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मुंबई में देर शुरू हुई मूसलाधार बारिश से मुंबई वासियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शहर में भारी बारिश और जलजमाव को देखते हुए बीएमसी ने इमर्जेंसी सेवाओं को छोड़कर शहर के सभी निजी और सरकारी संस्थानों में छुट्टी का आदेश दिया। कमिश्नर की लोगों से अपील की है कि वे घर से बाहर ना निकलें।
रातभर हुई भारी बारिश ने मुंबई और मुंबई महानगरीय क्षेत्र में जिलों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। भारी बारिश के कारण सड़क और रेल यातायात गंभीर रूप से बाधित हुई है और आवश्यक सेवा दे रहे लोगों के आवागमन को प्रभावित किया है। यह जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को दी।
आईएमडी के अनुसार, शहर में 12.20 सेंटीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई, जबकि उपनगरों में रात के दौरान 27.50 सेंटीमीटर से अधिक बारिश हुई। आईएमडी मुंबई ने आगामी दिनों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है, इसके साथ ही अधिकारियों ने लोगों से आग्रह किया है कि जब तक आवश्यक न हो घर से बाहर न निकलें।
सेंट्रल मुंबई के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों जैसे सायन, माटुंगा, कुर्ला, चूना भट्टी, मझगांव, मस्जिद बंदर और बाइकुला से भारी जल-जमाव की सूचना मिली है। उपनगरों में कई इलाकों के अलावा गोरेगांव, मलाड, दहिसर, कुर्ला, घाटकोपर, मुलुंद में जलभराव होने की जानकारी सामने आई है।
कई इलाकों में बारिश का पानी रेलवे ट्रैक पर भर गया है। ऐसे में सीआर के मुख्य प्रवक्ता शिवाजी सुतार ने कहा कि, सेंट्रल रेलवे ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से ठाणे और वाशी तक उपनगरीय सेवाएं निलंबित कर दी हैं। स्पेशल मेल / एक्सप्रेस ट्रेनों को रिशेड्यूल किया गया है। रेल पटरियों के जलमग्न होने की वजह से वेस्टर्न रेलवे ने चर्चगेट से अंधेरी के बीच सभी उपनगरीय सेवाओं को निलंबित कर दिया है।
आईएमडी, मौसम विज्ञान के डिप्टी डायरेक्टर जनरल केएस होसलिकर ने कहा, "मुंबई और ठाणे उपनगरों में पिछले 12 घंटों में भारी बारिश के साथ कुछ क्षेत्रों में 150 मिलीमीटर से अधिक बारिश रिकॉर्ड करने की जानकारी मिली है।"(navjivan)
न्यूयॉर्क, 23 सितंबर (आईएएनएस)| अमेरिका में कोविड-19 के संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा मंगलवार को 200,000 को पार कर गया। यह आंकड़ा जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के सीएसएसई सेंटर ने जारी किया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र में कोरोना से अब तक 200,005 लोगों की मौत हो चुकी है।
सबसे ज्यादा न्यूयॉर्क में 33,092 और न्यूजर्सी में 16,069 मौतें हुई हैं। टेक्सास, कैलिफोर्निया और फ्लोरिडा में मौतों का आंकड़ा 13,000 को पार कर गया है।
भोपाल, 23 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना की तरह राज्य के किसानों को हर साल चार हजार रुपये की अतिरिक्त सम्मान निधि देने का फैसला लिया है, इस तरह किसानों के खाते में अब हर साल 10 हजार रुपये पहुंचेंगे। आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक से पहले मंत्री परिषद के सभी सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में प्रदेश के 77 लाख किसानों को प्रतिवर्ष तीन किस्तों में दो-दो हजार रुपये, कुल छह हजार रुपये प्रति किसान दिए जाते हैं। अब मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला करते हुए उन्हें राज्य सरकार की ओर से प्रतिवर्ष दो किस्तों में दो-दो हजार रुपये यानी कुल चार हजार रुपये की सम्मान राशि देने का फैसला किया है। केंद्र व राज्य सरकार की इन योजनाओं की कुल राशि अब 10 हजार रुपये हो जाएगी।
'मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना' से प्रदेश के सभी किसानों को लाभ होगा। विशेषकर छोटे किसानों के लिए यह योजना वरदान साबित होगी।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश के 77 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिल रहा है। मध्यप्रदेश सरकार किसानों का सर्वे कर प्रदेश के प्रत्येक किसान को मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ देगी। प्रदेश में खातेदार किसानों की अनुमानित संख्या एक करोड़ है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत के किसानों को सम्मान निधि की पहली किस्त के वितरण की शुरुआत पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर दी जाएगी। उस दिन किसानों के खातों में मुख्यमंत्री स्वयं भोपाल से तथा मंत्रीगण व अन्य जनप्रतिनिधि अन्य जिलों में आयोजित कार्यक्रमों में राशि अंतरित करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के किसानों को सरकार पूरा सुरक्षा चक्र प्रदान कर रही है। मध्यप्रदेश सरकार एक के बाद एक किसानों के हित में फैसले ले रही है। पहले किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराने की योजना शुरू की गई। फिर उनके खातों में गत वर्षो की फसल बीमा राशि डाली गई।
मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की प्रक्रिया के विषय में बताया कि लाभान्वित किए जाने वाले किसानों की जानकारी किसान सम्मान निधि पोर्टल पर दर्ज रहेगी। क्षेत्र के पटवारी जानकारी का सत्यापन करेंगे। किसानों को सिर्फ एक बार क्षेत्र के पटवारी को भौतिक रूप से आवेदन देना होगा।
फिल्म अभिनेता और पटना के रहने वाले सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में देशभर में अपने बयानों को लेकर खूब चर्चित बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस ले लिया है। उनके वीआरएस के आवेदन को सरकार ने मंजूर कर लिया है। इसके साथ ही कयास लगाया जाने लगा है कि पांडेय बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
बिहार के गृह विभाग (आरक्षी शाखा) ने मंगलवार को इसकी अधिसूचना जारी की कि बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया है। सूचना में बताया गया कि पांडे ने पहले ही वीआरएस का आवेदन किया था जिसे जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया।
गुप्तेश्वर पांडेय को पिछले वर्ष बिहार का पुलिस महानिदेशक बनाया गया था। वे अगले साल फरवरी में सेवानिवृत्त होने वाले थे। उनके वीआरएस के बाद संजीव कुमार सिंघल को अगले आदेश तक डीजीपी पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। संजीव सिंघल फिलहाल नागरिक सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवा के डीजी हैं।
बताया जा रहा है कि गुप्तेश्वर पांडे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए ये कदम उठाया है। अब वह जल्द ही विधिवत रूप से राजनीतिक पारी शुरू करने की घोषणा कर सकते हैं।
गुप्तेश्वर पांडे के राजनीति में जाने की चर्चाएं उस वक्त जोर पकड़ने लगी थीं जब उन्होंने हाल ही में अपने गृह जिले बक्सर का दौरा किया था और वहां जिला जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष से भी मुलाकात की थी। उस वक्त जब उनसे चुनाव लड़ने के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया था।
