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कोरोना वायरस, 19जुलाई। भारत में कोरोनावायरस का कहर अब काफी तेजी से बढ़ने लगा है। अब हर दिन लगभग 34-35 हजार नए कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। यहां कुल कोरोना मामले 10 लाख 77 हजार 618 हो चुकी है। कुल एक्टिव केसेज की बात करें तो अभी भी देश में 3 लाख 73 हजार 379 कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा है। मरने वालों की संख्या 26 हजार 816 हो गई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कहा है कि देश में कोरोना भयावह रूप ले चुका है और यहां कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो गया है। हालात बद से बदतर हो रहे हैं।
तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना के मरीज
आईएमए के अनुसार, देश में कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। यह बेहद ही खतरनाक स्थिति है। आलम ये है कि अब हर दिन कोरोना के 34-35 हजार मामले सामने आ रहे हैं। देश में रह रहे हर किसी के लिए यह स्थिति बेहद डराने वाली है। धीरे-धीरे कोरोना शहरों से गांवों की तरफ भी बढ़ रहा है। यह भी एक बुरा संकेत है। इसी वजह से इसे कम्युनिटी स्प्रेड कहना सही है।
केंद्र सरकार ने कहा कम्युनिटी स्प्रेड नहीं
आईएमए के एक बयान के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार यही बात कह रहा है कि अब तक भारत में कोरोनावायरस का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू नहीं हुआ है। लेकिन, धीरे-धीरे कोरोनावायरस के मरीजों के बढ़ते मामलों के कारण दुनिया में भारत तीसरे स्थान पर जा पहुंचा है। पहले स्थान पर अमेरिका और दूसरे स्थान पर ब्राजील है। चूंकि, कोरोनावायरस गांवों और कस्बों में फैलने लगा है, ऐसे में यहां के हालात को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के शहरी इलाकों का हाल तो सब देख ही रहे हैं, दूरवर्ती इलाकों में कोरोना पहुंचा, तो क्या हाल होगा, इसकी कल्पना करना भी भयानक है।
क्या होता है कम्युनिटी स्प्रेड
डब्लूएचओ के अनुसार, कम्युनिटी स्प्रेड कोरोनावायरस के फैलने की तीसरी स्टेज होती है। पहली स्टेज वही होती है, जब कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति आपके इलाके में आता है। दूसरी स्टेज में उस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोग कोरोनावायरस से पीड़ित हो जाते हैं और तीसरी स्टेज की शुरुआत तब होती है, जब किसी भी सोर्स के बिना कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाए। कहने का मतलब ये है कि आप कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए बिना इससे पीड़ित हो जाएं। इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं जैसे किसी क्षेत्र या इलाके में लगातार कोरोना के मामले सामने आएं और ये संख्या तेजी से बढ़ने लगे, तो उसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन कहा जा सकता है।(thehealthsite)
अकेले रायपुर से 22, बेमेतरा-बलौदाबाजार से 6-6 संक्रमित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 जुलाई। प्रदेश में आज शाम करीब साढ़े 5 बजे 59 नए कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इसमें अकेले रायपुर से 22, बेमेतरा व बलौदाबाजार से 6-6, दुर्ग व जांजगी-चांपा से 4-4, सरगुजा से 3, बिलासपुर व कोरिया से 2-2 एवं मुंगेली व गरियाबंद से 1-1 मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इन सभी मरीजों को आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं। दूसरी तरफ इनके संपर्क में आने वाले लोगों और परिजनों की पहचान की जा रही है। उल्लेखनीय है कि बीती रात में प्रदेश में एक साथ 243 कोरोना मरीज मिले थे। आज शाम सामने आए मरीजों को मिलाकर अब प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या 53 सौ पार कर चुकी है।
नई दिल्ली, 19 जुलाई। चीन को लेकर सरकारी दावे कुछ भी हों, लेकिन चीनी सेना से जुड़ी कंपनियों ने भारत के कई बड़े शहरों में निवेश कर रखा है। भारत में चल रही कम से कम कई ऐसी कंपनियों की पहचान की है, जिनका कथित रूप से सीधे तौर पर या फिर अप्रत्यक्ष रूप से चीन की सेना से संबंध है।
भारत और चीन के बीच संबंधों को सामान्य करने के प्रयास जोर शोर से भले ही जारी हैं, लेकिन जमीनी वास्तविकता सामान्य से काफी दूर है। ऐसे समय में जब चीनी आयात घटाने के लिए भारत के सौर विनिर्माण को वीजीएफ सपोर्ट मिलने या केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा सड़क निर्माण अनुबंधों पर चीन की खिंचाई करने की खबरें सुर्खियों में हैं, ठीक वहीं पर भारत की कई परियोजनाएं ऐसी कंपनियों द्वारा चलाई जा रही हैं या उनसे महत्वपूर्ण रूप से जुड़ी हुई हैं, जिनके गहरे जुड़ाव चीन की पीपल्स लिबरेशन ऑर्मी (पीएलए) से हैं।
सरकार के करीबी सूत्रों ने कहा है कि इस तरह की एक शीर्ष परियोजना कर्नाटक में चल रही है। भारत और चीन के बीच एक सबसे बड़ा संयुक्त उद्यम मानी जाने वाली शिंडिया स्टील्स लिमिटेड ने हाल ही में कर्नाटक के कोप्पल जिले में होसपेट के पास 0.8 एमटीपीए लौह अयस्क पैलेट सुविधा का संचालन शुरू कर दिया है, जिसकी लागत 250 करोड़ रुपये से थोड़ी अधिक है।
हालांकि इसकी मुख्य निवेशक शिनशिंग कैथे इंटरनेशनल ग्रुप कॉ लिमिटेड (चीन) है। इसकी वेबसाइट के अनुसार, यह पीएलए के जनरल लॉजिस्टिक्स डिपार्टमेंट के पूर्व सहायक उद्यमों और संस्थानों और उत्पादन विभाग से अलग होकर पुननिर्मित और पुनर्गठित है। यह वही पीएलए है, जिसके साथ पूर्वी लद्दाख में पिछले महीने संघर्ष के दौरान 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
होसपेट परियोजना को जो कंपनी संचालित करती है, उसकी निगरानी सरकारी स्वामित्व वाली एसेट्स सुपरविजन एंड एडमिनिस्ट्रेशन कमिशन ऑफ द स्टेट काउंसिल इन चाइना (एसएएसएसी) करती है। और यह तो मात्र नमूना भर है। आंध्र प्रदेश में एक दूसरी परियोजना है, जिसे लेकर भी मौजूदा परिदृश्य में सुरक्षा के मुद्दे खड़े हुए हैं। चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नॉलॉजी ग्रुप कॉरपोरेशन (सीईटीसी) ने आंध्र प्रदेश के श्री सिटी में 2018 में 200 मेगावाट की पीवी विनिर्माण सुविधा में लाखों डॉलर के निवेश की घोषणा की थी।
सीईटीसी चीन की प्रमुख सैन्य इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माता है और यह हिकविजन सीसीटीवी कैमरे भी बनाती है। इसे चीन के सर्विलांस सीजार के रूप में जाना जाता है, जिसने शिनजियांग के 1.1 करोड़ मुस्लिम उइगरों की फेसियल रिकाग्निशन के जरिए पहचान की और एक राज्य प्रायोजित दमन को अंजाम दिया।
अमेरिका ने लंबे समय से सरकारी एजेंसियों पर हिकविजन के उत्पाद खरीदने पर प्रतिबंध लगा रखा है। अमेरिका सरकार की सूची में सीईटीसी के कई शोध संस्थान और सहयोगी संस्थान शामिल किए गए हैं, जिनसे आयात पर राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर प्रतिबंध है।
भारत 2017 के उस कानून के खतरे की फिर से पड़ताल कर रहा है, जिसे चीन की विधायिका ने पारित किया था। इसे एक नए इंटेलिजेंस कानून के रूप में जाना जाता है, जिसने संदिग्धों पर नजर रखने, परिसरों पर छापे मारने और वाहनों और उपकरणों को जब्त करने के नए अधिकार देता है। 'मिलिट्री एंड सिक्युरिटी डेवलपमेंट्स इनवाल्विंग द पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना 2019' पर अमेरिकी रक्षा मंत्री की वार्षिक रपट के अनुसार, यह कानून चीनी कंपनियों जैसे हुवेई, जेडटीई, टिक टॉक आदि को बाध्य करता है कि वे जहां भी अपना संचालन करें, चीन के राष्ट्रीय इंटेलिजेंस कार्य में मदद, सहायता और सहयोग मुहैया कराएं। इससे स्पष्ट होता है कि भारत सरकार ने अचानक 59 चीनी एप को प्रतिबंधित क्यों किया, जिसमें टिक टॉक भी शामिल है।
कानून के अनुच्छेद 7 में कहा गया है, “कोई भी संगठन या नागरिक कानून के अनुरूप स्टेट इंटेलिजेंस के साथ मदद, सहायता और सहयोग करेगा।” और अब लगता है कि भारत ने उन चीनी कंपनियों की पहचान शुरू कर दी है, जिनके संबंध पीएलए के साथ एक स्टार्टर के रूप में हैं।(navjivan)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 जुलाई। ऑल इंडिया बैंक एम्पलाईज एसोसिएशन ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलफुल डिफाल्टरों की कई लिस्ट आज जनहित में जारी की हैं जिनमें पांच सौ करोड़ रूपए से अधिक की डिफाल्टर 33 कंपनियों के नाम है। इनके पास बैंकों के 32 हजार 737 करोड़ रूपए डूब रहे हैं।
एसोसिएशन ने एक दूसरी लिस्ट जारी की है जिसमें दो सौ करोड़ से अधिक डुबाने वाले 147 लोगों के नाम हैं और इनके पास कुल 67 हजार 609 करोड़ रूपए डूब रहे हैं। तीसरी लिस्ट करीब ढाई हजार डिफाल्टरों की है जिनके पास पब्लिक सेक्टर के 17 बैंकों के एक लाख 47 हजार करोड़ रूपए डूब रहे हैं।
