राष्ट्रीय
लखनऊ, 6 नवंबर | उत्तर प्रदेश में पराली जलाने को लेकर 2,000 किसानों के खिलाफ 1,100 से अधिक एफआईआर दर्ज किए गए हैं। पराली जलाने को लेकर 24 घंटे के अंदर विभिन्न जिलों में करीब 144 प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस ने बलरामपुर में 15, बहराइच और कुशीनगर में आठ-आठ, अलीगढ़, बस्ती और हरदोई में सात-सात और रामपुर, शाहजहांपुर, सिद्धार्थनगर में छह लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
वहीं सहारनपुर में पराली जलाने को लेकर छह लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एच.सी. अवस्थी ने सभी जिला पुलिस प्रमुखों को वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं, जिसमें ग्राम समितियों और ग्राम प्रधानों को शामिल करके फसल जलने के खिलाफ जागरूकता फैलाने और फसल अवशेषों के उचित निपटान के लिए प्रेरित किया गया है।
राज्य के डीजीपी मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि ने डीजीपी को सूचित किया था कि बार-बार निर्देश के बावजूद पराली जलाने के मामलों में कमी नहीं आ रही है।
एडीजी, कानून और व्यवस्था, प्रशांत कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट स्थिति की निगरानी कर रहा है और जिला पुलिस प्रमुखों से कहा गया है कि वे पराली जलाने को रोकने के दिशानिदेशरें का पालन करें।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने की मांग की है और किसानों का उत्पीड़न नहीं रोकने पर आंदोलन की धमकी दी है।
इस बीच शाहजहांपुर में एक खेत में पराली जलने से बड़ी संख्या में मधुमक्खियों के जलने से मौत हो गई। एक मधुमक्खी किसान, धर्मेंद्र कुमार ने दावा किया कि उन्हें भारी नुकसान हुआ है और उन्होंने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है।
धर्मेंद्र ने पिपरौला गांव में मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण के लिए सौदा किया था। साल 2017 में उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 2.5 लाख रुपये का ऋण प्राप्त किया और 50 हाइव बॉक्स के साथ अपने व्यापार की शुरूआत की।
प्रत्येक हाइव बॉक्स की कीमत 4,500 रुपये है और प्रत्येक हाइव से लगभग 25 किलोग्राम शहद का उत्पादन होता है। शहद उत्पादन के अलावा, मधुमक्खियां फसल उत्पादन में परागणकों के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।(आईएएनएस)
कानपुर, 6 नवंबर| उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक रिटायर्ड सैनिक ने कथित रूप से अपने 80 वर्षीय पिता की गोली मारकर हत्या कर दी, जिन्होंने देर रात एक शो देखने के दौरान टीवी बंद करने से मना कर दिया था। पुलिस ने कहा कि प्रथम दृष्टया, प्रतीत हुआ कि अशोक कटिहार, सेवानिवृत्त सैनिक और उनके पिता लाला राम के बीच एक तीखी बहस हुई, क्योंकि वह टीवी बंद नहीं करना चाहते थे।
घटना गुरुवार रात नसीरपुर गांव में हुई।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अनूप कुमार ने कहा, "बहस के दौरान, अशोक ने उन्हें धक्का दिया और बाद में अपनी लाइसेंसी डबल बैरल बंदूक से गोली चला दी।"
प्रारंभिक जांच और घटनास्थल से पता चलता है कि अशोक ने अपने पिता लाला राम, जो कोई कार्यक्रम देख रहे थे, को टीवी बंद करने के लिए कहा था। जब उसके पिता ने इनकार कर दिया, तो बहस हुई और अशोक पिता को गोली मारकर फरार हो गया।
गंभीर रूप से घायल उसके पिता ने बाद में दम तोड़ दिया।
अशोक सेना से सेवानिवृत्त हुआ था और नसीरपुर गांव में बुजुर्ग माता-पिता सहित परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहता था।
पारिवारिक सूत्रों ने कहा कि अशोक शराबी था और अक्सर छोटी-छोटी बात पर लड़ने लगता था।
एएसपी ने कहा, "मामले में 302 सहित आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है, जो घटना के बाद से अपनी बंदूक के साथ फरार है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 नवंबर | भारत के 'चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ' जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को दावा किया कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और चीन के साथ युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। रावत ने कहा, "कुल मिलाकर सुरक्षा के लिहाज से सीमा पर टकराव, उल्लंघन, अकारण सामरिक सैन्य कार्रवाई--बड़े संघर्ष का संकेत है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता।"
शुक्रवार को चुशूल में भारत और चीन के बीच चल रही सैन्य वार्ता के बीच उनका यह बयान आया है। वह दिल्ली में नेशनल डिफेंस कॉलेज द्वारा आयोजित डायमंड जुबली वेबिनार, 2020 में बोल रहे थे।
हालांकि, रावत ने यह भी कहा कि भारत का रुख स्पष्ट है और वह "वास्तविक नियंत्रण रेखा में किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं करेगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को लद्दाख में अपने दुस्साहस के लिए अनिश्चित परिणाम का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि भारतीय बलों ने उनके हर कदम का करारा जवाब दिया है।
सुबह 9.30 बजे से दोनों देशों के बीच आठवें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता चल रही है।
भारत और चीन के बीच सात महीनों से एलएसी पर गतिरोध जारी है। कई वार्ताओं के बावजूद अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
इसके अलावा, रक्षा सहयोग के बारे में बोलते हुए, रावत ने कहा कि भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों के साथ आपसी विश्वास और साझेदारी बनाने में रक्षा कूटनीति का महत्व समझता है।
उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में, भारतीय रक्षा उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और समग्र रक्षा तैयारियों में योगदान देगा। जनरल रावत ने कहा, "उद्योग हमें पूरी तरह से भारत में निर्मित अत्याधुनिक हथियार और उपकरण उपलब्ध कराएगा।"
अधिकारी ने कहा कि जैसा कि भारत का दुनियाभर में कद बढ़ेगा, वैसी ही सुरक्षा चुनौतियां भी उसके लिए बढ़ेंगी।(आईएएनएस)
लखनऊ, 6 नवंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश को 'उद्यम प्रदेश' बनाने के लिए लगातार काम कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों की बड़े उद्योगपति खुले दिल से सराहना कर रहे हैं। बीते दिनों जर्मनी की फुटवियर कंपनी वॉन वेलेक्स ने चीन से अपना कारोबार समेट कर यूपी के आगरा में नई यूनिट शुरू की तो महिंद्रा ग्रुप के मुखिया प्रख्यात उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इसे बूंद-बूंद एकत्र होकर अच्छी बाढ़ के रूप में तब्दील होने का संकेत बताया। चीन से आगरा शिफ्ट हुई जर्मन जूता कम्पनी के समाचार को शेयर करते हुए महिंद्रा ने ट्विटर पर लिखा कि बकौल महिन्द्रा, जर्मन कम्पनी का चीन से आगरा आना, ताजे पानी की छोटी-छोटी बूंदों जैसा है। धीरे-धीरे ये बूंदे पतली धार का रूप लेगी और फिर एक तेज धार वाले विकास के रूप से होते हुए बाढ़ में परिवर्तित होंगी। निवेश और विकास की इस अच्छी बाढ़ को ऐसे ही आने देना चाहिए। इन्वेस्ट इंडिया इस काम में उत्प्रेरक हो सकता है। महिन्द्रा के इस ट्वीट पर देश-विदेश से तमाम लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
ज्ञात हो कि कोरोना वायरस महामारी के बीच जर्मनी की फुटवियर कंपनी वॉन वेलेक्स ने उत्तर प्रदेश के आगरा में अपनी जूता बनाने की दो यूनिट शुरू की हैं। अभी तक कुल 2000 लोगों को इस यूनिट में रोजगार मिला है। वॉन वेलेक्स कंपनी अभी यूपी की तीन परियोजनाओं में लगभग 300 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। कंपनी का दावा है कि इससे 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। जबकि यूनिट्स सालाना 50 लाख जोड़े जूते का उत्पादन करेंगी। इन यूनिट की स्थापना एक्सपोर्ट प्रमोशन इंडस्ट्रियल पार्क आगरा में भारत के इआट्रिक इंडस्ट्रीज ग्रुप के साथ साझेदारी में की गई है। इन दोनों यूनिट में कुल 2,000 रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं तथा 50 लाख जोड़ी जूतों की सलाना उत्पादन क्षमता है।
