अंतरराष्ट्रीय
इस्लामाबाद, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी (पेमरा) ने फरार या घोषित अपराधियों के किसी भी भाषण, साक्षात्कार या सार्वजनिक संबोधन के प्रसारण और पुन:प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, नियामक संस्था ने गुरुवार को यह फैसला लिया है। नियामक संस्था ने अपराधियों की किसी भी प्रकार की टिप्पणी, राय या सुझाव सहित अन्य सामग्री के प्रसारण पर रोक लगा दी है और यह कदम सुप्रीम कोर्ट की ओर से पारित आदेश के अनुपालन में उठाया गया है।
संस्था की ओर से लिए गए इस फैसले के अनुसार, अगर लाइसेंसधारी उपरोक्त निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, तो प्राधिकरण पेमरा की धारा 29 और 30 के तहत कार्रवाई करेगा, जिसके परिणामस्वरूप जुर्माना ठोंकने के साथ ही लाइसेंस रद्द/निरस्त करने का भी प्रावधान है।
यह फैसला पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की ओर से लंदन से दिए गए भाषणों के बाद लिया गया है, जिसमें शरीफ ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की अगुवाई वाली सरकार को निशाना बनाया था। शरीफ पिछले साल चिकित्सा उपचार के लिए लंदन गए थे, जिन पर पाकिस्तान में मुकदमा चल रहा है और उन्हें पाकिस्तान में लाए जाने की जद्दोजहद चल रही है।
शरीफ ने पहली बार 20 सितंबर को बहुपक्षीय सम्मेलन में अपनी बात रखी थी, जहां उन्होंने घोषणा की कि विपक्ष प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन लोगों के खिलाफ है, जो 2018 के चुनावों में उन्हें सत्ता में लेकर आए थे।
सैन फ्रांसिस्को, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| फेसबुक ने दो कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है जिन्होंने इसके प्रमुख ऐप, इंस्टाग्राम, ट्विटर, यूट्यूब, लिंक्डइन और एमेजॉन से डेटा स्क्रैप कर एक ग्लोबल ऑपरेशन में 'मार्केटिंग इंटेलिजेंस' और अन्य सेवाओं को बेचने की कोशिश की। स्क्रैपिंग एक डेटा संग्रह है जो किसी वेबसाइट या ऐप से डेटा निकालने के उद्देश्य से अनधिकृत ऑटोमेशन पर काम करता है।
फेसबुक ने गुरुवार को एक बयान में कहा, "इजरायल स्थित कंपनी ब्रांड टोटल लिमिटेड और डेलावेयर स्थित यूनिमैनिया इंक के कृत्यों ने हमारी सेवा शर्तो का उल्लंघन किया है और अपने यूजर्स की सुरक्षा के लिए हम इनके खिलाफ कानूनी कदम उठा रहे हैं।"
इन कंपनियों ने डेटा तक पहुंचने और संग्रह करने के लिए डिजाइन किए गए 'अप वॉइस' और 'एड्स फीड' नामक ब्राउजर एक्सटेंशन के एक सेट के माध्यम से फेसबुक सेवा तक यूजर्स की पहुंच को प्रभावित किया।
जब लोग एक्सटेंशन इंस्टॉल करते हैं और वेबसाइटों पर जाते हैं, तो ब्राउजर एक्सटेंशन ने उनके नाम, यूजर आईडी, जेंडर, जन्म तिथि, रिलेशनशिप स्टेटस, स्थान की जानकारी और उनके अकाउंट से संबंधित अन्य जानकारी को स्क्रैप करने के लिए ऑटोमेटेड प्रोग्राम का इस्तेमाल किया।
अरुल लुइस
न्यूयॉर्क, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)| एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारत में ऑपरेशन बंद करने पर अमेरिकी सरकार के शीर्ष स्तर के लोगों की नजर है। स्टेट डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार उसके बैंक खातों को बंद करने के कदम ने अमेरिकी सरकार में शीर्ष स्तर का ध्यान खींचा है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के खिलाफ भारत सरकार की कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने बुधवार को कहा, "इस मामले पर बहुत बारीकी से विचार हो रहा है, इसने हमारी सरकार के उच्चतम स्तरों का ध्यान आकर्षित किया है। हमें केवल एक प्रतिक्रिया मिलने की देर है, जो ऐसी स्थिति के लिए अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांतों और कानून के अनुरूप है।"
इस अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने मंगलवार को घोषणा की कि भारत सरकार द्वारा उसके बैंक खातों को फ्रीज करने के बाद इसने अपना काम रोक दिया है।
वहीं एमनेस्टी के आरोपों को 'झूठा" बताते हुए भारत सरकार ने उस पर अवैध रूप से भारत को धन मुहैया कराने का आरोप लगाया है।
पहचान उजागर न करने की शर्त एक अधिकारी ने कहा, "अमेरिका स्वास्थ्य और सभ्य समाज की आजादी के लिए प्रतिबद्ध है, वो भी खासकर भारत के लिए। हम मानते हैं कि समाज का खुलापन ही भारत की ताकत है लेकिन इसमें बाधा आने को लेकर हम चिंतित हैं।"
इस्लामाबाद, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बच्चों के सामने उनकी मां के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने पीएम डिलीवरी यूनिट (पीएमडीयू) को निर्देश दिया है कि वह दो महीने के अंदर एक राष्ट्रीय आपातकालीन हेल्पलाइन स्थापित करे। सूचना मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। डॉन न्यूज के अनुसार, 9 सितंबर को लाहौर-सियालकोट मोटरवे पर एक महिला के साथ उसके बच्चों के सामने सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। महिला की कार में खराबी आने के बाद उसने मोटरवे पुलिस की हेल्पलाइन पर कॉल किया और वह उनके आने का इंतजार कर रही थी, तभी यह घटना हुई।
मंत्रालय ने ट्वीट्स कर घोषणा की, "मोटरवे की घटना के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने एक राष्ट्रीय आपातकालीन हेल्पलाइन स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी पीएम डिलीवरी यूनिट को दी गई है।"
मंत्रालय ने कहा कि यह नंबर टोल फ्री होगा और देश के सभी मौजूदा हेल्पलाइन नंबर नई राष्ट्रीय हेल्पलाइन से जुड़े होंगे। इससे नागरिकों को तत्काल मदद मिलेगी।
एक अधिकारी ने डॉन न्यूज को बताया कि ऐसी खबरें आईं हैं कि पीड़िता को यह कहकर मदद देने से मना कर दिया गया था कि वह क्षेत्र पाकिस्तान नेशनल हाईवे और मोटरवे पुलिस के दायरे में नहीं आता है। गैंगरेप के दोनों आरोपियों की पहचान डीएनए परीक्षण के जरिए की गई है।
वाशिंगटन, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)| वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 3.38 करोड़ के पार हो गई है, जबकि इससे होने वाली मौतों की संख्या लगभग 1,012,900 हो गई है। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने गुरुवार को दी।
विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि गुरुवार की सुबह तक कुल मामलों की संख्या 33,874,283 हो गई और मृत्यु संख्या बढ़कर 1,012,894 हो गई।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका दुनिया में सबसे अधिक संक्रमण के मामलों 7,229,723 और उससे हुई 206,905 मौतों के साथ सबसे ज्यादा प्रभावित देश है।
वहीं भारत 6,225,763 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में मरने वालों की संख्या 97,497 हो गई है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, मामलों की ²ष्टि से अन्य शीर्ष 15 देशों में ब्राजील (4,810,935), रूस (1,170,799), कोलम्बिया (829,679), पेरू (811,768), स्पेन (769,188), अर्जेंटीना (751,001), मेक्सिको (743,216), दक्षिण अफ्रीका ( 674,339), फ्रांस (604,031), चिली (462,991), ईरान (457,219), ब्रिटेन (455,846), बांग्लादेश (363,479), इराक (362,981) और सऊदी अरब (334,605) हैं।
संक्रमण से हुई मौतों के हिसाब से वर्तमान में ब्राजील 143,952 आंकड़ों के साथ दूसरे स्थान पर है।
वहीं 10,000 से अधिक मौत वाले देश मेक्सिको (77,646), ब्रिटेन (42,233), इटली (35,894), पेरू (32,396), फ्रांस (32,396), स्पेन (31,791), ईरान (26,169), कोलंबिया (25,998), रूस (20,630), अर्जेंटीना (16,937), दक्षिण अफ्रीका (16,734), चिली (12,741), इक्वाडोर (11,355), इंडोनेशिया (10,740) और बेल्जियम (10,001) है।
