राष्ट्रीय
अयोध्या, 27 दिसंबर | अयोध्या में राममंदिर का निर्माण में बाधा आ रही है, क्योंकि मंदिर के नीचे भुरभुरी मिट्टी होने के कारण पाइलिंग यानी पिलर डालने में समस्या आ रही है। राममंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने कहा कि आईआईटी, इंजीनियरिंग संस्थानों और निर्माण कंपनियों के विशेषज्ञों के साथ परामर्श जारी है।
राय के अनुसार, परीक्षण में पिलरों को 125 फीट की गहराई तक ले जाया गया था और 28 दिनों के बाद उसे 700 टन वजन के साथ-साथ भूकंप के झटके देकर जांच किया गया, लेकिन परिणाम मानदंडों के अनुसार नहीं आए, जिसके चलते काम वहीं रुक गया।
समस्याओं के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिमी तरफ पानी का प्रवाह है, जहां सरयू नदी से पवित्र अभयारण्य बनाया जाना है।
17 मीटर नीचे तक कोई 'मूल मिट्टी' नहीं है और उसके नीचे एक भुरभुरी मिट्टी पाई जा रही है, जो नींव को मजबूत पकड़ बनाने से रोकता है।
राय ने कहा कि मद्रास, बॉम्बे, गुवाहाटी और सूरत के आईआईटी के विशेषज्ञों को जोड़ते हुए, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की, टाटा, लार्सन एंड टुब्रो और मंदिर के प्रोजेक्ट मैनेजर जगदीश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कैसे एक मजबूत आधार सुनिश्चित किया जाए और वाटर इनफ्लो मुद्दे से निपटा जाए।
उन्होंने कहा, "जमीन के नीचे पानी के संभावित प्रवाह को रोकने के लिए राम मंदिर के आसपास जमीन के नीचे एक रिटेनिंग वॉल बनाई जाएगी।"
राय ने कहा कि मंदिर की नींव पर काम जनवरी से शुरू होगा, क्योंकि विभिन्न आईआईटी और इंजीनियरिंग संस्थानों के विशेषज्ञ एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। (आईएएनएस)
अमरावती, 27 दिसंबर | आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में रविवार को एक ट्रक से टकरा जाने के बाद मोटरसाइकिल में आग लग गई, जिसपर सवार दो लोग जिंदा जल गए। पुलिस ने कहा कि टक्कर इतनी जोरदार थी कि मोटरसाइकिल का पैट्रोल टैंक फट गया, जिसके चलते उसमें आग लग गई। आग की लपटों की चपेट में आने से दोनों व्यक्तियों की मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार दुर्घटना में बाइक पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई, जबकि ट्रक आंशिक रूप से जल गया।
मृतकों की पहचान रोशी रेड्डी (65) और नारायण रेड्डी (45) के रूप में की गई, दोनों एक ही जिले के बोगलकट्टा गांव के निवासी थे। यह हादसा तब हुआ जब वह एक मंदिर का दर्शन करके घर लौट रहे थे। (आईएएनएस)
प्रमोद कुमार झा
दिल्ली, 27 दिसंबर | आपदा को अवसर में बदलने की कोशिश में जुटी मोदी सरकार ने 'वोकल फॉर लोकल' के मंत्र के साथ कोरोना काल में जब आत्मनिर्भर भारत अभियान का आगाज किया तो गांव, गरीब और किसान को उसके केंद्र में रखा और इनसे जुड़ी तमाम योजनाओं और कार्यक्रमों पर विशेष जोर दिया गया। इसी कड़ी में सरकार ने कृषि सुधार के कार्यक्रमों को अमलीजामा पहनाने के लिए अध्यादेश के माध्यम से कृषि से संबंधित तीन नये कानूनों को लागू किया। लेकिन इन कानूनों को लेकर किसान और सरकार के बीच तकरार जारी है।
संसद के मानसून सत्र में कृषि से संबंधित तीन अहम विधेयकों के दोनों सदनों में पारित होने के बाद इन्हें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के रूप सितंबर में लागू किया गया। मगर अध्यादेश के आध्यम से ये कानून पांच जून से ही लागू हो गए थे।
सरकार का कहना है कि कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020 से किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए राज्यों में संचालित एपीएमसी मंडियों के अलावा एक और विकल्प मिला है और राज्यों में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) द्वारा संचालित मंडियों के बाहर खरीद-बिक्री पर शुल्क नहीं होने से किसानों को उनके उत्पादों का वाजिब दाम मिलेगा। मगर, आंदोलन की राह पकड़े किसानों का मानना है कि एपीएमसी के बाहर कॉरपोरेट खरीदार भले ही कुछ साल उन्हें अच्छा दाम दे मगर इससे जब एपीएमसी मंडियां तबाह हो जाएंगी तब निजी मंडियों के कॉरपोरेट खरीदारों को उन्हें औने-पौने दाम पर फसल बेचने को मजबूर होना पड़ेगा। इस कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर भी उनको एतराज है। हालांकि सरकार ने एपीएमसी संचालित मंडियों के भीतर और बाहर कारोबार में समानता लाने की ²ष्टि से एक समान शुल्क की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है। सरकार ने किसानों को इसके अलावा कानून से जुड़ी किसानों की अन्य आपत्तियों का भी समाधान करने के प्रावधानों शामिल करने का आश्वासन दिया है।
