राष्ट्रीय
फर्रुखाबाद, 19 दिसंबर पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तुलना भगवान राम से किए जाने से नाराज हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में उनका (खुर्शीद का) पुतला फूंककर विरोध प्रकट किया।
बुधवार शाम हिंदू जागरण मंच के संयोजक प्रदीप सक्सेना के नेतृत्व में मंच के पदाधिकारियों ने सब्जी मंडी रोड, जवाहर नगर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद का पुतला फूंका।
खुर्शीद लोकसभा में फर्रुखाबाद संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उन्होंने पिछले दिनों मुरादाबाद में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की क्षमता को असीमित बताते हुए उन्हें न केवल योगी और ‘सुपर ह्यूमन’ करार दिया था, बल्कि उनकी तुलना भगवान राम से करते हुए कहा था कि कांग्रेसी उनकी खड़ाऊ लेकर चल रहे हैं।
मुरादाबाद सर्किट हाउस में सोमवार को पहुंचे खुर्शीद ने राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के उत्तर प्रदेश में व्यापक रूप से न आने के सवाल पर कहा था, “भगवान राम हर जगह नहीं जा सकते, जबकि उनकी खड़ाऊ बहुत दूर तक जाती है। उनकी खड़ाऊ लेकर हम (कांग्रेसी) चल रहे हैं। खड़ाऊ उत्तर प्रदेश आ चुकी है, तो राम जी भी आ ही जाएंगे।”
खुर्शीद के बयान को चाटुकारिता की हद करार देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उत्तर प्रदेश इकाई के वरिष्ठ प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने कहा था, “सलमान खुर्शीद साहब का जो बयान है, उसे चाटूकारिता संस्कृति के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता है।”
श्रीवास्तव ने कहा, “ऐसे महापुरुष, जिनका पूरी दुनिया अनुकरण करती है, जो अखिल ब्रह्मांड के नायक के रूप में जाने जाते हैं, जिनकी लोग वंदना-उपासना करते हैं, ऐसे भगवान श्रीराम से राहुल जी की तुलना करने से पहले सलमान साहब को सौ बार सोचना चाहिए था।”
उन्होंने कहा कि सलमान खुर्शीद बैरिस्टर हैं, लेकिन उनकी भाषा राजशाही के चारण परंपरा की प्रतीक है।
भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया आने के बाद कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के प्रांतीय संयोजक का दायित्व संभाल रहे खुर्शीद ने मंगलवार को मेरठ में कहा था कि वह नागपुर (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से पूछकर अपने नेता की तारीफ नहीं करेंगे। (भाषा)
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद हिंसक हो गया है. इस विवाद की जड़ 1956 के एक कानून में है और हल कहीं नजर नहीं आ रहा है. क्या है यह पूरा विवाद...
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
महाराष्ट्र विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर कर्नाटक के 865 गांवों को अपने यहां मिलाने की ‘कानूनी प्रक्रिया' शुरू करने की बात कही है. कुछ ही दिन पहले कर्नाटक विधानसभा ने ऐसा ही एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें कहा गया था कि अपनी एक इंच जमीन भी किसी अन्य राज्य को नहीं दी जाएगी.
नेताओं के बीच का यह विवाद हिंसा के रूप में सीमा तक पहुंच चुका है. बीते मंगलवार दोनों राज्यों में एक दूसरे के वाहनों पर हमले किए गए. इस तरह हिंसा के और भड़कने का डर भी बढ़ गया है. क्या है यह विवाद जिसने मसले को बारूद के ढेर में बदल दिया है?
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद
महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीचसीमा विवाद की जड़ 1956 के राज्य पुनर्गठन कानून में है. इस कानून के तहत राज्यों को भाषा के आधार पर पुनर्गठित किया गया था. इस तरह 1 मार्च 1960 को महाराष्ट्र वजूद में आया. तभी से यह उन 865 गांवों पर दावा कर रहा है, जिनमें मराठी भाषी लोग रहते हैं. इन गांवों में बेलगावी (जिसे पहले बेलगाम कहते थे), कारवर और निपाणी शामिल हैं. कर्नाटक इन गांवों को छोड़ने को राजी नहीं है.
25 अक्टूबर 1966 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे मेहर चंद महाजन की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया गया था जिसने बेलगाम पर महाराष्ट्र के दावे को खारिज कर दिया था. हालांकि उस आयोग ने 264 गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने की सिफारिश की थी. इन गांवों में निपाणी, खानपुर और नंदगढ़ शामिल हैं. साथ ही आयोग ने महाराष्ट्र के 247 गांवों को कर्नाटक को देने की सिफारिश भी की थी. इन गांवों में जट्ट, अक्कलकोट और सोलापुर शामिल थे.
महाराष्ट्र ने आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया और यह विवाद लटक गया. 2004 में महाराष्ट्र ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उसी दौरान कर्नाटक ने बेलगाम का नाम बदकर बेलगावी कर दिया और उसे राज्य की दूसरी राजधानी बना दिया.
कानूनी हल की जरूरत
कर्नाटक और महाराष्ट्र दोनों ही राज्य इस बात को समझ रहे हैं कि अब इस विवाद का हल राजनीतिक तरीकों से नहीं निकाला जा सकता और इसे कानूनी तरीकों से हल किए जाने की जरूरत है. 2004 से ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. दोनों राज्य अपने-अपने दावे छोड़ने को तैयार नहीं हैं. अलग-अलग दलों की सरकारें आने के बावजूद राज्यों के रुख नहीं बदले हैं.
2010 में केंद्र सरकार ने एक हलफनामे में पुनर्गठन कानून के तहत राज्यों की सीमाओं के निर्धारण को सही ठहराया था. सरकार ने कहा जिन 1956 के कानून के तहत क्षेत्र विशेष को अलग-अलग राज्यों को देना सही था.
विवाद पर राजनीति
यह विवाद हमेशा से दोनों राज्यों की राजनीति के केंद्र में रहा है. महाराष्ट्र में हर पार्टी के घोषणापत्र में इस मुद्दे का जिक्र होता है और राज्यपाल जब विधानसभा में भाषण देते हैं, तब भी इस विवाद पर बात होती है. लेकिन इस बार मामला आगे बढ़ गया है.
दो हफ्ते पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सीमा विवाद की समीक्षा करने के लिए एक बैठक बुलाई और अपने दो मंत्रियों, चंद्रकांत पाटील व शंभूराज देसाई को इस विवाद के राजनीतिक व कानूनी हल खोजने की जिम्मेदारी सौंप दी. साथ ही, उन्होंने बेलगावी और अन्य मराठीभाषी इलाकों के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पेंशन और मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं का ऐलान कर दिया.
एक ही दिन बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने जवाबी कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र के कन्नड़ स्कूलों के लिए वित्तीय मदद की घोषणा कर दी. बोम्मई ने यह भी कहा कि उनकी सरकार महाराष्ट्र के सांगली जिले के 40 गांवों पर दावा करने पर विचार कर रही है. सोलापुर जिले के कुछ सीमांत गांवों पर भी बोम्मई ने दावा ठोक दिया है.
इस कदम की महाराष्ट्र में तीखी प्रतिक्रिया हुई और वहां के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार ‘एक भी गांव कर्नाटक को नहीं देगी.' उसके बाद ही जगह-जगह कई बार हिंसा हो चुकी है. (dw.com)
ओडिशा पुलिस रूसी राष्ट्रपति पुतिन के आलोचक और अमीर नेता पावेल एंतोव की रहस्यमय मौत की जांच में जुट गई है. एंतोव की मौत से पहले एक और रूसी नागरिक की यहां मौत हुई थी.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
65 साल के पावेल एंतोव ओडिशा के रायगढ़ में एक होटल में रुके हुए थे. शनिवार को एंतोव की होटल की तीसरी मंजिल से गिरकर मौत हो गई थी. एंतोव खून से लथपथ होटल के बाहर मिले थे. उनकी मौत से ठीक दो दिन पहले एक और रूसी नागरिक 61 साल के व्लादिमीर बिदेनोव की उसी होटल में मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि बिदेनोव की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. होटल कर्मचारियों को बिदेनोव अचेत अवस्था में मिले थे. जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
जन्मदिन मनाने ओडिशा पहुंचे थे एंतोव
पुलिस का कहना है कि एंतोव अपना 66वां जन्मदिन मनाने के लिए बिदेनोव और दो अन्य रूसी दोस्तों के साथ पर्यटन वीजा पर रायगढ़ आए थे.
