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नयी दिल्ली, 10 जून। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र तथा भारतीय नर्सिंग परिषद को अकादमिक वर्ष 2021-22 के लिए दिल्ली में नर्सिंग पाठ्यक्रमों की खाली पड़ी सीटों को भरने के लिए अतिरिक्त ‘मॉप अप राउंड’ कराने का निर्देश देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली के नर्सिंग संस्थानों में करीब 110 सीटें खाली होने का हवाला देते हुए वर्ष 2021-22 के लिए नर्सिंग पाठ्यक्रमों में दाखिला प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल कॉलेज ऑफ नर्सिंग और एंजेला बीजू की याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
दिल्ली में नर्सिंग पाठ्यक्रमों के लिए दाखिले की प्रक्रिया अकादमिक सत्र 2021-22 के लिए 31 मार्च 2022 को खत्म होनी थी।
याचिकाओं में आरोप लगाया कि दो सरकारी नर्सिंग कॉलेजों के लिए समय सूची 31 मार्च से बढ़ाकर 15 मई तक कर दी गयी और अत: सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल कॉलेज ऑफ नर्सिंग को भी ऐसी राहत दी जा सकती है।
पीठ ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि दाखिला प्रक्रिया अनंत काल तक नहीं चल सकती है। (भाषा)
मुंबई, 10 जून। बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता नवाब मलिक की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए जेल से रिहा करने की अनुमति मांगी थी।
मलिक ने याचिका में कहा था कि या तो उन्हें बांड पर हिरासत से रिहा किया जाए या मतदान के लिए पुलिस के साथ विधान भवन जाने की अनुमति दी जाए।
न्यायमूर्ति पी. डी. नाइक की एकल पीठ ने कहा कि हालांकि, मलिक ने याचिका में ‘जमानत’ शब्द का उल्लेख नहीं किया है फिर भी उनकी याचिका का आशय जमानत की अनुमति ही था इसलिए उन्हें विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए अपील करनी चाहिए जिसने बृहस्पतिवार को मलिक को अस्थायी जमानत देने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि वह मलिक की याचिका को स्वीकार कर गलत उदाहरण पेश नहीं करना चाहता।
इसके साथ ही पीठ ने मंत्री के वकील अमित देसाई को याचिका में संशोधन करने और फिर समुचित राहत पाने की याचना करने की अनुमति दी। मलिक की याचिका को बृहस्पतिवार को विशेष अदालत ने खारिज कर दिया था जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया। (भाषा)
नयी दिल्ली, 10 जून। उच्चतम न्यायालय ने नीट-पीजी-2021 में 1,456 सीट को भरने के लिए विशेष काउंसलिंग कराने का अनुरोध करने वाली कई याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दी। अखिल भारतीय कोटा के लिए ‘स्ट्रे राउंड’ काउंसलिंग के बाद ये सीटें खाली रह गई हैं।
न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे जन स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि विशेष काउंसिलिंग न कराने का सरकार और मेडिकल काउंसिलिंग कमिटी (एमसीसी) का फैसला चिकित्सा शिक्षा और जन स्वास्थ्य के हित में है।
पीठ ने कहा, ‘‘जब भारत सरकार और एमसीसी ने काउंसिलिंग का कोई भी विशेष राउंड न कराने का सोच समझकर फैसला लिया है तो इसे मनमाना नहीं माना जा सकता।’’
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने बुधवार को शीर्ष न्यायालय को बताया था कि उसने नीट-पीजी-21 के लिए चार चरणों की ऑनलाइन काउंसलिंग की है और वह विशेष काउंसलिंग कराकर 1,456 सीट को नहीं भर सकता है क्योंकि सॉफ्टवेयर बंद हो गया है।
नीट-पीजी 2021-22 परीक्षा में बैठने वाले और अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) काउंसलिंग एवं राज्य कोटा काउंसलिंग के पहले और दूसरे चरण में भाग लेने वाले डॉक्टरों ने ये याचिकाएं दायर की थीं। (भाषा)
'दुनिया सोचे आईटी, तो नाम आए भारत का'. इसे मोटो बनाने वाले भारत के आईटी उद्योग संगठन, नैसकॉम ने जर्मनी में नए सहयोग समझौते किए हैं. वह जर्मनी के एसएमई उद्यमों के संगठन के साथ आईटी क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाएगा.
डॉयचे वैले पर ऋतिका पाण्डेय का लिखा-
मिटेलश्टांड यानि छोटे और मझोले आकार वाली कंपनियां जर्मन अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं. उनके प्रतिनिधि संगठन BVMW मिटेलश्टांड ने जर्मनी में डिजिटल तरक्की को बढ़ावा देने के लिए भारतीय आईटी सेक्टर के साथ हाथ मिलाया है. जर्मनी के हनोवर में होने वाले विश्व के सबसे बड़े सालाना औद्योगिक मेले के दौरान मिटेलश्टांड संगठन ने भारत के नैसकॉम के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
जर्मनी के विख्यात एसएमई सेक्टर के सामने बीते सालों में जल्द से जल्द डिजिटाइजेशन की ओर बढ़ने की चुनौती पेश आ रही है. घरेलू बाजार और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए इन कंपनियों को डिजिटल तौर तरीके अपनाने की जरूरत है. उद्योगों और नई तकनीकें विकसित करने के मामले में अग्रणी रहने वाला जर्मनी सॉफ्ट पावर यानि आईटी स्किल के मामले में भारत के साथ सहयोग को और गहरा बनाना चाहता है.
जर्मन राजधानी बर्लिन स्थित भारतीय दूतावास में मीडिया से बातचीत में जर्मन मिटेलश्टांड के कार्यकारी अध्यक्ष मार्कुस येर्गर ने इस नए सहयोग समझौते को स्थायी और दूरगामी संबंध स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम बताया और कहा कि "पहले ही कुछ ठोस कदमों की योजना बना ली गई है जिससे सदस्य कंपनियों को अलग अलग मौकों पर इस फ्रेमवर्क के अंतर्गत साथ लाया जाएगा." मार्कुस येर्गर ने बताया, "डिजिटल युग में जर्मन अर्थव्यवस्था की रीढ़ यानि मिटेलश्टांड के लिए यह बेहद जरूरी है कि वे अपने बिजनेस प्रोसेस इस तरह से डिजिटाइज करें कि वैश्विक बाजार में बने रहें. मुझे पूरा भरोसा है कि आईटी सेक्टर के भारतीय पार्टनर अपनी विशेषज्ञता और संसाधनों से इसमें मदद कर पाएंगे.”
जर्मनी में भारत के राजदूत पी हरीश ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विस्तार से कहा कि भारतीय आईटी उद्योग जर्मन कंपनियों के डिजिटाइजेशन में किस तरह की भूमिका निभा सकता है. इस समझौते के अंतर्गत निवेश, संयुक्त उपक्रमों और बिजनेस डेलिगेशनों के आने जाने को बढ़ावा दिया जाएगा. ऐसे कदमों से द्विपक्षीय संबंधों को गहरा और भरोसेमंद बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा सेमिनार, कॉन्फ्रेंस और रोड शो जैसे कार्यक्रम आयोजित करने की भी योजना है. हनोवर की ही तरह जर्मनी के दूसरे व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भी भारतीय आईटी कंपनियां शिरकत करेंगी और जर्मनी में कारोबारी संबंधों को बेहतर बनाएंगी.
नैसकॉम की अध्यक्ष देबयानी घोष ने इस समझौते के बारे में कहा, "एक ओर जर्मनी अत्याधुनिक रिसर्च, विकास और निर्माण के मामले में बेहतरीन है. वहीं भारत का तकनीक से जुड़ा एसएमई सेक्टर नई उभरती तकनीकों, क्लाउड तकनीक और डिजिटल तकनीक में दक्ष पेशेवरों की मदद से बहुत बड़े डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन से गुजरा है. ऐसे में यह दोनों ही देशों के छोटे और मझोले उद्योगों के लिए फायदे की साझेदारी साबित होनी चाहिए.”
भारतीय आईटी उद्योग को अपने आप में एक पावरहाउस की संज्ञा दी जाने लगी है. इसके दो मुख्य कारण भारी आर्थिक प्रभाव और लाखों लोगों को इस सेक्टर में मिला रोजगार है. वहीं जर्मन मिटेलश्टांड भी अपने आप में बहुत खास हैं. जर्मनी के इन करीब 30 लाख छोटे और मझौले उद्यमों में मिलने वाले रोजगार के कारण देश में बेरोजगारी की दर भी यूरोप के दूसरे देशों के मुकाबले भी काफी कम रही है. इन कंपनियों में मिलने वाला व्यावसायिक प्रशिक्षण एक तरह से नौकरी पाने की गारंटी है. देश के 10 में 8 ट्रेनी इन्हीं उद्यमों में ट्रेनिंग पाते हैं.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी का लिखा-
पर्यावरण और संरक्षण कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से अरुणाचल की इटालीन परियोजना को दी गई मंजूरी खत्म करने की अपील की है. पूर्वोत्तर में पनबिजली परियोजनाओं के लिए प्रस्तावित बांधों का काफी विरोध होता रहा है.
अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी में इटालीन पनबिजली परियोजना का बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया है. दरअसल, दिबांग नदी पर प्रस्तावित 3,097 मेगावाट क्षमता वाली इस परियोजना के लिए इलाके में 2.70 लाख पेड़ों को काटा जाना है. इस क्षेत्र में पक्षियों की करीब सात सौ प्रजातियां पाई जाती हैं. यह भारत में पाई जाने वाली पक्षियों की कुल प्रजातियों का लगभग आधा है. ऐसे में अगर पेड़ों की कटाई होती है तो उसका सीधा असर इन पर पड़ेगा. स्थानीय निवासियों व पर्यावरणविदों का कहना है कि दिबांग घाटी में इस परियोजना के अलावा दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना पहले से ही प्रस्तावित हैं. इनके निर्माण के बाद विस्तृत इलाका पानी में डूब जाएगा.
