राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 7 जनवरी | कांग्रेस नेता और महासचिव अजय माकन कोरोना संक्रमित हो गए हैं। शुक्रवार को ही उनके कोविड-19 पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आई है। अजय माकन के कार्यालय ने आईएएनएस को बताया कि पिछले दो दिन से तबीयत खराब होने के बाद उन्होंने दिल्ली में अपना कोविड टेस्ट करवाया, जिसमें शुक्रवार को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद वह डॉक्टर की निगरानी में आइसोलेशन में रह रहे हैं। अजय माकन कांग्रेस पार्टी के राजस्थान प्रभारी और पंजाब स्क्रिनिंग कमेटी के अध्यक्ष हैं।
अजय माकन के कोविड संक्रमित होने से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पुत्र वैभव गहलोत भी कोविड संक्रमित हो गए हैं। दोनों कांग्रेस नेताओं ने एक दिन पहले ट्वीट करके ये जानकारी दी कि डॉक्टर की सलाह पर वो फिलहाल आइसोलेशन में रह रहे हैं।
दरअसल शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में पंजाब केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होनी है। उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बैठक में अजय माकन अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लेंगे। इसके बाद पार्टी पंजाब विधानसभा को लेकर उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है।
इससे पहले कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मंगलवार को कोविड ग्रस्त हो गए थे। उन्होंने ट्वीट कर के ये जानकारी थी।
कांग्रेस नेता और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कोविड-19 के संदेह के चलते सोमवार को ही खुद को अलग (आइसोलेट) कर लिया था। दरअसल प्रियंका गांधी ने अपने में एक सदस्य और उनके एक कर्मचारी के रविवार को कोविड-19 टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने के बाद ये कदम उठाया है। हालांकि जानकारी के अनुसार प्रियंका गांधी की रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
प्रियंका गांधी से पहले हरियाणा कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी अपने जन्मदिन के मौके पर कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। उन्होंने अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकतार्ओं को उनके आवास पर न आने की सलाह दी थी।
गौरतलब है कि देश में कोरोना का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। ओमिक्रॉन के मामले भी दिन पर दिन बढ़ रहे हैं। देश में पिछले 24 घंटे में 1,17,100 नए मामले सामने आए हैं। पिछले एक हफ्ते में औसत दैनिक केसों में 485 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
शुक्रवार की सुबह तक देश में ओमिक्रॉन के 377 नए मामले सामने आए हैं, जिनसे कि इस नए वेरिएंट के केसों का आंकड़ा बढ़कर 3,007 हो गया है। केवल दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के 15,097 नए मामले सामने आए जोकि पिछले साल आठ मई के बाद एक दिन में सर्वाधिक मामले हैं। (आईएएनएस)
यूरोप में खाली उड़ते विमानों की समस्या इतनी बढ़ गई है कि अब कंपनियां यूरोपीय आयोग से नियम बदलने की मांग कर रही हैं. लेकिन आयोग इसे और सख्त करने जा रहा है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
यूरोप में विमानों के रूट बचाए रखने के लिए एयरलाइंस को आधे से ज्यादा विमान उड़ाने अनिवार्य होते हैं. लेकिन इस कारण एक बड़ी समस्या पैदा हो गई है. बहुत सारे विमान खाली उड़ाए जा रहे हैं. इन्हें ‘गोस्ट फ्लाइट‘ कहा जा रहा है.
कंपनियों को ये गोस्ट फ्लाइट इसलिए उड़ानी पड़ रही हैं क्योंकि यूरोपीय आयोग का नियम है कि आपको यदि अपनी जगह बचाए रखनी हैं तो उनमें से 50 प्रतिशत का इस्तेमाल करना अनिवार्य है. लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण लोग बहुत कम यात्राएं कर रहे हैं. जिन विमानों की टिकट बिक रही हैं, वे भी पूरे नहीं भर पा रहे हैं.
जर्मन एयरलाइंस लुफ्थांसा ने चेतावनी दी है कि उसके कुल मार्गों का 5-6 प्रतिशत, जो कि 18,000 फ्लाइट होंगी, इस सर्दी में गैरजरूरी फ्लाइट होंगी. इनमें यात्री इतने कम होंगे कि उनसे कंपनी को कोई कमाई नहीं हो पाएगी. लुफ्थांसा पहले ही 33,000 रास्तों से उड़ानें हटाने का ऐलान कर चुकी है. आने वाले महीनों में यह कटौती की जाएगी. लेकिन कंपनी का कहना है कि वह इससे ज्यादा कटौती नहीं कर सकती.
पहले ही हो चुकी है कमी
वैसे, महामारी के दौरान विमानों की अनिवार्यता की सीमा बदली गई थी. पहले यह 80 प्रतिशत हुआ करती थी जिसे घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया था. 2020 में जब कोविड शुरू हुआ तो यूरोपीय कमीशन ने इस नियम को रद्द कर दिया था. लेकिन पिछले साल फरवरी में यह नियम 50 प्रतिशत सीमा के साथ दोबारा लागू कर दिया गया.
अब 50 प्रतिशत की सीमा भी कंपनियों के लिए अधिक हो गई है और वे आयोग से इसे और कम करने की मांग कर रही हैं. लुफ्थांसा के सीईओ कार्स्टन श्पोर ने जर्मन अखबार फ्रांकफुर्टर आल्गेमाइने त्साइटुंग को बताया, "दुनिया के लगभग सभी अन्य हिस्सों में महामारी के दौरान पर्यावरण के अनुकूल विकल्प खोजे गए हैं. यूरोपीय कमीशन हमें वैसा करने की इजाजत नहीं देता.”
श्पोर ने कहा कि आयोग के ये नियम पर्यावरण की खातिर बदले जाने चाहिए. उन्होंने कहा, "ब्रसेल्स के नियम पर्यावरण के लिए घातक हैं. और आयोग अपने ‘फिट फॉर 55' लक्ष्य के तहत जो कुछ भी हासिल करना चाहता है, उसके एकदम उलट हैं.”
सीमा बढ़ाएगा यूरोपीय आयोग
यूरोपीय संघ के कई सदस्य देशों की तरफ से यह मांग आ रही है. बेल्जियम के परिवहन मंत्री गिऑर्गेस गिल्किनेट ने यूरोपीय कमीशनर फॉर ट्रांसपोर्ट आडिना वैलिअन को पत्र लिखकर कहा है कि नियमों में ढील दी जाए. यूरोन्यूज के मुताबिक एक यूरोपीय कूटनीतिज्ञ ने बताया कि गिल्किनेट ने यह सीमा 50 फीसदी से घटाकर 30 प्रतिशत करने का आग्रह किया है.
यूरोपीय कमीशन के प्रवक्ता डेनियल फेरी ने बुधवार को कहा, "आमतौर पर यह दर 80 प्रतिशत थी. उपभोक्ता मांग में जो कमी हुई है, उसी के चलते यह 50 प्रतिशत की गई थी.”
पिछले साल दिसंबर में ही आयोग ने कहा था कि 28 मार्च से यह सीमा बढ़ाकर 64 प्रतिशत कर दी जाएगी क्योंकि उसे उम्मीद है कि ग्राहक बढ़ जाएंगे और मांग भी बढ़ेगी. (dw.com)
बुल्ली बाई ऐप का मुद्दा अभी शांत भी नहीं हुआ है कि अब एक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए हिंदू महिलाओं को निशाना बनाने का मामला सामने आया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम पर कथित रूप से हिंदू महिलाओं को लक्षित करने वाले एक चैनल को ब्लॉक किया गया है. उन्होंने बताया है कि सरकार मामले में आगे की कार्रवाई के लिए राज्यों की पुलिस के साथ समन्वय कर रही है.
यह प्रकरण ऐसे में सामने आया है जब बुल्ली बाई नाम के ऐप पर भारत में काफी बवाल मचा हुआ है. बुल्ली बाई ऐप की जांच कर रही पुलिस ने मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है. बुल्ली बाई ऐप मामले ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी, और इस कांड ने यह बताया कि महिलाएं इंटरनेट पर कितनी असुरक्षित हैं.
अब निशाने पर हिंदू महिलाएं
अश्विनी वैष्णव के संज्ञान में एक ट्विटर यूजर ने इस बात को लाया तो उन्होंने जवाब दिया कि टेलीग्राम चैनल को ब्लॉक कर दिया गया है और एजेंसियां राज्य की पुलिस के साथ कार्रवाई के लिए समन्वय कर रही है. ट्विटर यूजर ने लिखा था कि कथित चैनल पर हिंदू लड़कियां की तस्वीरें साझा की जा रही हैं, उन्हें गालियां दी जा रही हैं और उनको निशाना बनाया जा रहा है.
सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आदेश दिया है कि वह मेटा को ऐसे पेजों को तत्काल हटाने का निर्देश दे जो हिंदू लड़कियों के लिए आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट कर रहे हैं.
हाल के दिनों में विभिन्न समुदायों की महिलाओं को सोशल मीडिया पर निशाना बनाया गया है. उनकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की गई या फिर उन्हें सरेआम गाली दी गई. सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली कई महिलाओं ने ऐसे संदेश के स्क्रीनशॉट साझा किए जिनमें उन्हें गालियां दी गईं.
बुल्ली बाई ऐप पर ऐसी प्रमुख मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन बोली लगाई गई जो समाज में अपने समुदाय और वंचित लोगों की आवाज बनी हैं. इस ऐप को बनाने के आरोप में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. ये सभी युवा हैं और पढ़ाई कर रहे हैं. हालांकि इनके मन में नफरत के बीज बोने वाले असली गुनाहगार गिरफ्त से बाहर है.
ऑनलाइन उत्पीड़न झेलती महिलाएं
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के मुताबिक मार्च 2021 के अंत तक भारत में लगभग 82.5 करोड़ इंटरनेट यूजर थे. उनमें से अधिकांश वास्तविक हैं, जिनमें शरारती तत्वों की संख्या बहुत कम है. लेकिन ऐसे शरारती तत्वों में राष्ट्र, उसकी राजनीति, अर्थव्यवस्था और नागरिकों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में तबाही मचाने की घातक क्षमता होती है.
ऐसे तत्व देश के नाजुक सामाजिक ताने-बाने पर भी दबाव डाल सकते हैं, जैसा कि ओपन-सोर्स ऐप बुल्ली बाई में देखा जा सकता है, जिसे "मुस्लिम महिलाओं की नीलामी" के लिए वेब प्लेटफॉर्म गिटहब पर होस्ट किया गया था. कई बार फेक प्रोफाइल बनाकर या चेहरे को मॉर्फ कर लड़कियों को ब्लैकमेल तक किया जाता है. कई बार पीड़ित लड़कियां शर्म और डर की वजह से परिवार तक अपनी पीड़ा नहीं पहुंचा पाती हैं.
कड़वी सच्चाई यह है कि साइबर ब्लैकमेलिंग, इंटरनेट पर परेशान करना और डराना-धमकाना एक बहुत बड़ा मुद्दा है, जिससे महिलाओं और उनके परिवारों को काफी तनाव होता है. यह सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं है या किसी विशेष जाति या समुदाय के लिए विशिष्ट नहीं है. छोटे शहर भी बुरी तरह से प्रभावित हैं.
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2020 के दौरान भारत में कुल साइबर अपराध 50,035 थे और विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराध केवल 10,405 थे. ये आंकड़े जमीनी हकीकत का एक अंश मात्र हैं. कई बार महिलाएं समाज में बदनामी के डर से भी शिकायत नहीं करती हैं, क्योंकि मर्दवादी भारतीय समाज में पीड़ित महिलाओं पर ही इल्जाम मढ़ दिया जाता है. (dw.com)
बिहार में 24 सितंबर से 12 दिसंबर 2021 तक 11 चरणों में संपन्न पंचायत चुनाव के परिणाम से जाहिर है कि करीब 80 प्रतिशत नए चेहरे, खासकर मुखिया का चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट-
उत्तर प्रदेश की तरह बिहार में भी पंचायत चुनाव में वंशवाद व परिवारवाद का खेल लंबे समय से चलता आ रहा है. पंचायत चुनाव राजनीति की प्राथमिक पाठशाला मानी जाती है. विधायकों, सांसदों, पूर्व सांसदों-विधायकों की बहू-बेटियां चुनाव लड़तीं और जीतती रही हैं. किंतु, इस बार के चुनाव में बहुत कुछ अप्रत्याशित तौर पर बदल गया.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन काल का यह चौथा पंचायत चुनाव था. यह सही है कि यहां पंचायतों के लिए विभिन्न पदों पर होने वाले चुनाव राजनीतिक दलों के टिकट पर नहीं लड़े जाते, किंतु यह सबको पता रहता है कि कौन किसका वोट बैंक है. इसलिए चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों में जोर-आजमाइश का दौर शुरू हो गया था. पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों ने पार्टी के बैनर, झंडे-पोस्टर के बिना ही अपना दमखम दिखाया. किंतु, चुनाव परिणाम ने काफी हद तक भविष्य की राजनीति की एक झलक तो दिखा ही दी. परोक्ष रूप से ही सही, सत्ता पक्ष पर विपक्ष हावी रहा.
बदलाव की बयार
पंचायत चुनाव के परिणाम से यह साफ हो गया है कि राज्य में गांवों की सरकार बदलने के लिए लोग बेताब थे. इसलिए बदलाव की इस आंधी में महज 20 प्रतिशत मुखिया ही अपनी सीट बचा पाए. लोगों ने 80 प्रतिशत नए चेहरों पर ऐतबार किया. जाहिर है, चेहरों पर कामकाज की रिपोर्ट भारी पड़ी.
पूरे राज्य में ट्रेंड में बदलाव दिखा. मतदाताओं ने विकास के मुद्दे पर वोट किया. जाति की कोटरों से निकल कर एक हद तक साफ-सुथरी राजनीति को तवज्जो दी. यही वजह रही कि जिस मुखिया के कामकाज से जहां-जहां लोग संतुष्ट नहीं थे, वहां-वहां उन्हें बदल दिया. पंचायत चुनाव के दौरान ही कई जगह जहरीली शराब से मौत का मामला सामने आने पर कहा गया कि वोटरों को लुभाने के लिए पैसे के साथ-साथ शराब बांटी गई है. लेकिन, मतदाता प्रलोभन में नहीं फंसे.
उत्तर बिहार में पंचायत चुनाव पर नजर रख रहे पत्रकार सुधीर कुमार मिश्रा बताते हैं, ‘‘इस बार लोगों ने चुनाव में ग्रामीण योजनाओं में गड़बड़ी तथा पंचायत स्तर तक फैल चुके भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया. सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में व्याप्त कमीशनखोरी से लोग वाकई परेशान हो गए थे. कई जगह अगर दस प्रत्याशी थे तो पुराने मुखिया ने सर्वाधिक प्रलोभन दिया था, लेकिन लोगों पर इसका कोई असर नहीं हुआ.''
दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से विकास की कई योजनाएं पंचायतों के पास पहुंच गई हैं. नल-जल योजना, पंचायत सरकार भवन, सोलर लाइट, सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार व गली-नाली योजना समेत जल जीवन हरियाली से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायतों के माध्यम से हो रहा है. कई जगहों से इस संबंध में लगातार शिकायतें मिल रहीं थीं.
पंचायती राज एक्ट के तहत अभी तक जिला परिषद अध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख, मुखिया, उप मुखिया और सरपंच को उनके पद से बर्खास्त करने का प्रावधान है, किंतु वॉर्ड सदस्य, प्रखंड विकास समिति (बीडीसी) सदस्य, जिला परिषद सदस्य तथा पंच को हटाने का कोई प्रावधान नहीं था. इसलिए सरकार ने भी आजिज आकर पंचायती राज एक्ट संशोधन का मसौदा तैयार किया, ताकि भ्रष्टाचार के आरोपियों को हटाया जा सके.
नए हाथों में गांवों की कमान
मकर संक्रांति के बाद से राज्य के गांवों में नई सरकार काम करने लगेगी. इस बार कमान नए लोगों के हाथों में होगी. इनमें कई युवा होंगे, जिनमें इंजीनियर, वकील, एमबीए, डॉक्टर जैसे पेशेवर तथा विश्वविद्यालयों से निकले छात्र शामिल हैं. लोगों ने युवा व शिक्षित नए उम्मीदवारों को तरजीह दी. इसलिए कई दिग्गजों के परिजन तक चुनाव हार गए.
नालंदा जिले के सरमेरा प्रखंड के सभी आठ मुखिया पद महिलाओं को मिले. मुखिया निर्वाचित हुई भौतिकी से स्नातक 21 साल की आकांक्षा कहती हैं, ‘‘गांव-देहात में बुनियादी सुविधाओं का अभाव तो है ही, सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर है. मेरा लक्ष्य सर्वप्रथम अपने पंचायत में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाना है.''