कोविड-19 के बाद के कालखंड में यूपी के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसमें मात्र पांच माह के अल्प समय में निवेश-प्रस्ताव क्रियान्वित होकर उत्पादन भी प्रारम्भ हो गया है।
वॉन वेलेक्स द्वारा 10,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में जेवर (यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) में दिसंबर 2020 तक एक नई उत्पादन इकाई स्थापित किए जाने की संभावना है, जबकि कोसी-कोटवान, मथुरा में 7.5 एकड़ में एक और विनिर्माण यूनिट प्रस्तावित है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निवेश फ्रेंडली नीतियों के चलते राज्य और संघ शासित प्रदेशों की 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' (ईओडीबी) रैंकिंग में इस बार उप्र ने लंबी छलांग लगाई है। वह रैंकिंग में 10 पायदान उछलकर दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। इस रैंकिंग में यूपी अब केवल आंध्र प्रदेश से पीछे है।
निवाड़ी (मध्य प्रदेश), 6 नवंबर| मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में बोरवेल के गडढे में गिरे चार साल के प्रह्लाद को सुरक्षित निकालने के लिए बीते 48 घ्ांटे से चल रहा राहत और बचाव अभियान अंतिम चरण में है। लगभग 60 फुट तक खुदाई कर ली गई है और बच्चे के करीब तक पहुंचने के लिए सुरंग बनाई जा रही है। निवाड़ी जिले के सेतपुरा गांव में हरिकिशन का चार साल का बेटा प्रह्लाद बुधवार की सुबह खेत में खोदे गए बोरवेल में गिर गया था, उसके बाद से ही बच्चे को सुरक्षित निकालने के लिए राहत और बचाव अभियान चलाया जा रहा है। दो सौ फुट खोदे गए बोरवेल के गडढे में लगभग 60 फुट की गहराई पर बच्चे के फंसे होने की संभावना है। सेना और अन्य राहत व बचाव दल ने समानांतर गड्ढा खोद लिया है और साथ ही सुरंग बनाई जा रही है ताकि बच्चे के करीब तक पहुंचा जा सके। इसके लिए रेलवे की मशीनों की मदद ली जा रही है।
बच्चा जिस गडढे में गिरा है उसमें लगातार ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। वहीं कैमरे के जरिए उसकी हर हरकत पर नजर रखी जा रही है। बीते लगभग 36 घंटे से बच्चा किसी भी तरह की हरकत करते नजर नहीं आया है। अनुमान है कि बच्चे तक राहत और बचाव दल के लोग किसी भी समय पहुंच सकते हैं।
एक तरफ राहत और बचाव कार्य चल रहा है वहीं लोग मंदिरों में पूजा पाठ भी कर रहे हैं, हर तरफ यही कामना की जा रही है कि बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया जाए। (आईएएनएस)
लखनऊ , 6 नवंबर | उत्तर प्रदेश की राजधानी में एक बार फिर नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) के विरोध में हिंसक प्रदर्शन में शामिल लोगों के पोस्टर पुलिस ने चस्पा किये हैं। हिंसा में शामिल लोगों की पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और फोटो के माध्यम से पहचान हुई है। मुकदमा भी दर्ज किया गया था। पुलिस द्वारा राजधानी लखनऊ के थानों और सार्वजनिक स्थलों पर इन प्रदर्शनकारियों की तस्वीर वाले पोस्टर लगाए गये हैं। इन पोस्टर पर प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों के साथ उनका पता भी लिखा गया है। इसके अलावा पोस्टर पर लिखा गया है कि इन प्रदर्शनकारियों की जानकारी देने वाले को 5 हजार नकद इनाम दिया जाएगा।
हिंसा भड़काने के आरोपी पुलिस की सख्ती व कुर्की के आदेश के बाद कोर्ट में आत्मसमर्पण की फिराक में हैं। वहीं, पुलिस इन्हें हर हालात में गिरफ्तार करने की तैयारी कर चुकी है। इसके लिए कोर्ट से लेकर इनके करीबियों पर 24 घंटे नजर बनाए हुए है। पोस्टर पर पुलिस अधिकारियों के नंबर भी हैं, जिनपर इसकी जानकारी दी जा सकती है।
सहायक पुलिस आयुक्त आई.पी सिंह ने बताया कि हिंसा में शामिल 8 लोगों के पोस्टर लगाए गये हैं। तीन लोगों ने सरेंडर किया है। जो फरार हैं उन पर 5 हजार रूपये का इनाम भी घोषित है।
ज्ञात हो कि 2019 में अफगानिस्तान, पाकिस्तान व बांग्लादेश में प्रताड़ित हिंदुओं को भारत में नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून बनाया था। इसके बाद देशभर में हिंसक घटनाएं हुईं। राजधानी लखनऊ भी इससे अछूता नहीं रहा। यहां 19 दिसंबर 2019 को चार थाना क्षेत्रों में सीसीए-एनआरसी के विरोध में उग्र प्रदर्शन किया गया। विरोध की आड़ में उपद्रवियों ने पुलिस पर हमला बोल दिया था। पथराव और गोलीबारी में कई लोग घायल हो गए थे। परिवर्तन चौक पर पुलिस की गाड़ियों में आग तक लगा दी गई थी। वहीं, हुसैनाबाद पुलिस चौकी में भी उपद्रवियों ने आगजनी की थी। इस मामले में हजरतगंज, कैसरबाग, ठाकुरगंज, हसनगंज व चौक थाने में दर्जनों एफआईआर दर्ज की गई थीं।(आईएएनएस)
बाराबंकी, 6 नवंबर| उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक दर्दनाक वाकया सामने आया है, जहां एक पिता ने तांत्रिक के बहकावे में आकर अपनी 10 वर्षीय बेटी को पीट पीट कर मार डाला और फिर उसके शव को घर में ही दफना दिया। यह घटना बुधवार को बाराबंकी के खुर्द मऊ गांव में हुई।
रिपोर्टों के अनुसार, एक तांत्रिक ने आरोपी को बताया कि उसके घर के नीचे खजाना दफन है और खजाना किस जगह है इसका पता लगाने के लिए, उसे अपनी बेटी पर एक अनुष्ठान करना होगा। जब लड़की की मां ने अपने पति को रोकने की कोशिश की, तो उसने उसके साथ भी मारपीट की।
मृतका की नानी ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद दोनों आरोपियों को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस द्वारा शव को गड्ढे से बाहर निकाला गया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। पोस्टमार्टम के दौरान लड़की के शरीर पर चोट के कई निशान पाए गए।
बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक अरविंद चतुर्वेदी ने कहा, "आलम नामक एक शख्स ने अपनी बेटी को पीटा और बुरी तरह पिटाई के कारण लड़की की मौत हो गई। उसने बाद में पुलिस को सूचित किए बिना शव को दफन कर दिया।"
चतुर्वेदी ने कहा, "मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने शव को बरामद किया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। आगे की जांच जारी है और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।" (आईएएनएस)
व्हाट्सऐप में जल्द ही आपको "डिसैपीयरिंग मैसेज" का नया विकल्प मिलेगा, जो मैसेज भेजने वाले और मैसेज प्राप्त करने वाले के बीच हुई चैट को सात दिन बाद ख़ुद-ब-ख़ुद ही ग़ायब कर देगा.
मतलब अगर आपने इस विकल्प को एनेबल किया तो सात दिन पुराने मैसेज अपने आप हटते जाएंगे.
फ़ेसबुक के स्वामित्व वाले इस ऐप के दुनिया भर में दो अरब यूज़र हैं. व्हाट्सऐप का कहना है कि इस नई सेटिंग से चैट को प्राइवेट रखने में मदद मिलेगी.
हालाँकि व्हाट्सऐप ने ये भी कहा कि अगर मैसेज प्राप्त करने वाला किसी मैसेज, फ़ोटो या वीडियो को सात दिन बाद भी अपने पास रखना चाहता है तो वो पहले ही उसका स्क्रीनशॉट लेकर रख सकता है या उसे फ़ॉरवर्ड कर सकता है.
यानी आपने तो डिसैपीयरिंग मैसेज का विकल्प चुन लिया, लेकिन सामने वाला फिर भी मैसेज को कहीं और सेव करके रख सकता है.
"डिसैपीयरिंग मैसेज" का विकल्प इस साल नवंबर के अंत तक दिखने लगेगा.
एक ब्लॉग में कंपनी ने कहा कि मैसेज सात दिन में एक्सपायर होने का विकल्प मिलने से "दिमाग़ की शांति मिलेगी कि आपकी कोई बातचीत परमानेंट नहीं है. साथ ही आप प्रैक्टिकल भी रहेंगे ताकि आप ये भूल ना जाएं कि आप किस बारे में चैट कर रहे थे."
फ़ेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग ने अप्रैल 2019 में यूज़र्स को अधिक गोपनीयता प्रदान करने के लिए सोशल नेटवर्क में कई बदलाव करने का वादा किया.
उनके प्रस्तावित बदलावों में ऐसे ऑप्शन पेश करना शामिल था जिसके ज़रिए सामग्री बहुत कम वक़्त तक सोशल नेटवर्क पर रहे. डिसैपीयरिंग मैसेज का विकल्प इसी का हिस्सा है.
कंपनी अपने मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक मैसेंजर को साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है ताकि इनमें से किसी भी एक प्लेटफॉर्म से दूसरे पर सामग्री साझा की जा सके. यानी आप अपने व्हाट्सऐप से किसी को उसके फ़ेसबुक या इंस्टाग्राम पर भी मैसेज कर पाएंगे.