पुतिन के आलोचक कहे जाने वाले एंतोव और अन्य रूसी नागरिक की रहस्यमय मौत को लेकर ओडिशा सरकार ने अब मामले की जांच सीआईडी-क्राइम ब्रांच से कराने का फैसला किया है. ओडिशा के डीजीपी सुनील बंसल ने कहा कि विदेशी नागरिकों से जुड़े मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जांच अपराध शाखा को सौंप दी गई है.
ओडिशा पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, "ओडिशा के डीजीपी ने मामलों की जांच रायगढ़ पुलिस थाने से लेकर सीआईडी को सौंपने का आदेश दिया है. ये मामले दो रूसी नागरिकों की रायगढ़ जिले में हुई अप्राकृतिक मौत से संबंधित हैं."
पुलिस का कहना है कि वह सीसीटीवी फुटेज की जांच, होटल के कर्मचारियों से पूछताछ और ऑटोप्सी रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, उसका कहना है कि अब तक किसी तरह की साजिश का कोई संकेत नहीं मिला है. एंतोव के साथ गए दो स्थानीय ट्रैवल एजेंटों से भी पुलिस ने पूछताछ की है और साथ ही छुट्टी मनाने आए दो अन्य रूसी नागरिकों से भी पुलिस ने सवाल जवाब किए हैं.
कौन थे पावेल एंतोव?
एंतोव सिर्फ एक नेता ही नहीं थे बल्कि एक बड़े कारोबारी भी थे. वे व्लादिमीर क्षेत्र से विधायक थे और युनाइटेड रूस के सदस्य थे जो क्रेमलिन सरकार का समर्थन करती है. उनका मीट और सॉसेज का बड़ा कारोबार भी है. लेकिन एक बड़ी बात ये है कि वे रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बड़े आलोचक थे. यूक्रेनी मीडिया का कहना है कि एंतोव ने सोशल मीडिया पर यूक्रेन पर रूसी हमले की आलोचना की थी और उसे आतंकवादी कार्य करार दिया था. लेकिन बाद में उन्होंने वह पोस्ट डिलीट कर दी और राष्ट्रपति पुतिन के प्रति अपनी वफादारी जताई थी.
भारत में रूसी दूतावास ने कहा है कि ओडिशा में दो रूसी नागरिकों की मौत में अभी तक कोई आपराधिक कड़ी नहीं मिली है. दूतावास के बयान के मुताबिक, "कोलकाता में रूस के महावाणिज्य दूतावास मामले को लेकर स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है. पुलिस के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इसमें कोई आपराधिक पहलू नहीं है."
व्लादिमीर क्षेत्र की विधानसभा ने अपने सदस्य एंतोव की मौत पर शोक संदेश छापा है. इस संदेश में कहा गया कि एंतोव के साथी विधायक इस त्रासदी से परेशान हैं. संदेश में लिखा गया है कि कारोबारी एंतोव ऊर्जा और भविष्य की योजनाओं से भरे हुए थे.
राजनीति में आने से पहले एंतोव ने खाद्य प्रसंस्करण बिजनेस व्लादिमीरस्की स्टैंडआर्ट की स्थापना की और 2019 में फोर्ब्स पत्रिका के रूसी संस्करण द्वारा उन्हें देश के सभी सांसदों और वरिष्ठ अधिकारियों में सबसे अमीर बताया गया था.
एंतोव की मौत से पहले रूस के कई प्रभावशाली कारोबारियों की असामान्य परिस्थितियों मृत्यु हो चुकी है. (dw.com)
बिहार में एक और नया पुल टूट गया. बिहार में पुलों का टूटना कोई नई बात नहीं, अकसर ऐसी खबरें आती हैं. कभी निर्माण के दौरान तो कभी उद्घाटन के तुरंत बाद पुल टूट जाते हैं. आखिर इन पुलों के इतनी जल्दी टूटने के पीछे क्या वजह है.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट-
कुछ दिन पहले बेगूसराय जिले में गंडक नदी पर 13.5 करोड़ की लागत से बनाया गया जो पुल औपचारिक उद्घाटन से पहले ही बीच से ध्वस्त हो गया, उसकी जांच में पता चला है कि खराब निर्माण के कारण पुल अपने ही वजन का बोझ नहीं सह सका और टूट गया. इससे पहले इसी साल अप्रैल में भागलपुर जिले में गंगा नदी पर 1711 करोड़ की लागत से बनाए जा रहे पुल का एक हिस्सा तेज आंधी में गिर गया. इसी तरह जून में सहरसा जिले में ढलाई के एक दिन बाद ही पुल ध्वस्त हो गया. इस हादसे में तीन मजदूर घायल हो गए. अगस्त माह में कटिहार जिले में एक पुल उसी समय भरभरा कर ढह गया, जब क्रंकीट से ढलाई का काम चल रहा था. इस घटना में पांच मजदूर भी जख्मी हो गए थे. नवंबर में नालंदा जिले में एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिरने से एक मजदूर की मौत हो गई और कई मजदूर घायल हो गये.
बिहार में क्यों टूटते हैं पुल
बार-बार पुलों का ढहना या टूटना उन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाले सामान और काम की गुणवत्ता को संदेह के घेरे में लाती है. केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भागलपुर में पुल का हिस्सा ढहने के बाद इसके निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल का अंदेशा जताया था. इस संबंध में निर्माण कंपनी द्वारा दी गई दलील कि तेज हवा के कारण हादसा हुआ पर गडकरी ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि भला तेज हवा के कारण पुल का हिस्सा टूटने पर कैसे कोई विश्वास करेगा. अन्य कारण भी रहे होंगे, किंतु निर्माण सामग्री घटिया रही होगी, इसलिए पुल ढह गया.
बेगूसराय जिले में बूढ़ी गंडक नदी पर बना जो पुल टूटा है, उसका निर्माण 23 फरवरी, 2016 को शुरू किया गया था और यह 2017 में वह बनकर तैयार हो गया. हालांकि, इसके एक ओर के संपर्क पथ का काम अभी तक पूरा नहीं होने की वजह से इसका औपचारिक उद्घाटन नहीं हो सका है. इसके टूटने से करीब 40 हजार से अधिक आबादी प्रभावित हो गई है.
गिरने से तीन दिन पहले इसके पिलर नंबर दो तथा तीन के बीच दरार देखी गई थी. इसकी जानकारी मिलने पर जिला प्रशासन ने पुल के दोनों तरफ पक्की दीवार खड़ी करके एक चौकीदार की तैनाती कर दी थी, ताकि इससे किसी तरह की आवाजाही ना हो सके. बावजूद इसके पुल तीन दिन बाद बीच से ध्वस्त हो गया. निर्माणाधीन होने की वजह से इसके कारणों की जांच होनी ही थी, सो ग्रामीण कार्य विभाग के अभियंता प्रमुख अशोक मिश्रा के नेतृत्व में जांच टीम पहुंची. टीम ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है, ‘‘खराब गुणवत्ता के कारण सेल्फ लोड से पुल क्षतिग्रस्त हो गया.''
जाहिर है कि यह सेल्फ लोड नहीं, बल्कि ‘भ्रष्टाचार का लोड' है. इसके लिए निर्माण कंपनी मेसर्स भगवती कंस्ट्रक्शन के साथ-साथ चार कार्यपालक अभियंता, तीन सहायक अभियंता तथा तीन कनीय अभियंताओं को दोषी ठहराया गया है. इसके अलावा निर्माण कंपनी को अपने खर्च पर पुल के सुपर स्ट्रक्चर को फिर से बनाने और नदी से मलबा हटाने को कहा गया है.
निर्धारित अवधि भी पूरा नहीं कर पाते
ये घटनाएं तो महज बानगी भर हैं. 2020 में ऐसी ही एक घटना के बाद काफी हाय-तौबा मची थी, जब गोपालगंज जिले में गंडक नदी पर बनाया गया पुल टूट गया था. चुनावी वर्ष होने के कारण इस पर खूब राजनीति हुई थी.
