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नई दिल्ली, 22 जुलाई। महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीशों एवं उनके परिजनों को चश्मे खरीदने के लिए 50 हजार रुपये वार्षिक भत्ते को मंजूरी दी है। इसके लिए पिछले 10 जुलाई को विधि एवं न्यायिक विभाग की ओर से सरकारी संकल्प जारी किया गया था।
इस सरकारी संकल्प में कहा गया है-अब इस सरकारी संकल्प के तहत बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों, उनके जीवनसाथियों और उन जजों पर आश्रित परिजनों के लिए चश्मे खरीद को मंजूरी दे दी गयी है। संयुक्त तौर पर या अलग-अलग इसकी अधिकतम सीमा प्रतिवर्ष 50 हजार रुपये होगी।
इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि उक्त सरकारी संकल्प वित्त विभाग की 24 जून की सहमति और तत्पश्चात 10 जुलाई, 2020 की मंजूरी के बाद जारी किया गया है। सरकारी संकल्प में यह भी कहा गया है कि संबंधित खरीदारी करते वक्त सरकार की समय-समय पर जारी खरीद नीति पर अमल किया जाना चाहिए। (hindi.livelaw)
नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस को बुधवार को आगाह किया कि वह खूंखार बदमाशों के खात्मे के लिए अब एनकाउंटर का सहारा न ले। इस दौरान, उप्र सरकार ने दुबे मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी.एस. चौहान का नाम तीन सदस्यीय समिति की अगुवाई करने के लिए प्रस्तावित किया।
प्रदेश सरकार ने जब कहा कि जांच समिति का मुख्यालय कानपुर में होना चाहिए, तब सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने पूछा कि यह लखनऊ में क्यों नहीं होना चाहिए।
पुलिस को हत्या की आशंका
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 22 जुलाई। गंडई से सटे ढ़ाबा गांव से सप्ताहभर पहले लापता हुए एक मासूम की टुकड़ों में मिली लाश को पुलिस हत्या से जोडक़र देख रही है। गंडई स्थित वन विभाग के नर्सरी में कल पुलिस को 9 साल के गुम बालक भोजराज सिर और पैर कटे हुए हालत में मिला। घटनास्थल में मिले शरीर के अंग पूरी तरह से सड़ गए हैं। वहीं बालक का कटा हुआ पैर हड्डी के रूप में मिला है।
बताया जा रहा है कि ढाबा का यह बालक बीते सप्ताहभर से गायब था। पुलिस ने मामले में गुमशुदगी का मामला दर्ज किया था। वन विभाग के नर्सरी में बालक का शव टुकड़ों मिलने के बाद सनसनी फैल गई। बताया जा रहा है कि भोजराज वर्मा के पिता राजेलाल वर्मा ने गंडई पुलिस में बेटे की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की थी। परिजन भी बालक को ढूंढने के लिए प्रयासरत थे। लगातार खोजबीन के बीच कल नर्सरी में शव मिलने की खबर के बाद पुलिस ने भोजराज के रूप में शिनाख्ती की। बताया जा रहा है कि गुम बालक के सिर और पैर को काट दिया गया है। प्रथम दृष्टया पुलिस को हत्या का संदेह है।
इस संबंध में गंडई एसडीओपी राजेश जोशी ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि हत्या की आशंका के साथ-साथ पारिवारिक बिन्दुओं पर जांच की जा रही है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद स्थिति साफ होगी। इधर पारिवारिक स्तर पर भी पुलिस जानकारी जुटा रही है। बताया जा रहा है कि मृत बालक के पिता और माता ने अपनी पहली शादी को तोड़ दिया था और दोनों अपनी पसंद पर गृहस्थ जीवन जी रहे थे।
सूत्रों का कहना है कि बालक के माता-पिता के तत्कालिन निजी जिंदगी को भी जांच रहे हैं। माना जा रहा है कि यह मामला पारिवारिक विवाद से जुड़ा हो सकता है। बताया जा रहा है कि मृत बालक अपने माता-पिता की इकलौता पुत्र था। वहीं कल मशरूम तोडऩे गए कुछ बच्चों ने नर्सरी में शव के टुकड़े देखकर लोगों को जानकारी दी, तब इसका खुलासा हुआ।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
विश्रामपुरी, 22 जुलाई। बहू के साथ चल रहे विवाद के चलते नशे में दादी ने 4 माह की पोती को पटक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। आरोपी महिला को कल गिरफ्तार कर लिया गया है। घटना विश्रामपुरी थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत सलना के ठेंगापारा की है।
बहू के साथ तनाव के चलते सास रुक्मणी यादव (45 वर्ष)ने उसके सामने ही पोती को पटक दिया। बहू ने बचाने का प्रयास किया, किंतु अचानक हुई घटना से वह बेटी को बचाने में सफल नहीं हो पाई। बच्ची जब काफी जोर-जोर से रोई तो उसे उसकी मां ने सीने से लिपटा लिया तथा अपने साथ सुलाई किंतु उसे यह पता नहीं था कि चोट की वजह से बच्चे की मौत हो जाएगी।
घटना के वक्त आरोपी महिला के पुत्र एवं पति भी थे, किंतु वे कुछ दूर में किसी कार्य पर लगे थे। मंगलवार सुबह 4 बजे के आसपास बच्ची की हालत गंभीर हो गई, तत्पश्चात परिजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र विश्रामपुरी में ले गए, जहां बच्ची को मृत घोषित कर दिया गया।
आसपास के लोगों ने बताया कि उक्त आरोपी महिला आदतन शराबी थी तथा नशे की हालत में बहू के साथ झड़प होता था। आरोपी महिला के इस प्रकार के आचरण से घर वालों के साथ साथ आस पड़ोस वाले भी काफी परेशान रहते थे। घटना के दिन भी सास-बहू के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो रहा था। इसी बीच आवेश में आकर आरोपी ने घटना को अंजाम दिया। आरोपी महिला को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया।
अस्पताल में बिना मास्क घूमते रहे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 जुलाई। एम्स परिसर में एम्बुलेंस से जबरदस्ती उतरने, बिना मास्क लगाए घूमने और डॉक्टर-मेडिकल स्टॉफ के साथ बदतमीजी करने पर पुलिस ने बीती रात में 10 कोरोना मरीजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। ये सभी कोरोना मरीज शांति नगर के बताए जा रहे हैं, जिसमें एक पत्रकार और एक महिला बैंक कर्मी भी शामिल हैं। ये सभी मरीज फिलहाल एम्स में भर्ती हैं और स्वस्थ होने पर इन सभी मरीजों की गिरफ्तारी हो सकती है।
पुलिस के मुताबिक राजधानी रायपुर के शांति नगर से हाल ही में एक साथ 18 कोरोना पॉजिटिव मिले थे और इन सभी का इलाज यहां एम्स में चल रहा है, लेकिन इन मरीजों में कुछ मरीजों द्वारा अस्पताल के डॉक्टर-स्टॉफ के साथ लगातार विवाद किया जा रहा था। इसके पहले अस्पताल में भर्ती करते समय ये सभी कोरोना मरीज एम्स परिसर में बिना मास्क लगाए एम्बुलेंस से नीचे उतर गए और इधर-उधर परिसर-गार्डन में घूमने लगे। ऊपर बिल्डिंग में जहां उन्हें ठहरने के लिए रूम दिया गया था, वहां से भी निकलकर भी ये सभी अस्पताल-परिसर में घूमते रहे।
बताया गया कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से इन सभी कोरोना मरीजों को बार-बार हिदायत दी जाती रही कि बिना अनुमति तय जगह से कहीं भी न जाएं और प्रोटोकॉल का लगातार पालन करें, लेकिन ये मरीज कई बार रूम से निकलकर परिसर में बाहर बैठते रहे। डॉक्टर-स्टॉफ के मना करने पर कई बार उनसे बहस भी करते रहे। बीती रात भी इनके खिलाफ इसी तरह की शिकायत सामने आई। ऐसे में कोरोना वार्ड में तैनात एक चिकित्सक डॉ. पंकज कन्नौजे ने इसकी शिकायत एम्स प्रबंधन और पुलिस से की।
आमानाका पुलिस ने एम्स प्रबंधन की शिकायत पर 18 में से 10 कोरोना मरीजों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि जिन कोरोना मरीजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ है, उसमें एक पत्रकार और एक महिला बैंक कर्मी शामिल हैं। उनका यह भी कहना है कि ये सभी 18 कोरोना मरीज अस्पताल में भर्ती होने के पहले घटारानी घूमने के लिए गए थे। वहां से वापस आने के बाद सभी अपने-अपने काम पर चले गए। शहर में भी कहीं-कहीं पर घूमते रहे। नतीजा, महिला बैंक कर्मी जहां काम करती है, वहां का एक कर्मचारी भी कोरोना पॉजिटिव निकल आया।
पुलिस का कहना है कि फिलहाल इन मरीजों से पूछताछ न करते हुए उनके ठीक होने का इंतजार किया जाएगा। ठीक होकर घर लौटने के बाद सभी 10 मरीजों की गिरफ्तारी कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)ने फर्टिलाइजर घोटाला मामले में देश के कई राज्यों में छापेमारी की। इसके तहत राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के भी एक ठिकाने पर भी छापा मारा। ईडी ने छापेमारी की ये कार्रवाई गुजरात, बंगाल, दिल्ली और राजस्थान में की।
जुआ में मालिक-मैनेजर पर जुर्म
