों के स्रोत और गर्भपात के पीछे जो लोग हैं उनका पता लगाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं का भी सहारा लिया जा रहा है। (भाषा)
जयपुर, 25 जून (भाषा)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक घटनाक्रम को देश एवं लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत बताते हुए शनिवार को कहा कि जनता को इसे समझना चाहिए।
महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रम के बाद 'ऑपरेशन लोटस' के एक बार फिर चर्चा में आने के सवाल पर गहलोत ने लक्ष्मणगढ़ (सीकर) में संवाददाताओं से कहा,‘‘'अब महाराष्ट्र में क्या स्थिति बनती है वह तो आने वाला वक्त बताएगा। पर यह अच्छी परंपरा नहीं है। मेरी दृष्टि में वहां भी हॉर्स ट्रेडिंग (विधायकों की खरीद-फरोख्त) ही हो रही है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ भाजपा पहले मध्य प्रदेश, फिर राजस्थान और अब महाराष्ट्र में (ऑपरेशन लोटस चला रही है)... यह शुभ संकेत नहीं है। यह देश के लिए, लोकतंत्र के लिए बहुत ही अशुभ संकेत है । जनता को इन बातों को समझना चाहिए।’’
गौरतलब है कि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे की अगुवाई में पार्टी के विधायकों के एक समूह द्वारा पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मंगलवार को विद्रोह किए जाने से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार संकट में घिर गई है।
केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए गहलोत ने कहा,‘‘ दिल्ली में जो सरकार चल रही है और वह ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई को जिस रूप में दुरुपयोग कर रही है, उससे पूरे देश में बहुत ही चिंता का विषय बना हुआ है, सब लोग घबराए हुए हैं, लोग बोल नहीं रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और हिंदू-मुस्लिम को लेकर भी जो राजनीति हो रही है वह भी खतरनाक है । चूंकि यदि हिंसा होगी तो विकास नहीं होगा । हर कस्बे में, हर गली में, हर मोहल्ले में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच में भय है। किसी जगह यदि एक का बहुमत है, तो दूसरा पक्ष घबराया हुआ है। ये कोई अच्छे हालात थोड़े ही हैं?’’
साल 2020 में अपनी सरकार पर आए राजनीतिक संकट के एक मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को नोटिस तामिल होने पर गहलोत ने कहा कि कानून को अपना काम करना चाहिए। गहलोत ने कहा,‘‘ कानून अपना काम करे। वह बचते रहे, बचते रहे, बचते रहे, आखिर में अदालत से नोटिस तामिल हो गया।’’
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ उन्हें स्वर नमूना देने में तकलीफ क्या है? दिल्ली की अदालत में वह स्वीकार भी कर चुके हैं कि आवाज उनकी ही है। वहां पुलिस शपथ पत्र में स्वीकार कर चुकी है ।’’
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में राजनीतिक संकट के दौरान एक विधायक के साथ केंद्रीय मंत्री शेखावत की फोन पर बातचीत को लेकर यहां एसीबी में मामला दर्ज किया गया था। केंद्रीय मंत्री की ओर से मुख्यमंत्री के विशेष अधिकारी (ओएसडी) लोकेश शर्मा के खिलाफ दिल्ली पुलिस में फोन टैपिंग के आरोप में मामला दर्ज करवाया गया था।
इसका जिक्र करते हुए गहलोत ने शेखावत पर निशाना साधा और कहा,' आप सरकार गिराने के षडयंत्र में मुख्य किरदार थे और सबको मालूम है कि आप बेनकाब हो गए हैं।’’
गहलोत ने इससे इतर अपने कार्यक्रम में भी शेखावत के पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर एक बयान का जिक्र करते हुए कहा,‘‘ वह (शेखावत) धमकी दे रहे हैं कि अगर राजस्थान में सरकार बदलने में कामयाब हो जाता और सचिन पायलट चूकता नहीं तो पानी आ जाता राजस्थान में। कोई केंद्रीय मंत्री ऐसी भाषा बोल सकता है? इससे अधिक शर्म की बात क्या हो सकती है कि सरकार बदलो तो पानी मैं दूंगा।’’
छत्तीसगढ़ संवाददाता
रायपुर, 25 जून। रविवार को पिकनिक पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें कि कल भारी बारिश के संकेत हैं।
मौसम विभाग से जारी अधिकृत बयान के अनुसार एक पूर्व-पश्चिम द्रोणिका पश्चिम राजस्थान से गंगेटिक पश्चिम बंगाल तक 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा उत्तर अंदरूनी उड़ीसा और उसके आसपास 4.5 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है।प्रदेश में कल रविवार को अनेक स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है।
प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज चमक के साथ आकाशीय बिजली गिरने तथा भारी वर्षा होने की भी संभावना है। एक विंडशियर जोन 18 डिग्री उत्तरी अक्षांश पर 3.1 किलोमीटर से 5.8 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। इसके प्रभाव से चरम दक्षिण छत्तीसगढ़ में अधिकांश स्थानों पर वर्षा होने की प्रबल संभावना है।
रायपुर, 25 जून। अजाजजा विकास विभाग ने 5 अधिकारियो को स्थानातरित किया गया है। इनमें एक विखं शिक्षा अधिकारी और चार क्षेत्र संयोजक हैं। कहा गया है की पदस्थापना पूर्णतः अस्थायी है नियमित पदस्थापना होने पर अधिकारी विभाग के संबंधित जिले के सहायक आयुक्त कार्यालय में पदस्थ होंगे। देखें आदेश--
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने फिल्मों, टीवी, रियलिटी शो, सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों में बाल कलाकारों को शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव से बचाने के लिए दिशा-निर्देशों का मसौदा तैयार किया है.
मसौदे के तहत निर्माताओं को शूटिंग में बच्चे को शामिल करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी. ये अनुमति उस जिले के मजिस्ट्रेट से लेनी होगी जहां शूटिंग की जानी है. इसके साथ उन कामों के बारे में भी बताना होगा जिससे ये सुनिश्चित हो कि बच्चे के साथ दुर्व्यवहार या शोषण नहीं किया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में इस मसौदे के हवाले से कहा गया है कि बच्चे को लगातार 27 दिनों से अधिक काम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. बच्चे को एक शिफ्ट में तीन घंटे के बाद ब्रेक दिया जाएगा. वहीं बच्चे को किसी ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करवाए जा सकते हैं जो बंधुआ मजदूर प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम का उल्लंघन करता हो.
निर्माता को यह सुनिश्चित करना होगा कि शूटिंग में लगे बच्चों की स्कूली शिक्षा प्रभावित न हो. मसौदे के अनुसार शूटिंग में लगे बच्चे की स्कूली शिक्षा ना छूटे उसके लिए निर्माता को एक प्राइवेट ट्यूटर से पढ़ाया जाएगा.
बच्चे को मिलने वाला पैसे की बीस फीसदी किसी राष्ट्रीय बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट होना चाहिए जिसे वो व्यस्क होने पर निकाल सके. (bbc.com)
एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों ने अपने गुट के लिए 'शिवसेना बालासाहेब' नाम रखने का फैसला लिया है.
गुवाहाटी में एकनाथ शिंदे के साथ मौजूद विधायक डॉ. बालाजी किनिकर ने इस खबर की पुष्टि की है.
शिंदे गुट के नाम रखने के बाद शिवसेना को आपत्ति होने की संभावना है. जल्द ही नाम की आधिकारिक घोषणा होने की उम्मीद है.
विधायक दीपक केसरकर ने कहा, "हम बालासाहेब की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हैं. हमने एक स्वतंत्र ग्रुप बनाया है. हम किसी के साथ विलय नहीं करेंगे. ग्रुप का एक स्वतंत्र अस्तित्व होगा. किसी ने भी पार्टी नहीं छोड़ी है."
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के क़रीब 40 विधायकों के बग़ावत करने के बाद राज्य सरकार ख़तरे में आ गई है. (bbc.com)
बांग्लादेशी मूल की जानी-मानी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने गर्भपात को मंज़ूरी देने वाले 50 साल पुराने फ़ैसले को पलटने के अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की कड़ी आलोचना की है.
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर पर उन्होंने इस बारे में एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं. जबरन गर्भधारण को उन्होंने मानवता के ख़िलाफ़ अपराध क़रार दिया है.
तस्लीमा नसरीन ने लिखा, "यकीन नहीं हो रहा! अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को ख़त्म कर दिया. आदेश के तहत महिलाओं के गर्भपात के अधिकार समाप्त कर दिए गए. अमेरिका आगे बढ़ने के बजाय पीछे की ओर जा रहा है.''