इसके बाद पटना वापस पहुंचने पर उन्होंने फिर जेडीयू के कुछ अन्य नेताओं से मुलाकात की थी। ध्यान रहे कि गुप्तेश्वर पांडेय के एनडीए के नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले भी उन्होंने वीआरएस लिया था लेकिन उस वक्त उन्हें टिकट नहीं मिला था। इसके बाद वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपनी नजदीकियों के चलते पुलिस सेवा में वापस आ गए थे।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)(navjivan)
पहली पुण्यतिथि : ‘छत्तीसगढ़’ विशेष
-मो. उस्मान कुरैशी
आज से ठीक एक वर्ष पहले दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर पी.डी. खेरा का 93 वर्ष की आयु में अपोलो हॉस्पिटल में देहावसान हो गया था। वे 36 साल पहले अचानकमार टाइगर रिजर्व घूमने के लिये आये थे और महानगर की आरामदेह जीवन शैली को त्यागकर यहीं के होकर रह गये। मिट्टी की एक झोपड़ी पर उन्होंने अपना बसेरा बना लिया। उन्होंने गरीब और वंचित बैगाओं की दशा सुधारने के लिये अपना शेष सारा जीवन लगा दिया। उनके स्वास्थ्य, बच्चों की शिक्षा और आर्थिक दशा ठीक करने के लिये वे निष्काम भाव से काम करते रहे। इस खास रिपोर्ट में उनसे लिया गया 7 वर्ष पुराने एक साक्षात्कार का अंश भी है जो बैगाओं की सामाजिक, आर्थिक स्थिति पर गहरे चिंतन की अभिव्यक्ति है। प्रो. खेड़ा को चाहने वाले उनकी समझ को केन्द्र में रखते हुए जन-जातियों को बचाने का काम कर सकते हैं। सरकार नीतियां बना सकती है। उनकी पहली पुण्यतिथि पर पढ़ें स्वतंत्र पत्रकार मो. उस्मान कुरैशी की यह विशेष रिपोर्ट-
छत्तीसगढ के मुंगेली जिले में बाघ और जंगली जानवरों से समृद्ध अचानकमार टाइगर रिजर्व के भीतर लमनी गांव है। ठीक एक साल पहले 23 सितंबर 2019 की सुबह अनजान शहरी लोगों की बढ़ती भीड़ का जमा होते जाना, इस गांव में बसे बैगा आदिवासियों के लिए कौतूहल था। ऐसा नहीं था कि ऐसी गाडियों और शहरी लोगों को वे पहली बार देख रहें हो। देखते थे, इन गाड़ियों को तेज रफ्तार के साथ अपने गांव की सडक से गुजरते हुए या फिर सीधे विश्राम-गृह में घुसते हुए। आज सड़क पर गाडियां और शहरी लोग तेज रफ्तार से भाग नहीं रहे थे, उनकी तेज रफ्तार गाड़ियों के पहिए गांव में सड़क किनारे बनी मिट्टी की झोपडी पर आकर थम जा रहे थे। इस भीड़ की वजह थी जंगल में तीन दशक से रह रहा शहरी आदमी और आदिवासियों के हमदर्द ‘दिल्ली वाले साब’। यानी प्रो. पीडी खेरा। जो बरसों पहले उनके बीच उनके पोशाकों से इतर कुर्ते पाजामे में उनकी ही तरह मिट्टी की झोपड़ी में ठहर कर उनके बीच रच-बस गए थे।
गांव के लोग सालों देखते रहे कि कभी-कभी कुछ लोग उनसे आकर मिलते है, लंबी बातचीत भी होते देखते रहे पर कभी इनका उनके साथ सरोकार हो, ऐसा महसूस नहीं किया। जंगल में बसे बैगा आदिवासियों को बीती शाम ही खबर हो गई थी उनके सिर पर अब आसमान नहीं रहा। दावानल की तरह ही तो ये खबर पूरे जंगल में फैल गई थी। समझ नहीं पा रहे थे कि ये क्या हो गया। पूरा जंगल उदास था। जंगल से निकल कर अल-सुबह ये सड़क के किनारे अपने मसीहा के पार्थिव देह को विदा करने उमड़ पड़े थे।
कम नहीं होता 35 साल का लम्हा, युवाओं की दो पीढ़ियों को अपने ज्ञान और सेवा से सींच कर बड़ा किया था, ज्ञान की रोशनी से रास्ता दिखा रहे थे। आज वे कृतज्ञ दृष्टि से अपने मसीहा को विदा होते देख रहे थे। और वे देख रहे थे उन अनजान चेहरों को जो उनके काफिले का हिस्सा बने हुए थे। न जाने क्या सोचकर ही तो वे कोई 35 साल पहले सैकडों मील दूर बड़े शहर के अभिजात्य जीवन और अपने लोगों की भीड़ को छोड़कर इस जंगल में अनजान लोगों के बीच आ बसे। इनके बीच ऐसे रचे-बसे की उनको लगा कि ये उनके ही हिस्से है। फिर ये कौन सी भीड़ थी जो उनका पीछा करते जंगल के बीच बने मिट्टी की झोपड़ी तक आ पहुंची थी। ऐसी जगह, जहां उनके बैठने तक की जगह नहीं। जहां रखी चारपाई के आधे हिस्से में किताबें पसरी हुई थी। इस जनसैलाब में उनका कोई रिश्तेदार, नातेदार नहीं था। जो थे उनमें नेता, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, आला दर्जे के प्रशासनिक अफसर शामिल रहे. जिनको प्रोफसर डॉ, पीडी खेरा के त्याग, सेवा और समपर्ण ने मुरीद बना दिया था।
दिसम्बर 2013 में उनसे इस रिपोर्टर की लम्बी बात हुई थी। तब प्रो. खेरा ने बताया कि जब सन् 1984 में पहली बार जब यहां आए तो यहां के बैगाओं को देखकर लगा कि जीवन की सार्थकता यहीं है। सच्ची मानव सेवा यहीं हो सकती है। जब वे यहां आए आदिवासी बहुत पिछड़े थे। मन को शांति मिली पर रुकने में बड़ी कठिनाईयां आती रही। समझ गया कि यहां बसेरा बनाना आसान काम नहीं है। शुरू में यहां कुछ भी नहीं था। राशन दुकानें भी नहीं थीं। ये सब चीजें यहां का सौर उर्जा का स्टेशन हमारी दौड़-धूप से बना। टाटा की एक टीम आई थी हम अचानकमार में थे। हमने मिलकर ये स्टेशन शिफ्ट करवाया। पता ही नहीं लगता था कि इस जंगल का मालिक कौन है, क्योंकि सरकारी सेवायें इन तक पहुंचती ही नहीं थीं। बसों की यात्रा कर कलेक्टर दफ्तर के (तब बिलासपुर जिला) दर्जनों बार चक्कर लगाये तब एक चलित खाद्यान्न सेवा शुरू हुई।
बैगाओं की सेहत को लेकर उनकी चिंता
बैगाओं के स्वास्थ्य पर चिंता जताते प्रोफेसर खेरा कहते कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। खाना नही मिलता, क्योंकि शिकार पर रोक है। पहले गोश्त शिकार करके खाते थे अब खरीदना पड़ता है जो बहुत महंगा है। यहां इनको कम से कम सूअर रखने की इजाजत दी जाए। ज्यादातर लोग दारू पीते हैं। दारू पीयें और खाना ठीक नहीं मिले तो टीबी हो जाता है। और भी बहुत सी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।ये निरक्षर लोग हैं। गलती से अपना खुराक ठीक करने कभी सूअर को पकड़ कर खा भी लें तो वन विभाग वाले नहीं छोड़ते। वे जंगली सूअर न खाएं तो क्या खाएं। एक गिलहरी को खा लिया तो जेल भेज दिया। सरकार इस खत्म होती जाति बचाने की बात करती है पर उनके जीने के तौर-तरीके पर भारी दखल है। ये उनके लिये अच्छा नहीं है। बैगाओं के लिये खादी के थैले में उनके पास हमेशा मलेरिया, बुखार की दवायें रहती थीं। बच्चों को नहलाना-धुलाना, साफ धुले कपड़े पहनाना, उनके रोज का काम था।
झूम खेती पर रोक ने पहुंचाया नुकसान
बैगाओं की संख्या लगातार घट रही है । पहले ये बहुतायत में थे अब वे जंगल में भी अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। बाहरी लोग बहुत आ गए हैं। उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं। बेटी की शादी होती है तो दामाद को भी यहां बसा लेते हैं। गोड़ हैं, अहीर हैं, सारी जातियां यहां आ गई। मूल तो असल में ये बैगा ही थे। वे झूम खेती (शिफ्टिंग कल्टिवेशन या बेवर खेती) करते थे। 20-25 लोगों का परिवार होता था, जितनी जरूरत होती थी उतना किसी भी जगह फसल उगा लेते थे। अब इस पर रोक लग गई है। जंगल के फल-फूल, पौधे पत्ते, धूप छांव सब उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। यह प्रथा बंद क्या हुई बैगा मारे गये, कुचल दिये गये। शहरों से डिग्री लेकर आये जंगल के अफसर इन बातों को क्या समझेंगे? वर्दी में आते हैं, सहमे हुए बैगा दुबक जाते हैं। जंगल में जो उपजता है, उसी पर बैगाओं का जीवन निर्भर है पर सब जंगल के अफसरों ने धीरे-धीरे अपने कब्जे में ले लिया। अब ये खायें तो क्या, जीवन बचायें तो कैसे?