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 22 जुलाई। शहर के बाहर ऑलीशान राज इंपीरियल होटल में अवैध जुआ के मामले में पुलिस की सख्त कार्रवाई में होटल प्रबंधन की कई कारगुजारियां सामने आ रही है। बताया जाता है कि जुआं के कारोबार के साथ-साथ होटल में गैरकानूनी तरीके से स्पॉ सेंटर भी चलाया जा रहा था। लॉकडाऊन के चलते ब्यूटी पार्लर समेत अन्य सौर्दय प्रसाधन से जुड़े व्यवसाय पर रोक लगी हुई। बंदिशों को दरकिनार कर होटल के भीतर एक कमरें में चोरी-छुपे स्पॉ सेंटर चलाने का खुलासा हुआ है।
सूत्रों का कहना है कि स्पॉ सेंटर के लिए करीब 10 दिन पहले होटल में असम की दो युवतियों को खास तौर पर बुलाया गया था। बताया जाता है कि दोनों युवतियां होटल के अंदर गुपचुप रूप से स्पॉ सेंटर चला रही थी। सूत्रों का कहना है कि युवतियों से पुलिस ने लंबी पूछताछ की है। दोनों का पुलिस ने पहचान-पत्र समेंत अन्य दस्तावेज जमा करा लिए है। बताया जाता है कि एसपी जितेन्द्र शुक्ल ने जुआ चलने की खबर की अपने स्तर पर पुख्ता जानकारी जुटाई। इसके बाद लालबाग थाना के बजाए एसपी ने बसंतपुर थाना स्टाफ के जरिए होटल पर धावा बोला।
बताया जाता है कि अवैध जुआ चलने की खबर सही होने के बाद एसपी खुद होटल में पहुंच गए। ताकि उनकी कार्रवाई के दौरान लीपापोती होने की गुंजाईश न रहे। बताया जाता है कि पुलिस को जुआ प्रकरण में जांच के दौरान पता चला कि होटल में बिना अनुमति स्पॉ सेंटर भी चलाया जा रहा है। पुलिस ने असम की दोनों युवतियों से होटल की चारदीवारी में चल रहे कुछ और अवैध कारोबार को लेकर जानकारी दी है। इस थ्री-स्टार होटल में जुआ के अवैध संचालन को लेकर पूर्व आलाधिकारियों को भनक थी। लेकिन मौजूदा एसपी ने कार्रवाई कर होटल प्रबंधन की तथाकथित कमाई के नए स्रोत पर ब्रेक लगा दिया।
इस संबंध में एसपी जितेन्द्र शुक्ल ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में होटल प्रबंधन को लेकर कई जानकारी मिली है। हर मामले की पुख्ता जांच की जा रही है। इधर जुआ प्रकरण में पुलिस ने होटल मालिक गुरजोत सिंह भाटिया और मैनेजर श्रीकांत बांध के खिलाफ भी जुर्म दर्ज किया है। पुलिस ने तीन दिन के भीतर दोनों को जवाब देने के लिए नोटिस दिया है। बताया जाता रहा है कि लॉकडाऊन के शर्तो को तोडऩे के मामले में भी होटल प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज होगा। इस थ्री-स्टार होटल में वीआईपी तथा रसूखदार लोगों का आना-जाना रहा है। ऐसे में होटल प्रबंधन ने कमाई के लिए गैरकानूनी तरीके को चुनने से परहेज नही किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 जुलाई। मुख्यमंत्री निवास के समीप पखवाड़े भर पहले आत्मदाह करने वाले धमतरी जिले के रहवासी हरदेव सिन्हा ने देर रात दम तोड़ दिया। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने इस पर ट्वीट किया कि कांग्रेस की कुनीति, कुशासन और कुप्रबंधन ने प्रदेश के एक युवक की हत्या कर दी।
बताया गया कि लॉकडाउन के दौरान मुख्यमंत्री से मुलाकात की कोशिश में धमतरी जिले के ग्राम तेलीनसत्ती निवासी हरदेव सिन्हा (27) 29 जून की दोपहर 65 फीसदी झुलस गया था। उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां 18 दिन बाद कालडा नर्सिंग होम में उसका निधन हो गया। युवक का शव उसके ग्राम तेलीनसत्ती पहुंचा है। उसके परिवार में पत्नी बसंती सिन्हा के अलावा 6 और 4 साल की दो बेटियां हैं।
नई दिल्ली, 22 जुलाई। मां की ममता से बढक़र इस दुनिया में कुछ भी नहीं है और लेह निवासी एक महिला ने इसे साबित भी कर दिया। दरअसल, इस महिला के नवजात बच्चे का दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में उपचार चल रहा था और उसे नियमित रूप से मां के दूध की जरूरत थी। ऐसे में यह महिला प्रतिदिन लेह से 1,000 किलोमीटर दूर दिल्ली में अपना दूध भेजती है। दूध हवाई जहाज से दिल्ली पहुंचता है और बच्चे को पिलाया जाता है।
खबर के अनुसार 16 जून को लेह निवासी जिकमेट वांगडू की पत्नी डोरजे पाल्मो ने ऑपरेशन के जरिए बेटे को जन्म दिया था। जन्म के बाद उसका बेटा दूध नहीं खींच पा रहा है। जांच में पता कि चला कि नवजात के फूड और विंड पाइप जुड़े हुए हैं और तत्काल सर्जरी की आवश्यकता है। वांगडू मैसूर में शिक्षक हैं और मां ऑपरेशन के कारण दिल्ली नहीं जा सकती थीं। ऐसे में बच्चे के मामा उसे दिल्ली ले गए।
शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल पहुंचने के बाद डॉ हर्षवर्धन की अगुआई में चिकित्सकों की टीम ने 19 जून को नवाजात की सर्जरी करते हुए फूड और विंड पाइप को अलग कर दिया। जिकमेट ने बताया सर्जरी के बाद बेटे को पाउडर वाला दूध दिया गया था, लेकिन वह असरकारक नहीं रहा। डॉक्टरों ने मां का दूध की जरूरत बताई। इस पर उन्होंने अपनी पत्नी से लेह में बात की और हवाई जहाज से दूध मंगवाने का निर्णय किया।
जिकमेट ने बताया कि हवाई जहाज से प्रतिदिन दूध मंगवाना मुश्किल काम था, लेकिन लेह एयरपोर्ट पर काम करने वाले उनके दोस्तों ने उसकी मदद का आश्वासन दिया। उसके दोस्त प्रतिदिन 60 एमएल दूध की बोतल किसी यात्री के साथ भेजते थे। इसके बाद वह या बच्चे का मामा एयरपोर्ट से उसे लेकर अस्पताल पहुंचाते थे। कुछ दिन बाद विस्तारा एयरलाइंस ने मुफ्त में दूध भेजना शुरू कर दिया। उसकी पत्नी प्रतिदिन तीन बार दूध एकत्र करती है।
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि मां का दूध थर्मोकोल और रेक्सिन से बनी एक विशिष्ट बोतल में आता है। बच्चे के दूध पीने के बाद बोतल वापस लेह भेज दी जाती है। इसके बाद बच्चे मां फिर से बोतल को भरकर दिल्ली भेज देती है। समय पर मां का दूध मिलने से बच्चे के सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है। एक-दो दिन में उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी। बच्चे को अब मुंह से भी आहार देना शुरू कर दिया गया है।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि नवजात का मामा उसे लेकर दिल्ली पहुंचा था। जांच में उसके ट्रेकियोसोफेजल फिस्टुला और ओसोफैगल एट्रेसिया की शिकायत थी। यह बहुत असमान्य स्थिति थी। ऐसे में 48 घंटे में उसकी सर्जरी होना आवश्यक था। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बच्चे के परिजनों ने काम किया है, उसकी जितनी सराहना की जाए वह कम है। डॉक्टर का कहना है कि मां का दूध बच्चे के लिए वरदान है। नवजात अब पूरी तरह से ठीक है।
जिकमेट ने कहा, मेरा बेटा अब ठीक हो रहा है और मजबूत भी हो रहा है। मैं अस्पताल प्रशासन का आभारी हूं। उन्होंने मदद करने के लिए अपने दोस्त और एयरलाइंस का भी आभार जताया है। (satyasamachar)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 22 जुलाई। केन्द्रीय जेल में हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा पाये कैदी के कोरोना संक्रमित पाये जाने के बाद आज उसके सम्पर्क में आये करीब 22 कर्मियों का टेस्ट कराया गया था। कल शाम को आई रिपोर्ट के मुताबिक 8 जेलकर्मियों को कोरोना संक्रमित पाया गया है।
इन सभी को कोविड अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। कैदी को सुबह ही अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था। कैदी के सम्पर्क में आये कई लोगों की जांच रिपोर्ट अभी नहीं आई है। कोरोना टेस्ट की प्रक्रिया आज जेल में जारी रहेगी, जिसमें कैदी के सम्पर्क में आये करीब 80 लोगों का सैम्पल और लिया जायेगा।
बिलासपुर जिले में कल 19 लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आई है। इनमें से कोटा इलाके के तीन सैलून संचालक हैं। कल तोरवा में भी एक सैलून संचालक को कोरोना पीडि़त पाया गया था। विजयवाड़ा आंध्रप्रदेश से लौटे 71 वर्ष के पुरुष व 59 वर्षीय महिला को भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। ये दोनों बुखार व सर्दी खांसी के बाद अपोलो अस्पताल में भर्ती कराये गये थे।
उत्तराखंड के हरिद्वार में बीती रात तेज बारिश के साथ आकाशीय बिजली गिरी .
आकाशीय बिजली हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड के पास ट्रांसफार्मर पर गिरी.
आकाशीय बिजली ट्रांसफार्मर पर गिरी, लेकिन आस-पास के घरों के दीवार भी ध्वस्त हो गये.
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बंगापानी सबडिवीजन में बादल फटने से प्रभावित क्षेत्र से मंगलवार को पांच और शव बरामद किए गए जिससे सोमवार तड़के हुई घटना में मरने वालों की संख्या आठ हो गयी.