सवाल यह है कि एक तरफ अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए पुल आज भी खड़े हैं, वहीं अत्याधुनिक तकनीक से बनाए जा रहे ये पुल अपनी निर्धारित अवधि भी क्यों नहीं पूरा कर पाते हैं. इसका जवाब बेगूसराय में पुल टूटने की जांच करने गई कमेटी की रिपोर्ट से मिल जाता है. जिसमें साफ कहा गया कि खराब गुणवत्ता के कारण पुल अपने ही भार से टूट गया. जाहिर है, खराब डिजाइन, घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल और दोषपूर्ण टेंडर प्रक्रिया जिसमें किसी की कोई जवाबदेही नहीं है, इसके कारण हैं. लेकिन, सबसे बड़ी वजह संगठित भ्रष्टाचार है. जिसे किसी हादसे के बाद उपरोक्त वजहों को गिना कर ढंका जाता है.
रिटायर्ड इंजीनियर अशोक कुमार कहते हैं, ‘‘अधिकतर मामलों में पुल टूटने का मुख्य कारण दोषपूर्ण निर्माण प्रक्रिया है. यदि पुल को अच्छे ढंग से डिजाइन किया गया है और मानक के अनुरूप उच्च क्वालिटी की सामग्रियों से बनाया गया है तो वे अपनी निर्धारित अवधि अवश्य पूरा करेंगे.'' इसके लिए ठेका देने की प्रक्रिया को चुस्त-दुरुस्त करने की जरूरत है, ताकि अच्छे ठेकेदार का चयन किया जा सके. इसके अलावा निर्माण कार्य योग्य इंजीनियरों की देखरेख में कुशल कारीगरों द्वारा किए जाएं, ताकि परियोजना की बेहतर निगरानी की जा सके.
पुल निर्माण से जुड़े लोगों का कहना है कि निविदा (ठेका) प्राप्त करने से लेकर पूरी निर्माण प्रक्रिया में हमेशा धांधली होती है. विभागीय अफसर अपने फायदे के लिए इसे बढ़ावा देते हैं. नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर ग्रामीण कार्य विभाग के एक ठेकेदार कहते हैं, ‘‘यह सच है कि निर्माण से संबंधित किसी भी विभाग में संगठित भ्रष्टाचार है और इसे सब जानते हैं. यहां किसी के आने-जाने का कोई फर्क नहीं पड़ता है. सब कुछ सिस्टम से चलता है. बिल के भुगतान के लिए हरेक फाइल पर कितने का चढ़ावा देना होगा, यह तय है. तभी तो इंजीनियरों के घर से करोड़ों की नकदी बरामद होती है. उनके वेतन से तो यह संभव नहीं हो सकता.'' विभागीय अधिकारी चाहे वह इंजीनियर हो या दफ्तर का मुलाजिम सबको नजराना चाहिए.
विजिलेंस की कार्रवाई का कोई असर नहीं
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो और दूसरी एजेंसियां अकसर कार्यपालक अभियंता, सहायक या कनीय अभियंता के ठिकानों पर छापेमारी करती हैं. पटना में भवन निर्माण विभाग में तब असिस्टेंट इंजीनियर रहे वृजा सिंह को 2017 में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने एक ठेकेदार से बकाया बिल भुगतान के एवज में 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. बीते नवंबर माह में अदालत ने वृजा सिंह को चार वर्ष की कैद की सजा सुनाई है. सामाजिक कार्यकर्ता जाहिदा बताती हैं, ‘‘हाल में ही ग्रामीण कार्य विभाग के एक कार्यपालक अभियंता संजय कुमार राय के यहां जब निगरानी ब्यूरो ने छापेमारी की तब उनके ठिकानों से करोड़ों नकद बरामद किए गए. नोट गिनने की मशीन मंगानी पड़ी. ये वही पैसा है जो किसी ना किसी सरकारी निर्माण में मानक के विपरीत घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर बचाई गई होगी और फिर उसका बंदरबांट किया होगा.''
वास्तव में पुल निर्माण की प्रक्रिया में भारी बदलाव करने की जरूरत है. आज हालत यह है कि बड़े ठेकेदार अपना काम छोटे ठेकेदारों को बांट देते हैं और ऐसे में काम पर नजर रख पाना मुश्किल हो जाता है. स्थानीय पत्रकार राजेश रौशन कहते हैं, ‘‘याद कीजिए, 90 के दशक में राज्य की सड़कों का क्या हाल था. जब से ठेके को लेकर पॉलिसी बदली गई, इसके मेंटेनेंस को लेकर जिम्मेदारी तय की गई, पूरा परिदृश्य बदल गया. जब तक ठेके में ठेके (पेटी कॉन्ट्रैक्ट) पर रोक नहीं लगेगी, तब तक शायद ही स्थिति में सुधार की गुंजाइश है. आखिर, हर किसी को मुनाफा कमाना है.'' (dw.com)
उज्बेकिस्तान ने कहा है कि भारत में बनी खांसी की एक सिरप पीने के बाद कम से कम 18 बच्चों की मौत हो गई. इससे पहले अक्टूबर में अफ्रीकी देश गाम्बिया ने दावा किया था कि वहां भारत में बनी सिरप पीने से 70 बच्चों की मौत हो गई थी.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई जानकारी के मुताबिक इस सिरप का नाम डॉक-1 मैक्स है, जिसे नोएडा स्थित दवा कंपनी मैरियन बायोटेक ने बनाया है. मंत्रालय ने बताया कि दवा की जांच कराई गई थी जिसमें एथिलीन ग्लाइकोल नाम का दूषणकारी तत्व पाया गया.
सभी मौतें उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में हुईं हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के मुताबिक दवा को बिना प्रिस्क्रिप्शन के और ज्यादा मात्रा में लिया गया था. गाम्बिया में भी जांच में कफ सिरप में एथिलीन ग्लाइकोल ही पाया गया था.
जांच के नतीजों का इंतजार
मैरियन बायोटेक और भारत सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारत में दवाओं की नियामक संस्था सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन और उत्तर प्रदेश ड्रग्स कंट्रोलिंग एंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने मामले में जांच शुरू कर दी है.
मीडिया रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि कंपनी ने अपने उत्पादन केंद्र से दवा के सैंपल जांच के लिए भेज दिए हैं और अब जांच के नतीजों का इंतजार किया जा रहा है. इससे पहले गाम्बिया वाले मामले में भारत ने गाम्बिया की सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दावों को मानने से इनकार कर दिया था.
उस मामले में मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड नाम की कंपनी द्वारा बनाई गई कफ सिरप को 70 बच्चों की मौत का जिम्मेदार बताया गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि सिरप की जांच में अस्वीकार्य मात्रा में एथिलीन ग्लाइकोल और डाइथाइलीन ग्लाइकोल पाए गए थे, जो जहरीले हो सकते हैं और गुर्दों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं.
भारतीय दवाओं पर सवाल
भारत ने शुरू में तो इस सिरप के उत्पादन पर रोक लगाकर जांच के आदेश दे दिए थे, लेकिन जांच के नतीजे आने के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने कहा था कि "दवा में कोई जहरीला पदार्थ नहीं था और दवा मानकों के अनुकूल थी."
