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ग्वालियर, 19 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में उप-चुनाव से पहले ग्वालियर-चंबल इलाके में सियासत गर्माने लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेषाध्यक्ष कमल नाथ शुक्रवार को ग्वालियर पहुंचे और रोड-शो के जरिए अपनी ताकत का प्रदर्शन किया, तो दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ता उनके विरोध में उतरे। राज्य में 28 सीटों पर विधानसभा के उप-चुनाव होने वाले हैं। उनमें 16 सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल से हैं। बीते दो साल में यह पहला मौका है जब कमल नाथ ग्वालियर के प्रवास पर हैं।
कमल नाथ शुक्रवार को पहुंचे तो कार्यकर्ता उनका स्वागत करने के लिए सड़कों पर उतर आए। उनका रोड शो कई किलोमीटर लंबा रहा। कमल नाथ ने काफी देर कार से बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया।
कमल नाथ का जब रोड शो निकल रहा था इसी दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध करते हुए नारेबाजी की। पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ताओं को खदेड़ने के लिए हल्का बल प्रयोग किया।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के प्रभारी केके मिश्रा ने बताया है कि ग्वालियर में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के अभूतपूर्व स्वागत ने सभी रिकार्ड ध्वस्त किये। सरकार-भाजपा के पार्टीजनों के काफिलों को रोकने के बाद भी सारे कुप्रयास किए जो असफल रहा।
रोड शो के दौरान कमल नाथ ने वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के समाधिस्थल पर पुष्प अर्पित किए।
अमृतसर, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| अकाल तख्त ने शुक्रवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अधिकारियों को सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की 300 से अधिक प्रतियों के गायब होने के लिए जिम्मेदार ठहराया। अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अन्य जत्थेदारों की उपस्थिति के बीच, एसजीपीसी के कार्यकारी निकाय को लापरवाही के लिए दोषी ठहराया, जिसके कारण 2013 और 2015 के बीच गुरु ग्रंथ साहिब की 328 'सरूप' या प्रतियां गायब हो गईं।
गुरु ग्रंथ साहिब को केवल एसजीपीसी द्वारा मुद्रित और वितरित किया जा सकता है, जो एक 100 वर्षीय संगठन है जो देश भर के ऐतिहासिक गुरुद्वारों का प्रबंधन करता है।
गलती को स्वीकार करते हुए, एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। इसके अलावा एसजीपीसी के अधिकारियों, जिनमें लोंगोवाल शामिल हैं, ने 'वाहेगुरु जाप' करते हुए स्वर्ण मंदिर की परिक्रमा की।
अकाल तख्त मंच से सुनाई गई सजा के तहत एसजीपीसी कार्यकारी निकाय को धार्मिक या सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेने से 17 अक्टूबर तक के लिए रोक दिया गया है।
वे हालांकि 28 सितंबर को निर्धारित वार्षिक बजट सत्र में भाग ले सकते हैं।
साथ ही, एसजीपीसी के कार्यकारी सदस्यों को गुरुद्वारा सारागढ़ी निवास से गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब, की ओर जाने वाली सड़क को तीन दिनों तक रोजाना से साफ करने का निर्देश दिया गया है। हरमिंदर साहिब स्वर्ण मंदिर के नाम से लोकप्रिय है।
मुंबई, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| डांसर-अभिनेत्री नोरा फतेही ने कई बॉलीवुड फिल्मों में शानदार डांस करके अपनी पहचान बनाई है और उनके कई हिट नंबरों को प्लेबैक स्टार नेहा कक्कड़ ने आवाज दी है। नोरा का मानना है कि नेहा की आवाज में कुछ जादू है।
उन्होंने कहा, "नेहा की आवाज में जादू है। ऐसे कई गायक हैं, जिनकी आवाज शानदार हैं, लेकिन नेहा की आवाज में कुछ अलग हट के है, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। जब नेहा गाती है तो वह काफी एनर्जी महसूस करती हैं।"
नेहा ने डांस नंबर 'एक तो कम जिंदगानी', 'दिलबर', 'ओ साकी-साकी' 'गर्मी' में अपनी आवाज दी है, जिसमें डांस नोरा ने किया है।
नोरा ने इंडियाज बेस्ट डांसर के रेट्रो स्पेशल एपिसोड के दौरान कहा, "जब मुझे नेहा के गानों पर परफॉर्म करने का मौका मिलता है, तो मैं काफी लकी महसूस करती हूं। सभी कलाकारों को ऐसा मौका नहीं मिलता है।"
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| स्वदेशी शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप-चिंगारी ने शुक्रवार को कहा कि इसने टी-सीरीज के साथ एक म्यूजिक लाइसेंसिंग सौदा किया है। देश में जून के महीने में चीनी ऐप टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद स्वदेशी ऐप चिंगारी को लोगों ने अपने मनोरंजन के लिए अपनाना शुरू किया।
इस साझेदारी के परिणामस्वरूप, भारत सहित अन्य सार्क देशों व मध्य पूर्व में चिंगारी के सभी यूजर्स टी-सीरीज के म्यूजिक कलेक्शन का आनंद ले सकेंगे।
चिंगारी ऐप के सह-संस्थापक और सीईओ सुमित घोष ने अपने एक बयान में कहा, "चिंगारी यूजर्स अब अपने क्रिएशन को और अधिक जीवंत व मजेदार बनाने के लिए टी-सीरीज म्यूजिक लाइब्रेरी के हजारों गानों का चुनाव कर सकेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "इसमें सभी भारतीय भाषाओं में बॉलीवुड से लेकर इंडीपॉप और मेलोडी से लेकर सैड सॉन्ग तक सभी मौजूद होंगे। चिंगारी में टी-सीरीज के म्यूजिक लाइब्रेरी में हर शैली और मूड के हिसाब से गाने होंगे।"
- नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| गांवों से रोजी-रोजगार के सिलसिले में पहुंचने वाले प्रवासियों को मामूली किराए पर घर देने की योजना पर अब काम तेज हुआ है। ताकि कम पैसे में लोग शहरों में गुजारा कर सकें। आवास और शहरी विकास मंत्रालय इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए कुल दो मॉडल पर काम करने में जुटा है। बीते 31 जुलाई से शुरू हुई इस योजना को सरकार जल्द से जल्द धरातल पर उतारने की कोशिशों में जुटी हुई है।
मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, पहला मॉडल है कि शहरों में सरकारी पैसे से बने आवासों को अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में बदल दिया जाए। जिसके बाद जरूरतमंद प्रवासियों को एक हजार से तीन हजार रुपये में किराए पर उपलब्ध कराए जाएं। सरकार इस योजना को पीपीपी मोड में संचालित करना चाह रही है। बताया जा रहा है कि ये आवास 25 वर्षों के लिए अलॉट होंगे। फिर इन्हें लोकल बॉडीज के हवाले कर दिया जाएगा और फिर नए सिरे से आवंटन होगा।
शहरी विकास मंत्रालय ने दूसरा मॉडल भी तय किया है। इस मॉडल के तहत निजी और सार्वजनिक संस्थानों को उनकी खाली पड़ी जमीन पर किराए के घर बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। मसलन, अगर शहरी क्षेत्र में कोई फैक्ट्री है और उसके पास खाली जमीन है तो प्रवासियों के लिए वहां कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसमें सरकार भी मदद देगी। खास बात है कि निजी क्षेत्र के ऐसे कॉम्प्लेक्स बनाने पर उन्हें स्पेशल इंसेंटिव्स दिए जाएंगे।