मुंबई, 23 सितंबर (आईएएनएस) अभिनेता मनोज बाजपेयी को नए सिंगल 'बंबई में का बा' में उनके रैपिंग कौशल के लिए सराहा जा रहा है। गाने को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और नेशनल अवॉर्ड विजेता अभिनेता का कहना है कि इसकी सफलता के पीछे का कारण यह है कि गाना मूलभाषा में है और यह प्रवासी मुद्दे से संबंधित है।
सभी उम्र के लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहे गीत के बारे में बात करते हुए मनोज ने आईएएनएस को बताया, "यह बहुत ही अनोखा रैपिंग है, क्योंकि यह देसी भाषा में है। कोई भी भोजपुरी में रैप करने के बारे में नहीं सोच सकता था और वह भी उस विषय के बारे में जो प्रचलित है।"
गाने के लिए फिल्मकार अनुभव सिन्हा के साथ हाथ मिलाने वाले अभिनेता का कहना है कि प्रवासी मुद्दा ऐसा विषय है, जो आज नहीं जन्मा है।
अभिनेता ने कहा, "प्रवासी समस्या लंबे समय है। लोग अपने घरों को छोड़कर जिंदगी की तलाश में बड़े शहरों में जा रहे हैं, यह समस्या हमेशा से रही है और इसीलिए लोग गाने को पसंद कर रहे हैं। यह फैक्टर काम कर रहा हैं और यह बहुत अच्छी तरह से एक साथ सामने आया है।"
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 23 सितम्बर। जिला पुलिस ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, दिल्ली की ओर से मिली सूचना के आधार पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इन्हें न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है।
सरकंडा थाना प्रभारी व प्रशिक्षु डीएसपी ललिता मेहर ने बताया कि एनसीआरबी नई दिल्ली की साइबर सेल से इस बारे में सूचना भेजी गई थी। आईपी एड्रेस और मोबाइल फोन नंबर के आधार पर इनकी तलाश की गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया। इनमें एएन तिवारी (58 वर्ष) बंधवापारा, कृष्णा सूर्यवंशी (48 वर्ष) बंधवापारा और राहुल सोनी (21 वर्ष), चांटीडीह शामिल हैं। आरोपियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बच्चों और महिलाओं की अश्लील फोटो और वीडियो वायरल किये थे। सभी के खिलाफ धारा 67 क, 76 ख आईटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया। आरोपियों को पकड़ने में उप निरीक्षक धर्मेन्द्र वैष्णव, प्रधान आरक्षक अरविन्द सिंह, आरक्षक आशीष राठौर व तरुण केशरवानी की अहम् भूमिका रही।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फेसबुक इंडिया के सोशल मीडिया हेड अजीत मोहन की याचिका पर सुनवाई करेगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली विधानसभा द्वारा भेजे नोटिस को चुनौती दी है। याचिका न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, अनिरुद्ध बोस और कृष्णा मुरारी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है।
रविवार को, दिल्ली विधानसभा की शांति व सद्भाव पैनल ने मोहन को 23 सितंबर से पहले पेश होने का नया नोटिस दिया था। दरअसल, पैनल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को हेट स्पीच नियमों को जानबूझकर लागू नहीं करने के आरोप में यह नोटिस दिया था और आरोपों पर स्पष्टीकरण देने को कहा था।
इससे पहले भी पैनल ने फेसबुक इंडिया के प्रमुख को 10 और 18 सितंबर को विधानसभा की स्थायी समिति के समक्ष पेश होने का नोटिस दिया था। याचिका में इन समन के तत्वाधान में दिल्ली विधानसभा की ओर से किसी कठोर कार्रवाई पर रोक की मांग की गई है।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)| धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से गिरफ्तार एक चीनी नागरिक यान हाओ और उसके दो सहयोगियों को आठ दिन की एजेंसी की हिरासत में भेज दिया गया है। हैदराबाद में एक पीएमएलए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। एजेंसी ने यह जानकारी दी। ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि विशेष पीएमएलए कोर्ट ने हाओ, धीरज सरकार और अंकित कपूर को ईडी की हिरासत में भेज दिया गया। इनलोगों को चीनी नागरिक द्वारा चलाए जा रहे ऑनलाइन सट्टेबाजी एप के संबंध में धनशोधन से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया।
हैदराबाद में साइबरक्राइम स्टेशन ने डोकयापे टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और लिंकयून टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ ऑनलाइन सट्टेबाजी मामले में एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिसके आधार पर ईडी ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।
अधिकारी ने कहा कि आरोपी ने अपना सदस्य बनाने के लिए बड़ी संख्या में वेबसाइटों का निर्माण किया था और ये लोग आकर्षक इनाम देने का वादा करके भोले-भाले लोगों को फंसाते थे।
अधिकारी ने कहा, "पेटीएम और कैशफ्री का प्रयोग पैसे लेने और सभी सदस्यों और एजेंटों को कमीशन देने के लिए किया जाता था। ई-कॉमर्स की आड़ में ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने के लिए सैकड़ों वेबसाइट बनाई गई थी।"
ईडी ने इस संबंध में दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई और पुणे में 15 जगहों पर छापे मारे और 17 हार्ड डिस्क, पांच लैपटॉप, मोबाइल फोन और कुछ दस्तावेज प्राप्त किए।
आज 28 मौतें
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 सितंबर। राज्य में आज रात 10.25 बजे तक 2736 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 958 रायपुर जिले से हैं।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 418, राजनांदगांव 40, बालोद 70, बेमेतरा 21, कबीरधाम 4, रायपुर 958, धमतरी 77, बलौदाबाजार 125, महासमुंद 105, गरियाबंद 21, बिलासपुर 83, रायगढ़ 197, कोरबा 46, जांजगीर-चांपा 26, मुंगेली 67, जीपीएम 0, सरगुजा 79, कोरिया 1, सूरजपुर 36, बलरामपुर 5, जशपुर 48, बस्तर 59, कोंडागांव 0, दंतेवाड़ा 78, सुकमा 86, कांकेर 60, नारायणपुर 24, बीजापुर 0 अन्य राज्य 2 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