उन्होंने कहा, "यहां तक कि सनकी मुस्लिम देश बांग्लादेश में भी गर्भपात क़ानूनी है. लेकिन यूएसए जैसे सभ्य देश ने महिलाओं को उनके बुनियादी मानव अधिकारों से वंचित कर दिया है!''
'मानव अधिकारों की रक्षा के लिए गर्भपात बेहद ज़रूरी'
उन्होंने मानव अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था 'ह्यूमन राइट्स वॉच' में महिला अधिकारों की डायरेक्टर मकारेना साज़ के बयान का ज़िक्र करते हुए लिखा, "गर्भपात की गारंटी देना न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानव अधिकारों के लिए भी ज़रूरी है."
तस्लीमा नसरीन ने ह्यूमन राइट्स वॉच के एक और बयान का ज़िक्र करते हुए लिखा, ''गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने या सख़्ती करने से गर्भपात की ज़रूरत ख़त्म नहीं हो जाती. गर्भपात को कम करने की बजाय, उसे प्रतिबंधित कर देने से असुरक्षित प्रक्रियाओं का ख़तरा बढ़ जाता है और आपराधिक क़ानून लागू हो जाने का ख़तरा पैदा हो जाता है.''
इससे पहले शुक्रवार को अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फ़ैसले में गर्भपात को क़ानूनी तौर पर मंज़ूरी देने वाले पांच दशक पुराने फ़ैसले को पलट दिया था.
इसके बाद अब महिलाओं के लिए गर्भपात का हक़ क़ानूनी रहेगा या नहीं, इसे लेकर राज्य अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं. (bbc.com)
रायपुर स्मार्ट सिटी लि. और इंडसइंड बैंक के बीच हुआ करार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 जून । स्मार्ट सिटी मिशन के स्थापना दिवस पर आज रायपुर स्मार्ट सिटी और इंडसइंड बैंक के बीच रायपुर शहर के सभी 3.15 लाख घरों पर डिजिटल कोर नंबर लगाने एमओयू हुआ। महापौर एजाज ढेबर की उपस्थिति में रायपुर स्मार्ट सिटी के एमडी मयंक चतुर्वेदी और इंडसइंड बैंक के नेशनल हेड ज्योति रंजन प्रधान ने इस पर हस्ताक्षर किए। ढेबर ने कहा कि रायपुर में डिजिटल डोर नंबर के माध्यम से मकान मालिक को ई गवर्मेन्स मॉड्यूल से जुड़ी 26 सेवाएँ घर पर लगे यूनिक डिजिटल प्लेट को स्कैन करने से बड़ी आसानी से प्राप्त होगी । रायपुर स्मार्ट सिटी और इंडसइंड बैंक जल्द ही इस परियोजना पर कार्य प्रारंभ करेंगे।
एमडी मयंक चतुर्वेदी ने बताया कि डिजीटल डोर नंबर के माध्यम से शहर के सभी 3.15 लाख मकानों का एक यूनिक नंबर तैयार कर क्यू आर कोड के साथ प्लेट के रूप में घर-घर लगाया जाएगा। इस यूनिक नंबर से संपत्तिकर, डोर टू डोर कचरा संग्रहण, नल कनेक्शन, नामांतरण, भवन अनुज्ञा, नियमितीकरण सहित 26 जरूरी सेवाओं के साथ-साथ, पुलिस, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड की आपातकालीन सेवाएं घर बैठे सुगमता पूर्वक मिलेगी। घर की स्पष्ट पहचान होने से डोर टू डोर डिलीवरी सुविधा भी इससे आसान हो जाएगी। इसके अलावा इस डिजीटल नंबर के माध्यम से सभी संपत्ति मालिकों को अपना संपत्ति आईडी भी प्राप्त होगा।
नई दिल्ली, 25 जून | हैकर्स ने हॉरिजन ब्लॉकचेन ब्रिज के पीछे क्रिप्टो स्टार्टअप हार्मनी से कम से कम 10 अरब डॉलर मूल्य के डिजिटल टोकन चुरा लिए हैं, जो उपयोगकर्ताओं को अपनी क्रिप्टो संपत्ति को एक ब्लॉकचेन से दूसरे में स्थानांतरित करने की अनुमति देता है। हार्मनी ने स्वीकार किया कि उसके मालिकाना होराइजन एथेरियम ब्रिज पर एक दुर्भावनापूर्ण हमला हुआ और कई लेन-देन हुए, जिसने पुल में संग्रहीत टोकन निकालने वाले 11 लेनदेन के साथ ब्रिज से समझौता किया।
अमेरिका स्थित कंपनी ने शुक्रवार देर रात एक बयान में कहा, "हमले के समय अनुमानित मूल्य लगभग 10 अरब डॉलर था।"
स्टार्ट-अप ने कहा कि उसने अपने साइबर-सुरक्षा भागीदारों और संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) को सूचित किया है और अपराधी की पहचान करने और चोरी की संपत्ति को पुन: प्राप्त करने के तरीकों की जांच में सहायता करने का अनुरोध किया है।
कंपनी ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं कि चोरी की गई धनराशि की जांच और वसूली दोनों को यथासंभव कुशल तरीके से संपन्न किया जाए।"
हार्मनी ने कहा कि विकेंद्रीकृत ब्रिज पर ध्यान केंद्रित करना वेब 3.0 के लिए एक जरूरी कदम है।
हार्मनी के होराइजन ब्रिज का उपयोग करके उपयोगकर्ता एथेरियम, बिनेंस स्मार्ट चेन और हार्मनी ब्लॉकचेन के बीच टोकन, स्टैब्लॉक्स और अपूरणीय टोकन (एनएफटी) जैसी संपत्ति को स्थानांतरित कर सकते हैं।
हैकर्स ने एथेर्यूम्स, बिनांस स्मार्ट चेन और हार्मनी जैसे विभिन्न डिजिटल टोकन चुरा लिए।
ब्लॉकचेन विश्लेषण कंपनी एलिप्टिक के अनुसार, चोरी किए गए टोकन को विकेंद्रीकृत एक्सचेंजों का उपयोग करके एथेरियम के लिए स्वैप किया गया है।
आगे के लेन-देन को रोकने के लिए सद्भाव ने क्षितिज पुल को रोक दिया है और बिटकॉइन के लिए इसका पुल अप्रभावित था।
इस साल अप्रैल में हैकर्स ने विकेंद्रीकृत वित्त (डी-फाई) परियोजना, बीनस्टॉक फार्म्स से क्रिप्टोकरेंसी में लगभग 18 अरब डॉलर की चोरी की।
एफबीआई ने अप्रैल में उत्तर कोरियाई हैकर समूह लाजर को डेवलपर समूह स्काई माविस के स्वामित्व वाले रोनिन नेटवर्क से क्रिप्टोकरेंसी में 6.25 अरब डॉलर चोरी करने के लिए दोषी ठहराया था।
इस साल जनवरी में हैकर्स ने ब्लॉकचेन-आधारित विकेंद्रीकृत वित्त (डेफी) प्लेटफॉर्म बैजरडीएओ से 12 अरब डॉली मूल्य के क्रिप्टो टोकन चुरा लिए। (आईएएनएस)
कोलंबो, 25 जून | सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका ने शनिवार को घोषणा करते हुए एक व्यक्ति के पास विदेशी मुद्रा में राशि को कम करने का फैसला किया है। अब इस राशि को 15,000 डॉलर से घटाकर 10,000 डॉलर कर दिया गया है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट के बीच औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में विदेशी मुद्रा को आकर्षित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
केंद्रीय बैंक के अनुसार, विदेशी मुद्रा नोट रखने वाले व्यक्तियों के लिए 16 जून से प्रभावी 14 कार्य दिवसों की माफी अवधि दी जाती है, जिसके दौरान वे उन्हें विदेशी मुद्रा खाते में जमा कर सकते हैं या किसी अधिकृत डीलर को बेच सकते हैं।
माफी अवधि के खत्म होने के बाद केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा अधिनियम के प्रावधानों के संदर्भ में, आदेश का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकता है।
(आईएएनएस)
भोपाल, 25 जून | मध्य प्रदेश के सतना जिले में त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए शनिवार को मतदान शुरू होने के बाद एक मतदान केंद्र की दीवार गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक की पहचान राजा कुशवाहा के रूप में हुई है। वह सतना जिले के तिखा गांव में मतदान केंद्र पर बैठे थे, तभी एक दीवार गिर गई। पुलिस ने बताया कि उसे पास के अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
जब पहले चरण का मतदान चल रहा था, ग्वालियर-चंबल संभाग के एक मतदान केंद्र पर कुछ हाथापाई हो गई। दमोह जिले में एक अन्य घटना में, एक मतदान केंद्र पर दो समूहों के बीच झड़प में एक सब-इंस्पेक्टर (एसआई) घायल हो गये।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना उस समय हुई जब मतदान केंद्र पर ड्यूटी पर मौजूद एसआई इंद्रजीत चौधरी ने एक मतदाता को धक्का दे दिया, जिससे ग्रामीण नाराज हो गए। इसके बाद स्थानीय लोगों ने मतदान केंद्र पर हंगामा किया। पुलिस ने कहा, "अतिरिक्त बलों को बुलाया गया, स्थिति को नियंत्रण में लाया गया और मतदान शांतिपूर्ण ढंग से जारी रहा।"
मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग (एमपी-एसईसी) के अनुसार, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए मतदान केंद्रों पर 52,000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है।
मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद मतगणना मतदान केंद्र पर ही होगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 जून | सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है, जिसमें पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की वैधता को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि यह बर्बर आक्रमणकारियों द्वारा अवैध रूप से बनाए गए 'पूजा स्थलों' को मान्य करने का प्रयास करता है। याचिकाकर्ता और पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय ने अधिवक्ता राकेश मिश्रा के माध्यम से निर्देश देने और घोषित करने की मांग की कि उपासना स्थल अधिनियम, 1991 संविधान की धारा 3 अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29 का उल्लंघन करता है और असंवैधानिक है।
कहा गया है कि अनुच्छेद 13 (2) राज्य को भाग-3 के तहत दिए गए अधिकारों को छीनने के लिए कानून बनाने से रोकता है, लेकिन यह अधिनियम हिंदुओं के अधिकारों को छीन लेता है। जैसा कि हिंदू जैन, बौद्ध व सिखों के 'उपासना स्थलों और तीर्थस्थलों' को बर्बर आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट कर दिया गया।
कहा गया है कि इसमें भगवान राम के जन्मस्थान को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन इसमें भगवान कृष्ण का जन्मस्थान शामिल है, हालांकि दोनों सृष्टिकर्ता भगवान विष्णु के अवतार हैं और पूरी दुनिया में समान रूप से पूजे जाते हैं, इसलिए मनमाना, तर्कहीन और अनुच्छेद 14-15 का उल्लंघन करता है।
याचिका में कहा गया है कि न्याय का अधिकार, न्यायिक उपचार का अधिकार, गरिमा का अधिकार अनुच्छेद 21 के अभिन्न अंग हैं, लेकिन आक्षेपित अधिनियम उन्हें बेशर्मी से अपमानित करता है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि "अनुच्छेद 25 के तहत गारंटीकृत हिंदू जैन बौद्ध सिखों के प्रार्थना करने और प्रचार करने के अधिकार को अधिनियम द्वारा जानबूझकर और खुले तौर पर अमान्य किया गया है। यह अधिनियम अनुच्छेद 26 के तहत हिंदुओं, जैन, बौद्ध व सिखों के उपासना स्थलों को बहाल करने, प्रबंधित करने और बनाए रखने के अधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करता है।"
इसमें आगे कहा गया है कि अनुच्छेद 29 के तहत गारंटीकृत हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों, सिखों की लिपि और संस्कृति को बहाल करने और संरक्षित करने के अधिकार को अधिनियम द्वारा खुले तौर पर ठेस पहुंचाई गई है। निर्देश देश के शासन में मौलिक हैं और अनुच्छेद 49 राज्य को राष्ट्रीय महत्व के स्थानों को विरूपण और विनाश से बचाने का निर्देश देता है।
यह भी कहा गया है कि "राज्य आदर्शो और संस्थानों और मूल्य का सम्मान करने और भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए बाध्य है। केवल उन स्थानों की रक्षा की जा सकती है, जो कानूनों के अनुसार बनाए गए थे। कानून का उल्लंघन कर बनाए गए स्थानों को 'उपासना स्थल' नहीं कहा जा सकता।"
(आईएएनएस)
आरोपियों के कब्जे से 2000 लीटर डीजल जब्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 25 जून। लंबे समय से डीजल चोरी में लिप्त जांजगीर और बिलासपुर जिले के आठ आरोपी पुलिस गिरफ्त में ले लिए गए हैं। तडक़े 4 बजे पुलिस ने जब इन्हें घेरा तो वे आईपीएस की गाड़ी को टक्कर मारकर फरार हो गए। सुबह होते ही उन्हें दबोच लिया गया।
प्रशिक्षु आईपीएस विकास कुमार इस समय सीपत थाने के प्रभारी हैं। 24 जून की तडक़े 4 बजे वे और उनकी टीम ने एक संदिग्ध बोलेरो वाहन को रोका। बोलेरो के चालक ने कुछ दूर आगे जाकर गाड़ी रोकी लेकिन उसने तुरंत उसे रिवर्स गियर में डाल दिया। पीछे आईपीएस विकास कुमार अपनी जीप से नीचे उतरे थे। ड्राइवर की हरकत को देखकर वे पीछे हटे, पर जीप के खुले सामने वाले दरवाजे को आरोपी चालक ने टक्कर मार दी। दरवाजा क्षतिग्रस्त हो गया। साथ ही साइड मिरर भी टूट कर गिर गया। जैसे ही आरोपी वाहन चालक को पता चला कि वह पुलिस के चंगुल में फंस रहा है, वह तेजी से गाड़ी भगाते हुए फरार हो गया। पुलिस ने अपनी गाडिय़ों से उसका पीछा किया। आरोपी के वाहन के पीछे कोई नंबर प्लेट नहीं था। न ही बैक लाइट जल रही थी, इसलिए अंधेरे का फायदा उठाते हुए वह फरार हो गया।
24 जून की सुबह पुलिस के पास एक फोन आया जिसमें किसी ने बताया दर्राभाटा में एक जीप खड़ी है जिसमें बैठे लोग बात कर रहे हैं कि रात में हम लोग बाल-बाल बचे। पुलिस की गाड़ी को हम लोगों ने टक्कर मार दी है। सूचना मिलते ही सुबह करीब 6.30 बजे पुलिस टीम निकली। दर्राभाटा में वह ड्राइवर मिल गया जिसने आईपीएस की गाड़ी को टक्कर मारी थी। लेकिन वह किसी दूसरी गाड़ी में था। कड़ाई से पूछताछ के बाद उसने बताया कि उनके गैंग का एक दूसरा ड्राइवर इस गाड़ी में था। हम दोनों ने आपस में गाड़ी बदल ली है। गाड़ी में तलाशी लेने पर 35 लीटर के ड्रम में डीजल भरा हुआ मिला। उसके बाद बोलेरो के ड्राइवर के साथ पहुंचकर दूसरी गाड़ी को पकड़ा गया, जिससे टक्कर मारी गई थी। उसमें भी 35 लीटर डीजल मिला। पांच लोग पुलिस की पकड़ में आ चुके थे। उन्होंने बताया कि चोरी कि वे लोग घूम-घूमकर सडक़ किनारे गाडिय़ों से डीजल चोरी करते हैं और चुराया गए डीजल को कुकदा में राजू पाटनवार के पास रखते हैं। पुलिस टीम ने वहां छापा मारा। वहां 200 लीटर वाले तीन ड्रम तथा दस 50 लीटर वाले ड्रम में तथा बारह 15 लीटर ड्रम में डीजल भरा हुआ मिला। यहां पर 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तार आरोपियों में सीपत दर्राभाटा का दिनेश सोनवानी, हिंडडीह के रमेश कुमार, कुकदा के राजू पाटनवार, बलौदा जांजगीर के धनसिंह, बलौदा के उमेंद्र राम, जनक राम कुकदा के राधे श्याम पटेल और सुंदर लाल पटेल शामिल है।
सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।
नयी दिल्ली , 25 जून | डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी में बेजोड़ गिरावट के बीच बिटकॉइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बिटपांडा ने 250 कर्मचारियों की छंटनी कर दी है।
अरबपति उद्यमी पीटर थाइल समर्थित बिटपांडा ने घोषणा की कि वह अपने करीब एक हजार कर्मचारियों की संख्या को घटाकर 730 करेगी।
गत वर्ष अगस्त में फंड जुटाने के दौरान कंपनी का मूल्यांकन 4.1 अरब डॉलर रहा था।
आस्ट्रिया आधारित कंपनी ने शुक्रवार देर रात जानकारी देते हुए कहा कि उसे अपनी टीम के सदस्यों की संख्या घटानी पड़ेगी और कर्मचारियों की संख्या घटाकर करीब 730 करनी होगी।
बिटपांडा ने कहा कि वित्तीय रुप से स्वस्थ बने रहने के लिए और फंड के संकट के दौर से उबरने के लिए कर्मचारियों की छंटनी करने का मुश्किल भरा निर्णय लिया गया है। गत कुछ माह के दौरान बाजार धारणा में काफी बदलाव आया है। भू राजनीतिक तनावों, बढ़ती महंगाई और आर्थिक मंदी की आशंका ने धारणा को बुरी तरह प्रभावित किया है। अभी किसी को नहीं बता कि बाजार धारणा कब बदलेगी।