भारत दुनिया में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है और खुद को गर्व से "दुनिया की फार्मेसी" कहता है. पूरी दुनिया में दवाओं का जितना निर्यात होता है भारत की उसमें 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
लेकिन पहले गाम्बिया और अब उज्बेकिस्तान में हुई बच्चों की इन मौतों से भारतीय दवाओं की सुरक्षात्मकता पर सवाल खड़े हो गए हैं. विदेश में ही नहीं, दो साल पहले जम्मू में डिजिटल विजन नाम की एक कंपनी द्वारा बनाई सिरप पीने के बाद 17 बच्चों की मौत हो गई थी. उस दवा में भी डाइथाइलीन ग्लाइकोल पाया गया था. (dw.com)
प्रयाग, 29 दिसम्बर | उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि इनकी पिछड़ों की राजनीति एक जाति तक सीमित रही है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग के हकों की रक्षा करना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उनके अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री अपने एक बयान में कहा कि सपा का काला चेहरा सबको याद है। सपा की पिछड़ी राजनीति एक जाति तक सीमित रही है, उन्हें इस मुद्दे पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने पिछड़ों का वोट लेकर केवल अपने परिवार का भला किया है। पिछड़ों की कमाई से अपने परिवार को मलाई ही उनकी विचारधारा रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर दाखिल याचिका पर मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ नें बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव समय से कराने का फैसला सुनाया है। इस आदेश पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि माननीय न्यायालय के आदेश का सम्मान है। लेकिन राज्य में सरकार में होने के नाते प्रदेश का सबसे बड़े राजनैतिक दल होने के नाते अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों के हकों की, उनके हितों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है. इसलिये सरकार नें तय किया है कि पिछड़ा वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नगरीय निकाय निर्वाचन के लिए एक आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करायेगी। इसके बाद ही चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराई जायेगी।
मौर्य ने कहा कि अभी हम विधि विशेषज्ञों से उच्च न्यायालय के आदेश का गंभीरता से अध्ययन करा रहे हैं, उसके पश्चात सभी कानूनी पहलुओं पर विचार विमर्श करके अगर आवश्यकता हुई तो पिछड़ा समाज के हक की लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जायेंगे। राज्य सरकार के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील का रास्ता खुला है।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने बूथ से लेकर प्रदेश और देश की राजनीति में हर जगह पिछड़ा वर्ग को पद देकर सम्मान दिया है, यही वजह है कि 2014, 17, 19 और 2022 में भाजपा को देश और प्रदेश में शीर्ष पर पहुंचाने में सब वर्गों के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग का सबसे अहम योगदान रहा है। यूपी सरकार में इस समाज को प्रतिनिधित्व देते हुये मंत्रिमंडल में 18 मंत्रियों को शामिल किया है और केंद्र में भी बड़ी संख्या में ओबीसी मंत्री हैं। (आईएएनएस)|
सीतापुर (उत्तर प्रदेश), 29 दिसम्बर | 12वीं कक्षा की तीन छात्राओं ने आत्महत्या कर ली। सीतापुर पुलिस ने मामलों में अब सात लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक एक छात्रा ने 10 दिसंबर को अपने कमरे में फांसी लगा ली, जबकि दूसरी ने 12 दिसंबर को जहर खा लिया। 18 दिसंबर को एक और छात्रा ने नदी में छलांग लगा दी।
तीनों छात्राएं एक ही स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ती थीं।
अपर पुलिस अधीक्षक सीतापुर नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मामले की जांच के लिए जिला पुलिस प्रमुख द्वारा 20 दिसंबर को एक कमेटी का गठन किया गया है।
सिंह ने बताया कि पहला मामला 17 वर्षीय किशोरी का कुरसियापुरवा से सामने आया। छात्रा 25 वर्षीय किराना विक्रेता राहुल यादव के संपर्क में थी। पीड़िता के पिता द्वारा अपनी बेटी से बात न करने के लिए कहने के बावजूद, वह व्यक्ति उसके साथ बात करता रहा। 10 दिसंबर को लड़की के पिता ने उस व्यक्ति को डांटा। इसके बाद छात्रा ने आत्महत्या कर ली।
यादव और उसके दोस्त ललित कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है।
12 दिसंबर का मामला ज्योतिशालमपुर गांव से सामने आया था। जांच में पता चला कि छात्रा आरोपी अंकित से शादी करना चाहती थी।
अधिकारी ने कहा, लड़की के माता-पिता अपनी बेटी और अंकित की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए अंकित के माता-पिता से मिले थे, लेकिन अंकित की मां ने शादी के लिए बाइक और दहेज की मांग की।
किशोरी को जब इसकी जानकारी हुई तो उसने जहर खा लिया।
उन्होंने कहा, अंकित और उसकी मां को गिरफ्तार कर लिया गया है। तीसरा मामला तिवारीपुरवा गांव से सामने आया। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 29 दिसंबर | भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में नौकरी के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले एक गिरोह के सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पीड़ितों में से एक संतोष सिंह की शिकायत पर महानगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की है।
गिरोह पहले भी एफसीआई में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी कर चुका है।
शिकायतकर्ता ने कहा कि वह गिरोह के सदस्यों नीरज पांडे, विकास सोनकर, अनूप श्रीवास्तव, विकास सिंह, आलोक श्रीवास्तव, अमरेंद्र, जितेंद्र, कुलदीप, नीलेश, विनोद कुमार, राज रस्तोगी से 2019 में एक रेस्तरां में मिला था और उसे एफसीआई (लिपिक पद) में नौकरी देने का वादा किया गया था, इसके बदले में 8 लाख रुपये की मांग की गई थी।
सिंह ने आरोप लगाया, 'उन्होंने फरवरी में दिल्ली में एक बहुमंजिला आलीशान कार्यालय में एक साक्षात्कार आयोजित किया, जिसमें एफसीआई का नाम और प्रतीक चिन्ह था।'
वह अन्य उम्मीदवारों के साथ एक एमसीक्यू-आधारित लिखित परीक्षा और एक व्यक्तित्व परीक्षण में भी उपस्थित हुआ।
गैंग के एक सदस्य ने खुद को एफसीआई का जीएम बताकर इंटरव्यू लिया और नियुक्ति की पुष्टि के लिए 5 लाख रुपये की मांग की।
उन्होंने कहा, मई में मुझे आरोपी का फोन आया और मुझे सिरसा हरियाणा में एफसीआई इकाई में शामिल होने के लिए कहा गया और प्रशिक्षु के रूप में लेबल किए गए एफसीआई के प्रतीक चिन्ह वाला एक पत्र प्राप्त हुआ।
उसने बताया जब वह सिरसा पहुंचा, तो पाया कि कई अन्य लोगों के पास भी इसी तरह के पत्र थे। मुझे बताया गया कि हरियाणा के बरवाला जाना है। मुझे फिर से आरोपियों का फोन आया और दिल्ली आने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि चार महीने बाद ज्वाइनिंग लेटर मिलेगा।
पीड़ित से प्रशिक्षण प्रमाण पत्र के लिए 15 हजार रुपये और मांगे गए।
अंत में उन्हें बताया गया कि सभी रिक्तियां भरी हुई हैं और उन्हें प्रतीक्षा करनी होगी। इसके बाद 2021 में, पीड़ित ने अपने पैसे वापस मांगे, लेकिन कभी नहीं मिले।
पुलिस ने एक साल की निगरानी के बाद गिरोह के दो सदस्यों नीरज पांडे और जितेंद्र कैलाश को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। सदस्य कोचिंग संस्थानों के पास छात्रों को निशाना बनाते थे।
एसएचओ महानगर, के.के. तिवारी ने कहा कि गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए टीमों का गठन किया गया है। (आईएएनएस)|
मेरठ (उप्र), 29 दिसंबर | एक युवक ने अपनी प्रेमिका की गला दबाकर हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने से पहले उसने इसकी जानकारी अपनी मां को दी। उसने हत्या से ठीक पहले अपनी मां से कहा, "मैं अपने प्यार को मारने जा रहा हूं, मेरा इंतजार मत करो।"
मामले की जांच कर रहे पुलिसकर्मियों ने उसके कब्जे से कथित ऑडियो क्लिप बरामद किया है।
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना 23 दिसंबर को हुई थी और यह मामला एक दिन बाद सामने आया, जब पीड़िता का शव उसके किराए के मकान में उसके मकान मालिक को पड़ा मिला।
आरोपी शिव सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि शिव सिंह आठ महीनों से किसी सोनिया नाम की युवती के साथ रिश्ते में था। सोनिया शिवपुरी इलाके में किराए के मकान में रहती थी और जीविका चलाने के लिए मूर्तियां बनाती थी।
हाल ही में एक अन्य युवक के साथ उसकी दोस्ती के बारे में पता चला तो शिव सिंह नाराज हो गया और सोनिया को मौत के घाट उतार दिया। (आईएएनएस)|
बेंगलुरू, 29 दिसम्बर | केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह तीन दिवसीय दौरे पर गुरुवार को कर्नाटक पहुंच रहे हैं। शाह रात 10.20 बजे बेंगलुरु के येलहंका एयर बेस पर पहुंचेंगे। मांड्या विश्वविद्यालय ने शाह के दौरे की पृष्ठभूमि में दो दिन के अवकाश की घोषणा की है। वह 30 दिसंबर को मांड्या विश्वविद्यालय मैदान में जन स्पंदन यात्रा सम्मेलन में भाग लेंगे।
शाह के दौरे से पार्टी को राज्य के दक्षिणी हिस्सों में अपना आधार मजबूत करने की उम्मीद है।