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर(आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक उड़ान सेवाओं पर लगे प्रतिबंध को 31 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है। एक आधिकारिक बयान में बुधवार को यह जानकारी दी गई। आधिकारिक बयान में कहा गया है, "यह प्रतिबंध सभी अंतर्राष्ट्रीय कार्गो संचालन और उड़ानों पर लागू नहीं होगा, जो विशेष रूप से नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा अनुमोदित है।"
बयान में कहा गया है, "हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय अनुसूचित उड़ानों को सक्षम प्राधिकारी द्वारा चुनिंदा मार्गों पर विभिन्न मामलों (केस-टू-केस) के आधार पर अनुमति दी जा सकती है।"
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए राष्ट्रव्यापी बंद के कारण यात्री हवाई सेवाओं को 25 मार्च को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि घरेलू उड़ान सेवाओं को 25 मई से फिर से शुरू कर दिया गया है।
इस्लामाबाद, 30 सितंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने लंदन में अपने आवास पर गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट प्राप्त करने के लिए एक बार फिर 'इनकार' कर दिया है। इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) को बुधवार इसके बारे में सूचित किया गया। पीएमएल-एन प्रमुख शरीफ को इस महीने की शुरुआत में अपराधी घोषित किया गया है। उन्होंने इससे पहले भी अपने नाम से जारी गिरफ्तारी वारंट प्राप्त करने से इनकार कर दिया था।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, संघीय सरकार ने मंगलवार को ब्रिटेन के अधिकारियों को दोषी पूर्व प्रधानमंत्री के निर्वासन के लिए फिर से पत्र लिखने का फैसला किया है। शरीफ को नवंबर 2019 में चिकित्सा उपचार के लिए लंदन जाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में पाकिस्तान में कुछ अदालतों द्वारा उन्हें फरार घोषित कर दिया गया।
आईएचसी की दो सदस्यीय खंडपीठ ने अल-अजीजिया मामले में अपनी सजा के खिलाफ शरीफ की अपील पर सुनवाई करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी वारंट के निष्पादन के बारे में पूछा।
इस पर अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल तारिक खोखर ने कहा कि पाकिस्तान उच्चायोग का एक प्रतिनिधि पूर्व प्रधानमंत्री को गिरफ्तारी वारंट देने के लिए एवेनफील्ड अपार्टमेंट पहुंचा। उन्होंने बताया कि हालांकि उनके द्वारा गिरफ्तारी वारंट स्वीकार नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान उच्चायोग के एक अधिकारी, राव अब्दुल हनन वारंट के साथ एवेनफील्ड अपार्टमेंट पहुंचे। हालांकि, वारंट स्वीकार नहीं हुआ।"
खोखर ने कहा, "नवाज शरीफ के वारंट को लागू करने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है।"
अदालत ने कहा कि नवाज के वकील ने स्वीकार किया है कि वे पीएमएल-एन सुप्रीमो को जारी गिरफ्तारी वारंट के बारे में जानते हैं। सुनवाई के दौरान, भ्रष्टाचार निरोधक इकाई के एक अधिकारी ने अदालत से पूर्व प्रधानमंत्री को भगोड़ा घोषित करने की प्रार्थना की।
न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कयानी ने सुझाव दिया कि लंदन में पाकिस्तानी मिशन द्वारा एक बयान दर्ज किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि "आरोपी भविष्य में दावा नहीं कर सकता है कि वह इसके बारे में जागरूक नहीं था।"
उन्होंने कहा, "आरोपी जानता है कि उसने पूरी व्यवस्था को बिगाड़ दिया है।"
न्यायाधीश मोहसिन ने कहा कि पीएमएल-एन सुप्रीमो ने देश छोड़ दिया और सरकार और पाकिस्तान के लोगों को धोखा दिया है। मामले की सुनवाई सात अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को एक संघीय कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री इमरान खान ने संबंधित अधिकारियों को पीएमएल-एन नेता को वापस लाने के लिए सभी उपाय करने को कहा है।
--आईएएनएस
इस्लामाबाद, 30 सितम्बर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के कराची में एक बार फिर कोविड-19 संक्रमण में वृद्धि देखी गई है। राष्ट्रीय कमान एवं संचालन केंद्र ने बताया कि कुल दर्ज किए गए 747 नए मामलों में से 365 कराची में पाए गए हैं। जियो टीवी की रिपोर्ट में बताया गया है कि कराची में कोविड-19 के मामलों में हुई वृद्धि ने राष्ट्रीय निर्णय लेने वाली संस्था का ध्यान आकर्षित किया है। इसके बाद बुधवार की सुबह हुई बैठक में संक्रमण के बढ़ते मामलों पर उपायों पर चर्चा की गई है।
स्वास्थ्य मामलों पर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक फैसल सुल्तान ने कथित तौर पर एक स्मार्ट बंद (लॉकडाउन), संपर्क ट्रेसिंग और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के सख्त पालन पर जोर दिया है।
इस बीच सिंध प्रांत के स्वास्थ्य सचिव ने मंच को अवगत कराया कि प्रशासन स्थिति की निगरानी कर रहा है और सभी हितधारकों के परामर्श से रोग की व्यापकता को ध्यान में रखते हुए उचित प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
सिंध सरकार के प्रवक्ता मुर्तजा वहाब ने मंगलवार को लोगों को चेतावनी दी कि वे सावधानी बरतें, क्योंकि कोरोनोवायरस के मामलों की संख्या बढ़ रही है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, देश में संक्रमण कम होने के बाद पाकिस्तान ने कोरोनावायरस के प्रोटोकॉल को कम करना शुरू कर दिया है। देश में शिक्षण संस्थानों को भी चरणबद्ध तरीके से खोला गया है, जिसके बाद संक्रमण दोबारा बढ़ने लगा है।
--आईएएनएस
दुबई, 30 सितंबर (आईएएनएस)| 5 महीने पहले आए स्ट्रोक के कारण अस्पताल के बिस्तर पर जिंदगी गुजार रहे एक भारतीय प्रवासी आखिरकार भारत में अपने गृहनगर पहुंच गए हैं। भारतीय दूतावास के सहयोग से प्रवासी को भारत भेजने में मदद करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण कुमार ने कहा, 60 साल के रामचंद्रन कोटककुन्नू ने जब दुबई से उड़ान भरी तब वे व्हीलचेयर पर थे। रामचंद्रन 30 साल से ज्यादा समय तक यूएई में रहे और वहां उन्होंने एक सफल बिजनेस चलाया। फिर एक नुकसान में उन्होंने सब कुछ खो दिया।
खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, व्यवसाय खत्म होने के बाद उन्होंने नैफ जिले के धीरा में एक दुकान में ढाई हजार दिरहम की सैलरी पर नौकरी कर ली। वह संघर्ष करते रहे क्योंकि उनकी पत्नी और बेटी दोनों बीमार हैं।
कुमार ने बताया, "उनकी पत्नी को कैंसर है और उनकी बेटी को दिल की बीमारी है। उन्हीं की वजह से वह अभी भी संयुक्त अरब अमीरात में रह रहे थे, ताकि वे उनके अस्पताल के बिल भर सकें। फिर उन्हें स्ट्रोक आ गया। वे 5 महीने तक अस्पताल में रहे, जहां उनका बिल 16 लाख दिरहम तक पहुंच गया।"
इसके बाद वाणिज्य दूतावास ने उन्हें भारत आने के लिए फ्लाइट का टिकट और एक व्हीलचेयर दी। प्रवीण ने कहा, "रामचंद्रन अभी भी बोल नहीं पाते हैं। भारत के वाणिज्य दूतावास और मिशन की चिकित्सा टीम के स्वयंसेवकों के हस्तक्षेप के चलते आखिरकार रामचंद्रन को केरल के कासरगोड जिले में उनके गृहनगर में वापस लाया गया। वह अब कर्नाटक के मैंगलोर के एक बड़े अस्पताल में भर्ती हैं।"
श्रम के वाणिज्य दूत जितेंद्र सिंह नेगी ने खलीज टाइम्स को बताया, "रामचंद्रन को हमारे समर्थन से भारत वापस भेज दिया गया है। उन पर अस्पताल का 16 लाख दिरहम का बिल बाकी था लेकिन अस्पताल ने दयालुता दिखाते हुए उन्हें छोड़ दिया।"