बिटपांडा ने कहा कि वह काम पर से हटाये गये सभी कर्मचारियों को सेवा समाप्ति पैकेज देगा जो वैधानिक जरूरत से अधिक होगा।
बिटपांडा से पहले क्रिप्टो डॉट कॉम, बिटसो, ब्नयूनबिट और कॉइनबेस ने भी कर्मचारियों की छंटनी की है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 जून । 23-24 जून का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इस बारे में कई संदेश देता है कि भारत कैसे हो रहे वैश्विक परिवर्तनों का सामना कर रहा है, जिसके केंद्र में चीन का उदय, अमेरिका-चीन संबंधों की तीव्र गिरावट है, यूक्रेन संकट की शुरुआत से पहले ही अमेरिका-रूस टकराव का निर्माण, लेकिन जिसने अब रूस के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो द्वारा छद्म युद्ध का चरित्र ग्रहण कर लिया है, जिसके परिणाम अभी तक पूरी तरह से सामने नहीं आए हैं।
रूस पर पश्चिम और जापान द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बाधित कर दिया है, तेल की कीमतों में वृद्धि, भोजन और उर्वरकों की कमी और मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया है, जिसने विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बुरी तरह से प्रभावित किया है, पश्चिमी देशों को झटका लगा है। अफगानिस्तान में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। ईरान परमाणु समझौते को बहाल करने की प्रगति की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है।
इसके शीर्ष पर लद्दाख में चीन की आक्रामकता के बाद सीमा पर भारत-चीन तनाव पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है, दोनों पक्षों के सैनिकों के साथ अभी भी बड़े पैमाने पर और कुछ 'घर्षण बिंदु' अभी भी एक संकल्प से दूर हैं।
भारत ने साफ कर दिया है कि अगर सीमा पर हालात असामान्य रहे तो दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य नहीं हो सकते। भारत की चीन की चुनौती, जिसे वह अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा करता है, ने क्वाड फ्रेमवर्क को मजबूत किया है। भारत अब क्वाड को 'वैश्विक अच्छे' के लिए एक बल के रूप में वर्णित करता है।
भारत ने अमेरिकी दबाव के बावजूद यूक्रेन संघर्ष में पक्ष लेने से इनकार करने और सीमा पर चीन के आक्रामक रुख के बावजूद चीन के साथ संचार के चैनलों को खुला रखने में अब तक कूटनीतिक निपुणता दिखाई है। अमेरिका द्वारा रूस और चीन दोनों को विरोधी मानने के साथ भारत उन तीनों देशों के प्रति एक दृष्टिकोण अपना रहा है, जो उसके राष्ट्रीय हित के लिए सबसे उपयुक्त है।
रूस के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को बनाए रखना होगा और चीन के साथ प्रतिकूल संबंधों को अमेरिका से स्वतंत्र रूप से प्रबंधित करना होगा, जिसके साथ संबंधों को आपसी हित में भी विस्तारित करना होगा।
हमारे किसी भी भागीदार देश को किसी तीसरे देश के साथ हमारे संबंधों पर वीटो नहीं होना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे हम किसी भी देश के साथ अमेरिका, रूस या चीन के संबंधों पर वीटो नहीं चाहते हैं, या प्रयोग कर सकते हैं। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हमारी भागीदारी कठिन परिस्थितियों में भी अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने की हमारी इच्छा को दर्शाती है।
यह हमारे राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा स्थान को बढ़ाता है। सभी देशों के साथ जुड़ने की स्थिति में होने से उन सभी के लिए भारत का मूल्य बढ़ जाता है, क्योंकि कोई भी इसे हल्के में नहीं ले सकता। बेशक, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि रूस और चीन के अमेरिका के साथ संबंधों में तेज गिरावट के संदर्भ में ब्रिक्स मंच सामान्य रूप से अमेरिकी नीतियों को लक्षित करने के लिए एक नहीं बन जाता है।
शिखर सम्मेलन के अवसर पर जारी संयुक्त वक्तव्य ठीक यही करता है। इसका ध्यान उन मुद्दों पर है, जिन पर आम सहमति है, प्रत्येक देश विवादास्पद बने बिना अपने अंतर्राष्ट्रीय एजेंडे के कुछ हिस्सों को सम्मिलित करने में सक्षम है। जैसा कि अपरिहार्य है, इसमें उच्च ध्वनि वाले अभिप्राय और दावे शामिल हैं जो हमेशा वास्तविकता से पैदा नहीं होते हैं।
ब्रिक्स की भावना में आपसी सम्मान और समझ, समानता, एकजुटता, खुलापन, समावेशिता और आम सहमति है और यह कि ब्रिक्स देशों ने आपसी विश्वास को मजबूत किया है और लोगों से लोगों के बीच सहयोग जमीन पर परिलक्षित नहीं होता है।
उदाहरण के लिए, भारत-चीन संबंधों में ऐसा नहीं है, या जहां तक रूस का संबंध है, लोगों से लोगों का सहयोग पिछड़ गया है। यह कहना कि कोविड-19 महामारी के बावजूद ब्रिक्स देशों ने संयुक्त रूप से शांति और सुरक्षा को बढ़ाया है, इस तथ्य के सामने भी उड़ जाता है कि भारत के खिलाफ चीनी आक्रमण तब हुआ जब भारत में महामारी अभी भी व्याप्त थी।
फिर से अंतर्राष्ट्रीय कानून और एक प्रणाली को बनाए रखने के माध्यम से बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्धता का दावा करना, जिसमें संप्रभु राज्य शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सहयोग करते हैं, लद्दाख में यथास्थिति को बहाल करने के लिए चीन की अनिच्छा को देखते हुए विडंबनापूर्ण लगता है।
वैश्विक शासन के उपकरणों को अधिक समावेशी और प्रतिनिधि बनाने की मांग भी सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए चीन के विरोध के साथ वर्ग नहीं करती है, जिस पर यह सूत्रीकरण कि चीन और रूस ने ब्राजील की स्थिति और भूमिका के महत्व को दोहराया, भारत और दक्षिण अफ्रीका ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में और संयुक्त राष्ट्र में एक बड़ी भूमिका निभाने की उनकी आकांक्षा का समर्थन किया, जो इसके संरक्षण के स्वर के अलावा रूस की अपनी स्थिति को द्विपक्षीय रूप से भारत की उम्मीदवारी का पूरी तरह से समर्थन करने की स्थिति को कमजोर करता है।
लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर दोनों देशों के दृष्टिकोण पर बीजिंग में 4 फरवरी, 2022 के पुतिन-शी के संयुक्त बयान में सूत्रीकरण को स्पष्ट रूप से ब्रिक्स संस्करण में उठाया गया था, जिसका मकसद था प्रचार, रक्षा और गैर-चयनात्मक, गैर-राजनीतिक और रचनात्मक तरीके से और दोहरे मानकों के बिना मानवाधिकारों को पूरा करना।
(यह आलेख इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रस्तुत है) (आईएएनएस)
नक्सल बैनर और वॉकी-टॉकी भी बरामद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 25 जून। सुकमा जिले में एक बार फिर से नक्सलियों के मंसूबे नाकाम हुए हैं। सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए नक्सलियों ने विस्फोटक लगा रखा था, उसे सुरक्षाबल के जवानों ने सूझबूझ से बरामद कर सुरक्षित तरीके से निष्क्रिय कर एक बड़ी घटना को रोक दिया है। इसकी पुष्टि सुकमा एसपी सुनील शर्मा ने की है।
मामला सुकमा जिले के चिंतलनार थाना क्षेत्र अंतर्गत पूनम पाल इलाके का है, जहां 5 किलो का विस्फोटक (आईईडी) कोबरा 206 वाहिनी के जवानों द्वारा उस वक्त बरामद किया गया, जब कोबरा के जवान उस इलाके में सर्चिंग पर निकले हुए थे।
नक्सलियों ने पहले से ही सर्चिंग वाले इलाके में आईईडी लगा रखा था, लेकिन इससे पहले कि कोई बुरी घटना होती, जवानों के हाथ वह आईईडी लग गई। बीडीएसकी टीम ने बम को खोज कर प्रक्रिया के तहत विस्फोट कर निष्क्रिय कर दिया।