दक्षिणी जिले हमेशा जद (एस) और कांग्रेस पार्टियों के गढ़ रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय जद (एस) के लिए ताकत का स्रोत रहा है।
हालांकि भाजपा ने राज्य में बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन भगवा पार्टी ने आम विधानसभा चुनावों में कभी भी साधारण बहुमत हासिल नहीं किया। हालांकि, पार्टी 'ऑपरेशन लोटस' के जरिए बहुमत हासिल करने में कामयाब रही। इस बार, पार्टी इस क्षेत्र से विजयी होने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
डॉ. सी.एन. अश्वथ नारायण ने कहा था कि अमित शाह दक्षिण कर्नाटक में अपना आधार मजबूत करने के लिए आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
शाह मांड्या में जन संकल्प यात्रा में भाग ले रहे हैं, जो जद (एस) का गढ़ है। पिछले चुनाव में पार्टी ने सभी विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।
अश्वथ नारायण ने आगे कहा कि आलाकमान का उद्देश्य पार्टी के आधार का विस्तार करना और क्षेत्र से अधिक विधायकों को निर्वाचित करना है। (आईएएनएस)|
बेंगलुरू, 29 दिसम्बर | केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह तीन दिवसीय दौरे पर गुरुवार को कर्नाटक पहुंच रहे हैं। शाह रात 10.20 बजे बेंगलुरु के येलहंका एयर बेस पर पहुंचेंगे। मांड्या विश्वविद्यालय ने शाह के दौरे की पृष्ठभूमि में दो दिन के अवकाश की घोषणा की है। वह 30 दिसंबर को मांड्या विश्वविद्यालय मैदान में जन स्पंदन यात्रा सम्मेलन में भाग लेंगे।
शाह के दौरे से पार्टी को राज्य के दक्षिणी हिस्सों में अपना आधार मजबूत करने की उम्मीद है।
दक्षिणी जिले हमेशा जद (एस) और कांग्रेस पार्टियों के गढ़ रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय जद (एस) के लिए ताकत का स्रोत रहा है।
हालांकि भाजपा ने राज्य में बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन भगवा पार्टी ने आम विधानसभा चुनावों में कभी भी साधारण बहुमत हासिल नहीं किया। हालांकि, पार्टी 'ऑपरेशन लोटस' के जरिए बहुमत हासिल करने में कामयाब रही। इस बार, पार्टी इस क्षेत्र से विजयी होने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
डॉ. सी.एन. अश्वथ नारायण ने कहा था कि अमित शाह दक्षिण कर्नाटक में अपना आधार मजबूत करने के लिए आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
शाह मांड्या में जन संकल्प यात्रा में भाग ले रहे हैं, जो जद (एस) का गढ़ है। पिछले चुनाव में पार्टी ने सभी विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।
अश्वथ नारायण ने आगे कहा कि आलाकमान का उद्देश्य पार्टी के आधार का विस्तार करना और क्षेत्र से अधिक विधायकों को निर्वाचित करना है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) केरल में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सदस्यों से जुड़े 56 से अधिक ठिकानों पर आतंकी साजिश के एक मामले में छापेमारी कर रही है। छापेमारी गुरुवार तड़के शुरू हुई और जारी है। एनआईए ने हाल ही में केरल की एक अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें दावा किया गया था कि प्रतिबंधित पीएफआई के नेता विभिन्न माध्यमों से अलकायदा के संपर्क में थे।
एनआईए की यह रिपोर्ट केरल की अदालत को सौंपी गई थी।
एनआईए ने यह भी दावा किया है कि पीएफआई के सदस्य एक गुप्त विंग चला रहे हैं।
सूत्र ने कहा, हाल ही में छापेमारी के दौरान एनआईए ने कुछ उपकरण जब्त किए थे। उन उपकरणों की स्कैनिंग के दौरान एनआईए को पता चला कि पीएफआई के नेता अलकायदा के संपर्क में हैं। उनका एक गुप्त विंग भी है।
गौरतलब है कि एनआईए ने देशव्यापी छापेमारी के दौरान पीएफआई के पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था। तब पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और उसके नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।
सरकार ने कहा था, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सहयोगियों को देश के संवैधानिक ढांचे की अवहेलना करते हुए आतंकवाद और इसके वित्तपोषण, लक्षित हत्याओं सहित गंभीर अपराधों में शामिल पाया गया है।
इसलिए गृह मंत्रालय ने संगठन की नापाक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को उसके सहयोगियों रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया(सीएफआई), अखिल भारतीय इमाम परिषद (एआईसीसी), मानवाधिकार संगठन का राष्ट्रीय परिसंघ (एनसीएचआरओ), राष्ट्रीय महिला मोर्चा, जूनियर मोर्चा, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन केरल पर पाबंदी लगाई। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के रोड शो के दौरान नहर में गिरने से जान गंवाने वाले सात लोगों के परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष (पीएमएनआरएफ) से दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, "आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में एक जनसभा में हुई दुर्घटना से दुखी हूं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। पीएमएनआरएफ से 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रत्येक मृतक के परिजनों को दी जाएगी और घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे।"
तेदेपा प्रमुख के रोड शो को संबोधित करने के लिए पहुंचने के तुरंत बाद कंदुकुर शहर में बुधवार को हुई घटना के दौरान आठ लोग घायल भी हो गए।
घटना के बाद, नायडू ने तुरंत बैठक रद्द कर दी और मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये देने की घोषणा की। (आईएएनएस)|
अमरावती, 29 दिसम्बर | आंध्र प्रदेश के कुंदुकुर शहर में पुलिस ने बुधवार रात तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू के रोड शो के दौरान भगदड़ में आठ लोगों की मौत के मामले में मामला दर्ज किया है। नेल्लोर जिले के कस्बे में पूर्व मुख्यमंत्री के रोड शो के दौरान भगदड़ मचने से दो महिलाओं सहित आठ लोगों की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए। कुंदुकुर पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 174 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
इस बीच अधिकारियों ने गुरुवार सुबह कंदुकुर एरिया अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के बाद मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए। शवों को उनके गांव भेजने की व्यवस्था की जा रही है।
टीडीपी ने घोषणा की है कि वह मृतकों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था करेगी। चंद्रबाबू नायडू ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से अंतिम संस्कार में शामिल होने को कहा।
टीडीपी ने इस घटना के लिए पुलिस द्वारा अपर्याप्त सुरक्षा को जिम्मेदार ठहराया है। स्थानीय टीडीपी नेताओं ने कहा कि उन्होंने पुलिस को सूचित किया था कि रोड शो में बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद थी लेकिन वे उचित व्यवस्था करने में विफल रहे।
एक नेता ने कहा कि नाले पर अनाधिकृत निर्माण भी दुर्घटना का कारण बना। पाकिर्ंग की जगह नहीं होने से कुछ लोगों ने अपने दोपहिया वाहन नाले के पास खड़े कर दिए थे। टीडीपी नेता के पहुंचते ही लोग उनकी एक झलक पाने के लिए आगे बढ़े और एक-दूसरे पर गिर पड़े और कुछ लोग नाले में गिर गए।
मृतकों की पहचान ई. राजेश्वरी (48), चिन्ना कोंडिया (55), काकुमणि राजा (50), के. यनादी (55), देवीनेनी रवींद्र (73), जी. मधुबाबू (44), वाई. विजय (45) और पुरुषोत्तम (70) के रूप में हुई।
चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।
चंद्रबाबू नायडू ने जानमाल के नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मरने वाले टीडीपी के परिवार के सदस्य हैं और यह पार्टी के लिए बड़ी क्षति है। नायडू ने कहा, यह वास्तव में एक बड़ी पीड़ा है कि टीडीपी के परिवार के सदस्य जिन्होंने राज्य के हित के लिए लड़ाई लड़ी, जिन्होंने यहां पार्टी की जनसभा में भाग लिया, उन्होंने अपना बहुमूल्य जीवन खो दिया।
इस घटना में मारे गए लोगों के परिवार के साथ खड़े होने का वादा करते हुए चंद्रबाबू ने कहा कि वह न केवल परिवार के सदस्यों को अनुग्रह राशि का भुगतान करेंगे बल्कि उनके बच्चों की शिक्षा के लिए भी मदद करेंगे। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को मृतकों का अंतिम संस्कार पूरा होने तक कंदुकुर में वापस रहने का भी आदेश दिया।
टीडीपी की राज्य इकाई के अध्यक्ष अतचेन नायडू ने भी कहा कि चंद्रबाबू की जनसभा में सात लोगों की मौत एक बड़ी त्रासदी है और पार्टी मृतकों के परिजनों के साथ खड़ी है। (आईएएनएस)|
चंडीगढ़, 29 दिसंबर | दसवें सिख गुरु गुरु गोबिंद सिंह की 365वीं जयंती के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने गुरुवार को सिखों के सबसे पवित्र तीर्थ स्वर्ण मंदिर में हरमंदिर साहिब के दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कड़ाके की ठंड के बीच सुबह से ही हजारों श्रद्धालु मंदिर में पूजा-अर्चना करने और स्वर्ण मंदिर के पवित्र सरोवर में डुबकी लगाने के लिए पहुंच गए।