उक्त परियोजना का प्रस्ताव वर्ष 2008 में पेश किया गया था. लेकिन तमाम संगठनों के अलावा स्थानीय लोग उसी समय से इसका विरोध करते रहे हैं. सात संरक्षण कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति को हाल में भेजे एक पत्र में लिखा है कि इस परियोजना से पारिस्थितिकी और पर्यावरण संबंधी खतरे तो हैं ही, इसके अनुमोदन की प्रक्रिया में भी पारदर्शिता की कमी है.
समिति ने बीती 11 मई को अपनी बैठक में उक्त परियोजना को मंजूरी दी थी. बैठक में कहा गया था कि इटालीन परियोजना के खिलाफ उठाए गए तमाम मुद्दों को सुलझा लिया गया है. लेकिन पर्यावरण कार्यकर्ताओं की दलील है कि इस बयान के समर्थन में कोई दस्तावेजी सबूत नहीं दिए गए हैं. समिति ने कुछ तबकों की ओर से वन्यजीव और इलाके में वनस्पतियों की प्रजातियों के बारे में उठाई गई शंकाओं के समग्र समाधान के लिए एक चार-सदस्यीय समिति भी बनाई है.
समिति की उक्त बैठक के बाद गुवाहाटी स्थित गैर-सरकारी संगठन आरण्यक के फिरोज अहमद समेत कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने जैविक विविधता आकलन रिपोर्ट समेत कई मुद्दों पर चिंता जताई थी. उसी रिपोर्ट के आधार पर इस परियोजना को तमाम तरह की मंजूरी मिली है.
गर्व का प्रदर्शन
नील नदी पर 145 मीटर ऊंचा और करीब दो किलोमीटर लंबा बांध, GERD. पूरा नाम ग्रैंड इथियोपियन रेनेशॉं डैम. नदी के निचले इलाकों में बसे देशों की सहमति के बिना बन रहे इस बांध के लिए वर्ल्ड बैंक ने पैसा देने से इनकार कर दिया. लेकिन इथियोपिया ने क्राउडफंडिग के जरिए 4.8 अरब डॉलर के इस प्रोजेक्ट के लिए पर्याप्त पैसा जुटा लिया. बांध से 5,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने के लक्ष्य है.
अब सात संरक्षण कार्यकर्ताओं ने अपने पत्र में कहा है, "वन सलाहकार समिति को जैविक विविधता से भरपूर इस इलाके में पनबिजली परियोजना के लिए जंगल की जमीन के इस्तेमाल से बचना चाहिए.” इन लोगों में नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ के कई पूर्व सदस्यों के अलावा वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता भी शामिल हैं.
लंबा है बांधों के विरोध का इतिहास
पूर्वोत्तर भारत में बांधों के खिलाफ आंदोलन का लंबा इतिहास रहा है. वर्ष 1950 में भयावह भूकंप से असम की तबाही और ब्रह्मपुत्र के रास्ता बदलने के बाद इलाके में पहली बार बांधों की जरूरत महसूस की गई थी. इनका दूसरा मकसद सूखे के सीजन में सिंचाई के लिए पानी की सप्लाई और इलाके में बिजली की कमी को दूर करना था.
इनमें दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना और लोअर सुबनसिरी मेगा बांध परियोजना शामिल थी. लेकिन अरुणाचल व असम के सीमावर्ती इलाकों में इन दोनों का बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया. दशकों बाद अखिल असम छात्र संघ (आसू) ने 1985 में पहली बार संगठित रूप से अरुणाचल में प्रस्तावित बांधों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू किया. यह जल्दी ही आम लोगों के आंदोलन में बदल गया.
जून, 2008 में अरुणाचल के लोअर सुबनसिरी जिले में रंगानदी पर बने बांध से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण असम की तबाही के बाद यह आंदोलन और तेज हो गया. इस पानी को छोड़ने से पहले कोई चेतावनी भी जारी नहीं की गई थी. नतीजतन गर्मी के सीजन में आई भयावह बाढ़ से कम से कम दस लोगों की मौत हो गई और तीन लाख विस्थापित हो गए थे.
दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना के लिए भी लाखों पेड़ों को काटा जाना है और घाटी के कम से कम 39 गांवों को हटा कर दूसरी जगह बसाया जाना है. इसके लिए 1,165 हेक्टेयर जंगल साफ किए जाएंगे. यह इलाका इदु मिश्मी प्रजाति का घर और जैविक विविधता से भरपूर है.
वर्ष 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था. लेकिन इदु मिश्मी प्रजाति के लोगों के भारी विरोध के कारण नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन (एनएचपीसी) इसके निर्माण को आगे नहीं बढ़ा सका. भारी विरोध के कारण अगले पांच साल यानी वर्ष 2013 तक परियोजना का काम ठप रहा. बाद में आंदोलनकारियों को बल प्रयोग के जरिए दबा दिया गया और वर्ष 2015 में केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने इसे हरी झंडी दिखा दी. वर्ष 2018 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने भी इस परियोजना को मंजूरी दे दी.
बांध के खिलाफ आंदोलन करने वाली इदु मिश्मी समुदाय के संगठन 'दिबांग मल्टीपरपज प्रोजेक्ट डैम अफेक्टेड एरिया कमिटी' के अध्यक्ष नोगोरो मेलो कहते हैं, "आदिवासी लोग जमीन की कीमत समझते हैं. लेकिन सरकार मामूली मुआवजा देकर हमारी चार हजार हेक्टेयर जमीन छीनना चाहती है. सरकार को इस जमीन के एवज में लगभग 16 सौ करोड़ का मुआवजा देना है. लेकिन एनएचपीसी ने यह कह कर इसे अदालत में चुनौती दी है कि यह जमीन आदिवासियों की नहीं है.”
यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले अरुणाचल प्रदेश सरकार ने उक्त परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारों के लिए एक पुनर्वास पैकेज का एलान किया था. लेकिन चुनाव के बाद एनएचपीसी ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दे दी. अब एक बार फिर इस मुद्दे के गरमाने के आसार हैं.
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 जून। केंद्रीकृत रोजगार अधिसूचना 01/2019 (एनटीपीसी) के अंतर्गत स्नातक एवं पूर्व-स्नातक पदों के लिए द्वितीय चरण कंप्यूटर आधारित परीक्षा (सीबीटी) 12.06 से 17.06 तक रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा आयोजित की जाएगी। यह परीक्षा छत्तीसगढ़ के रायपुर, भिलाई एवं दुर्ग शहरों के कुल 06 परीक्षा केंद्रों में आयोजित की जाएगी, जिसमें कुल 28680 उम्मीदवार सम्मिलित होंगे। उपर्युक्त परीक्षा में सम्मिलित होने वाले उम्मीदवारों की सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों सहित अन्य केंद्रों पर पहुंचने के लिये 05 स्पेशल गाडिय़ां भी चलाई जा रही हैं।
08030 08029 शालीमार -दुर्ग-शालीमार परीक्षा स्पेशल 20 कोचों के साथ चलाई जा रही है जिसमें 02 एसएलआर,16 स्लीपर 02 एसी-3 कोच रहेंगे।
गाड़ी संख्या 08030 शालीमार दुर्ग रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा स्पेशल 13 जून को 15:35 बजे शालीमार से रवाना होगी 15:48 बजे संतरागाछी, 18:00 बजे खडक़पुर, 18:45 बजे झारग्राम, 19:25 बजे घाटशिला, 20:20 बजे टाटानगर, 21:28 बजे चक्रधरपुर, 22:22 बजे मनोहरपुर, 23:05 बजे राउरकेला, 23:40 बजे राजगंगपुर, 00.45 बजे झाड़सुगुड़ा, 01:08 बजे ब्रजराजनगर ,01:58 बजे रायगढ़, 03:07 बजे चांपा, 4:30 बजे बिलासपुर, 5:31 बजे भाटापारा, 6:40 बजे रायपुर 7:16 बजे भिलाई, 7:45 बजे दुर्ग 14 जून को पहुंचेगी।
08029 दुर्ग- शालीमार रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा स्पेशल 17 जून को दुर्ग से 18:35 बजे रवाना होकर 19:07 बजे भिलाई, 19:32 बजे रायपुर, 20:48 बजे भाटापारा, 22 बजे बिलासपुर, 23:11 बजे चांपा, 00:24 बजे रायगढ़, 1:15 बजे ब्रजराजनगर, 1:50 बजे झाड़सुगुड़ा, 2: 46 बजे राजगंगपुर, 3:20 बजे राउरकेला, 4:02 बजे मनोहरपुर, 5:05 बजे चक्रधरपुर, 6:15 बजे टाटानगर, 7:18 बजे घाटशिला 8 बजे झारग्राम, 8:47बजे खडक़पुर 11:02 बजे संतरागाछी, जे 11:35 बजे शालीमार 18 जून को पहुंचेगी।