आज जारी एक बयान में एसोसिएशन ने कहा है कि बैंकों को ऐसे सभी लोगों के नाम उजागर करने चाहिए, और बैंक कर्ज के डिफाल्टर होने पर उसे एक आपराधिक जुर्म बनाया जाना चाहिए। एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि कर्ज वसूली के कानूनों को मजबूत करना चाहिए। इसके साथ ही ढाई हजार लोगों की लिस्ट जारी की गई है जिसके भीतर बड़े डिफाल्टर भी शामिल हैं।
‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
नई दिल्ली, 19 जुलाई। पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन ने राजस्थान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता के पीछे भाजपा पर साजिश का आरोप लगाया है, और कहा है कि प्रदेश की 8 करोड़ जनता इस साजिश को कभी माफ नहीं करेगी।
आज दोपहर बाद जारी एक बयान में उन्होंने कहा- जिस प्रकार से कांग्रेस के विधायकों को भाजपा की हरियाणा सरकार की मेहमाननवाजी में मानेसर, गुडग़ांवा के होटल व रिसॉर्ट में रखा गया, यह अपने आप में भाजपाई सांठगांठ को साबित करता है। हरियाणा की खट्टर सरकार द्वारा राजस्थान कांग्रेस विधायकों को अप्रत्याशित सुरक्षा घेरे में रखना इस बात का प्रमाण है कि साजिश के असली सरदार भाजपाई हैं।
उन्होंने कहा- यही नहीं 17 तारीख को संविधान और कानून की धज्जियां उड़ाते हुए भाजपा की हरियाणा सरकार ने पुलिस लगाकर जिस तरीके से ‘राजस्थान स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप’ को भंवर लाल शर्मा, विधायक व विश्वेंदर सिंह, विधायक का वॉईस सैंपल लेने तथा जाँच करने से रोका, यह अपने आप में इस मिलीभगत का जीता जागता सबूत है। और हद तो तब हो गई जब भाजपा की हरियाणा सरकार चोर दरवाजे से कांग्रेस के विधायकों को भगा ले गई ताकि जाँच न हो सके।
उन्होंने आगे कहा- अब सीधे-सीधे खबर आ रही है कि कांग्रेस के विधायकों को अमित शाह द्वारा संचालित दिल्ली पुलिस अलग-अलग 5 सितारा होटल में दिल्ली में रखे है और राजस्थान पुलिस की जाँच को बाधित करते हुए उनकी जगह बार बार बदली जा रही है। कभी खबर आती है कि कांग्रेस विधायकों को भाजपा शासित कर्नाटक ले जाया जाएगा या भाजपा शासित मध्यप्रदेश। यह अपने आप में भाजपाई सांठगांठ, साजिश व षडय़ंत्र का पुख्ता प्रमाण है। अगर तथाकथित ऑडियो टेपकांड में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व, केंद्रीय मंत्री व भंवर लाल शर्मा तथा विश्वेंदर सिंह विधायकों की कोई भूमिका नहीं है, तो फिर वो वॉईस सैंपल देने से गुरेज कर छिपते क्यों घूम रहे हैं? कभी भाजपा सरकार सीबीआई की धमकी देती है, तो कभी ईडी और इंकम टैक्स की फर्जी रेड करवाती है। यह तो ऐसे ही है, जैसे ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’। अब एंटी करप्शन ब्यूरो की एफआईआर में साफ तौर से भ्रष्टाचार निरोधक कानून में गजेंद्र सिंह, भंवर लाल शर्मा व अन्य के खिलाफ नामित कर जाँच शुरू कर दी गई है।
माकन ने भाजपा से कुछ सवाल किए हैं-
1. जब गजेंद्र शेखावत, केंद्रीय मंत्री द्वारा यह कहा गया कि तथाकथित ऑडियो टेप में आवाज उनकी नहीं। तो फिर गजेंद्र सिंह शेखावत सामने आकर अपना वॉईस सैंपल देने से इंकार क्यों कर रहे हैं? ऐसे में भ्रष्टाचार निरोधक कानून में मामला दर्ज होने के बाद, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत को अपने पद से बर्खास्त क्यों नहीं किया जा रहा? क्या यह प्रधानमंत्री का राजधर्म नहीं कि जाँच पूरी होने तक गजेंद्र सिंह शेखावत को पदमुक्त करें, ताकि वो जाँच पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभाव न डाल पाएं?
2. भाजपा की हरियाणा और दिल्ली की पुलिस, गजेंद्र सिंह शेखावत, भंवर लाल शर्मा व विश्वेंदर सिंह के वॉईस सैंपल लेने से क्यों रोक रही है? अगर ये तीनों दोषी नहीं, तो सामने आकर वॉईस सैंपल देने में क्या खतरा है?
3.क्या केंद्रीय भाजपा सरकार सीबीआई की धमकी इसलिए दे रही है कि विधायक खरीद घोटाले के तार में अन्य कई आला पदों पर बैठे केंद्र सरकार के लोग शामिल हैं व निष्पक्ष जाँच उनका चेहरा बेनकाब कर देगी?
4. क्या देश को विश्वास में नहीं लेना चाहिए कि काला धन कहां से आ रहा है, यह काला धन कौन मुहैया करवा रहा है, हवाला से कैसे ट्रांसफर किया जा रहा है, किस किस को दिया जा रहा है? क्या राजस्थान सरकार गिराने के इस काला धन आदान प्रदान में लोगों का चेहरा बेनकाब नहीं होना चाहिए?
5. अगर भाजपा की कोई भूमिका नहीं, तो केंद्र सरकार से लेकर हरियाणा सरकार, इंकम टैक्स, ईडी, हरियाणा पुलिस, दिल्ली पुलिस कांग्रेस विधायकों को विशेष सुरक्षा चक्र देने तथा राजस्थान पुलिस की जाँच से अलग रखने को इतनी मशक्कत क्यों कर रहे हैं?
पौने दो लाख नगद, 20 मोबाइल, 6 कार, 18 बाइक जब्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरूद, 19 जुलाई। थाना मगरलोड क्षेत्र अंतर्गत पठार धरसा जंगल के बीच घेराबंदी कर पुलिस ने 22 लोगों को जुआ खेलते गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से 20 मोबाइल, 6 कार, 18 बाइक एवं 1 लाख 85 हजार 2 सौ रूपये जब्त किए गए हैं।
पुलिस के अनुसार शनिवार शाम मुखबिर से सूचना मिली कि थाना मगरलोड क्षेत्रांतर्गत पठार धरसा जंगल में आसपास के अन्य जिलों के जुआरी इकट्ठा होकर जुआ खेल रहे हैं। उक्त सूचना पर थाना कुरूद, चौकी करेलीबड़ी एवं रक्षित केंद्र धमतरी की संयुक्त टीम गठित कर तत्काल रवाना किया गया। टीम द्वारा पठार धरसा जंगल के पास जाकर देखने पर सूनसान क्षेत्र में कई कार एवं बाइक खड़ी होने से तत्काल घेराबंदी करते हुए दबिश दी गई। पुलिस को आते देखकर कुछ जुआरी भाग गए तथा जुआ खेल रहे 22 लोग पकड़े गए, जिनके कब्जे से कुल 1,85,200 रुपये नगदी, 52 पत्ती ताश एवं 20 मोबाइल, 6 कार और 18 बाइक जब्त किया गया। पकड़े गए आरोपी धमतरी के आसपास रायपुर, महासमुंद एवं बालोद जिले के निवासी हैं।
जिस थाने में लिया प्रशिक्षण उसी थाने में अपराध भी दर्ज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 19 जुलाई। डीएसपी से अपमानित होने के बाद आदर्श नगर चरोदा निवासी महिला द्वारा की गई आत्महत्या के मामले में आज दोपहर को भिलाई 3 पुलिस द्वारा आरोपी महिला डीएसपी वह उसकी मित्र के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है आरोपी महिला डीएसपी का फरार होना बताया गया है। इसके पूर्व आज लोगों के भिलाई-3 थाने का घेराव किया था। महिला डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव और उनकी सहेली पायल के खिलाफ धारा 306, 34 के तहत अपराध कायम कर लिया गया।
गौरतलब हो कि अमलेश्वर स्थित सीएएफ की तीसरी बटालियन में उप सेनानी अनामिका जैन श्रीवास्तव पुलिस सेवा में शुरुआत के दौरान भिलाई-3 थाने में प्रशिक्षु अधिकारी के रूप में सेवा दे चुकी है। वहीं चरोदा में रहने वाली उनकी सास और ननद ने भी पूर्व मे डीएसपी बहु खिलाफ भी इसी थाने में कईं लिखित शिकायत कर चुकी है।
चरोदा के आदर्श नगर में शुक्रवार की रात को श्रीमती के. सुखविंदर (40 वर्ष) पति केवी अरुण ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। मृतका के पति केवी अरुण का आरोप है कि शुक्रवार की रात 8 बजे अमलेश्वर के सीएएफ की तीसरी बटालियन में उप सेनानी के पद पर पदस्थ डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव ने घर में आकर उनकी पत्नी से अपने पति के साथ अवैध संबंध होने की बात कहते हुए मारपीट की गई थी। इस दौरान महिला पुलिस अधिकारी के साथ उनकी एक सहेली भी थी। अपनी वर्दी का धौंस दिखाकर के. सुखविंदर से गाली गलौच व मारपीट किए जाने के दौरान उनके जेठ, जेठानी और बेटी भी थी। परिवारजनों और खासकर जवान बेटी के सामने चारित्रिक अपमान होने से के. सुखविंदर ने देर रात फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी।
इस मामले पर आज दोपहर चरोदा वासियों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव पर अपराध कायम करने की मांग को लेकर भिलाई-3 थाने का घेराव कर दिया। बीच में मृतका के शव को सडक़ पर रखकर चक्काजाम करने की तैयारी हो चुकी थी। लेकिन इसी बीच भिलाई-3 टीआई संजीव मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों को चर्चा हेतु थाने में आमंत्रित कर लिया। इस दौरान सांसद प्रतिनिधि मनोज पाठक, एस वेंकट रमना, संदीप सिंह, भाजपा मंडल अध्यक्ष दिलीप पटेल, मुकेश अग्रवाल, पूर्व पार्षद वेंकट राव आदि उपस्थित थे। प्रदर्शनकारियों से चर्चा के बाद मृतका के पति की लिखित शिकायत पर डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव और उनकी सहेली पायल के खिलाफ अपराध क्रमांक 199 / 2020 भादवि की धारा 306,34 का मामला दर्ज किया गया। टाउनशिप के सेक्टर - 1 सडक़-11 में रहने वाली अनामिका जैन श्रीवास्तव का ससुराल चरोदा में है. वे बेरला एसडीओपी और आईसीयू एडब्ल्यू मे भी भिलाई दुर्ग में सेवायें दे चुकी है। अनामिका जैन बास्केटबॉल की अच्छी खिलाड़ी भी रही है फिलहाल महिला उप पुलिस अधीक्षक फरार बताया जा रहा है। उनका फोन भी लगातार बंद आ रहा है।