खास बात है कि बीते गुरुवार को छह सांसदों ने लोकसभा में इस मसले पर लिखित में सवाल पूछा था, जिस पर आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि शहरी प्रवासियों और गरीबों को किफायती किराए पर आवास उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के तहत अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) 31 जुलाई को शुरू हुई। बता दें कि कोरोना काल में 20 लाख करोड़ के पैकेज के तहत यह योजना भी आती है। शुरूआत में इस पर छह सौ करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी है।
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पीएमसी बैंक घोटाला मामले में दिल्ली के तीन होटल अपने कब्जे में लिए गए हैं, जिनकी कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये आंकी गई है। ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि ये तीन होटल कॉन्क्लेव बुटीक हैं, जिनमें से एक कैलाश कॉलोनी में स्थित है जिसे अब एफएबी (फैब होटल) होटल के नाम से जाना जाता है, ईस्ट कैलाश में स्थित होटल कॉन्क्लेव कम्फर्ट को भी अब फैब होटल के नाम से जाना जाता है और कालकाजी में स्थित होटल कॉन्क्लेव एक्जीक्यूटिव का नाम भी अब फैब होटल्स है।
होटलों पर मालिकाना हक लिब्रा रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड, दीवान रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड और तुला होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रोमोटरों का है।
अधिकारी ने बताया कि पीएमसी बैंक से लोन की आड़ में लिब्रा रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड और दीवान रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 247 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से लिए गए हैं।
अधिकारी ने कहा, "ये पैसे एचडीआईएल ग्रुप ऑफ कंपनीज द्वारा पीएमसी बैंक से लिए गए 6,117 करोड़ रुपये लोन का हिस्सा हैं।"
ईडी ने पिछले साल सितंबर में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्च र लिमिटेड (एचडीआईएल) के निदेशक राकेश कुमार वाधवन, उनके बेटे सारंग वाधवन, पीएमसी बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयम सिंह, बैंक के प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस सहित अन्यों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है।
यह प्राथमिकी बैंक को 4,355 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाकर खुद को लाभ पहुंचाने के लिए दर्ज किया गया है।
-नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय कार्यकारिणी की भोपाल में दो दिनों तक चली बैठक शुक्रवार को खत्म हो गई। खास बात है कि विहिप की इस केंद्रीय बैठक में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी हिस्सा लिया। इस बैठक में विहिप के कार्यों की समीक्षा के साथ आगामी योजनाओं पर भी मंथन हुआ। हिंदू समाज की रक्षा और उत्थान को लेकर आगामी योजनाओं के बारे में संघ और विहिप के शीर्ष पदाधिकारियों के बीच चर्चा हुई।
भोपाल में हुई बैठक में हिस्सा लेने वाले विश्व हिंदू परिषद के एक शीर्ष पदाधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि, " हिंदू समाज की रक्षा के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं, इन विषयों पर बैठक में चर्चा हुई। आगामी योजनाओं पर भी मंथन हुआ। बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत का संगठन को मार्गदर्शन मिला है। शनिवार को भोपाल के विद्यार्थी परिषद कार्यालय पर विश्व हिंदू परिषद प्रेस कांफ्रेंस कर बैठक में हुई चर्चा के बारे में जानकारी देगा।"
बैठक में शामिल विहिप पदाधिकारियों ने बताया कि, "आदिवासियों के बीच जिस तरह से ईसाई मिशनरीज का प्रभाव बढ़ा है, उसे रोकने के लिए इस बैठक में चर्चा हुई। विश्व हिंदू परिषद इस दिशा में बड़े पैमाने पर कार्य करने की तैयारी कर रहा है।"
इस बैठक में विहिप की तरफ से अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, चंपत राय, विहिप महासचिव मिलिंड परांडे आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
छिंदवाड़ा, 18 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में किसानों की समस्याओं को लेकर पदयात्रा निकालते हुए कार्यालय का घेराव कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) सी पी पटेल के चेहरे पर कालिख पोत दी। पुलिस ने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस के पूर्व विधायक चौधरी गंभीर सिंह, युवक कांग्रेस नेता बंटी पटेल के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ता शुक्रवार को बाढ़ पीड़ित किसानों को मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर पद यात्रा निकालते हुए चौरई अनुविभागीय अधिकारी के कार्यालय जा पहुंचे और घेराव कर दिया। एसडीएम पटेल बाहर आकर प्रदर्शनकारियों से बात कर रहे थे, तभी एक नेता ने उनके चेहरे पर कालिख पोत दी। पुलिस को प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा।
पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए एसडीएम के चेहरे पर कालिख पोतने की बात स्वीकार करते हुए बताया कि, "पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है।
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| गूगल प्ले स्टोर से कुछ घंटों के लिए गायब रहने के बाद पेटीएम एक बार फिर प्लेटफॉर्म पर वापस आ चुका है। मोबाइल वॉलेट ऐप्लीकेशन पेटीएम को शुक्रवार को नीतिगत उल्लंघनों के कारण गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया था। दरअसल शुक्रवार को दिन में खबर आई थी कि गूगल ने सट्टेबाजी के कारण पेटीएम ऐप को अपने प्ले स्टोर से हटाने का फैसला किया है।
गूगल प्ले स्टोर का कहना था कि वो गैंबलिंग (जुआ) ऐप का समर्थन नहीं करता है और जुए से जुड़ी उसकी नीतियों का उल्लंघन करने के कारण पेटीएम को हटाया गया है। कुछ घंटे पहले ही पेटीएम ने यूजर्स को आश्वस्त करते हुए कहा था कि वो गूगल के साथ मिलकर इस समस्या पर काम कर रहा है और यूजर्स के पेटीएम वॉलेट में पड़े पैसे पूरी तरह सुरक्षित हैं।
नोएडा मुख्यालय वाला पेटीएम देश का सबसे बड़ा भुगतान ऐप है और इसकी गूगल पे के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा भी है।
पेटीएम ने हाल ही में यूजर्स को क्रिकेट के साथ जुड़कर कैशबैक प्राप्त करने के लिए पेटीएम क्रिकेट लीग लॉन्च की थी। यह गेम ग्राहकों को क्रिकेट के प्रति जुनून में इंगेज होने और कैशबैक जीतने के लिए था। इस गेम के तहत यूजर्स हर ट्रांजैक्शन के लिए खिलाड़ियों के स्टीकर्स प्राप्त करते हैं। इसे कलेक्ट करने के बाद उन्हें कैशबैक मिलता है।
पेटीएम ने कहा कि उन्हें शुक्रवार दोपहर को गूगल की तरफ से जानकारी दी गई कि गैंबलिंग संबंधी कुछ नियमों के उल्लंघन के आरोप में प्ले स्टोर से इस ऐप को हटाया जा रहा है। इस वजह से पेटीएम एंड्रॉएड ऐप को गूगल प्ले स्टोर से अनलिस्ट कर दिया गया था।