काठमांडू, 30 सितम्बर (आईएएनएस)| एक विवादित कदम में, जो भारत और उसकी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को और अधिक नाराज कर सकता है, नेपाल की एक स्थानीय प्रशासन ने 100 बीघा या 40 एकड़ में अयोध्यापुरी धाम का निर्माण कराने का फैसला किया है। चितवन जिले की माडी नगरपालिका, जहां प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के मुताबिक भगवान राम का जन्म हुआ है, ने अयोध्यापुरी धाम के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने का फैसला किया है।
ठाकुर प्रसाद ढकाल ने नेपाल की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी को बताया कि मंगलवार को नगरपालिका की कार्यकारी निकाय बैठक ने धाम के निर्माण के लिए 100 बीघा जमीन आवंटित करने का फैसला किया।
ओली ने 14 जुलाई को भगवान राम के जन्म स्थान के बारे में सनसनीखेज टिप्पणी की और दावा किया कि राम का जन्म नेपाल में हुआ था, न कि भारत स्थित उत्तर प्रदेश के अयोध्या में।
ओली ने भारत पर एक फर्जी अयोध्या बनाने का भी आरोप लगाया, जो ओली के अनुसार नेपाल के खिलाफ एक सांस्कृतिक हमला है। ओली के बयान ने भारत और नेपाल दोनों में उस समय हंगामा मचा दिया जब नेपाल-भारत संबंधों में सीमा विवाद और चीन के साथ नेपाल के अति निकटता के कारण दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी।
ढकाल ने कहा, "हमने वार्ड 8 और 9 में अयोध्यापुरी धाम के निर्माण के लिए वर्तमान अयोध्यापुरी पार्क की 100 बीघा जमीन आवंटित की है।"
भगवान राम के विवादास्पद जन्म स्थान की घोषणा करने के बाद, ओली ने 9 अगस्त को मेयर ढकाल की अगुवाई में माडी नगरपालिका के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की और अधिक सबूत इकट्ठा करने के लिए उस क्षेत्र में खुदाई शुरू करने का निर्देश दिया। ओली ने अपनी सरकार से माडी नगर पालिका को हर संभव समर्थन देने का और साथ ही साथ खुदाई के कामों को पूरा करने के लिए मास्टर प्लान तैयार करने में मदद करने और राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों को तुरंत स्थापित करने में सहयोग देने का वादा किया।
ढकाल ने कहा कि हमारे पास अतिरिक्त 50 बीघा जमीन है, जिसका उपयोग हम कोई भी तकनीकी समस्या होने पर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्यापुरी धाम के निर्माण के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया गया है और एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जल्द ही तैयार की जाएगी।
उन्होंने कहा कि नगरपालिका, प्रधानमंत्री के निदेर्शानुसार अयोध्यापुरी धाम निर्माण के कार्यों को सुविधाजनक बनाने और प्रबंधित करने के लिए लगातार काम कर रही है।
ओली के विवादास्पद बयान की उनकी पार्टी के नेताओं के साथ-साथ भारत की सत्तारूढ़ पार्टी, भारतीय जनता पार्टी ने भी आलोचना की थी।
काठमांडू, 30 सितम्बर (आईएएनएस)| एक विवादित कदम में, जो भारत और उसकी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को और अधिक नाराज कर सकता है, नेपाल की एक स्थानीय प्रशासन ने 100 बीघा या 40 एकड़ में अयोध्यापुरी धाम का निर्माण कराने का फैसला किया है। चितवन जिले की माडी नगरपालिका, जहां प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के मुताबिक भगवान राम का जन्म हुआ है, ने अयोध्यापुरी धाम के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने का फैसला किया है।
ठाकुर प्रसाद ढकाल ने नेपाल की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी को बताया कि मंगलवार को नगरपालिका की कार्यकारी निकाय बैठक ने धाम के निर्माण के लिए 100 बीघा जमीन आवंटित करने का फैसला किया।
ओली ने 14 जुलाई को भगवान राम के जन्म स्थान के बारे में सनसनीखेज टिप्पणी की और दावा किया कि राम का जन्म नेपाल में हुआ था, न कि भारत स्थित उत्तर प्रदेश के अयोध्या में।
ओली ने भारत पर एक फर्जी अयोध्या बनाने का भी आरोप लगाया, जो ओली के अनुसार नेपाल के खिलाफ एक सांस्कृतिक हमला है। ओली के बयान ने भारत और नेपाल दोनों में उस समय हंगामा मचा दिया जब नेपाल-भारत संबंधों में सीमा विवाद और चीन के साथ नेपाल के अति निकटता के कारण दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी।
ढकाल ने कहा, "हमने वार्ड 8 और 9 में अयोध्यापुरी धाम के निर्माण के लिए वर्तमान अयोध्यापुरी पार्क की 100 बीघा जमीन आवंटित की है।"
भगवान राम के विवादास्पद जन्म स्थान की घोषणा करने के बाद, ओली ने 9 अगस्त को मेयर ढकाल की अगुवाई में माडी नगरपालिका के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की और अधिक सबूत इकट्ठा करने के लिए उस क्षेत्र में खुदाई शुरू करने का निर्देश दिया। ओली ने अपनी सरकार से माडी नगर पालिका को हर संभव समर्थन देने का और साथ ही साथ खुदाई के कामों को पूरा करने के लिए मास्टर प्लान तैयार करने में मदद करने और राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों को तुरंत स्थापित करने में सहयोग देने का वादा किया।
ढकाल ने कहा कि हमारे पास अतिरिक्त 50 बीघा जमीन है, जिसका उपयोग हम कोई भी तकनीकी समस्या होने पर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्यापुरी धाम के निर्माण के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया गया है और एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जल्द ही तैयार की जाएगी।
उन्होंने कहा कि नगरपालिका, प्रधानमंत्री के निदेर्शानुसार अयोध्यापुरी धाम निर्माण के कार्यों को सुविधाजनक बनाने और प्रबंधित करने के लिए लगातार काम कर रही है।
ओली के विवादास्पद बयान की उनकी पार्टी के नेताओं के साथ-साथ भारत की सत्तारूढ़ पार्टी, भारतीय जनता पार्टी ने भी आलोचना की थी।
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 30 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 को लेकर ओहायो के क्लीवलैंड में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन के बीच प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान जुबानी जंग खूब देखने को मिली। बहस के दौरान 'मसखरा', 'झूठा', 'एक मिनट के लिए चुप हो जाओ', 'भौंकते रहो' जैसी अपमानजनक टिप्पणियां की गईं। फॉक्स न्यूज के एंकर क्रिस वैलेस ने इस बहस को मॉडरेट किया और राष्ट्रपति ट्रंप इस दौरान आक्रामक तेवर में दिखाई दिए।
इस बात लेकर भी बहस छिड़ गई है कि बहस को मॉडरेट करने वाले वैलेस ने ट्रंप को इतना आक्रामक तेवर, ऐसी तीखी टिप्पणियां कैसे करने दी।
ट्रंप ने 90 मिनट की बहस के दौरान काफी तीखी बहस की और एक मोड़ पर कहा," मैं तुम्हें बताता हूं जो, तुम वो काम कभी नहीं कर सके जो हमने कर दिखाया। तुम्हारे खून में यह नहीं है।"
वहीं, बाइडन ने पलटवार करते हुए कहा, "वह यहां जो कह रहे हैं, वह झूठ है।" उन्होंने कहा, "गलत शख्स, गलत रात, गलत समय।"
बाइडन ने कई बार कहा, "यह शख्स नहीं जानता कि वह किस बारे में बात कर रहा है।"
मिसूरी से पूर्व सीनेटर क्लेयर मैककैस्किल ने बहस के बारे में कहा, "मैं 80 प्रतिशत दुखी हूं और 20 प्रतिशत बौखलाई हुई हूं।"
वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार यूजीन रॉबिन्सन का मानना है कि "अधिकांश देशवासी व्याकुल हैं। मुझे नहीं पता कि हमने क्या बकवास देखा।"
डेमोक्रेटिक रणनीतिकार जेम्स कारविले के अनुसार, 25 मिनट तक यह देखने लायक नहीं था।
10 मिनट से भी कम समय में, बहस ने व्यक्तिगत हमलों का रूप अख्तियार कर लिया, जब मॉडरेटर बाइडन के दो मिनट के टॉक टाइम के दौरान ट्रंप को शांत रखने में विफल रहे। नाराज बाइडन ने ट्रंप से कहा, "क्या तुम चुप रहोगे?"