व्हाट्सऐप के प्रतिद्वंद्वी मैसेजिंग ऐप स्नैपचैट में "डिसैपीयरिंग मैसेज" का विकल्प पहले से मौजूद है.(bbc)
महाराष्ट्र की रायगढ़ पुलिस ने बुधवार सुबह अर्नब गोस्वामी और दो अन्य लोगों को 52 वर्षीय इंटीरियर डिज़ाइनर अन्वय नाइक को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ़्तार किया गया था.
उन पर आईपीसी की धारा 306 के साथ धारा 34 भी लगाई गई है.
अर्नब को मुंबई से गिरफ़्तार किया गया था और बाद में उन्हें रायगढ़ ज़िले के अलीबाग़ ले जाया गया. दोपहर एक बजे उन्हें अलीबाग़ के ज़िला न्यायालय में पेश किया गया.
अदालत ने छह घंटे की सुनवाई के बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का फ़ैसला सुनाया.
लेकिन अर्नब को जिस क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया, उस पर सोशल मीडिया पर बहस चल रही है.
कई केंद्रीय मंत्री इसे इमरजेंसी कह रहे हैं, कई लोग इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी के ख़िलाफ़ कह रहे हैं, तो कई लोग इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बता रहे हैं. कई लोग लिख रहे हैं कि बंद पड़े केस को दोबारा राजनीतिक बदले की भावना से खोला गया है.
लेकिन एक तबक़ा ऐसा भी है, जो ये कहता है कि मामला आत्महत्या के लिए उकसाने का है, जिसे प्रेस की आज़ादी या अभिव्यक्ति की आज़ादी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
इसलिए ये समझना ज़रूरी है कि आईपीसी की धारा 306 क्या है, जिसके तहत अर्नब गोस्वामी को गिरफ़्तार किया गया है.(bbc)
चंडीगढ़, 6 नवंबर | हिमाचल प्रदेश सरकार का अनुकरण करते हुए, हरियाणा सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में एक विधेयक पारित किया, जो राज्य से संबंधित लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत कोटा प्रदान करता है। यह विधेयक राज्य में स्थित निजी कंपनियों, सोसायटी, ट्रस्टों और साझेदारी फर्मों को 75 प्रतिशत कोटा का पालन करने में सक्षम बनाता है, जो कि जननायक जनता पार्टी (जजपा) की मुख्य मांग थी, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार की सहयोगी पार्टी है।
हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक, 2020 में निजी क्षेत्र की ऐसी नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है, जिनमें वेतन प्रति माह 50,000 रुपये से कम है।
इस विधेयक को उप मुख्यमंत्री और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने दो दिवसीय सत्र के पहले दिन विधानसभा में पेश किया।
प्रदेश सरकार में गठबंधन सहयोगी जजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 नवंबर | केंद्र सरकार ने गुरुवार को विदेश से भारत आने वालों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 को देखते हुए विदेशों से आने वाले लोगों के लिए नए दिशानिर्देशों में कहा है कि सभी यात्रियों को निर्धारित यात्रा से कम से कम 72 घंटे पहले संबंधित स्वास्थ्य काउंटर पर पहुंचना होगा या ऑनलाइन पोर्टल पर स्व-घोषणा पत्र देना होगा।
उन्हें संबंधित विमानन कंपनियों के माध्यम से एक स्व-घोषणा पत्र देना होगा, ताकि उन्हें यात्रा करने की अनुमति मिल सके। वे 14 दिनों के लिए अपने घर पर अलग रहकर या स्वयं की निगरानी के लिए सरकारी निर्देशों का पालन करेंगे।
आरटी-पीसीआर जांच में नेगेटिव रिपोर्ट के बिना विदेशों से आने वाले यात्री और होम क्वारंटीन से छूट लेने के इच्छुक यात्री हवाईअड्डों पर भी आरटी-पीसीआर जांच करा सकते हैं। आरटी-पीसीआर जांच नेगेटिव रिपोर्ट के बिना आने वाले और हवाईअड्डे पर आरटी-पीसीआर जांच का विकल्प नहीं लेने वाले विदेशों से आए यात्रियों को आवश्यक रूप से सात दिनों के संस्थागत क्वारंटीन और सात दिवसीय होम क्वारंटीन का पालन करना होगा।
दिशानिदेशरें में कहा गया है कि 10 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं, परिवार में किसी की मृत्यु, माता-पिता की गंभीर बीमारी जैसे कारणों के लिए घर में ही एकांतवास (होम क्वारंटीन) की अनुमति दी जा सकती है। नेगेटिव आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट देने के साथ ही यात्री होम क्वांरटीन की छूट ले सकते हैं। यह जांच यात्रा शुरू करने से पूर्व 72 घंटे पहले की जानी चाहिए।
विदेशों से आने वाले यात्रियों की जांच में कोरोना संक्रमण के लक्षण पाए जाने पर उन यात्रियों को शीघ्र ही स्वास्थ्य मानकों के अनुसार चिकित्सा सुविधा दी जाएगी।(आईएएनएस)
अमरावती, 6 नवंबर | आंध्र प्रदेश में 829 सरकारी शिक्षकों और 575 छात्रों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। अधिकांश शिक्षकों ने स्कूल फिर से खुलने से पहले ही परीक्षण कराया था। स्कूल शिक्षा आयुक्त वदरेवु चिन्ना वीरभद्रुडु ने कहा, "स्कूलों के खुलने से पहले अधिकांश ही शिक्षकों ने परीक्षण कराया था और इनके परिणाम स्कूलों के फिर से खुलने के बाद सामने आए हैं।"
शिक्षकों और छात्रों के कोरोना पॉजिटिव स्थिति संबंधी आंकड़े गुरुवार को दोपहर तीन बजे संकलित किए गए हैं। राज्य के कुल 70,790 शिक्षकों में से संक्रमित शिक्षक 1.17 प्रतिशत हैं।
इसी तरह कुल 95,763 छात्रों में से संक्रमित छात्रों की संख्या 0.6 प्रतिशत है।
सोमवार को नौवीं और दसवीं कक्षा के छात्रों के लिए स्कूलों को फिर से खोला गया था और इसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ अफवाहें चल रही थी कि जिनमें का दावा किया गया जा रहा था कि जैसे ही स्कूल खुल हैं, वैसे ही विद्यार्थियों और शिक्षकों में कोरोना संक्रमण बड़ी तेजी से फैल रहा है। हालांकि स्कूल शिक्षा आयुक्त ने कहा कि यह वास्तविकता नहीं है।
उन्होंने कहा, "व्हाट्सएप पर कुछ संदेश चल रहे हैं, जिसमें बताया गया है कि स्कूलों के फिर से खुलने के बाद कोरोनावायरस संक्रमण में बढ़ोतरी हुई है। यह वास्तविक नहीं है।"
उन्होंने कहा कि स्कूल पूरी सावधानी के साथ सुरक्षित वातावरण में चल रहे हैं, क्योंकि जिलों में स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग सतर्क हैं।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में शिक्षण गतिविधि को जारी रखने को लेकर छात्रों और शिक्षकों के बीच उत्साहजनक और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 नवंबर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गुरुवार को पटाखों पर रोक वाली याचिका पर नौ नवंबर तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है। एनजीटी ने 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले को प्रदूषण के संकट और कोविड-19 महामारी की दोहरी मार के बीच सुरक्षित रखा है। इस सप्ताह की शुरुआत में एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली पुलिस आयुक्त और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से सात से 30 नवंबर तक पटाखे प्रतिबंधित किए जाने को लेकर जवाब मांगा था।
बुधवार को ट्रिब्यूनल ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से परे पटाखों के उपयोग से प्रदूषण के मामलों की सुनवाई के दौरान अपने दायरे का विस्तार किया और 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए, जहां हवा की गुणवत्ता मानदंडों से परे है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेनानिवृत्त) आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पटाखों के इस्तेमाल से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई करने की विभिन्न दलीलों पर सुनवाई की।
इस पीठ में न्यायिक सदस्य एस.के. सिंह, और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. नागिन नंदा और एस. एस. गरब्याल भी शामिल रहे। सुनवाई में ऐसे समय के दौरान, जब हवा पहले से ही अपेक्षाकृत प्रदूषित होती है, उस वक्त पटाखों के इस्तेमाल से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई करने की विभिन्न दलीलें रखी गईं।
एनजीटी ने बुधवार को 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऐसे 122 शहरों की ओर इशारा करते हुए, जिनमें लगातार खराब वायु गुणवत्ता रही है, कहा था कि इस अवधि के दौरान पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की दिशा पर विचार करना पड़ सकता है।
इन शहरों में दिल्ली, वाराणसी, भोपाल, कोलकाता, नोएडा, मुजफ्फरपुर, मुंबई, जम्मू, लुधियाना, पटियाला, गाजियाबाद, वाराणसी, कोलकाता, पटना, गया, चंडीगढ़ आदि शामिल हैं। (आईएएनएस)