इसके साथ ही मौके से वॉकी टॉकी सेट, इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर, कैमरा फ्लैश, 12 वोल्ट की बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक वायर, माओवादियों के बैनर और साहित्य के साथ-साथ विस्फोटक सामग्री व दैनिक उपयोगी सामग्री भी बरामद की गई। उक्त संयुक्त कार्रवाई कोबरा 201 बटालियन व डीआरजी के जवानों की है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 25 जून। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा के अब तक कुलपति रहे प्रोफेसर अशोक सिंह की याचिका पर यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया है और 8 जुलाई को अगली सुनवाई तय की है।
प्रोफेसर सिंह ने कुलाधिपति सचिवालय से प्रोफेसर रोहिणी प्रसाद को कुलपति का चार्ज देने के संबंध में जारी पत्र को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।
यथास्थिति के संबंध में विश्वविद्यालय के कुलसचिव को बताना होगा कि वर्तमान में कुलपति का प्रभार किसके पास है। जिस दिन प्रोफेसर रोहिणी प्रसाद चार्ज लेने के लिए पहुंचे थे, उस दिन कुलपति कक्ष का ताला लगाकर प्रोफेसर अशोक सिंह विश्वविद्यालय से निकल गए थे। तब कहां जा रहा है कि प्रोफेसर प्रसाद ने कुलसचिव से प्रभार ग्रहण किया था।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 25 जून। जांजगीर चांपा जिले के पिहरीद गांव में 60 फीट गड्ढे में 105 घंटे फंसे रहने के बाद सफलतापूर्वक बाहर निकाले गए राहुल साहू की तबीयत अब पूरी तरह ठीक हो गई है। आज सुबह उसे अपोलो अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
उन्हें विदा करने के लिए बिलासपुर के कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर, एसएसपी पारुल माथुर और अनेक कांग्रेस नेता अपोलो पहुंचे। वहीं अपने साथ ले जाने के लिए जांजगीर-चांपा जिले के कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला व अन्य अधिकारी भी आए थे। कल शाम आईजी रतनलाल डांगी ने अपोलो अस्पताल पहुंचकर डॉक्टरों से उसके स्वास्थ्य की जानकारी ली थी। राहुल साहू के माता-पिता और गांव से बहुत से लोग अपोलो अस्पताल में उसे लेने के लिए पहुंचे हुए थे। बिलासपुर से 10 दिन बाद स्वस्थ होकर लौट रहे राहुल के लिए साइकिल, मिठाईयां, खिलौने सहित कई उपहार भी दिए गए हैं।
ज्ञात हो कि राहुल साहू को एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और नगर सेना के जवानों ने 105 घंटे के अथक परिश्रम के बाद बाहर निकाल लिया था। इस दौरान राहुल ने जीवटता के साथ उसने इस कठिन हालात का सामना किया, जबकि लोग हजारों की संख्या में वहां मौजूद रहकर उसकी सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे थे। जब वह बाहर निकाला गया तो उसकी तबीयत बहुत खराब थी। उसकी मांसपेशियां अकड़ गई थी और कई स्थानों पर चोट भी थी। उसे तुरंत रात में ही अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। तब से अपोलो अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर इंदिरा मिश्रा, चीफ फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. विक्रम कुमार और डॉक्टरों तथा स्टाफ की टीम उसके इलाज में जी-जान से जुटे रहे।
खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार उसके स्वास्थ्य की जानकारी लेते रहे। वे स्वयं राहुल से मिलने अपोलो पहुंचे थे। जिला प्रशासन भी लगातार राहुल के स्वास्थ्य की प्रगति की जानकारी ले रहा था। जब पेशियों और नसों की अकडऩ लगभग ठीक हो गई तो उसकी फिजियोथेरेपी शुरू की गई, जो 3 दिन चला। पहले दिन राहुल दो चार कदम सहारे से चला, फिर उसके बाद वह अपने पैरों से खुद चलने लग गया है। आज 10 दिन बात वह पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर के लिए रवाना हो गया। डॉक्टरों ने उसे विटामिन की कुछ गोलियां दी हैं। उसके परिवार वालों को राहुल के लिए व्यायाम और एक्सरसाइज के टिप्स दिए हैं। डॉक्टरों ने परिजनों से कहा है कि स्वास्थ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी नजर आने पर वे तुरंत संपर्क करें और उसे फिर से अपोलो हॉस्पिटल ले आए।
अमेरिका में दशकों से ठप पड़ा श्रम आंदोलन नई अंगड़ाई ले रहा है. शिकागो में हुए मजदूर सम्मेलन में नेता इस बात को सुनिश्चित करते दिखे कि उनका आंदोलन शिगूफा नहीं, वाकई एक नई करवट है.
डॉयचे वैले पर टेडी ओस्ट्रो की रिपोर्ट-
वैश्विक महामारी से हाशिए पर धकेले गए और 2020 में पुलिस विरोधी हिंसा से हरकत में आए अमेरिकी मजदूर अपने नियोक्ताओं के प्रति ज्यादा मुखर हुए हैं. दशकों से ऐसा नहीं देखा गया था. अमेरिका में संगठित श्रम की मुख्यधारा के बाहर के संगठनों और देश के सबसे ताकतवर संगठनों के भीतरी सुधार आंदोलनों के जरिए मजदूर तेजी से सक्रिय होने लगे हैं.
मजदूर संगठनों के 4000 कार्यकर्ता, सदस्य और समर्थक पूरे जोशोखरोश के साथ शिकागो में 17 से 19 जून को हुई लेबर नोट्स कांफ्रेंस में जुटे थे.
स्टारबक्स बरिस्ता के कर्मचारी और स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड से जुड़ी काइला क्ले का कहना है, "मेरे ख्याल से यूनियन कोई ऐसा शब्द नहीं, जिसे अपने काम की जगहों पर बोलने में हम हिचकिचाएं या डरें, इस शब्द को ऐसी वर्जना से मुक्त करने का यह एक अवसर हमारे पास है."
जकड़न से निकलने का समय
अमेरिकी श्रम आंदोलन 1980 के दशक से पतन का शिकार रहा है. लेकिन पिछले दो साल के दौरान, अमेरिकी श्रम शक्ति में कुछ हरकत दिखनी शुरू हुई थी. सीयूएनवाई स्कूल ऑफ लेबर ऐंड अर्बन स्टडीज में प्रोफेसर स्टीफानी लूस ने सम्मेलन में कहा, "मैं पिछले 30 साल से श्रम मामलों का अध्ययन करती आ रही हूं, लेकिन अपने कार्यस्थलों पर हक की लड़ाई के लिए तत्पर मजदूरों में मैंने दिलचस्पी और उत्साह का ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा."
अमेरिकी सर्वेक्षण एजेंसी गैलप के मुताबिक 1965 के बाद पहली बार मजूदर यूनियनों ने अपार लोकप्रियता हासिल की है. अमेरिका में धड़ाधड़ यूनियन बनने लगी हैं. जॉन डियरे, केलॉग्स और नाबिस्को जैसी निजी सेक्टर कंपनियों में हाल की हड़तालों को मिली सफलता को देखते हुए उन्हें स्ट्राइकटोबर नाम दिया है. इससे ये संकेत भी मिलता है कि मजदूरों के बीच कार्यस्थलों पर आंदोलन में भागीदारी को लेकर नई इच्छा पैदा हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी, "इतिहास में सबसे ज्यादा प्रो-यूनियन राष्ट्रपति होने और सबसे ज्यादा प्रो-यूनियन सरकार चलाने" का अपना इरादा जाहिर कर चुके हैं.
असंगठित मजदूर भी आगे बढ़ रहे हैं. सांगठनिक लिहाज से पहले दुष्कर समझे जाने वाले स्टारबक्स, अमेजन और एपल जैसे संस्थानों में मजदूरों ने जबरदस्त जीत हासिल की है. स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड से जुड़े मजदूरों ने 35 राज्यों के करीब 300 स्टोरों में हुए यूनियन चुनावों में 150 से ज्यादा पर जीत हासिल की.
मई में न्यूयार्क सिटी में 8300 कर्मचारियों वाले स्टेटन आइलैंड गोदाम पर अमेजन के मजदूरों ने यूनियन बनाने के लिए वोट डाले. उनके इस कदम से समूचा श्रम आंदोलन चकित रह गया. यूनियन का सफल आयोजन अमेरिकी श्रम आंदोलन में मील का पत्थर माना जाता है. हालांकि कंपनी चुनावी नतीजों को चुनौती दे रही है.