मौतें-24, एक्टिव-1564, डिस्चार्ज-3658
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 जुलाई। प्रदेश में कोरोना मरीज चार महीने में 52 सौ पार कर चुके हैं। बीती रात एक साथ आए 243 नए पॉजिटिव के साथ इनकी संख्या 52 सौ 46 हो गई है। इसमें 24 लोगों की मौत हो चुकी हैं। 15 सौ 64 एक्टिव हैं, जिनका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज जारी है। 36 सौ 58 ठीक होकर अपने घर लौट गए हैं। सैंपलों की जांच जारी है।
प्रदेश में कोरोना तेजी के साथ फैलता जा रहा है। खासकर राजधानी रायपुर, बिलासपुर समेत कुछ बड़े शहरों में हर रोज दर्जनों मरीज सामने आ रहे हैं। इन मरीजों में प्रायमरी और सेकंडरी कांटेक्ट वाले ज्यादा बताए जा रहे हैं। बुलेटिन के मुुताबिक बीती रात बिलासपुर से सबसे अधिक 64, कांकेर से 45, रायपुर से 25, बीजापुर व दुर्ग से 18-18, बस्तर व जांजगीर-चांपा से 11-11, नारायणपुर व रायगढ़ से 7-7, कोरिया से 6, सुकमा व सरगुजा से 4-4 एवं बेमेतरा, कबीरधाम, कोंडागांव व दंतेवाड़ा से 3-3 मिले हैं। इसके अलावा धमतरी, बलौदाबाजार, जशपुर व अन्य राज्य से 2-2 एवं नांदगाव, कोरबा व बलरामपुर से 1-1 मरीज पाए गए हैं। ये सभी मरीज आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि प्रदेश में कोरोना जांच का दायरा लगातार बढ़ाया जा रहा है। फिलहाल 4 से 5 हजार सैंपलों की जांच हो रही है, जिसे बढक़र 10 हजार तक ले जाने का प्रयास चल रहा है। बीती रात तक करीब दो लाख 39 हजार सैंपलों की जांच पूरी कर ली गई है, जिसमें 52 सौ 46 मरीजों की पहचान हुई है। हालांकि इसमें एक्टिव डेढ़ हजार से अधिक हैं, लेकिन सैकड़ों मरीज ठीक होकर भी अपने घर लौट रहे हैं। बीती रात 146 मरीज डिस्चार्ज किए गए। उनका कहना है कि जांच दायरा बढ़ाने से नए-नए संक्रमित मिल रहे हैं। इसमें प्रायमरी और सेकंडरी कांटेक्ट वाले ज्यादा हैं। माना जा रहा है कि लापरवाही पर इनकी संख्या और बढ़ सकती है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 जुलाई। रायपुर और बीरगांव नगर निगम इलाके में 22 से 28 जुलाई तक पूरी तरह लॉकडाउन रहेगा। कलेक्टर एस भारतीदासन ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि दोनों को मिलाकर एक बड़ा कंटेनमेंट जोन बनाया जा रहा है।
कलेक्टर ने यह भी कहा कि जिले के बाकी नगरीय निकाय लॉकडाउन से अप्रभावित रहेंगे। बताया गया कि पिछले चार दिनों से रायपुर नगर निगम क्षेत्र में कोरोना मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि को देखकर लॉकडाउन का फैसला लिया गया है। सूत्र बताते हैं कि कैबिनेट की बैठक में बीरगांव में तुरंत लॉकडाउन करने का सुझाव दिया गया था।
बीरगांव इलाका सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित है और यहां शत-प्रतिशत लोगों का कोरोना टेस्ट कराने का फैसला लिया गया है। बाद में रायपुर नगर निगम इलाके में भी लॉकडाउन करने का फैसला लिया गया है। लॉकडाउन नगर निगम के 70 वार्डों में रहेगा। लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सेवाएं चालू रहेंगी। मसलन, दूध, सब्जी और दवाईयों की दुकानें खुली रहेंगी। इसके लिए समय सीमा भी तय की जा रही है। कलेक्टोरेट को छोडक़र बाकी सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। मगर मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालय भवन में काम यथावत जारी रहेगा। वैसे भी दोनों इलाके नगर निगम सीमा क्षेत्र के बाहर हैं।
उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन ने लॉकडाउन को लेकर व्यापारी संगठनों से राय ली थी। ज्यादातर व्यापारी संगठनों ने बंद पर सहमति जताई थी। कुछ संगठन तीन दिन और कई पांच दिन के लॉकडाउन के पक्ष में थे। कुछ संगठन ऐसे भी थे जो कि राखी त्यौहार की वजह से लॉकडाउन के पक्ष में नहीं थे और उनका मानना था कि इससे व्यापार प्रभावित होगा। रायपुर के अलावा बलौदाबाजार, अंबिकापुर और बिलासपुर जिले में भी लॉकडाउन रहेगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 19 जुलाई। जिले के खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह के प्रतिनिधि के आईडी हैक कर रुपए मांगने का मामला पुलिस तक पहुंचा है। ऑनलाइन ठगी के बढ़ते मामलों के बीच जोगी कांग्रेस विधायक देवव्रत सिंह के प्रधानमंत्री सडक़ योजना विभाग के प्रतिनिधि कपिनाथ महोबिया के फेसबुक आईडी से हैकर ने उनके दोस्तों से 5 हजार रुपए की मांग की। उसके बाद दोस्तों ने विधायक प्रतिनिधि महोबिया से रकम मांगने की वजह पूछी तो वह हैरत में पड़ गए। थोड़ी देर बाद जब उन्होंने अपने आईडी के चैटिंग लिस्ट को देखा तो महोबिया के होश उड़ गए और तत्काल उन्होंने खैरागढ़ पुलिस को आईडी हैक किए जाने की शिकायत की।
बताया जाता है कि हैकर ने महोबिया के दोस्तों से अलग-अलग रकम की मंाग की। महोबिया द्वारा चेटिंग से पैसे की मांग करने के बाद दोस्त अलर्ट हो गए। पिछले कुछ दिनों से जिले में ऑनलाइन ठगी के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। कल भी अंबागढ़ चौकी में एक रिटायर्ड एएसआई से ऑनलाइन ठगी कर 18 लाख रुपए अज्ञात व्यक्ति द्वारा खाते से निकाल लिया गया। इसके बाद खैरागढ़ में यह मामला सामने आया है। शिकायतकर्ता महोबिया ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि पुलिस में शिकायत करने के बाद पुराने एकाउंट को बंद कर दिया गया है। नए एकाउंट से वह अपने दोस्तों और शुभचिंतकों के साथ संपर्क में है।
मिली जानकारी के मुताबिक हैकर ने अपना नाम रामचंद्र बताते हुए बकायदा चेटिंग करते खाता क्रमांक 918878113538 दिया है। जिसमें आईडी को दोबारा चालू करने के लिए पैसा जमा करने को कहा है। खैरागढ़ पुलिस मामले की जांच कर रही है।
-तामेश्वर सिन्हा
रायपुर, 19 जुलाई। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की कमी की वजह से शिक्षा का बुरा हाल है। 75 प्रतिशत से अधिक स्कूलों शिक्षकों की कमी सामने आई है। आलम यह है कि उत्तर बस्तर कांकेर जिला के कोयलीबेड़ा ब्लॉक अन्तर्गरत आने वाला कामतेड़ा पंचायत और आश्रित पांच गांवों में आजादी के सात दशक बाद मात्र तीन छात्र ही 12वीं पास हो पाए हैं। बस्तर में ऐसे सैकड़ों मामले हैं।
नक्सलियों का हवाला देकर सरकार इन बच्चों को शिक्षा से वंचित रख रही है। कहीं पाठशाला भवन नहीं हैं तो कहीं शिक्षक ही मौजूद नहीं हैं, जबकि इस क्षेत्र में दर्जनों सुरक्षा बल नागरिक सुरक्षा के नाम पर खनन कंपनियों को सुरक्षा दे रहे हैं।
हमने बस्तर के एक गांव पंचायत कामतेड़ा का नजारा देखा। उत्तर बस्तर के कोयलीबेड़ा ब्लॉक के कामतेड़ा पंचायत जिसके पांच आश्रित गांव काटाबांस, कटगांव, जामडी, गुंटाज और मिंडी आते हैं। पांच आश्रित ग्रामों में पूर्व माध्यमिक पाठशाला में दो शिक्षक पर्याप्त हैं। वहीं माध्यमिक स्कूल कामतेड़ा पंचायत मुख्यालय में स्थित है। यहां सिर्फ दो शिक्षक हैं। गणित, विज्ञान, अंग्रेजी के शिक्षक आज तक पदस्थ नहीं हुए हैं। स्थिति यह है कि आजादी के बाद आज तक छह गांवों से सिर्फ तीन लोगों ने 12वीं कक्षा पास की है। सिर्फ दो लोग सरकारी नौकरी करते हैं।
शिक्षक सहदेव उसेंडी बताते हैं, माध्यमिक शिक्षा में 18 विषय के दो शिक्षक पढ़ाते हैं। 90 प्रतिशत छात्र आठवीं पढऩे के बाद छोड़ देते हैं। जो छात्र हाईस्कूल की शिक्षा के लिए एडमिशन लेते हैं वो भी बीच में पढ़ाई छोड़ कर चले जाते हैं। सहदेव बताते हैं कि जब स्कूली शिक्षा की नींव ही लचर अवस्था में है तो आगे का स्तर खराब रहेगा ही। बच्चे हाईस्कूल की शिक्षा के लिए मानसिक तौर पर तैयार ही नहीं रहते। वापस घर आ जाते हैं।
मिन्डी के ग्रामीण सारधुराम तेता कहते हैं कि 2012 से 2018 के बीच तीन छात्र मिन्डी निवासी श्याम सिंह सलाम, बलि राम नुरेटि निवासी मिन्डी और बारू राम कोमरा निवासी कामतेडा ने 12वीं पास किया है। इन्होंने भी हाई स्कूल दूसरी जगह से किया है। ब्लॉक मुख्यालय के स्कूलों या आश्रमों में रह कर इन्होंने 12 पास किया और छोड़ फिर पढ़ाई छोड़ दी। सारधु तेता बताते हैं कि इन्ही में से दो लोग सरकारी नौकरी करते है।
कामतेड़ा ग्राम पंचायत के ही काटाबांस के प्राथमिक पाठशाला में तीन छात्र हैं और दो शिक्षक हैं। ऐसे ही प्राथमिक स्कूल भी हैं। बगल के गांव का माध्यमिक शिक्षा का स्तर भी ऐसा ही है। यहां भी गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षक नहीं हैं।
25 बरस से बीहड़ संवेदनशील क्षेत्र कामतेडा प्राथमिक स्कूल में ग्राम वाला के पदस्थ शिक्षक धन्नू राम नेगी शिक्षा की स्थिति को देखकर काफी नाराज हैं। वह बताते हैं कि इस क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति दयनीय है। पहले तो बच्चे स्कूल नहीं आते थे। झोपड़ी में स्कूल लग रहा था, लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षक आज तक नहीं आ पाए। नेगी कहते हैं कि आज भी कामतेडा में पढ़ाने आने के लिए उफनाई नदी पार करता हूं। इसके बाद भी बच्चे शिक्षा से परिपक्व नहीं हो पा रहे हैं।