रांची, 5 नवंबर | रांची के अपर बाजार इलाके में शिवलिंग तोड़े जाने की घटना के बाद गुरुवार को लोगों ने प्रदर्शन किया। गुरुवार सुबह अपर बाजार के रंगरेज गली में एक शिव मंदिर में शिवलिंग को टूटा हुआ पाया गया। जैसे ही यह खबर फैली, दुकानदारों ने अपनी दुकानों को बंद कर दिया और आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शन किया।
रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुरेंद्र झा और अन्य पुलिस अधिकारी लोगों को शांत कराने घटनास्थल पर पहुंचे। यहां के अपर बाजार क्षेत्र में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की गई है।
पुलिस के अनुसार, स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, लेकिन नियंत्रण में है।
विपक्षी पार्टियों ने घटना की निंदा की है और आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
--आईएएनएस
मुंबई, 5 नवंबर | बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने कोरोनाकाल में वर्चुअल वल्र्ड को फलते-फूलते देखा है। बिग बी ने अपने आधिकारिक ब्लॉग में करवाचौथ के संदर्भ में लिखा है, "महामारी के समय में ही आभासी दुनिया का प्रचार-प्रसार हुआ है। प्रियजनों के दूर रहने के बावजूद महिलाएं दुल्हन की तरह से सज-धजकर पारंपरिक पूजा-अर्चना के बाद फेसटाइम की मदद से अपने चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ रही हैं, लोग एक-दूसरे को खाना खिला रहे हैं।"
उन्होंने आगे लिखा, "यह देश इस तरह की भावनाओं व संस्कृति से समृद्ध है। यहां हजारों साल पुरानी पंरपराएं आज भी जीवित हैं। ये जिस तरीके से बनाए गए हैं, जिस तरह से सालों साल चले आ रहे हैं, किस भक्ति में लोग आज भी इन्हें मना रहे हैं, इनका पालन कर रहे हैं और इनकी हमेशा रहने वाली उपस्थिति। लेकिन वक्त के साथ प्रेम, स्नेह को जाहिर करने का नया तरीका कई तरह के इमोजी हैं, हालांकि असली के जो भाव हैं, उनकी जगह ये कभी नहीं ले सकते हैं।"
--आईएएनएस
दीपावली पर्व के दौरान पटाखे जलने से न सिर्फ वायु प्रदूषण में इजाफा हो सकता है बल्कि प्रदूषित शहरों में कोविड-19 महामारी का प्रकोप और भी अधिक बढ़ सकता है। उड़ीसा और राजस्थान ने इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने राज्य में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दिया है। वहीं, अंदेशे को भांपते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पूर्व में पहचाने जा चुके 122 प्रदूषित शहरों के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्या आपने भी कोई ऐसा आदेश जारी किया है। राज्यों की ओर से मिले जवाब के बाद 05 नवंबर, 2020 को एनजीटी ने फिलहाल इस मामले पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
एनजीटी ने स्वतः संज्ञान मामले में निर्णय सुरक्षित करते हुए कहा है कि देश भर के 122 प्रदूषित शहरों में पटाखों की बिक्री और वायु प्रदूषण की स्थिति को लेकर आदेश 09 नवंबर, 2020 को सुनाया जाएगा।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को ध्यान में रखते हुए पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा कि इन सभी याचिकाओं में एक ही सवाल उठाया गया है। कोविड-19 की महामारी के दौरान पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने के उपाय की मांग सभी याचिकाओं में की गई है। ऐसे में यह गौर किया गया है कि 03 नवंबर, 2020 को उड़ीसा और राजस्थान ने पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए आदेश जारी किए हैं। इसलिए जरूरी है कि अन्य राज्य भी ऐसे उपायों के बारे में अदालत को बताएं।
वहीं, एनजीटी ने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को इस मामले में पहले ही नोटिस दिया था।
बुधवार को सुनवाई करते हुए 122 प्रदूषित शहरों को लेकर एनजीटी ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि उड़ीसा और राजस्थान की तर्ज पर 122 प्रदूषित शहरों में सीपीसीबी के जरिए रिकॉर्ड की जाने वाली वायु गुणवत्ता सामान्य तौर पर अपने मानकों से अधिक है। ऐसे में जरूरत है कि पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध का दायरा एनसीआर से बाहर के इन प्रदूषित शहरों पर भी लागू होना चाहिए।
याचिकाकर्ता चिराग जैन ने कोविड महामारी में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग करते हुए पक्ष में कई ऐसे अध्ययनों का हवाला दिया है जिससे वायु प्रदूषण और कोविड-19 के गठजोड़ से होने वाली मौतों का जिक्र किया गया है। एनजीटी ने इन दलीलों पर भी गौर किया है। मसलन याचिका में कहा गया है :
वायु प्रदूषण के बढ़ने से कोविड-19 और ज्यादा घातक हो सकता है। वहीं, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने गठित एक्सपर्ट पैनल के आधार पर अपने बयान में यह संकेत दिया था कि दिल्ली में कोविड-19 के मामलों की संख्या 15 हजार प्रतिदिन तक पहुंच सकती है। क्योंकि न सिर्फ दीपावली का पर्व है जिसमें पटाखे दगाए और जलाए जाते हैं बल्कि सर्दियों में यहां का वायु प्रदूषण भी बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। वहीं एम्स ने भी ऐसी ही एक एडवाइजरी जारी की है। इसके अलावा हावर्ड टीेएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की ओर से किए गए अध्ययन में भी यह सामने आया है कि ऐसी जगहें जहां ज्यादा वायु प्रदूषण है वहां पर कोविड की मौतें ज्यादा हो सकती हैं। (downtoerth)
(DW)
दिल्ली और मुंबई में पत्रकारों के साथ कुछ हो तो हंगामा मच जाता है. लेकिन पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में पत्रकारों को माफिया और सरकार दोनों के दबाव में काम करना पड़ता है. सरकारी दबाव के लिए हर कानून का सहारा लिया जाता है.
अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पूरे देश में सुर्खियां बटोर रही है. गैर-पत्रकारीय वजह से की गई उनकी गिरफ्तारी के विरोध में केंद्र के तमाम मंत्रियों और बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने ट्वीट किए हैं और इसे लोकतंत्र की हत्या तक करार दिया है. लेकिन दूसरी ओर, पूर्वोत्तर में पत्रकारों के उत्पीड़न के मामले सामने ही नहीं आ पाते. यह दिलचस्प है कि ऐसे ज्यादातर मामले उन मणिपुर व त्रिपुरा जैसे उन राज्यों से सामने आ रहे हैं जहां बीजेपी की ही सरकार है. मणिपुर में सोशल मीडिया पोस्ट के लिए कई पत्रकारों की गिरफ्तारी हो चुकी है. पड़ोसी त्रिपुरा में भी गिरफ्तारी के साथ हत्याएं तक हो चुकी हैं.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अर्णब की गिरफ्तारी की तो निंदा की है, लेकिन अपने राज्य में होने वाली ऐसी घटनाओं पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है. दिलचस्प बात यह है कि बीरेन सिंह को भी वर्ष 2000 में उनके एक लेख पर देशद्रोही बताते हुए गिरफ्तार किया गया था. अप्रैल 2000 में उनके अखबार नहारोलगी थौदांग पर छापा मारा गया था और तब सरकार ने उसे उग्रवादियों का समर्थक अखबार घोषित किया था. इससे साफ है कि इलाके में उत्पीड़न का इतिहास नया नहीं है.
फेसबुक पोस्ट के चलते जेल में
मणिपुर के एक टीवी पत्रकार किशोर चंद्रा वांगखेम को फेसबुक की एक पोस्ट के चलते 29 सितंबर को ही गिरफ्तार किया गया था. लेकिन उनको अब तक जमानत तक नहीं मिली है और वे इंफाल के सेंट्रल जेल में हैं. किशोर को एक हाई प्रोफाइल बीजेपी नेता की पत्नी की सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट पर टिप्पणी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी दो समुदायों के बीच दुश्मनी भड़काने के आरोप में की गई थी. भाजपा नेता की पत्नी राज्य के एक अलग मणिपुरी जनजाति मारम समुदाय से आती हैं.
किशोर चंद्रा की पत्नी रंजीता एलेनबाम कहती हैं, "बीजेपी नेता की पत्नी के कथित पोस्ट पर आंखें मूंदने वाली पुलिस ने किशोर के पोस्ट पर सक्रियता दिखाते हुए फौरन उनको गिरफ्तार कर लिया. यह गिरफ्तारी राजनीतिक दबाव में की गई है.” रंजीता ने अब हाईकोर्ट में अपील करने का फैसला किया है.
इससे पहले किशोर चंद्रा को मुख्यमंत्री के खिलाफ टिप्पणी के लिए राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि रानी लक्ष्मीबाई का मणिपुर से कोई लेना-देना नहीं था. उन्होंने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की आलोचना करते हुए उनको केंद्र की कठपुतली करार दिया था. वांगखेम ने मुख्यमंत्री से पूछा था कि क्या झांसी की रानी ने मणिपुर के उत्थान में कोई भूमिका निभाई थी? उस समय तो मणिपुर भारत का हिस्सा भी नहीं था.