स्टेटन आईलैंड गोदाम में तैनात और अमेजन लेबर यूनियन के एक आयोजक और अमेजन के कर्मचारी विल वाइस का कहना है कि, "चुनाव के बाद हफ्तों तक जबरदस्त उल्लास का माहौल था." मजदूर यूनियन कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि स्टारबक्स और अमेजन में हासिल हुई जीतों से देश भर के उद्योगों में श्रमिकों को संगठित करने का हौसला मिलेगा. और अपने अपने सेक्टरो में श्रम मापदड भी बेहतर हो सकेंगे. एएलयू अध्यक्ष क्रिस स्मॉल्स ने मजदूर सम्मेलन के मुख्य सत्र में हजारों की तादाद में आए श्रोताओं से कहा, "हमने एक कॉन्ट्रेक्ट जीता है, अंदाजा लगाइए कि देश में दूसरे कांट्रेक्ट कितने ज्यादा बेहतर हो जाएंगे?"
बदली हुई दुनिया में बदलता हुआ आंदोलन
श्रम विशेषज्ञों ने महामारी के दौरान कर्मचारियों और मजदूरों के खिलाफ नियोक्ताओं के अक्सर घातक दुर्व्यवहार को रेखांकित किया है. लूस के मुताबिक महामारी ने रही सही कसर पूरी कर दी. "महामारी ने लोगों को वास्तव में किनारे पर धकेल दिया. उन्हें ये कहने पर मजबूर कर दिया कि बस बहुत हुआ, अब और नहीं सहा जाता. जिंदगी को कितना दांव पर लगाएं, कितनी कमर तोड़ें."
सीयूएनआई में लूस के सहकर्मी, और अर्बन स्टडीज के प्रोफेसर समीर सोन्टी ने भी ये इशारा किया कि असामान्य रूप से कड़ा श्रम बाजार शायद कार्यस्थल को लेकर लोगों में जोखिम उठाने की प्राथमिकताएं बदल रहा है. खासतौर पर सर्विस और हॉस्पिटेलिटी सेक्टरों में, मजदूरों के लिए, काम छोड़ना और दूसरा पकड़ना, आसान हो चला है.
इस तरह, लाखों मजदूरों के नौकरी बदलने और मूल रूप से "द ग्रेट रेजिगनेशन" यानी "बड़ा इस्तीफा" कहे जाने वाले, पिछले साल के कथित महा फेरबदल के जरिए मजबूत होते श्रम आंदोलन को समझा जा सकता है.
वाइस के मुताबिक मजदूरों के और सक्रिय होने की एक वजह, 2020 का ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन है. काले लोगों की जिंदगियों की अहमियत की याद दिलाते इस आंदोलन में लाखों लोग जॉर्ज फ्लॉयड, ब्रिओना टेलर, अहमद आर्बरी और दूसरे कई लोगों की हत्याओं की भर्त्सना करते हुए सड़कों पर उतर आए थे. वो कहते हैं, "उस आंदोलन ने मजदूरों की चेतना को निश्चित रूप से झकझोर दिया."
बोस्टन में स्टारबक्स यूनियन खड़ी करने वाली प्रमुख श्रमिक आयोजक काइला क्ले की दलील है कि यह आंदोलन 2020 से भी आगे का है. "जो लोग आज संगठित हो रहे हैं, वे सारे लोग...हम लोग आर्थिक महामंदी का हिस्सा रहे हैं, महामारी का हिस्सा रहे हैं...हम लोग ग्लोबल वॉर्मिंग को देख रहे हैं. हम लोगों ने जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या देखी है. हम लोग इन वाकई भयानक अनुभवों का हिस्सा रहे हैं. ये तमाम चीजें आपस में जुड़ी हैं, एकदूसरे से गुंथी है, हमें इन्हें ऐसे ही देखना होगा. और मेरे ख्याल से यूनियनों का गठन, ऐसा करने का एक तरीका है."
अपरंपरागत संघवाद
अमेरिका में, बड़ी यूनियनों के अभियान, विशुद्ध रूप से टॉप डाउन कोशिशें रही हैं. इसमें असगंठित मजदूर यूनियन स्टाफ आयोजकों के पीछे चलते हैं. हाल की सबसे उत्साहजनक जीतों ने इस संबंध को उलट दिया है. यूनियन स्टाफ, कार्यस्थल पर यूनियनों के आयोजन के मामले में मजदूरों के नक्शेकदम पर चलता है.
वाइस बताते हैं कि स्टेटन आइलैंड स्थित अमेजन के ठिकाने में यूनियन की जीत, मजदूरों की बदौलत ही मुमकिन हुई. "वे एक दूसरे से संवाद में शामिल रहे. जबरदस्ती की बैठकें नहीं हुईं."
कैप्टिव ऑडियंस वाली बैठकें कर्मचारियों के लिए बाध्यकारी होती हैं. इन बैठकों में नियोक्ता यूनियनों के बारे में अपनी राय जाहिर करते हैं, और इसमें अक्सर, भाड़े के यूनियन विरोधी परामर्शदाताओं की मदद ली जाती है. ऐसी बैठकों में मजदूरों की ओर से सूचना या जानकारी में गड़बड़ी की ओर इशारा करना या अपनी प्रो-यूनियन भावना को जाहिर करना एक बड़ा वरदान साबित हुआ.
वाइस ने अंतराल कक्षों में यूनियन नेताओं की उपस्थिति की अहमियत पर भी जोर दिया. "इससे हमें मजदूरों से बात करने का अवसर मिला, यह भी हम उन्हें समझा पाए कि यूनियन के पक्ष में होने का मतलब यह नहीं कि आपको नौकरी से निकाल दिया जाएगा."
एएलयू और स्टारबक्स में कई यूनियन नेताओं की तरह, क्ले एएएलयू की कोशिशों के बारे में कुछ नहीं जानती थी. "एक लिहाज से मैं वाकई खुश हूं कि मेरे पास कोई अनुभव नहीं था, क्योंकि मैंने अपने सहज-ज्ञान का सहारा लिया. और हम सब अभी यही कर रहे हैं. मजदूरों से और सहकर्मियों से अपनी समझ के सहारे ही बात कर रहे हैं."
स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड, स्वतंत्र नहीं है. लेकिन उसकी पेरंट यूनियन वर्कर्स यूनाइटेड, इरादतन मजदूरों के पीछे रहती है, आगे नहीं. और इस तरह अगुवाई करने के बजाय ज्यादातर संसाधन ही मुहैया कराती है. यूनियन को मजदूर से मजदूर वाले तरीके से सफलता मिली है. एएलयू की तरह, उसके मजदूर भी कैप्टिव ऑडियंस वाली बैठकों को बाधित करते हैं और यूनियन को तोड़ने वाली हरकतों से जूझ रहे अपने साथी कामगारों की मदद करते हैं.
पुराना बदलकर नया हुआ
मजदूर सम्मेलन में शामिल लोग, अमेरिका की दो सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली यूनियनों में प्रमुख बदलावों के सूत्रधार भी बने.
नवंबर 2021 में टीमस्टर्स यूनियन के सदस्यों ने ज्यां ओ ब्रायन और उनके टीमस्टर्स यूनाइटेड उम्मीदवारों को चुना था. ओ ब्रायन ने 13 लाख सदस्यों वाली यूनियन को नियोक्ताओं के प्रति संतोषी और विनीत रवैये से बाहर निकालने, आम सदस्यों के सम्मेलनों को प्राथमिकता देने, और 2023 तक के कांट्रेक्ट वाले यूपीएस कामगारों समेत बेहतर सामूहिक मोल-भाव समझौतों पर जोर देने का वादा किया है.
दिसंबर 2021 में यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स यूनियन ने भी अपने 87 साल के इतिहास में एक अहम बदलाव देखा. यूनियन नेतृत्व के खिलाफ सालों से लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से उत्साहित होकर, सदस्यों ने यूनियन नेतृत्व के चुनावों के लिए एक सदस्य एक वोट नीति के पक्ष में हुए जनमत-संग्रह में पूरे जोरशोर से भाग लिया.
इस विषय पर हुए पैनल डिस्कशन में, फोर्ड कंपनी के एक मजदूर स्कॉट हाउलडिसन ने कहा कि नई प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली का मतलब है कि तमाम साधारण कार मजूदरों का पक्ष वार्ताओं में बेहतर होगा और करीब चार लाख सदस्यों वाली यूनियन को एक ज्यादा व्यापक दिशा हासिल होगी.
आगे की मुश्किलें
आंदोलन के पक्ष में सकारात्मक संकेतों के बावजूद अमेरिका में श्रम अपेक्षाकृत रूप से कमजोर है और उसके सामने बहुत सारी राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियां हैं. श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक यूनियन के घनत्व में गिरावट बरकरार है. 2021 मे ये गिरकर 10.3 प्रतिशत हो गया था, जबकि 1954 में यह घनत्व 35 फीसदी हुआ करता था.