यूडीआईएसआई के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2017-2018 की तुलना में 2018-2019 में प्राथमिक स्तर पर स्कूल छोडऩे वालों की शिक्षा दर में वृद्धि आई है। नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि छत्तीसगढ़ में प्राइमरी के सिर्फ 51.67 बच्चों में भाषा, गणित और पर्यावरण को जानने-समझने की क्षमता है।
सेकेंडरी में 45 बच्चे ही हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान में बेहतर कर पाते हैं। कुछ महीनों पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि राज्य में स्कूलों में प्रिंसिपलों के कुल 47562 पदों में से 24936 पद रिक्त हैं। पंचायत शिक्षकों के 53000 पद रिक्त हैं। नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में 75 प्रतिशत से अधिक स्कूल, शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं।
लोकसभा में मानव संसाधन और विकास मंत्री की ओर से स्कूलों की संख्या को लेकर आंकड़े पेश किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि सत्र 2014-15 में प्रदेश में 35 हजार 149 प्राथमिक स्कूल थे। इसके बाद सत्र 2015-16 में इनकी संख्या 32 हजार 826 हो गई। इसके बाद सत्र 2016-17 में संख्या थोड़ी बढ़ी और 2551 हो गई। फिर 2017-18 में संख्या और बढ़ी और 33 हजार 208 हो गई, लेकिन इसके बाद 2018-19 में स्कूलों की संख्या में फिर कमी हुई और संख्या घटकर 32 हजार 811 रह गई।
प्रदेश में माध्यमिक स्कूलों की संख्या को लेकर भी लोकसभा में आंकड़े पेश किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि सत्र 2014-15 में प्रदेश में दो हजार 521 प्राथमिक स्कूल थे। इसके बाद सत्र 2015-16 में इनकी संख्या दो हजार 465 हो गई। फिर सत्र 2016-17 में संख्या थोड़ी बढ़ी और दो हजार 551 हो गई। इसके बाद 2017-18 में संख्या चार हजार 136 और 2018-19 में माध्यमिक स्कूलों की संख्या घटकर दो हजार 702 रह गई।
उत्तर बस्तर क्षेत्र के कांकेर विधानसभा क्षेत्र के विधायक शिशुपाल शोरी पूरे मामले को लेकर कहते हैं, मैं आंकड़ों में नहीं जाऊंगा। ये जमीनी हकीकत है कि गणित, विज्ञान, अंग्रेजी के शिक्षकों की भारी कमी है। पूरे छत्तीसगढ़ में स्कूल बंद करने का सिलसिला बीजेपी ने शुरू किया था। उन्होंने हजारों की तादात में स्कूल बंद कर दिए थे। उन्हें पुर्नजीवित करने का कार्य हमारी सरकार के द्वारा किया जा रहा है। लगभग 300 बंद स्कूल चालू किए गए हैं। शिशु पाल सोरी ने बताया कि शिक्षकों की पूर्ति के लिए 15 हजार शिक्षकों की भर्ती हमारी सरकार करेगी।
हालांकि कांग्रेसी विधायक सरकार बनने के एक साल का हवाला दे रहे हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि आजादी के सात दशक बाद भी तमात शिक्षा योजनाओं के बावजूद आदिवासी अंचलों में आज भी बच्चे शिक्षा पाने से महरूम हैं। जिस क्षेत्र में दर्जनों सुरक्षा बलों के कैंप तन सकते हैं। खनन के लिए बड़ी-बड़ी गाडिय़ां दौड़ सकती हैं, वहां शिक्षक और शिक्षा क्यों नहीं दिए जा रहे हैं? बता दें कि इन क्षेत्रों से उचित शिक्षा और शिक्षकों की पूर्ति के लिए आवाज बुलंद होती रहती है, लेकिन सरकार नक्सल का बहाना कर आज भी सिर्फ कैंप और खदान ही बढ़ रहे हैं। (janchowk)
(रायपुर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)
मर्रापी गांव से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट
कांकेर, 19 जुलाई । छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर सुंदर वादियों और पहाड़ों में बसा गांव मर्रापी। जहां आजादी के सात दशक बाद भी आदिवासी बदहाली में जी रहे हैं।
स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल जैसे मूलभूत सुविधाओं से अब भी वंचित है। साल 2018 में कांकेर जिला पुलिस द्वारा मोर मितान कांकेर पुलिस कार्यक्रम के तहत इस गांव को गोद लिया गया तमाम पुलिस के बड़े अधिकारी से लेकर प्रशासन के अफसरों की गाडिय़ां इन पहाड़ी गांवों में दौडऩे लगी। वादे के अनुरूप पुलिस ने सडक़ निर्माण की पहल भी की लेकिन आदिवासी ग्रामीणों को क्या पता था जो पुलिस उनके गांव को गोद ले कर संवारने की बात कह रही हो वो अचानक साल भर में फिर अनाथ छोड़ देगी। (janjwar.com)
खुद राष्ट्रपति ने दिए आंकड़े !
नई दिल्ली,19 जुलाई(एजेंसी )। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने शनिवार को कहा कि 25 मिलियन (2 करोड़ 50 लाख) ईरानी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं और 35 मिलियन (3 करोड़ 50 लाख) और भी लोगों के संक्रमित होने का खतरा मंडरा रहा है. रूहानी ने जिन आंकड़ों को पेश किया है वह आंकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट पर आधारित थे. ये नए आंकड़े ईरान के वर्तमान 269,440 संक्रमित लोगों के सरकारी आंकड़ों से कई अधिक हैं.
80 मिलियन से अधिक की आबादी वाला ईरान, मध्य पूर्व का देश है, जो कोरोना वायरस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है. रूहानी ने भाषण में कहा "हमारा अनुमान है कि अब तक 25 मिलियन ईरानी इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और लगभग 14,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं." उन्होंने कहा "इस बात की संभावना है कि 30 से 35 मिलियन अन्य लोगों को इसका खतरा है." उन्होंने कहा "कुल मिलाकर, 200,000 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं." स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि COVID-19 से 13,791 लोग मारे गए हैं.
कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर राष्ट्रपति हसन रूहानी के दावों से नया विवाद खड़ा हो गया है। कई विशेषज्ञ पहले से ही ईरान के आधिकारिक आंकड़ों पर संदेह जताते रहे हैं। इस बीच ईरानी राष्ट्रपति के बयान ने उनके दावों को और ताकत दे दी है। दावा है कि ईरान अपने यहा कोरोना से संक्रमित और मौतों को लेकर गलत आंकड़ा पेश कर रहा है। वहीं ईरानी अधिकारियों ने इस तरह के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है।
पश्चिम एशिया में सबसे अधिक प्रभावित
ईरान पश्चिम एशिया में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रकोप से सबसे बुरी तरह प्रभावित है जहां अब तक कोविड-19 के 2,70,000 मामले सामने आये हैं और कम से कम 13,979 लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इसमें पिछले 24 घंटे में सामने आये संक्रमण के 2,166 और मौत के 188 नये मामले शामिल हैं।
लॉकडाउन की चेतावनी
ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने पहले भी कहा था कि अगर लोगों ने कोरोना वायरस को रोकने के उपायों का पालन नहीं किया तो देश में फिर से लॉकडाउन को लगाया जा सकता है। रूहानी ने देश में संक्रमण की दर बढ़ने के लिए पर्यटन को जिम्मेदार ठहरायाथा। उन्होंने कहा था कि लोगों के एक जगह से दूसरी जगह तक जाने की आजादी से संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।
नई दिल्ली,19 जुलाई। वैश्विक महामारी कोविड का संक्रमण भारत समेत पूरी दुनिया में बहुत तेजी से पैर पसार रहा है. भारत मे हर रोज संक्रमण के 30 हजार से ज्यादा नये मामले सामने आ रहे हैं. इस बीच एजेंसी रॉयटर्स ने एक चौंकानेवाला खुलासा किया है. रॉयटर्स ने बताया है कि शुक्रवार को पूरे विश्व मेें कोरोना संक्रमितों की संख्या एक करोड़ 40 लाख के पार पहुंच गयी है. पहली बार वैश्विक कोरोना मामलों मे रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गयी है और महज 100 घंटे में कोरोना संक्रमण के 10 लाख नये मामले सामने आये हैं.
जब इस साल जनवरी की शुरूआत में चीन में कोरोना का पहला मामला दर्ज किया गया, उसके बाद से कोरोना संक्रमितों की संख्या को दस लाख पार होने में लगभग तीन महीने का समय लगा था. पर इसके तीन महीने बाद अब हालात यह है कि महज 100 घंटे में 10 लाख नये मामले सामने आ रहे हैं. जहां 14 जुलाई को पूरे विश्व में कोरोना वायरस के 13 मिलियन मरीज थे, वहीं 17 जुलाई को कोरोना संक्रमितों की संख्या 14 मिलियन हो गयी.
कोविड-19 अमेरिका के लिए गंभीर चुनौती बन गया है. 36 लाख कोरोना संक्रमितों की संख्या के साथ कोरोना संक्रमित देशों की सूची में अमेरिका पहले स्थान पर बना हुआ है. गुरूवार को अमेरिका में एक दिन में रिकॉर्ड 77000 नये मामले दर्ज किये गये को स्वीडन में अब तक आये कुल संक्रमितों की संख्या के बराबर है. स्वीडन में कोरोना संक्रमितों की संख्या 77, 281 है. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है. साथ ही कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आर्थिक गतिविधियां शुरू करने की मांग की जा रही है.