08501/ 08502 विशाखापट्नम -जबलपुर-विशाखापट्नम के मध्य परीक्षा स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है। 10 जून (शुक्रवार) को गाड़ी संख्या 08501 विशाखापट्नम-जबलपुर परीक्षा स्पेशल विशाखापट्नम से 10.45 बजे रवाना होकर 11.50 बजे विजयनगरम, 12.45 बजे श्रीकाकुलम रोड़, 13.47 बजे पलासा, 14.45 बजे ब्रह्मापुर, 16.45 बजे खुर्दारोड, 17.15 बजे भुवनेश्वर, 17.50 बजे नरज मारथापुर , 18.42 बजे ढेंकानल, 19.35 बजे ताल्चर रोड़, 20.02 बजे अंगुल, 21.25 बजे रैराखोल, 22.45 बजे सम्बलपुर दूसरे दिन 00.10 बजे झारसुगुड़ा रोड़, 03.15 बजे बिलासपुर, 05.50 बजे अनूपपुर, 09.05 बजे कटनी साउथ होते हुये शनिवार को 10.30 बजे जबलपुर पहुंचेगी।
इसी प्रकार 08502 जबलपुर-विशाखापट्नम परीक्षा स्पेशल एक्सप्रेस जबलपुर स्टेशन से 11 जून (शनिवार) को 13.35 बजे रवाना होकर 15.00 बजे कटनी साउथ, 18.25 बजे अनूपपुर, 21.50 बजे बिलासपुर, दूसरे दिन 01.20 बजे झारसुगुड़ा रोड़, 02.15 बजे सम्बलपुर, 03.42 बजे रैराखोल, 05.12 बजे अंगुल, 05.22 बजे ताल्चर रोड़, 06.07 बजे ढेंकानल, 06.55 बजे नरज मारथापुर, 07.30 बजे भुवनेश्वर, 08.00 बजे खुर्दारोड, 10.05 बजे ब्रह्मापुर, 11.07 बजे पलासा, 12.07 बजे श्रीकाकुलम रोड़, 13.05 बजे विजयनगरम होते हुये रविवार को 14.00 विशाखापट्नम बजे पहुंचेगी। इस गाड़ी में 02 एसएलआर, 02 सामान्य, 12 स्लीपर, 01 एसी-3 और 01 एसी-2 कोच सहित कुल 18 कोच की सुविधा उपलब्ध रहेगी 7
08301/ 08302 संबलपुर -दुर्ग -संबलपुर परीक्षा स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है। 10 जून (शुक्रवार) को गाड़ी संख्या 08301 संबलपुर-दुर्ग परीक्षा स्पेशल संबलपुर से 20:30 बजे रवाना होकर 21:05 बजे बरगढ़ रोड, 22 बजे बालांगीर, 23 बजे टिटलागढ़, 00:05 बजे काटाभांजी, 00:35 बजे हरिशंकर रोड, 1:05 बजे खरियार रोड, 1:38 बजे बागबाहरा, 2:30 बजे महासमुंद, 4:15 बजे रायपुर, 5:30 बजे दश 11 जून (शनिवार) को दुर्ग पहुंचेगी।
गाड़ी संख्या 08302 दुर्ग संबलपुर परीक्षा स्पेशल एक्सप्रेस दुर्ग स्टेशन से 11 जून (शनिवार) को 21:00 बजे रवाना होकर 22:00 बजे रायपुर, 23:25 बजे महासमुंद, 00:05 बजे बागबाहरा, 00:40 बजे खरियार रोड, 01:05 बजे हरिशंकर रोड, 01:30 बजे काटाभांजी, 2:40 बजे टीटलागढ़, 3:55 बजे बालांगीर, 4:28 बजे बरगढ़ रोड, 5:15 बजे संबलपुर 12 जून रविवार को पहुंचेगी। इस गाड़ी में 02एसएलआर, 01 स्लीपर और 10 सामान्य श्रेणी के कोच होंगे, कुल 13 कोच रहेंगे।
08819/ 08820 बिलासपुर -सिकंदराबाद -बिलासपुर परीक्षा स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है । 11 जून (शनिवार) को 08819 बिलासपुर-सिकंदराबाद परीक्षा स्पेशल बिलासपुर से 08:15 बजे रवाना होकर 08:55 बजे भाटापारा , 09;55 बजे रायपुर , 10:55 बजे दुर्ग , 11:22 बजे राजनांदगाँव, 11:50 बजे डोगरगढ़ , 13:00 बजे गोंदिया , 16:45 बजे बल्हारशाह, 20:05 बजे काजीपेट, 22:35 बजे 11 जून (शनिवार) को सिकंदराबाद पहुंचेगी ।
08820 सिकंदराबाद-बिलासपुर परीक्षा स्पेशल एक्सप्रेस सिकंदराबाद स्टेशन से 14 जून (मंगलवार) को 21:30 बजे रवाना होकर 23:15 बजे काजीपेट, 03:25 बजे बल्हारशाह, 06:40 बजे गोंदिया , 07:45 बजे डोगरगढ़, 08:10 बजे राजनांदगाँव, 09:25 बजे दुर्ग , 10:10 बजे रायपुर , 11:00 बजे भाटापारा, 12:00 बजे बिलासपुर 15 जून बुधवार को पहुंचेगी ।इस गाड़ी में 02 एसएलआर, 04 स्लीपर और 14 सामान्य श्रेणी के कोच होंगे, कुल 20 कोच रहेंगे ।
01662/ 01661 भोपाल-दुर्ग-भोपाल रेलवे स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है ।
भोपाल से 15 जून (बुधवार) 01662 भोपाल-दुर्ग परीक्षा स्पेशल भोपाल से 04:15 बजे रवाना होकर 04:28 बजे रानी कमलापति , 05;30 बजे होशंगाबाद , 06:00 बजे इटारसी , 07:03 बजे पिपरिया , 08:03 बजे नरसिंहपुरी, 09:15 बजे जबलपुर , 10:25 बजे कटनी साउथ, 12:39 बजे उमरिया , 13:48 बजे शहडोल, 14.42 बजे अनूपपुर , 15.27 बजे पेंड्रा रोड, 18.10 बजे उसलापुर, 19.58 बजे रायपुर, 19.58 बजे भिलाई पावर हाउस, 15 जून (बुधवार) को 21.15 बजे दुर्ग पहुंचेगी ।
इसी प्रकार विपरीत दिशा में भी 01661 दुर्ग-भोपाल परीक्षा स्पेशल एक्सप्रेस दुर्ग स्टेशन से 17 जून (शुक्रवार) को 22:00 बजे रवाना होकर 22:09 बजे भिलाई पावर हाउस, 22:36 बजे रायपुर , 00:40 बजे उसलापुर , 02:06 बजे पेंड्रा रोड, 02:44 बजे अनूपपुर , 03:19 बजे शहडोल , 04:15 बजे उमरिया , 07:50 बजे कटनी साउथ, 09:30 बजे जबलपुर, 10:48 बजे नरसिंहपुरी, 11:53 बजे पिपरिया, 13.10 बजे इटारसी, 13:40 बजे होशंगाबाद, 15:30 बजे रानी कमलापति, दिनांक 18 जून, 2022 शनिवार को 15:50 बजे भोपाल पहुंचेगी। इस गाड़ी में 02 एसएलआर, 10सामान्य और 06 स्लीपर श्रेणी के कोच होंगे, कुल 18 कोच रहेंगे ।
इसके अतिरिक्त अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों में अतिरिक्त अस्थाई कोच की व्यवस्था भी की जा रही है।
गजा पट्टी के लोग कई सालों बाद साफ समुद्री पानी और स्वच्छ तट का आनंद ले रहे हैं. लोग खुश हैं कि उनके पास भी समय बिताने के लिए एक अच्छा तट है. लेकिन यह कैसे मुमिकन हो पाया?
गजा में कई सालों बाद समुद्र का पानी बिलकुल नीला है, पानी में सीवेज का कोई निशान नहीं है. हवा में जो खुशबू फैली है वह नमकीन और सुखद है, जिससे गजा में समुद्र तट पर जाने वालों को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण का एहसास हो रहा है. बिना ट्रीट किया हुआ सीवेज सालों से गजा के समुद्र में सीधे बहता आया है, जिसके कारण पर्यावरणीय आपदा पैदा हुई है और संकरी तटीय पट्टी में बंद लोगों के लिए उपलब्ध तैराकी के कुछ किफायती अवसरों में से एक खत्म हो गया.
पर्यावरण अधिकारियों का कहना है कि यह माहौल अलग है क्योंकि तटीय एन्क्लेव में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्त पोषित सीवेज ट्रीटमेंट सुविधाओं ने अपने ऑपरेशन को तेज कर दिया, जिससे प्रदूषण कई सालों में सबसे कम हो गया है.
दूसरे देश जैसा एहसास
52 साल की सहर अबू बशीर कहती हैं, "हम पहले नहीं आ सकते थे क्योंकि समुद्र प्रदूषित था और अगर हम आते तो हमारे बच्चे वायरस और त्वचा से जुड़ी बीमारी के साथ घर वापस लौटते."
समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत करते हुए चार बच्चों की मां ने कहा, "आज इलाका साफ है और समुद्र भी स्वच्छ है. हमें ऐसा लगा जैसे हम दूसरे देश में आ गए."
गंदे पानी से माइक्रोप्लास्टिक निकालने में सब्जियां आएंगी काम
इस हफ्ते लंबा रेतीला समुद्री तट चेतावनी वाले लाल रंग के झंडे से मुक्त दिखा, लाल रंग के झंडे के जरिए उन लोगों को चेतावनी दी जाती थी जो तैराकी के लिए समुद्र में जाते थे लेकिन सीवेज का पानी उनके लिए घातक साबित होता था.
समुद्र का तट साफ होने से पानी के किनारे मेज लगाकर लोग बैठकर अपना समय बिता रहे हैं, इसी बीच कुछ बच्चे पानी में खेलने के लिए रबर वाले रिंग के साथ मस्ती कर रहे हैं. कुछ इलाकों में तो घोड़े के मालिक अपने जानवर को साफ पानी से नहलाते भी दिखे.
साफ समुद्र से कारोबार भी बढ़ा
हमास द्वारा संचालित पर्यावरण गुणवत्ता और जल प्राधिकरण ने कहा कि समुद्र में फेंके गए सीवेज को अब आंशिक रूप से ट्रीट किया गया, जिससे 65 फीसदी समुद्र तट सुरक्षित और स्वच्छ हो पाया. आगे भी इसे विस्तारित करने की योजना है.
एनवायरमेंटल रिसोर्स के डायरेक्टर मोहम्मद मेस्लेह ने कहा, "गजा पट्टी में गर्मी का मौसम पिछले वर्षों की तुलना में अपेक्षाकृत सुरक्षित होगा क्योंकि समुद्र के पानी की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है."