उत्तराखंड में पिथौरागढ जिले के बंगापानी सबडिवीजन के दो गांवों में सोमवार तडके बादल फटने से एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गयी और 11 अन्य लापता हो गए. बादल फटने की घटना में दो अन्य गांव सिरतौला और पत्थरकोट भी प्रभावित हुए हैं जहां पांच मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं.(twitter)
संक्रमित बढ़कर डेढ़ करोड़
दुनियाभर में कोरोना वायरस से हालात बेकाबू हो गए हैं. कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है वहीं मरने वालों का आंकड़ा भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. चीन के वुहान से निकला कोरोना अब तक दुनियाभर के 213 देशों को अपनी चपेट में ले चुकी है. वहीं दो इंटरनेशनल क्रूज शिप भी कोविड-19 का शिकार हुए हैं. दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर डेढ़ करोड़ के पार पहुंच गई है. वहीं भारत में ये आंकड़ा 12 लाख से थोड़ा सा ही कम रह गया है.
world corona graph : data worldometer, time, 10:40, 22.07.20
अमेरिका, ब्राजील और भारत दुनिया के ऐसे देश बन गए हैं जहां कोविड-19 संक्रमितों की संख्या दस लाख से ज्यादा है. दुनियाभर में अब तक एक करोड़ 50 लाख 91 हजार 880 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. जिनमें से 619,410 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं 91 लाख 10 हजार 208 लोग इलाज के बाद ठीक होकर अपने-अपने घर जा चुके हैं. हालांकि अभी भी दुनियाभर में 53 लाख 62 हजार 262 लोग कोरोना वायरस से पीड़ित हैं. पिछले चौबीस घंटों के दौरान दुनियाभर में दो लाख 46 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं और इस दौरान 6500 से ज्यादा लोगों की जान गई है.
graph :The six most corona infected countries(data worldometer, time, 10:40, 22.07.20)
कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका में संक्रमितों की संख्या चालीस लाख के पार पहुंच गई है. यहां अब तक 40 लाख 28 हजार 569 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. जिनमें से एक लाख 44 हजार 953 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं 18 लाख 86 हजार 583 लोग इलाज के बाद ठीक भी हुए हैं. यहां अभी भी 19 लाख 97 हजार 33 लोग कोरोना का दंश झेल रहे हैं. बीते चौबीस घंटों के दौरान अमेरिका में 67,140 नए मामले सामने आए हैं और 1,119 लोगों की जान गई है. अमेरिका के बाद ब्राजील में कोरोना संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक है. यहां अब तक 21 लाख 66 हजार 532 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं.
जिनमें से 81,597 लोगोंजिनमें से 81,597 लोगों की मौत हो चुकी है और 14 लाख 65 हजार 970 लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं. ब्राजील में अभी भी 6 लाख 18 हजार 965 लोग कोरोना का दंश झेल रहे हैं. बीते 24 घंटों के दौरान यहां 44,887 नए मामले सामने आए हैं और 1,346 लोगों की मौत हुई है. ब्राजील के बाद भारत में कोरोना ने सबसे ज्यादा तांडव मचाया है. भारत में अब तक 11 लाख 94 हजार 085 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. जिनमें से 28 हजार 770 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं 7 लाख 52 हजार 393 लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं.
भारत में एक्टिव मामलों की संख्या 4 लाख 12 हजार 922 है. बीते चौबीस घंटों में यहां 39,168 नए मामले सामने आए हैं और 671 लोगों की मौत हुई है. भारत के बाद रूस में कोरोना के सबसे अधिक मामले हैं. यहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7 लाख 83 हजार 328 हो गई है. इनमें से 12 हजार 580 लोगों की मौत हो चुकी हैं. वहीं 5 लाख 62 हजार 384 लोग इलाज के बाद ठीक भी हो चुके हैं. यहां अभी भी दो लाख 8 हजार 364 लोग कोरोना से पीड़ित बने हुए हैं. पिछले 24 घंटों के दौरान रूस में 5,842 नए मामले सामने आए हैं और 153 लोगों की मौत हुई है.
रूस के बाद दक्षिण अफ्रीका में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. यहां अब तक 381,798 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं जिनमें से 5,368 लोगों की जान जा चुकी है और 208,144 मरीज इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं. हालांकि दक्षिण अफ्रीका में अभी भी 168,286 लोग कोरोना से संक्रमण है. पिछले चौबीस घंटों के दौरान यहां 8,170 नए मामले सामने आए हैं और 195 लोगों की जान गई है.
सीरो सर्वे में दावा- दिल्ली में 47 लाख लोग कोरोना वायरस की चपेट में, लेकिन नहीं दिखे लक्षण
दक्षिण अफ्रीका के बाद पेरू (Peru) में कोरोना ने सबसे अधिक तांडव मचाया है. पेरू में अब तक 362,087 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इनमें से 13 हजार 579 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 248,746 लोग इलाज के बाद ठीक भी हुए हैं लेकिन अभी भी यहां 99,762 लोग कोरोना का दंश झेल रहे हैं. पिछले चौबीस घंटों के दौरान पेरू में 4,406 नए मामले सामने आए हैं और 195 लोगों की मौत हुई है.(एजेंसी )
-पुलकित भारद्वाज
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही जबरदस्त खींचतान के बीच पड़ोसी राज्य गुजरात से आई एक बड़ी ख़बर दब सी गई. वहां कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. पटेल ने बीते साल ही कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी. हार्दिक पटेल को मिली इस नई ज़िम्मेदारी को जानकार अलग-अलग नज़रिए से देख रहे हैं. विश्लेषकों का एक धड़ा कांग्रेस हाईकमान के इस फ़ैसले को गुजरात में पार्टी के कद्दावर नेता अहमद पटेल के कमज़ोर होने से जोड़कर देख रहा है. ऐसा मानने वालों का तर्क है कि हार्दिक पटेल को आगे कर कांग्रेस आलाकमान ने यह इशारा दिया है कि आने वाले दिनों में संगठन की बागडौर वरिष्ठ नेताओं के बजाय युवाओं के हाथ में जाने वाली है.
लेकिन गुजरात की राजनीति पर नज़र रखने वाले कुछ अन्य जानकार इस मसले पर बिल्कुल विपरीत राय रखते हैं. उनके मुताबिक हार्दिक पटेल की शक्ल में अहमद पटेल ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी के ख़िलाफ़ एक बड़ा दांव खेला है. दरअसल अन्य राज्यों की तरह गुजरात में भी कांग्रेस कई गुटों में बंटी हुई है. इनमें से सबसे प्रमुख गुट अहमद पटेल और भरत सिंह सोलंकी के माने जाते हैं. सोलंकी गुजरात कांग्रेस के शायद इकलौते नेता हैं जो अहमद पटेल की आंखों में आंखें डालने की कुव्वत रखते हैं. प्रदेश कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इस वजह से गुजरात में पटेल समर्थक कांग्रेसी नेता भरत सिंह सोलंकी को कमज़ोर करने की कोई कसर नहीं छोड़ते.
अहमदाबाद स्थित गुजरात कांग्रेस कमेटी के कार्यालय यानी राजीव गांधी भवन में दबी आवाज़ में यह चर्चा भी सुनी जा सकती है कि बीते आम चुनाव में भरत सिंह सोलंकी की हार के पीछे भी यही वजह सबसे बड़ी रही थी. कहा तो यह तक जा रहा है कि यदि कांग्रेस हाईकमान चाहता तो हाल ही में गुजरात राज्यसभा चुनाव से पहले पार्टी से बाग़ी हुए आठ विधायकों में से कुछ को जाने से रोक सकता था. इससे सोंलकी की दावेदारी इस चुनाव में अपेक्षाकृत मजबूत हो सकती थी. लेकिन उसने ऐसा करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. नतीजतन सोंलकी को चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा. यहां हाईकमान से कुछ नेताओं का इशारा अहमद पटेल की तरफ़ ही है.
अब सवाल है कि हार्दिक पटेल के आगे बढ़ने से भरत सिंह सोलंकी पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? इसका जवाब भरत सिंह सोलंकी के पिता और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी के राजनीतिक इतिहास से जुड़ता है. माधव सिंह सोलंकी 1980 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे और तभी से उन्होंने सूबे में बेहद प्रभावशाली पाटीदार समुदाय को दरकिनार करना शुरु कर दिया था. 1981 में माधव सिंह सोलंकी ने बक्शी आयोग की सिफारिश पर 86 जातियों को ओबीसी में शामिल करने का फैसला करते हुए ‘खाम’ (केएचएएम) सिद्धांत दिया. इसमें ‘के’ का मतलब क्षत्रियों से था, ‘एच’ का हरिजनों से, ‘ए’ यानी आदिवासी और ‘एम’ मुसलमान. पाटीदारों को इससे बाहर रखा गया. इसके बाद जो कसर बची थी वह सोलंकी ने अपने मंत्रिमंडल में किसी पटेल नेता को शामिल न करके पूरी कर दी थी.
इसके बाद अपने दूसरे कार्यकाल (1985-90) में माधव सिंह सोलंकी ने सार्वजनिक मंचों से पाटीदारों के खिलाफ ऐसी कई बातें कहीं जिन्होंने इस समुदाय में भयंकर आक्रोश भर दिया. इसके बाद नाराज पटेल राज्यव्यापी आंदोलन पर उतर आए जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए. कई लोगों का कहना है कि आरक्षण के विरोध में शुरू हुए इस आंदोलन को बाद में कुछ फिरकापरस्त लोगों ने पहले पाटीदार-ओबीसी और बाद में हिंदू-मुसलमान दंगों की शक्ल दे दी. माना जाता है कि पाटीदारों की नाराज़गी के चलते ही कांग्रेस 1990 के बाद से अब तक गुजरात में सत्ता की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाई हैं. और शायद यही कारण था कि 2017 के विधानसभा चुनावों में सोलंकी हाईकमान के इशारे पर चुनावी दंगल में नहीं उतरे थे. तब आरक्षण आंदोलन और हार्दिक पटेल की वजह से पाटीदारों का झुकाव वर्षों बाद कांग्रेस की तरफ़ देखा गया था. लिहाजा माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल को तवज्जो देकर कांग्रेस ने पटेलों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी में सोलंकी परिवार का प्रभाव अब घटने लगा है.