संगठित होने के अधिकार की हिफाजत का कानून, अमेरिकी मजदूर आंदोलन की उम्मीदों का नगीना है. यह कानून आ गया तो सामूहिक मोल-भाव के अधिकारों में विस्तार से संघीकरण के दरवाजे पूरे खुल जाएंगे, सारे अवरोध खत्म हो जाएंगे, और यूनियन चुनावों में पहुंच मजबूत हो जाएगी. वैसे राष्ट्रपति बाइडन बिल का समर्थन करते हैं लेकिन उसके समर्थकों और प्रस्तावकों के पास कांग्रेस में उसे पास कराने के लिए पर्याप्त वोट नहीं हैं.
हाल के इतिहास में एक प्रमुख राजनीतिक हार, 2018 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला था जिससे पब्लिक सेक्टर की यूनियनों को तगड़ा झटका लगा. फैसले के तहत कर्मचारियों को यूनियन की फीस या बकाया न देने की छूट दे दी गई थी. दूसरी बड़ी हार 2020 में हुई जब कैलिफॉर्निया में अस्थायी कामगारों को बहुत सारे लाभों और अधिकारों से वंचित कर दिया गया.
और आखिर में, एक आर्थिक मंदी श्रम-जगत के हाल के फायदों को चोट पहुंचा सकती है. सोन्टी कहते हैं, "मंदी के माहौल में संगठित होने, हड़ताल करने या अच्छे कांन्ट्रेक्ट के लिए मोलभाव करना और कठिन होता जाएगा." वह इस ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि कैसे महामारी ने लोगों की सहन-शक्ति को गहराई से प्रभावित किया है.
लूस के मुताबिक अमेरिका में श्रम की स्थिति बुरी है, श्रम कानून कमजोर हैं और उन्हें लागू करना भी कठिन है. "हो यह रहा है कि लोग आखिरकार मुखर होकर कहने लगे हैं. 'यह लीजिए.'" और शिकागो के मजूदर सम्मेलन में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच समॉल्स ने ललकार भरी कि गर्मियों का मौसम एक "प्रचंड मजदूर गर्मी " का मौसम होगा. (dw.com)
बेतहाशा और अनियमित बारिशों के चलते बांग्लादेश के कई हिस्से विनाशाकारी बाढ़ की चपेट में हैं. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि देश को इस तबाही से फौरन राहत मिलने की उम्मीद नहीं है.
डॉयचे वैले पर जोबेर अहमद की रिपोर्ट-
बांग्लादेश के कई इलाके पिछले कुछ दिनों से विनाशकारी बाढ़ से घिरे हैं. अब तक 36 लोगों की मौत हो गई है और हजारों लाखों लोग बेघर हो चुके हैं. देश के 64 में से कम से कम 17 जिले प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए थे. कई इलाकों मे बिजली भी गुल हो गई थी. ज्यादातर प्रभावित जिले उत्तर और पूर्वोत्तर सिलहट इलाके में हैं.
आने वाले दिनों में और अधिक वर्षा का अनुमान लगाया गया है. इसे देखते हुए बांग्लादेश के बाढ़ भविष्यवाणी और चेतावनी केंद्र ने मंगलवार को आगाह किया कि देश के उत्तरी इलाकों में जलस्तर खतरनाक ऊंचाई पर बना रहेगा. प्रभावित इलाकों में कई लोग भोजन, पीने के पानी और दूसरी अनिवार्य जरूरतों को हासिल करने के लिए जूझ रहे हैं. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि पीने के पानी को साफ करने वाली गोलियां पहुंचाने के लिए चिकित्सा दल बाढ़ प्रभावित इलाकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
भोजन और पानी की किल्लत
बांग्लादेश के आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे बाढ़ग्रस्त लोगों के लिए खाना और पीने का पानी पहुंचाने के लिए पुरजोर कोशिशों मे जुटे हैं. लेकिन कुछ प्रभावितों का कहना है कि सरकारी मदद सुस्त और नाकाफी है.
सिलहट और सुनामगंज क्षेत्रों में काम कर रहीं वॉलन्टियर नफीसा अंजुम खान ने डीडब्ल्यू को बताया कि "दूरदराज के इलाकों में लोगों को कुछ नहीं मिल पा रहा है. सात दिन से मैं उन इलाकों में काम करती आ रही हूं लेकिन मैंने किसी स्थानीय अधिकारी को उन इलाकों तक सहायता सामग्री पहुंचाने की कोशिश करते हुए नहीं देखा है." उनका कहना है कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में काम कर रहे समूह ही लोगों को सूखा भोजन दे पा रहे हैं जो काफी नहीं है. "लोग पके हुए खाने के लिए तड़प रहे हैं. बच्चों का खाना भी नदारद है."
संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी, यूनिसेफ ने कहा है कि बांग्लादेश की आपातस्थिति से निपटने के लिए उसे 25 लाख डॉलर की तत्काल जरूरत है. संस्था के मुताबिक बाढ़ग्रस्त इलाकों में पानी साफ करने वाली गोलियां, आपात चिकित्सा सामग्री और पानी के बर्तन पहुंचाने के लिए, वह सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है. यूनिसेफ ने एक बयान में कहा, "16 लाख बच्चों समेत 40 लाख लोग पूर्वोत्तर बांग्लादेश में बाढ़ से घिरे हुए हैं और उन्हें मदद की तत्काल जरूरत है."
जलवायु संकट से त्रस्त रहा है बांग्लादेश
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और ऐसी प्राकृतिक विपदाओं का मुकाबला करने के लिए बेहतर तैयारियों पर जोर दिया. दौरे से लौटकर ढाका में एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि, "लंबे समय से हमने इस तरह का संकट नही देखा है. ऐसी विपदाओं से निपटने के लिहाज से बुनियादी ढांचा खड़ा किया जाना चाहिए."
हसीना ने ये भी कहा कि देश को इस संकट से फौरन निजात तो नहीं मिल पाएगी. उनके मुताबिक पूर्वोत्तर से बाढ़ का पानी जल्द ही घट जाएगा लेकिन बाढ़ फिर बंगाल की खाड़ी की ओर, दक्षिणी इलाके को अपनी चपेट में लेगी. उन्होंने कहा, "हमे उससे मुकाबले की तैयारी करनी चाहिए. हम लोग ऐसे भूभाग में रहते हैं जहां अक्सर बाढ़ आती है और ये बात हमें अपने ध्यान में रखनी होगी. हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए."
बांग्लादेश को दुनिया के सबसे ज्यादा जलवायु-पीड़ित देशों में एक माना जाता है. ऐसी आपदाओं का सबसे ज्यादा असर गरीबों पर ही पड़ता है. भारत के मेघालय राज्य की पहाड़ियों से बहकर पहुंचे बारिश के पानी से मौजूदा संकट और विकट हुआ है. मौसिनराम और चेरापूंजी जैसे दुनिया के सबसे गीले इलाकों में से कुछ इलाके मेघालय में हैं. सरकारी डाटा के मुताबिक दोनों जगहों पर रविवार को 38 इंच से ज्यादा बारिश हुई थी.
बांग्लादेश की इंजीनियरिंग और टेक्नोलजी यूनिवर्सिटी के जल और बाढ़ प्रबंधन संस्थान में प्रोफेसर जीएम तारेकुल इस्लाम कहते हैं कि बाढ़ लाने वाली इन अनियमित, बेतहाशा और समय पूर्व बारिशों के पीछे जलवायु संकट एक कारक है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "भारत के चेरापूंजी और दूसरे इलाकों में अनियमित बारिश इस बाढ़ का प्रमुख कारण है. ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से जलवायु बदली है और बारिश का पैटर्न भी. अब हम लोग देख रहे हैं कि भारी बारिश बहुत ज्यादा होने लगी है."
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की पिछले अगस्त में प्रकाशित छठी आकलन रिपोर्ट में भी बताया गया है कि 1950 के दशक से भारी वर्षा की घटनाएं ज्यादा होने लगी हैं. इस बदलाव को रिपोर्ट में मानव जनित जलवायु परिवर्तन से जोड़ा गया है.
विकट हालात के दूसरे कारण
प्रोफेसर इस्लाम कहते हैं कि बाढ़ इस क्षेत्र के लिए नई बात नहीं है लेकिन जलवायु परिवर्तन ने मॉनसून को पिछले दशकों में ज्यादा अस्थिर बना दिया है. नतीजतन भारी बारिश के बीच सूखे की लंबी अवधियां भी पड़ने लगी हैं.
वह बताते हैं, "ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ज्यादा से ज्यादा जलीय वाष्प, बादलों के रूप में आकाश में जमा हो जाता है, जब बारिश गिरती है तो ऊपर जमे वाष्प को भी अपने साथ ले आती है. इसलिए बारिश ज्यादा अनियमित और ज्यादा भारी हो जाती है. इसका मतलब यह है कि मॉनसून की पूरी अवधि के दौरान हमें औसत बारिश नहीं मिलती, बल्कि हम मूसलाधार बारिश की छोटी छोटी अवधियों का सामना करते हैं."