वांगखेम का कहना था कि वे मुख्यमंत्री महोदय को यह याद दिलाना चाहते हैं कि रानी का मणिपुर से कोई लेनादेना नहीं था. अगर आप उनकी जयंती मना रहे हैं, तो आप केंद्र के निर्देश पर ऐसा कर रहे हैं. इसके बाद उनको देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उनको लगभग छह महीने जेल में रहना पड़ा और मणिपुर हाईकोर्ट के निर्दश के बाद वे अप्रैल, 2019 में जेल से रिहा हुए.
पत्रकार संगठन में मतभेद
शुरुआती दौर में तो स्थानीय पत्रकार यूनियन ने वांगखेम की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री से उनको शीघ्र रिहा करने की मांग उठाई थी. लेकिन ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन में अब इस मसले पर एक किस्म का विभाजन दिखाई दे रहा है. ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष ब्रजेंद्र निंगोंबा ने एक बयान में कहा है कि वांगखेम ने यूनियन के उस संकल्प का उल्लंघन किया है जिसमें कहा गया था कि यूनियन के सभी सदस्य निजी हैसियत से सोशल मीडिया पर अपनी उन तमाम गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होंगे जिनका उनके पेशे से कोई संबंध नहीं है. दूसरी ओर, वांगखेम ने ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन पर बिके होने का आरोप लगाया है. वांगखेम ने कहा है कि गिरफ्तारी पर ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की चुप्पी से उनको कोई हैरानी नहीं है. इनको राज्य सरकार ने खरीद रखा है.
पूर्वोत्तर में पत्रकारों के उत्पीड़न का यह पहला या आखिरी मामला नहीं है. इससे पहले मिजोरम में एक नेशनल चैनल की पत्रकार एम्मी सी. लाबेई की भी पुलिस ने पिटाई की थी. वे असम-मिजोरम सीमा विवाद के दौरान हुई हिंसक झड़प की कवरेज के लिए मौके पर गई थीं. इसी तरह हाल में मेघालय स्थित शिलांग टाइम्स की संपादक पैट्रिशिया मुखिम पर भी हमला हो चुका है. वर्ष 2012 में अरुणाचल टाइम्स की संपादक टोंगम रीना के पेट में गोली मार दी गई थी, लेकिन वे बच गईं थीं. असम में वर्ष 1987 से 2018 के बीच कम से कम 32 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है.
धमकियों के बीच पत्रकारिता
त्रिपुरा में टीवी पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या ने तो पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थीं. लेकिन वह चुनाव का समय था. इसलिए इस मामले को सुर्खियां मिलीं. उसके बाद राज्य में सुदीप दत्त भौमिक नामक एक अन्य पत्रकार की भी हत्या कर दी गई. वहां बीते सितंबर में कोरोना के आंकड़ों के बारे में छापने पर मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने पत्रकारों को सरेआम धमकी दी थी. उसके बाद कई पत्रकारों पर हमले किए गए थे. लेकिन किसी भी अभियुक्त के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
मणिपुर के वरिष्ठ पत्रकार पाओजेल चाओबा कहते हैं, "हमारा काम ही सरकार के कामकाज पर सवाल उठाना और सच को सामने लाना है. लेकिन ऐसा कहना-सुनना आसान है, करना बेहद मुश्किल. खासकर पूर्वोत्तर में पत्रकारों को बेहद सावधानी से काम करना पड़ता है. पता नहीं किस बात पर सरकार देशद्रोह के आरोप में जेल में डाल दे.”
KBC 12 : यह शो इन दिनों अपने सवालों को लेकर जमकर सुर्खियों में हैं। शो में अमिताभ बच्चन द्वारा नए-नए सवाल हाॅट सीट पर बैठे प्रतिभागियों से पूछते हैं। सभी कंटेस्टेंट अपने ज्ञान के दम पर इन सवालों का जवाब देते हुए नजर आते हैं। शो में कई ऐसे भी प्रतिभागी पहुंचते हैं जो तुक्का एवं भाग्य के दम पर भी सवालों का उत्तर देने का प्रयास करते हैं। किसी का लक सटीक बैठ जाता है तो कईयों का नही।
अब KBC शो का सोनी टीवी द्वारा एक प्रोमो वीडियो जारी किया गया है। जिसमें नाजिया नसीम नाम की कंटेस्टेंट अमिताभ बच्चन के सामने हाॅट सीट पर बैठी हुई नजर आती हैं। अमिताभ बच्चन उनसे 15वां सवाल एक करोड़ रूपए के लिए पूछते हैं। जिसका वह सही जवाब दे देती हैं। जिस पर अमिताभ बच्चन कहते है कि बधाई हो अपने एक करोड़ रूपए जीत लिया हैं। कुल मिलाकर केबीसी सीजन 12 को पहली करोड़पति नाजिया नसीम (Nazia Nasim) के रूप में मिल जाती हैं।
7 करोड़ के सवाल पर अटकी सांसे
सोनी टीवी द्वारा जारी किए गए प्रोमो वीडियो में नजिया नसीम एक करोड़ का सवाल देते हुए इस सीजन की पहली करोड़पति तो बन जाती हैं। लेकिन आगे अमिताभ बच्चन उनसे 7 करोड़ के लिए 16वां सवाल पूछते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नाजिया 7 करोड़ के सवाल का जवाब दे पाती हैं।(rewariyasat)
सिलचर/आइजॉल, 5 नवंबर | सुरक्षाकर्मियों ने दक्षिणी असम और इसके पड़ोसी राज्य मिजोरम से बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद किए हैं, जिसकी कीमत 16.50 करोड़ रुपये है। सुरक्षाकर्मियों ने इस सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है। करीमगंज जिले के एक अधिकारी ने कहा कि खुफिया सूचना के आधार पर पुलिस ने बुधवार रात एक वाहन को रोका और उसमें से 10 करोड़ रुपये की कीमत के 1.130 किलोग्राम ब्राउन सुगर जब्त किया।
उन्होंने कहा, "ड्रग्स को 32 पैकेटों में रखा गया था।"
पुलिस अधिकारी ने कहा, "वाहन के चालक सब्बीर अहमद ने बताया कि वह दीमापूर(नागालैंड) से यह ड्रग्स त्रिपुरा ले जा रहा था और फिर वहां से इसे बांग्लादेश तस्करी के जरिए भेजा जाना था।"
पुलिस ने वाहन को जब्त कर लिया है और करीमगंज जिले में पत्थरकंडी निवासी अहमद(29) को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस इस संबंध में एक और ड्रग पैडलर की तलाश कर रही है।
वहीं असम राइफल्स ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि बुधवार को खुफिया सूचना के आधार पर अर्धसैनिक बल के जवानों ने पूर्वी मिजोरम के चंपाई जिले के दो युवकों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से 6.50 करोड़ रुपये के 1,30,000 मेटाफेटामाइन टैबलेट जब्त किए गए हैं।
अभियान के दौरान आबकारी और नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी असम राइफल्स के जवानों के साथ थे।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 5 नवंबर | कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को मधेपुरा में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अमीरों के लिए सरकार चलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन दोनों ने अरबपतियों को आजादी दे दी और किसानों तथा गरीबों को गुलाम बनाया। उन्होंने समाजवादी नेता शरद यादव को राजनीति का गुरु बताते हुए बहन सुभषिनी यादव को बिहारीगंज से जीताने की अपील की।
मधेपुरा के बिहारीगंज में एक विशाल चुनावी सभी को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार को बदलने को वादा किया था और प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन आज तक कोई भी वादा नहीं निभाया।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी की नोटबंदी की चर्चा करते हुए कहा, ''कालाधन से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री ने नोटबंदी करने की बात कही थी, उस समय आप लाइन में खड़े थे, क्या कोई काला धन वाला लाइन में था? क्या कोई अरबपति लाइन में लगा था।'' उन्होंने कहा कि उस दौर में आपके पॉकेट से पैसा निकालकर बड़े उद्योगपतियों के कर्जे माफ कर दिए गए।
उन्होंने कहा कि यहां के किसान मक्का और धान उपजाते हैं, लेकिन यहां लोगों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता। यहां से बिचैलिए कम दाम में खरीदकर उसे पंजाब और हरियाणा में ऊंचे दाम पर बेच देते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, ''प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमने किसान को आजाद किया कि वो अपना मक्का, धान देश में कहीं भी जाकर बेच सकते हैं। लेकिन किसान कैसे बेचेगा, बिहार में सड़क कहां है। उन्होंने तो अरबपतियों को आजादी दी और किसानों तथा गरीबों को गुलाम बनाया।''
राहुल गांधी ने बिहार की जेडीयू-बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए कहा, ''नीतीश कुमार ने पिछले पांच साल में बिहार के लिए क्या किया? मैं यहां गारंटी देने आया हूं। मैं ये कहना चाहता हूं कि महागठबंधन की सरकार हर जाति, वर्ग और धर्म की सरकार होगी।'' लोगों को रोजगार मिलेगा। किसानों-युवाओं को उनका हक मिलेगा।
समाजवादी नेता शरद यादव की बीमारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी राजनीति गरीबों की राजनीति है। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश में शरद यादव से उनकी मुलकात हुई थी। उन्होंने राजनीति के बारे में बहुत कुछ सिखाया, इस तरह से वे मेरे गुरु हैं। राहुल गांधी ने कहा कि शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव इस चुनाव में बिहारीगंज सीट से चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने लोगों से सुभाषिनी को जीताने की अपील की। (navjivan)
पटना , 5 नवंबर | बिहार का जब भी नाम लिया जाता है, तो इसके साथ मिथिलांचल की लोक कला मधुबनी पेंटिंग का ज़िक्र ज़रूर आता है.