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
दुर्ग 18 सितंबर। जिला दुर्ग राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले में दूसरा सबसे बड़ा हॉटस्पॉट सेंटर बन गया है। इस 1 सप्ताह से रोज संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 300 से ज्यादा रहा है। आज भी जिले से 378 संक्रमित मरीजों की पुष्टि की गई है, और सात लोगों की मौत भी हुई हैं। जिले में आज तक कोरोना के कारण होने वाली कुल मौतों का आंकड़ा बढ़कर 263 पहुंच गया है।
चंदूलाल चंद्राकर कोविड-19 केयर सेंटर आजाद कोविड-19 केयर सेंटर एवं बीएसएफ आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉ अनिल शुक्ला ने बताया कि आज भी जिले से 378 कोरोना संक्रमित मिले हैं । साथ ही जिले से 7 लोगों कोरोनावायरस के कारण मौत भी हुई है आज मिले मरीज पूरे जिले के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों से शामिल हैं, जिसमें नगर पंचायत धमधा क्षेत्र से 10 संक्रमित मरीजों की पुष्टि की गई है। जिसमें 8 पुरुष एवं दो महिलाएं शामिल हैं।
रायपुर नाका दुर्ग से एक ही परिवार के 5 सदस्य भी संक्रमित पाए गए हैं । इसी प्रकार से मॉडल टाउन भिलाई से एक परिवार के चार सदस्य संक्रमित मिले हैं । महाराणा प्रताप चौक बीएसएफ से एक डॉक्टर एवं एक जवान, जवाहर नगर दुर्ग से 3 एवं 4 साल की 2 बालिकाएं शामिल हैं आज के संक्रमित मरीजों की सूची में अधिकांश संक्रमित मरीज एक परिवार में दो एवं तीन सदस्य शामिल हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 सितंबर। राज्य में आज रात 9.45 बजे तक 3842 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 672 रायपुर जिले से हैं।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 436, राजनांदगांव 309, बालोद 90, बेमेतरा 56, कबीरधाम 65, रायपुर 672, धमतरी 118, बलौदाबाजार 62, महासमुंद 3, गरियाबंद 38, बिलासपुर 302, रायगढ़ 168, कोरबा 185, जांजगीर-चांपा 334, मुंगेली 51, जीपीएम 35, सरगुजा 62, कोरिया 43, सूरजपुर 62, बलरामपुर 15, जशपुर 30, बस्तर 163, कोंडागांव 47, दंतेवाड़ा 135, सुकमा 63, कांकेर 63, नारायणपुर 91, बीजापुर 145, अन्य राज्य 1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
प्रदेश में अब तक कोरोना से संबंधित 645 हुई हैं। आज 36538 एक्टिव केस हैं। और 44392 मरीज ठीक हो चुके हैं। 9148 लोग होम आइसोलेशन में हैं।
रायपुर, 18 सितंबर। कृषि संबंधी तीन अध्यादेशों को इस संसद सत्र में कानून का रूप दिया जा रहा है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने इन अध्यादेशों को कृषि विरोधी बताते हुए 25 सितम्बर को देशव्यापी प्रतिरोध आंदोलन का आह्वान किया है।
यह जानकारी छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने आज यहां दी। उन्होंने कहा कि हमारे देश की कृषि व्यवस्था के तीन महवपूर्ण पहलू है : उत्पादन, व्यापार और वितरण। ये अध्यादेश कॉरपोरेटों के मुनाफों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की वर्तमान व्यवस्था को ध्वस्त करते है।
उन्होंने कहा कि उत्पादन के क्षेत्र में ठेका कृषि लाने से किसान अपनी ही जमीन पर गुलाम हो जाएगा और देश की आवश्यकता के अनुसार और अपनी मर्जी से फसल लगाने के अधिकार से वंचित हो जाएगा। इसी प्रकार कृषि व्यापार के क्षेत्र में मंडी कानून के निष्प्रभावी होने और निजी मंडियों के खुलने से वह समर्थन मूल्य से वंचित हो जाएगा। इस बात का भी इन अध्यादेशों में प्रावधान किया जा रहा है कि कॉर्पोरेट कंपनियां जिस मूल्य को देने का किसान को वादा कर रही है, बाजार में भाव गिरने पर वह उस मूल्य को देने या किसान की फसल खरीदने को बाध्य नहीं होगी यानी जोखिम किसान का और मुनाफा कार्पोरेटों का!
किसान सभा नेताओं ने आरोप लगाया कि इन अध्यादेशों के जरिये सरकार कृषि के क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों से छुटकारा पाना चाहती है। वह धीरे-धीरे किसान का अनाज खरीदना बंद कर देगी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी। आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से अनाज को बाहर करने से जमाखोरी, कालाबाजारी और मुनाफाखोरी बढ़ेगी। कुल मिलाकर, ये तीनों अध्यादेश कार्पोरेटों के लिए एक पैकेज बनाते हैं और यह किसानों, उपभोक्ताओं और आम नागरिकों के हितों के खिलाफ जाता है। इससे हमारी खाद्यान्न आत्मनिर्भरता खत्म होती है और खेती-किसानी के घाटे का सौदा बनने से किसानों का जमीन से अलगाव बढ़ता है। इससे किसान आत्महत्याओं में और ज्यादा वृद्धि होगी।
किसान संघर्ष समन्वय समिति से जुड़े संगठनों ने कहा है कि भले ही सरकार अपने पाशविक बहुमत की ताकत से इन अध्यादेशों को कानूनों में बदल दें, लेकिन देश की जनता इस पर अमल नहीं होने देगी और अब संसद के अंदर लड़ी जाने वाली लड़ाई सडक़ों पर लड़ी जाएगी। पूरे देश के किसान और किसान संगठन मिलकर 25 सितम्बर को प्रतिरोध आंदोलन करेंगे। इस आंदोलन के अंर्तगत रेल जाम, सडक़ जाम, अध्यादेशों का दहन जैसे कार्यक्रम होंगे। पराते ने कहा कि देश की जनता से जिस प्रकार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को कानून बनने से रोका था, उसी प्रकार इन खेती-किसानी बर्बाद करने वाले कदमों को वापस लेने के लिए मोदी सरकार को मजबूर किया जाएगा।
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) देश के बाकी लोगों के समान ही भ्रष्टाचार और घपलेबाजी से पीड़ित है। एक नई किताब में यह खुलासा हुआ है। न्यूयॉर्क टाइम्स में काहिरा ब्यूरो चीफ डेक्लान वाल्श ने अपनी 'द नाइन लाइव्स ऑफ पाकिस्तान' नामक किताब में यह खुलास किया है। देश से निकाले जाने से पहले उन्होंने 'द गार्जियन' और फिर 'द टाइम्स' के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संवाददाता के तौर पर नौ साल तक पाकिस्तान को कवर किया है।
वाल्श किताब में कहते हैं कि हाल के दशकों में आईएसआई नेतृत्व ने कई प्रमुख गलत अनुमान (मिथ्या गणना) लगाए हैं, जिनके न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि स्वयं जासूसी एजेंसी के लिए भी गंभीर परिणाम सामने आए हैं।
किताब इस तथ्य की ओर इशारा करती है कि आईएसआई भय को एक हथियार के रूप में उपयोग करती है, लेकिन इसकी क्षमताओं को अक्सर कम करके आंका जाता है।
हालांकि इसे जमीनी स्तर पर प्रभावी बताया गया है और पश्चिमी खुफिया एजेंसियों द्वारा इसकी भारतीय प्रतिद्वंद्वी अनुसंधान एवं विश्लेषण विंग (रॉ) से बेहतर के रूप में देखा जाता है। मगर किताब के अनुसार, सीआईए या ब्रिटेन की एमआई-6 के सांचे में आईएसआई एक पेशेवर एजेंसी नहीं मानी जाती है।