गजा का कुल क्षेत्रफल 375 वर्ग किलोमीटर है और यहां 23 लाख फलस्तीनी रहते हैं. गरीबी और बेरोजगारी के चलते अधिकतर लोग विदेश की यात्रा नहीं कर सकते हैं. स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों के मुताबिक यहां बेरोजगारी की दर करीब 50 फीसदी है.
समुद्र तट के पास स्थित एक रेस्तरां के मालिक का कहना है, "जब प्रदूषण नहीं होगा तो मेरे रेस्तरां में कई ग्राहक होंगे. इससे मुझे कुछ नया करने के लिए पैसे मिल पाएंगे. नए साल के लिए इस स्थान को तैयार करने के लिए धन आएगा."
पटना, 10 जून | बिहार विधान परिषद के सात सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए नामांकन का पर्चा भर चुके सभी सात प्रत्याशियों का निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है। इनमे से सभी प्रत्याशी पहली बार किसी सदन के सदस्य बनेंगे।
दरअसल, सात सीट पर हो रहे चुनाव और उतने ही प्रत्याशी होने के कारण अब नाम वापसी के दिन सोमवार को इनके निर्विरोध चुने जाने की घोषणा होने की संभावना है। शुक्रवार को सभी नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी।
इस चुनाव में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दो -दो जबकि महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने तीन प्रत्याशी उतारे है। जबकि सभी मौजूदा सात सदस्यों के टिकट काट दिए गए हैं।
ये सभी प्रत्याशी अगर निर्वाचित होते हैं तो किसी सदन में पहली बार सदस्य बनने जा रहे हैं।
मालूम हो कि जदयू के कमरे आलम, गुलाम रसूल, रणविजय कुमार सिंह, रोजीना नाजिश और सीपी सिन्हा तथा भाजपा के अर्जुन सहनी और वीआइपी के मुकेश सहनी का कार्यकाल 21 जुलाई को पूरा हो रहा है। इनके खाली हुए सीटों को भरने के लिए यह चुनाव हो रहा है।
इस बार, न केवल राजनीतिक दलों ने पुराने सदस्यों को फिर से उम्मीदवार नही बनाया बल्कि प्रत्याशी चयन में कार्यकर्ताओं को तरजीह दी गई।
विधानसभा कोटे की सीट होने की वजह से इसमें मतदाता विधायक होते हैं। विधायकों की संख्या के हिसाब से दलों को सीटें मिलती हैं। उसी अनुसार प्रत्याशी भी तय कर लिए जाते हैं और मतदान की स्थिति नहीं बनती है।
संख्या बल में मजबूत नहीं रहने के कारण इस चुनाव में जदयू को नुकसान उठाना पड़ रहा है जबकि राजद को लाभ हुआ है। इधर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का अब कोई भी सदस्य किसी सदन में नहीं रहेंगे। (आईएएनएस)
चेन्नई, 10 जून | तमिलनाडु में चेन्नई और माइलेदुतुरई तथा केंद्र शासित प्रदेश पुड्डचेरी के कराईकल में नौ ठिकानों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के छापे के बाद कई संगठन और व्यक्ति केंद्रीय जांच एजेंसियों की रडार पर आ गये हैं। एक केंद्रीय एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि गुरुवार को एनआई के छापे के बाद कई लोगों तथा संगठनों पर एजेंसी नजर बनाये हुए है।
सूत्रों के अनुसार छापे के दौरान 16 डिजिटल उपकरण, छह धारदार हथियार और कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए। इन्हीं जब्त दस्तावेजों के आधार पर केंद्रीय जाचं एजेंसियों ने अपनी जांच शुरू कर दी है।
एनआई ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि माईलेदुतुरई निवासी सातिक बाचा उर्फ इसामा सादिक ने चार अन्य लोगों के साथ मिलकर पुलिस और आम लोगों को भयभीत करने तथा धमकी देने की योजना बनाई थी। इन्होंने 21 फरवरी 2022 को एक छापे के दौरान एक पुलिसकर्मी की हत्या की कोशिश भी की थी।
एनआईए ने जिस आरोपी के ठिकानों पर छापा मारा , वह खलीफा पार्टी ऑफ इंडिया, खलीफा फ्रंट ऑफ इंडिया और इंटेलेक्चुअल स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया के नाम से कई संगठन चला रहा था। छापे में इन संगठनों से संबधित दस्तावेज जब्त किये गये हैं।
सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि कोयम्बटूर धमाके के बाद और अल उमाह जैसे संगठनों पर छापे के बाद ये लोग लो प्रोफाइल रहकर काम करते थे और राज्य भर में अपने आपराधिक मंसूबों को अंजाम देते थे।
इन्होंने राज्य के कई हिंदू नेताओं को अपना निशाना बनाया। इन्होंने 19 जुलाई 2013 को भाजपा के प्रदेश महासचिव वी रमेश की हत्या कर दी थी। कई अन्य हिंदू संगठनों के भी नेताओं की हत्या की गई और इन हत्याओं की जिम्मेदारी कागजी संगठनों ने ली।
सिमी के प्रतिबंधित संगठित घोषित होने के बाद से इसके कई कार्यकर्ता तथा नेताओं ने अपने संगठन बना लिये, जिनका ढांचा भले ही व्यवस्थित नहीं है लेकिन इरादा एक ही रहा। इनका उद्द्ेश्य लोगों को हमला करने के लिए प्रोत्साहित करना, उन्हें प्रशिक्षित करना तथा अकेले हमला करना या छोटे समूहों का इस्तेमाल करके हमला करना सीखाना है।
जांच एजेंसियों के लिए तमिलनाडु में पीएफआई और इसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया की उपस्थिति चिंता की बात है। पीएफआई को वैचारिक समर्थन सिमी जैसे प्रतिबंधित संगठन से मिलता है। सिमी का पुराना कैडर और इसके नेताओं ने ही पीएएफआई की नींव रखी है। (आईएएनएस)
-नीतू सिंह
- लखनऊ में 17 साल के लड़के ने 4 जून की रात मां की गोली मारकर हत्या की
- तीन दिन तक छोटी बहन के साथ घर में शव के साथ ही रहा
- 7 जून को ख़ुद बेटे ने सेना में तैनात पिता को फ़ोन पर बताया
- लड़के को मोबाइल फ़ोन पर गेम खेलने और चैटिंग की थी आदत
पश्चिम बंगाल के आसनसोल में सेना में जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर के पद पर तैनात नवीन कुमार सिंह अभी एक महीने पहले ही दो मई को छुट्टी से वापस ड्यूटी पर पहुंचे थे. उन्हें अंदेशा भी नहीं था कि इतनी जल्दी घर वापसी पत्नी की मौत की खबर से करनी होगी.
लखनऊ के पीजीआई क्षेत्र के पंचमखेड़ा स्थित यमुनापुरम कॉलोनी में इनकी पत्नी अपने बेटे और बेटी के साथ रहती थीं. इनके 17 वर्षीय बेटे ने चार जून की रात में करीब दो-तीन बजे पिता की लाइसेंसी पिस्तौल से अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी.
इस घटना के बारे में ख़ुद बेटे ने 7 जून की पिता को फ़ोन कर जानकारी दी. घटना के तीन दिनों तक अभियुक्त अपनी 10 वर्षीय बहन के साथ उसी घर में रहा. जब शव की बदबू बर्दाश्त से बाहर हुई तब उसने अपने पिता को सूचना दी.
एडीसीपी पूर्वी कासिम आब्दी बीबीसी को फ़ोन पर बताते हैं, "बच्चे को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है. अभी लीगल प्रासेस चल रहा है."
पुलिस के मुताबिक़ बच्चे के पिता का कहना है कि इसे गेम खेलना और लड़कियों से चैट करने की बहुत आदत थी. मम्मी उसे यह सब करने से मना करती थीं. मोबाइल के इस्तेमाल पर पाबंदी उसे पसंद नहीं थी.
वहीं बच्चे ने पुलिस को बताया कि 'मुझे हर बात के लिए ब्लेम किया जाता था मेरी ग़लती हो या न हो. मैं खेलने भी जाता था तो भी माँ शक करती थी'.
कासिम आब्दी कहते हैं, "बच्चा पहले भी घर से कई बार भाग चुका था. उसका स्वभाव बाकी बच्चों से थोड़ा तो अलग है. घटना के बाद से अभी बच्चे का व्यवहार एकदम सामान्य है उसे लगता है उसने जो किया है वो एकदम सही किया है. मेरे सामने का यह अबतक पहला ऐसा केस है पर कोविड के समय मोबाइल एडिक्शन के मामले हमारे सामने बहुत आये हैं."
इस केस में केजीएमयू के पूर्व मनोचिकित्सक डॉ कृष्ण दत्त बीबीसी को बताते हैं, "कुछ बच्चों का स्वभाव ऐसा होता है जिन्हें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं होता है इसे पुअर इम्पल्स कंट्रोल कहते हैं. ऐसे बच्चे बहुत कुछ साज़िश बनाकर कोई कदम नहीं उठाते बल्कि आवेश में आकर ऐसा करते हैं. कई बार ये छोटे भाई-बहनों को भी नुकसान पहुंचाते हैं."
वे कहते हैं, "आजकल इस तरह की घटनाओं की मुख्य वजह एकल परिवार हो गए हैं. पहले संयुक्त परिवार में बच्चे सबसे बात करते थे और परिवार के सदस्यों के साथ ही विभिन्न गतिविधियों में व्यस्त रहते थे लेकिन अब इनकी दुनिया मोबाइल और टीवी हो गयी है. एकल परिवार में अगर माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं तो बच्चे बहुत अकेले पड़ जाते हैं. ऐसे बच्चों को अपनी बात ज़ाहिर करने का मौका ही नहीं मिलता है. इस स्थिति में बच्चे को मोबाइल की लत हो जाती है. ऐसे बच्चों का नतीजा आपके सामने हैं."