गुजरात की राजनीति पर नज़र रखने वालों के मुताबिक हार्दिक पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने से कांग्रेस को हाल-फिलहाल दो फ़ायदे होते नज़र आ रहे हैं. इनमें से एक तो यही है कि पार्टी से बहुत ज़्यादा ख़ुश न रहने वाले पाटीदारों और खास तौर पर इस समुदाय के युवाओं का नजरिया पार्टी के प्रति थोड़ा और नरम होगा. और दूसरा यह कि बीते साल लोकसभा चुनावों के बाद से राजनीतिक चर्चाओं से तक़रीबन ग़ायब हो चुकी या फ़िर नकारात्मक कारणों के चलते ख़बरों में रहने वाली गुजरात कांग्रेस इस बहाने थोड़ी बहुत सुर्ख़ियां बटोर पाने में सफल हुई है. जानकारों के मुताबिक इससे प्रदेश संगठन के कार्यकर्ताओं पर एक सकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि ये जानकार हार्दिक पटेल के जुड़ने से कांग्रेस को होने वाले अंतिम और निश्चित लाभों के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं कह पाते हैं.
इसके कई कारण हैं. गुजरात कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ सूत्र इस बार में कहते हैं कि ‘ये एक मिथ है कि हार्दिक पटेल के पास कोई बड़ी संख्या में पाटीदारों का समर्थन बचा है. इसे इससे समझा जा सकता है कि जिस हार्दिक के इशारे पर कुछ साल पहले तक गुजरात रुक जाया करता था, उसने 2018 में जब पाटीदार आरक्षण और किसानों की कर्ज़माफ़ी को लेकर आमरण अनशन किया तो कुछ बड़े नेताओं और मीडिया को छोड़कर वहां प्रतिदिन कुछ सौ लोगों की भी भीड़ नहीं जुट पाती थी. ऐसा लगता था कि किसी को इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता था कि इस अनशन से उसकी जान भी जा सकती है. हारकर हार्दिक को 18 दिन बाद अपना अनशन वापिस लेना पड़ा था. तब ये बड़ा सवाल उठा था कि क्या पाटीदारों ने हार्दिक के नाम पर घरों से निकलना छोड़ दिया है?’
ग़ौरतलब है कि बीते कुछ समय से हार्दिक भी अपनी छवि को पाटीदार नेता के बजाय ऐसे युवा नेता के तौर पर स्थापित करने में जुटे हैं जो किसी समुदाय को आरक्षण दिलवाने के बजाय रोजगार, कृषि और अन्य सामाजिक मुद्दों को तवज्जो देता हो.
कांग्रेस से जुड़े ये सूत्र आगे जोड़ते हैं, ‘यह ठीक है हार्दिक को साथ लेने से पाटीदारों के एक वर्ग का झुकाव कांग्रेस की तरफ़ बढ़ेगा. लेकिन यदि जातिगत समीकरण के लिहाज से देखें तो इस निर्णय से घाटा ही नज़र आता है.’ दरअसल गुजरात में पटेलों की अनुमानित आबादी कुल जनसंख्या की करीब 14 फीसदी है. वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मामले में यह आंकड़ा 60 प्रतिशत से ज़्यादा है. माना जाता है कि प्रदेश कांग्रेस में भरतसिंह सोलंकी इसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. वहीं, पाटीदार समुदाय भारतीय जनता पार्टी का परंपरागत वोटर रहा है. यह सही है कि 2017 के गुजरात विधानसभा में पटेल मतदाताओं वजह से भाजपा के कब्जे वाली कई विधानसभा सीटें कांग्रेस की झोली में आ गिरी थीं. लेकिन यह बात भी सही है कि उस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से तमाम नाराज़गियों के बावजूद भी पटेल समुदाय के बड़े हिस्से ने उससे मुंह नहीं मोड़ा था.
इसके सटीक उदाहरण के तौर पर गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की मेहसाणा सीट को लिया जा सकता है. मेहसाणा पाटीदार बहुल इलाका है और हार्दिक पटेल के आंदोलन का केंद्र रहा है. नितिन पटेल को हराना हार्दिक ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था लेकिन वे अपनी इस कवायद में नाकाम रहे.
फ़िर 2019 का लोकसभा चुनाव आते-आते बहुत हद तक पाटीदार भाजपा की ही तरफ़ झुकते चले गए थे. इसमें पटेलों के हक़ में भाजपा द्वारा शुरु की गई योजनाओं ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी. हमारे सूत्र के शब्दों में, ‘पाटीदार समुदाय हमेशा से सत्ता का भागीदार रहा है. इस बात की गवाह पाटीदार राजनीति के प्रमुख स्तंभ रहे केशुभाई पटेल की गुजरात परिवर्तन पार्टी (जीपीपी) है. 2002 के विधानसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी की वजह से भाजपा से अलग हुए केशुभाई की यह पार्टी गुजरात में सिर्फ़ दो सीटें जीत पाने में सफल रही थी. ऐसे में पटेलों के एक हिस्से को साथ लेने के लिए ओबीसी के मतदाताओं के समर्थन को दांव पर लगाना कितना ठीक है, ये वक़्त बताएगा!’ यहां इस बात पर भी ग़ौर करना ज़रूरी है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से जुड़ने वाले अल्पेश ठाकोर, जो राज्य में पिछड़ा वर्ग के एक और प्रमुख युवा प्रतिनिधि माने जाते हैं, पहले ही पार्टी से छिटक चुके हैं.
जैसा कि हमने रिपोर्ट में ऊपर ज़िक्र किया कि हार्दिक पटेल की नियुक्ति के तार गुजरात कांग्रेस की आपसी फूट से भी जुड़ते हैं. जानकार आशंका जताते हैं कि उनकी मौज़ूदगी प्रदेश संगठन में खेमेबंदी को और बढ़ावा देने वाली साबित हो सकती है. कांग्रेस के एक मौजूदा विधायक इस बारे में कहते हैं कि पटेल की नियुक्ति से संगठन के उन नेताओं में भी अंदरखाने रोष महसूस किया जा सकता है जो किसी भी बड़े धड़े में नहीं बंटे हैं. नाम न छापने के आग्रह के साथ वे विधायक कहते हैं, ‘पार्टी में ऐसे कई लोग हैं जो कई सालों से ज़मीन पर सिर्फ़ संगठन के हितों के लिए काम कर रहे हैं. लेकिन उनको दरकिनार करते हुए जिस तरह साल भर पहले पार्टी में शामिल हुए हार्दिक पटेल को बड़ी जिम्मेदारी मिली है, इसने हमारे कई कार्यकर्ताओं और नेताओं को हताश और नाराज़ किया है.’ हालांकि ये विधायक आगे जोड़ते हैं कि ‘कार्यकर्ताओं की शिकायत को हाईकमान तक पहुंचा दिया गया है. जल्द ही कुछ और कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की उम्मीद है जो अलग-अलग समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले होंगे.’
विश्लेषक इस बारे में यह भी कहते हैं कि किसी युवा नेता को आगे बढ़ाने से किसी भी संगठन को एक बड़ा फायदा यह भी होता है कि कोई खास राजनीतिक इतिहास न होने की वजह से विरोधियों की पकड़ में उनकी पुरानी ग़लतियां या कमजोरियां नहीं आ पाती हैं. लिहाजा आम तौर पर नए नेताओं को घेर पाना विरोधियों के लिए टेड़ी खीर साबित होता है. लेकिन हार्दिक पटेल के मामले में ऐसा नहीं है. वे युवा तो हैं. लेकिन ऐसे जो कई मामलों को लेकर पहले ही आलोचनाओं का सामना करते रहे हैं. उनके करीबी उन पर पाटीदार अनामत आंदोलन की आड़ में बड़ी मात्रा में धनराशि बटोरने का आरोप लगाते आए हैं.
पटेल पर यह इल्ज़ाम लग चुका है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पाटीदार आंदोलन से जुड़े काबिल नेताओं के बजाय गलत लोगों को कांग्रेस की टिकट दिलवाने में मदद की थी. फ़िर इन चुनावों से ठीक पहले उनका एक कथित सेक्स वीडियो भी सामने आया था जिससे पाटीदार आंदोलन से जुड़े कई लोगों को धक्का लगा था. इस सब के अलावा उनके ख़िलाफ़ हार्दिक पटेल पर राजद्रोह और दंगा भड़काने जैसे मामलों में क़़रीब सत्रह मुकदमे दर्ज़ हैं जिनमें से कुछ में वे दोषी भी साबित हो चुके हैं.
गुजरात के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा बहुत आम है कि लगातार डेढ़ दशक से राज्य की सत्ता में रहने के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के कच्चे-चिठ्ठे इकठ्ठे कर लिए हैं और इनका इस्तेमाल वह चुनावों से पहले करती है. ऐसे में कांग्रेस के कई नेता अलग-अलग तरह से चुनाव के दौरान भाजपा के लिए फ़ायदेमंद ही साबित होते हैं. आरक्षण आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल के बेहद करीबी सहयोगी रहे एक अन्य युवा पाटीदार नेता इस बारे में घुमाकर कहते हैं कि ‘बहुत कम समय में ही हार्दिक इतनी ग़लतियां कर चुका है जो उसे जिंदगी भर राजनैतिक दलों की कठपुतलियां बनाकर रखने के लिए काफ़ी हैं. विधानसभा चुनाव से पहले जो देखने को मिला वह तो ये मान लो कि कुछ भी नहीं था.’