जो सेना के अधिकारी एजेंसी चलाते हैं, वह कुछ सालों में सेना की अन्य शाखाओं में चले जाते हैं। किताब में कहा गया है कि इस्लामाबाद में सीआईए स्टेशन प्रमुख रॉबर्ट ग्रेनियर के अनुसार, जासूसी एजेंसी आईएसआई देश के बाकी लोगों के समान ही भ्रष्टाचार और घपलेबाजी से पीड़ित है। यह अक्सर अपनी सबसे खतरनाक संपत्तियों पर नियंत्रण खो देती है। किताब में इसे इस तरीके से बयां किया गया, "कठपुतली मास्टर जो अपनी कठपुतलियों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं।"
दशकों तक आईएसआई के साथ काम करने वाले एक वरिष्ठ ब्रिटिश अधिकारी ने कहा, "जब विश्लेषण की बात आती है, तो आईएसआई का रिकॉर्ड खराब है।"
वाल्श ने अपनी किताब में बताया कि उस वक्त उनके साथ काम करने वाले एक रिपोर्टर को मास्क पहनकर आए कुछ लोग लेकर गए थे। उन्होंने उस रिपोर्टर से कड़ी पूछताछ की। पूछताछ के दौरान रिपोर्टर को मारा-पीटा भी गया। उन्होंने आगे बताया कि रिपोर्टर को छोड़ने के बाद उसे धमकी दी गई कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया तो उसकी पत्नी के साथ दुष्कर्म कर वीडियो यूट्यूब पर अपलोड कर दी जाएगी। आज रिपोर्टर अपने परिवार के साथ स्विट्जरलैंड में रह रहा है।
--आईएएनएस
जम्मू, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर के बांदीपोरा जिले के गुरेज सेक्टर में शुक्रवार को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार से अकारण गोलीबारी शुरू करने के कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में पुंछ के बालाकोट सेक्टर में भारतीय चौकियों को निशाना बनाने के लिए मोर्टार और अन्य हथियारों का इस्तेमाल किया।
कर्नल देवेंद्र आनंद ने कहा कि पाकिस्तान ने शाम करीब 4.30 बजे बालाकोट सेक्टर के पास छोटे हथियारों से गोलीबारी करके और मोर्टार के साथ भारी गोलाबारी करते हुए युद्धविराम का उल्लंघन किया।
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। घाटी के गुरेज सेक्टर में इसी तरह के संघर्षविराम उल्लंघन के चार घंटे बाद ही कंजलवान गांव में एलओसी के करीब रहने वाले ग्रामीणों में दहशत पैदा हो गई।
रक्षा प्रवक्ता ने कहा, "भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की है।"
कुछ ग्रामीणों ने हमलों के बाद अपने परिवारों के साथ सुरक्षित स्थानों पर जाना शुरू कर दिया है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में 75वें सत्र की सामान्य बहस (जनरल डिबेट) से पहले जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने के लिए पाकिस्तान ने सोशल मीडिया पर भारत विरोधी और मुक्त कश्मीर अभियान चलाने की योजना बनाई है। खुफिया सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान शनिवार से सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर भारत विरोधी कार्यक्रम की शुरूआत करेगा।
सूत्र ने कहा, "पाकिस्तान ने 19 सितंबर 2020 को हैशटैग कश्मीर वान्ट्स फ्रीडम के साथ दुनियाभर में एक ट्विटर अभियान शुरू करने की साजिश रची है।"
सूत्र ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र की आम बहस से पहले यह प्रचार वर्तमान भारत सरकार को लक्षित करता हुआ प्रतीत होता है। सूत्र ने कहा कि यह पूरी तरह से आधारहीन और काल्पनिक तर्क पर आधारित है।
पाकिस्तानी सेना और इसकी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) शनिवार से भारत विरोधी ऑनलाइन अभियान को अंजाम देंगी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को संबोधित करेंगे। एक दिन बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से सत्र को संबोधित करने की उम्मीद है।
कोरोनावायरस महामारी के कारण यूएनजीए का सत्र 15 सितंबर से शुरू किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के प्रतिनिधि 22 सितंबर से शुरू होने वाली सामान्य बहस के दौरान वर्चुअल (ऑनलाइन) संबोधन देंगे।
पाकिस्तान ने स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में अभियान की योजना बनाई है।
उन्होंने अमेरिका में न्यूयॉर्क में सुबह 11 बजे और कैलिफोर्निया में रात आठ बजे अभियान शुरू करने की योजना बनाई है।
इसके अलावा पाकिस्तान कनाडा के टोरंटो में सुबह 11 बजे एक ऑनलाइन अभियान करेगा। इसके अलावा वह ब्रिटेन में दोपहर एक बजे अभियान शुरू करेंगे। सऊदी अरब, कुवैत और कतर में पाकिस्तान ने दोपहर तीन बजे की योजना बनाई है, जबकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में अभियान शाम 5.30 बजे शुरू होगा।
संपूर्ण पाकिस्तान में शाम पांच बजे अभियान की शुरूआत करने की योजना है और मलेशिया के कुआलालंपुर में स्थानीय समयानुसार रात आठ बजे भारत विरोधी अभियान को अंजाम दिया जाएगा।
एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा, "पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर को विकसित करने के भारत के प्रयासों को नष्ट या कम करने की कोशिश करता रहा है, चाहे वह आतंकवाद हो या कश्मीर में स्थिति को गलत तरीके से चित्रित करने के लिए विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग हो।"
पाकिस्तान पांच अगस्त को भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से ही बौखलाया हुआ है। वह आए दिन नए-नए तरीके अपनाता है, ताकि भारत को विश्व समुदाय के सामने बदनाम किया जा सके। अब उसने सोशल मीडिया के जरिए भारत विरोधी अभियान शुरू करने की योजना बनाई है।
--आईएएनएस
संयुक्त राष्ट्र, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि वैश्विक कोरोनावायरस महामारी हर जगह शांति के लिए जोखिम बढ़ा रहा है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की 39वीं वर्षगांठ से इतर गुरुवार को 'यूएन पीस बेल सेरेमनी' में कहा, "यह संघर्ष में फंसे लोगों के लिए एक बड़ा खतरा है, यही वजह है कि मैंने वैश्विक संघर्ष विराम के लिए तत्काल अपील की।"
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस हर साल 21 सितंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है।
उन्होंने कहा, "मैं अगले सप्ताह जनरल डिबेट के दौरान इसका फिर से आह्वान करूंगा। हमें बंदूक को शांत रखने और अपने सामान्य दुश्मन वायरस पर फोकस करने की जरूरत है।"
संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं की वार्षिक बैठक महामारी के कारण 75 साल के इतिहास में पहली बार इस वर्ष वर्चुअल रूप से होने जा रहा है।
22 सितंबर को जनरल डिबेट का पहला दिन है।
गुटेरेस ने कहा कि जहां कहीं भी संघर्ष हो रहा है, वहां शांति के लिए जोर देने और बंदूकों को शांत रखने की जरूरत है।
--आईएएनएस
इस्लामाबाद, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| कोरोनावायरस की वजह से लगभग छह महीनों के बाद पाकिस्तान ने मंगलवार से शिक्षण संस्थानों को फिर से खोलने का काम शुरू किया था। देशभर में हाई स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय खुलने के 72 घंटों के भीतर ही अब इनमें से 35 से अधिक संस्थानों को स्वास्थ्य दिशानिर्देशों और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन न करने पर बंद करने के लिए कहा गया है।