दसवें सिख नेता गुरु गोबिंद सिंह की जयंती से पहले सिख श्रद्धालुओं ने हरमंदिर साहिब में नगर कीर्तन में भाग लिया।
पंजाब के अन्य हिस्सों लुधियाना, जालंधर, पटियाला और अन्य कस्बों में विभिन्न धार्मिक स्थलों पर लोगों की भीड़ उमड़ी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मोदी ने ट्वीट किया, उनका अद्वितीय साहस आने वाले वर्षों में लोगों को प्रेरित करता रहेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, उनके प्रकाश पर्व के पवित्र अवसर पर, मैं श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को नमन करता हूं और मानवता की सेवा में उनके योगदान को याद करता हूं। उनका अद्वितीय साहस आने वाले वर्षों में लोगों को प्रेरित करता रहेगा।
गौरतलब है कि गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों की वीरता और शहादत को याद करते हुए 2022 से 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। (आईएएनएस)|
रामल्लाह, 29 दिसंबर | फिलिस्तीनी अधिकारियों ने वेस्ट बैंक में इजरायली सेटेलमेंट्स को और मजबूत करने के इजरायल के बयान को खारिज कर दिया है। घोषणा अंतर्राष्ट्रीय वैधता के सभी प्रस्तावों के विपरीत है, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा जारी संकल्प संख्या 2334 का, एक प्रेस विज्ञप्ति में फिलिस्तीनी राष्ट्रपति पद के प्रवक्ता नबील अबू रुदीनेह ने कहा।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2016 के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2334, जो पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायली बस्तियों से संबंधित है, इजरायल से तत्काल और सभी गतिविधियों को पूरी तरह से बंद करने की मांग करता है।
बुधवार को, इजरायल के होने वाले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार इजरायल की भूमि के सभी हिस्सों -- गलील, नेगेव, गोलन और वेस्ट बैंक में सेटलमेंट को मजबूत करने के लिए काम करेगी।
नेतन्याहू के बयान से इस क्षेत्र में और तनाव बढ़ने के आसार हैं, अबू रुदीनेह ने कहा।
इजराइल ने 1967 में वेस्ट बैंक पर कब्जा कर लिया था और तब से उस पर बस्तियां स्थापित कर रहा है, इस कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है। (आईएएनएस)|
कोलकाता, 29 दिसंबर | झारखंड की अभिनेत्री और यूट्यूबर रिया कुमारी की हत्या की जांच कर रहे जांच अधिकारियों ने गुरुवार सुबह उनके पति प्रकाश कुमार को गिरफ्तार कर लिया। बुधवार सुबह पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर अभिनेत्री की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
राज्य पुलिस सूत्रों ने कहा कि गिरफ्तारी दो कारणों से की गई है। पहला कारण प्रकाश कुमार के खिलाफ मृतका के मायके के सदस्यों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत थी, जो बुधवार रात कोलकाता पहुंचे और रिया के पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। अपनी शिकायत में रिया कुमारी के परिवार वालों ने प्रकाश की दूसरी पत्नी के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई है।
राज्य पुलिस के सूत्रों ने कहा कि बुधवार को पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान प्रकाश कुमार के बयानों में विसंगतियां थीं।
पता चला है कि मृतक के परिजनों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि प्रकाश कुमार मृतका की यूट्यूब से होने वाली कमाई से जलता था। उनके आरोपों के अनुसार, वह नियमित रूप से उसे अपमानित और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता था और इस प्रक्रिया में, उसकी दूसरी पत्नी ने एक भड़काने वाली भूमिका निभाई। यह भी आरोप लगाया गया है कि प्रकाश कुमार रिया की कमाई का एक बड़ा हिस्सा जबरदस्ती छीन लेता था।
प्रकाश कुमार के बयान के अनुसार, हत्या बुधवार सुबह करीब 6 बजे हुई जब वे रांची से कोलकाता जा रहे थे और जब उन्होंने हावड़ा जिले के उलुबेरिया सब-डिवीजन के तहत बगानन में महर्षिरेखा पुल के पास अपना वाहन रोका था।
उनके कथन के अनुसार, उनके वाहन को रोकने के बाद तीन बदमाशों ने स्नैचिंग के इरादे से उन पर हथियारों से हमला किया और विरोध करने पर एक बदमाश ने रिया कुमारी को प्वाइंट-ब्लैंक रेंज से गोली मार दी, जिससे अंतत: उसकी मौत हो गई।
जांच अधिकारियों को उसके बयान पर शक हुआ क्योंकि इसमें कई सारी विसंगतियां थी। पुलिस ने गाड़ी के भीतर से कारतूस के खोल जैसे नमूने पहले ही बरामद कर लिए हैं। सबूतों को पुख्ता करने के लिए आगे की जांच जारी है। पुलिस को संदेह है कि प्रकाश कुमार ने अपने बयानों में जिन बदमाशों का जिक्र किया था, वे वास्तव में उसके द्वारा हायर किए गए थे। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | राहुल गांधी की सुरक्षा में चूक को लेकर कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवाल और गृह मंत्रालय को लिखी चिट्ठी पर उनकी सुरक्षा में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने जवाब दिया है। सीआरपीएफ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपे अपने जवाब में बताया कि निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार राहुल गांधी के लिए पूरी तरह से सुरक्षा व्यवस्था की गई। खुद राहुल गांधी ने 2020 से अब तक कई बार सुरक्षा के तय निर्देशों का उल्लंघन किया है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी ऐसा हुआ है। सीआरपीएफ ने बताया कि राहुल गांधी ने 2020 से अब तक कई बार सुरक्षा के तय निर्देशों का उल्लंघन किया है। उन्होंने लगभग 113 बार सुरक्षा के नियम तोड़े हैं और उन्हें विधिवत सूचित किया गया है। सीआरपीएफ ने कहा कि राहुल गांधी की ओर से निर्धारित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कई मौकों पर देखा गया है और इस तथ्य से उन्हें समय-समय पर अवगत कराया गया है।
सीआरपीएफ ने बताया कि राहुल गांधी के लिए सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं। किसी भी सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति के दौरे के दौरान सीआरपीएफ द्वारा राज्य पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के समन्वय में आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था की जाती है। सीआरपीएफ के मुताबिक प्रत्येक दौरे के लिए अग्रिम सुरक्षा संपर्क भी किया जाता है। दिल्ली में भारत जोड़ो यात्रा के प्रवेश करने से पहले भी राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर सभी हितधारकों से अग्रिम सुरक्षा संपर्क किया गया था।
सीआरपीएफ के मुताबिक यात्रा को लेकर सभी सुरक्षा दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया गया है और दिल्ली पुलिस ने सूचित किया है कि सुरक्षा कर्मियों की पर्याप्त तैनाती की गई थी। सीआरपीएफ ने अपने जवाब में कहा है कि संरक्षित व्यक्ति के लिए की गई सुरक्षा व्यवस्था तब ठीक काम कर रही है, जब संरक्षित व्यक्ति स्वयं निर्धारित सुरक्षा गाइडलाइन का पालन करता है।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने केंद्र सरकार से भारत जोड़ो यात्रा में राहुल की सुरक्षा की मांग की थी। इसको लेकर पार्टी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा था कि दिल्ली में राहुल की सुरक्षा में कई बार चूक हुई है। इस मामले में इंटेलिजेंस ब्यूरो ने यात्रा में शामिल कई लोगों से पूछताछ की है। (आईएएनएस)|
राजकोट (गुजरात), 29 दिसंबर | एमवीएम साइंस एंड होम साइंस कॉलेज के ट्रस्टियों ने गुरुवार को विज्ञान के एक प्रोफेसर को निलंबित कर दिया। प्रोफेसर ने अच्छे अंक प्रदान करने के बदले छात्राओं से यौन संबंध बनाने की मांग की। छात्राओं ने तीन महीने पहले कॉलेज के अधिकारियों और यौन उत्पीड़न विरोधी समिति से मामले की शिकायत की थी। मीडिया और छात्र संघ द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद ही कॉलेज और समिति ने जांच का फैसला किया। कॉलेज ट्रस्टी पुरुषोत्तम पिपलिया ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों को बताया कि साइंस कॉलेज के प्रोफेसर संजय तरैया को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यौन उत्पीड़न विरोधी समिति द्वारा शिकायत में पर्याप्त सबूत पाए जाने और कॉलेज ट्रस्ट की जांच के बाद यह निर्णय लिया गया।
पिपलिया ने प्रोफेसर के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराने में छात्रों को हर संभव सहयोग देने का भी आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि अगर छात्राएं पुलिस में शिकायत नहीं करना चाहती हैं तो कॉलेज पहल करेगा और प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएगा।
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ के राजकोट प्रमुख बृजराजसिंह राणा ने आईएएनएस को बताया कि छात्रों ने तीन महीने पहले शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि छात्र संघ के हस्तक्षेप के बाद ही समिति ने जांच शुरू की थी। प्रोफेसर तरैया ने छात्राओं से यौन संबंध बनाने के लिए अच्छे अंक देने की बात की थी। (आईएएनएस)|
बिहार, 28 दिसंबर । बिहार सरकार के हवाई जहाज़ और हेलिकॉप्टर ख़रीदने के फ़ैसले पर राजनीति गर्म होती जा रही है.