हार्दिक पटेल की राजनीति पर शुरुआत से नज़र रख रहे गुजरात के एक वरिष्ठ पत्रकार हमें बताते हैं कि ‘वो समय दूसरा था जब हार्दिक के पास खोने के लिए कुछ नहीं था. तब मध्यमवर्ग से ताल्लुक रखने वाला ये लड़का किसी सरकार से नहीं डरता था. लेकिन आज उसके पास खोने के लिए बहुत कुछ है. सार्वजनिक मंच से वो चाहे जो कहे, लेकिन अब उसमें वो धार नहीं रही है.’ फ़िर हार्दिक पटेल को करीब से जानने वाले उन्हें जबरदस्त महत्वाकांक्षी भी बताते हैं. आरक्षण आंदोलन में उनके सहयोगी रहे अधिकतर लोगों की शिकायत है कि ये हार्दिक की महत्वाकांक्षाएं ही थीं जिन्होंने पाटीदार आंदोलन को कुंद कर दिया. यदि इन लोगों के आरोपों को सही मानें तो देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस की उम्मीदों पर हार्दिक पटेल कितना खरा उतरते हैं और हार्दिक की महत्वाकांक्षाओं को कांग्रेस कितना पूरा कर पाती है.(satyagrah)
बीजिंग, 22 जुलाई (आईएएनएस)| एक ओर दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप जारी है। वहीं चीन में इस पर लगभग पूरी तरह नियंत्रण पा लिया गया है। हालांकि वायरस की दूसरी लहर आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
हाल के दिनों में पेइचिंग में कुछ मामले जरूर सामने आए। लेकिन चीन सरकार व संबंधित एजेंसियों की तत्परता से वायरस का प्रसार नहीं हो सका। यही वजह है कि अब फिर से स्थिति सामान्य होती दिख रही है।
इसके चलते पूरे चीन में कम खतरे वाले क्षेत्रों में सिनेमा हॉल खोलने की अनुमति दे दी गयी है। इसके साथ ही पार्क, म्यूजि़यम आदि भी आम लोगों के लिए खुलने वाले हैं। इसके साथ ही बाजारों में जाने की मनाही भी नहीं है।
गौरतलब है कि चीन में इस तरह के सेंटर कई महीनों से बंद पड़े थे, क्योंकि इन जगहों पर लोगों का जमावड़ा होने से वायरस फैलने का खतरा बना रहता है। भले ही पार्क लोगों के लिए खोल दिए गए हैं, पर अब भी नागरिकों के शरीर का तापमान लिया जा रहा है और मोबाइल के जरिए हेल्थ रिपोर्ट भी दिखानी होती है। इसके साथ ही लोग घरों से बाहर जाने पर मॉस्क पहन रहे हैं। ताकि वायरस फिर से पैर न पसार सके। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि चीन द्वारा बरती जा रही सतर्कता ने लोगों को संक्रमित होने से बचाया है।
हाल में चीन की जीडीपी के आंकड़े भी जारी किए गए हैं, जिसमें अर्थव्यवस्था ने सकारात्मक संकेत दिखाया है। क्योंकि चीन ने पिछले कुछ समय में इकॉनमी को पटरी पर लाने के लिए तमाम उपाय किए। इसके चलते अब जीडीपी की वृद्धि दर 3 फीसदी से ऊपर जा चुकी है।
ये सब बातें यह बताने के लिए काफी हैं कि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में चीन ने कितनी सफलता पायी है। यहां बता दें कि शुरूआत में जब चीन में वायरस फैलने लगा तो विश्व के कई देशों ने चीन पर कटाक्ष किया। खास तौर पर सख्त लॉकडाउन आदि को लेकर सवाल उठाए गए।
दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका में वायरस के लाखों मामले सामने आ चुके हैं, जबकि मरने वालों की तादाद एक लाख 43 हजार से अधिक पहुंच गयी है। इस बीच चीन में सामान्य होती स्थिति के लिए विभिन्न देश की जिम्मेदार एजेंसियों और आम लोगों की जागरूकता को श्रेय देना होगा। ऐसे में कहा जा सकता है कि विश्व को वायरस पर काबू करने का मंत्र चीन से सीखने की जरूरत है।
(लेखक :अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप। चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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मुंबई, 22 जुलाई (आईएएनएस)| दिग्गज अभिनेत्री जरीना वहाब एक लघु फिल्म से वापसी करने जा रही हैं। जरीना आगामी लघु फिल्म 'कश्मीरियत' से पर्दे पर लौट रही हैं। उन्होंने फिल्म की स्टोरीलाइन को लेकर बात की।
उन्होंने कहा, "कई भूमिकाओं को निभाने के बावजूद, यह निश्चित रूप से बहुत गहराई वाली कहानी है। इसे इतने अच्छे तरीके से बताया गया कि मैं इसे शूटिंग के पहले ही अपने दिमाग में देख पाई। खास कर क्लाइमेक्स वाला हिस्सा जबरदस्त है। ईमानदारी से कहूं तो यह अभी भी मेरे जेहन में बनी हुई है।"
इस फिल्म की कहानी एक मां-बेटे के रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है।
फिल्म के निर्देशक दिव्यांशु पंडित ने एक कश्मीरी होने के नाते कहानी के प्रति अपना भावनात्मक लगाव व्यक्त किया।
दिव्यांशु ने कहा, "एक कश्मीरी होने के नाते मैं हमेशा से इसकी कहानी बताना चाहता था और आखिरकार मैं इसे अपने माध्यम से बता रहा हूं। एक खास एजेंडे और मीडिया के एक प्रमुख वर्ग के जरिए संचालित होने वाली आवाजों ने हमेशा कश्मीर, उसके लोगों और भारतीय सेना की एक छवि बनाई है, जो कि पूरी तरह से बकवास है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमारी लघु फिल्म में हमने दिखाया है कि घाटी में जो दुष्चक्र है वह वास्तव में योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया है। कश्मीर एक अत्यंत जटिल विषय है। चूंकि दुनिया को इसका केवल एक पक्ष दिखाया गया है, लिहाजा मैंने अपनी फिल्म के जरिए इस जटिलता के पीछे का दूसरा पक्ष भी दिखाने का प्रयास किया है, जिसे मुख्यधारा में कभी चित्रित नहीं किया गया है।"
दिव्यांश ने कहा, "इस मां और बेटे की कहानी के जरिए दर्शक घाटी की अधिकांश परतें देखेंगे।"
इस फिल्म में जरीना के साथ नवीन पंडित, अंशुल त्रिवेदी, अभय भार्गव और रोहित सागर गिरधर भी हैं।
आशुतोष पंडित द्वारा निर्मित यह फिल्म 12 अगस्त को यूट्यूब पर रिलीज होगी।
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मुंबई, 22 जुलाई (आईएएनएस)| डिटेक्टिव बूमराह के प्रशंसकों की इंतजार की घड़ियां खत्म हो चुकी हैं और पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से भारतीय दर्शकों के पसंदीदा रहे इस किरदार का पहला लुक अब सामने आ चुका है। कहानीकार सुधांशु राय अपने इस किरदार को अब बड़े परदे के साथ-साथ कुछ प्रमुख ओटीटी प्लेटफार्मो पर उतारने की भी तैयारी कर रहे हैं।
डिटेक्टिव बूमराह के किरदार को जन्म देने वाले कहानीकार सुधांशु राय ने अब इस जासूस के पहले लुक पर से पर्दा उठा दिया है। इस जाने-माने कहानीकार ने अपने यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर यह राज खोला जिसके बाद डिटेक्टिव बूमराह के प्रशंसकों से जबर्दस्त उत्साही प्रतिक्रियाएं मिलनी शुरू हो गईं।
लंबे लहरदार बालों वाले डिटेक्टिव बूमराह इस अवतार में शर्ट के ऊपर एक ओवरकोट पहने हुए दिखायी दे रहे हैं। इस पोस्टर में जो माहौल दिखायी दे रहा है वह मिस्ट्री और हॉरर वाले उसी वातावरण से मिलता-जुलता है जिसमें डिटेक्टिव बूमराह अक्सर सक्रिय रहते हैं।
अपने पूर्ववर्ती जासूसी किरदारों से एकदम जुदा हैं डिटेक्टिव बूमराह, जो न हैट पहनते हैं, न सिगार के धुएं उड़ाते दिखते हैं। इस पोस्टर को भारत में ग्राफिक उपन्यासों के दिग्गज प्रकाशक कैंपफायर ने डिजाइन किया है जो कि अनेक कॉमिकॉन इंडिया पुरस्कार जीत चुके हैं।
डिटेक्टिव बूमराह का सिद्धांत है 'कुछ भी नामुमकिन नहीं होता'। पहले देखे गए जासूसी किरदारों से इतर, डिटेक्टिव बूमराह पैरानॉर्मल और यहां तक कि एलियंस से जुड़े मामलों की छानबीन की चुनौती को हाथों-हाथ लेने से नहीं घबराते।
कहानीकार सुधांशु राय की हॉरर स्टोरी भानगढ़ में डिटेक्टिव बूमराह ने खुद को इस किले के रहस्यों के बीच पाया। इसके पूर्व, बूमराह ने एक कैसिनो में आने वाले लोगों के साथ मौत और रहस्य का खेल खेलने वाले एक शैतान का पदार्फाश किया और कभी एक सीरियल किलर को धर दबोचा। डिटेक्टिव बूमराह की कुछ बेहद लोकप्रिय कहानियों में शामिल हैं द किलर, हॉरर ऑफ नुआंबी विलेज, द मिस्टिरियस मिसेज मैकबेथी और द डार्क हाउस आदि।
अपने इस प्रसिद्ध किरदार के पहले लुक का अनावरण करते हुए कहानीकार सुधांशु राय ने कहा, "डिटेक्टिव बूमराह उन सभी जासूस किरदारों से काफी अलग है जिनके बारे में आपने अभी तक जाना या सुना होगा। उनका लुक आधुनिक सिनेमा के दर्शकों की पसंद और रुचि के मुताबिक है। बूमराह के प्रशंसक काफी समय से उन्हें देखने की मांग कर रहे थे। यह मेरा बूमराह के प्रशंसकों के लिए उपहार है।"