नेशनल कमांड एंड ऑपरेशंस सेंटर (एनसीओसी) ने शुक्रवार को एक बयान में खुलासा किया कि स्वास्थ्य दिशानिर्देश और प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने पर पिछले 24 घंटों में खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत में कम से कम 10 शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया, जबकि तीन संस्थान सिंध में बंद किए गए हैं।
एनसीओसी के अनुसार, एक दिन पहले ही 22 संस्थाओं को बंद कराया गया था, जिनमें खैबर पख्तूनख्वा के 16, इस्लामाबाद का एक और पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) के पांच संस्थान शामिल हैं।
इन संस्थानों के अलावा, कई अन्य स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय भी हैं, जिन्होंने अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को रोक दिया है, क्योंकि उनके परिसरों से भी नोवेल कोरोनावायरस के पॉजिटिव मामले सामने आए हैं।
पाकिस्तान में फिलहाल इस बात पर व्यापक बहस छिड़ी हुई है कि संघीय सरकार के शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने का निर्णय सही था या नहीं। कई अभिभावकों, छात्रों, शिक्षण कर्मचारियों और प्रांतीय अधिकारियों ने इस निर्णय की समीक्षा करने का आग्रह किया है, क्योंकि वायरस का खतरा अभी भी खत्म नहीं हुआ है।
महामारी के कारण कम से कम छह महीने के अंतराल के बाद देश में शैक्षणिक संस्थान मंगलवार को फिर से खोले गए थे।
प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को कहा था, "यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता और सामूहिक जिम्मेदारी है कि हर बच्चा सुरक्षा के साथ पढ़ने के लिए स्कूल जा सके।"
उन्होंने कहा, "हमने यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया है कि स्कूल संचालन कोविड-19 पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा नियमों का पालन करें।"
लेकिन अब विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से पॉजिटिव मामले सामने आने के बाद सरकार ने ऐसे संस्थानों को बंद करने का फैसला किया है, जो दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।
पाकिस्तान में अभी तक 304,386 कोरोना मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 291,638 लोग ठीक हो चुके हैं। देश में संक्रमण की वजह से 6,408 लोगों की मौतें हुई हैं।
--आईएएनएस
-राजू साजवान
केंद्र सरकार ने 18 सितंबर 2020 को जानकारी दी कि चीन में लॉकडाउन खुलते ही भारत में दवाओं के कच्चे माल (जिसे एपीआई -एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट- कहा जाता है) की आपूर्ति शुरू हो गई थी और मार्च से अगस्त के बीच लगभग 5,500 करोड़ रुपए का एपीआई आयात किया जा चुका है।
राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने बताया कि दवा के निर्माण के कई एपीआई चीन से आयात किए जाते हैं। सीडीएसओ के विभिन्न बंदरगाह कार्यालयों के आंकड़ों के अनुसार मार्च में 4448.9 टन एपीआई चीन से आयात किया गया, जिसकी कीमत लगभग 795 करोड़ रुपए थी। इसी तरह अप्रैल में 897 करोड़ रुपए की कीमत के 5,341 टन एपीआई आयात किया गया। इसके बाद मई-जून में आयात में कमी आई। जुलाई में आयात में तेजी आई और पिर अगस्त में आयात में कमी आई है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि सीमा पर लगातार तनाव की खबरों के बीच सरकार बार-बार कहती रही है कि चीन से व्यापारिक रिश्ते खत्म किए जाएंगे, लेकिन एपीआई आयात में कुछ गिरावट के बाद फिर से तेजी बनी हुई है।
दिलचस्प बात यह है कि केंद्र सरकार कह रही है कि उसके पास चीन द्वारा एपीआई पर वसूले जा रहे किसी तरह के अतिरिक्त शुल्क की शिकायत नहीं आई है, लेकिन सरकार के आंकड़े बताते हैं कि मई 2020 में एपीआई का आयात तो कम किया गया, लेकिन कीमत अधिक चुकानी पड़ी। जैसे कि अप्रैल 2020 में चीन से 5,341 मीट्रिक टन एपीआई का आयात किया गया, जिसका मूल्य 897.57 करोड़ बताया गया है, लेकिन मई में केवल 3,961.4 टन एपीआई आयात किया गया, जबकि इसका मूल्य कम होने की बजाय बढ़ गया और 949.42 करोड़ रुपए कीमत की एपीआई का आयात हुआ बताया गया है। इसी तरह जून-जुलाई में भी आयात कम हुआ, लेकिन कीमत ज्यादा देनी पड़ी।
महीना आयात की मात्रा, टन में मूल्य करोड़ में
मार्च, 2020 4,448.9 795.02
अप्रैल, 2020 5,341.7 897.57
मई, 2020 3,961.4 949.42
जून, 2020 3,634.1 973.42
जुलाई, 2020 4,812.1 1,094.82
अगस्त 2020 4,023.5 804.81
स्त्रोत: डीसीजीआई, सीडीएसओ
चीन से आयात होता है 72 फीसदी कच्चा माल
राज्यसभा में पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में गौड़ा ने बताया कि भारत दवाइयों के उत्पादन के लिए विभन्न बल्क औषधि/सक्रिय औषधीय सामग्री (एपीआई) का आयात करता है। बल्क औषधि, माध्यमिक औषध के कुल आयात का दो तिहाई हिस्सा चीन से आयात किया जाता है। रसायन मंत्री ने बताया कि 2017 में 68.62 फीसदी कच्चा माल चीन से आयात हुआ, जबकि 2018 में 66.53 फीसदी और 2019 में 72.40 फीसदी कच्चा माल चीन से आया।
आत्मनिर्भरता के प्रयास में जुटी सरकार
सरकार ने बताया है कि एपीआई और बल्क औषधियों के आयात पर निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए औषध विभाग ने दो योजनाओं की शुरुआत की है। एक- भारत में महत्वपूर्ण मुख्य प्रारंभिक सामग्रियों /ड्रग इंटरमीडिएट और एपीआई के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और दूसरा- बल्क औषधि पार्कों का संवर्धन। इन दोनों योजनाओं के दिशानिर्देश 27 जुलाई 2020 को जारी किए गए हैं।
एपीआई क्या है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तैयार फार्मा उत्पाद यानी फॉर्मुलेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले किसी भी पदार्थ को एपीआई यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट कहते हैं। एपीआई ही किसी दवा के बनाने का आधार होता है, जैसे क्रोसीन दवा के लिए एपीआई पैरासीटामॉल होता है, तो आपने यदि पैरासीटामॉल का एपीआई मंगा लिया, तो उसके आधार पर किसी भी नाम से तैयार दवाएं बनाकर उसे निर्यात कर सकते हैं। इसे एक तरह से तैयार दवाओं का कच्चा माल भी कहा जा सकता है।(DOWNTOEARTH)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 सितंबर। छत्तीसगढ़ में आज शाम 6.30 तक 3395 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं, इनमें सर्वाधिक 724 अकेले रायपुर जिले में हैं। कई और जिले सौ से अधिक कोरोना पॉजिटिव वाले हैं जिनमें दुर्ग 557, जांजगीर-चांपा 300, राजनांदगांव 254, बिलासपुर 203, बालोद 137, और सरगुजा में 110 कोरोनाग्रस्त मिले हैं।
ये आंकड़े केन्द्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के हैं और राज्य शासन का बुलेटिन अलग आता है। इन आंकड़ों के मुताबिक बाकी जिलों में बलौदाबाजार 79, बलरामपुर 7, बस्तर 44, बेमेतरा 56, बीजापुर 95, दंतेवाड़ा 43, धमतरी 55, गरियाबंद 38, जशपुर 24, कबीरधाम 20, कांकेर 69, कोंडागांव 65, कोरबा 67, कोरिया 49, महासमुंद 59, मुंगेली 70, नारायणपुर 74, रायगढ़ 49, सुकमा 89, सूरजपुर 58 पॉजिटिव मिले हैं।