बिहार सरकार ने 12 सीटों वाला जेट इंजन विमान और दस सीटों वाला एक हेलिकॉप्टर ख़रीदने का फ़ैसला किया है.
मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस फ़ैसले पर मुहर लगाई गई थी. सरकार के इस फ़ैसले पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.बीजेपी इसे चुनाव प्रचार करने के लिए सरकारी पैसे का दुरुपयोग बता रही है.
राज्य बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट किया है, “नीतीश कुमार 2005 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं. 17 साल के बाद उनको एहसास हुआ है कि बिहार सरकार को एक दस सीटों वाला जेट इंजन विमान ख़रीदना चाहिए. हम सभी जानते हैं कि वो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. वो इस विमान से सरकारी ख़र्च पर अपने सहयोगियों के साथ अलग अलग राज्यों का दौरा करेंगे और ख़ुद को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश करेंगे.”
इस आरोप पर जेडीयू नेता नीरज कुमार ने बीजेपी पर तीख़ा हमला बोला है. नीरज कुमार ने बीबीसी से कहा, “फिर तो ये प्रधानमंत्री जी पर भी लागू होती है. इसका मतलब है कि नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्रसंघ का अध्यक्ष बनना चाहते थे कि उन्होंने मंहगे हैलिकॉप्टर ,महंगा कार लिया. बीजेपी जब गठबंधन में हेलिकॉप्टर से उतर गई तो हर फ़ैसले का राजनीतिक मतलब ढूंढ रहे हैं. ये ओछी राजनीति है. अगर पीएम को ज़रूरत हो और केंद्र सरकार ख़रीदे तो ऐसे सवाल पर कोई राजनीति नहीं होती.”
नीरज कुमार के मुताबिक़ पुराने हेलिकॉप्टर की सेवाएं बीजेपी नेताओं ने भी ली है. नई ख़रीददारी की ज़रूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि पुराने वालों की स्पीड कम है, उसमें समय ज़्यादा लगता था और वो पुराने हो गए थे.
उन्होंने कहा, "नई ख़रीददारी पूरे पारदर्शी तरीके से की जा रही है. इससे पहले साल 2005 में राज्य सरकार ने विमान ख़रीदा था, जो कि टर्बो प्रॉप इंजन वाला विमान है और इसकी स्पीड 400 से 450 किलोमीटर प्रति घंटा है. जबकि सरकार ने इस बार जो विमान ख़रीदने का फ़ैसला किया है वह जेट इंजन विमान होगा और इसकी स्पीड 800 से 900 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी. बिहार सरकार ने इससे पहले 33 साल पहले कोई हेलिकॉप्टर ख़रीदा था." (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 28 दिसंबर | 44 अरब डॉलर में ट्विटर खरीदने के बाद, एलन मस्क ने बुधवार को कहा कि वह सबस्टैक हासिल करने के इच्छुक हैं जो स्वतंत्र लेखकों और पॉडकास्टरों को सीधे अपने दर्शकों को प्रकाशित करने और सदस्यता के माध्यम से भुगतान करने की सुविधा देता है। एक उपयोगकर्ता ने मस्क से पूछा था कि क्या वो सबस्टैक खरीदेंगे, मस्क ने जवाब दिया, 'मैं इस पर विचार करने के लिए तैयार हूं।'
उपयोगकर्ता ने पोस्ट किया, "ट्विटर प्लस सबस्टैक ऑब्सोलेट लिगेसी कॉरपोरेट मीडिया के लिए तुरंत बड़े पैमाने पर प्रतिस्पर्धा पैदा करता है।"
मस्क की प्रतिक्रिया 'ट्विटर फाइल्स' के विभिन्न संस्करणों पर मुख्यधारा और कॉरपोरेट मीडिया से प्रतिक्रिया देखने के बाद आई है, जिसे उन्होंने स्वतंत्र पत्रकारों के माध्यम से पेश किया है।
मस्क ने आगे पूछा, "कॉरपोरेट पत्रकारिता लोगों के हितों को ध्यान रखने के बजाय सरकार का बचाव क्यों कर रही है?"