पहली बहस के परफॉर्मेस पर प्रतिक्रिया देते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने कहा कि "अमेरिका को बहुत स्पष्ट विकल्प मिल गया है।" उन्होंने ट्रंप को अपनी गहराई से बाहर निकलने और अपना बचाव करने वाला शख्स बताया।
बराक ओबामा के पूर्व कैम्पेन मैनेजर डेविड प्लॉफ ने कहा, "आज रात के इस परफॉर्मेस से लोगों को समझ में आ जाएगा कि ट्रंप एक और कार्यकाल के योग्य नहीं हैं।"
डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन की बहस के दौरान तीखी जुबानी जंग देखने को मिली। ट्रंप के कोरोनवायरस प्रतिक्रिया, नस्लीय न्याय, अर्थव्यवस्था और एक दूसरे की फिटनेस को लेकर निशाना साधा गया।
बाइडन ने कहा, "सच यह है कि उन्होंने अब तक जो कुछ भी कहा है वह सिर्फ एक झूठ है।"
बाइडन पहले पांच मिनट के भीतर ट्रंप पर खूब हावी दिखे और उन्हें आड़े हाथो लिया। उन्होंने ट्रंप से कहा कि वह अपने बंकर से बाहर निकलें। ओवल ऑफिस के अपने गोल्फ कोर्ट जाएं और लोगों को बचाने के लिए एक योजना बनाएं।
जब ट्रंप 2016 और 2017 में संघीय आयकरों में महज 750 डॉलर का भुगतान करने वाली रिपोटरें के बारे में सवालों का ठीक से जवाब नदीं दे पाए तो बाइडन ने कहा, "हमें अपने करों को दिखाएं। अपने करों को दिखाएं।"
उन्होंने ट्रंप के प्रति काफी हमलावर रुख दिखाया, भले ही ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने लाखों डॉलर का आयकर भुगतान किया है।
हालिया सर्वे से पता चलता है कि ट्रंप की लोकप्रियता 2016 के बाद से लुढ़क गई है। बाइडन सभी सर्वे में ट्रंप से आगे हैं, भले ही अंतर ज्यादा न हो।
ट्रंप ने श्वेत वर्चस्ववादियों की निंदा करने से इनकार कर दिया और रात की बहस का समापन इस बात को बताने से इनकार करने के साथ किया कि क्या वह चुनाव परिणामों को स्वीकार करेंगे। ट्रंप की कोरोनोवायरस प्रतिक्रिया इस बहस में छाई रही।
बाइडन ने कोविड-19 प्रतिक्रिया पर ट्रंप को विफल कहा।
सैन फ्रांसिस्को, 30 सितंबर (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव का समय नजदीक है और फेसबुक ने कहा है कि उसके प्लेटफॉर्म पर करीब एक लाख लोगों ने मतदानकर्मियों के रूप में साइन अप किया है। इस महत्वपूर्ण भूमिका के लिए लोगों को अपने राज्य चुनाव अधिकारियों के साथ साइन अप करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए फेसबुक ने हाल ही में 18 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों के लिए न्यूज फीड के शीर्ष पर एक संदेश दर्शाया है। इसके बाद करीब 17 लाख से अधिक लोगों ने अपने राज्य चुनाव अधिकारियों के साथ साइन अप करने के लिए फेसबुक ऐप के टॉप पर आ रहे इस संदेश पर क्लिक किया है।
इससे पहले गर्मियों में राज्य के चुनाव अधिकारियों ने मतदानकर्मियों की संख्या में भारी कमी को लेकर चेतावनी दी थी।
कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा, "मतदान कार्यकर्ताओं की कमी का मतलब है मतदान स्थलों पर लोगों को ज्यादा देर तक इंतजार करना पड़ सकता है, जिससे लोगों के लिए इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेना मुश्किल हो जाता है, इसलिए फेसबुक इसका हिस्सा बनकर अपना योगदान दे रहा है।"
इसके अलावा कंपनी ने हर राज्य के चुनाव प्राधिकरण को मुफ्त में विज्ञापन लगाने की भी पेशकश की है ताकि वे इस प्लेटफॉर्म के जरिए मतदान कार्यकर्ताओं की भर्ती कर सके।
इस साल फेसबुक ने 40 लाख से अधिक लोगों को वोट करने के लिए पंजीकरण करने में मदद करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
वाशिंगटन, 30 सितंबर (आईएएनएस)| जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसार दुनिया में कोविड-19 मामलों की कुल संख्या 3.35 करोड़ और मृत्यु संख्या 10 लाख को पार कर गई है। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) के नए अपडेट के मुताबिक बुधवार तक दुनिया में कुल मामलों की संख्या 3,35,60,877 और मरने वालों की संख्या बढ़कर 10,06,576 हो गई है।
दुनिया में सबसे अधिक 71,90,230 मामलों और 2,05,986 मौतों के साथ अमेरिका लगातार कोरोना का सबसे अधिक प्रकोप झेल रहा है। इसके बाद भारत में 61,45,291 मामलों और 96,318 मौतों के साथ दूसरे नंबर पर है।
मामलों की संख्या में ब्राजील दुनिया में तीसरे और मौतों की संख्या में दूसरे स्थान पर है। यहां 47,77,522 मामले और 1,42,921 मौतें दर्ज हो चुकी हैं।
सर्वाधिक मामलों की सूची में अन्य शीर्ष देशों में रूस (11,62,428), कोलंबिया (8,24,042), पेरू (8,08,714), स्पेन (7,48,266), मैक्सिको (7,38,163), अर्जेंटीना (7,36,609), दक्षिण अफ्रीका (6,72,572), फ्रांस (5,90,021), चिली (4,61,300), ईरान (4,53,637), यूके (4,48,729), बांग्लादेश (3,62,043), इराक (3,58,290) और सऊदी अरब (3,34,187) हैं।
वायरस के कारण जिन देशों में 10 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं, उनमें मेक्सिको (77,163), यूके (42,162), इटली (35,875), पेरू (32,324), फ्रांस (31,908), स्पेन (31,411), ईरान (25,986), कोलम्बिया (25,828), रूस (20,456), दक्षिण अफ्रीका (16,667), अर्जेंटीना (16,519), चिली (12,725), इक्वाडोर (11,312) और इंडोनेशिया (10,601) हैं।
न्यूयॉर्क, 30 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पहली बहस में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने कोरोनावायरस को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को निशाने पर लेते हुए उन्हें 'झूठा' कहा और एक ऐसा शख्स बताया जो कि यह 'नहीं जानता कि वह किस बारे में बात कर रहा है।' देश में 200,000 नागरिक इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं और अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 के लिए राष्ट्रपति ट्रंप और बाइडन के बीच पहली बहस मंगलवार की रात को क्लीवलैंड, ओहायो में हुई।
90 मिनट के लंबे कार्यक्रम में, कोविड-19 महामारी के लिए ट्रंप का भाषण कोविड-19 पर प्रतिक्रिया पर केंद्रित रहने वाली थी। लेकिन विवाद की शुरुआत ट्रंप द्वारा हालिया सुप्रीम कोर्ट के जज के चुनाव में अपनी पसंद एमी कोनी बैरेट को चुनने को लेकर हुई।
न्यायमूर्ति रूथ बेडर जिन्सबर्ग के निधन के बाद ट्रंप ने बैरेट को चुना, इस बात ने डेमोक्रेट्स के बीच आशंकाओं को जन्म दिया कि ट्रंप देश की सुप्रीम कोर्ट को 6-3 कंजर्वेटिव मेजोरिटी में मूव करने के लिए अपने एजेंडे के माध्यम से जोर दे रहे हैं।
ट्रंप ने बैरेट को चुनने पर कहा, "और हम बस, चुनाव जीत गए और इसलिए हमें उन्हें चुनने का अधिकार है और बहुत लोग जानबूझकर इस बारे में अन्यथा कहेंगे।"
वहीं, बाइडन ने ट्रंप पर तंज कसते हुए कहा, "वह यहां जो कुछ कह रहे हैं, झूठ है। गलत समय पर एक गलत शख्स। "
बाइडन ने ट्रंप के कई दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह शख्स नहीं जानता कि वह किस बारे में बात कर रहा है।"
बाइडन ने कोरोनोवायरस के संभावित उपाय के रूप में ब्लीच का उपयोग करने पर ट्रंप की विवादास्पद टिप्पणी को लेकर उनका मजाक भी उड़ाया।
ट्रंप के लिए, उनके पुन: चुनाव अभियान में यह निर्णायक क्षण तब आया है जब न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच में ट्रंप के करों पर चौंकाने वाला खुलासा सामने आया था। टाइम्स ने रिपोर्ट किया कि, संघीय आय करों में ट्रंप ने सिर्फ 750 डॉलर का भुगतान किया। जिस वर्ष वह राष्ट्रपति के लिए चुनाव लड़े थे और व्हाइट हाउस में अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में थे, ट्रंप ने पिछले 15 वर्षों में से 10 वर्ष में कोई संघीय आय करों का भुगतान नहीं किया।
पूर्व विदेश मंत्री हिलरी क्लिंटन ने नेटवर्क टेलीविजन पर कहा कि वह इस बहस को बड़ी दिलचस्पी से देख रही हैं।
फॉक्स न्यूज के एंकर क्रिस वालेस ने इस बहस को मॉडरेट किया है, और बहस को छह भागों में विभाजित किया -- कोरोनोवायरस महामारी, सुप्रीम कोर्ट, ट्रंप और बाइडन के रिकॉर्ड, अर्थव्यवस्था, चुनाव की इंटेग्रिटी और हमारे शहरों में दौड़ और हिंसा।
ट्रंप इस बात को जोरशोर से कह रहे हैं कि वह बाइडन पर ऑल-आउट हमले की तैयारी कर रहे हैं, जैसा कि उन्होंने पहले किया। वह बताएंगे कि बाइडन और उनके बेटे हंटर बाइडन ने भ्रष्टाचार से लाभ कमाया है।
अगले महीने दो और बहस हो रही है, 15 अक्टूबर को मयामी (फ्लोरिडा) और 22 अक्टूबर को नैशविले (टेनेसी) में।
हालिया सर्वे से पता चलता है कि ट्रंप की लोकप्रियता 2016 के बाद से लुढ़क गई है। बाइडन सभी सर्वे में ट्रंप से आगे हैं, भले ही अंतर ज्यादा न हो।
वॉशिंगटन : अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले आयोजित पहले आधिकारिक प्रेसिडेंशिल डिबेट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस से मौतों को लेकर भारत पर बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी जो बाइडन के सवाल उठाने पर कहा कि आप नहीं जानते हैं कि भारत, चीन और रूस में कितने लोग मारे गए हैं। भारत, चीन और रूस ने मृतकों की सही संख्या नहीं दी है।
इससे पहले भी डोनाल्ड ट्रंप कई बार अमेरिका की तुलना भारत से टेस्टिंग के मसले पर करते आए हैं. ट्रंप इससे पहले भारत में कोरोना से हो रही मौत, टेस्टिंग की संख्या को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर जो बाइडन सरकार में होते तो सिर्फ दो लाख नहीं बल्कि दस लाख से अधिक लोग मर जाते. हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द वैक्सीन बनाई जाए. गौरतलब है कि अमेरिका में कोरोना संकट इस वक्त चुनाव का सबसे बड़ा मसला है, विरोधियों का आरोप है कि डोनाल्ड ट्रंप इस महामारी को सही से संभाल नहीं पाए.