मोबाइल एडिक्शन का असर
आशा ज्योति केंद्र 181 की प्रशासक अर्चना सिंह बताती हैं, "हमारे यहाँ जितने भी मामले आते हैं उनमें से 40 फ़ीसद मोबाइल एडिक्शन से ही संबंधित होते हैं. कोविड के दौरान गेम के ज़रिए बहुत क्राइम हुए हैं. संयुक्त परिवारों का ख़त्म होना मोबाइल का ज़्यादा इस्तेमाल एक बड़ा कारण है. ऑनलाइन गेम के ज़रिये कोविड में बहुत सारी लड़कियाँ साइबर क्राइम की शिकार हुई हैं."
एडीसीपी पूर्वी कासिम आब्दी का कहना है, "इस कोविड में लोगों की सोशल लाइफ़ काफी हद तक ख़त्म हो गयी. लोग घरों में ज़्यादा कैद रहे. फैमिली और रिश्तेदारों का भी आवागमन काफी कम हुआ. जिस वजह से बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल पहले से ज़्यादा करने लगे. इस केस में बच्चे के फ़ोन का डेटा और टॉक वैल्यू माँ ने रिचार्ज नहीं कराया था. अभी ये माँ के ही फ़ोन का ज़्यादा इस्तेमाल करता था. घटना के बाद भी ये माँ के मोबाइल से गेम खेलता रहा. बच्चे की दादी की शिकायत पर जुवेनाइल जस्टिस के तहत 302 की धारा लगाई गयी."
कभी दिन के 8 से 10 घंटे रोज़ाना मोबाइल पर पबजी खेलने वाले 20 वर्षीय करन बीबीसी को बताते हैं, "अगर इस गेम की लत एक बार लग गई तो छुड़ाना बहुत मुश्किल होता है. मैं दो साल पहले तक 8 से 10 घंटे रोज़ पबजी खेलता था. खेल के दौरान अगर घर में कोई खाना खाने को कहे या किसी काम को करने के लिए बोला जाए तो बहुत गुस्सा हो जाता था. ऐसा लगता था क्या कुछ न कर दूँ क्योंकि खेलते हुए इस गेम से क्विट करना बहुत मुश्किल होता है."
वे कहते हैं, "अब मैं दिन में डेढ़ दो घंटे ही पब्जी खेलता हूँ. ऑनलाइन गेम के घंटे कम करने में मुझे क़रीब दो साल का समय लगा. अब मैं पहले से गुस्सा भी बहुत कम होता हूं. मेरे दर्जनों दोस्त ऐसे हैं जो अब भी दिन के आठ से 10 घंटे फ़ोन पर गेम खेलते हैं. ऐसे बच्चे बहुत चिड़चिड़े, ज़िद्दी और गुस्सैल होते हैं."
बुधवार की शाम के क़रीब छह बजे पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर 40 वर्षीय मृतका साधना सिंह के शव के पास उनकी 10 वर्षीय बेटी अपने पिता की गोद में लिपटी सिसकियाँ ले रही थी. यह बच्ची अपनी माँ के शव के साथ तीन दिन तक अपने घर यमुनापुरम कॉलोनी में थी. जब शव से बदबू आने लगी तब मंगलवार रात 17 वर्षीय अभियुक्त बेटे ने पिता को माँ के मरने की ख़बर दी.
लाल रंग की टीशर्ट और सफ़ेद रंग का हाफ़ पैंट पहने पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर नवीन कुमार सिंह की आँखों में पत्नी का शव देख रह-रहकर आंसू आ रहे थे. वे अपनी बच्ची के सिर को हाथ से सहलाकर उसे दिलासा दे रहे थे. यहाँ अभियुक्त के चाचा-चाची, बाबा-दादी और चंदौली से आए ननिहाल पक्ष के कुछ लोग मौजूद थे. देर शाम शव का अंतिम संस्कार बैकुंठ धाम में कर दिया गया.
हाईस्कूल में फ़ेल हो गया था बच्चा
पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर खड़े अभियुक्त के मामा संत सिंह ने बताया, "अभी पिछले महीने ही जीजा (नवीन सिंह) दो मई को छुट्टी से वापस गये थे. ये बच्चा (आरोपी) छुट्टियों में अक्सर ननिहाल आता था. क्रिकेट खेलने का बहुत शौकीन है. पर कभी-कभी ज्यादा पैनिक हो जाता है. जो काम कर रहा हो अगर उसे मना करो तो गुस्सा ज्यादा करता है. पर अब ये लक्षण तो ज्यादातर बच्चों में होते हैं इसलिए कभी ऐसा लगा नहीं कि उसे डॉक्टर को दिखाया जाए. अब पता नहीं कैसे उसने इतना बड़ा कदम उठा लिया?"
संत सिंह आगे कहते हैं, "फोन पर गेम खेलने का लती था. पिछली बार हाईस्कूल में फेल हो गया था इस बात को लेकर भी वो थोड़ा परेशान था. जबसे उसके नंबर कम आए थे दीदी (मृतका) थोड़ा पढ़ने के लिए बोलती थीं और फोन चलाने से मना करती थीं. कई बार उससे फोन छीना भी गया. तभी शायद गुस्से में आकर उसने यह कदम उठाया."
आरोपी की दादी मिर्जा देवी ने पोते के खिलाफ पीजीआई थाने में अपनी बहू की हत्या का केस दर्ज कराया है. पुलिस ने दादी की तहरीर पर नाबालिग पर हत्या का केस दर्ज कर उसे बाल संरक्षण गृह मोहान रोड भिजवा दिया है. मिर्जा देवी अपने छोटे बेटे के साथ इंदिरापुरम चरणभट्ठा में रहती हैं. वो पोस्टमार्टम हाउस के बाहर रोते हुए कह रही थीं, "हमारा तो सब कुछ बर्बाद हो गया. अब जो करेगी वो पुलिस ही करेगी." घटना के बाद परिवारजन बहुत बात करने की स्थिति में नहीं थे.
डॉ कृष्ण दत्त का कहना है, "मोबाइल में एक क्लिक पर बहुत कुछ खुल जाता है. बच्चे गेम के अलावा अलग-अलग साइट पर जाते हैं जहाँ वो एक समय बाद काल्पनिक दुनिया में जीने लगते हैं. पांच साल से 12 साल की उम्र बच्चों की देखरेख के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इस उम्र में उन्हें सुनने और समझने की बहुत ज़रूरत है."
चंदौली ज़िले की रहने वालीं मृतका साधना सिंह अपने दो भाइयों की इकलौती बहन थीं. इन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की थी. अब ये एक हाउसवाइफ़ थीं. पिछले पांच छह सालों से बच्चों के साथ यमुनापुरम कॉलोनी में रह रही थीं. इनकी शादी 2002 में हुई थी. अभियुक्त बेटे का जन्म अक्टूबर 2005 में हुआ था.
बुधवार को दोपहर क़रीब ढाई बजे से शाम साढ़े चार बजे तक हमने यमुनापुरम कॉलोनी में आरोपी के घर के आसपास कई लोगों से बात करने की कोशिश की पर ज़्यादातर लोगों ने बात करने से मना किया.
नवीन सिंह का तीन मंज़िला घर मोहल्ले में कॉर्नर पर है. मीडिया की कुछ एक गाड़ियों के अलावा पूरी गली में सन्नाटा पसरा था. नवीन सिंह के घर के आसपास कुछ छोटे-छोटे बच्चे घूम रहे थे.
घर का मामला होने की वजह से घरवाले, रिश्तेदार और पड़ोसी सब इस मामले में बात करने से कतराते नजर आए. सबने चुप्पी साध रखी थी.
उन्होंने बताया, "दो-तीन दिन यहीं मिट्टी (शव) रखी रही तभी पंखा चलाकर छोड़ दिया है ताकि बदबू ख़त्म हो जाए. हम तो घर के सामने रहते हैं हमें तो तब पता चला जब यहाँ भीड़ देखी. अब आजकल के बच्चे मोबाइल के आगे किसी की सुनते कहाँ हैं?"
इनके बगल में बैठी एक और महिला ने कहा, "माँ-बाप नौकरी पर चले जाते हैं बच्चों पर कोई ध्यान ही कहाँ देता है? बच्चे इतने ज़िद्दी हो गये हैं कि वो बिना मोबाइल देखे खाना ही नहीं खाते अब. शुरुआत में बच्चों को चुप कराने के लिए माँ-बाप उनके हाथ में फ़ोन पकड़ा देते हैं बाद में उसे मना करते हैं तबतक बहुत देर हो चुकी होती है. अब इसी केस में देख लीजिए, माँ ने तो भलाई के लिए कहा था कि वो फ़ोन न चलाए पर किसे पता था कि इतना मना करने से वो गोली से मार डालेगा."
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉक्टर सुचिता चतुर्वेदी के मुताबिक़ इस तरह की घटना दो ढाई साल बाद हुई है, इससे पहले ठीक ऐसी ही घटना हुई थी जिसमें सात-आठ साल की बच्ची ने मिलता-जुलता क़दम उठाया था
डॉ. सुचिता चतुर्वेदी बीबीसी को बताती हैं, "बच्चों के मनोविज्ञान को पढ़ने की आवश्यकता है. जब बच्चा अपने आपको अकेला महसूस करता है तभी वह इन सब आर्टीफिशियल चीज़ों के पीछे भागता है. बच्चा अकेले क्यों रहना चाहता है इस पर पेरेंट्स को गम्भीरता से ध्यान देने की ज़रूरत है. अभी एकल परिवार की परम्परा सी बन गई है. लोग पैसा कमाने के चक्कर में बच्चों पर बहुत ध्यान नहीं दे पा रहे हैं."
आयोग की तरफ़ कोविड में एक पत्र जारी किया गया था कि बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल पर निगरानी रखी जाए.