मधुबनी पेंटिंग की ख़ूबसूरती को कौन नहीं जानता, लेकिन इसे बनाने वाले कलाकारों की क्या हालत है, ये शायद ही कोई जानता हो.
सपना देवी जब अपनी पीली साड़ी के कोर से आँसू पोछते हुए रूँधे गले से ये कहती हैं कि उनके पास ज़हर भी खाने के पैसे नहीं हैं, तो ये मधुबनी पेंटिंग बनाने वाले तमाम कलाकारों की हालत बयाँ कर देती है.
बिहार के मधुबनी ज़िले का जितवारपुर गाँव मधुबनी पेंटिंग का गढ़ माना जाता है, यहीं से इस पेंटिंग की शुरुआत हुई थी.
इस कला को पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों ने सीखा और यहाँ लगभग 80 फ़ीसद की आबादी की रोज़ी-रोटी का इकलौता ज़रिया मधुबनी पेंटिंग है.
इस गाँव की रहने वाली हैं सपना देवी पासवान. सपना से हमारी मुलाक़ात गाँव की पगडंडी पर हुई.
सपना के हाथों में सूखी लकड़ियाँ थीं, जिन्हें लेकर वह तेज़ी से अपने घर की ओर बढ़ रही थीं. हमें देखते ही वह बोलती हैं कि कौन-सा उज्ज्वला और कौन-सा मकान चलिए, देखिए हम कहाँ रहते हैं.
सपना देवी के पास मिट्टी और फूस से बना घर है. प्रधानमंत्री आवास योजना और उज्ज्वला योजना अभी सपना देवी के घर नहीं पहुँच सकी है.
वे कहती हैं, "हम पेंटिंग बनाते हैं, काम एकदम बंद है, हम भूखों मर रहे हैं, हम लोगों के पास पूँजी नहीं है. बेटा को पढ़ाती थी, लेकिन अब पैसा भी नहीं है कि फ़ीस भरकर पढ़ा सकें. जवान बेटी है, वो भी कलाकार है. लेकिन हमारे पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि बेटी का ब्याह कर सकें. हम सरकार साहेब से मदद माँगते हैं, हमको अपनी लड़की की शादी करनी है, लड़के को पढ़ाना है."
"पहले अगर कोई विदेशी आ जाए तो हमें कुछ पैसे मिल जाते थे, लेकिन अगर कोई यहीं का आदमी पेंटिंग ख़रीदता है, तो 500-700 रुपये ही देता है. लेकिन अब तो वो भी नहीं मिल रहा है. एक पेंटिंग बनाने में 6-7 दिन लग ही जाते हैं, लेकिन बदले में हमें कुछ नहीं मिलता."
जितवारपुर गांव में मधुबनी पेंटिंग कलाकार राजीव झा
'कोई हमारी नहीं सुनता'
मधुबनी पेंटिंग बनाने वाले कलाकारों का कहना है कि बीते चार साल से सरकार की ओर से क्राफ़्ट मेले का आयोजन लगातार घटता जा रहा है.
वर्ष 2017 में कपड़ा मंत्रालय की ओर से जितवारपुर को कला ग्राम बनाने का एलान किया गया था, लेकिन इस गाँव में अब तक ऐसा कोई काम नहीं किया गया है, जिससे ये बिहार के बाक़ी गाँव से अलग नज़र आता हो.
इस बार अपने हालात और सरकार से तंग इन कलाकारों ने चुनाव का बहिष्कार करने का एलान किया है. इस गाँव के ही एक नौजवान कलाकार राजीव झा की हमसे मुलाक़ात हुई.
राजीव ने हैदराबाद से पढ़ाई की है, लेकिन अपनी पढ़ाई-लिखाई से इतर वे कलाकार हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता से मधुबनी पेंटिंग सीखी.
राजीव कहते हैं, "साल 2017 में जितवारपुर को कलाग्राम बनाने का एलान किया गया, सरकारी चिट्ठी भी जारी की गई. कहा गया था कि इस गाँव में अस्पताल बनेगा, लाइब्रेरी बनेगी, टूरिस्ट प्लेस बनाया जाएगा ताकि लोग सीधे आकर हमारा काम ख़रीदेंगे, लेकिन तीन साल से कुछ नहीं हो रहा है. विभाग की तरफ़ से 843 लाख का बजट दिया गया है, लेकिन कोई काम हमारे गाँव के लिए हुआ है क्या?"
राजीव बताते हैं, "यहाँ टेक्सटाइल विभाग के लोग भी आए, लेकिन कुछ नहीं हुआ. हमने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी, स्मृति इरानी जी को चिट्ठी लिखी, सांसद जी को चिट्ठी लिखी, कहीं से कोई जवाब नहीं मिला. वैसे भी नेताओं को हमारी पड़ी नहीं है, तो हमारे पास अपनी बात रखने का एकमात्र तरीक़ा यही बचा है कि चुनाव का बहिष्कार करें. जब प्रतिनिधि को हमारी बात ही नहीं सुनना है, तो वोट करके क्या मिलेगा."
जुलाई महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क की ख़ूबियाँ गिनाईं थीं.
इसे सुनकर कलाकारों को लगा की माँग बढ़ेगी, लिहाज़ा राजीव, सपना देवी जैसे कई गाँव के कलाकारों ने जमा पूँजी से मास्क के कपड़े ख़रीदे और मास्क बनाए, लेकिन अब वो मास्क कपड़ों के गट्ठर की तरह घर के कोने में पड़े हैं.
लाखों लोगों वाली हस्तकला के लिए कोई बाज़ार नहीं
भारत में हस्तकला की बिक्री कैसे होगी, इसका कोई सुनिश्चित माध्यम नहीं है. एक अनुमान के मुताबिक़ भारत में 130 लाख लोग हैं, जो क्राफ़्ट के काम से जुड़े हुए हैं.
'द हिंदू' की साल 2013 में आई एक रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में 400 बिलियन डॉलर के हैंडीक्राफ़्ट बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी दो प्रतिशत है. ग्रामीण भारत में कृषि के बाद दूसरे नंबर पर ऐसी हाथ की कलाकारी ही लोगों के पेट पालने का सबसे बड़ा साधन है.
लेकिन, इस आबादी को अपना सामान बाज़ार तक कैसे पहुँचाना है और किस बाज़ार तक पहुँचाना है, इसका कोई तय मानक हैं ही नहीं. देश की राजधानी में स्थित दिल्ली हाट को छोड़ दें, तो इन कलाकृतियों का कोई तय बाज़ार नहीं है.
लेकिन, दिल्ली हाट में भी स्टॉल लगाना आसान नहीं है.
राजीव बताते हैं, "दिल्ली हाट में 15 दिन का स्टॉल लगाने के लिए 12-13 हज़ार रुपए का किराया भरना होता है. हम जो बड़ी कमाई लगा कर पेंटिंग बना रहे हैं, उसके बाद किराए भर का पैसा कैसे लाएँगे."
मधुबनी में ऐसी कलाओं के लिए काम करने वाली एनजीओ ग्रामोत्थान परिषद के सचिव अनिल कुमार झा कहते हैं, "नई सरकार का कला के प्रति जो रुख़ है, उससे हालात बदतर होते जा रहे हैं. पहले देश भर में सालाना 100 से 150 कला प्रदर्शनियाँ लगती थीं, लेकिन अब बीते चार साल से ये संख्या 3-4 पर आ चुकी है. वहीं, अब सूरजकुंड मेला और प्रगति मैदान में जो मेला लगता है, उसी में ही बिक्री होती है."
गाँव के ही एक कलाकार ने हमें बताया कि ग्राम मेले के लिए सरकार की तरफ़ से एक दिन के 100 रुपए मिलते हैं, लेकिन इतने में तो दो वक़्त का ख़ाना भी नहीं मिलता
राष्ट्रीय सम्मान पा कर भी बिना इलाज मौत
वर्ष 1977 में जितवारपुर में काल एसोसिएशन का गठन हुआ, जिसका मक़सद मिथिलांचल में मधुबनी पेंटिंग बनाने वाले कलाकारों की मदद करना था.
1969 में बिहार सरकार ने पहली बार सीता देवी को सम्मान दिया. जिसके बाद 1981 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया. सीता देवी को 1984 में बिहार रत्न सम्मान भी मिला.
इसके अलावा जगदंबा देवी को 1975 में और बउआ देवी को 2017 में पद्म श्री मिला.
सीता देवी ने दीवारों पर बनने वाली मधुबनी पेंटिंग को पेपर और कैनवास तक पहुँचाया था.
अकेले जितवारपुर गाँव से 14 कलाकारों को हस्तशिल्प का राष्ट्रीय अवॉर्ड मिला है.
ऐसे ही राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित उत्तम पासवान को अपने आख़िरी दिनों में इलाज तक नहीं मिल सका.