इसी तरह मुखिया चुनी गई 22 वर्षीया संगीता का लक्ष्य पंचायत में शहर जैसी सुविधाएं मुहैया कराना तथा अपराध मुक्त बनाना है जबकि बेंगालुरू से बीटेक करने वालीं मुखिया अनुष्का अपने पंचायत कुशहर को नशा व भ्रष्टाचार मुक्त तथा शिक्षित बनना चाहती हैं. पुणे यूनिवर्सिटी से एमबीए पासआउट 29 वर्षीया बिंदु गुलाब यादव सबसे कम उम्र में मधुबनी जिला परिषद की चेयरमैन चुनी गई हैं. उनका कहना है, ‘‘युवाओं ने मुझे चुना है. मैं एक विजन के साथ आई हूं, पांच साल में जनता को मेरा काम दिखेगा.''
2021 के पंचायत चुनाव में राजनीति के दिग्गजों की परवाह भी लोगों ने नहीं की. मंत्रियों-विधायकों की बात तो छोड़िए, दो उप मुख्यमंत्रियों के संबंधियों को भी हार का मुंह देखना पड़ा. उप मुख्यमंत्री रेणु देवी के दोनों भाई अनिल कुमार व रवि कुमार पश्चिम चंपारण जिले में जिला परिषद का चुनाव भी नहीं जीत पाए. उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के चचेरे भाई को भी कटिहार जिले में पराजय का मुंह देखना पड़ा.
पत्रकार अनिल कुमार कहते हैं, ‘‘इशारा साफ है. इतने बड़े पैमाने पर हुआ बदलाव व्यवस्था से जनता के गुस्से का इजहार ही तो है. नाराजगी का आलम यही रहा तो इसका असर लोकसभा व विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. पंचायती राज एक्ट में संशोधन इसी आग को ठंडा करने की कोशिश है.''
जिलों में आधी आबादी का दबदबा
पंचायत चुनाव में चुने गए इन 11 हजार से अधिक पंचायत समिति सदस्यों तथा 1160 जिला परिषद सदस्यों ने अपने बीच से पंचायत समिति प्रमुख, उप प्रमुख तथा जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव किया. राज्य में जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के 38-38 पद हैं, इनमें 18 पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं. किंतु बीते तीन जनवरी को हुए चुनाव में महिलाओं ने 18 की बजाय 29 सीटों पर कब्जा जमा लिया. तीन चौथाई पदों पर काबिज होकर इन्होंने आरक्षित सीटों से इतर सामान्य सीटों पर भी अपना दमखम दिखाया. हालांकि, यह बात दीगर है कि इनकी जीत की पटकथा पुरुषों ने ही लिखी.
भविष्य में होने वाले सांसदी व विधायकी के चुनाव के मद्देनजर कई जिलों में इस चुनाव में दलीय निष्ठा भी तार-तार हो गई. जाति व समर्थक भी पीछे छूट गए. स्थानीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए कहीं सत्ताधारी तो कहीं विपक्षी दलों ने एक-दूसरे के लिए फील्डिंग सजाई.
राजनीतिक विश्लेषक रोहित सेन कहते हैं, ‘‘यह सही है कि जिला परिषद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव दलीय आधार पर नहीं होता है. किंतु, उस इलाके के सांसद, मंत्री व विधायक इसमें पूरी दिलचस्पी लेते हैं. इसके वोटरों के मोल-भाव पर नजर रखते हैं और इसके लिए वे धन भी लगाते हैं.''
नवाचारों का भी रहा असर
बिहार में इस बार पंचायत चुनावों में हुए नवाचारों ने भी अपना असर दिखाया है जिसकी सराहना पूरे देश में हो रही है. कई राज्यों ने पंचायत चुनाव में इस्तेमाल की जा रही नई तकनीकों के इस्तेमाल को देखने के लिए अपनी टीम को भी भेजा. इन तकनीकों के इस्तेमाल ने नामांकन से लेकर मतगणना तक को सरल, सुगम व पारदर्शी बना दिया.
पंचायत चुनाव में पहली बार ईवीएम का प्रयोग किया गया. प्रत्याशियों को ऑनलाइन नॉमिनेशन की सुविधा दी गई. मतदान केंद्रों की लाइव वेबकास्टिंग की गई. बोगस वोटिंग रोकने के लिए वोटरों की बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज कराई गई. वहीं, मतगणना के दौरान ऑप्टिकल रीडर कैमरे से डिजीटल फोटोग्राफी के साथ वीडियोग्राफी हुई, परिणाम की ऑनलाइन इंट्री की गई, ताकि किसी तरह गड़बड़ी की गुंजाइश न रह जाए.
काउंटिंग के दौरान ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉगनाइजेशन (ओसीआर) मशीन के उपयोग से इसकी लाइव जानकारी मिल रही थी कि किस ईवीएम से कितना वोट किस उम्मीदवार को मिला. पहली बार ईवीएम रखे जाने वाले स्थानों पर इलेक्ट्रॉनिक लॉक का इस्तेमाल किया गया. रोहित सेन के अनुसार मतदाताओं का बायोमीट्रिक सत्यापन तथा ईवीएम इस बार के पंचायत चुनाव में बड़ा गेम चेंजर बना. वह कहते हैं, ‘‘इस वजह से वोटर बेहतर तरीके से अपनी मर्जी के अनुसार जन प्रतिनिधियों को चुन सके. बोगस वोटिंग पर लगाम लग गई. नए चेहरों की जीत की यह बड़ी वजह रही.'' (dw.com)
जर्मनी में तीन दशक से भी लंबे वक्त के बाद भोजन जैसी बुनियादी चीजों और ईंधन के दामों तेज उछाल देखा जा रहा है. इससे न सिर्फ यूरोपीय सेंट्रल बैंक के प्रति गुस्सा बढ़ रहा है, बल्कि बचत पर जोर देने वाले लोग भी डरे हुए हैं.
जीमोन और लीना वेंडलैंड नवजात जुड़वां बच्चों के अभिभावक हैं. ये दोनों बहुत परेशान हैं और कहते हैं कि इनकी रोजमर्रा की जिंदगी डगमगाने सी लगी है. इसकी वजह है महंगाई, जो जर्मनी में बीते 30 वर्षों में सबसे ऊंचे स्तर पर है. वेंडलैंड परिवार बताता है कि उनकी बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी ने बिजली के दाम दोगुने करने का एलान कर दिया है. वहीं संपत्ती के दामों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है. जीमोन कहते हैं, "हम नहीं जानते कि आगे हमारा क्या हाल होने वाला है."
जर्मनी ही नहीं, पूरे यूरोप में बिजली, खाने और किराए जैसी चीजों के दाम अंधाधुंध बढ़ रहे हैं. यूरोप में महंगाई हर साल पांच-पांच फीसदी की दर से बढ़ रही है. जर्मन अर्थव्यवस्था के लिए दिसंबर और पूरे 2021 के आज ही जारी हुए आंकड़े दिखाते हैं कि रहन-सहन के दामों में केवल 2021 के दौरान 3.1 फीसदी की बढोत्तरी हुई. इसका कारण ऊर्जा की ऊंचीं कीमतों के अलावा सप्लाई चेन का अवरुद्ध होना भी रहा, जिसकी स्थिति कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई. इसके अलावा देश में लंबे वैल्यू ऐडेड टैक्स पर मिलने वाली छूट खत्म होने का भी इसमें हाथ रहा. सन 1993 से यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में इतनी महंगाई देखने को नहीं मिली थी.
कौन है इन हालात के लिए जिम्मेदार?
जर्मनी में सर्वाधिक बिकने वाले अखबार 'बिल्ड' ने इसका ठीकरा यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) पर फोड़ा है. अखबार के मुताबिक बैंक कीमतें स्थिर रखने में नाकाम रहा और इसकी 'चीप मनी पॉलिसी' ने हालात और खराब कर दिए. आसान भाषा में कहें, तो चीप मनी पॉलिसी में पैसे या किसी चीज की मात्रा बढ़ाकर महंगाई को थामे रखने की कोशिश होती है.
इस मुद्दे पर ईसीबी का कहना है कि ब्याज दर कम रखने और 1.85 ट्रिलियन यूरो कीमत के 'पैनडेमिक इमरजेंसी बॉन्ड' खरीदने का इसका फैसला अर्थव्यवस्था को कोरोना के असर से बचाने के लिए जरूरी था. हालांकि, जर्मनी में बचत पर जोर देने वाले लोग मानते हैं कि ईसीबी की 'जीरो ब्याज दर' की नीति उनकी संपत्तियों का नुकसान कर रही है.