कोरोना वायरस से चीन में पहली मौत दर्ज होने के लगभग सात महीने बाद इस महामारी की वजह से पूरी दुनिया में अब तक 590,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जो दुनिया भर में एक साल में इन्फ्लूएंजा से हुई मौतों का अधिकतम आंकड़ा है. सरकारी रिपोर्टों पर आधारित रॉयटर्स टैली के मुताबिक यह बीमारी अमेरिका में सबसे तेजी से बढ़ रही है. भारत 10 लाख संक्रमितों के साथ सबसे अधिक मामलों वाला एकमात्र दूसरा देश है. (रॉयटर्स)
मुंह से निकालकर वापस खबर पढ़ना जारी
यूक्रेन के टीएसएन चैनल की एक एंकर मारीचका पाडाल्को न्यूज पढ़ती हुआ दिखाई दे रही हैं. थोड़ी देर बाद एंकर अपना हाथ उठाकर अपनी मुंह की तरफ लेकर जाती हैं और अपने मुंह से कुछ निकालकर वापस खबर पढ़ना जारी रखती है. मारीचका ने इस वीडियो को अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया है जहां इसे अभी तक लाखों लोग देख चुके हैं .
मारीचका ने लिखा,"हाँ, मैंने वास्तव में आज 9:00 बजे टीएसएन के लाइव प्रसारण के दौरान अपने के दाँत का खो दिया."
"मेरे बेडरूम में एक भारी धातु की अलार्म घड़ी थी और एक दिन मेरी छोटी बेटी ने उसे पकड़ लिया और जब मैं सो रही थी तब उसने उसे घुमाना शुरू कर दिया. जब मैं बिस्तर में जम्हाई ले रही थी तो उसी दौरान वो मेरे दांत से आकर टकराई." मारीचका पाडाल्को ने बताया कि इस घटना के बाद उन्होंने उस जगह एक नया दांत लगवाया था, जो शो के दौरान टूट गया.
तो क्या सचिन की बात के अनुसार आउट देना चाहिए या नहीं.
-आदेश कुमार गुप्त
बीते दिनों भारत के पूर्व कप्तान और बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर ने वेस्टइंडीज़ के पूर्व कप्तान और बल्लेबाज़ ब्रायन लारा के साथ वीडियो चैट के दौरान कहा कि क्रिकेट में तकनीक के इस्तेमाल का मक़सद यही है कि निर्णय सही हों.
सचिन ने उस दौरान अंपायरों के फ़ैसले की समीक्षा प्रणाली यानी डीआरएस से अंपायर्स कॉल को हटाने का सुझाव देते हुए कहा कि एलबीडब्ल्यू में जब गेंद स्टंप्स से टकरा रही हो तो बल्लेबाज़ को आउट दिया जाना चाहिए.
सचिन ने यह साफ़ लहज़े में कहा कि वो एलबीडब्ल्यू को लेकर डीआरएस के फ़ैसले पर आईसीसी से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि डीआरएस में मैदानी फ़ैसला तभी बदला जा सकता है जब गेंद का 50% हिस्सा स्टंप्स से टकराता दिखे जो सही नहीं है.
सचिन कहते हैं कि जब मामला तीसरे अंपायर के पास जाता है तो इसमें तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, फिर तकनीक से ही फ़ैसला तय होना चाहिए, जैसा कि टेनिस में होता है कि गेंद या तो कोर्ट के अंदर है या बाहर. वहां इसके बीच की कोई स्थिति नहीं होती.
सचिन की बात का पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह ने भी ट्वीट करके समर्थन किया.
उन्होंने लिखा, "पाजी मैं आपसे सौ फ़ीसदी सहमत हूं कि अगर गेंद स्टंप्स को छूकर भी निकल रही है तो बल्लेबाज़ को आउट दिया जाना चाहिए. इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि गेंद का कितना प्रतिशत हिस्सा स्टंप्स से टकराया. ऐसे में खेल की बेहतरी के लिए नियमों में बदलाव होने चाहिए जिसमें से एक यह होना चाहिए."
क्या कहते हैं यूडीआरएस के नियम
दरअसल, यूडीआरएस नियम के तहत जब खिलाड़ी को अंपायर के किसी फ़ैसले पर एतराज़ होता है तो वह इसकी अपील कर सकता है और तीसरा अंपायर टीवी पर रिकॉर्डिंग देखकर उस फ़ैसले को सही या ग़लत बताता है, लेकिन यूडीआरएस के लिए सिरीज़ से पहले दोनों क्रिकेट बोर्ड की सहमति ज़रूरी है.
पहले भी इस बात को लेकर बहस हो चुकी है कि आईसीसी को सभी देशों में यूडीआरएस को लागू करना चाहिए इससे खेल में सुधार होगा, लेकिन बीसीसीआई इसका विरोध करती रही है.
वैसे यूडीआरएस के लिए ज़रूरी तकनीक सभी देशों के पास नहीं है. जाँच में यह पता चला है कि यूडीआरएस का इस्तेमाल करने से 96% प्रतिशत फ़ैसले सही होते हैं लेकिन उसके बिना भी 92% प्रतिशत फ़ैसले सही होते हैं.
बीसीसीआई का मानना है कि तकनीक सौ प्रतिशत फ़ैसला सही नहीं दे सकती इसलिए इसे लागू करने की ज़रूरत नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय अंपायर के. हरिहरन क्या कहते हैं?
इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय अंपायर के. हरिहरन कहते हैं, "इसमें दो-तीन बातें महत्वपूर्ण हैं ख़ासकर एलबीडब्लू के मामले में. अंपायर सबसे पहले देखता है कि गेंद कहां पिच हुई यानी टप्पा खाई, पैड पर लगी और सुनिश्चित किया कि बल्ले पर नहीं लगी. इसके बाद कि क्या गेंद स्टंप्स पर लगेगी. अब यह महत्वपूर्ण नहीं है कि गेंद बीस, तीस या पचास प्रतिशत स्टंप्स पर लग रही है, यह एक पहला पॉइंट है."
"दूसरा पॉइंट है कि गेंद स्टंप्स पर लगेगी या नहीं यह बात अगर अंपायर के मन में दुविधा पैदा करती है तो वो डीआरएस निर्णय के लिए तीसरे अंपायर के पास जाते हैं. वो ये देखता है कि गेंद सही जगह पिच हुई है या नहीं. इसके बाद थर्ड अंपायर, फील्ड अंपायर के निर्णय को सुनिश्चित करता है."
"वह देखता है कि गेंद स्टंप्स पर लग रही है या नहीं, इसमें दस, बीस या पचास प्रतिशत महत्वपूर्ण नहीं है. अगर गेंद स्टंप्स से टकरा रही है तो बल्लेबाज़ आउट है. सबसे महत्त्वपूर्ण है गेंद कहां टप्पा खा रही है, गेंद की दिशा और प्रभाव और उसका स्टंप्स से टकराना. अब अगर इनमें से किसी बात पर अंपायर या थर्ड अंपायर के मन में कोई शंका होती है तो वह बल्लेबाज़ को शंका का लाभ देकर नॉटआउट देता है."
के. हरिहरन अंपायर गेंद की पिचिंग कहां हुई यानी कहां टप्पा खाई, इम्पैक्ट यानी गेंद का असर या प्रभाव और हिटिंग यानी स्टंप्स से टकराना, को पूरी तरह से स्पष्ट करते हैं. अगर अंपायर को इनमें से किसी दो बात पर शंका हुई तो वह सौ फ़ीसदी बल्लेबाज़ को नॉटआउट क़रार देगा.
जब मैदानी अंपायर के मन में शंका होती है तभी वह थर्ड अंपायर के पास जाता है. तकनीक कहती है कि अगर गेंद स्टंप्स से टकरा रही है तो बल्लेबाज़ को आउट दे दो.
सचिन के उठाए सवाल पर क्या बोले हरिहरन
अब सवाल तो यही है कि अगर टीवी रीप्ले में गेंद स्टंप्स को केवल छूकर या स्टंप्स से ऊपर जा रही है तो बल्लेबाज़ को नॉटआउट क्यों दिया जाता है?
जवाब में अंपायर के. हरिहरन कहते हैं कि कई बार देखा गया है कि गेंद के स्टंप्स पर लगने के बाद भी गिल्लियाँ नहीं गिरतीं और बल्लेबाज़ आउट नहीं होता. वहीं कई बार हल्का सा छूकर निकलने पर भी गिर जाती हैं और बल्लेबाज़ आउट हो जाता है. लिहाज़ा डीआरएस में ऐसी स्थिति आने पर बल्लेबाज़ को आउट नहीं देते.
तो क्या सचिन तेंदुलकर की बात के अनुसार बल्लेबाज़ को आउट देना चाहिए या नहीं.
जवाब में अंपायर के. हरिहरन कहते हैं कि आउट तो देना चाहिए लेकिन तीन अलग-अलग तरह की विविधता पिचिंग, इम्पैक्ट और हिटिंग द स्टंप्स में पिचिंग में थोड़ा बहुत बाहर भी चलेगा. इम्पैक्ट में बल्लेबाज़ विकेट के सामने होना चाहिए और हिटिंग द स्टंप्स अंपायर्स का कॉल है, केवल इसके आधार पर बल्लेबाज़ को आउट दिया जा सकता है.
दूसरी तरफ़ यूडीआरएस तकनीक को अपनाना न तो सस्ता है और न ही हर देश के पास यह सुविधा उपलब्ध है.
इसे लेकर अंपायर के. हरिहरन तीखा जवाब देते हैं कि क्रिकेट भी खेलना चाहते हैं और तकनीक भी इस्तेमाल करना चाहते हैं तो इसमें सस्ता-महंगे का सवाल कहां से आ गया.
तो क्या इस तकनीक पर विवाद होते रहेंगे?
के. हरिहरन इसे विवाद न मानते हुए कहते हैं कि खिलाड़ी ही अंपायर के निर्णय को मानने को तैयार नहीं है.