22 तारीख रात तक राज्य में कुल कोरोना मौतें 718 हुई हैं। इनमें 458 अन्य बीमारियों के साथ जुड़ी कोरोना-मौतें हैं और 260 सिर्फ कोरोना से हुई मौतें हैं। इन 24 घंटों में 28 नई मौतें सामने आई हैं।
इलाज-खर्च का अनुमान परिवार की अपील पर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 सितंबर। राजधानी के सबसे बड़े निजी अस्पताल रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल के एक मरीज के अनुमानित खर्च का कागज कल से सोशल मीडिया पर तैर रहा है जिसमें कोरोना इलाज के लिए दस लाख रुपये का अनुमान बताया गया है। इसे लेकर अस्पताल के खिलाफ सत्तारूढ़ कांगे्रस पार्टी से लेकर कई दूसरे तबकों ने बयान भी दिए हैं। इस बारे में अस्पताल के संचालकों में से एक और इसके संस्थापक डॉ. संदीप दवे ने आज एक वीडियो बयान जारी करके अपनी ओर से हकीकत बताई है।
डॉ. दवे ने इस वीडियो बयान के साथ-साथ एक लंबा लिखित बयान भी जारी किया है जिसमें इस मरीज के इलाज की जानकारी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मरीज का बिल नहीं है, परिवार समाज से मदद जुटाना चाहता था, इसलिए उसकी अपील पर एक अनुमानित खर्च बताया था। यहां पर वीडियो में उनकी बात सुनें-
नई दिल्ली, 22 सितंबर | आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि देश की जनता की गाढ़ी कमाई से अखबारों में अंग्रेजी में विज्ञापन देकर अपना चेहरा चमकाने की कोशिश की जा रही है। पार्टी ने कहा कि भाजपा बताए कि देश के 62 करोड़ किसान और कृषि क्षेत्र के मजदूरों में वे कौन से लोग हैं, जो अंग्रेजी विज्ञापन को पढ़कर 'मिनिमम सपोर्ट प्राइस', 'पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम' और 'पब्लिक सिक्योरमेंट' को समझेंगे।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने मंगलवार को कहा, "अंग्रेजी में विज्ञापन देना, क्या गरीब, दबे, कुचले और छले गए किसानों का मजाक उड़ाना नहीं है, क्या उसके जख्मों पर नमक छिड़कना नहीं है?" राघव चड्ढा ने कहा, "2015-16 का एग्रीकल्चरल सर्वे कहता है कि देश में 80 प्रतिशत किसानों के पास 2 एकड़ से भी कम जमीन है। वह गरीब किसान आज अपने गांव से साथ वाले गांव में अपनी फसल बेचने के लिए नहीं लेकर जा पाता है। किसान को ठगने की कोशिश की और अब अंग्रेजी में विज्ञापन देकर सरकार का चेहरा चमकाना चाहते हैं।"
वहीं, एन.डी. गुप्ता ने बताया कि राज्यसभा में कामकाज का सुबह 9 से दोपहर एक बजे तक समय होता है। मंत्री जी का भाषण चल रहा था। आदरणीय उपसभापति ने 1 बजे के बाद सर्वसम्मति बनाने की बात कही। लोकसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस पर सिर्फ आपकी पार्टी सहमत होगी, बाकी विपक्ष इस पर बिल्कुल सहमत नहीं है और इस सदन की पिछले 70 साल में यह परंपरा रही है कि जब भी कभी निश्चित समय से संसद का समय बढ़ाना हो, तो सदन की पूरी सहमति ली जाती है और आज सहमति नहीं है। इसके बाद आगे की चर्चा शुरू हो गई। जब बिल होता है, तब उसमें वोटिंग होती है।"
एन.डी. गुप्ता के मुताबिक, हर एक अमेंडमेंट क्लाउज पर विपक्ष ने कहा कि इस पर वोटिंग करवाइए। वोटिंग करवाने का विपक्ष का अधिकार है। नियम में यहां तक प्रावधान है कि यदि 240 सदस्यों में से 239 सदस्य बिल के पक्ष में है और अगर एक सदस्य भी वोटिंग चाहता है, तो उसकी बात माननी पड़ेगी, लेकिन उसको स्वीकार नहीं किया गया और सभी संशोधन पास होते गए। उसके बाद उसमें बिल आया और उस पर फिर डिवीजन की मांग की गई, लेकिन डिवीजन नहीं दिया गया और वह पास हो गया।
आप सांसद ने कहा कि किसानों को उनके रहमो-करम पर छोड़ दिया गया है। किसानों की आवाज उठाने वाले राज्यसभा सांसद संजय सिंह का कुर्ता फाड़ दिया गया, संसद में मार्शल ने उनका पैर पकड़ खींचा और आठ सांसदों को निलंबित कर दिया गया। यह सरकार ऑर्डिनेंस सरकार हो गई है, इसे न स्टैंडिंग कमेटी, न सेलेक्ट कमेटी और न पार्लियामेंट में विपक्ष की जरूरत है।"(NAVJIVAN)
भारतीय अर्थव्यवस्था को 5-6% की वृद्धि दर पर लौटने में 3 से 5 साल का वक़्त लगेगा. ये कहना है भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ. डी. सुब्बाराव का. उन्होंने बीबीसी को ईमेल के ज़रिए दिए एक इंटरव्यू में ये कहा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ये वृद्धि दर भी तब ही मुमकिन है जब सही तैयारी के साथ सही तरीक़े से सब कुछ किया जाएगा.
भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में क्या-क्या चुनौतियां होंगी और उनके क्या समाधान हो सकते हैं, उन्होंने विस्तार से बताया.
बड़ी चुनौतियां कौन सी हैं?
डॉ सुब्बाराव कहते हैं कि सबसे बड़ी चुनौती है लोगों की नौकरियां जाने से बचाना और फिर से विकास शुरू करना.
वो कहते हैं, "महामारी अब भी बढ़ रही है, ऐसे में अभी भी कई ख़तरे हैं. कहा नहीं जा सकता कि महामारी के प्रकोप में कब और कैसे कमी आ सकती है. इसलिए अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के पैमाने और जटिलताओं का बहुत ज़्यादा अंदाज़ा लगाना संभव नहीं है."
डॉक्टर सुब्बाराव ने कहा कि निस्संदेह मनरेगा अभी लाइफ़लाइन बना है लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं हो सकता.
वे कहते हैं, "अस्थायी राहत के तौर पर विस्तारित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार अधिनियम (मनरेगा) एक जीवन रेखा बन गया, लेकिन यह एक स्थायी समाधान नहीं हो सकता है."
डॉ. सुब्बाराव ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि महामारी से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती की स्थिति में थी. विकास दर एक दशक में सबसे कम - लगभग 4.1% पर थी, राजकोषीय घाटा (सरकार की कुल आय और व्यय के बीच का अंतर) अधिक था और वित्तीय क्षेत्र ख़राब ऋण की समस्या से जूझ रहा था.
वो कहते हैं कि महामारी का प्रभाव कम होने के बाद ये समस्याएं और बड़ी हो जाएंगी. "वापसी की हमारी संभावनाएं इस बात पर निर्भर करेंगी कि हम इन चुनौतियों का कितने प्रभावी तरीक़े से समाधान निकालते हैं."