हाल ही में 'बिल्ड' ने ईसीबी की प्रमुख क्रिस्टीन लगार्ड को 'मैडम इन्फ्लेशन' यानी महंगाई की वजह करार दिया था. अखबार ने कहा कि वह खुद 'शनैल के कपड़े पहनती' हैं, लेकिन 'पेंशन पाने वालों, कर्मचारियों और बचत करने वालों की तकदीर का मजाक उड़ाती' हैं. हालांकि, लगार्ड खुद भी बाजार में खाने की बुनियादी चीजों की बढ़ती कीमतों पर चिंता जता चुकी हैं.
ईसीबी की नीति में क्या है दिक्कत?
ईसीबी की 'अल्ट्रा लूज मनी पॉलिसी' की वजह से बचत करनेवाले लोग लंबे वक्त से बैंक को लेकर आशंकित रहे हैं. 'अल्ट्रा लूज मनी पॉलिसी' में बाजार में पैसों या कम ब्याज पर क्रेडिट की उपलब्धता बढ़ा दी जाती है और इसी के जरिए महंगाई को नियंत्रण में रखने की कोशिश की जाती है.
बिल्ड ने लगार्ड से पहले ईसीबी के प्रमुख मारियो द्रागी की तुलना वैंपायर से करते हुए उन्हें 'लोगों के खाते चूस जाने वाला' बताया था. जर्मनी को 1920 और 1970 के दशक में आई भारी मंदी की वजह से कई आर्थिक समस्याएं भुगतनी पड़ी थीं. आईएनजी के अर्थशास्त्री कार्स्टन ब्रेजस्की मानते हैं कि जर्मनी के आम नागरिकों में मंदी का बहुत गहरा डर है.
लगार्ड कई बार दोहरा चुकी हैं कि ये बढ़ी हुई कीमतें भविष्य में नीचे आएंगी, लेकिन जर्मनी में उनकी बात पर भरोसा करनेवाले कम हैं. 72 साल की मार्लेट क्रोबर पेशे से अध्यापिका थीं. वह कहती हैं, "मैडम लगार्ड के मुताबिक हम अगले साल के मध्य तक इससे उबर जाएंगे, लेकिन हम उनकी बात पर क्या ही भरोसा करें."
बैंक भी हैं चिंतित
जर्मनी के बैंकों ने भी लगार्ड के अनुमान पर संदेह जताया है. कॉमर्स बैंक के प्रमुख मानफ्रेड क्नोफ का कहना है, "हमें लगातार ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि यह महंगाई अस्थाई नहीं है और आने वाले बरसों में भी हालात ऐसे ही बने रहेंगे." वहीं डॉएच बैंक के प्रमुख क्रिश्टियान सेविंग ने भी यही चिंता जाहिर करते हुए केंद्रीय बैंक से अपनी मुद्रा नीति को जल्द बदलने की गुजारिश की है.
जर्मनी के केंद्रीय बैंक के मुखिया येंस वाइडमन ने हाल ही में एलान किया कि इस साल के अंत में वह अपना पद छोड़ देंगे. उनके एलान ने कई लोगों को चौंकाया है.वाइडमन पिछले एक दशक से जर्मनी के केंद्रीय बैंक के प्रमुख हैं और अकसर ईसीबी की मुद्रा-नीति के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. हालांकि, इस मुद्दे पर उन्हें बहुत समर्थन नहीं मिला है. 'डी वेल्ट' अखबार की मानें, तो वाइडमन की रवानगी के साथ ही 'जर्मनी में बचत करनेवालों का आखिरी पहरेदार' भी चला जाएगा.
ईसीबी की नीति के पक्ष धर भी हैं
हालांकि, कई विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि ईसीबी की नीतियों की वजह से ही यूरोजोन की समृद्धि सुनिश्चित हो सकी है. ब्रेजस्की कहते हैं, "आलोचक यह भूल जाते हैं कि ईसीबी ने यह सुनिश्चित किया है कि अर्थव्यवस्था को मदद मिलती रहे, यूरोजोन बना रहे और जर्मनी में नई नौकरियां पैदा हों, जो पिछले 20 साल में नहीं हुई हैं."
अर्थव्यवस्था के मजबूत होने से कर्मचारियों को फायदा होता रहा है और देश भी मामूली दरों पर कर्ज लेने में सक्षम रहा है. ऐसे में कुछ कंज्यूमर अब भी ईसीबी के पक्ष में हैं. पेंशन पानेवाले हरमन वॉट कहते हैं कि सेंट्रल बैंक ने यूरोजोन के 19 देशों की भलाई के लिए हरसंभव कोशिश की है. महंगाई बढ़ने से ग्राहकों में सामान खरीदने की क्षमता कम होती है, क्योंकि ऐसे में वे एक यूरो में उतनी चीजें नहीं खरीद पाते, जितनी पहले खरीद लेते थे. यही वजह है कि बचत पर जोर देने वालों को महंगाई से ज्यादा तकलीफ होती है.
ईंधन कीमतों का मसला
जर्मनी में महंगाई पिछले साल खूब बढ़ी, जब अर्थव्यवस्था 2020 में आई कोरोना महामारी के असर से उबरने की कोशिश कर रही थी और ईंधन की कीमतें तेजी से बढ़ ही थीं. हालांकि, अस्थाई तौर पर वैट घटाने की व्यवस्था खत्म होने से भी ईंधन कीमतें साल दर साल बढ़ी हैं. महामारी की वजह से मांग और आपूर्ति भी प्रभावित हुई, जिसका असर उत्पादों की कीमतों पर पड़ा.
इसके अलावा 2021 की शुरुआत में जर्मनी में डीजल,गैसोलीन, हीटिंग ऑइल और प्राकतिक गैस जलाने पर निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड को कम रखने के मकसद से लगाए गए कार्बन टैक्स की वजह से भी ईंधन कीमतों में उछाल आया.
वीएस/आरपी (एएफपी, डीपीए)
चेन्नई, 7 जनवरी | नए कोरोना मामलों में उछाल के बीच, तमिलनाडु भाजपा ने शुक्रवार को 12 जनवरी को मदुरै में एक पोंगल उत्सव 'मोदी पोंगल' को रद्द करने की घोषणा की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होने वाले थे। एक बयान में, भाजपा तमिलनाडु यूनिट के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने कहा कि इस उत्सव को रद्द कर दिया गया है और राज्य सरकार के कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।
अन्नामलाई ने हालांकि कहा कि प्रधानमंत्री के विरुधुनगर कार्यक्रम में 11 नए मेडिकल कॉलेजों के उद्घाटन के बारे में भी 12 जनवरी को फैसला राज्य सरकार करेगी।
भाकपा के राज्य सचिव ए.एम. नसीर ने 12 जनवरी से पुडुचेरी में होने वाले राष्ट्रीय युवा महोत्सव को रद्द करने का अनुरोध किया, साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी. नारायणसामी ने भी इसे स्थगित करने का आग्रह किया है।
पुडुचेरी के उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को लिखे एक पत्र में, नारायणसामी ने कहा कि कोरोना की वृद्धि के बीच राष्ट्रीय युवा महोत्सव आयोजित करने से क्षेत्र का स्वास्थ्य ढांचा पूरी तरह से चरमरा जाएगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 जनवरी | प्रधानमंत्री की सुरक्षा भंग के मुद्दे पर कांग्रेस बंटी हुई नजर आ रही है, लेकिन पंजाब से पार्टी सांसद मनीष तिवारी ने शुक्रवार को केंद्र और राज्य की दो अलग-अलग जांचों को ध्रुवीकरण का मामला बताते हुए मांग की है कि सिर्फ एक जांच कमेटी होनी चाहिए।
तिवारी ने ट्वीट किया, " पीएम की सुरक्षा से संबंधित एक संवेदनशील मुद्दे पर भी, पंजाब सरकार और जीओआईए ने 02 अलग-अलग जांच का आदेश दिए है। दोनों जांचों को आज एससी द्वारा विलय किया जाना चाहिए और एचसी- एससी न्यायाधीश द्वारा 01 जांच की जानी चाहिए।"
तिवारी ने गुरुवार को एचसी जज से जांच की मांग की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुधवार को पंजाब के फिरोजपुर दौरे के लिए सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक की जांच के लिए केंद्र ने एक कमेटी का गठन किया है।
एक सोशल मीडिया पोस्ट में, गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब के फिरोजपुर यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है।
पंजाब सरकार ने गुरुवार को खामियों की गहन जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने की घोषणा की। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि समिति में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मेहताब सिंह गिल और प्रमुख सचिव (गृह मामलों) अनुराग वर्मा शामिल होंगे। कमेटी तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 जनवरी | सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण सहित स्नातकोत्तर चिकित्सा परामर्श और प्रवेश के लिए रास्ता साफ कर दिया।
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और ए.एस. बोपन्ना वाली स्पेशल बेंच ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत और नीट-यूजी और नीट-पीजी के लिए 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस साल मार्च में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 8 लाख रुपये की आय के मानदंड के औचित्य पर फैसला करेगी।
स्नातकोत्तर मेडिकल प्रवेश में ईडब्ल्यूएस कोटे की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं और कोटा के पक्ष में केंद्र के तर्क को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को एक दिन की सुनवाई के बाद, अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति है, जहां राष्ट्रीय हित में, काउंसलिंग शुरू होनी है, जो रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध की एक प्रमुख मांग भी थी।
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और ए.एस. बोपन्ना ने कहा, "हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां राष्ट्रहित में काउंसिलिंग शुरू करना है।"
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि मौजूदा मानदंडों के अनुसार ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए पात्र सभी उम्मीदवारों को पंजीकरण के लिए अपने प्रमाण पत्र मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटा को समायोजित करने के लिए सभी सरकारी कॉलेजों में सीटों में वृद्धि की गई है।
उन्होनें कहा, "तो, यह सामान्य श्रेणी के छात्रों की संभावनाओं को नुकसान नहीं पहुंचाएगा .."