केन्द्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के इन आंकड़ों में रात तक राज्य शासन के जारी किए जाने वाले आंकड़ों से कुछ फेरबदल हो सकता है क्योंकि ये आंकड़े कोरोना पॉजिटिव जांच के हैं, और राज्य शासन इनमें से कोई पुराने मरीज का रिपीट टेस्ट हो, तो उसे हटा देता है। लेकिन हर दिन यह देखने में आ रहा है कि राज्य शासन के आंकड़े रात तक खासे बढ़ते हैं, और इन आंकड़ों के आसपास पहुंच जाते हैं, कभी-कभी इनसे अधिक भी हो जाते हैं।
और राज्य शासन के आंकड़े
आज शाम 6.30 बजे तक राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग ने अपने स्तर पर 1581 कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि की है। इनमें सर्वाधिक 276 रायपुर जिले के हैं।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 168, राजनांदगांव 179, बालोद 71, बेमेतरा 12, कबीरधाम 34, रायपुर 276, धमतरी 37, बलौदाबाजार 22, महासमुंद 3, गरियाबंद 1, बिलासपुर 96, रायगढ़ 68, कोरबा 124, जांजगीर-चांपा 138, मुंगेली 3, जीपीएम 21, सरगुजा 0, कोरिया 8, सूरजपुर 4, बलरामपुर 0, जशपुर 0, बस्तर 105, कोंडागांव 9, दंतेवाड़ा 78, सुकमा 5, कांकेर 0, नारायणपुर 8, बीजापुर 110, अन्य राज्य 1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। ये आंकड़़े अभी घोषित नहीं किए गए हैं, और रात 10-11 बजे के बुलेटिन में इनमें बहुत से और पॉजिटिव जुडक़र आएंगे।
-ओम थानवी
डॉ कपिला वात्स्यायन के निधन पर कुछ कहते नहीं बन पड़ रहा। यों उन्होंने कमोबेश पूरा (वे 92 साल की थीं) और सार्थक जीवन जिया। कला और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान पर बहुत कुछ कहा गया है। संस्थाएँ खड़ी करने पर भी। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र उन्हीं की देन है। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आइआइसी) को सांस्कृतिक तेवर प्रदान करने में उनकी भूमिका जग-ज़ाहिर है। इतने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजन मैंने आइआइसी में देखे-सुने कि उससे दिल्ली के कुछ अलग दिल्ली होने का अहसास होता था।
जयदेव कृत 'गीत-गोविंद' पर अपने शोध और भरत के नाट्यशास्त्र के विवेचन से बौद्धिक हलकों में उन्होंने नाम कमाया। पारंपरिक नाट्य परंपरा पर भी उन्होंने विस्तार से लिखा है। बाद में उन्होंने शास्त्रीय और लोक दोनों नृत्य शैलियों पर काम किया। मूर्तिकला — ख़ासकर देवालयों में उत्कीर्ण नृत्य-मुद्राओं — का उनका गहन अध्ययन सुविख्यात है। साहित्य और चित्रकला के नृत्य विधा से रिश्ते पर भी उन्होंने शोधपूर्ण ढंग से लिखा। सांसद के नाते उन्होंने कई बार राज्यसभा में पुराने वास्तुशिल्प और मंदिरों की मूर्तिकला को सहेजने का सरोकार ज़ाहिर किया।
मुझे उनका निजी स्नेह हासिल था। एक बार अनिल बोर्दिया जी ने संकेत किया था कि अज्ञेयजी से अपने संबंधों का ज़िक्र कपिलाजी के सामने न छेड़ बैठूँ। दरअसल अज्ञेय की शादी पहले 1940 में संतोष मलिक से हुई थी। दिल्ली में लेखिका सत्यवती मलिक (कपिलाजी की माँ) का लेखक समुदाय में बड़ा दायरा था। वह शादी चंद रोज़ में टूट गई। संतोष की शादी बाद में अज्ञेय के सहपाठी रहे फ़िल्म अभिनेता बलराज साहनी से हुई। दस साल बाद रेडियो में काम करते हुए संतोष की भतीजी कपिला मलिक से अज्ञेय की घनिष्ठता हुई और कुछ समय बाद विवाह। तेरह साल बाद वे भी अलग हो गए।
बहरहाल, बोर्दियाजी की सलाह पर मैं कुछ समय ही सावधान रह सका। फिर वह सीख बिसरा गया। अच्छा ही हुआ। पाया कि कपिलाजी के मन में, आम धारणा के विपरीत, अज्ञेयजी के प्रति अब कटुता नहीं है। संबंध-विच्छेद के दौर में लोगों ने जो देखा-सुना, उससे धारणा बनी होगी। जबकि 2011 में अज्ञेय जन्मशती मनाई गई तो वे साहित्य अकादेमी में अज्ञेय रचनावली के लोकार्पण में शामिल हुई थीं। मैंने 'अपने अपने अज्ञेय' के संपादन के दौरान जो-जो सहयोग माँगा, उन्होंने दिया। सिवाय स्वयं कोई संस्मरण लिखने के। सुख-दुख के इतने लम्बे साथ पर क्या लिखतीं, क्या नहीं!
उन्हें पहले-पहल मैंने अज्ञेयजी के अंतिम संस्कार में देखा था, निगम बोधघाट पर। तब वे बड़ी अधिकारी थीं। दूरदर्शन उनके अधीन था। फूट-फूट कर रोते वक़्त दूरदर्शन का कैमरा उनकी ओर हुआ तो उन्होंने ग़ुस्से से उसे परे धकेल दिया। घाट से पहले वे अज्ञेयजी के घर भी गई थीं। इला डालमिया ने उन्हें फ़ोन कर निधन की सूचना दी।
संस्कृति के बौद्धिक परिवेश में कमलादेवी चट्टोपाध्याय, रुक्मिणी देवी अरुंडेल और कपिला वात्स्यायन की एक विदुषी-त्रयी बनती है। कल अंतिम कड़ी भी टूट गई। पता नहीं, एक साथ ऐसा समर्पित समूह अब कब अवतरित होगा।
कपिलाजी की मंद-मंद मुसकान को स्मरण करते हुए उन्हें विदा का प्रणाम।
पढ़ें पिछले दो-तीन दिनों की सच्ची कहानियां
‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
हिन्दुस्तान में लोगों की मदद करने की एक सैनिक वाली फौज रात-दिन काम कर रही है। सोनू सूद ने शुरूआत तो की थी मुम्बई में फंसे मजदूरों के घर जाने के इंतजाम से, लेकिन यह सिलसिला बढ़ते-बढ़ते लोगों के इलाज तक पहुंच गया, घर बनाने तक पहुंच गया, और सोनू सूद की मदद से कई लोगों ने अपने छोटे रोजगार शुरू कर लिए। अब आज दोपहर सोनू सूद ने एक पोस्टर पोस्ट करके लिखा है कि एक बड़ी घोषणा जल्द ही। अब इसमें उनकी तस्वीर के साथ की तस्वीर से कोई अंदाज लगाया जा सके, तो पीछे की तस्वीर किसी वकील जैसी लग रही है, लेकिन सोनू सूद ने कोई इशारा नहीं किया है कि यह बड़ी घोषणा क्या है।
लेकिन लोग हैं कि इनसे तरह-तरह की मदद मांग रहे हैं। परहीन खान नाम की एक छात्रा ने अपने पिता के लापता होने की तस्वीर ट्वीट की है और सोनू सूद से लिखा है कि उसे किसी तरह रूपए-पैसे की मदद नहीं चाहिए, पिता 7 साल से गायब हैं, एक बार उसकी पोस्ट री-ट्वीट कर दें, क्या पता सोनू सूद की पोस्ट देखने वाले इस तस्वीर को देखकर कहीं उसके पिता को भी पहचान लें। और सोनू सूद ने यह पोस्ट री-ट्वीट कर दी।
दिनेश मणिकांत नाम के एक नौजवान ने लिखा कि एक एक्सीडेंट में उसका बांया पैरा घुटने के ऊपर से कट चुका है। डॉक्टरों का कहना है कि नकली पैर के लिए 7 लाख रूपए लगेंगे, माता-पिता दर्जी हैं, कृपया मदद करें।
सोनू सूद ने जवाब में लिखा है- माता-पिता को बता दो कि इस हफ्ते तुम्हें पैर मिलने जा रहा है।
दीपक वर्मा ने ऑपरेशन के बाद की एक छोटी बच्ची की तस्वीर पोस्ट की है। तस्वीर के मुताबिक इसका दिल का ऑपरेशन हुआ दिखता है। उसने लिखा है सोनू सूद सर आपकी मदद से यह बच्ची अब स्वस्थ है, और कल अस्पताल से इसकी छुट्टी हो जाएगी, परिवार खुशी-खुशी अपने गांव जाएगा। इस नन्हीं बच्ची को नई जिंदगी देने के लिए दिल से शुक्रिया।
सोनू सूद ने जवाब में लिखा है- दिन की शुरूआत इतनी खूबसूरत स्माइल के साथ, जिंदगी में जरूर कुछ सही किया है।