जो बाइडन की ओर से डिबेट में डोनाल्ड ट्रंप पर अर्थव्यवस्था को बंद करने का आरोप लगाया गया, साथ ही वैक्सीन को लेकर झूठी दलीलें देने का आरोप लगाया गया.
दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर मास्क से लेकर वैक्सीन और फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग जैसे मुद्दों पर निशाना साधा.
बाइडन ने ट्रंप पर मास्क पहनने को लेकर गंभीरता न बरतने का आरोप लगाया तो ट्रंप ने बाइडन का मज़ाक उड़ाते हुए कहा, "बाइडन 200 फ़ीट की दूरी पर रहते हैं तो भी बड़ा सा मास्क पहनकर आ जाते हैं."
होस्ट क्रिस वैलेस ने पूछा कि ट्रंप महामारी के दौरान वो भीड़-भाड़ वाली चुनावी रैलियाँ क्यों कर रहे थे? इसके जवाब में ट्रंप ने कहा, "अगर बाइडन इतनी भीड़ जुटा पाते तो भी ऐसा ही करते."
बाइडन ने चुटकी लेते हुए ट्रंप से कहा, "आप अपनी बाँह में ब्लीच का इंजेक्शन लगा लीजिए, शायद इससे कोरोना ठीक हो जाए." इसके जवाब में ट्रंप ने कहा, "मैंने ये बात तंज़ में कही थी और आप यह जानते हैं."
ट्रंप ने कहा कि अगर बाइडन उनकी जगह होते तो अमरीका में कोविड-19 से दो करोड़ लोगों की मौत होती. वहीं, बाइडन ने कहा कि सबको पता है कि ट्रंप झूठे हैं.
अर्थव्यवस्था पर बहस के दौरान टैक्स का मुद्दा सामने आया. होस्ट क्रिस वैलेस ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्रंप से पूछा, "क्या ये सच है कि आपने 2016-17 में सिर्फ़ 750 डॉलर टैक्स भरा था?"
इसके जवाब में ट्रंप ने कहा, "मैंने लाखों डॉलर का टैक्स भरा है. एक साल मैंने 38 मिलियन डॉलर टैक्स भरा और दूसरे साल 27 मिलियन डॉलर." ट्रंप ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को 'फ़ेक न्यूज़' बताया.
जो बाइडन, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के उप-राष्ट्रपति के तौर पर ज़्यादा मशहूर हैं. हालांकि बाइडन, अमरीका की राजनीति में 1970 के दशक से ही सक्रिय रहे हैं.
जैसे-जैसे मतदान का दिन क़रीब आता जा रहा है, वैसे-वैसे चुनावी सर्वे करने वाली कंपनियाँ इस कोशिश में जुटी हैं कि वो लोगों से उनकी पसंद के उम्मीदवार के बारे में पूछ कर, असली नतीजे आने से पहले जनता का मूड भाँप सकें.
और अब तक के पोल्स में ट्रंप अपने प्रतिद्ंवद्वी और डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बाइडन से पिछड़ते हुए दिख रहे हैं.
सैन फ्रांसिस्को, 29 सितंबर (आईएएनएस)| पूरी दुनिया कोविड-19 वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रही है, लेकिन टेक अरबपति एलन मस्क का कहना है कि जब यह उपलब्ध हो जाएगा, तब भी वह इसे नहीं लेंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स के पोडकास्ट स्वे में सोमवार को प्रकाशित एक साक्षात्कार में टेस्ला और स्पेसएक्स सीईओ ने महामारी से निपटने के लिए देशभर में लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा की।
जब पोडकास्ट की मेजबान कारा स्वीशर ने उनसे पूछा, "क्या आप वैक्सीन लेंगे? आप अपने परिवार के साथ क्या करेंगे?" इस पर मस्क ने कहा, "नहीं, मैं कोविड के जोखिम में नहीं हूं। न ही मेरे बच्चे हैं।"
उन्होंने कहा कि स्वीपिंग लॉकडाउन लागू करना बहुत बड़ी गलती थी।
उन्होंने कहा, "मेरा मतलब है कि यह एक हॉट बटन मुद्दा है, जहां तर्क को पीछे रखा गया। चीजों को लेकर बनाई गई बड़ी योजना में हमारे पास बहुत कम मृत्युदर और उच्च संक्रमण है।"
उन्होंने आगे कहा, "अनिवार्य रूप से सही बात यही होती कि पूरे देश में लॉकडाउन न लागू कर, इस तूफान के गुजरने तक खतरे में रहे व्यक्ति को क्वारंटीन किया जाता।"
वहीं महामारी को लेकर सार्वजनिक प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए, मस्क ने कहा कि मानवता में उनका विश्वास 'सामान्य रूप से लोगों की तर्कहीनता' के कारण कम हो गया।
कोविड-19 ने दुनिया में अब तक दस लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है, जबकि अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश है, जहां 200,000 से अधिक लोग महामारी के कारण मारे गए हैं।
मस्क शुरुआत से ही लोगों की गतिविधियों पर कठोर प्रतिबंध लगाए जाने की आलोचना करते आ रहे हैं।
वह खुद भी सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। उनकी कंपनी स्पेसएक्स ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। स्पेसएक्स नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजने और महामारी के बीच वापस लाने में सक्षम रही।
मस्क ने स्थानीय लॉकडाउन नियमों की अवहेलना के कारण कैलिफोर्निया में टेस्ला फैक्ट्री खोलने का भी बचाव किया।
नई दिल्ली, 29 सितम्बर | चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वाँग वेनबिन ने कहा है कि है उनका देश भारत द्वारा स्थापित किए गए कथित केंद्र प्रशासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं देता है.
भारत ने चीनी दावे को ख़ारिज कर दिया है.
चीनी सरकार के क़रीब समझे जाने वाले अख़बार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार भारत सीमा से लगे इलाक़ों में सड़क निर्माण कर रहा है, इससे जुड़े सवाल पर वाँग वेनबिन ने कहा, "चीन विवादित सीमावर्ती इलाक़े में सैनिक नियंत्रण के इरादे से बुनियादी ढांचे के निर्माण का विरोध करता है."
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा, "हाल ही में चीन और भारत के बीच बनी सहमति के अनुसार किसी भी पक्ष को सीमा क्षेत्रों में कोई भी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जिससे कि स्थिति और पेचीदा हो जाए और हालात को क़ाबू में करने की दोनों पक्षों की कोशिशों पर किसी तरह का असर नहीं पड़े."
भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भारत भी 1959 के एलएसी को नहीं मानता है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "हमनें भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में चीन के एक प्रवक्ता के हवाले से आई रिपोर्ट देखी है. भारत ने कभी भी एक तरफ़ा कार्रवाई के तहत 1959 में बनाए गए एलएसी को स्वीकार नहीं किया है. हमारी यह स्थिति हमेशा से रही है, और चीन समेत सभी को इस बारे में पता भी है."
भारत ने अपने बयान में आगे कहा, "2003 तक दोनों तरफ़ से एलएसी के निर्धारण की दिशा में कोशिश होती रही लेकिन इसके बाद चीन ने इसमें दिलचस्पी दिखानी बंद कर दी लिहाज़ा ये प्रक्रिया रुक गई. इसलिए अब चीन का इस बात पर ज़ोर देना कि केवल एक ही एलएसी है, यह उन्होंने ने जो वादे किए थे, उनका उल्लंघन है."