मेहता ने यह भी स्पष्ट किया कि सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में कोई आरक्षण नहीं है और कोई भी निर्णय दूरस्थ रूप से यह नहीं बताता है कि पीजी पाठ्यक्रमों में आरक्षण नहीं हो सकता है। ईडब्ल्यूएस कोटा के पहलू पर, उन्होंने कहा कि जब सरकार ने 8 लाख रुपये की आय सीमा तय करने का फैसला किया तो एक व्यापक अध्ययन और व्यापक परामर्श किया गया था।
केंद्र ने ईडब्ल्यूएस मानदंड पर फिर से विचार करने के लिए गठित तीन सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। (आईएएनएस)
लखीमपुर खीरी, 7 जनवरी | लखीमपुरी खीरी जिले के गौरीफांटा इलाके में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नेपाल की 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक 19 वर्षीय छात्रा को छह किलोग्राम चरस के साथ पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसे सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवानों ने गुरुवार को गिरफ्तार किया था।
उसके कपड़ों में छुपाए गए प्रतिबंधित पदार्थ की कीमत भारत में करीब 30 लाख रुपये है।
आरोपी छात्रा को पुलिस को सौंप दिया गया है। उसके खिलाफ नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) के तहत मामला दर्ज किया गया है। बाद में उसे जेल भेज दिया गया।
नेपाल के कंचनपुर जिले की रहने वाली आरोपी गौरीफेंटा सीमा के रास्ते भारत में दाखिल हुई जहां उसे प्रतिबंधित पदार्थ के साथ पकड़ा गया।
उसने पुलिस को बताया कि उसे ड्रग्स के साथ सीमा पार करने के लिए 15,000 रुपये दिए गए थे। उसने कहा कि पैसे से वह अपने परिवार की मदद करना चाहती थी।
गौरीफांटा पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) अश्विनी विश्वकर्मा ने कहा कि आपूर्तिकर्ता ने उससे कहा कि उसे एक बार सीमा पार करनी होगी, और भारत में कोई आकर ड्रग्स ले लेगा।
उन्होंने कहा, "सीमा पार ऐसे लोग हैं जो बेरोजगार युवाओं को जल्दी पैसा देकर ड्रग्स की तस्करी का लालच देते हैं। सीमा पार करने के बाद चरस की कीमत कम से कम चार गुना बढ़ जाती है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 जनवरी | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि उन्होंने सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल के विस्तार के बारे में फैसला नहीं किया है।
प्रधान मंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा, "साल अभी शुरू हुआ है और नवंबर दूर है। फिर सेना प्रमुख के कार्यकाल में विस्तार की चिंता क्यों है?"
उन्होंने कहा कि उन्होंने सैन्य नेतृत्व के साथ एक अभूतपूर्व संबंध का आनंद लिया है।
यह पूछे जाने पर कि विपक्षी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और सेना के बीच संभावित सौदे की अफवाहों के संदर्भ में, क्या उन्हें किसी भी तरफ से खतरा महसूस हुआ, प्रधानमंत्री ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से किसी भी प्रकार का दबाव में नहीं हैं।
खान ने कहा कि उन्हें सरकारी सहयोगियों का समर्थन प्राप्त है और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी सरकार अपने अनिवार्य पांच साल पूरे करेगी।
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, खान ने स्वीकार किया कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत होने के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करना उनकी सरकार की सबसे बड़ी कमी कहा जा सकता है, लेकिन उम्मीद है कि पीएमएल-एन नेता शहबाज शरीफ संघीय जांच एजेंसी द्वारा उनके खिलाफ लाए गए नए मामले में सजा से बच नहीं पाएंगे।
उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा में हालिया स्थानीय सरकार के चुनावों में सत्तारूढ़ पीटीआई की हार को एक बड़ा नुकसान करार दिया।
खान ने हालांकि पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार पर भरोसा जताया और कहा कि उम्मीद है कि उनकी पार्टी का प्रदर्शन बेहतर होगा। (आईएएनएस)
ऊधम सिंह नगर, 7 जनवरी | उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर में एक कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया है। ऊधम सिंह नगर के काशीपुर में गुरूवार को एक शख्स छुरा लेकर रावत के मंच पर पहुंच गया। इस दौरान वहां मौजूद कार्यकतार्ओं और नेताओं में अफरातफरी मच गई। ऊधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) दिलीप सिंह कुंवर ने बताया कि कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर चाकू लहराने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आनन-फानन कार्यकतार्ओं ने उस शख्स को पकड़ा और उससे छुरा छीना। इसके बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया।
ऊधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) दिलीप सिंह कुंवर ने बताया कि कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर चाकू लहराने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। कार्यक्रम में पूर्व सीएम हरीश रावत भी मौजूद थे। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
इस बीच, हल्दूचौड़ (नैनीताल) में आयोजित एक सभा में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार आने पर एक सप्ताह के भीतर तमाम सरकारी विभागों में भर्तियां शुरू कर दी जाएंगी। मातृ शक्ति को स्वयं सहायता समूह से जोड़ते हुए उन्हें घर बैठे आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। मोटाहल्दू के भवान सिंह नवाड़ गांव में आयोजित कांग्रेस की जनसभा में हरीश रावत ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने पांच सालों में कोई काम नहीं किया। अब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री घूम-घूम कर आश्वासनों का पिटारा खोल रहे हैं। कांग्रेस के शासनकाल में बनाए गए स्टेडियम की घास सुखाने के अलावा और कोई काम नहीं हो पाया। सरकार ने स्वरोजगार तक के अवसर समाप्त कर दिए हैं।
पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि 700 से अधिक किसानों की मौत की जिम्मेदार भाजपा को अब भी शर्म नहीं आ रही है, जहां किसान और गरीब तबके से जुड़े लोग अत्यधिक परेशान है। (आईएएनएस)
भोपाल, 7 जनवरी | मध्य प्रदेश में केारेाना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसे रोकने के लिए सरकार कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए सख्ती भी बरत रही है। इसी क्रम में वाहन चलाने वालों केा तभी पेट्रोल और डीजल मिलेगा, जब वे मास्क लगाएंगे।
राज्य के गृहमंत्री डा नरोत्तम मिश्रा ने बताया है कि प्रदेश में कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराया जाएगा। पेट्रोल पंप पर मास्क नहीं लगाने वाले वाहन चालकों को पेट्रोल और डीजल नहीं दिया जाएगा। इसके साथ मास्क नहीं लगाने पर सख्ती से जुर्माना वसूला जाएगा।
राज्य में कोरोना मरीजों का ब्यौरा देते हुए गृहमंत्री डा मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1320 नए केस आए हैं। वहीं 169 मरीज स्वस्थ हुए है। प्रदेश में वर्तमान में कुल 3780 एक्टिव केस हैं। कोरोना संक्रमण की दर 1.94 प्रतिषत और रिकवरी रेट 97.90 प्रतिशत है।
उन्होंने बताया कि राज्य में पुलिस के 13 जवान भी कोरोना संक्रमित हुए है, इनमें छह ग्वालियर में और एक दतिया का है।
उन्होंने आगे बताया है कि प्रदेश में अभी लॉकडाउन या कर्फ्यू लगाने का कोई विचार नहीं है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव गृह विभाग के पास विचाराधीन है। कोरोना की तीसरी लहर की परिस्थितियां पहली और दूसरी लहर से थोड़ा अलग हैं। अधिकांश लोगों को वैक्सीन लगी होने से संक्रमित तेजी से रिकवरी कर रहे हैं। (आईएएनएस)