ट्विटर के सीईओ लीटन वुडहाउस, एक फ्रीलांस रिपोर्टर और डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिन्होंने सबस्टैक पर पोस्ट किया था कि 'ट्विटर फाइलों पर प्रतिष्ठान पत्रकार सरकार को उजागर करने के बजाय उसकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'
सबस्टैक एक यूएस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो सब्सक्रिप्शन न्यूजलेटर्स का समर्थन करने के लिए प्रकाशन, भुगतान, एनालिटिक्स और डिजाइन इंफ्रास्ट्रक्च र प्रदान करता है।
यह लेखकों को डिजिटल न्यूजलेटर सीधे ग्राहकों को भेजने की अनुमति देता है।
सबस्टैक की स्थापना 2017 में किक मैसेंजर के सह-संस्थापक क्रिस बेस्ट, एक डेवलपर जयराज सेठी और एक पूर्व टेक रिपोर्टर हामिश मैकेंजी द्वारा की गई थी। (आईएएनएस)|
यशवंत राज
वाशिंगटन 28 दिसंबर | अमेरिका में भारतीय मूल के लोग अपने हिंदू धर्म की पहचान को मजबूती के साथ बरकरार रखना चाहते हैं। यह इस साल यानी 2022 में सबसे अधिक देखने को मिला है।
भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में यूएस कैपिटल में आयोजित एक कार्यक्रम को आयोजकों और उपस्थित लोगों ने जय श्री राम का जाप कर एक हिंदू धर्म के उत्सव में बदल दिया। यहां शराब नहीं परोसी गई थी।
एक अलग कार्यक्रम में न्यू जर्सी में भारतीय अमेरिकियों के एक अलग समूह ने एक परेड में बुलडोजर चलाया, जो भारत में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के प्रतीक के रूप में आजकल उभरा है।
इस पर मुसलमानों, अफ्रीकी अमेरिकियों और नागरिक अधिकार समूहों ने प्रतिक्रिया जारी की है। इन्होंने आयोजकों की जांच के लिए अमेरिकी अधिकारियों से कहा है, जिसमें ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी भी शामिल है।
ये हाल 2022 में भारतीय प्रवासियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति के साथ अन्य देशों में भी देखा गया।
सितंबर में यूके में लीसेस्टर की सड़कों पर जय श्री राम का जाप करते हुए भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिकों ने मार्च निकाला, जिससे ब्रिटिश अधिकारी और मीडिया बेहद चिंतित हो गए।
दूसरे देशों में रह रहे कुछ हिंदू-अमेरिकी दशकों से चुपचाप अपनी आस्था और सांस्कृतिक साज-सज्जा का प्रचार कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए, विश्व हिंदू परिषद अमेरिका की स्थापना 1970 में उन महान सार्वभौमिक और शाश्वत मूल्यों को बढ़ावा देने और अभ्यास करने के लिए की गई थी, जिन्हें भारत के संतों द्वारा खोजा और अभ्यास किया गया था।
लेकिन इस सब ने उदार हिंदुओं के मन में ठेस पहुंचाई है। उपस्थित लोगों में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, मैं अमेरिकी कांग्रेस के इस कार्यक्रम में हिंदू दावे के प्रदर्शन से स्तब्ध था।
उपस्थित लोगों ने जय श्री राम का नारा लगाते हुए समूहों में तस्वीरें खिंचवाईं। इस दौरान अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य पहुंचे, भारत के बारे में बात की और सहयोगियों के साथ चले गए। भारत माता की जय के नारे भी लगाए गए, जो भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर उपयुक्त हो सकते थे।
भारतीय अमेरिकियों के एक अन्य समूह ने 2022 में कैपिटल में दो कार्यक्रमों की मेजबानी की, जिसमें भारतीय अमेरिकी से नाम बदलकर हिंदू अमेरिकी के रूप में पहचान बनाने की इच्छा जताई। समुदाय लंबे समय से वकालत कर रहा है, लेकिन अब तक असफल रहा है।
एक कार्यक्रम की मेजबानी प्रमुख भारतीय अमेरिकियों के एक समूह ने की, जिन्होंने कहा कि वे भारत सरकार द्वारा यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कड़ी आलोचना करने से इनकार करने से निराश थे और, उन्होंने आगे तर्क दिया कि वे भारत सरकार की प्रतिक्रिया से पैदा हुए विपरीत असर को झेलना नहीं चाहते।
ये घटनाएं अमेरिकी राजनीति में एक राजनीतिक ताकत के रूप में भारतीय अमेरिकियों के बजाय हिंदू अमेरिकियों को पेश करने की इच्छा से भी प्रेरित थीं, जिसे अमेरिकी सांसदों को सीधे संदेश देने के लिए यूएस कैपिटल में मेजबानी के लिए आयोजकों द्वारा एक कारण के रूप में उद्धृत किया गया था।
अमेरिका में भारतीय प्रवासी कुछ समय से इस नाम परिवर्तन पर बहस कर रहे हैं, समुदाय के सदस्यों के बीच जो डेमोकेट्रिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों को वोट और समर्थन देते हैं।
भारत में जन्मे अप्रवासी अपने मूल देश के साथ एक मजबूत संबंध महसूस करते रहे, लेकिन भारतीय अमेरिकियों की दूसरी पीढ़ी अपनी विरासत के इस राजनीतिक हिस्से के प्रति कम प्रतिबद्ध महसूस करती है। उन्हें लगता है कि वे अमेरिकी हैं, अपने माता-पिता, रिश्तेदारों के विपरीत अमेरिका में पैदा और पले-बढ़े हैं।
डायस्पोरा में हिंदुओं के लिए हिंदू अमेरिकन नाम अधिक मायने रखता है। लेकिन यह कोई ऐसी बहस नहीं है जो जल्द सुलझ जाएगी। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 28 दिसंबर । इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म रद्द किए जाने के फ़ैसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान जारी किया है.
उन्होंने कहा कि सरकार पिछड़ों का हक़ दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी. वहीं, सपा ने भाजपा पर कोर्ट में कमज़ोर पैरवी करने का आरोप लगाया है.
अमर उजाला में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश सरकार नगरीय निकाय चुनाव के लिए आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी.
इसके बाद ही निकाय चुनाव सम्पन्न कराया जाएगा. यदि आवश्यक हुआ तो राज्य सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में तमाम क़ानूनी पहलुओं पर विचार करके सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर हमला बोला है.
उन्होंने कहा कि 'आज आरक्षण विरोधी भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है. आज भाजपा ने पिछड़ों के आरक्षण का हक़ छीना है. कल भाजपा बाबा साहब द्वारा दिए गये दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी. उन्होंने आरक्षण को बचाने की लड़ाई में पिछड़ों व दलितों से सपा का साथ देने की अपील की है.'
उन्होंने ये भी कहा है कि आरक्षण बचाने के लिए उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी.
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह फ़ैसला भाजपा की आरक्षण विरोधी मानसिकता को दिखाता है.
मायावती ने बयान दिया है कि यूपी में बहुप्रतीक्षित निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक अधिकार के तहत मिलने वाले आरक्षण को लेकर सरकार की कारगुजारी का संज्ञान लेने संबंधी माननीय हाईकोर्ट का फ़ैसला सही मायने में भाजपा व उनकी सरकार की ओबीसी एवं आरक्षण-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रकट करता है. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 28 दिसंबर | भाजपा ने कश्मीर समस्या के लिए जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार बताते हुए कहा है कि उनके कारण ही कश्मीर टूट गया और 1948 में कश्मीर का एक-तिहाई हिस्सा पाकिस्तान को चला गया। भाजपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कश्मीर समस्या के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार बताते हुए इससे जुड़े घटनाक्रम के वर्णन को तारीख अनुसार शेयर करते हुए लिखा, नेहरू कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले गए, जिसकी वजह से कश्मीर टूट गया।
भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आगे कहा कि कांग्रेस का असली चरित्र ही भारत को तोड़ने का रहा है। भाजपा ने कश्मीर समस्या से जुड़े एक पोस्टर को भी सोशल मीडिया पर शेयर किया जिसमें जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर के साथ यह लिखा गया है कि 22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कबायलियों ने जम्मू कश्मीर पर आक्रमण किया। संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद 31 दिसंबर, 1948 को संघर्ष विराम लागू हुआ जिसकी वजह से कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान के पास चला गया।
भाजपा ने कांग्रेस पर राजनीतिक हमला जारी रखते हुए कहा कि इनकी वजह से 1 जनवरी, 1949 को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर अस्तित्व में आया। कांग्रेस ने 17 अक्टूबर, 1949 को अनुच्छेद-370 को भारतीय संविधान का हिस्सा बना दिया। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 28 दिसंबर । केंद्र सरकार की कुल देनदारी सितंबर के अंत में बढ़कर 147.19 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है. इससे पहले जून क्वार्टर में यह 145.72 करोड़ रुपए थी. वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ दूसरी तिमाही में इसमें एक फ़ीसदी की वृद्धि हुई है.
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, सार्वजनिक क़र्ज़ प्रबंधन पर वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि इस साल सितंबर के अंत में सार्वजनिक क़र्ज़ कुल देनदारी का 89.1 फ़ीसदी रहा.
30 जून को समाप्त तिमाही में ये आंकड़ा 88.3 फ़ीसदी था. इसमें कहा गया है कि क़रीब 29.6 फ़ीसदी सरकारी प्रतिभूतियां पांच साल से कम अवधि में मैच्योर होने वाली हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने प्रतिभूतियों के ज़रिये 4,06,000 करोड़ रुपए जुटाए हैं. जबकि उधारी कार्यक्रम के तहत रक़म 4,22,000 करोड़ रुपए थी.
सरकार ने 92,371.15 करोड़ रुपए की री-पेमेंट की. 2022-23 की दूसरी तिमाही में भारांश औसत प्रतिफल बढ़कर 7.33 फ़ीसदी हो गया. ये पहली तिमाही में 7.23 फ़ीसदी था. (bbc.com/hindi)