लॉकडाउन के दौरान उन्हें लिवर कैंसर हुआ, महंगा इलाज और पैसों की कमी के कारण 13 अक्तूबर को उनकी मौत हो गई. जब हम उनके घर पहुँचे, तो उनके छोटे से घर की हर दीवार पर गोदना मधुबनी पेंटिंग उकेरी हुई थी.
घर के बाहर एक तख़्त लगाया गया था, जिस पर कुछ लोग बैठे थे.
अंदर मातम के माहौल में एक लड़की खड़ी मिली, जो हमसे बात करने की स्थिति में थी.
उन्होंने अपना परिचय देते हुए बताया कि वह उत्तम पासवान जी की बेटी पूनम पासवान हैं. अपनी रोती माँ के आँसू पोंछती, माँ के साथ खड़ी पूनम अब इस घर का सहारा हैं.
मधुबनी कलाकार उत्तम पासवान की बेटी पूनम पासवान
पूनम को शिकायत है कि उनके पिता ने कलाकार होना चुना. जिन नेताओं ने पूनम के पिता को देश का गौरव बताया था, उन्हीं नेताओं ने पैसों की मदद माँगने पर भी पिता का इलाज नहीं कराया.
वह कहती हैं, "लॉकडाउन के दौरान ही पापा को पेट में फोड़ा हो गया. चेकअप कराए, तो डॉक्टर ने कहा कि लिवर कैंसर है. जितना इलाज करा सकते थे कराया, जब पैसे नहीं बचे तो प्रधानमंत्री मोदी जी, राम विलास पासवान जी, टेक्सटाइल मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर मदद माँगी, लेकिन कोई जवाब तक मिला, मेरे पापा जब तक जिए, दर्द में रहे."
पूनम बताती हैं, "मैंने इंटर की पढ़ाई की है. ख़ुद भी पेंटिंग बनाती हूँ, लेकिन जो देखा उसके बाद मैं कलाकार नहीं बनना चाहती. नेशनल अवॉर्ड जीतने से क्या होगा? जब ज़िंदगी इतनी ज़लालत और मजबूरियों से भरी हो. क्यों हमारी पीढ़ी को मेरे पापा के रास्ते पर चलना चाहिए, इससे बेहतर मैं मज़दूरी करूँ, ईंट ढोऊँ. मुझे अपनी पढ़ाई तो दूर, अपने छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई कैसे होगी ये भी समझ नहीं आता. मैं कितनी मजबूर हूँ, बता नहीं सकती. अपने पापा के मरने का मातम भी ठीक से नहीं मना सकी, क्योंकि मुझे उनके अंतिम संस्कार का इंतजाम करना था. मेरे पापा रोते हुए गए इस दुनिया से, अगर कोई मदद करता तो वो बच जाते."
अपने शब्द पूरे करते ही पूनम की भावनाओं का बाँध टूट पड़ता है. वह ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती हैं.
साल 2012 में राष्ट्रीय पुस्कार विजेता चानो देवी का भी कैंसर से ही निधन हुआ था और उन्हें भी ऐसे ही इलाज नहीं मिल सका था.
पूनम पासवान कहती हैं, "मेरे पापा नेशनल अवॉर्ड पाए, मेरी माँ राज्य स्तर पर अवॉर्ड पाई हैं, लेकिन इन अवॉर्ड का क्या मतलब, लोग हँसते हैं हम पर."
राज्य सरकार की ओर से जिन लोगों को सम्मानित किया गया है, उन्हें 3000 रुपए की पेंशन दी जाती है.
राज्य सम्मान पाने वालीं 59 साल की उर्मिला देवी कहती हैं, "बच्चे हैं, परिवार का ख़र्चा है, 3000 रुपए में खाना खाएगा इंसान या अपनी कला बचा पाएगा. अब तो शिकायत करने का भी मन नहीं करता, कुछ नहीं बदलेगा. हमारे सामने जो लोग सम्मान पा कर भी ऐसी मौत मरें हैं, उन्हें देखकर हम सच्चाई समझ चुके हैं."
सरकार की योजनाओं का क्या?
भारत सरकार की प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लोन लेकर कारोबार को शुरू किया जा सकता है और छोटे कारोबारों को 50 हज़ार का लोन मिल सकता है.
अनिल झा कहते हैं, "50,000 रुपए की राशि तो कलाकार के साथ मज़ाक़ है. अगर मान लीजिए 3000 रुपए की साड़ी ख़रीदी जाए और 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भी पेंटिंग की मज़दूरी मानी जाए, तो 5000 रुपए तो एक साड़ी तैयार करने में लग जाएँगे. ऐसे में 50 हज़ार में 10 साड़ी तैयार होंगी तो क्या आर्टिस्ट 10 साड़ी लेकर एक्ज़िबिशन में जाएगा. कम से कम ये रक़म 2.5 से 3 लाख होनी ही चाहिए."
वहीं, राजीव झा जो ख़ुद एक कलाकार हैं, बताते हैं कि आप बैंक में जाकर ख़ुद देख लीजिए बैंक वाले साफ़ कह देते हैं कि अभी लोन नहीं मिल रहा है.
ऐसी ही एक स्कीम है 'जीविका' जिसे राष्ट्रीय लाइवलीहुड मिशन और राज्य के लाइवलीहुड मिशन मिलकर चलाते हैं. इसके तहत हर इलाक़े में प्रोडक्शन सेंटर बनाए जाते हैं.
इन सेंटरों में 30-40 महिलाओं के ग्रुप बनाए जाते हैं, जिन्हें कुछ रक़म लोन के ज़रिए दी जाती है. ये महिलाएँ पेंटिंग बनाती हैं और बेचती हैं, इसके बाद जो पैसे मिलते हैं, उनका 40 फ़ीसद हिस्सा कलाकारों को सेंटरों को देना होता है.
राजीव झा कहते हैं, "अगर महिलाओं के एक समूह को एक लाख रुपए का क़र्ज़ मिलता है, तो 40 महिलाओं में बँट कर वो रक़म कितनी रह जाएगी. इसके बाद अगर बाज़ार में कुछ पैसे मिले, तो 40 फ़ीसद सेंटरों को क्यों देना चाहिए, ऐसे तो सरकार ने बिचौलियों की जगह ख़ुद ले ली है."
वहीं अनिल झा मानते हैं कि जीविका जैसी योजनाएँ हालात को ध्यान में रख कर बनाई ही नहीं जातीं, ये बस थोप दी जाती हैं और इनका फ़ायदा किसी को ठीक से नहीं होता.
बिहार की कला और म्यूज़ियम जापान में
अनिल झा बताते हैं कि सरकार कला और कलाकार को लेकर कितनी गंभीर हैं, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगा लीजिए कि आज सीता देवी, बउवा देवी की कोई पेंटिंग सरकार ने संभाल कर नहीं रखी है. अगर कोई नया कलाकार उनकी पेंटिंग देखकर सीखना चाहे तो हमारे पास कोई संग्राहालय ही नहीं है, जिनमें उन्हें संभाल कर रखा गया हो.
मधुबनी ज़िले में मधुबनी आर्ट से जुड़ा कोई भी संग्रहालय नहीं है. लेकिन इससे हज़ारों मील दूर जापान के टोकामशी में मिथिला म्यूज़ियम है, जहाँ 15,000 से ज़्यादा बेहतरीन मधुबनी पेंटिंग्स को संभाल कर रखा गया है.
साल 1982 में 80 पेंटिंग के साथ इस म्यूज़ियम की शुरुआत हुई थी, जिसे जापान के लोगों ने बिहार दौरे के दौरान ख़रीदा था.
लेकिन, जिस देश से ये कला वैश्विक पटल तक पहुँची, वहाँ ही इस धरोहर को बचाने वाले संग्राहालय नहीं बन सके.
बिचौलियों का खेल
मधुबनी पेंटिंग बनाने का काम मुख्यत: महिलाएँ करती हैं. ये महिलाएं मैथिली भाषा ही बोलती हैं और बड़े शहरों तक जाकर अपना काम नहीं बेच सकती हैं. ऐसे में बिचौलियों की भूमिका शुरू होती है.
ये बिचौलिए ही पेंटिंग्स को बाज़ार तक ले जाते हैं और कलाकार के लिए ऑर्डर भी लाते हैं. यहाँ तक कि टेक्सटाइल मंत्रालय भी कलाकारों से सीधे सौदा नहीं करता.
एक कलाकार कहते हैं, "पहले हर 15 दिन पर कोई ना कोई मेला लगता था, गांधी शिल्प मेला, इंडिया एक्सपो, सूरजकुंड मेला जैसे बड़े आयोजनों के अलावा छोटे-छोटे मेले भी मंत्रालय की ओर से लगाए जाते थे. लेकिन बीते दो तीन साल से सब बंद है."