अनुच्छेद 370 ख़त्म
भारत की केंद्र सरकार ने पाँच अगस्त 2019 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत भारत प्रशासित कश्मीर को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त कर दिया था और राज्य को विभाजित कर उसे दो नए केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया था.
एक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर बना दिया गया था जबकि लद्दाख को उससे निकालकर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था.
वैसे तो भारत और चीन के बीच सीमा विवाद बहुत पुराना है लेकिन हाल के दिनों में विवाद की शुरुआत हुई जब इसी साल अप्रैल-मई में इस तरह की ख़बरें आने लगीं कि भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लद्दाख के गलवान घाटी के पास चीनी सैनिक उन इलाक़ों में आकर बैठ गए हैं जिन्हें भारत अपना कहता रहा है.
बातचीत जारी
समस्या को सुलझाने के लिए सीम पर तैनात सैन्य अधिकारियों के बीच कई राउंड की बातचीत भी हुई लेकिन कुछ ख़ास प्रगति नहीं हुई.
स्थिति उस समय और ज़्यादा गंभीर हो गई जब 15-16 जून की रात को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई जिसमें भारत के एक कर्नल समेत 20 सैन्यकर्मियों की मौत हो गई.
भारत का दावा है कि इसमें चीनी सैनिक भी मारे गए थे लेकिन चीन ने कभी भी इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है.
इस घटना के बाद स्थिति को क़ाबू में करने के लिए सैन्य, राजनयिक और राजनीतिक स्तर पर बातचीत होती रही है.
सीमा पर तैनात शीर्ष सैन्य अधिकारियों के अलावा भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से मुलाक़ात भी की है.
लेकिन इस बीच सीमा से कभी फ़ायरिंग तो कभी हल्की फुल्की झड़प की भी ख़बरें आती रही हैं.
एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वाँग यी के साथ 10 सितंबर को मॉस्को में हुई बातचीत में पाँच बिंदुओं पर सहमति बनी थी.
बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी कर कहा गया था कि "दोनों नेताओं ने माना कि सीमा को लेकर मौजूदा स्थिति दोनों पक्षों के हित में नहीं है. दोनों पक्ष की सेनाओं को बातचीत जारी रखनी चाहिए, जल्द से जल्द डिस्इनगेज करना चाहिए, एक दूसरे से उचित दूरी बनाए रखना चाहिए और तनाव कम करना चाहिए."
विदेश मंत्रियों की मुलाक़ात से पहले दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की भी मॉस्को में मुलाक़ात हुई थी (bbc)
सैन फ्रांसिस्को, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| ट्विटर ने अपने नए उपाध्यक्ष और चीफ इंफॉर्मेशन सिक्यूरिटी ऑफिसर (सीआईएसओ) के तौर पर पूर्व आईएमबी एक्जीक्यूटिव रिंकी सेठी को नियुक्त किया है। सेठी इससे पहले आईबीएम के सूचना सुरक्षा विभाग में बतौर उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत थीं। ट्विटर में शामिल होने से पहले वह क्लाउड डेटा मैनेजमेंट कंपनी रूब्रिक में सीआईएसओ का पदभार भी संभाल चुकी हैं।
ट्विटर में प्लेटफॉर्म लीड निक टॉर्नो ने सोमवार देर रात को अपने एक बयान में कहा, " ट्विटर के नए सीआईएसओ के तौर पर रिंकी सेठ का स्वागत करने के लिए मैं बेहद रोमांचित हूं। वह एक बेहद ही प्रेरणादायक और अनुभवी लीडर रही हैं। रिंकी रूब्रिक, आईबीएम और पालो अल्टो नेटवर्क से होकर हमारे यहां आ रही हैं।"
उन्होंने आगे कहा, " ट्विटर पर वह हमारे विकसित होते इंफो सिक्योरिटी टीम का नेतृत्व करेंगी, हमारे ग्राहकों की सुरक्षा करेंगी और विश्वास हासिल करने में हमारी कंपनी की मदद करेंगी।"
सेठी ने खुद एक ट्वीट कर कहा, "टीम का हिस्सा बनने के लिए बेहद उत्साहित हूं।"
-फ़िल मर्सर
सिडनी, 29 सितम्बर : ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज भारतीय कंपनी अडानी के साथ ऑस्ट्रेलिया में एक विवादित कोयला खदान को लेकर एक रिटायर्ड ईसाई पादरी का बेटा क़ानूनी लड़ाई लड़ रहा है. अडानी की कंपनी ने बेन पेन्निंग्स नामक इस शख्स पर अपने कारोबार और इससे जुड़े ठेकेदारों को लगातार धमकाने का मामला दर्ज किया है.
कंपनी और बेन के बीच यह टकराव नॉर्थ गैलिली बेसिन की कारमाइकल खदान को लेकर है. यह ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड राज्य में ब्रिसबेन से उत्तर-पश्चिम में क़रीब 1200 किलोमीटर पर स्थित है. कंपनी कोयले को भारत भेजना चाहती है लेकिन इसे लेकर यहां कई वर्षों से विरोध चल रहा है और हालत ये है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान यह ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा विवादास्पद प्रोजेक्ट बन गया है. इस प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों में डर है कि इससे होनेवाला प्रदूषण, औद्योगीकरण और जहाज़ों के अत्यधिक आवागमन से ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ़ को नुकसान पहुंचेगा, जो यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल है. भारी विरोध के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने बीते वर्ष इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी थी. यह कोयला खदान जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा नीति को लेकर ऑस्ट्रेलिया में मतभेद का प्रतीक बन गई है. इसका दुनिया की सबसे बड़ी खदानों में से एक बनना तय है.
कौन हैं पेन्निंग्स?
पेन्निंग्स विरोध कर रहे समूह गैलिली ब्लॉकेज के एक प्रवक्ता थे, जिसने अडानी, इसके सप्लायर्स और निजी ठेकेदारों के कामों को रोकने के लिए आंदोलन चला रखा है. यह समूह बहुराष्ट्रीय खनन कंपनियों के ऐसे प्रोजेक्ट और अन्य फ़र्मों का भी विरोध करती है. पेन्निंग्स खुल कर क़ानून की सविनय अवज्ञा के ज़रिए विरोध के दायरे को और आगे बढ़ाने की वकालत करते हैं. उन्होंने बीबीसी से कहा, "आज महिलाएं वोट दे रही हैं या आदिवासियों को पूरी तरह से मानव के रूप में देखा जा रहा है, तो ये लोगों के क़ानून तोड़ने से ही बने हैं. यह प्रजातंत्र और विकास का एक अहम हिस्सा है."
30 सालों से, वे सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों के प्रबल समर्थक रहे हैं. वो ग्रीनपीस रेनबो वारियर टू पर भी कुछ समय के लिए थे. वो पर्यावरण पर केंद्रित एक पार्टी ऑस्ट्रेलिया ग्रीन्स की तरफ से ब्रिसबेन के मेयर के पद का चुनाव भी लड़ चुके हैं.
सोशल साइंस से ग्रेजुएट पेन्निंग्स अब एक ऐसी लड़ाई में व्यस्त हैं, जो असाधारण है.
"अडानी मेरे परिवार को दंड देने पर तुले हैं"
अडानी उनसे कथित धमकी और साजिश के भरपाई के लिए उनसे हर्जाना मांग रहे हैं. एक जज ने एक अस्थायी आदेश दिया है जिससे कारमाइकल खान के ख़िलाफ़ अभियान चलाने की पेन्निंग्स की क्षमता सीमित हो जाती है. उन्होंने आदेश का पालन किया है और अभी तक यह तय नहीं किया है कि वो इसके ख़िलाफ़ अपील करेंगे या नहीं. उन्हें डर है कि ये मामला उन्हें आर्थिक रूप से बर्बाद कर सकता है और वे दिवालिया हो सकते हैं.
पेन्निंग्स कहते हैं, "ऐसा लगता है कि मुझ पर केस करके अडानी मेरे परिवार को दंड देने पर तुले हैं." हालांकि, अपने एक बयान में अडानी समूह ने कहा है कि क़ानूनी कार्रवाई पेन्निंग्स को कष्ट देने के लिए नहीं की गई है, बल्कि अपना कारोबार करने के अधिकार की रक्षा के लिए की गई है.
ब्रिसबेन से बीबीसी से बातचीत में खदान विरोध अभियान चलाने वाले पेन्निंग्स कहते हैं कि पर्यावरण को लेकर उनकी सक्रियता का आधार उनके पिता के ईसाई सिद्धांत हैं. पेन्निंग्स कहते है, "वे अपने सामाजिक कर्तव्यों को निभाते थे. मुझमें भी कुछ वैसा ही है लेकिन एक अलग तरीके से. मैं समझता हूं कि धार्मिक समुदाय की जगह पर्यावरण आंदोलन है और लोग हैं जो न्याय की परवाह करते हैं और जो उस व्यक्ति का समर्थन करने के लिए तैयार हैं जिसे 15 बिलियन डॉलर की स्वामित्व वाली एक कंपनी ने टारगेट कर रखा है."