जब उनसे पूछा गया कि उन्हें क्या लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के प्रभाव से कब तक बाहर आएगी और कब वापसी करेगी? तो डॉ सुब्बाराव ने कहा, "अगर आपका मतलब है कि अर्थव्यवस्था में सकारात्मक वृद्धि कब से होने लगेगी तो ये अगले साल से संभव है, लेकिन इस साल के नकारात्मक आंकड़े को देखते हुए यह भी कह सकते हैं कि ये सकारात्मक वृद्धि बहुत ज़्यादा नहीं होगी."
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों में लगभग एक चौथाई की गिरावट आई और कई अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि पूरे साल की ग्रोथ निगेटिव डबल डिजिट में रह सकती है.
"अगर आपका मतलब है कि वृद्धि दर में लंबे वक्त तक टिकने वाला 5-6% तक का सुधार कब आएगा, तो इसमें 3-5 साल लगेंगे और वो भी तब होगा जब सही तैयारी के साथ सही तरीक़े से सब कुछ किया जाएगा."
समाधानः अर्थव्यवस्था बेहतरी की ओर कैसे बढ़े?
वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ सुब्बाराव का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के पक्ष में कुछ सकारात्मक चीज़ें हैं और उस पर ही और काम किए जाने की ज़रूरत है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था ने शहरी अर्थव्यवस्था के मुक़ाबले बेहतर तरीक़े से रिकवर किया है. वो कहते हैं, "जब सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी तो मनरेगा के विस्तार की योजना ने एक लाइफलाइन दी, और महिलाओं, पेंशनभोगियों और किसानों के खातों में तुरंत पैसे डाले गए जिससे उनके हाथ में पैसे आए और फिर से मांग पैदा करने में मदद मिली."
"हाल में कृषि क्षेत्र में किए गए कई सुधार हालात बेहतर करने की दिशा में अच्छी शुरुआत है."
भारत का कंजम्पशन बेस भी देश के लिए एक बड़ी सकारात्मक चीज़ है. देश के 1.35 अरब लोग प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं.
डॉ. सुब्बाराव कहते हैं कि अगर उन लोगों के हाथ में पैसा दिया जाता है तो वो खर्च करेंगे जिससे आख़िरकार खपत ही बढ़ेगी. लेकिन ये लक्ष्य हासिल करने के लिए "मज़बूत नीतियों और उनको दृढ़ निश्चय के साथ लागू करने की ज़रूरत होगी."
भारतीय केंद्रीय बैंक में पद संभालने से पहले वित्तीय सचिव रह चुके डी सुब्बाराव इस आम राय से सहमति जताते हैं कि मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को पैसा खर्च करना शुरू करना चाहिए. निजी खपत, निवेश और शुद्ध निर्यात ग्रोथ के अन्य फैक्टर हैं, लेकिन फिलहाल ये सभी मुश्किल दौर में हैं.
साथ ही वो कहते हैं, "अगर सरकार इस वक़्त ज़्यादा खर्च करना शुरू नहीं करती है, तो ख़राब ऋण (बैड लोन) जैसी तमाम समस्याओं से निपटना और मुश्किल हो जाएगा और अर्थव्यवस्था की हालत और खस्ता होती जाएगी."
हालांकि वो चेतावनी देते हैं कि "सरकारी उधार की सीमा निर्धारित करना बहुत ज़रूरी होगा, ऐसा नहीं हो सकता कि इसकी कोई सीमा ही ना हो."
सरकार के लिए चार सूत्रीय कार्ययोजना
उन्होंने उन प्रमुख क्षेत्रों का ज़िक्र किया जिन पर उनके मुताबिक़ सरकार को फोकस करना चाहिए.
उनके मुताबिक़ सबसे पहले, आजीविका की रक्षा करनी होगी और ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीक़ा मनरेगा का विस्तार करना है जो सेल्फ-टार्गेटिंग है.
दूसरा है, सरकार को रोज़गार बचाने और बैड लोन को बढ़ने से रोकने के लिए संकटग्रस्त उत्पादन इकाइयों की मदद करनी चाहिए.
तीसरा, सरकार को बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खर्च करना चाहिए जो संपत्ति के साथ-साथ नौकरियों का निर्माण करेगा.
अंत में, सरकार को बैंकों में अतिरिक्त पूंजी डालनी होगी ताकि क्रेडिट फ़्लो को बढ़ाया जा सके.
इस पहेली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है नौकरियां पैदा करना. महामारी शुरू होने से पहले भी नौकरियों का सृजन एक बड़ी चुनौती थी.
रिसर्च फर्म, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के मुताबिक़, अगस्त में भारत की बेरोज़गारी दर नौ सप्ताह के उच्चतम स्तर यानी लगभग 9.1% पर थी.
"ज़रूरत है कि अर्थव्यवस्था एक महीने में 10 लाख नौकरियां पैदा करे; हम इसकी आधी भी पैदा नहीं कर रहे. बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में पहली बार इसी वादे के साथ जीतकर आए थे कि वो "20 की उम्र वाले उन लोगों की ज़िंदगी बदल देंगे जो नए रोज़गार की तलाश कर रहे हैं. इस वादे का पूरा नहीं होना उनकी एक नाकामी मानी जानी चाहिए."
महामारी और फिर इसकी वजह से लगे लॉकडाउन ने नौकरियों के सृजन को कई गुनी बड़ी चुनौती दी है.
ये पूछे जाने पर कि नौकरियां आएंगी कहां से? डॉक्टर सुब्बाराव कहते हैं, "नौकरियों के सृजन के लिए भारत को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (विनिर्माण क्षेत्र) पर निर्भर होना पड़ेगा. इसीलिए, मेक इन इंडिया, मेक फॉर इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड ये सभी महत्वपूर्ण नीतिगत उद्देश्य हैं."(BBCNEWS)
बीजिंग, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| चीनी राजकीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त में चीन में उपभोक्ता वस्तुओं की कुल खुदरा बिक्री 33 खरब 57 अरब 10 करोड़ युआन तक जा पहुंची, जो पिछले साल की समान अवधि से 0.5 प्रतिशत अधिक है। उपभोक्ता वस्तुओं की कुल खुदरा बिक्री की इस साल में पहली सकारात्मक वृद्धि बनी। सीएनबीसी ने रिपोर्ट जारी कर कहा कि चीनी उपभोक्ताओं के खर्च में बड़ा इजाफा होने से फिर एक बार जाहिर हुआ है कि चीनी अर्थव्यवस्था महामारी के प्रभाव से बाहर निकली है। वाशिंगटन टाइम्स ने रिपोर्ट जारी की कि चीनी लोग फिर से खर्च करने लगे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू खपत बढ़ने से चीन में आर्थिक पुनरुत्थान की एक अन्य बाधा दूर हो गयी है। पुनरुत्थान की शुरूआत में चीन का निर्माण उद्योग तेजी से बहाल होने लगा, लेकिन खपत की बहाली धीमी रही। लेकिन छह महीने बाद जबरदस्त पुनरुत्थान हुआ, और खपत तेजी से बढ़ने लगी।
अब चीन के विभिन्न क्षेत्रों में सामान्य जीवन बहाल हो चुका है। शॉपिंग मॉल, रेस्तरां और व्यायामशालाओं में फिर से भीड़ उमड़ने लगी है। चीन में सभी सिनेमाघर 20 जुलाई से फिर से खुल गये। शुरू में सिनेमाघर में उपस्थिति दर 30 प्रतिशत से कम होने का नियम था। लेकिन अगस्त के मध्य में सिनेमाघर में उपस्थिति दर 50 प्रतिशत तक उन्नत हो गयी। 25 सितंबर से उपस्थिति दर 75 प्रतिशत तक बढ़ायी जाएगी। 20 जुलाई से 20 सितंबर तक कुल 15 करोड़ लोगों ने सिनेमाघरों में फिल्में देखीं और बॉक्स ऑफिस की कमाई 5 अरब 41 करोड़ 60 लाख युआन की रही।