कहानीकार सुधांशु राय अपने इस किरदार को अब बड़े परदे के साथ-साथ कुछ प्रमुख ओटीटी प्लेटफार्मों पर उतारने की भी तैयारी कर रहे हैं और बहुत मुमकिन है कि डिटेक्टिव बूमराह जल्द ही किसी दिलचस्प वेब सीरीज में दर्शकों के सामने आएं। इस संदर्भ में सुधांशु जल्द ही कुछ प्रमुख ओटीटी प्लैटफार्म जैसे नेट़िफ्लक्स, अमेजन प्राइम, डिज्नी हॉटस्टार आदि से बातचीत शुरू करेंगे डिटेक्टिव बूमराह के रूप-रंग और अंदाज को पेश करने वाला पहला वीडियो भी जल्द दर्शकों के सामने आने जा रहा है।
--आईएएनएस
मुंबई, 22 जुलाई (आईएएनएस) अभिनेत्री और पूर्व ब्यूटी क्वीन उर्वशी रौतेला ने खुलासा किया कि उन्होंने अपनी नई फिल्म 'वर्जिन भानुप्रिया' में प्रमुख भूमिका के लिए सात किलो वजन बढ़ाए थे। उनका कहना है कि एक अभिनेत्री के रूप में यह चुनौती उनके लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक थी।
उर्वशी ने कहा, "भानुप्रिया के किरदार के लिए मैंने सात किलो वजन बढ़ाया, जो कि 15.432 पाउंड है और मैं कहना चाहूंगी कि किरदार की तैयारी एक अभिनेत्री के रूप में उतनी ही की है जितनी एक प्रदर्शन के रूप में, क्योंकि भानुप्रिया की शारीरिक चाल-चलन, बोलचाल का तरीका या व्यक्तित्व मेरे अपने व्यक्तित्व से बहुत अलग हैं। एक अभिनेत्री के रूप में मेरे लिए यह चुनौती शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक थी।"
उर्वशी ने कहा कि वह सच में अपने स्क्रीन अवतार, भानुप्रिया के गुणों को आत्मसात करना चाहती थी।
उन्होंने कहा, "मैं सबसे यादगार और सराहनीय प्रदर्शन पेश करना चाहती थी और पूरी तरह से भानुप्रिया बनना चाहती थी, जिसके लिए समर्पण की आवश्यकता थी। इसलिए मैंने एक अलग नजरिए से भानुप्रिया को चित्रित किया। भानुप्रिया की आंतरिक समस्या पर ध्यान केंद्रित करना और फिर इस मुद्दे को व्यक्त करना बहुत महत्वपूर्ण था।"
'वर्जिन भानुप्रिया' में गौतम गुलाटी, अर्चना पूरन सिंह, डलनाज ईरानी, राजीव गुप्ता और बृजेन्द्र काला, निकी अनेजा वालिया और रूमाना मोला भी हैं।
--आईएएनएस
भारी बारिश से फ़िलहाल राहत नहीं
बीते कुछ दिनों से बिहार, असम और पश्चिम बंगाल में तेज़ बारिश हो रही है. इससे बिहार और असम, दोनों राज्यों में बाढ़ की स्थिति पहले से भयावह हो गई है. नदियाँ उफान पर हैं.
कई नदियों में जलस्तर ख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है. मुज़फ़्फ़रपुर और मधुबनी जैसे ज़िलों के मुख्यमार्ग और गलियों तक में पानी घुस आया है. इसके अलावा भी तमाम शहर पानी में डूबे हैं.
मौसम विभाग ने दरभंगा, सीतामढ़ी, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण समेत वैशाली और गोपालगंज के लिए अलर्ट जारी किया है.
उधर असम में भी स्थिति इतनी भयावह है कि वहाँ 70 लाख से अधिक लोग इससे बुरी तरह प्रभावित हैं. अलर्ट है कि वहाँ अभी और तेज़ बारिश होगी.
बिहार और असम के साथ ही पश्चिम बंगाल को भी तेज़ बारिश का नुक़सान झेलना पड़ रहा है. मालदा, जलपाईगुड़ी समेत कई ज़िलों में तेज़ बारिश ने बाढ़ की
कोरोना के साथ-साथ भारी बारिश से उपजे बाढ़ के इस विकराल रूप पर बिहार, असम और पश्चिम बंगाल से एक रिपोर्ट.
बिहार से बीबीसी के सहयोगी पत्रकार नीरज प्रियदर्शी ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण के रोज़ाना रिकॉर्ड बढ़ते मामलों के बीच बिहार में बाढ़ ने भी तबाही मचानी शुरू कर दी है.
उत्तर बिहार के कई ज़िलों में भारी बारिश के कारण नदियाँ ख़तरे के निशान को पार कर गई हैं.
आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक़, आठ ज़िलों के 150 से अधिक ग्राम पंचायत क्षेत्रों में रहने वाले तीन लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. 12 हज़ार से अधिक की आबादी अपने घरों से बाहर है. पाँच राहत शिविर चलाये जा रहे हैं.
चिंता इस बात की है कि बाढ़ प्रभावित यह जनसंख्या कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में 'स्टे होम, स्टे सेफ़' का पालन कैसे करेगी?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को निर्देश जारी किया कि प्रभावितों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए जागरूकता फ़ैलाई जाये. लेकिन राहत शिविरों में और ऊंचे स्थानों पर रह रहे प्रभावित लोगों के समूह में यह संभव नहीं दिखता जहाँ लोग अपना घर-बार छोड़ कर और जान बचाकर पहुँचे हैं.
जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस ने बताया है कि "मौसम विभाग ने बिहार में भारी वर्षा की संभावना व्यक्त की थी. बागमती और गंडक के कैचमेंट में काफ़ी ज़्यादा बरसात हुई है. हम लोग पिछले कई दिनों से नेपाल के 22 स्टेशनों का विश्लेषण कर रहे हैं जिसमें से 6 स्टेशनों में 100 एमएम से ज़्यादा बारिश हुई है."
उन्होंने बताया, "गंडक के कैचमेंट में पिछले 12 घंटे में अधिक बारिश हुई है जिसके कारण जलस्तर बढ़ गया है. गंडक का जलस्तर अभी और बढ़ने की आशंका है. इसको लेकर बेतिया, छपरा और वैशाली के डीएम को अलर्ट कर दिया गया है. बगहा टाउन में आबादी को हटाने का काम शुरू किया गया है."
हंस ने बताया कि 'गोपालगंज में भी लोगों को ऊंचे क्षेत्रों में जाने को कहा गया है. पिछले 24 घंटे में बागमती के जलस्तर में भी वृद्धि हुई है जिससे लगभग 76 सेंटीमीटर जलस्तर बढ़ा है. ये खतरे के निशान से 83 सेंटीमीटर ऊपर है.'
जल संसाधन विभाग के अनुसार, अगले 24 घंटे में ढेंग में बागमती नदी के जलस्तर में क़रीब 80 सेंटीमीटर और वृद्धि होने की आशंका है. रुन्नीसैदपुर में इसका अधिक प्रभाव होगा, वहाँ भी जलस्तर में वृद्धि होने की संभावना है.
बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर भी बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है जिससे मुज़फ़्फ़रपुर शहर पर भी बाढ़ का ख़तरा मंडराने लगा है.
कमला बलान नदी के क्षेत्र में भी पिछले 24 घंटे में बारिश हुई है जिसके कारण मधुबनी के जयनगर में लगभग 50 सेंटीमीटर और झंझारपुर रेल पुल के पास 85 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है. राज्य में 20 से 22 जुलाई तक भारी बारिश होने की आशंका है.
गुवाहाटी से बीबीसी के सहयोगी पत्रकार दिलीप कुमार शर्मा ने जानकारी दी है कि असम में आई भीषण बाढ़ के कारण अब तक आधिकारिक रूप से 85 लोगों की मौत हुई है. राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनावाल ने मीडिया से कहा है कि 'असम में आई बाढ़ से अब तक 70 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं.'
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, असम के कुल 33 में से 24 ज़िले अब भी बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं.
आपदा विभाग की रिपोर्ट में बताया गया है कि '2,254 गाँव पूरी तरह बाढ़ की चपेट में हैं और सोमवार रात तक 24 लाख 30 हज़ार 502 लोग प्रभावित हुए हैं. बाढ़ के कारण सबसे ज़्यादा नुक़सान धुबड़ी, ग्वालपाड़ा, बरपेटा, मोरीगांव और धेमाजी ज़िले में हुआ है.'
प्राधिकरण के स्टेट प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर पकंज चक्रवर्ती ने बताया कि "बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में एनडीआरएफ़, एसडीआरएफ़ तथा स्थानीय प्रशासन के अधिकारी बचाव और राहत के कार्य में लगे हुए हैं. इसके अलावा जिन लोगों के घर पूरी तरह बाढ़ के पानी में हैं उनके लिए अलग-अलग ज़िलों में 468 राहत शिविर खोले गए हैं जिनमें फ़िलहाल 48,107 लोग ठहरे हुए हैं."
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार इस समय ब्रह्मपुत्र का पानी डिब्रूगढ़, जोरहाट, तेजपुर, ग्वालपाड़ा और धुबड़ी में अपने ख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है. जबकि ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियाँ धनश्री, जिया भराली, कोपीली, बेकी और कुशियारा पूरे उफान पर हैं.