पेंटिंग आर्टिस्ट रधु देवी कहती हैं, "मधुबनी पेंटिंग हम लोगों का पेशा है. हम ये शौक़ के लिए नहीं करते हैं. पहले अगर हमारे गाँव के 10 लोगों को भी मेले में जाने को मिलता था, तो वो लोग 200 लोगों की पेंटिंग ले जाकर बेचते थे, लेकिन अब तो कोई नहीं जा रहा. एजेंट लोग जाते हैं और मोटे दाम में हमारा काम बेचते हैं और हमको ही तनी-मनी रुपया मिलता है."
वैसे तो ये बिचौलियों का सिस्टम बिहार में मनरेगा के तहत मज़दूरी के आबंटन सहित लगभग हर क्षेत्र में है, लेकिन कला के क्षेत्र में बिचौलियों का और भी ज़्यादा दबदबा है, क्योंकि इन कलाकारों को यही नहीं पता होता कि कहाँ जाकर अपना बाज़ार तलाशा जाए.
आरोपों पर अधिकारी का जवाब
कलाकारों के इन आरोपों से अलग बिहार के डायरेक्टर म्यूज़ियम दीपक आनंद मानते हैं कि बीते कुछ सालों में बिहार में कलाकारों को ध्यान में रखकर कई सारे क़दम उठाए गए हैं.
वे कहते हैं, ''मिथिला ललित संग्रालय सौराठ में बनाया जा रहा है, चित्रकला संस्थान का काम जारी है जो लगभग पूरा होने को हैं. लॉकडाउन में कलाकारों की मदद के लिए विभाग ने फ़ॉर्म जारी किया था, जिसके तहत 700 लोगों को 1000 रुपए की मदद दी गई.''
लाखों कलाकारों में से महज़ 700 लोगों को ही मदद क्यों? इस सवाल पर आनंद कहते हैं जितने लोगों ने फ़ॉर्म भरा, उनको मदद मिली.
वह मानते हैं कि इस साल मेले या एक्ज़िबिशन का आयोजन नहीं हो पाया है, लेकिन वो ये भी कहते हैं कि ''इससे पहले महीने-महीने भर के मेले होते हैं और इनमें 15 स्टॉल हम निशुक्ल कलाकारों को देते हैं.''
हालाँकि सभी तर्कों के साथ वह इस बात पर कलाकारों से सहमति जताते हैं कि कोई भी तय मार्केट इस तरह के हैंडीफ्राफ़्ट के लिए नहीं हैं.
कला जिसने तोड़ीं जातियों की बेड़ियाँ
कहते हैं कि मधुबनी पेंटिंग की शुरुआत सवर्ण ब्राह्मण महिलाओं से हुई. इसे घरों की दीवारों पर शादी-ब्याह और त्योहारों में बनाया जाता था. इस कला की पाँच विधाएँ हैं- भरनी, कचनी, गोदना, तांत्रिक, कोहबर.
सीता देवी 'भरनी' पेंटिंग बनाया करती थीं. भरनी पेंटिंग में चटख़ रंगों का इस्तेमाल किया जाता है और इसमें ज़्यादातर पौराणिक कथाओं को किरदारों के ज़रिए बयां किया जाता है. जैसे रामायण और महाभारत की कथाएँ. कहते हैं कि ये ब्राह्मण समाज की महिलाएँ बनाती थीं.
कचनी ऐसी विधा है, जिसमें बिना रंगों का इस्तेमाल किए बेहद बारीक लाइनों के साथ आकृतियाँ तैयार की जाती हैं, ये कला भी कायस्थ और ब्राह्मण समाज के लोग ही बनाया करते थे.
लेकिन, सीता देवी की कला को जब पहचान मिली, तो गाँव के अन्य लोग भी पेंटिंग सीखने लगे और यहीं से दलितों ने भी पेंटिंग को अपनाया. लेकिन, यहाँ दलित महिलाओं ने गोदना पेंटिंग की विधा शुरू की.
गोदना का अर्थ होता है टैटू. हरिजन महिलाओं ने बदन पर होने वाले टैटू को पेपर पर उतारा. गोदना बेहद महीन डिज़ाइन के साथ आती है, साथ ही इसके किरदार और कहानी प्रतिदिन होने वाली गतिविधियों पर आधारित रहते हैं.
लेकिन, अब ये जाति के बंधन कला के दायरे में टूट चुके हैं, अब कई दलित महिलाएँ भी कचनी और भरनी पेंटिंग बना रही हैं और कई सवर्ण महिलाएँ गोदना पेंटिंग बनाती हैं. (bbc)
पणजी, 5 नवंबर | दक्षिणी गोवा के एक प्रतिबंधित बांध स्थल पर अभिनेत्री पूनम पांडेय के विवादित फोटोशूट को लेकर मचे हंगामे के बाद गुरुवार को एक पुलिस इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया। यह जानकारी पुलिस ने दी। कानाकोना उपजिले के चापोली बांध पर शूट की गईं पूनम पांडेय की उत्तेजक तस्वीरें इस सप्ताह की शुरुआत में वायरल हो गई थीं, जिसके बाद इलाके में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया था। सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों के सदस्यों ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें इस शूट की अनुमति देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई।
प्रदर्शनकारियों ने एक दिन के लिए कानाकोना शहर को बंद करने की धमकी दी और पुलिस की ओर से की गई कथित लापरवाही को लेकर कार्रवाई की मांग की गई।
पुलिस उपाधीक्षक नेल्सन अल्बुकर्की ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि कानाकोना पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक तुकाराम चव्हाण को निलंबित कर दिया गया है।
वहीं पुलिस ने बुधवार को विवादास्पद फोटोशूट के संबंध में गोवा पुलिस को लगभग आधा दर्जन लिखित शिकायतें मिलने के बाद, पहले अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ और फिर पांडेय के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (अश्लीलता) के तहत एफआईआर रिपोर्ट दर्ज की।
--आईएएनएस
चित्रकूट (उप्र), 5 नवंबर | उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के निवासी कृष्णा के लिए बुधवार को करवाचौथ तीन गुनी खुशियां लेकर आई, क्योंकि उनकी तीनों पत्नियों ने उनकी लंबी आयु के लिए एक साथ प्रार्थना की। 12 साल पहले कृष्णा की शादी तीन सगी बहनों शोभा, रीना और पिंकी के साथ हुई थी। तीनों पत्नियों से दो बच्चे हैं और वे सब कांशीराम कॉलोनी स्थित अपने घर में रहते हैं।
कृष्णा और उनकी तीन पत्नियां अपनी असामान्य शादी के बारे में बोलने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन परिवार के एक सदस्य ने कहा कि तीनों पत्नियां एक साथ सद्भाव से रहती हैं।
रिश्तेदार ने कहा, "तीनों लड़कियां स्नातक हैं और यह वे तय करती हैं कि उनके बच्चे भी मिलजुलकर रहें। किसी को ऐसी शादी की उम्मीद नहीं थी। कृष्णा ने कभी ऐसी शादी के पीछे की वजह नहीं बताई।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 5 नवंबर | देश की सबसे बड़ी ऑटोमाबाइल कंपनी मारुति सुजुकी ने गुरुवार को कहा कि वह स्वेच्छा से अपने बहुउद्देशीय व्हीकल ईको की कई इकाइयां वापस लेगी। इन इकाइयों का निर्माण 4 नवंबर, 2019 से 25 फरवरी, 2020 के बीच किया गया। कंपनी ने अब ईको की 40,453 इकाइयों को वापस बुलाया है, क्योंकि इनके हेडलैम्प में खराबी आ गई है।
सुजुकी ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा है, "कंपनी ईको की सभी 40,453 इकाइयों में हेडलैम्प से स्टैंडर्ड सिंबल गायब होने की जांच करेगी। जरूरत पड़ी तो मुफ्त में इनमें बदलाव लाकर ग्राहकों को सौंपा जाएगा।"
इसमें आगे कहा गया, "इन सभी यूनिट्स के मालिकों को रिकॉल कैम्पेन के तहत मारुति सुजुकी के अधिकृत डीलरों द्वारा संपर्क किया जाएगा।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 5 नवंबर | केंद्रीय रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को एक बार फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली सरकार से रेल ट्रैक और रेलवे की संपत्तियों से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए कहा है, ताकि रेलवे जल्द से जल्द लोगों की भलाई के लिए और यात्री सेवा और माल ढुलाई का काम सुचारू रूप से शुरू कर सके। पंजाब से केंद्र और राज्य नेताओं के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने गोयल से मुलाकात की। इस दौरान रेल मंत्री ने यह आग्रह किया।
बैठक में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, भाजपा के महासचिव तरूण चुग, भाजपा के प्रवक्ता आर.पी. सिंह और पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा शामिल हुए।
भाजपा नेता ने किसानों के प्रदर्शन की वजह से पंजाब की खराब हालत के बारे में उन्हें अवगत कराया। इस वजह से राज्य में सामान्य जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है और उद्योगों पर प्रभाव पड़ा है। भाजपा नेताओं ने रेल मंत्री से जल्द से जल्द ट्रेन सेवा शुरू करवाने का आग्रह किया है।
बुधवार को, रेलवे ने कहा था कि 32 जगहों पर हो रहे किसान प्रदर्शनों की वजह से उसे 1200 करोड़ रुपये की हानि हुई है।
--आईएएनएस