कोविड-19 महामारी से विश्व आर्थिक मंदी आयी। बहुत-से देशों में बेरोजारी दर काफी हद तक बढ़ी, ज्यादातर लोगों को आय नहीं मिल पायी। लेकिन चीन में कई महीनों तक आर्थिक पुनरुत्थान कायम है। इसे उदार नीति के कार्यांवयन से फायदा मिला है। देसी-विदेशी स्थिति में परिवर्तन के अनुसार चीन ने घरेलू आर्थिक चक्र को केंद्र बनाकर देसी-विदेशी आर्थिक चक्र को साथ में बढ़ाने का नया विचार पेश किया। यह बंद चक्र नहीं, बल्कि खुला चक्र है।
चीन में 1.4 अरब लोग रहते हैं और 40 करोड़ से अधिक मध्यम आय वर्ग हैं। चीन का बाजार विशाल है और मांग की बड़ी संभावना है। घरेलू बाजार का सकारात्मक चक्र बढ़ाना आर्थिक रणनीति बनाने में प्राथमिकता है। यह खुलेपन की नीति के विरुद्ध नहीं है। देसी-विदेशी चक्र को साथ में बढ़ाने से विकास में नयी गतिज ऊर्जा का समावेश होगी और नयी उम्मीद जगेगी।
(साभार--चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
--आईएएनएस
श्रीनगर, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) के अध्यक्ष संजय टिकू कश्मीर के गैर-प्रवासी पंडित समुदाय के अधिकारों के लिए श्रीनगर शहर के ऐतिहासिक गणपतियार मंदिर में अनशन पर हैं। आईएएनएस से बात करते हुए संजय टिकू ने कहा कि कश्मीर घाटी छोड़ कर न जाने वाले कश्मीरी पंडितों को नौकरी देने का सरकार का वादा अभी भी अधूरा है।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने प्रधानमंत्री के पुनर्वास पैकेज में गैर-प्रवासी पंडितों को शामिल करने के लिए 2013 में उच्च न्यायालय में मामला दायर किया था।
टिकू ने कहा, अदालत ने केंद्र और राज्य को हमारी मांगों पर विचार करने के लिए निर्देश दिए। हम कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए पीएम के पैकेज में शामिल थे।
उन्होंने कहा कि एसआरओ 425 के तहत गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों के लिए 500 सरकारी नौकरियों का कोटा रखा गया था लेकिन प्रक्रिया बिना किसी कारण के रुकी हुई है।
उन्होंने कहा कि समुदाय में निराशा की भावना है क्योंकि अधिकांश नौकरी के इच्छुक लोग उम्र की सीमा तक पहुंच रहे हैं।
इस बीच, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 808 कश्मीरी पंडित परिवार घाटी में ही रह गए। कालान्तर में वे श्रीनगर में बस गए। उनकी मांग पूरी नहीं की जा रही है और अब संजय टिकू मौत की ओर बढ़ रहे हैं। वो आमरन अनशन पर हैं। कश्मीरी पंडित परिवार, जिन्होंने आतंकवाद का मुकाबला किया, की उपेक्षा की जा रही है। दुखद है।
बता दें कि 1990 के दशक की शुरूआत में कश्मीर में उग्रवाद भड़कने के बाद कश्मीरी पंडित बड़ी संख्या में या तो दिल्ली चले गए या जम्मू में रहने लगे। हालाकि, कुल 808 पंडित परिवारों ने कश्मीर घाटी में रहने का फैसला किया और पलायन नहीं किया।
--आईएएनएस
बीजिंग, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ट्रेडोस अधनोम घेब्रेयसस ने 21 सितंबर को जिनेवा में आयोजित कोविड-19 से जुड़ी नियमित न्यूज ब्रीफिंग में कहा कि वर्तमान में विश्व में लगभग दो सौ कोविड-19 टीकों ने नैदानिक या प्रीक्लिनिकल परीक्षण चरण में प्रवेश किया है। हमारा लक्ष्य यह है कि वर्ष 2021 के अंत तक 2 अरब टीके तैयार होंगे। लेकिन, कोविड-19 का मुकाबला करने वाले उपकरण प्राप्त करने के गतिवर्धक नामक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पहल के सामने 35 अरब अमेरिकी डॉलर का अभाव है। ट्रेडोस ने उसी दिन आयोजित न्यूज ब्रीफिंग में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व वैक्सीन व टीकाकरण गठबंधन और महामारी निवारण नवाचार गठबंधन के साथ कोविड-19 टीके की योजना बनायी। ताकि सभी देश एक साथ कोविड-19 टीका प्राप्त कर सकें।
उनके अनुसार अब तक लगभग दो सौ कोविड-19 टीके नैदानिक या प्रीक्लिनिकल परीक्षण चरण में प्रवेश कर चुके हैं। टीके के अध्ययन से हमें पता लगा है कि कुछ असफल होंगे, और कुछ सफल होंगे। हम इस बात को सुनिश्चित नहीं कर सकते कि वर्तमान के अध्ययन में हर टीके का प्रयोग किया जा सकेगा। लेकिन उम्मीदवार टीकों की संख्या ज्यादा है, तो कारगर टीका प्राप्त करने के मौके ज्यादा होंगे।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
-- आईएएनएस
भोपाल, 22 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में किसान कर्जमाफी के मामले में शिवराज सिंह चौहान की सरकार घिर गई है, क्योंकि सरकार अभी तक यह कहती रही है कि कांग्रेस ने झूठ बोला है, कर्जमाफी हुई ही नहीं। मगर विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने माना है कि लगभग 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया गया है। सरकार के इस जवाब के बाद कांग्रेस उस पर हमलावर हो गई है और उसने मुख्यमंत्री चौहान व पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से प्रदेश की जनता को गुमराह करने के लिए माफी मांगने की मांग की है।
विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में बाला बच्चन ने जय किसान फसल ऋण माफी को लेकर एक सवाल पूछा था। उसका लिखित में जवाब देते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि इस योजना के तहत कुल 51 लाख 53 हजार से ज्यादा किसान फार्म भरे थे। इनमें से प्रथम चरण में 20 लाख 23 हजार 136 किसानों के लिए 71 सौ करोड़ और दूसरे चरण में छह लाख 72 हजार से ज्यादा किसानों के लिए साढ़े चार हजार करोड़ से ज्यादा की राशि स्वीकृत की गई।
कृषि मंत्री पटेल के इस जवाब पर सरकार को कांग्रेस ने घेरा है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों की ऋण माफी पर पहले दिन से ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया झूठ बोलते रहे हैं। इस झूठ की राजनीति का पर्दाफाश स्वयं शिवराज सरकार ने विधानसभा में कर दिया है और स्वीकार किया कि प्रदेश में प्रथम और द्वितीय चरण में कांग्रेस की सरकार ने 51 जिलों में 26 लाख 95 हजार किसानों का 11 हजार 6 सौ करोड़ रुपये से अधिक का ऋण माफ किया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता से सफेद झूठ बोलने और गुमराह करने की घृणित राजनीति के लिए शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया को तत्काल प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "सदन के पटल पर जो सच्चाई भाजपा सरकार ने स्वीकार की है, इससे शिवराज सिंह व भाजपा की झूठ की राजनीति का पर्दाफाश हो चुका है और मेरे द्वारा पहले दिन से ही किसान ऋण माफी की जो संख्या और सूची दी जा रही थी, वह अंतत: सच साबित हुई है। भाजपा चाहे जितना झूठ बोल ले, लेकिन जो सच्चाई है वह इस प्रदेश की जनता जानती है और हमारे किसान भाई इसके गवाह हैं। इसी सच्चाई को सदन में भाजपा सरकार के कृषि मंत्री ने लिखित में स्वीकार भी किया है।"