डॉ. सुचिता ने कहा कि इस घटना के बाद आयोग जल्द ही एक पत्र जारी करेगा जिसमें यह कहा जाएगा कि बच्चों के इस्तेमाल का फ़ोन ही अलग होना चाहिए. उसमें केवल बच्चों की ज़रूरत के अनुसार ही एप्स हों. बच्चों के पढ़ने के लिए अच्छा साहित्य अपलोड हो. अब एक मशीनी युग आ गया है तो अगर इसपर ध्यान नहीं दिया तो ऐसी कई घटनाएं होती रहेंगी. अब संयुक्त परिवार ख़त्म हो गए हैं, कहानियां कहने वाले लोग ही नहीं बचे हैं.
ग़ाज़ियाबाद में रहने वाले 19 वर्षीय आकाश का कहना है, "पबजी खेल 10-12 साल की उम्र के बच्चों से 17-18 साल के बच्चे ज़्यादा खेलते हैं. मैं भी ये गेम खेलता हूँ. इस गेम की खामी यही है कि अगर गेम खेलते वक़्त कोई रोकता है मुझे गुस्सा आता है."
यूपी जुवेनाइल जस्टिस के असेसमेंट पैनल की सदस्य और मनोवैज्ञानिक डॉक्टर नेहा आनंद कहती हैं, "पिछले दो हफ़्तों में मैंने 20-25 बच्चों की काउंसलिंग की, जिनकी उम्र 11 से 17 साल के बीच की थी. इनमें किसी न किसी तरह का एडिक्शन था चाहें वो मोबाइल का हो या कैफ़े जाने का या फिर गाड़ी चलाने का. अगर कोई बच्चा किसी बच्चे को कोई चीज़ लिए हुए देखता है तो वह उसे लेने की इच्छा रखता है और ज़िद करता है कि हमें भी चाहिए."
वे कहती हैं, "पहले बच्चे ग्राउंडेड होते थे लेकिन अब परिवेश बहुत बदल गया है. बच्चे बहुत वायलेंट नेचर के हो गये हैं. मार-काट, गन यूज़ करना ये सब उनकी आदत में शामिल हो रहा है."
डॉ नेहा आनंद के मुताबिक "इस एज ग्रुप में जब कोई रोकटोक आती है तो बच्चे उसे मैनेज नहीं कर पाते हैं. तीन मुख्य डाइमेंशन हैं- बायो, साइको और सोशल. पहला अगर हम बायोलाजिकली समझे तो अगर किसी बच्चे की कोई इच्छा पूरी होती है तो प्लेज़र रिलीफ़ होता है. जो पैरेंट्स अपने बच्चों से ज़्यादा बातचीत नहीं कर पाते हैं तो उनका इमोशन रिलीफ़ नहीं होता है."
लड़कों में एक अपोज़िशनल डिफ़ाइन डिसऑर्डर (ओडीडी) के लक्षण आठ साल की उम्र में दिखने शुरू हो जाते हैं. जैसे अगर आप कुछ बोल रहे हैं तो बच्चा उसका विरोध कर रहा है, बच्चा किसी बात पर बहस बहुत करता है. इस तरह के बच्चे एग्रेसिव बहुत होते हैं. ये कोई सोशल नॉर्म को नहीं मानते हैं. आप जो कहेंगे ये ठीक उसका उल्टा ही करते हैं. ये बहुत कॉमन डिसऑर्डर हैं. अगर शुरुआती समय में ही इन बच्चों को मनोवैज्ञानिक के पास ले जाया जाता है तो इनके लक्षणों में सुधार हो जाता है.
डॉक्टर नेहा आनंद के अनुसार जब बच्चे 8 साल के होते हैं तब उन्हें बहुत सुपरविज़न की ज़रूरत होती है. इस उम्र में हार्मोनल चेंज होते हैं तब उनके मन में बहुत ज़्यादा उथल-पुथल चल रही होती है. इस उम्र में बच्चों के लिए एडजस्टमेंट का मामला होता है. ये इस उम्र में स्वतंत्रता चाहते हैं. अगर समय रहते बच्चों की काउंसलिंग नहीं की गई तो मुश्किलें हो सकती हैं.
बच्चों से प्रतिदिन आधे एक घंटे बात करना बहुत ज़रूरी है. कौन सी चीज़ों पर बच्चा क्या रिएक्ट कर रहा है इस पर नज़र रखें. डेढ़ से दो घंटे से ज्यादा दिन में फोन का इस्तेमाल न करने दें.
डॉक्टर नेहाता बताती हैं कि एक रिसर्च के मुताबिक बच्चे 24 घंटे में आठ घंटे एवरेज बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं जो कि सबसे ज़्यादा नुकसानदायक है. बच्चे इस उम्र में सबकुछ ट्राई करना चाहते हैं.
डॉ नेहा आनंद कहती हैं, "इस केस को जितना मैं समझी हूँ उस हिसाब से बच्चे को अपनी माँ को मारना नहीं था, गुस्सा निकालना था तभी उसने एकसाथ छह गोलियां चलाईं. मुझे ऐसा भी लगता है कि यह बच्चा लम्बे समय से डिप्रेस्ड और परेशान रहा है. कुंठा से ग्रसित होगा. पहचान की भी क्राइसिस थी. बच्चे के व्यवहार को समझना बहुत ज़रूरी है. अगर ज़िद कर रहा है तो किस हद तक कर रहा है. इसमें कुछ न कुछ मनोवैज्ञानिक वजह थी."
डॉ नेहा आनंद ने अपने अनुभव साझा किए, "अभी तक हमने जितनी भी काउंसलिंग की है उसमें यह निकलकर आया कि 95 फ़ीसद पेरेंट्स बच्चों को सुनते ही नहीं हैं. जिससे बच्चों को अपनी बात एक्सप्रेस करने का मौका नहीं मिलता है, जो बच्चों के लिए बेहद घातक हैं." (bbc.com)
राज्यसभा की 57 सीटों में से 16 सीटों के लिए आज चुनाव होने हैं. 41 सीटों पर पहले ही उम्मीदवारों की निर्विरोध जीत हो चुकी है.
शुक्रवार को जिन 16 सीटों पर चुनाव होना है वो महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और हरियाणा में हैं.
मतदान सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक होगा.
इस बीच महाराष्ट्र में एआईएमआईएम ने राज्यसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को वोट देने की घोषणा की है.
महाराष्ट्र में आज 6 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव होने हैं. यहां निर्दलीय विधायकों की भूमिका अहम मानी जा रही है.
राजस्थान में 4 सीटों के लिए वोटिंग होनी है. कांग्रेस के तीन, बीजेपी के एक और एक बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं.
राज्य में 200 विधानसभा सीटें हैं.
इस बीच सुभाष चंद्रा क्रॉस वोटिंग के ज़रिए अपनी जीत का दावा कर चुके हैं.
कर्नाटक में राज्यसभा 4 सीटों के लिए चुनाव होना है.
कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं. बीजेपी के पास 122 सदस्य हैं जबकि उसके पास एक-दो स्वतंत्र विधायकों का भी समर्थन है. कांग्रेस के पास 69 विधायक हैं और एक स्वतंत्र विधायक का समर्थन है जबकि जनता दल सेक्युलर के कुल 32 विधायक हैं.
हरियाणा में दो राज्यसभा सीटों के लिए आज चुनाव होना है.
बीजेपी के दुष्यंत गौतम और सुभाष चंद्र का कार्यकाल एक अगस्त 2022 को समाप्त हो रहा है. दस जून को पांच में से दो राज्यसभा सीटों के लिए चंडीगढ़ में मतदान होगा.
बीजेपी जिसके पास अपने 40 विधायक हैं को अपने उम्मीदवार कृष्ण लाल पवार की जीत की पूरी उम्मीद है, वहीं कांग्रेस जिसके पास 31 सीटे हैं वो भी दूसरी सीट पर जीत का दावा कर रही है.
नवाब मलिक और अनिल देशमुख नहीं ले सकेंगे वोटिंग में हिस्सा
गुरुवार को मुंबई की एक विशेष अदालत ने नवाब मलिक और अनिल देशमुख की ओर से दायर उस याचिका को ख़ारिज कर दिया, जिसमें दोनों नेताओं ने शुक्रवार को होने वाले राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए एक दिन की जमानत का अनुरोध किया था.
विशेष अदालत की ओर से जमानत याचिका ख़ारिज होने के बाद दोनों नेताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की है.
कई बड़े चेहरे हैं उम्मीदवार
राज्यसभा सीटों के लिए मतदान सुबह नौ बजे से शुरू होने की उम्मीद है.
बीजेपी ने कर्नाटक से केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमन को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश उम्मीदवार हैं.
इसके अलावा पीयूष गोयल, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक, इमरान प्रतापगढ़ी, प्रफुल्ल पटेल, संजय राउत और संजय पवार भी मैदान मे हैं. (bbc.com)
जम्मू में डोडा ज़िले के भद्रवाह कस्बे में मस्जिद से भड़काऊ बयान के एक मामले के बाद कर्फ़्यू लगा दिया गया है.
डोडा के डिप्टी कमिश्नर विकास शर्मा ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा, “इलाक़े में तनाव के बाद भद्रवाह शहर में कर्फ़्यू लगा दिया गया है.”
अब इस संबंध में केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने ट्वीट करके अपनी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने ट्वीट किया है, “बीते दिन भद्रवाह में हुई अप्रिय घटना से मैं बेहद दुखी हूं. मैं पूरी इज़्ज़त से और विनम्रतापूर्व सभी बड़ों से और दोनों समुदायों के प्रमुखों से यह अपील करता हूं कि वे आपसी सौहार्द बनाए रखने के लिए बात करें ताकि इस कस्बे की सुंदरता बनी रहे.”
उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा है कि इस दौरान वे डीसी डोडा विकास शर्मा के और जम्मू के डिविज़नल कमिश्नर रमेश कुमार से संपर्क में हैं.