बिजनौर, 7 जनवरी | उत्तर प्रदेश के बिजनौर की बेटियाँ बेटो से आगे निकल गयी है। नगीना तहसील क्षेत्र के कोतवाली देहात निवासी विजय वीर सिंह की पुत्री मेघना सिंह को बेहतर प्रदर्शन के आधार पर चार मार्च से न्यूजीलैंड में होने वाले महिला क्रिकेट विश्व कप टीम के लिए चयन किया गया। विश्वकप से पहले वह न्यूजीलैंड के खिलाफ 9 फरवरी को 20-20 और 11,14,16,22 और 24 फरवरी को एक दिवसीय मैच की श्रृंखला भी खेलेंगी।
भारतीय टीम में मेघना के चयन से परिजनो और कस्बे में जश्न का माहौल है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कैप्टन मिताली राज के नेतृत्व में आलराउंडर मेघना सिंह मध्यम गति की तेज गेंदबाज व बल्लेबाज है। बेहद सटीक गेंदबाजी ओर शानदार बल्लेबाजी उनका अचूक अस्त्र है। मेघना सिंह का न्यूजीलैंड विश्वकप मे चयन होने के बाद मेघना सिंह ने फोन पर बताया कि वह अपना शतप्रतिशत देने का प्रयास करेगी और न्यूजीलैंड से विश्वकप लेकर अपने देश लौटेगी। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 7 जनवरी | बेंगलुरु के एक निजी अंतरराष्ट्रीय स्कूल ने दूसरी कक्षा की एक छात्रा के माता-पिता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। मीको लेआउट पुलिस के अनुसार, स्कूल के अधिकारियों ने एक विविध शिकायत दर्ज की है जो गैर-सं™ोय है और माता-पिता को बुलाने और उन्हें परामर्श देने का अनुरोध किया गया है।
स्कूल ने पुलिस को बताया है कि माता-पिता ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था जिसमें शिक्षक पर छात्रों पर धार्मिक रिवाज थोपने का आरोप लगाया गया था।
वीडियो में दावा किया गया है कि उसके शिक्षक ने उसे अल्लाह से प्रार्थना करने के लिए कहा था।
लड़की का कहना है कि क्लास मनी चैप्टर की चीजों को याद नहीं कर पाई। तो, अगले दिन, शिक्षक ने उन्हें अल्लाह से प्रार्थना करने को कहा। जब उन्होंने अपने शिक्षक से कहा कि वे हिंदू हैं, तो शिक्षक ने उन्हें बताया कि अल्लाह एक बेहतर भगवान है।
स्कूल प्रबंधन ने जांच की और छात्र और शिक्षक से बात की।
क्लास के सीसीटीवी फुटेज भी चेक किए गए। जांच के बाद परिजनों के आरोप गलत निकले। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 जनवरी | सोशल मीडिया पर भारतपे के सीईओ अश्नीर ग्रोवर और कोटक समूह के एक कर्मचारी पर परिवार के एक सदस्य द्वारा कथित रूप से गाली-गलौज करने वाली एक ऑडियो क्लिप सामने आने के बाद, ग्रोवर ने गुरुवार को ट्वीट किया कि "यह एक फर्जी ऑडियो था, जो बिटकॉइन के जरिये उनसे पैसे निकालने की कोशिश कर रहा था।"
अनवेरिफायड ऑडियो क्लिप इस हफ्ते कथित तौर पर फैशन ई-कॉमर्स फर्म नायका में शेयरों का आवंटन न करने को लेकर वायरल हुई थी, जो हाल ही में सार्वजनिक हुई थी।
वायरल ऑडियो को एक गुमनाम हैंडल द्वारा ट्वीट के साथ पोस्ट किया गया था, "कैसे अमीर संस्थापक गरीब बैंक कर्मचारियों के साथ व्यवहार करते हैं"।
ग्रोवर ने एक ट्वीट में पोस्ट किया, "दोस्तों। चिल! यह कुछ घोटालेबाज द्वारा धन उगाहने की कोशिश कर रहा एक नकली ऑडियो है (बिटकॉइन में 2,40,000 यूएस डॉलर)। मैंने झुकने से इनकार कर दिया और इंटरनेट में पर्याप्त घोटालेबाज हैं :)"
उन्होंने अपने और यूनिकॉनबाबा के नाम से जाने वाले स्टार्टअप मार्केटर के बीच कुछ ईमेल एक्सचेंज भी शेयर किए।
एक ईमेल में, यूनिकॉनबाबा ने कथित तौर पर भारतपे के प्रचार और विपणन से संबंधित खर्चो के लिए 200,000 डॉलर का भुगतान करने के लिए कहा।
कथित ईमेल ग्रोवर द्वारा साझा किया गया, "आप 2 साल में आसानी से 800-1,000 संभावित स्टार्टअप सौदों की उम्मीद कर सकते हैं। साथ ही, मैं इमेज बिल्डिंग रणनीति में आपकी मदद करूंगा जो नेरेटिव को बदल देगा और इसी अवधि में 20-25 पॉजिटिव शाउटआउट और पीआर प्लस दें।"
भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में एक मुखर आवाज, ग्रोवर ने हाल ही में मीडिया रिपोर्टों में कहा कि "इसने बाजार की आवाज नहीं सुनी और तत्काल लिस्टिंग के लिए बाजार को खराब कर दिया"।
उन्होंने पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के सार्वजनिक पेशकश को 'गलत कीमत' देने के फैसले की आलोचना की।
(आईएएनएस)
संभल, 6 जनवरी | उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक श्रीलंकाई नागरिक को वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी देश में कथित रूप से अधिक समय तक रहने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
55 वर्षीय अब्दुल कादिर 30 साल पहले टूरिस्ट वीजा पर भारत आया था और उसने 1997 में संभल जिले की 50 वर्षीय राणा परवीन से शादी कर ली थी।
एडिशनल एसपी आलोक कुमार जायसवाल ने कहा कि दंपति अपनी बेटियों के साथ, पिछले दो वर्षों से संभल में रह रहे हैं। कादिर, चेन्नई के रास्ते भारत आया था।
एडिशनल एसपी ने कहा, "पत्नी से रिश्ता खराब होने के बाद,उसकी पत्नी ने ही पुलिस को सूचित किया कि उसका वीजा 31 दिसंबर, 2019 को समाप्त हो गया था, और वह अवैध रूप से देश में रह रहा था।"
उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम की धारा 14 के साथ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
कादिर संभल के नखासा इलाके से एक क्लिनिक चला रहा था और एक जन सेवा केंद्र के माध्यम से अपना आधार और पैन कार्ड बनवाने में कामयाब रहा था।
स्थानीय खुफिया इकाई और खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों ने उनसे पूछताछ की और अब उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
जायसवाल ने कहा कि हमने उस पर धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जो कोई भी धोखाधड़ी या बेईमानी से किसी भी दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करता है, जिसे वह जानता है या करने का कारण है) के तहत मामला दर्ज किया है।
(आईएएनएस)
चेन्नई, 6 जनवरी | नए ओमिक्रॉन वेरिएंट और कोविड-19 मामलों में वृद्धि के बीच राज्य सरकार द्वारा मेडिकल स्कूलों को छोड़कर सभी कॉलेजों को बंद करने की घोषणा के बाद तमिलनाडु भर के छात्र और शिक्षक चिंतित हैं। अधिकांश छात्रों ने अभी तक अपने प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम को पूरा नहीं किया है और वे धीरे-धीरे ऑनलाइन फॉर्मेट के विपरीत लंबे निबंध और वर्णनात्मक उत्तर लिखना सीख रहे हैं, जिसका वे पिछले लॉकडाउन के बाद से पालन कर रहे हैं।
कुछ कॉलेजों में, वर्णनात्मक लेखन पर मॉडल टेस्ट पेपर आयोजित करके परीक्षाओं को संभालने के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए व्यावहारिक परीक्षाएं भी चल रही हैं।
मदुरै में गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज के प्रोफेसर एम. रघुनाथन ने आईएएनएस को बताया, "छात्र धीरे-धीरे लेखन तकनीकों के साथ परिचित हो रहे थे और कक्षाएं धीरे-धीरे सामान्य हो रही थीं। अब, अचानक मामले बढ़ गए हैं, तो कॉलेजों को बंद करने के लिए कहा गया है। इससे छात्र एक वर्ग में वापस आ जाएंगे। हालांकि, स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है और बाकी पर काम किया जा सकता है।"
चेन्नई के गवर्नमेंट आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज के छात्र आर. बिंदू ने कहा, "मैं धीरे-धीरे वर्णनात्मक लेखन के साथ आ रहा था और अब कॉलेज बंद कर दिए गए हैं और हमें अब 21 जनवरी से शुरू होने वाली ऑफलाइन परीक्षाओं में सीधे शामिल होना होगा। ऑनलाइन अध्ययन के बाद इन उत्तरों को लिखना कठिन होगा।"
हालांकि, शिक्षकों को भरोसा है कि विश्वविद्यालयों द्वारा घोषित ऑफलाइन परीक्षाएं हमेशा की तरह आयोजित की जाएंगी और स्थिति सामान्य होने के बाद शारीरिक कक्षाएं फिर से शुरू की जाएंगी।