कमल नाथ ने कहा कि इस सच्चााई को स्वीकार करने के बाद शिवराज सरकार को शेष किसानों की ऋण माफी की प्रक्रिया जल्द शुरू करनी चाहिए। इसके साथ ही विधानसभा में जो बहाना ऋण माफी योजना की समीक्षा का बनाया गया है, वह यह बताता है कि भाजपा और शिवराज सिंह किसानों के विरोधी हैं। कांग्रेस सरकार ने ऋण माफी की जो योजना बनाई थी, वह पूरी तरह विचार-विमर्श के बाद ही तैयार की गई थी, जिसकी समीक्षा करने की कोई गुंजाइश नहीं बचती है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि देश की जनता की गाढ़ी कमाई से अखबारों में अंग्रेजी में विज्ञापन देकर अपना चेहरा चमकाने की कोशिश की जा रही है। आप ने कहा कि भाजपा बताए कि देश के 62 करोड़ किसान और कृषि क्षेत्र के मजदूरों में वे कौन से लोग हैं, जो अंग्रेजी विज्ञापन को पढ़कर 'मिनिमम सपोर्ट प्राइस', 'पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम' और 'पब्लिक सिक्योरमेंट' को समझेंगे। आप के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने मंगलवार को प्रेस वार्ता में कहा, "अंग्रेजी में विज्ञापन देना, क्या गरीब, दबे, कुचले व छले किसानों का मजाक उड़ाना नहीं है, क्या उसके जख्मों पर नमक छिड़कना नहीं है।"
वहीं, आप के राज्यसभा सांसद एन.डी. गुप्ता ने कहा, "किसानों को उनके रहमो-करम पर छोड़ दिया गया है। किसानों की आवाज उठाने वाले राज्यसभा सांसद संजय सिंह का कुर्ता फाड़ दिया गया, संसद में मार्शल ने उनका पैर पकड़ खींचा और आठ सांसदों को निलंबित कर दिया गया। यह सरकार ऑर्डिनेंस सरकार हो गई है, इसे न स्टैंडिंग कमेटी, न सेलेक्ट कमेटी और न पार्लियामेंट में विपक्ष की जरूरत है।"
वहीं, राघव चड्ढा ने कहा, "2015-16 का एग्रीकल्चरल सर्वे यह कहता है कि देश में 80 प्रतिशत किसानों के पास 2 एकड़ से भी कम जमीन है, वह गरीब किसान आज अपने गांव से साथ वाले गांव में अपनी फसल बेचने के लिए नहीं लेकर जा पाता है। हम साफ तौर पर चेतावनी देना चाहते हैं कि किसान को जो ठगने की कोशिश की है और अब अंग्रेजी में विज्ञापन देकर सरकार का चेहरा चमकाना चाहते हैं।"
एन.डी. गुप्ता ने कहा, "राज्यसभा में कामकाज का सुबह 9 से दोपहर एक बजे तक का समय होता है। मंत्री जी का भाषण चल रहा था। आदरणीय उपसभापति ने 1 बजे के बाद सर्वसम्मति बनाने की बात कही। लोकसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस पर सिर्फ आपकी पार्टी सहमत होगी, बाकी विपक्ष इस पर बिल्कुल सहमत नहीं है और इस सदन की पिछले 70 साल में यह परंपरा रही है कि जब भी कभी निश्चित समय से संसद का समय बढ़ाना हो, तो सदन की पूरी सहमति ली जाती है और आज सहमति नहीं है। इसके बाद आगे की चर्चा शुरू हो गई। जब बिल होता है, तब उसमें वोटिंग होती है।"
एन.डी. गुप्ता के मुताबिक, हर एक अमेंडमेंट क्लास पर विपक्ष ने कहा कि इस पर वोटिंग करवाइए। वोटिंग करवाने का विपक्ष का अधिकार है। नियम में यहां तक प्रावधान है कि यदि 240 सदस्यों में से 239 सदस्य बिल के पक्ष में है और अगर एक सदस्य भी वोटिंग चाहता है, तो उसकी बात माननी पड़ेगी, लेकिन उसको स्वीकार नहीं किया गया और सभी संशोधन पास होते गए। उसके बाद उसमें बिल आया और उस पर फिर डिवीजन की मांग की गई, लेकिन डिवीजन नहीं दिया गया और वह पास हो गया।
--आईएएनएस
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 सितंबर। राज्य में आज शाम 6.50 तक 2244 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सर्वाधिक 545 अकेले रायपुर जिले में है। केन्द्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के इन आंकड़ों के मुताबिक आज शाम तक 8 जिलों में सौ-सौ से अधिक कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
आईसीएमआर के मुताबिक आज बालोद 52, बलौदाबाजार 83, बलरामपुर 8, बस्तर 161, बेमेतरा 43, बीजापुर 71, बिलासपुर 119, दंतेवाड़ा 107, धमतरी 58, दुर्ग 169, गरियाबंद 15, जांजगीर-चांपा 79, जशपुर, 3, कबीरधाम 38, कांकेर 33, कोंडागांव 54, कोरबा 120, कोरिया 21, महासमुंद 100, मुंगेली 19, नारायणपुर 30, रायगढ़ 75, रायपुर 545, राजनांदगांव 123, सुकमा 39, सूरजपुर 36, और सरगुजा 43 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
केन्द्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के इन आंकड़ों में रात तक राज्य शासन के जारी किए जाने वाले आंकड़ों से कुछ फेरबदल हो सकता है क्योंकि ये आंकड़े कोरोना पॉजिटिव जांच के हैं, और राज्य शासन इनमें से कोई पुराने मरीज का रिपीट टेस्ट हो, तो उसे हटा देता है। लेकिन हर दिन यह देखने में आ रहा है कि राज्य शासन के आंकड़े रात तक खासे बढ़ते हैं, और इन आंकड़ों के आसपास पहुंच जाते हैं, कभी-कभी इनसे अधिक भी हो जाते हैं।
मुंबई, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| फिल्मकार अनुराग कश्यप पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली अभिनेत्री पायल घोष द्वारा अभिनेत्री हुमा कुरैशी का नाम लिए जाने के बाद हुमा ने मंगलवार दोपहर को अपना एक बयान जारी किया। पायल ने अपने हालिया एक इंटरव्यू में दो अन्य अभिनेत्रियों संग यह कहते हुए हुमा का नाम लिया था कि ये अभिनेत्रियां अनुराग के इस बुरे काम को अपने आचरण से बढ़ावा देती हैं।
मामले में अपना नाम लिए जाने पर भड़कीं हुमा ने अपने बयान में लिखा, "अनुराग और मैंने 2012-13 में आखिरी बार साथ में काम किया है। वह एक बेहद करीबी मित्र और एक बेहद प्रतिभाशाली फिल्मकार हैं। मेरे खुद के अनुभव और जानकारी में अनुराग ने मेरे या किसी और के साथ कोई बुरा बर्ताव नहीं किया है।"
हुमा आगे लिखती हैं, "फिर भी अगर किसी का यह दावा है कि उनके साथ गलत व्यवहार हुआ है, तो उन्हें प्रशासन, पुलिस और अदालत को इसकी सूचना देनी चाहिए। मैं अभी तक इसलिए चुप रही क्योंकि मैं सोशल मीडिया पर बहसबाजी और मीडिया ट्रायल्स पर यकीन नहीं रखती हूं। इस विवाद में मुझे घसीटे जाने से मैं वाकई में बहुत ज्यादा गुस्से में हूं। मुझे न सिर्फ अपने लिए बल्कि उन महिलाओं के लिए भी गुस्सा आ रहा है, जिनकी सालों की कड़ी मेहनत और संघर्षो को ऐसे स्तरहीन आरोपों से कमतर समझा जाता है। हमें ऐसी बातों से बचना चाहिए।"