डोडा में लगभग सभी बड़े पुलिस अधिकारी मौजूद हैं और हालात पर नज़र बनाए हुए हैं. (bbc.com)
-मोहित कंधारी
जम्मू के डोडा ज़िले के भद्रवाह कस्बे में मस्जिद से भड़काऊ बयान के मामले के बाद इलाक़े में कर्फ़्यू लगा दिया गया है.
भ्रामक ख़बरें और अफ़वाहों को फैलने से रोकने के लिए डोडा ज़िले में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी तौर पर बंद कर दी गई हैं.
इलाक़े में तनाव को देखते हुए ज़िला प्रशासन ने रामबन और किश्तवाड़ में धारा 144 लागू कर दी है.
भद्रवाह में, ईदगाह क्षेत्र के बाहर दर्जनों की संख्या में लोग जमा हुए थे लेकिन पुलिस अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच बातचीत के बाद भीड़ हट गई है.
अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) भद्रवाह, चौधरी दिल मीर ने बीबीसी को बताया, "ईदगाह क्षेत्र में लोगों की भीड़/जमाव को शांतिपूर्वक हटा दिया गया है."
एडीसी चौधरी दिल मीर ने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना या हिंसा को रोकने के लिए इलाके में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है.
इससे पूर्व ईदगाह परिसर को घेरकर खड़े लोगों ने वापस जाने से मना कर दिया था. उनकी मांग थी कि भड़काऊ बयान देने वालों को तत्काल गिरफ़्तार किया जाए.
चौधरी दिल मीर ने बताया, "हमने स्थानीय निवासियों को आश्वासन दिया है कि इस मामले में शामिल शख़्स के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में अभी तक दो एफ़आईआर दर्ज की गई हैं." (bbc.com)
नई दिल्ली, 10 जून | दिल्ली पुलिस ने पैगंबर मौहम्मद के खिलाफ कथित रूप से विवादास्पद टिप्पणी करने वाले निलंबित भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के विरोध में प्रदर्शन के दौरान दंगा समेत विभिन्न आरोपों के तहत एआईएमआईएम पार्टी के 30 कार्यकतार्ओं को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई और तदनुसार उन्हें धारा 147 (दंगा के लिए सजा), 149 (गैरकानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य सामान्य उद्देश्य के अभियोजन में किए गए अपराध का दोषी), 186 (सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में लोक सेवक को बाधित करना) 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत घोषित आदेश की अवज्ञा), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 332 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य से रोकने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और भारतीय दंड संहिता की धारा 34 (सामान्य आशय को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत गिरफ्तार किया गया।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा, "उन्हें जल्द ही अदालत में पेश किया जाएगा।"
एआईएमआईएम पार्टी के कई सदस्य पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर निलंबित भाजपा नेताओं- नुपुर शर्मा और नवीन के. जिंदल के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए संसद मार्ग पुलिस स्टेशन के बाहर जमा हुए थे।
प्रदर्शनकारियों ने उपरोक्त भाजपा नेताओं की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। लेकिन जैसे ही उन्होंने संसद मार्ग थाने के बाहर नारेबाजी की, पुलिस ने 33 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और उन्हें मंदिर मार्ग पुलिस थाने ले गई।
दिल्ली पुलिस पीआरओ सुमन नलवा ने गुरुवार को कहा था, "हमने उन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है जो नफरत के संदेश फैला रहे थे, विभिन्न समूहों को उकसा रहे थे और ऐसी स्थितियां पैदा कर रहे थे जो सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए हानिकारक हैं। एक मामला नूपुर शर्मा के खिलाफ दर्ज किया गया है और दूसरा विश्लेषण के आधार पर कई सोशल मीडिया संस्थाओं के खिलाफ दर्ज किया गया है। विवरण के लिए सोशल मीडिया बिचौलियों को नोटिस भेजे जाएंगे।" (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 10 जून | राज्यसभा चुनाव के लिए यहां मतदान जारी है। मतदान शुक्रवार सुबह 9 बजे से शुरु हुआ। सत्तारूढ़ भाजपा जहां दो सीटें जीत सकती है, वहीं विपक्षी कांग्रेस को एक सीट मिलने की संभावना है। इसके अलावा चौथी सीट के लिए तीनों पार्टियों- सत्तारूढ़ बीजेपी, विपक्षी कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टी जद (एस) के बीच कड़ी टक्कर है।
कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने शुक्रवार को कहा है, उनकी पार्टी का ध्यान अपने विधायकों के सभी वोट हासिल करने पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, जद(एस) नेता हमारे विधायकों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि कांग्रेस ने उनकी कैसे मदद की है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अभिनेता से नेता बने भाजपा के जग्गेश और कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश के आसानी से जीतने की संभावना है।
चौथी सीट पर कांग्रेस से मंसूर अली खान, जद (एस) के कुपेंद्र रेड्डी और भाजपा के लहर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। (आईएएनएस)
यरुशलेम, 10 जून | इजराइल में मंकीपॉक्स का चौथा मामला दर्ज किया गया है। इस बात की जानकारी इजराइल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी है। मंत्रालय के अनुसार, संक्रमित एक 28 वर्षीय व्यक्ति है जो हाल ही में विदेश से लौटा है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने मंत्रालय के हवाले से कहा है, इजरायल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च में एक नमूने का परीक्षण किया गया, जहां मंकीपॉक्स के संदेह की पुष्टि हुई।
इससे पहले 21 मई से इजराइल में मंकीपॉक्स के पिछले तीन मामलों का पता चला है, जिनमें से सभी पुरुष हैं।
मंत्रालय ने फिर से उन लोगों को बुलाया जिन्हें बुखार और फफोलेदार दाने हो गए थे और वे विदेश से लौटे हैंे, डॉक्टर इनकी जांच करेंगे।
बंदरों और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में मंकीपॉक्स आम है और यह मनुष्यों को भी संक्रमित कर सकता है।
रोग के लक्षणों में त्वचा पर चकत्ते, बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सूजन लिम्फ नोड्स, ठंड लगना और थकावट शामिल हैं।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 जून | भारत में शुक्रवार को पिछले 24 घंटों में 7,584 नए कोविड मामले दर्ज किए गए, जो पिछले दिन दर्ज किए गए 7,240 संक्रमणों की तुलना में अधिक थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। साथ ही इसी अवधि में, कोविड से 24 और लोगों की मौतें दर्ज हुई हैं, जिससे देश भर में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 5,24,747 हो गई।
इस बीच, इलाज करा रहे मरीजों की संख्या बढ़कर 36,267 हो गई, जो देश के कुल पॉजिटिव मामलों का 0.08 प्रतिशत है।
पिछले 24 घंटों में 3,791 मरीजों के ठीक होने के बाद कुल संख्या 4,26,44,092 हो गई। नतीजतन, भारत की रिकवरी रेट 98.70 प्रतिशत है।
जहां दैनिक पॉजिटिविटी रेट बढ़कर 2.26 प्रतिशत हो गई, वहीं साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट 1.50 प्रतिशत रही।
साथ ही इसी अवधि में, देश भर में कुल 3,35,050 परीक्षण किए गए, जिससे कुल संख्या बढ़कर 85.41 करोड़ से अधिक हो गई।
शुक्रवार की सुबह तक, भारत का कोविड-19 टीकाकरण कवरेज 194.76 करोड़ से अधिक हो गया, जो 2,49,36,054 सत्रों के माध्यम से हासिल किया गया।
(आईएएनएस)
यूपीएससी-2020 में हुआ था चयन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 जून । यूपीएससी-2020 में आईपीएस के लिए चयनित अफसरों में से 9 को छत्तीसगढ़ कैडर आबंटित किया गया है। इनमें कवर्धा के रहवासी आकाश श्रीश्रीमाल और महासमुंद के आकाश कुमार शुक्ला भी हैं।
यूपीएससी-2020 में प्रदेश के कवर्धा में रहने वाले आकाश श्रीश्रीमाल ने 94वां रैंक हासिल किया था। जबकि महासमुंद के आकाश कुमार शुक्ला ने 427वीं रैंक हासिल की थी। वे भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में आए हैं, और उन्हें छत्तीसगढ़ कैडर आबंटित किया गया है।
श्रीश्रीमाल और शुक्ला के अलावा बिहार के अमन कुमार झा, महाराष्ट्र के अक्षय प्रमोद, मध्यप्रदेश के रोहित कुमार शाह, राजस्थान के रविन्द्र कुमार मीणा, महाराष्ट्र के धोत्रे सुमीत कुमार, यूपी के अजय कुमार, और दिल्ली के उदित पुष्कर को भी छत्तीसगढ़ मिला है।
स्टील प्लांट की कमीशनिंग में आएगी तेजी
रायपुर, 10 जून । एनएमडीसी के तकनीकी निदेशक और नगरनार स्टील प्लांट के प्रभारी निदेशक सोमनाथ नंदी अब नगरनार स्टील प्लांट बस्तर में बैठेंगे। नगरनार स्टील प्लांट के कमीशनिंग प्रक्रिया की निगरानी और कमीशनिंग प्रक्रिया को तय समय में सुचारू ढंग से संपन्न करने के लिए एनएमडीसी द्वारा यह निर्णय लिया गया है। सोमनाथ नंदी को भिलाई स्टील प्लांट जैसे वृहत इस्पात संयंत्र के संचालन का प्रत्यक्ष अनुभव है जिसका लाभ निश्चित रूप से नगरनार स्टील प्लांट को भी मिलेगा।