इस तकनीक के 96 फ़ीसदी कामयाब होने को लेकर के. हरिहरन कहते हैं कि यह तो सही है लेकिन एलबीडब्लू वाले मामले में हिटिंग द स्टंप्स का अनुमान सबसे महत्वपूर्ण है. इसका अनुमान अंपायर भी लगाता है और कैमरा भी. इस तकनीक को ही 100 फ़ीसदी सही करने की कोशिश होनी चाहिए. हरिहरन अपनी बात को समाप्त करते हुए कहते हैं कि यह निर्णय तो दोनों टीमों के लिए है एक के लिए नहीं.
'क्रिकेट को तकनीक पर छोड़ा गया तो रोमांच चला जाएगा'
क्रिकेट समीक्षक विजय लोकपल्ली कहते हैं कि सचिन सही कह रहे हैं. अब अगर गेंद स्टंप्स पर लग रही है लेकिन अगर अंपायर ने नॉटआउट दे दिया तो यह अंपायर्स कॉल है.
बेल्स के मामले में लोकपल्ली कहते हैं कि क्रिकेट में ऐसा बहुत कम हुआ है.
वो कहते हैं, "कई बार तेज़ हवा से बेल्स गिरे हैं लेकिन अब ये पहले से अधिक भारी हैं. ऐसे में क्रिकेट अंपायर पर छोड़ दो. लेकिन ये भी नहीं हो सकता क्योंकि क्रिकेट पर बहुत पैसा लगा है और जनता देख रही है. तकनीक है तो इस्तेमाल करो लेकिन अगर इसे तकनीक आधारित ही बना दिया तो इस खेल का रोमांच चला जाएगा."
विजय लोकपल्ली कहते हैं कि अगर सचिन तेंदुलकर जैसा बल्लेबाज़ कह रहा है तो सोचिए इसमें कितनी दुविधा है. आईसीसी को सोचना चाहिए कि एक महान खिलाड़ी क्रिकेट को लेकर चिंतित है, कुछ बदलाव होना चाहिए. पहले तो गेंदबाज़ को एलबीडब्लू मिलता ही नहीं था अब वह सोच तो सकता है. आईसीसी के सामने क्रिकेट को बचाने की चुनौती है, उसे सचिन तेंदुलकर की बात पर विचार करना चाहिए.
कमेंटेटर आकाश चोपड़ा क्या कहते हैं
वहीं पूर्व सलामी बल्लेबाज़ और कमेंटेटर आकाश चोपड़ा कहते हैं कि जब हम देखते हैं कि गेंद बल्लेबाज़ के पैड पर लगी है तो दस में से नौ बार आपको भी पता चल जाता है कि बल्लेबाज़ आउट है या नहीं या क़रीबी मामला है. रही बात सचिन की बात की तो यह तो सिर्फ़ अनुमान दिखाया जाता है कि गेंद स्टंप्स से टकराएगी क्योंकि बीच में पैड आ जाते हैं. अब ऐसे में सचिन ऐसा क्यों कह रहे हैं इसे समझा जा सकता है कि अगर गेंद स्टंप्स पर लगेगी तो बेल्स गिरेगी और खेल ख़त्म.
अब ऐसा क्यों कि गेंद अगर पचास प्रतिशत से अधिक स्टंप्स पर लगे तो आउट और बीस प्रतिशत लगे तो नॉटआउट?
आकाश चोपड़ा कहते हैं, "तकनीक में कुछ कमियाँ हैं. शंका यह है कि अगर तकनीक पचास प्रतिशत से अधिक गेंद स्टंप्स पर टकराती दिखाती है तो 99% वह स्टंप्स पर लगने वाली है लेकिन अगर उससे कम दिखाती है तो फिर संभावना कम होती है. यहां तक तो मामला ठीक है. अब इसमें मुश्किल यह है कि 50% से कम होते ही अंपायर्स कॉल आ जाती है. यह समझ से बिलकुल परे है."
"अगर पचास प्रतिशत से अधिक गेंद स्टंप्स पर लग गई तो अंपायर ने आउट दिया या नहीं इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता लेकिन नियम कहते हैं 5% भी गेंद अगर स्टंप्स पर लग गई और अंपायर ने आउट दे दिया तो उसे माना जाएगा. लेकिन अगर अंपायर ने नॉटआउट दे दिया तो उस निर्णय को पलट नहीं सकते. यही एक बड़ी ग़लती है."
क्या सचिन तेंदुलकर की बात को माना जाएगा?
आकाश चोपड़ा साफ़ साफ़ कहते हैं कि सचिन की बात को नहीं माना जाएगा क्योंकि इसमें बुनियादी कमी है. हो सकता है आने वाले दिनों में यह नियम आ जाए कि अगर अंपायर्स कॉल है तो उसे आउट माना जाएगा या नॉटआउट क्योंकि इसमें दो बातें नहीं हो सकती. एक नियम बनाना पड़ेगा.
आकाश चोपड़ा यह भी कहते हैं कि यहां एक परेशानी यह भी है कि अगर अंपायर ने आउट दिया तो आउट और नॉटआउट दिया तो नॉटआउट जबकि गेंद उतना ही स्टंप्स पर लगती नज़र आ रही है तो शायद यह नियम बदल जाए लेकिन अगर कोई यह सोचे कि पांच फ़ीसदी भी गेंद अगर विकेट पर लगे और बल्लेबाज़ को आउट दे दिया जाए ऐसा नहीं होगा. तकनीक में जब तक कमी है, शंका है तब तक बल्लेबाज़ अपना विकेट इतनी आसानी से नहीं गँवा सकते.
बैडमिंटन या टेनिस से तुलना पर आकाश चोपड़ा कहते हैं कि वहाँ अनुमान नहीं है. क्रिकेट में पिच पर बल्लेबाज़ है, उसके बाद गेंद पैड या शरीर पर लग गई तो लग गई, तो उसके बाद क्या होगा इसे कोई देख नहीं सकता बस अनुमान लगाया जाता है या सोचा जाता है.
अब देखना है सचिन तेंदुलकर की सलाह भविष्य में क्या रंग लाती है.(bbc)
प्लाज़्मा की कमी क्यों है?
लगातार कई शहरों के अस्पतालों, ब्लड बैंक्स और रिश्तेदारों को फ़ोन लगा लगाकर वैभव और उनकी पत्नी सुकन्या की उंगलियां दुख रही हैं, नींद की कमी से आंखें सुर्ख़ हैं, तबीयत बोझिल है, फिर भी पिता विकास चंद्र अग्रवाल के लिए एबी+ ग्रुप के प्लाज़्मा का इंतज़ाम तीन दिनों की कोशिश के बावजूद नहीं हो पाया है.
इस बीच एक तरफ आगरा के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती 62 साल के विकास चंद्र अग्रवाल की तबीयत बिगड़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ वैभव की घबराहट और चिंता भी 'शूट-अप' कर रही है, और वो कुछ भी करने को तैयार हैं.
प्लाज़्मा के लिए परेशान होने वालों में वैभव अकेले नहीं हैं. गुरुवार को हमें प्लाज़्मा के लिए जद्दोजहद में जुटे दो लोगों ने फ़ोन किया था. प्लाज़्मा 'मैच-मेकिंग' यानी डोनर-रिसीवर को आमने-सामने लाने वाली संस्था 'ढूंढ' की वेबसाइट पर हर दिन दर्जनों लोग रजिस्टर कर रहे हैं.
जिस व्यक्ति को कोरोना संक्रमण होकर ठीक हो चुका है उसके खून से प्लाज़्मा निकालकर कोराना के मरीज़ को दिए जाने पर कई बार हालत में सुधार देखा गया है.
लंदन-स्थित सॉफ़्टवेयर इंजीनियर और 'ढूंढ' में पार्टनर मुकल पाहवा के मुताबिक़ उनकी बेवसाइट पर पंजीकरण करवाने वालों में 'रिसीवर्स' यानी जिन्हें प्लाज़्मा चाहिए की तादाद 'डोनर्स' से बहुत अधिक है.
हमेशा की तरह क़िल्लत की क़ीमत ज़रूरतमंदों से वसूली जा रही है, एक यूनिट (525 एमएल) प्लाज़्मा के लिए पच्चीस से तीस हज़ार रूपयों तक की मांग हो रही है. कई जगहों पर इस लेन-देन के लिए डार्क-वेब का सहारा लिए जाने की भी चर्चा है.
कुछ अख़बारों ने डोनर को पैसों के अलावा, दूसरे शहर से आने-जाने का इंतज़ाम किए जाने तक की बात भी लिखी है. इन सबके बावजूद सब कुछ काफी मुश्किल है.
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पिछले दिनों जनता को आगाह किया कि कुछ लोग प्लाज़्मा के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं और कई लोगों से इसके लिए ऊंची कीमत वसूली गई है.
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्लाज़्मा थेरेपी कोविड-19 का इलाज नहीं है लेकिन मरीजों की हालत में इसकी वजह से सुधार देखा गया है इसलिए इसकी मांग बहुत है.
यही वजह है कि पिछले दिनों कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री ने अपनी दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में घोषणा की कि प्लाज़्मा डोनर्स को पाँच हज़ार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.
प्लाज़्मा की कमी क्यों है?
नेशनल ब्लड ट्रांसफ़्यूज़न कांउसिल ब्लड (ख़ून), प्लैटलेट्स, प्लाज़्मा वगैरह से जुड़े मामलों की देख-रेख करने वाली संस्था है, उसके मुताबिक़ प्लाज़्मा के लिए 400 रुपए प्रति यूनिट लिए जा सकते हैं.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मेडिकल कालेज में कम्यूनिटी मेडिसिन्स के असिस्सटेंट प्रोफ़ेसर नफ़ीस फ़ैज़ी कहते हैं, "प्लाज़्मा की कमी की एक बड़ी वजह ज़रूरी मूलभूत सुविधांए जैसे पैथोलॉजी लैब्स, कलेक्शन-प्रिज़र्वेशन की सुविधाओं जैसी भारी कमी है, दूसरे लोगों में ब्लड, शरीर के अंग वग़ैरह दान करने को लेकर जानकारी की कमी और भ्रांतियां भी हैं."
स्वास्थ्यकर्मियों की स्वंयसेवी संसथा जन स्वास्थ्य अभियान के डाक्टर गार्गेया तेलकापल्ली पूरे हालात के लिए सिर्फ़ सरकार को दोषी नहीं मानते और कहते हैं जो प्लाज़्मा दान कर सकते हैं "उनमें शायद ये डर भी है कि क्या होगा अगर मुझे फिर से कोविड-19 का संक्रमण हो गया?"