हुमा आखिर में लिखती हैं, "मीटू की गंभीरता को बचाए रखने की जिम्मेदारी पुरूष व महिला दोनों की है। यह मेरी आखिरी प्रतिक्रिया है। इस मसले पर कुछ और कहने के लिए मुझसे कृपया संपर्क न करें।"
--आईएएनएस
अमृतसर, 22 सितंबर (आईएएनएस)| कृषि बिलों को लेकर भाजपा नीत केंद्र सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार करते हुए, पंजाब के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को कहा कि वह अपने संसदीय क्षेत्र अमृतसर (पूर्व) में इस बाबत हो रहे प्रदर्शनों में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के बिल का जवाब देने का कानूनी समाधान इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना है।
सिद्धू ने यह घोषणा ऐसा समय की है, जब पार्टी ने अपने सांसद/विधायकों को सदन द्वारा पारित कृषि बिल के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए कहा है।
सिद्धू ने मीडिया से कहा, "किसान पंजाब की आत्मा है और आत्मा पर हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
उन्होंने कहा, "बिल किसानों और मजदूरों की कीमत पर बड़ें पूंजीपतियों के फायदे में होगा और यह भारत के संघीय ढांचे को बुरी तरह से प्रभावित करेगा।"
कांग्रेस नेता ने कहा, "बिल 28,000 आढ़तियों और पंजाब में 4-5 लाख मंडी में काम करने वाले लोगों की आजीविका को छीन लेगा, जिनके पास 1850 बिक्री केंद्र हैं।"
--आईएएनएस
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 सितंबर। बस्तर के सुकमा जिले में बुर्कापाल नामक जगह पर 2017 में सीआरपीएफ के 25 लोग एक नक्सल हमले में मारे गए थे। यह जगह इस गांव से कुछ ही दूरी पर थी। यह बस्तर में सीआरपीएफ पर दूसरा बड़ा हमला था। अगले कुछ दिनों में राज्य पुलिस ने चिंतागुफा थाने में केस दर्ज करके आसपास के 6 गांवों के 120 आदिवासियों पर आतंक-विरोधी दफाओं के तहत मामला दर्ज कर लिया था।
हिन्दुस्तान टाईम्स के रिपोर्टर रितेश मिश्रा ने दक्षिण सुकमा के इस गांव के लोगों पर एक रिपोर्ट तैयार की है जिसके मुताबिक ये 120 आदिवासी इन कड़े कानूनों में तीन साल से जेल में हैं, और उनके मामले की सुनवाई भी शुरू नहीं हुई है, न ही किसी एक को भी जमानत मिली है।
गांव के लोगों का कहना है कि इस हमले के कुछ दिन बाद ही पुलिस ने गांव के लोगों को गिरफ्तार कर लिया जिनमें बुर्कापाल गांव के सरपंच का भाई भी था। उसका का कहना है- पुलिस ने गांव के हर पुरूष, और कुछ नाबालिग किशोरों को भी, सबको इन दफाओं में गिरफ्तार कर लिया। सरपंच खुद उस वक्त आन्ध्र में एक किराना दुकान में काम कर रहा था इसलिए उसका नाम रह गया। उसका कहना है कि इनमें से एक भी व्यक्ति का हमले से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन सबको नक्सली बताकर जुर्म दर्ज किया गया।
बस्तर में काम कर रही मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया कुछ आरोपी बनाए गए आदिवासियों की वकील भी है, उनका कहना है कि मामले की सुनवाई भी अब तक इसलिए शुरू नहीं हुई है कि पुलिस इतनी बड़ी संख्या में लोगों को अदालत में पेश करने में असमर्थ है। पुलिस का कहना है कि उसके पास इतनी संख्या में सिपाही नहीं है, और अदालत इन लोगों को छोटे समूहों में सुनना नहीं चाहती। बेला भाटिया का कहना है कि पुलिस ने इन लोगों को बिना जरूरी जांच और सुबूतों के गिरफ्तार कर लिया। उनका यह भी कहना है कि लॉकडाऊन के इस दौर में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए, और उसके बाद नियमित रूप से अदालत में उनकी सुनवाई होनी चाहिए।
ये सारे 120 लोग जगदलपुर में रखे गए हैं। बस्तर के आईजी सुंदरराज देरी के आरोपों को गलत बताते हुए कहते हैं कि कोरोना और लॉकडाऊन की वजह से इसमें देर हो रही है वरना पुलिस इस मामले की तेजी से सुनवाई की कोशिश करेगी।
पटना, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को बिना किसी का नाम लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद पर इशारों ही इशारों में परिवारवाद को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के लिए बेटा-बेटी परिवार, हमारे लिए तो पूरा बिहार ही परिवार है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्चुअल रूप से पथ निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, जल संसाधन विभाग सहित कई अन्य विभागों की योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों ने हमें मौका दिया है सेवा करने का। हम सेवा करते हैं, सेवा ही हमारा धर्म है।
उन्होंने दावा करते हुए कहा, बिहार आगे बढ़ रहा है, बिहार विकास कर रहा है और बिहार विकसित राज्य बनेगा, ये हमारा संकल्प है।
उन्होंने कहा कि न्याय के साथ विकास करने का हम प्रयास कर रहे हैं, जो हाशिए पर थे, उनको आगे लाने का काम किया है। बिहार के हर क्षेत्र में काम हो रहा है।
नीतीश ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उन्होंने इशारों ही इशारों में राजद शासनकाल की तरफ इशारा करते हुए कहा, 1990 से मौका मिला 2005 तक, कुछ नहीं किए। अब सोशल मीडिया पर तरह तरह के भ्रम फैला रहे हैं। कुछ लोगों के लिए बेटा-बेटी ही परिवार है। हमारे लिए पूरा बिहार परिवार है।
नीतीश ने कहा कि पार्टी के अंदर भी जो हैं, उसको भी इज्जत नहीं मिल रही है।
--आईएएनएस
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 सितंबर। सरकार जर्जर सरकारी भवनों के पुननिर्माण के लिए कार्ययोजना तैयार कर रही है। इस सिलसिले में मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया गया है। यह समिति पुननिर्माण पर फैसला लेगी।
बताया गया कि रायपुर के अलावा बिलासपुर, दुर्ग, नांदगांव और अन्य शहरों में कई सरकारी भवनों की दुर्दशा है। ये भवन पाश इलाके में स्थित हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन भी खाली पड़ी है। जिस पर संबंधित विभाग द्वारा अनदेखा करने के कारण अतिक्रमण हो रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसी जमीनों को चिन्हित कर कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही साथ जर्जर भवनों के पुननिर्माण को लेकर तीन मंत्रियों की समिति बनाई है। इन मंत्रियों में मोहम्मद अकबर, डॉ. शिव डहरिया और पीडब्ल्यूडी मंत्री ताम्रध्वज साहू शामिल हैं। इन मंत्रियों की जल्द बैठक होगी और इसमें पुननिर्माण आदि को लेकर फैसला लिया जाएगा।