ऑस्ट्रेलिया में कोयला अभी भी 'किंग'
अक्षय ऊर्जा में संभावनाओं और सोलर, विंड पावर में तेज़ी से हो रही प्रगति के बावजूद ऑस्ट्रेलिया में कोयला अभी भी 'किंग' है. यहां की खदानों से निकाला गया 80 फ़ीसदी कोयला निर्यात किया जाता है खास कर जापान, चीन, कोरिया और भारत में. लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इसकी कीमतों में कमी आई है. ऑस्ट्रेलिया में एक दशक पहले तक 80 फ़ीसदी बिजली का उत्पादन कोयले की मदद से होता था जो गैस और अक्षय ऊर्जा के आने के बाद से कम हुआ है. फिर भी आज दो तिहाई बिजली कोयले से ही बनती है. ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए कोयले की उपयोगिता को चरणबद्ध तरीके से कम करना महत्वपूर्ण माना जाता है.
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया का उत्सर्जन दुनिया के कुल उत्सर्जन का केवल 1.3 प्रतिशत है, हालांकि संरक्षणवादी इस आंकड़े को विवादित मानते हैं. उत्तर क्वीन्सलैंड के ऊपर अपने विमान से रोबी काटर मतदाता क्षेत्र का सर्वे करते हैं जो कई देशों से बड़ा है. राज्य से सांसद भी काटर की ऑस्ट्रेलियाई पार्टी से ही हैं. इतने बड़े इलाके में अपने क्षेत्र का हवाई सर्वे करना कहीं आसान है और काटर का मानना है कि इस क्षेत्र के संसाधनों का दोहन किया जाना चाहिए. उन्होंने बीबीसी से कहा, "नॉर्थ क्वीन्सलैंड में कोयला खदान नौकरियों का पर्याय है. आप लोगों के समृद्धि के अधिकार के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं. कोरोना वायरस की वजह से यह (कोयला) अर्थव्यवस्था के पुनर्नि पुनर्निर्माण की कोशिश में यह बेहद अहम है."
विरोध के बीच अडानी समूह का क्या है कहना?
अडानी ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि उन्होंने 1500 स्थानीय लोगों को क्वीन्सलैंड में नौकरियां दी हैं और कई कंपनियों को क़रीब 1.5 अरब अमरीकी डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट भी दिया है. अडानी के प्रोजेक्ट के ख़िलाफ़ चल रहे अभियान के बारे में पूछने पर वे कहते हैं, "मैं अक्सर लोगों से पूछता हूं कि क्वीन्सलैंड ने कब कोयले से नफ़रत करना शुरू कर दिया? पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए यह बिजली की छड़ी जैसा बन गया है." "खदान के विरोध में विपक्ष ने कई निरर्थक बातें की है. हम दो हज़ार किलोमीटर दूर रह रहे लोगों से यह सुनकर परेशान हो जाते हैं कि हमें क्या करना चाहिए. और वो भी तब जब इनमें से अधिकतर के पास इस इलाक़े के बारे में कम जानकारी होती है." अडानी ने कहा है कि उनकी खदान सरकारी राजस्व में अरबों डॉलर की कमाई करेगी जिसकी मदद से क्वीन्सलैंड में नए स्कूल, अस्पताल और सड़कें बनाई जा सकती हैं.
बीते वर्ष ऑस्ट्रेलिया में चुनाव अभियान के दौरान ऑस्ट्रेलियाई पर्यावरण के गॉडफादर बॉब ब्राउन के नेतृत्व में एक काफ़िला क्वीन्सलैंड के पूर्वी तट तक गया ताकि "ख़तरनाक और विनाशकारी" अडानी की इस खान से होने वाले खतरे और विनाश से लोगों को आगाह किया जाए. उनका कारवां अपने रास्ते में खान समर्थक और विरोधियों से मिला.
ऑस्ट्रेलियाई ग्रीन्स के पूर्व नेता बीबीसी न्यूज़ को बताते हैं, "सर्वे बताता है कि अधिकतर ऑस्ट्रेलियाई अडानी की खदान को नहीं चाहते हैं लेकिन वहां की राजनीति में यह नहीं दिखता है." उनका मानना है कि ऑस्ट्रेलिया को देश की ओर से आंदोलन करने के लिए बेन पेन्निंग्स जैसे असंतुष्टों की आवश्यकता है.
ब्राउन अडानी की अदालती कार्रवाई की आलोचना करते हैं. वे जानते हैं कि वे बड़े पैमाने पर इस प्रदूषणकारी कोयला खदान के ख़िलाफ़ पर्यावरण के तर्क से अदालत में नहीं जीत सकते, इसलिए उन्हें वैसे लोगों को इससे बाहर निकालना होगा जो ऐसे तर्क दे रहे हैं. वो कहते हैं,"मैं भयभीत हूं क्योंकि यह एक आज़ाद देश में लोगों की बुनियादी लोकतांत्रिक आवश्यकता के अधिकार में कटौती करता है जो सार्वजनिक हित में जानकारी इकट्ठा करने और उसे लोगों तक पहुंचाने के लिए काम करने में सक्षम हैं."
अडानी समूह इस बात पर ज़ोर देता है कि पेन्निंग्स के ख़िलाफ़ अदालती कार्रवाई ऑस्ट्रेलियाइयों की बोलने की स्वतंत्रता को सीमित करना नहीं है.
अडानी समूह ने इस पर बयान दिया, "अदालत और अपने क़ानूनी सलाहकारों के मुताबिक अडानी समूह पेन्निंग्स के साथ बातचीत से पहले मीडिया के माध्यम से कोई टिप्पणी करने में सक्षम नहीं है." फिलहाल अडानी और उसके सबसे कटु आलोचकों में से एक के बीच क़ानूनी गतिरोध जारी है. पेन्निंग्स कहते हैं, "वे एक धनी और मज़बूत प्रतिद्वंद्वी हैं, उनका संकल्प दृढ़ भी है... तो हमारा भी है." (bbc.com/hindi)
काठमांडू, 29 सितंबर (आईएएनएस)| नेपाल आर्मी (एनए) के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) पूर्ण चंद्र थापा, अपने सरकारी आवास पर स्टाफ के एक सदस्य के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद होम क्वांरटीन में चले गए हैं। द हिमालयन टाइम्स ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में लिखा कि सेना के जनसंपर्क निदेशालय के अनुसार, सीओएएस रविवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रोटोकॉल के अनुसार क्वारंटीन में चले गए हैं। स्टाफ के इस सदस्य का परीक्षण एक दिन पहले ही पॉजिटिव आया था।
थापा और उप प्रधानमंत्री ईशोर पोखरेल एक बार पहले भी क्वारंटीन में रह चुके हैं। उस समय कोविड-19 क्राइसिस मैनेजमेंट मैनेजमेंट सेंटर के स्टाफ के सदस्य को कोरोना संक्रमण हो गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, नेपाल में 24 घंटे में 1,351 नए मामले आने के बाद सोमवार को कुल संख्या 74,745 हो गई है। वहीं इसी अवधि में 4 नई मौतों के बाद कुल संख्या 481 हो गई है।
मंत्रालय के प्रवक्ता जागेश्वर गौतम ने जनता से आग्रह किया है कि वे महामारी को लापरवाही से न लें और वायरस से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी एहतियात बरतें क्योंकि देश में लगातार इसके मामले सामने आ रहे हैं।
इस्लामाबाद, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने सिंध सरकार को 2002 के अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के अपहरण और हत्या के मुख्य आरोपी उमर शेख को रिहा करने से रोक दिया है, क्योंकि इसने दलीलों को सुनना शुरू किया, जिसमें प्रांतीय हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। डॉन न्यूज के मुताबिक, सिंध सरकार और साथ ही पर्ल के माता-पिता ने सिंध हाईकर्ट (एसएचसी) के 2 अप्रैल के आदेश के खिलाफ अलग-अलग अपील दायर की थी जिसमें शेख की मौत की सजा को 2 लाख पाकिस्तानी रुपया जुर्माने के साथ सात साल के कठोर कारावास की सजा में तब्दील कर दी गई थी।
पर्ल की हत्या के लिए आतंकवाद-रोधी अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के बाद पहले ही 18 साल जेल में रह चुके शेख को हाईकोर्ट के फैसले के बाद रिहा किए जाने की उम्मीद थी क्योंकि उसकी सात साल की सजा को जेल में पहले ही बिता चुके समय से काउंट किया जाना था।
हालांकि, सिंध सरकार ने शेख और चार अन्य को हिरासत में लेने का आदेश जारी किया।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, सोमवार की सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति मुशीर आलम की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय न्यायाधीश बेंच ने बरी करने की दलीलों में सभी उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया।
कार्यवाही के दौरान, पर्ल के माता-पिता के वकील फैसल सिद्दीकी ने तर्क दिया कि शेख ने एसएचसी रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखा था, लेकिन इसने पत्र में अपने ही इकबालिया बयान को नजरअंदाज कर दिया।
वकील ने कहा, "हम चाहते हैं कि ट्रायल कोर्ट के फैसले को फिर से बहाल किया जाए। सबूतों से पता चलता है कि अपहरण फिरौती के लिए था। साजिश के तत्व के बारे में अदालत का सवाल सही है।" उन्होंने कहा कि दो आरोपियों के इकबालिया बयानों ने हत्या की साजिश को साबित कर दिया।