हालांकि प्लाज़्मा थेरापी पर अभी रिसर्च जारी है और फ़िलहाल छप रहे नतीजों को फ़ाइनल नहीं मान सकते हैं लेकिन कुछ प्रतिष्ठित विदेशी अख़बारों में इस तरह की ख़बरें आई हैं कि कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद शरीर में बीमारी से लड़ने की जो प्रतिरोधरक क्षमता पैदा होती है - जिसे ऐंटीबॉडीज़ कहते हैं, ये तीन माह के बाद ख़त्म हो जाती है.
कई जगहों पर कोविड-19 पीड़ित के ठीक हो जाने के बाद फिर से बीमार पड़ने की भी ख़बरें हैं.
प्लाज़्मा थेरेपी में किसी वैसे ही व्यक्ति के ख़ून के इस हिस्से को बीमार के शरीर में चढ़ाने के लिया जा सकता है जो कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद ठीक हो गया हो. इलाज के इस तरीक़े को 'कन्वैलेसेंट प्लाज़्मा थेरापी' कहते हैं.
ये थेरेपी इस धारणा पर आधारित है कि संक्रमण से ठीक हुए मरीज़ के ख़ून से लिए गए प्लाज़्मा से किसी दूसरे बीमार के रक्त में मौजूद वायरस को ख़त्म किया जा सकता है.
कोविड-19 के पहले इसका इस्तेमाल सार्स, मर्स और एच1एन1 जैसी महामारियों में भी किया गया था.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लैब, ब्लड बैंक, ज़रूरी दवाओं की उपलब्धता वग़ैरह और सभी बड़े अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज पर ध्यान दिया जाता तो इस तरह के हालात तैयार नहीं होते.
बीते दिनों तेज़ी से बढ़ी प्लाज़्मा की मांग
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मेडिकल कालेज में ही प्लाज़्मा थेरेपी से संबंधित सारी सुविधाएँ मौजूद नहीं हैं और ये आने वाले दिनों में शुरु होंगी.
रिपोर्ट के मुताबिक़ बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी मेडिकल कालेज में ये पिछले हफ़्ते ही शुरु हुई है. लखनऊ के केजीएमयू में ये सुविधा सुचारु रूप से चल रही लेकिन एसजीपीजीआई को स्वस्थ्य डोनर नहीं मिल रहे.
देश की राजधानी दिल्ली में दूसरा प्लाज़्मा बैंक पिछले हफ़्ते ही लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में शुरु किया गया है. पहला बैंक वसंत कुंज स्थित आईएलबीएस में पिछले महीने भर से काम कर रहा है.
डाक्टर गार्गेया तेलकापल्ली कहते हैं, "ज़रूरत है लोगों को इस बात को समझाने की कि वो जो ख़ून, प्लाज़्मा दान करने जा रहे हैं वो किसी बहुत बीमार या मर रहे व्यक्ति को फिर से जीवनदान दे सकता है, यानी 'उनके काम का एंड-रिज़ल्ट क्या होगा इस जागरुकता की ज़रूरत है लेकिन जब हम अपने अस्पतालों में ब्लड बैंक नहीं चला पा रहे और सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं पर ख़र्च को कम से कम करती जा रहीं तो यह मुश्किल है."
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले हफ़्ते अस्पतालों से कहा है कि वो कोविड-19 से ठीक हो रहे मरीज़ों को प्लाज़्मा दान करने के लिए प्रोत्साहित करें. केजरीवाल ने ये भी कहा कि प्लाज़्मा की मांग पिछले दिनों तेज़ी से बढ़ रही है.
अभी तक कोविड-19 के इलाज में जो चार-पांच चीज़ें बेहतर रिज़ल्ट्स दे रही हैं उनमें प्लाज़्मा थेरापी एक है. तो इसको लेकर मांग बढ़ना भी स्वभाविक है.
ऐसी स्थिति में - अद्वीतिय मल्ल ने पाया कि जब उन्हें प्लाज़्मा की ज़रूरत तो उनसे कुछ लोगों ने प्लाज़्मा देने के बदले पैसों की मांग की.
अब मल्ल ने दोस्त मुकुल पाहवा के साथ मिलकर ढूंढ़ नाम की वेबसाइट शुरू की है जो लोगों को प्लाज़्मा हासिल कराने में मदद करती है.
कमी के चलते कालाबाज़ीरी को मिल रहा है बढ़ावा
मुकुल पाहवा कहते हैं "काफ़ी संख्या में लोग मुल्क के कोने-कोने से उनसे जुड़ रहे हैं जबकि उन्होंने इस प्रयास को महीने भर पहले ही शुरु किया था और लोगों को सबसे पहले व्हाट्सऐप के ज़रिये मैसेजेज़ भेजे गए थे."
इस तरह के मामले में जहां हासिल करने वाले की ज़रूरत इंतिहा पर हो और दानकर्ता ये जानता हो तो किसी तरह का लेन-देन संभव है, मुकुल पाहवा स्पष्ट करते हैं कि वो सिर्फ़ डोनर-रिसीवर को आमने-सामने लाने का काम कर रहे हैं उसके बाद का मामला उन दोनों के बीच का होता है और उनकी संस्था इससे अलग रहती है.
'प्राण' नाम से ऐसा ही प्रयास दो दिनों पहले महाराष्ट्र कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य डाक्टर ओम श्रीवास्तव की ओर से भी शुरु किया गया है और उनकी सहायक डाक्टर मारिया निगम के मुताबिक़ फ़िलहाल पायलट प्रोजेक्ट के प्रोटोकोल और दूसरे पहलूओं पर काम जारी है.
डाक्टर नफ़ीस फ़ैज़ी कहते हैं जब भी इस तरह की नई थेरेपी सामने आती है तो उसकी क़ीमतों और इस तरह (लेन-देन) की बातें सुनने में आती हैं और इस पर लगाम तब और मुश्किल नज़र आती है जब इन पर लगाम कस सकने वाली संस्थाएं कमज़ोर हों.
स्वयंसेवी स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशा मिश्रा सवाल करती हैं कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में कौन सी चीज़ कालाबाज़ारी के बिना मिल रही और कोविड जिन्हें हो जाए वो तो इतनी हताशा में पहुंच जाते हैं कि जो पास होता है वो देने को तैयार हो जाते हैं?
हाल के दिनों में प्लाज़्मा के इलाज से संबंधित रेमडेसीवर जैसी दवाइयों के तीन-चार गुने दामों में बेचने की ख़बरें आती रही हैं.
प्राइवेट अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज के लिए भारी दामों की वसूली की ख़बरों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको लेकर रेट-लिस्ट जारी की लेकिन कहा जा रहै है कि वो पूरी तरह से रुक नहीं पाया है.
राष्ट्रीय ब्लड पॉलिसी के मुताबिक़ ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट, 1940, के भीतर ख़ून को दवा की श्रेणी में रखा गया है और इसकी अवैध खरीद बिक्री की सज़ा में दो साल तक की जेल हो सकती है.(bbc)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जुलाई। स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि आज रात 8.30 बजे तक राज्य में 243 कोरोना मरीजों की पहचान हुई है और 146 ठीक हुए। कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 3246 हो गई है जिसमें 3658 ठीक हो चुके हैं, 24 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है और 1564 एक्टिव मरीज हैं।
आज मिले 243 में बिलासपुर 64, कांकेर 45, रायपुर 25, बीजापुर और दुर्ग 18-18, बस्तर और जांजगीर-चांपा 11-11, नारायणपुर और रायगढ़ 7-7, कोरिया 6, सुकमा और सरगुजा 4-4, बेमेतरा, कबीरधाम, कोंडागांव और दंतेवाड़ा 3-3, धमतरी, बलौदाबाजार, जशपुर, व अन्य राज्य से 2-2, राजनांदगांव, कोरबा, और बलरामपुर 1-1 मरीज मिले हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद उनकी पार्टी का पहला कार्यकर्ता सम्मलेन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 जुलाई। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी के निधन के बाद मरवाही में आयोजित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के पहले कार्यकर्ता सम्मेलन में कोटा की विधायक डॉ. रेणु जोगी ने भावुकतापूर्ण उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि मरवाही का चुनाव हम सबके लिये अग्निपरीक्षा है। विश्वास है कि जैसा जोगी को साथ मिलता रहा है उनके परिवार को भी साथ मिलेगा और हमारा सहारा बनेंगे।
गौरेला में हाईस्कूल असेम्बली हाल परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर, जिला अध्यक्ष शिवनारायण तिवारी सहित क्षेत्र के अनेक पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे। पूर्व विधायक व पार्टी के अध्यक्ष अमित जोगी क्वारांटीन पर होने के कारण नहीं पहुंच सके और वीडियो से उन्होंने संदेश दिया।
डॉ. जोगी ने अपने भाषण में कहा कि जोगी ने कई बार चुनौतियों का सामना किया, पर जिस वक्त वे चले गये बिल्कुल स्वस्थ थे। उन्होंने कई बार हमें आश्चर्यचकित किया। चार घंटे के भीतर ही उन्हें मैंने कलेक्टर से राज्यसभा का सदस्य बनते देखा। स्व जोगी चार बार सांसद और चार बार ही मरवाही के विधायक रहे। इसका श्रेय आप सबको है। जोगी जी की वसीयत मैंने पढ़ी नहीं थी, पर उन्होंने अंतिम इच्छा बताई थी कि चार. चिरौंजी, महुआत, तेंदू, बेर की पूजा कर यहीं की मिट्टी में मुझे दफना दिया जाये और मिट्टी का विसर्जन सोन तथा नर्मदा नदी में कर दिया जाये ताकि अपने परिश्रम और जीवन का सदैव स्मरण करता रहूं।
डॉ. जोगी ने कहा कि मरवाही ने हमारे परिवार को जीवन की सारी खुशियां दीं। यह साथ सदैव बना रहे। मैंने भी 14 साल के दौरान कोटा का प्रतिनिधित्व करते हुए मरवाही के लिये कभी भेदभाव नहीं किया। जो काम कोटा के लिये किया वही मरवाही के लिये भी करती रही। आप जिस तरह जोगी को अपनी समस्यायें बताते थे चाहे वे पारिवारिक ही क्यों न हों, मुझे भी बता सकते हैं। उनकी सोच आपसे शुरू होती थी और आपसे खत्म होती थी। इसी विश्वास और प्यार को आगे बनाये रखें।
पम्पकर्मी व गार्ड का कर रहे थे काम