इरोड के एक सरकारी कॉलेज के प्रोफेसर पी. प्रकाश ने आईएएनएस को बताया, "छात्रों ने व्यावहारिक कक्षाएं ली थीं और कुछ मामलों में परीक्षा भी आयोजित की गई थी। अब, हमें यह पता लगाने के लिए इंतजार करना होगा कि भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के छात्रों की शेष व्यावहारिक परीक्षाएं कैसे आयोजित की जाएंगी। हम विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।"
(आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 5 जनवरी | राजधानी के मध्य में स्थित प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और ज्यादातर सोने, चांदी और हीरे, के साथ दुनिया का सबसे अमीर मंदिर है, लेकिन हाल में ही इसने केरल सरकार ने अपनी वित्तीय कठिनाइयों से निपटने के लिए एक आसान ऋण के लिए मदद मांगी है।
पद्मनाभस्वामी त्रावणकोर के शाही परिवार के संरक्षक देवता हैं। त्रावणकोर के महाराजा, मूलम थिरुनल राम वर्मा, मंदिर के ट्रस्टी हैं।
परिवार के एक शीर्ष व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि कोविड महामारी के बाद से चीजें उतनी अच्छी नहीं हैं।
शीर्ष सूत्र ने कहा कि मंदिर की कमाई में गिरावट आई है और राज्य सरकार द्वारा 2 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है और यह एक ऋण है और इसे एक साल में वापस देना होगा।
मंदिर में स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के लगभग 200 कर्मचारी हैं और एक बड़ी संख्या में पेंशन का भुगतान किया जाता है।
" मंदिर पर लगभग एक करोड़ रुपये का मासिक खर्च होता है और आम तौर पर जब तक महामारी नहीं आती, तब तक मंदिर सक्षम था, लेकिन महामारी के बाद, चीजें खराब हो गईं और इसलिए मंदिर को मदद के लिए राज्य सरकार से संपर्क करना पड़ा। " (आईएएनएस)
पटना, 5 जनवरी | बिहार में कोरोना की रफ्तार अब लोगों को बेदम करने लगी है। इस बीच, बुधवार को राज्य के दोनों उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके अतिरिक्त कई मंत्रियों के भी संक्रमित होने की खबर है।
उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने अपने कोरोना संक्रमित होने की जानकारी खुद ट्विटर से साझा की है।
उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, मेरी कोविड जाँच रिपोर्ट पॉजि़टिव आयी है। फिलहाल अपने पटना निवास पर क्वारंटीन हूँ। कृपया इस दौरान मेरे संपर्क में आए सभी लोग खुद को आइसोलेशन में रखकर अपनी सेहत से संबंधित सभी सतर्कता बरतें। आप सब भी अपना ध्यान रखें ।
इधर, बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई है। उन्होंने भी इसकी जानकारी अपने ट्विटर एकाउंट से साझा की है।
राज्य मंत्रिमंडल में शामिल अशोक चौधरी भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। उन्होंने भी इसकी जानकारी ट्वीट कर साझा करते हुए हाल के दिनों में संपर्क में आए लोगो से कोरोना की जांच करवाने की अपील की है। इधर कई अन्य मंत्रियों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना है।
उल्लेखनीय है कि जदयू अध्यक्ष ललन सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पहले ही संक्रमित हो चुके हैं और फिलहाल वे होम आइसोलेशन में हैं। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 5 जनवरी | कश्मीर में हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई और बुधवार को जम्मू क्षेत्र में बारिश का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग ने 6 और 7 जनवरी को खराब मौसम होने का अनुमान लगाया है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "6 और 7 जनवरी को मौसम खराब रहने की संभावना है, जबकि 9 जनवरी से इसमें सुधार शुरू होने की संभावना है।"
न्यूनतम तापमान श्रीनगर में 0.8, पहलगाम में माइनस 0.4 और गुलमर्ग में माइनस 4.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
लद्दाख के द्रास शहर में रात का न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 8.9, लेह में शून्य से 5.6 और कारगिल में शून्य से 0.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
जम्मू शहर में न्यूनतम 11.6, कटरा में 9.7, बटोटे में 2.1, बनिहाल में 1.6 और भद्रवाह में 3.2 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम दर्ज किया गया।
श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से सुबह की सभी उड़ानें रद्द कर दी गई, जबकि अन्य खराब दृश्यता के कारण देरी से चलीं।
यातायात विभाग ने यात्रियों को श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर यात्रा नहीं करने की सलाह दी है क्योंकि लगभग 300 किलोमीटर लंबी सड़क पर खराब मौसम जारी है।
जोजिला र्दे पर तेज बर्फबारी के कारण श्रीनगर-लेह राजमार्ग भी बंद कर दिया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 जनवरी | पिछले 24 घंटों में कोविड वेरिएंट ओमिक्रॉन के 243 नए मामलों का पता चलने के साथ, बुधवार को भारत का ओमिक्रॉन आंकड़ा बढ़कर 2,135 हो गया। इनमें से 828 लोग अब तक नए स्ट्रेन से उबर चुके हैं। इस नए वेरिएंट के साथ महाराष्ट्र और दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बने हुए हैं।
जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) ने अब तक ओमिक्रॉन संक्रमण की सूचना दी है, उनमें महाराष्ट्र इस प्रकार के 653 मामलों के साथ सूची में सबसे ऊपर है। उनमें से 259 मरीजों को बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार छुट्टी दे दी गई है। अकेले राज्य ने पिछले 24 घंटों में 85 नए ओमिक्रॉन मामले दर्ज किए हैं।
पिछले 24 घंटों में ओमिक्रॉन प्रकार के 82 मामलों का पता चलने के साथ, दिल्ली की संख्या 464 तक पहुंच गई है। राष्ट्रीय राजधानी में ओमिक्रॉन संक्रमण के दूसरे सबसे अधिक मामले हैं। हालांकि इनमें से 57 को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। दिल्ली के बाद केरल में 185 ओमिक्रॉन मामले हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार सुबह कहा कि ओमिक्रॉन संक्रमण अब तक 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैल चुका है।
अन्य राज्यों में, राजस्थान में अब तक 88 डिस्चार्ज के साथ 174 ओमिक्रॉनसंक्रमण का पता चला है। गुजरात और तमिलनाडु में अब तक ओमिक्रॉन के क्रमश: 154 और 121 मामले सामने आए हैं।
तेलंगाना में ओमिक्रॉन के 17 और मामले सामने आए हैं, जिससे पिछले 24 घंटों में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 84 हो गई है। कर्नाटक में अब तक 77 लोगों में ओमिक्रॉन संक्रमण पाया गया है जबकि हरियाणा में संक्रमण की संख्या 71 और ओडिशा में 37 है।
उत्तर प्रदेश ने पिछले 24 घंटों में 31 के बाद ओमिक्रॉन के 23 और मामले दर्ज किए हैं। आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में अब तक इस प्रकार के 24 और 20 मामले हैं।
हालांकि, मध्य प्रदेश में 9 और उत्तराखंड में 8 मामलों में ओमिक्रॉन मामलों की संख्या एकल अंक में जारी है। गोवा और मेघालय में प्रत्येक में 5 ओमिक्रॉन मामले सामने आए हैं। चंडीगढ़ और जम्मू कश्मीर में भी 3-3 मामले हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और पंजाब में अब तक 2-2 मामले सामने आए हैं। इस बीच, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख, मणिपुर इस प्रकार के एक-एक मामले है। (आईएएनएस)
भारत ने 2021 में सोने के आयात के सारे पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. बीते साल भारत में 1050 टन सोना आयात किया गया जो 2020 से दोगुने से भी ज्यादा है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
साल 2021 में भारत ने 1050 टन सोना आयात किया और इस पर 55.7 अरब अमेरिकी डॉलर यानी चार अरब से ज्यादा रुपये खर्च किए. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से यह खबर दी है.