न्यायमूर्ति अमीन ने शेख का नाम एग्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) के साथ-साथ शेड्यूल-बी पर रखने का सुझाव दिया, जो उन्हें अदालत में पेश होने के लिए बाध्य करेगा।
प्रारंभिक सुनवाई के लिए एसएचसी के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों को स्वीकार करते हुए अदालत ने सुनवाई एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, वॉल स्ट्रीट जर्नल के लिए दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख के तौर पर काम करने वाले पर्ल (38) का जनवरी 2002 में कराची में अपहरण किया गया और फिर उनकी हत्या कर दी गई थी।
शेख को फरवरी 2002 में गिरफ्तार किया गया था।
इस्लामाबाद, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने अपने चाचा और पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा है कि उन्हें उनके भाई पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ खड़ा होने और उनका साथ देने की सजा मिली है। लाहौर हाईकोर्ट द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शहबाज शरीफ की जमानत याचिका खारिज करने और राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा शहबाज शरीफ की गिरफ्तारी के बाद सोमवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मरियम ने यह टिप्पणी की।
शहबाज को अदालत परिसर से हिरासत में लिया गया था, जहां बड़ी संख्या में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद थे।
मरियम ने सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, "उनके खिलाफ रेफरेंस चल रहा था और उन्हें बीच में ही गिरफ्तार कर लिया गया।"
मरियम ने कहा, "उन्होंने न केवल अपने भाई का साथ नहीं छोड़ा, बल्कि उन्होंने अपने भाई के प्रति निष्ठा और विश्वसनीयता दिखाई। उनकी पत्नी और बच्चों को फरार बताया गया। (उनके बेटे) हमजा जेल में हैं और कोरोना से संक्रमित हैं।
मरियम ने कहा कि इसके बावजूद, शहबाज अपने भाई के साथ अडिग होकर खड़े रहे।
डॉन न्यूज के मुताबिक, शहबाज की गिरफ्तारी के बाद नवाज शरीफ ने ट्विटर पर इसकी निंदा करते हुए कहा, "इस कठपुतली सरकार ने विपक्ष के (बहुदलीय कॉन्फ्रेंस) द्वारा अपनाए गए संकल्प को एंडोर्स किया है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, "शहबाज शरीफ ने पहले ही कहा था कि चाहे वह जेल में हों या बाहर हों (एमपीसी के) सभी फैसलों को लागू किया जाना चाहिए। किसी को यह समझने की भूल नहीं करनी चाहिए कि इस तरह की शर्मनाक चाल हमें झुकाएगी।"
जेनेवा, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| एक परीक्षण जो कोविड-19 को मिनटों में पता कर सकता है, नाटकीय रूप से कम और मध्यम आय वाले देशों में मामलों का पता लगाने की क्षमता को बढ़ाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यह टिप्पणी की है। बीबीसी ने सोमवार को बताया कि 5 डॉलर का परीक्षण उन कम अमीर देशों में कोविड-19 की ट्रैकिंग करने के तरीके को बदल सकता है, जहां स्वास्थ्यकर्मियों और प्रयोगशालाओं की कमी है।
निमार्ताओं के साथ एक सौदा छह महीने में 12 करोड़ परीक्षण प्रदान करेगा।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ने इसे मील का पत्थर कहा है।
परीक्षण कराने और परिणाम प्राप्त करने के बीच लंबे अंतराल ने कई देशों के कोरोनावायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न की है।
भारत और मेक्सिको सहित उच्च संक्रमण दर वाले कुछ देशों में, विशेषज्ञों ने कहा है कि कम परीक्षण दर उनके प्रकोपों के सही प्रसार को बाधित कर रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडहैनम घ्रेब्रेयसस ने सोमवार को एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में बताया, "नया, अत्यधिक पोर्टेबल और आसानी से इस्तेमाल किया जाने वाला टेस्ट घंटे या दिनों के बजाय 15-30 मिनट में परिणाम प्रदान करेगा।"
ट्रेडोस ने बताया कि दवा निमार्ता एबॉट और एसडी बायोसेंसर ने चैरिटेबल बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर 12 करोड़ टेस्ट प्रोड्यूस करने के लिए सहमति व्यक्त की है।
डील में 133 देशों को शामिल किया गया है, जिसमें लैटिन अमेरिका के कई देश शामिल हैं जो वर्तमान में कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हैं।
ट्रेडोस ने कहा कि यह परीक्षण को बढ़ाएगा, विशेष रूप से कठिन पहुंच वाले क्षेत्रों में, जिनके पास प्रयोगशाला सुविधाएं नहीं हैं या परीक्षण करने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता नहीं है।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)| आज 'विश्व हृदय दिवस' मनाया जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को हृदयरोग के बारे में जागरूक करना है। हृदयरोग के मरीजों की संख्या दुनियाभर में लगातार बढ़ती जा रही है। डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना महामारी समय में दिल की बीमारी लोगों को ज्यादा नुकसान पंहुचा रही है, जिसकी वजह से कोविड-19 के डर से दिल के मरीज घर में ही रहने के लिए मजबूर हैं। वहीं मरीज अपने रेगुलर चेकअप के लिए भी नहीं जा पा रहें हैं। गलत खानपान, हर वक्त तनाव में रहना और समय पर एक्सरसाइज न करने की वजह से ये बीमारी अक्सर होती है। दुनियाभर में अलग-अलग संस्थाएं इस दिन लोगों को जागरूक करती हैं।
35 से ज्यादा उम्र के युवाओं में भी इनएक्टिव लाइफस्टाइल और खाने की खराब आदतों के कारण दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ रहा है। पिछले 5 साल में दिल की समस्याओं से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इनमें से अधिकांश 30-50 साल आयु वर्ग के पुरुष और महिलाएं हैं। लोगों के पास अपने शरीर और मन को स्वस्थ और शांत रखने के लिए समय ही नहीं है, जिस वजह से लोगों में कई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही हैं।
हालांकि अब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है, डॉक्टरों का कहना है कि अब लोगों को कम से कम आधे घंटे की एक्सरसाइज करनी चाहिए, थोड़ा बाहर घूमना चाहिए लेकिन कोविड से बचने के उपाय के साथ, वहीं नमक, चीनी और ट्रांस फैट वाली चीजें खाने से बचें। इससे दिल की बीमारी होने का खतरा कम होता है।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. डी.के. झांम्ब ने बताया, "लॉकडाउन के दौरान, देखा गया कि लोग तरह-तरह के खाना पकाने और खाने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे थे। नतीजतन, उनका वजन भी बढ़ रहा है। चूंकि कोरोनवायरस की वैक्सीन या इलाज आने में अभी कुछ महीने लग सकते हैं, इसलिए हमें आने वाले महीनों में अपने हार्ट को स्वस्थ रखने के लिए सभी सावधानियों का पालन करना होगा।"
हृदयरोग की गंभीरता को समझते हुए आपको उन आहारों को चुनना चाहिए, जो आपके दिल के साथ-साथ पूरे शरीर के लिए सही हो। फास्ट फूड, जंक फूड, सिगरेट और शराब से दूरी बनाकर रखना चाहिए।
सीनियर कार्डियोलोजिस्ट डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया, "हार्ट की बीमारी के लिए कोई विशेष उम्र नहीं होती है, लेकिन हमारी गतिहीन यानी इनएक्टिव लाइफस्टाइल के कारण हमने 22 साल के व्यक्ति में हार्ट अटैक का केस देखा है। लेकिन जो लोग कम उम्र में हार्ट अटैक का सामना करते हैं, उनमें बहुत ज्यादा रिस्क फैक्टर होते हैं। इसलिए हार्ट अटैक को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है 45 मिनट रोज एरोबिक फिजकल एक्टिविटी, ताजा फल और सब्जियों से भरपूर डाइट और धूम्रपान से बचने सहित हेल्थी लाइफस्टाइल को अपनाएं।"
अगर आप हृदयरोग से पीड़ित हैं, तो यह ध्यान दीजिए कि आपके पास हृदय से जुड़ी दवाइयों का स्टॉक हो। जरूरत हो तो अतिरिक्त दवाई मंगाकर रखें। आपको यह ध्यान देने की जरूरत है कि आप दवा डॉक्टर की सलाह से लें और बिना उनकी सलाह के दवा को बंद न करें।