पंकज सिंह ने एक बच्चे के ऑपरेशन के बाद की तस्वीरें पोस्ट करके लिखा है- सोनू सूद सर आपने हमारे बच्चे के लिए जो किया है, वह हम कभी भी नहीं भूल सकते। मेरे बच्चे की हर धडक़न में आपका अहसास होगा। मेरे बच्चे की हर मुस्कुराहट मुझे आपकी याद दिलाएगी। आप हमारी जिंदगी में भगवान की तरह आए, और हमारी जिंदगी को खुशियों से भर दिया।
सोनू सूद ने जवाब लिखा- मेरे दिन की शुरूआत इससे बेहतर नहीं हो सकती, हमेशा खुश रहें।
लोगों की मदद करते हुए सोनू सूद से अभी बिहार भागलपुर के अंकित ने मदद मांगी है कि वे विधानसभा चुनाव लडऩा चाहते हैं, और सोनू सूद सर आप मुझे भाजपा से टिकट दिला दें।
इस पर हॅंसते हुए सोनू सूद ने जवाब दिया- बस, ट्रेन, और प्लेन की टिकट के अलावा मुझे कोई टिकट दिलवाना नहीं आता मेरे भाई।
केन्द्र सरकार ने संसद में कहा कि उसके पास प्रवासी मजदूरों की मौत के कोई आंकड़े नहीं है, तो इस पर कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य ने एक कार्टून बनाकर पोस्ट किया है जिसमें प्रधानमंत्री लॉकडाऊन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मौत के आंकड़े मांग रहे हैं, और सोनू सूद जवाब दे रहे हैं- सॉरी सर, मैं तो उन्हें बचाने में लगा हुआ था।
रूद्रनील दास ने पोस्ट किया है- मेरे पास आपका शुक्रिया कहने के लिए शब्द नहीं है। आपकी वजह से मेरे पिता की सर्जरी अच्छे से हो गई, और वे मुस्कुराते हुए आपको दिल की गहराई से शुक्रिया कह रहे हैं।
इस पर सोनू सूद ने लिखा- आज सुबह से सात कामयाब सर्जरी हो चुकी है, आज का दिन तो बड़ा ही खास है।
ओडिशा के केन्द्रापाड़ा में सोनू सूद बिल्डिंग वर्कशॉप शुरू करने वाले लोगों ने अपने इस नए स्वरोजगार की फोटो पोस्ट की है। यह तो नहीं लिखा है कि उन्हें ओडिशा लौटने में मदद मिली थी, या कारोबार में, सर एक मिनट के भीतर थैंक्यू वेेरी मच।
सोनू सूद ने इस फोटो-ट्वीट पर लिखा है तुम्हारा कारोबार अब तुम्हारे रास्ते पर है मेरे दोस्त।
अर्जुन चौहान ने अपनी मेडिकल रिपोर्ट सहित लिखा कि उसके दाएं घुटने का ऑपरेशन होना है, ये मेडिकल रिपोर्ट्स हैं, वह खर्च नहीं उठा सकता, और मदद की जरूरत है।
दो दिन के बाद सोनू सूद ने ट्वीट किया- रिपोर्ट डॉक्टरों को दिखा दी है, अपना बैग पैक करो, सोमवार को तुम्हारी सर्जरी है।
इसके पहले बनप्रताप सिंह ने सोनू सूद का शुक्रिया किया कि ढाई सौ परिवारों की जिंदगी उन्होंने बदल दी।
इस पर सोनू सूद ने लिखा- ढाई सौ नौकरियां पक्की, ढाई करोड़ जब होंगी तब कुछ बात है।
पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो बहुत फैला है जिसमें बरसते पानी में टूटी खाट के नीचे बच्चे सिर छुपाए बैठे हैं, और चारों तरफ पानी ही पानी है। एक व्यक्ति ने बिना सोनू सूद के नाम के सिर्फ यह वीडियो पोस्ट किया था। खुद होकर सोनू सूद ने उसे लिखा- डिटेल्स भेजो, मंजर बदलते हैं।
हर दिन इस तरह के कई ट्वीट पोस्ट हो रहे हैं, और जाहिर है कि लोगों को मदद मिल रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 सितंबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि केन्द्र सरकार का एक राष्ट्र-एक बाजार अध्यादेश किसानों के हित में नहीं है। इससे मंडी का ढांचा खत्म होगा, जो किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए लाभप्रद नहीं है। अधिकांश कृषक लघु सीमांत है, इससे किसानों का शोषण बढ़ेगा। उनमें इतनी क्षमता नहीं कि राज्य के बाहर जाकर उपज बेच सके। किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम में किए गए संशोधन से आवश्यक वस्तुओं के भंडारण एवं मूल्य वृद्धि के विरूद्ध कार्यवाही करने मे कठिनाई होगी। कान्ट्रैक्ेट फार्मिग से निजी कंपनियों को फायदा होगा। सहकारिता में निजी क्षेत्र के प्रवेश से बहुराष्ट्रीय कंपनिया, बड़े उद्योगपति सहकारी संस्थाओं पर कब्जा कर लेंगे और किसानों का शोषण होगा।
मुख्यमंत्री श्री बघेल आज अपने निवास कार्यालय से वीडिय़ो कॉफ्रेंस के जरिए गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले को 332.64 करोड़ के विकास कार्यों की सौगात देने के बाद कार्यक्रम को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत ने की। कार्यक्रम में सभी मंत्रीगण, लोकसभा सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत एवं अन्य जनप्रतिनिधि कार्यक्रम में वीडिय़ो कॉफ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए।
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श्री बघेल ने कहा कि आम जनता के हितों का संरक्षण एवं उनकी खुशहाली हमारी सरकार की प्राथमिकता है। यह प्रेरणा हमें विरासत में मिली है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री, श्रीमती इंदिरा गांधी की नीतियों और आदर्शों का अनुसरण करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों, मजदूरों, किसानों और आदिवासियों के बेहतरी के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना आपदा काल में छत्तीसगढ़ सरकार ने लोगों को अपने जनहितैषी कार्यक्रमों एवं योजनाओं के जरिए 70 हजार करोड़ रूपए की सीधे मदद दी हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज देश और दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है। बहुत से देशों की राष्ट्रीय सरकारों ने किसानों, गरीबों और आपदा पीडि़तों के प्रति सहानुभूति का रवैया रखते हुए बीमारी के नियंत्रण में अच्छी सफलता हासिल की है। लेकिन हमारे देश ने जिस तरह से सर्जिकल स्ट्राइक के तरीके से नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन किया गया, उससे लगातार हालत खराब होती गई और सबका मिला-जुला असर कोरोना काल में राष्ट्रीय आपदा के रूप में सामने आया है। यदि केन्द्र सरकार रचनात्मक और सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखती तो देश को आज जैसे दिन नहीं देखने पड़ते।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना काल में जो रचनात्मक नजरिया रखा उसके कारण हम किसानों, मजदूरों, गरीबों, ग्रामीणों, वन आश्रितों को 70 हजार करोड़ रू. की आर्थिक मदद कर पाए। उन्होंने कहा कि मुझे दुख होता है कि इस संकट काल में भी हमारे उन पुरखों के योगदान को भुलाने की कोशिश की जाती है, जिन्होंने देश को अपनी सही सोच और सही नेतृत्व से स्वावलंबी बनाया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब देश स्वतंत्र हुआ उस समय देश में कृषि एवं कृषकों की स्थिति अत्यंत खराब थी। भुखमरी की स्थिति में खड़े देश को आत्मनिर्भर बनाने अभियान चलाया गया। प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 लागू किया, जिससे जमाखोरी एवं कालाबाजारी पर रोक लगी। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के समय प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए कृषि मूल्य आयोग गठित किया गया। प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारत की परंपरागत कृषि को ‘‘हरित क्रांति’’ में परिवर्तित कर दिया। उन्होंने कृषकों के लिए बैंक के द्वार खोलने के लिए बैंको का राष्ट्रीयकरण किया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 1970 के दशक में एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्कटिंग (रेगुलेशन) ऐक्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके तहत किसानों को उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए कृषि विपणन समितियां बनी थी। इन समितियों का उद्देश्य बाजार की अनिश्चितताओं सेे किसानों को बचाना और उनका शोषण रोकना था। इस एक्ट के द्वारा मंडी समितियों का गठन किया गया। इन मंडियों में कृषकों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलता है। कृषक अपना प्रतिनिधि चुनते हैं, जो मंडी समिति का प्रबंधन करते हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज केन्द्र सरकार द्वारा विश्वव्यापी कोरोना संकट के समय के अवसर को अच्छा अवसर मानते हुए कृषकों के शोषण के लिए चार अध्यादेश लाया गया है। जिसके तहत एक राष्ट्र- एक बाजार के तहत एक्ट में संशोधन किया गया है। इसमें किसानों को देश के किसी भी हिस्से में अपनी उपज बेचने की छूट दी गई है। इसमें किसान और व्यापारी को उपज खरीदी-बिक्री के लिए राज्य की मंडी के बाहर टैक्स नहीं देना होगा अर्थात मंडी में फसलों की खरीदी-बिक्री की अनिवार्यता समाप्त हो जाएगी और निजी मंडियों को बढ़ावा मिलेगा।
किसान सडक़ पर उतरने की तैयारी में
कहा-खेती बर्बाद हो जाएगी, किसान आत्महत्या के लिए मजबूर होंगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 सितंबर। केंद्र सरकार द्वारा संसद में कल पेश कृषि विधेयक का यहां भी विरोध होने लगा है। किसान नेताओं ने कहा है कि इससे खेती बर्बाद हो जाएगी और किसान सडक़ पर आ जाएंगे। उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाएगा। बस, मजदूर बनकर खेती करेंगे और अपनी उपज को औने-पौने दाम पर कार्पोरेट सेक्टर को बेचने मजबूर होंगे। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में सभी किसान संगठन इस पर चर्चा कर विरोध-प्रदर्शन की रणनीति बना रहे हैं।
‘छत्तीसगढ़’ ने संसद में पेश कृषि विधेयक पर यहां के कुछ किसान नेताओं से चर्चा कर उनकी प्रतिक्रिया जानने का प्रयास किया। किसान नेता संकेत ठाकुर ने अपनी प्रतिक्रिया में कृषि विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि केंद्र सरकार जो विधेयक लेकर आई है, वह मूलत: किसानों को बाजार के हवाले करने का प्रयास है। किसान, सालभर खेती करेंगे, पर अपनी उपज का दाम खुद तय नहीं कर पाएंगे। कार्पोरेट सेक्टर दाम तय कर कम से कम में उनकी उपज की खरीदी करेंगे। ऐसे में वाजिब दाम न मिलने से किसान बदहाल हो जाएंगे। आज यहां सब्जी-फल वाले किसान बर्बाद हो गए हैं। राज्य सरकार धान का 25 हजार रुपये समर्थन मूल्य न दे, तो यहां भी किसानों की हालत खराब होने लग जाएगी।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार, खेती को उद्योगपतियों के हवाले करने के प्रयास में शुरू से जुटी हुई है। इससे सरकार की समर्थन मूल्य की बाध्यता खत्म हो जाएगी, लेकिन किसानों को बड़ा नुकसान होगा। विधेयक का संसद में विरोध हुआ है। यहां भी किसान संगठन एकजुट होकर ऐसे विधेयक का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार खेती को तबाह करने के प्रयास में लगी है। आज कोरोना के चलते मौका मिलते ही विधेयक पेश कर दिया गया, ताकि किसानों का कहीं कोई ज्यादा कुछ विरोध न हो पाए।
किसान नेता संजय पराते ने भी संसद में पेश कृषि विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कृषि संबंधी तीन अध्यादेशों को इस संसद सत्र में कानून का रूप दिया जा रहा है। हमारे देश की कृषि व्यवस्था के तीन महवपूर्ण पहलू है-उत्पादन, व्यापार और वितरण। ये अध्यादेश न्यूनतम समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की वर्तमान व्यवस्था को ध्वस्त करते हैं। उत्पादन के क्षेत्र में ठेका कृषि लाने से किसान अपनी ही जमीन पर गुलाम हो जाएगा और देश की आवश्यकता के अनुसार और अपनी मर्जी से फसल लगाने से वंचित हो जाएगा। कृषि व्यापार के क्षेत्र में मंडी कानून के निष्प्रभावी होने और निजी मंडियों के खुलने से वह समर्थन मूल्य से वंचित हो जाएगा।
अध्यादेशों में इस बात का भी प्रावधान किया जा रहा है कि कॉर्पोरेट कंपनियां जिस मूल्य को देने का किसानों को वादा कर रही है, बाजार में भाव गिरने पर वह उस मूल्य को देने या किसान की फसल खरीदने को बाध्य नहीं होगी। यानी जोखिम किसान का और मुनाफा कार्पोरेटों का! सरकार धीरे-धीरे किसान का अनाज खरीदना बंद कर देगी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी। आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से अनाज को बाहर करने से जमाखोरी, कालाबाजारी और मुनाफाखोरी बढ़ेगी।
कुल मिलाकर, ये तीनों अध्यादेश कार्पोरेटों के लिए एक पैकेज बनाते हैं और यह किसानों, उपभोक्ताओं और आम नागरिकों के हितों के खिलाफ जाता है। इससे हमारी खाद्यान्न आत्मनिर्भरता खत्म होती है, खेती-किसानी के घाटे का सौदा बनने से किसानों का जमीन से अलगाव बढ़ता है। इससे किसान आत्महत्याओं में और ज्यादा वृद्धि होगी। इन अध्यादेशों के जरिए सरकार कृषि के क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों से छुटकारा पाना चाहती है। पूरे देश के किसान इसका विरोध कर रहे हैं और 25 सितम्बर को विरोध-प्रदर्शन करेंगे।
किसान नेता राजकुमार गुप्ता ने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार शुरू से इस कृषि विधेयक को लाने के प्रयास में लगी थी। संसद में पेश इस विधेयक से आगे देश के किसान बर्बाद हो जाएंगे। उनकी खेती पर कार्पोरेट का कब्जा हो जाएगा। यह स्थति पहले गुजरात में बन चुकी है और सैकड़ों मामले कोर्ट में लंबित हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विधेयक का सीधा असर छत्तीसगढ़ में कम, लेकिन पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान के किसानों पर पहले होगा। क्योंकि वहां के किसान अपनी उपज मंडियों में बेचते हैं।
उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका यह विधेयक किसानों की जमीन छीनने का प्रयास है। मुनाफाखोरी के चलते किसानों के उपज की खरीदी कम से कम दाम पर होगी। विधेयक में इसका कहीं रोक का प्रावधान भी नहीं है। छत्तीसगढ़ में फिलहाल किसान अपनी उपज सहकारी सोसायटियों के माध्यम से बेच रहे हैं और उन्हें ढाई हजार रुपये समर्थन मूल्य मिल रहा है। विधेयक का असर यहां के किसानों पर फिलहाल कम होगा। क्योंकि यहां की कांग्रेस सरकार, किसानों के हित में और कई योजनाएं चला रही है।
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली में सभी स्कूल 5 अक्टूबर तक बंद रहेंगे। दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को ये घोषणा की। सरकार ने दिल्ली में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनजर ये फैसला किया है, हालांकि इस दौरान ऑनलाइन क्लासेज चलते रहेंगे।
बता दें कि गुरुवार को दिल्ली में कोरोनावायरस के 4,432 मामले सामने आए थे।
--आईएएनएस