2021 में खुदरा बाजार में सोने की भारी मांग दर्ज की गई. इसका मुख्य कारण 2020 में शादियों का टलना और सोने की कीमत में आई कमी को माना जा रहा है. 2020 में भारत ने सोने के आयात पर 22 अरब डॉलर खर्च किए थे, जो 2021 के मुकाबले आधे से भी कम थे.
भारत दुनिया में सोने के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से है. 2021 में उसने इस बहुमूल्य धातु के आयात के पिछले रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया. सोने के आयात का लेखा-जोखा रखने वाले एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इससे पहले 2011 में 53.9 अरब डॉलर का सोना आयात किया गया था. इस अधिकारी ने कहा कि 2020 में 430 टन सोना आयात हुआ था जबकि 2021 में इसकी मात्रा दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर 1050 टन पर पहुंच गई, जो पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है.
महामारी का असर
जानकारों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कमी ने भारतीय खरीददारों को प्रोत्साहित किया. कोलकाता में सोने के थोक विक्रेता हर्षद अजमेरा बताते हैं, "पिछले साल तो मांग जबरदस्त थी क्योंकि कोरोनावारस महामारी के कारण 2020 में शादियां टल गई थीं.”
2019 के आखिर में कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत चीन में हुई थी और मार्च 2020 में भारत ने बेहद सख्त लॉकडाउन लागू कर दिया था. इस विशाल तालाबंदी ने ना सिर्फ बाजार और दुकानें बंद करा दी थीं बल्कि आम जनजीवन को भी पूरी तरह थाम दिया था.
तालाबंदी के कारण बड़ी संख्या में शादियां टल गईं जो सोने की खरीददारी की भारत में एक बड़ी वजह मानी जाती हैं. इसके अलावा अक्षय तृतीया जैसे त्योहारों पर भी लोग जमकर सोना खरीदते हैं लेकिन लॉकडाउन के कारण यह त्योहार भी बहुत छोटे पैमाने पर मानाया गया और मांग बेहद कम रही.
अजमेरा कहते हैं कि ये कारण तो थे ही, इनके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमत भी कम हुईं जिस कारण 2021 की शुरुआत में लोगों ने काफी खरीददारी की थी.
फिर घट सकती है मांग
अगस्त 2020 में सोने की कीमत भारतीय बाजार में 56,191 रुपये प्रति दस ग्राम पहुंच गई थी जो एक नया रिकॉर्ड था. लेकिन मार्च 2021 में यह कीमत 43,320 रुपये पर लौट आई. उसी महीने में 177 टन सोना आयात किया गया. पिछले साल दिसंबर में 86 टन सोना आयात किया गया जो 2020 दिसंबर के 84 टन से थोड़ा ज्यादा था.
2022 की शुरुआत से कोरोनावायरस के मामलों की संख्या फिर से बढ़ने के कारण बाजार में लॉकडाउन का डर सता रहा है जिसका असर सोने की मांग पर भी हो सकता है. मुंबई स्थित एक डीलर ने कहा कि जूलर्स को लॉकडाउन का डर है जिसक कारण उन्होंने खरीद कम कर दी है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक पिछले साल की पहली तिमाही में विश्व बाजार में सोने की मांग बढ़ी थी लेकिन दूसरी और तीसरी तिमाही में इसमें कमी आई. दूसरी तिमाही में मांग 10 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 7 प्रतिशत कम रही. अक्टूबर में जारी आंकड़ों के मुताबिक तीसरी तिमाही में 831 टन सोना खरीदा गया था. (dw.com)
नई दिल्ली, 4 जनवरी | तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने गोवा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्यसभा सदस्य सुष्मिता देव और अलीपुरद्वार से पूर्व विधायक सौरव चक्रवर्ती को पार्टी की गोवा प्रदेश इकाई का सह-प्रभारी नियुक्त किया है।
इसको लेकर टीएमसी ने अपने बयान में कहा, ''हमारी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने सुष्मिता देव (सांसद, राज्यसभा) और डॉ. सौरव चक्रवर्ती को एआईटीसी गोवा इकाई का सह-प्रभारी तत्काल प्रभाव से नियुक्त किया है।
गौरतलब है कि गोवा में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके चलते टीएमसी जोर-शोर से चुनावों की तैयारी में जुटी है। हाल ही में पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने गोवा के लोगों को गृहलक्ष्मी स्कीम का वादा किया था, रविवार को गोवा में टीएमसी ने अपने दूसरे चुनावी वादे के तहत वहां 'युवा शक्ति कार्ड' की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य गोवा के युवाओं को सशक्त बनाना है। इस योजना के तहत राज्य के युवाओं को 20 लाख रुपये तक की जमानत-मुक्त ऋण सुविधा मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि सुष्मिता देव कुछ समय पहले भी कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल हुईं थीं। जिसके बाद पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने उन पर विश्वास जताते हुए गोवा ईकाई में अहम जिम्मेदारी दी है। टीएमसी में शामिल होने से पहले सुष्मिता देव महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चकी हैं।
इससे पहले गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री फलेरियो ने कांग्रेस का दशकों का साथ छोड़कर पिछले साल सितंबर में तृणमूल का दामन थाम लिया था। इसके बाद अक्टूबर में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था।
गौरतलब कि बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी भी गोवा में पार्टी के संगठन को मजबूत करने के लिए दो महीने के भीतर दो बार पश्चिम के इस तटीय राज्य का दौरा कर चुकी हैं।
वहीं तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद अभिषेक बनर्जी भी हाल के महीनों में कई बार गोवा का दौरा कर चुके हैं। टीएमसी पहले ही इस साल होने वाले 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। चुनाव से पहले हाल में तृणमूल कांग्रेस ने गोवा में कई क्षेत्रीय दलों के साथ भी गठबंधन किया है। इन तमाम गतिविधियों का प्रचार प्रसार करने और गोवा इकाई को मजबूत करने के लिए पार्टी ने फिलहाल दो सह-प्रभारी नियुक्त किये हैं। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 4 जनवरी | ओडिशा के गंजम ने खुद को बाल विवाह मुक्त जिला घोषित कर दिया है। जिला कलेक्टर विजय अमृता कुलंगे ने कल इस आशय का आदेश जारी किया है।
आदेश में कहा गया है कि "संबंधित ब्लॉक विकास अधिकारियों (बीडीओ), तहसीलदारों, एनएसी के कार्यकारी अधिकारियों और बाल विवाह निषेध अधिकारियों द्वारा विधिवत सत्यापन के बाद, जिसकी सिफारिश जीपी, वार्ड, ग्राम स्तरीय टास्क फोर्स समितियों द्वारा की गई है, प्रशासन गंजम ने एतद्द्वारा गंजम जिले को बाल विवाह मुक्त जिला घोषित किया है।"
कलेक्टर ने कहा कि जिले में 3,309 बाल विवाह मुक्त गांव, शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के तहत 280 बाल विवाह मुक्त वार्ड और 503 बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायत हैं। निर्भया कढ़ी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उनकी टीम ने काफी मेहनत की है।
बाल विवाह को नियंत्रित करने के लिए, गंजम प्रशासन ने यूनिसेफ और एक्शनएड इंडिया की मदद से 2019 में निर्भया कढ़ी कार्यक्रम शुरू किया था। कार्यक्रम के तहत, बाल विवाह की बुराइयों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए पंचायत और वार्ड-स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया था। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 4 जनवरी | दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के ओके इलाके में सुरक्षा बलों के साथ जारी मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए हैं। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि मारे गए दोनों आतंकवादी स्थानीय बताए जा रहे हैं और लश्कर-ए-तैयबा/प्रतिरोध मोर्चा से संबंधित हैं।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ट्वीट किया, "एक और आतंकवादी मारा गया, कुल 2 ढ़ेर हो गये। मारे गए दोनों आतंकवादी स्थानीय हैं और प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर/टीआरएफ से जुड़े हैं। वे कई आतंकी अपराधों में शामिल थे।"
पुलिस और सुरक्षा बलों की एक संयुक्त टीम ने इलाके को घेर लिया और आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में विशेष जानकारी के आधार पर तलाशी अभियान शुरू करने के बाद मुठभेड़ हुई।
जैसे ही सुरक्षा बल उस स्थान पर पहुंचे, जहां आतंकवादी छिपे हुए थे, मुठभेड़ शुरू हो गई। (आईएएनएस)