जानकार सूत्रों के अनुसार बस्तर में एनएमडीसी द्वारा स्थापित किए जा रहे नगरनार स्टील प्लांट की कमीशनिंग के लिए केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के अधीन काम करने वाली शासकीय एजेंसी मेकान की टीम पहले से ही काम कर रही है। जबकि एनएमडीसी की तरफ से अधिशासी निदेशक प्रशांत दास नगरनार स्टील प्लांट का काम देख रहे हे। संकेतों से यह लग रहा है कि मेकान के काम करने की गति से संभवत: एनएमडीसी प्रबंधन की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पा रही है।
इस संदर्भ में भी एनएमडीसी की तरफ से तकनीकी निदेशक सोमनाथ नंदी के नगरनार में पदस्थापना के बाद उच्च स्तरीय निर्णय लेने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी और प्लांट की कमीशनिंग की प्रक्रिया भी तेज होगी।
गौरतलब है कि 3 मिलीयन टन सालाना उत्पादन क्षमता के नगरनार स्टील प्लांट का उत्पादन इसी साल से शुरू होना है इसके लिए स्टील प्लांट के विभिन्न संयंत्रों के परीक्षण का कार्य चल रहा है। उम्मीद की जा रही है कि साल के अंत तक प्लांट में स्टील का उत्पादन शुरू हो जाएगा।
नगरनार स्टील प्लांट एनएमडीसी की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिस पर एनएमडीसी की तरफ से करीब 25 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। इस परियोजना के पूर्ण होने पर बस्तर जिले के स्थानीय निवासियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर न केवल रोजगार के नए अवसरों का सृजन होगा बल्कि स्थानीय क्षेत्र का विकास भी तेजी के साथ होगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 जून । अगले चौबीस घंटों के दौरान छत्तीसगढ़ में प्री मानसून बारिश होने के संकेत हैं। इधर आज राजधानी समेत प्रदेश के कई जिलों में सुबह से ही बादल छाएं हुए है। मौसम विभाग ने छत्तीसगढ़ में मानसून के 12 जून के आसपास दस्तक देने की भी संभावना जताई है।
इससे पहले गुरुवार को प्रदेश के अधिकांश शहरों में अधिकतम तापमान 40 से 45 डिग्री दर्ज किया गया। कुछ जगहों पर ग्रीष्म लहर चली है और कुछ जगहों पर ग्रीष्म लहर जैसी स्थिति भी बनी हुई थी। गुरुवार को अधिकतम तापमान बलौदा बाजार के अर्जुनी में 46.4 डिग्री दर्ज किया गया। रायपुर में 44.4 डिग्री दर्ज किया गया। 12 जून के आसपास छत्तीसगढ़ में मानसून के दस्तक देने की संभावना मौसम विभाग ने जताई है।
मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा ने बताया कि 10 जून से मानसून के आगे बढऩे के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो रही है। अरब सागर के मध्य भाग, दक्षिण महाराष्ट्र के कुछ भाग, गोवा कर्नाटक के कुछ हिस्सा, तमिलनाडु के कुछ भाग, आंध्र प्रदेश के कुछ भाग, पश्चिम मध्य और उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी के कुछ भाग में अगले 24 से 48 घंटे में मानसून की गतिविधि बढऩे की संभावना मौसम विभाग ने जताई है। मौसम विभाग ने बताया कि पूर्व पश्चिम द्रोणिका दक्षिण पूर्व उत्तर प्रदेश से मणिपुर तक 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। एक द्रोणिका पश्चिम बंगाल के उप हिमालयन क्षेत्र के अंदरूनी ओडिशा तक 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है।
भाजपा ने लगाए आरोप
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 जून । खरीफ के लिए राज्य में खादों की मांग की तुलना में केंद्र से हो रही कम आपूर्ति को देखते हुए राज्य शासन द्वारा सभी जरूरी तैयारियां शुरु कर दी गई हैं। किसानों को सहकारी संस्थाओं के माध्यम से अग्रिम उठाव करवाने, पोस मशीनों में नियमित एंट्री करवाने तथा प्राप्त उर्वरक के तेजी से भंडारण एवं वितरण की व्यवस्था की जा रही है। उर्वरकों के रेल के माध्यम से प्राप्त होने वाले रैक के लिए भी आवश्यक समन्वय किया जा रहा है।
खरीफ 2022 के लिए कुल 13.70 लाख टन का अनुमोदन भारत सरकार द्वारा दिया गया है। इसमें से यूरिया 6.50 लाख टन, डीएपी 03 लाख टन, पोटाश 80 हजार टन, एनपीके 1.10 लाख टन एवं सुपरफास्फेट 2.30 लाख टन है। माह अप्रैल एवं मई 2022 में राज्य को यूरिया की कुल आपूर्ति 3.29 लाख टन होनी थी, लेकिन केवल 2.20 लाख टन यूरिया ही प्राप्त हुआ। यूरिया के वितरण का संपूर्ण नियंत्रण भारत सरकार के उर्वरक मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
यूरिया की उपलब्धता खरीफ के लक्ष्य के विरुद्ध 62 प्रतिशत है। राज्य में एनपीके की उपलब्धता खरीफ के लक्ष्य के विरुद्ध 30 प्रतिशत, डीएपी की उपलब्धता 39 प्रतिशत, पोटाश की उपलब्धता 35 प्रतिशत है। आगामी दिनों में केंद्र से समय पर उर्वरक न मिलने पर इनकी कमी हो सकती है। यूरिया के अतिरिक्त अन्य सभी उर्वरक अधिकांशत: आयतित सामग्री पर आधारित हैं, इसलिए राज्य में पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध कराने का दायित्व केंद्र सरकार का है।
दूसरी तरफ, भाजपा किसान मोर्चा के प्रमुख संदीप शर्मा ने आरोप लगाया कि कृषि मंत्री द्वारा लगातार खाद की आपूर्ति को लेकर गलत बयानी की जाती है जिसके परिणाम स्वरूप खाद की कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है, किसानों का शोषण होता है। इसी प्रकार की बयानबाजी पिछले साल भी की गई थी और कहा गया कि खरीफ के लिए केंद्र ने मात्र 6 लाख टन खाद ही दिए। जबकि बाद में राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में 11.8 लाख टन वितरण बताया गया। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री ऐसा बयान देकर किसानों में आपाधापी फैलाकर फर्जी जैविक खाद किसानों को टिका कर गोबर घोटाला की वसूली करना चाहते हैं और षड्यंत्र पूर्वक केंद्र सरकार को बदनाम करना चाहते हैं।
रायपुर, 10 जून। तीन श्रेणी के डाक सहायकों के पदों के विलय (मर्जर) का विरोध बढ़ता जा रहा है। ओडिशा सीपीएमजी सर्किल के सहायक निदेशक आरी बीके पात्रो ने सहायक डाक महानिदेशक दिल्ली को इस पर पत्र लिखा है। गुरुवार को लिखे पत्र में पात्रो ने इस विलय हो अव्यवहारिक बताया है। उन्होंने डाक निदेशालय दिल्ली से इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि तीनों ही डाक सहायकों के कार्य अलग अलग होने से विलय करने पर न्याय नहीं हो पाएगा।
रायपुर, 10 जून। आदिमजाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग अधीनस्थ तृतीय श्रेणी अलिपिकीय सेवा भर्ती नियम 2011 एवं छत्तीसगढ़ लोक सेवा पदोन्नति नियम 2003 में निहित प्रावधानों एवं विभागीय पदोन्नति समिति की अनुशंसा पर विभाग अंतर्गत 138 छात्रावास अधीक्षक श्रेणी ‘द’ से श्रेणी ‘स’ में पदोन्नत किया गया है।
जो इस प्रकार है-
आरोपी पुलिस हिरासत में, जांच जारी
जशपुर, 10 जून। गुरुवार की शाम बाजारडांड में कथित रूप से गौ मांस बेच रहे दो युवकों और एक महिला को पकड़कर भाजपा युवा मोर्चा के कुछ लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया। युवकों से मारपीट भी की गई। मौके पर पहुंची पुलिस तीनों को छुड़ाकर अपने साथ थाने आई, उसके बाद वहां की चार पांच दुकानों में तोड़फोड़ की गई।
मिली जानकारी के अनुसार शहर के बाजारडांड की एक दुकान में मांस बेचते हुए 3 लोगों को कुछ लोगों ने देखकर हंगामा शुरू कर दिया। उनका कहना था कि वे गौ मांस बेच रहे हैं। हंगामा होने की खबर मिलने पर मौके पर एडिशनल एसपी प्रतिभा पांडे, एसडीओपी राजेंद्र परिहार सहित अन्य पुलिस अधिकारी जवानों के साथ पहुंचे और मांस के साथ तीनों को पकड़कर थाने ले आए। पुलिस के जाने के बाद बड़ी संख्या में जमा लोगों ने बाजार की चार से पांच दुकानों में तोड़फोड़ कर दी।
इधर पुलिस युवकों को हिरासत में लेकर मांस बिक्री के बारे में उनसे जानकारी ले रही है। अभी तक तोड़फोड़ की शिकायत नहीं की गई है। न ही युवकों द्वारा बेचे जा रहे मांस के गौ मांस होने की पुष्टि की गई है। युवक कहां के रहने वाले हैं, इस बारे में भी अभी जानकारी नहीं मिल पाई है।
रायपुर, 10 जून। बेमेतरा पुलिस नेशहर के एके मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में चोरी छिपे अस्पताल में इलाज करा रहे 2 नक्सलियों को गिरफ्तार किया है ।रायपुर से मिले इनपुट के बाद एसपी धर्मेंद्र कुमार छबई ने अस्पताल में दबिश देकर नक्सली और उसके अटेंडर को किया गिरफ्तार किया।गिरफ्तार नक्सली नारायणपुर का रहने वाला कांकेर में था सक्रिय।कतनार एल ओ सी का कमांडर है और 5 लाख का इनाम घोषित था। वह नाम बदलकर पेट मे छाले का इलाज करा रहा था ।
2 दिन से अस्पताल में था भर्ती।2 अन्य साथी नक्सली छापे के दौरान हुए फरार।बेमेतरा में नाकेबंदी कर फरार 2 अन्य नक्सलियों की तालाश में जुटी है पुलिस।जिला प्रशासन ने हॉस्पिटल को किया गिरफ्तार।