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,18 जुलाई। सरगुजा में 9 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी करने के मामले में पुलिस ने बीएन गोल्ड चिटफंड कंपनी के कथित रूप से डायरेक्टरों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों में से एक फिलहाल पेट्रोल पम्प में काम कर रहा था तो दूसरा सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी कर रहा था। हालांकि इनका मुख्य सरगना अब भी पुलिस गिरफ्त से बाहर है लेकिन पकड़े जाने के बाद ये दोनों आरोपी भी खुद को ठगी का शिकार ही बता रहे हंै।
आरोपियों का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि उन्हें मुख्य सरगना गुरविंदर सिंह ने कंपनी का डायरेक्टर बनाकर धोखे से उनके हस्ताक्षर करा लिए है, जबकि उन्हें लोगों को जोडऩे के नाम पर सिर्फ कमीशन ही मिलता था और अब फिर से बेरोजगार होने के बाद वे किसी तरह अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे थे।
ज्ञात हो कि वर्ष 2008-09 के बीच सरगुजा जिले व संभाग में बड़े पैमाने पर चिटफंड कंपनियों ने अपना जाल फैलाया हुआ था और ये कंपनियां भोले भाले लोगों को उनकी रकम दो गुना होने का लालच देकर ठगी का शिकार बना रही थी। इस दौरान उन्होंने शहर के उर्सू लाइन स्कूल के पास संचालित बीएन गोल्ड कंपनी ने भी वर्ष 2009 से 2015 के बीच सरगुजा संभाग में लगभग 5806 लोगों को अपने झांसे में लेकर उनके 9 करोड़ 82 लाख 84 हजार 816 रुपए की कमाई की धोखाधड़ी की थी।
वर्ष 2015 में छापेमारी की कार्रवाई के बाद कंपनी का डायरेक्टर व मुख्य सरगना पंजाब निवासी गुरविंदर सिंह के साथ ही कंपनी के डायरेक्टर के रूप में काम करने वाले बिलासपुर जिले के मस्तूरी थाना अंतर्गत ग्राम मल्हार निवासी 55 वर्षीय चैतराम केंवट व कोरबा के कोथारी निवासी गोपाल दास मानिकपुरी व संतोष दास मानिकपुरी भाग निकले थे और उनकी तलाश पुलिस द्वारा की जा रही थी। अब पुलिस ने मस्तूरी से चैतराम केंवट व कोरबा से गोपाल दास मानिकपुरी को गिरफ्तार किया है जबकि पुलिस के अनुसार संतोष दास मानिकपुरी की मौत हो गई है लेकिन इस गिरोह का सरगना गुरविंदर सिंह अभी भी पुलिस गिरफ्त से बाहर है।
दिलचस्प बात यह है कि 9 करोड़ की ठगी करने के बाद भी इनके हाथ कुछ नहीं लगा और अब ये किसी तरह अपना जीवन बसर कर रहे थे। पकड़े गए आरोपियों में से कथित रूप से कंपनी का डायरेक्टर चैतराम सिक्योरिटी गार्ड का काम कर रहा था, जबकि गोपाल दास पेट्रोल पम्प में कर्मचारी के रूप में काम कर रहा था।
आरोपियों का कहना है कि उन्हें कंपनी से लोगों को जोडऩे व क्लाइंट लाने के बदले महीने में 20 से 25 हजार रुपए तक मिल जाते थे। पूर्व में रोजगार नहीं होने के कारण उन्होंने यह काम शुरू किया था और अब फिर से बेरोजगार होने के बाद एक सिक्युरिटी गार्ड तो दूसरा पेट्रोल पम्प में काम कर रहा था। फिलहाल पुलिस ने दोनों आरोपियों के विरुद्ध 420 व चिटफंड अधिनियम व धारा 10 निक्षपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 19 जुलाई। पुलिस महकमे से हाल ही में रिटायर्ड हुए एक एएसआई के खाते से 19 लाख रुपए पार किए जाने का मामला सामने आया है। यह ठगी अंबागढ़ पुलिस थाना क्षेत्र में हुई है। घटना दो दिन पुरानी है। सेवानिवृत्त एएसआई के बैंक खाते से रकम एकमुश्त लाखों रुपए उड़ाने के मामले ने पीडि़त परिवार को हिलाकर रख दिया है।
मिली जानकारी के मुताबिक कुछ माह पहले एएसआई भागवत सलामे पुलिस विभाग से रिटायर्ड हुए हैं। रिटायर्ड के एवज में उन्हें विभाग से मोटी रकम मिली। बीते 16 जुलाई को एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा एएसआई से उसके बैंक खाते के संबंध में जानकारी ली और बातों-बातों में उलझाकर उसके एटीएम का पासवर्ड नंबर हासिल कर 18 लाख 35 हजार रुपए निकाल लिया गया।
इस ऑनलाइन ठगी की भनक कुछ मिनटों बाद मैसेज के रूप में एएसआई को मिली। तब तक काफी देर हो चुकी थी। एएसआई ने तत्काल अंबागढ़ चौकी स्थित बैंक में संपर्क किया, तब उसे ऑनलाइन ठगी होने का अहसास हुआ। इस संबंध में थाना प्रभारी आशीर्वाद रहटगांवकर ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि एएसआई की रिपोर्ट पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज किया गया है, एएसआई को जिस नंबर से फोन किया गया था उसका कॉल डिटेल निकाला जा रहा है। इस बीच एएसआई की हालत खराब हो गई है। परिवार कार्यों के लिए एएसआई ने बैंक में रकम जमा किया था। अब उसके सामने कार्यों को पूर्ण करने की चुनौती खड़ी हो गई है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 18 जुलाई। बस्तर संभाग के छह जिलों से शनिवार को कुल 51 कोरोना पॉजिटिव पाए गए। जिसमें सीमा सुरक्षा बल के एक डॉक्टर सहित 38 जवान शामिल हैं।
कांकेर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी जगजीवन राम उईके ने बताया कि आज कांकेर जिले में 27 कोरोना पॉजिटिव पाये गये। जिसमें सीमा सुरक्षा बल का 1 चिकित्सक तथा सीमा सुरक्षा बल का कैम्प दंडवन में 19 जवान एवं केन्द्रीय सुरक्षा बल के मुल्ला कैम्प में तीन जवान तथा चार प्रवासी मजदूर कोरोना पॉजिटिव पाए गए। उन्होंने बताया कि ये सभी जवान छुट्टी से लौटे हैं।
बीजापुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीआर पुजारी ने बताया कि आज 11 कोरोना पॉजिटिव पाये गये। जिनमें से 10 केन्द्रीय सुरक्षा बल के तथा 1 छत्तीसगढ़ आर्म फोर्स का जवान शामिल है।
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. केएल आजाद ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि बस्तर संभाग में आज 51 कोरोना पॉजिटिव पाये गए। जिनमें 27 कांकेर , नारायणपुर में 1, बीजापुर में 11, कोण्डागांव 3, बस्तर में 5, सुकमा 4 कोरोना पॉजिटिव पाये गये। इन सभी को मेडिकल कॉलेज डिमरापाल जगदलपुर लाया जा रहा है। सभी जवान छुट्टी से लौटे थे।
रांगिया/गुवाहाटी, 18 जुलाई। असम के कामरूप जिले में एक कोविड देखभाल केंद्र से करीब सौ मरीज बाहर निकल आए और राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें पर्याप्त भोजन और पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा है.
एनडीटीवी की खबर के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह घटना चांगसारी में गुरुवार को हुई, जब कुछ असिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) मरीज सेंटर से निकलकर पास के गुवाहाटी के बाहरी इलाके वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर पहुंच गए और कथित तौर पर इसे अवरुद्ध कर दिया।
उनका आरोप था कि उन्हें सेंटर में उचित खाना-पीना नहीं दिया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि इसकी सूचना मिलने पर कामरूप के उपायुक्त कैलाश कार्तिक पुलिस के साथ गुरुवार को कोविड सेंटर पहुंचे।
उन्होंने मरीजों से राजमार्ग से हटने तथा सेंटर लौटने के लिए कहा ताकि बातचीत के जरिए मामले का हल निकाला जा सके. एक अधिकारी ने बताया कि इलाके में तनाव बना हुआ है. हालांकि आश्वासन के बाद मरीज केंद्र में वापस लौट गए.
मरीजों ने आरोप लगाया कि उन्हें भोजन और पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा और बिस्तरों की हालत भी ठीक नहीं है, साथ ही 10-12 मरीजों को एक ही कमरे में रखा गया है.
अधिकारी ने बताया कि उपायुक्त ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनके आरोपों पर विचार किया जाएगा और उन्हें दूर करने के प्रयास किए गए.
वहीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि अगर मरीज कोविड केयर सेंटर से खुश नहीं है, तो वे अपने घर में क्वारंटीन हो सकते हैं.
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम उन्हें देखभाल सेंटर लेकर आए ताकि उनका इलाज हो सके और वे दूसरे लोगों को संक्रमित न करें. अगर वे वहां खुश नहीं हैं तो वे शपथपत्र पर हस्ताक्षर कर सकते हैं और घर पर क्वारंटीन में रह सकते हैं.’
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्यकर्मी दिन- रात ड्यूटी पर हैं और काम का अत्यधिक बोझ होने के कारण कुछ विलंब हो सकता है.
शर्मा ने कहा, ‘दूसरे राज्यों में तो जांच के लिए भी पैसे लिए जा रहे हैं लेकिन असम में जांच से लेकर रहने और खाने तक का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन कर रही है.’(thewire)
लखनऊ, 18 जुलाई। अयोध्या में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन और आधारशिला रखने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संभावित तिथियां भेजी गई हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से सहमति के बाद भूमि पूजन और आधारशिला रखने की तिथि तय होगी। बैठक में राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मित्र के साथ ट्रस्ट के 12 सदस्य मौजूद थे। तीन सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुडे । राम जन्म भूमि सुरक्षा सलाहकार केके शर्मा भी बैठक में मौजूद थे।
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि पीएम मोदी को शिलान्यास में आने का निवेदन किया गया है, लेकिन इस समय देश में कई मामले चल रहें हैं, अंतिम फैसला PMO लेगा। उन्होंने बताया कि सोमपुरा ही मंदिर का निर्माण करेगा। सोमनाथ मंदिर को भी इन लोगों ने बनाया है।मंदिर बनाने में पैसे कि कमी नहीं होगी। मंदिर के लिये 10 करोड़ परिवार दान देंगे।