बाढ़ की अत्यधिक तीव्रता के लिए, जानकार दूसरे कारणों को भी जिम्मेदार मानते हैं. जैसे कि खनन गतिविधियों में इजाफा और भारतीय क्षेत्र में जंगलों की कटाई. प्रोफेसर इस्लाम कहते हैं, "जब पत्थरों की खुदाई की जाती है और पेड़ काटे जाते हैं तो पानी के निचले इलाकों की ओर बहने की रफ्तार भी तेज हो जाती है. इसीलिए हम देखते हैं कि पानी तेजी से बहता आता है और नदियां उफनने लगती हैं. इससे नदी का आकार भी बदल जाता है. पानी के साथ बहकर आने वाली अतिरिक्त गाद, नदी के तल पर जमा होकर बाढ़ की तीव्रता बढ़ा देती है." (dw.com)
वैज्ञानिकों को एक ऐसा बैक्टीरिया मिला है जिसे नंगी आंख से देखा जा सकता है. यह जीवाणु अब तक का सबसे बड़ा ज्ञात जीवाणु है.
वैज्ञानिकों को कैरेबिया के दलदली जंगलों में एक बैक्टीरिया मिला है जिसे जीवाणुओं का माउंट एवरेस्ट कहा जा रहा है. इसका आकार आंख की पलक के बाल जितना है. इसे नंगी आंख से देखा जा सकता है जो इसे अद्भुत बनाता है और वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि पृथ्वी की सबसे प्राचीन जीवित चीज के बारे में इंसानी समझ को नई दिशा मिल सकती है.
गुरुवार को वैज्ञानिकों ने बताया कि थियोमार्गरीटा मैग्नीफीसा की विशेष बात सिर्फ इसका आकार नहीं है बल्कि इसका अंदरूनी ढांचा भी अन्य जीवाणुओं से अलग है. आमतौर पर जीवाणुओं में डीएनए कोशिकाओं के अंदर तैर रहा होता है लेकिन थियो के डीएनए में छोटी-छोटी झिल्लियां हैं.
वोलांद कहते हैं कि अब तक ऐसे मात्र दो जीवाणुओं का पता था जिनका डीएनए एक झिल्ली के भीतर रहता है. शोध ने दिखाया कि थियोमार्गारीटा मैग्नीफीसा ने समय के साथ साथ कुछ जीन खोए भी हैं, जो कि कोशिकाओं के विभाजन के लिए जरूरी होते हैं.
2009 से जारी है खोज
अमेरिकी ऊर्जा विभाग के जीनोम इंस्टीट्यूट और लैबोरेट्री ऑफ रिसर्च इन कॉम्पलेक्स सिस्टम्स ने संयुक्त रूप से यह शोध किया है. समुद्र-जीव विज्ञानी ज्याँ-मारी वोलांद बताते हैं कि थियो एक आम जीवाणु से एक हजार गुना बड़ा है. शोध प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस में प्रकाशित हुआ है. शोध के मुताबिक बैक्टीरिया कैरेबियन सागर में कई स्थानों पर मिला है. सबसे पहले इसे फ्रांसीसी द्वीप ग्वादेलूपे में एक फ्रांसीसी माइक्रोबायोलॉजिस्ट ओलिवर ग्रोस ने देखा था.
एंटील्स यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले ग्रोस बताते हैं, "में मुझे दलदल में डूबे एक मैंग्रोव पत्ते से लिपटा सफेद फिलामेंट मिला. मुझे यह फिलामेंट बड़ा दिलचस्प लगा तो मैं उसे लैब में ले आया. ग्वादेलूपे के मैंग्रोव में इतना विशाल बैक्टीरिया देखना मेरे लिए बड़ा अचंभा था."
एक आम बैक्टीरिया एक से पांच माइक्रोमीटर लंबा होता है. यह बैक्टीरिया 10,000 माइक्रोमीटर लंबा है. कुछ थियोमार्गरीटा तो इससे दोगुने लंबे भी हैं. वोलांद कहती हैं, "बैक्टीरिया की अधिकतम लंबाई के बारे में हमारे अनुमानों से यह बहुत, बहुत ज्यादा लंबा है. ये उतने ही लंबे हैं जितने कि आंख की पलक के बाल होते हैं." थियो से पहले अब तक का सबसे लंबा ज्ञात बैक्टीरिया 750 माइक्रोमीटर लंबा था.
अद्भुत है जीवन
जीवाणु ऐसे जीवित एक कोशिकीय ऑर्गेनिजम हैं जो पृथ्वी पर हर जगह मौजूद हैं. ये पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और इन्हें पृथ्वी पर सबसे पहली जीवित चीज माना जाता है. अरबों साल से ये बेहद साधारण ढांचे के साथ ही मौजूद रहे हैं. मनुष्य का शरीर अक्सर बैक्टीरिया के साथ मिलकर काम करता है. कुछ ही जीवाणु ऐसे हैं जो शरीर को बीमार कर सकते हैं.
वैसे, थियोमार्गरीटा से ज्यादा लंबा एक कोशिकीय जीव भी वैज्ञानिक खोज चुके हैं. एक समुद्री शैवाल कॉलेर्पा टैक्सीफोलिया को यह सम्मान हासिल है. यह 15-30 सेंटीमीटर तक लंबा होता है.
वोलांद कहते हैं कि इस बैक्टीरिया की खोज बताती है कि पृथ्वी पर मौजूद जीवन में कैसे अद्भुत और दिलचस्प रहस्य छिपे हुए हैं और खोजे जाने का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "जीवन अद्भुत है. बहुत विविध और बहुत जटिल. बहुत जरूरी है कि हम उत्सुक रहें और दिमाग खुले रखें."
वीके/एए (रॉयटर्स)
यहां भी कर रहे हैं वो लोग, ऐसे संकेत तो मिल रहे हैं-सीएम बघेल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 जून । सीएम भूपेश बघेल ने शनिवार को एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार अपनी जांच एजेंसियों के जरिए छत्तीसगढ़ में भी दबाव बना सकती है। उन्हें ऐसे संकेत मिल रहे हैं।
वे एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल से चर्चा कर रहे थे। यह पूछने पर कि यहां भी उन्हें ( केंद्रीय एजेंसियों) केस मिला है क्या? सीएम ने कहा-बिल्कुल।
महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार को लेकर चल रहे संकट पर सीएम बघेल चर्चा कर रहे थे। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में हुए प्रश्न पर बघेल ने कहा कि वो चुप तो बैठते नहीं हैं। सेंट्रल एजेंसियां यहां भी काम कर रही हैं। वो लगातार लगे हुए हैं। छोड़ तो वो किसी को नहीं रहे। राजस्थान में भी क्या हुआ, ईडी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा था सीएम गहलोत दिल्ली में थे, उसी दौरान उनके भाई के यहां सीबीआई का छापा पड़ गया। यहां भी कर रहे हैं वो लोग। यह संकेत तो मिल रहे हैं।
कुछ वर्ष पूर्व राज्य के कुछ अफसरों, कांग्रेस नेताओं और कारोबारियों के यहां आयकर के छापे पड़े थे। इसकी जांच अब तक चल रही है। वहीं कुछ महीने पहले ईडी ने दुर्ग के कारोबारी समेत नेताओं के यहां दबिश दी थी। इनकी भी दस्तावेजी जांच चल रही है। इनसे निकट का संबंध रखने वाले भी एजेंसियों के रडार में हैं।
इससे पहले महाराष्ट्र संकट पर उन्होंने कहा कि हर वो राज्य बीजेपी के रडार में है। जहां उसका शासन नहीं है। उसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं। हमारे पास उदाहरण भी है। चाहे मध्यप्रदेश, राजस्थान, गोवा, कर्नाटक, और अभी महाराष्ट्र में जिस प्रकार से खरीद-फरोख्त, धन-बल, बाहुबल का प्रयोग हुआ वो सब देश देख रहा है। जो सियासत की चाले चली जा रही है। देश देख रहा है। मैं नहीं समझता की ये प्रजातंत्र के लिए उचित है।
राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग से बचने रिजॉर्ट पॉलिटिक्स के प्रश्न पर सीएम ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में चाहे भाजपा हो या कांग्रेस अपने विधायकों को एक जगह रोककर रखते हैं। लेकिन महाराष्ट्र में तो सीधा-सीधा उठाकर ले जाना, पहले सूरत फिर गुवाहाटी ले गए। इसलिए मैं कह रहा हूं ये दूसरे तरह की घटना है। दोनों को जोड़ा नहीं जा सकता। इसमें भाजपा ने जिस प्रकार प्रजातंत्र की हत्या की कोशिश कर रही है।