डिब्रूगढ़ ज़िले के रोंगमोला गाँव में रहने वाले 39 साल के श्यामल दास का घर बाढ़ के पानी में डूब जाने से वे कई दिनों तक अपने दो बच्चों और पत्नी के साथ राहत शिविर थे. इस तबाही के लिए दास अपनी किस्मत को कोसते हुए कहते हैं, "कोरोना वायरस के कारण रोज़गार के रास्ते पहले ही पूरी तरह बंद हो गए थे और अब बाढ़ ने घर-खेत तबाह कर दिये हैं. आगे क्या करेंगे, कुछ सोच ही नहीं पा रहें हैं."
दरअसल श्यामल दास का गाँव इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि यहाँ से महज दो किलोमीटर की दूरी पर राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का पैतृक गाँव है. मुख्यमंत्री के मुलुक गाँव में भी बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है.
बाढ़ से निपट रही राज्य सरकार जहाँ पीड़ितों तक राहत और बचाव कार्य पहुँचाने का दावा कर रही है, वहीं कामरूप ग्रामीण ज़िले के डेब्रीडूवा गाँव के अदालत ख़ान कहते हैं, "पिछले एक महीने से बच्चों के साथ राहत शिविर में हूँ लेकिन सरकारी राहत के नाम पर खाने-पीने के लिए कुछ नहीं मिला है. खेत और घर बाढ़ के पानी में डूबे हुए है और कोविड-19 के कारण कहीं मज़दूरी करने जा नहीं सकते. अगर ऐसे संकट के दौरान सरकार भी मदद नहीं करेगी तो हम भूखे मर जाएंगे."
वन विभाग के अनुसार, बाढ़ के कारण काजीरंगा नेशनल पार्क में अब तक 113 जानवरों की मौत हुई है. जबकि 140 अन्य जानवरों को राष्ट्रीय उद्यान में बचाया गया है. इस दौरान बाढ़ के कारण 9 गैंडों के मरने की बात भी कही जा रही है.
पश्चिम बंगाल में भी भारी बारिश के कारण हालत गंभीर
कोलकाता से बीबीसी के सहयोगी पत्रकार प्रभाकर मणि तिवारी ने बताया कि पड़ोसी भूटान में बीते कई दिनों से लगातार होने वाली भारी बारिश ने उत्तरी बंगाल के कई ज़िलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर कर दी है.
भूटान के अलावा इस इलाक़े में भी बीते चार-पाँच दिनों से भारी बारिश हो रही है. इलाक़े की तमाम नदियाँ भूटान की पहाड़ियों से ही निकलती हैं. ऐसे में उद्गम स्थल पर बारिश से हर साल कूचबिहार, अलीपुरदुआर और जलपाईगुड़ी इलाके बाढ़ के पानी में डूब जाते हैं.
इस बाढ़ ने जहाँ इलाक़े के कम से कम आधा दर्जन चाय बागानों को जलमग्न कर दिया है, वहीं इससे भूमिकटाव की समस्या भी गंभीर हो गई है.
मालदा ज़िले में महानंदा नदी के तटबंध में दरार के बाद कई तटवर्ती इलाकों में पानी भर गया है. वहाँ से तीन सौ परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. फिलहाल तटबंध की मरम्मत का काम चल रहा है. ज़िले के दूसरे इलाके में भी सात सौ परिवारों को राहत शिविरों में रखा गया है. जलपाईगुड़ी और अलीपुरदुआर ज़िलों में भी एक हज़ार से ज़्यादा परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है.
उत्तर बंगाल के विकास मंत्री रबींद्रनाथ घोष ने कूचबिहार में एक उच्च-स्तरीय बैठक में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की है.
वे बताते हैं, "भूटान और इस इलाके में भारी बारिश की वजह से तमाम नदियों का जलस्तर ख़तरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. इससे अलीपुरदुआर औऱ जलपाईगुड़ी ज़िले के कई इलाके पानी में डूब गए हैं."
मंत्री ने बताया कि भूटान में दो दिनों के दौरान लगभग दस इंच बारिश होने की वजह से इलाके की नदियां अचानक उफनने लगी हैं. हाथीनाला नदी में पानी बढ़ जाने की वजह से बिन्नागुड़ी, बानरहाट और इलाके के चायबागानों के अलावा जलदापाड़ा नेशनल पार्क के कई हिस्सों में भी पानी भर गया है.
सिंचाई विभाग ने जलपाईगुड़ी ज़िले के दोमोहनी से लेकर मेखलीगंज तक तमाम तटवर्ती इलाकों में रेड अलर्ट जारी कर दिया है.
बानरहाट के एक चाय बागान में काम करने वाले जनक मुंडा बताते हैं, "सोमवार सुह अचानक पानी हमारे घरों में घुस गया. हमने अपने परिवार के साथ ऊंची जगह पर शरण ली है. निचले इलाके डूब जाने की वजह से कई परिवार नेशनल हाइवे के किनारे रह रहे हैं. इलाके में तीस्ता नदी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है और यह नेशल हाइवे 10 के समानांतर बह रही है."
इंडियान टी एसोसिएशन (आईटीए) की डुआर्स शाखा के सचिव संजय बागची ने बताया, "लॉकडाउन की वजह से चाय बागानों में उत्पादन पहले ही घट कर 40 फ़ीसदी रह गया था. अब बाढ़ की मार से इसमें और गिरावट का अंदेशा है."
इस बीच, कोलकाता स्थित मौसम विभाग ने अगले कुछ तीन-चार दिनों तक हिमालय की तराई वाले इलाकों में बारी बारिश की चेतावनी दी है. इससे बाढ़ की स्थिति गंभीर होने का अंदेशा है.(bbc)
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 21 जुलाई। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में कोरोना लगातार पैर पसार रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही गौरेला थाना में तीन पुलिसकर्मी के कोरोना पॉजिटिव मिलने के कारण थाना को सील कर दिया गया था वहीं आज मरवाही थाने में भी तीन पुलिसकर्मियों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई। इसके पश्चात जिले के पुलिस अधीक्षक ने आदेश जारी कर आगामी आदेश तक मरवाही थाने को सील करा दिया है। मरवाही थाने के सभी कार्य अब चौकी कोटमीकला औऱ थाना पेंड्रा से होंगे। जिले में वर्तमान में तीन ही थाने हैं जिसमे दो सील हो चुके हैं। अब पूरे जिले में मात्र एक थाना पेंड्रा संचालित रहेगा।
श्रीनगर, 21 जुलाई (आईएएनएस)| अमरनाथ यात्रा 2020 को कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए रद्द कर दी गई है। राजभवन से मंगलवार को जारी बयान से यह जानकारी मिली। बयान में कहा गया कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड(एसएएसबी) ने काफी दुख के साथ यह निर्णय लिया है कि इस वर्ष अमरनाथ यात्रा आयोजित और संचालित कराना सही नहीं है।
बयान के अनुसार, "बोर्ड लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं का आदर करता है। धार्मिक भावनाओं को बनाए रखने के लिए, बोर्ड प्रात: और सायं आरती का सीधा प्रसारण करेगा। इसके अलावा पारंपरिक रीति रिवाज पहले की तरह किए जाएंगे। इसके अलावा छड़ी मुबारक की सुविधा भी सरकार द्वारा दी जाएगी।"
एसएएसबी के अध्यक्ष उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने मंगलवार को 39वीं बोर्ड मीटिंग की अध्यक्षता की, जिसमें यात्रा आयोजित करवाने के बारे में सदस्यों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की।
बोर्ड ने 13 जुलाई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की चर्चा की, जिसमें यात्रा करवाने का निर्णय राज्य में कोरोना की स्थिति का जायजा लेने के बाद प्रशासन/सरकार पर छोड़ दिया गया था।
बयान के अनुसार, "बोर्ड को बताया गया कि फरवरी 2020 से अरेंजमेंट सही रास्ते पर है, लेकिन महामारी के चलते राज्य कार्यकारी समिति ने धार्मिक स्थलों को लगातार बंद रखने का फैसला किया है। यह पाबंदी 31 जुलाई तक जारी रहेगी।"
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 जुलाई। रायपुर में आज लगातार दूसरे दिन भी कपड़े के बड़े शोरूम श्री शिवम के कई कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। आज रात स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक रायपुर जिले के 57 पॉजिटिव में से 3 इसी दूकान श्री शिवम के कर्मचारी हैं। इनमें दो पुरूष और एक महिला है। उन्हें एक ही महिला से यह संक्रमण पहुंचा है। उल्लेखनीय है कि इसी दूकान से कल भी 15 लोग कोरोना पॉजिटिव निकले थे इस तरह अब यहां कुल 19 कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं।
इनके अलावा कई शराब दुकानों के कर्मचारी भी कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। इनमें 6 लोग कोरोनाग्रस्त मिले हैं। पांच लोग एक ही बैंक के कर्मचारी हैं। और उन्हें एक ही महिला से यह संक्रमण पहुंचा है। इनके अलावा एक हेड कांस्टेबल और दो कांस्टेबल भी कोरोनाग्रस्त मिले हैं। एक स्वास्थ्य कर्मचारी भी लिस्ट में है। और बहुत सी घरेलू महिलाएं अलग-अलग इलाकों में कोरोना पॉजिटिव मिली हैं। आज की लिस्ट में बहुत से लोग मार्केटिंग वाले और दुकानदार हैं।
इस्लामाबाद, 21 जुलाई (आईएएनएस)| पाकिस्तान में प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा आज भी सबसे उपेक्षित पहलू है और आज भी यहां पत्रकारों को अपहरण का शिकार होना पड़ रहा है।
एक ताजा घटना में वरिष्ठ पत्रकार मतीउल्लाह जान को मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी इस्लामाबाद से दिनदहाड़े उठा लिया गया।
जान को पाकिस्तान के शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान की आलोचना के लिए जाना जाता है।
वह इस्लामाबाद के सेक्टर जी-6 में इस्लामाबाद मॉडल कॉलेज फॉर गर्ल्स के पास एक स्कूल के बाहर अपनी पत्नी का इंतजार कर रहे थे जो स्कूल में शिक्षिका हैं। इसी बीच, कम से कम तीन वाहनों में कुछ लोगों ने उनकी कार को घेर लिया, उन्हें उनकी कार से जबरन उतारा गया और उन्हें अपने साथ ले गए।
स्कूल का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इसमें दिख रहा है कि जान को सिविल ड्रेस में और पुलिस की वर्दी में कुछ लोगों ने घेरा हुआ है।
उनके बेटे ने अपने पिता के ट्विटर हैंडल का इस्तेमाल कर अपहरण की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, "मेरे पिता मतीउल्लाह को राजधानी इस्लामाबाद के बीचोबीच से अगवा कर लिया गया है। मैं मांग करता हूं कि उन्हें ढूंढा जाए और इस घटना में शामिल एजेंसियों को तुरंत जिम्मेदार ठहराया जाए। ईश्वर उन्हें सुरक्षित रखें।"
पत्रकार असमा शिराजी ने ट्वीट किया, "व्हाट द हेल? अज्ञात लोगों ने (मतीउल्लाह जान) को आबपारा से उठा लिया। क्या सच में वे अज्ञात हैं?"
पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक डॉन के संपादक जफर अब्बास ने इस घटनाक्रम को 'बेहद परेशान करने वाला' और 'अत्यधिक निंदनीय' करार दिया और संपादकों से उनके लापता होने की खबर को प्रकाशित-प्रसारित करके अपनी भूमिका निभाने का आह्वान किया।
मानवाधिकार पर सीनेट फंक्शनल कमेटी के अध्यक्ष व पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ राजनेता मुस्तफा नवाज खोखर ने जान के अपहरण की जानकारी कमेटी को देने के लिए पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) को बुधवार को तलब किया है।
जान के भाई ने आरोप लगाया है कि उनके अपहरण के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां हो सकती हैं। उन्होंने कहा, "सीसीटीवी फुटेज से पता चल रहा है कि सिविल पोशाक वालों के साथ वर्दीधारी लोग भी थे। यह दर्शाता है कि एजेंसियों ने उन्हें उठाया है।"
जान की पत्नी कनीज सुगरा ने कहा कि उनके पति ने सुबह 10 बजे उन्हें स्कूल पर ड्राप किया और लगभग तीन घंटे बाद वह उन्हें लेने आने वाले थे।
सुगरा ने कहा, "वह मुझे छोड़कर गए और इसके एक घंटे बाद मैंने बाहर झगड़े जैसी आवाज सुनी। हालांकि, मैंने उस समय इसे गंभीरता से नहीं लिया।"
उन्होंने कहा, "मैंने मतीउल्लाह के फोन पर दोपहर सवा एक बजे कॉल की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।"
सुगरा ने कहा कि उन्होंने कार में चाबी लगी देखा। कार की स्थिति से लगा कि जान को इससे जबरन निकाला गया।
खुलेआम, दिन के उजाले में मतीउल्लाह जान के अपहरण ने इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अंतर्राष्ट्रीय निकाय पत्रकार की सुरक्षित वापसी की मांग कर रहे हैं और देश में प्रेस की स्वतंत्रता के लंबे-चौड़े दावों पर सवाल उठा रहे हैं।
जान न्यायाधीशों के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में बुधवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होने वाले थे।
उनके अपहरण ने वैश्विक मानवाधिकार निकायों और पत्रकार संगठनों को परेशान किया है, जिन्होंने उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है।
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने ट्वीट किया, "सरकार को तुरंत पत्रकार की सुरक्षित बरामदगी सुनिश्चित करनी चाहिए। मतीउल्लाह जान के परिवार ने पुष्टि की है कि वह लापता हैं।"
एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया ने ट्वीट किया, "हम मतीउल्लाह की हालत व सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। वह अपनी पत्रकारिता के लिए शारीरिक हमलों और उत्पीड़न का सामना करते रहे हैं। अधिकारियों को तुरंत उनके बारे में पता करना चाहिए।"
पत्रकार संगठन सीपीजे एशिया ने ट्वीट किया, "हम मतीउल्लाह जान के कथित अपहरण के बारे में बेहद चिंतित हैं। उन्हें तुरंत रिहा कर उनके परिवार के पास भेजा जाना चाहिए।"
हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि
लखनऊ, 21 जुलाई (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन (85) यहां मंगलवार को गुलाला घाट पर विधिविधान से अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके छोटे बेटे अमित टंडन ने चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान उन्हें लखनऊ वासियों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। टंडन का सुबह यहां एक अस्पताल में निधन हो गया था। वह कुछ दिनों से बीमार थे। लालजी टंडन की अंतिम यात्रा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत राजनीतिक जगत की तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हुईं। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों व नेताओं ने श्रद्घांजलि अर्पित की।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "उनका (लालजी टंडन) जाना मेरा व्यक्तिगत नुकसान है। वह मेरे संरक्षक की भूमिका में रहे। प्रदेश की राजनीति में भाजपा को ऊंचाई देने में उनका बड़ा योगदान रहा है। हर जनसामान्य यह महसूस करता था कि हमारा कोई अभिभावक लखनऊ में मौजूद है। हर कार्यकर्ता सोचता था, जब लखनऊ जाएंगे अगर कोई नहीं मिलेगा तो भी टंडन जी मिलेंगे, सुनेंगे समाधान करेंगे।"
भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, "भाजपा के वरिष्ठ नेता, हम सभी के मार्गदर्शक, मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल लालजी टंडन के निधन की खबर बेहद दुखद है। उनसे हर कदम पर कुछ नया सीखने को मिलता रहा, समाज व राष्ट्र के प्रति उनका पूर्ण समर्पण भाव आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। उनका निधन भाजपा संगठन के लिए ही नहीं अपितु पूरे राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।"
टंडन के अंतिम दर्शन के लिए फरंगी महली, यूसुफ अब्बास समेत कई मुस्लिम धर्मगुरु भी पहुंचे। मुस्लिम धर्मगुरु फरंगी महली ने कहा कि "टंडनजी गंगा-जमुनी तहजीब के जीती जागती मिसाल थे। पूरे प्रदेश में उन्होंने तरक्की के लिए काम किया है। इस बात को हमेशा लोग याद रखेंगे।"
मुस्लिम धर्मगुरु यूसुफ अब्बास ने कहा, "जो भी टंडन जी से एक बार मुलाकात कर लेता था वह उनसे बार-बार मिलने की इच्छा रखता था। टंडन जी का पीठ पर हाथ रखकर थपथपाना हमें आज भी याद आ रहा है। उनके अंदर हिंदू-मुस्लिम को लेकर बिल्कुल भी भेदभाव नहीं था।"
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डा़ॅ दिनेश शर्मा ने लालजी टंडन को श्रद्घा सुमन अर्पित किए। उनके साथ कई अधिकारी भी मौजूद थे।
अंतिम यात्रा में मंत्रियों समेत स्थानीय लोग भी शामिल हुए। कोरोना आपदा को देखते हुए शासन की ओर से दिशा-निर्देशों का पालन करने के आदेश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गुलाला घाट पहुंचे। अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी के अलावा टंडन के करीबियों में शुमार नवनीत सहगल भी मौके पर मौजूद थे।
रायपुर, 21 जुलाई। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल ने मोक्षदा चन्द्राकर (ममता चन्द्राकर) को इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का कुलपति नियुक्त किया है। राज्यपाल एवं कुलाधिपति इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ अनुसुईया उइके द्वारा जारी आदेश में यह उल्लेखित किया गया है कि मोक्षदा चन्द्राकर का कार्यकाल, उपलब्धियां तथा सेवा शर्त विश्वविद्यालय अधिनियम एवं परिनियम में निहित प्रावधान अनुसार होंगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 21 जुलाई। एमएसपी स्टील एंड पावर लिमिटेड के प्रबंधक बीके सिंह सहित कंपनी के आधा दर्जन अफसरानों के खिलाफ चक्रधरनगर थाने में एफआईआर दर्ज किया गया है।
दरअसल मामला बीते 14 जुलाई का बताया रहा है। 14 जुलाई की सुबह प्लांट में कार्यरत जांजगीर-चाम्पा जिला निवासी रोहित कुमार केंवट नामक युवक की मौत करेंट लगने से हो गई थी। बताया जा रहा है की मकतूल सुमित इंटरनेशनल कंपनी (ठेका कंपनी) के अंतर्गत कार्यरत था। लेकिन उसके रहने खाने की व्यवस्था एमएसपी के अधिकारियों ने की थी। उसे रहने के लिए प्लांट के भीतर ही मकान दिया गया था। जहां करंट लगने से उसकी मौत हो गई। पुलिस की टीम जब जांच के लिए घटनास्थल पर पहुंची तो प्लांट के अधिकारियों ने साक्ष्य मिटाने की नीयत से करंट प्रवाहित तार को काट कर छिपा दिया था। लेकिन पुलिस की जांच में ये बात खुलकर सामने आ गई।
विवेचना के उपरांत टीआई विवेक पाटले ने कम्पनी के प्रबंधक वीके सिंह सहित आधा दर्जन अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी 304(2), 201, 34, विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 146,149 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।
अगर पुलिस सूत्रों की माने तो एमएसपी के निदेशक के ऊपर भी एफआईआर हो सकता है। अभी पुलिस अपनी जांच में डायरेक्टर की भूमिका को लेकर भी तथ्य जुटा रही है। अगर विवेचना में कम्पनी के डायरेक्टर के खिलाफ भी क्लू पाये गए तो उन पर आईपीसी की संगीन धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है।