सरकार का कहना है कि कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 से छोटे किसानों को लाभ मिलेगा क्योंकि वे प्रोसेसर्स, एग्रीगेटर्स, होलसेलर्स, बड़े रिटेलर्स और एक्सपोटर्स के साथ फसल का करार कर पाएगा और फसल की कीमत पहले ही तय हो जाएगी जिससे हार्वेस्टिंग के समय फसल का बाजार भाव कम होने पर भी किसानों को करार में पहले से तय कीमत ही मिलेगी। साथ ही, किसानों को नई टेक्नोलोजी, बीज व अन्य साधन स्पांसर मुहैया करवाएगा जोकि छोटे किसानों के लिए मुश्किल होता है। मगर, किसानों को आशंका है कि खेती के इस करार में उन्हें अपनी जमीन के मालिकाना हक से वंचित होना पड़ सकता है। सरकार ने इस पर स्पष्टीकरण दिया है करार फसल को होगा न कि खेत का। इस कानून में भी सरकार ने किसानों के सुझावों पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
सरकार ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के जरिए अनाज, दलहनों, आलू, प्याज, खाद्य तेल व तिलहनों को आवश्यक वस्तु की श्रेणी से बाहर कर दिया है। नये कानूनी प्रावधानों के अनुसार, विशेष परिस्थितियों में ही इन पर स्टॉक लिमिट लगाई जा सकती है। बताया जाता है कि इन वस्तुओं को सरकारी नियंत्रण से बाहर करने का मकसद इनके भंडारण, प्रसंस्करण की सुविधा का विस्तार करना है जिसका फायदा किसानों को ही मिलेगा।
कृषि क्षेत्र सुधार के लिए नए कानून लाने और कोरोना काल में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के तहत की गई घोषणाओं से पहले ही मोदी सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के आम बजट में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 16 सूत्री कार्ययोजना की घोषणा की थी। इन घोषणाओं के तहत कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि उड़ान से लेकर खराब होने वाले कृषि उत्पादों के परिवहन के लिए पीपीपी मोड में किसान रेल चलाने का एलान शामिल था।
कोरोना काल में केंद्र सरकार की ओर से एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इन्फ्रास्ट्रक्च र फंड की घोषणा कृषि सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे फसलों की कटाई के बाद के प्रबंधन की बुनियादी सुविधा यानी पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इन्फ्रास्ट्रक्च र का निर्माण होगा जिसका लाभ आखिरकार किसानों को होगा।
मोदी सरकार द्वारा 2020 में कृषि के क्षेत्र को बढ़ावा देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के मकसद से लिए गए तमाम फैसलों में अहम तीनों नये कृषि कानून हैं जिन्हें सरकार किसी भी सूरत में वापस लेने को तैयार नहीं है और दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठन तीनों कानूूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ताएं बेनतीजा रहने के बाद अब किसानों की ओर से 29 दिसंबर को फिर अगले दौर की वार्ता प्रस्तावित है। किसान संगठनों की ओर से अगले दौर की वार्ता के लिए जो एजेंडा सरकार के पास भेजा गया है उसमें शामिल चार मुद्दों में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि पहले नंबर पर है।
इसके अलावा, सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसएपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान पर वे सरकार से बातचीत करना चाहते हैं। अगले दौर की वार्ता के लिए प्रस्तावित अन्य दो मुद्दों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं और किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में जरूरी बदलाव शामिल हैं।
ऐसे में साल 2020 के आखिर में मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए कृषि सुधार पर जारी तकरार के खत्म होने का इंतजार बना रहेगा। (आईएएनएस)
ग्वालियर, 27 दिसंबर | केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जिला प्रशासन ने एक ऐसे व्यापारी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है, जिसने किसानों के साथ धोखाधड़ी की और भाग गया। प्रशासन ने उस व्यापारी की जमीन और मकान नीलाम कर किसानों को रकम दिलाई है। मामला ग्वालियर के भितरवार तहसील का है। यहां किसानों से धोखाधड़ी करने वाले व्यापारी की संपत्ति की सार्वजनिक नीलामी की कार्रवाई की गई।
व्यापारी ने किसानों की उपज खरीदी और भाग गया। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को जब इस मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने तत्काल व्यापारी के विरुद्ध बेलगढ़ा थाने में एफआईआर दर्ज कराई तथा पुलिस के माध्यम से व्यापारी को पकड़ने के निर्देश दिए। कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम भितरवार अश्विनी रावत ने व्यापारी की जमीन एवं मकान को नीलाम करने की कार्रवाई भी तत्परता से शुरू की।
प्रशासन ने व्यापारी बलराम उर्फ बब्लू का मकान एक लाख 45 हजार रुपये में तथा उसकी जमीन दो लाख 75 हजार रुपये में नीलाम कर दी। नीलामी की राशि से 6 किसानों को राशि वापस कराई गई।
बताया गया है कि भितरवार तहसील के ग्राम बाजना के कृषकगण देवेंद्र सिंह पुत्र रामसिंह रावत एवं अन्य 23 किसानों से ग्राम बाजना निवासी बलराम उर्फ बल्लू द्वारा नवंबर में धान एवं अन्य फसल खरीदी गई तथा 1730 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से धान का भुगतान 15 दिन में करने का आश्वासन दिया। किसानों का भुगतान समय पर न करने के साथ ही वह गांव से अपने मकान में ताला लगाकर धोखाधड़ी करते हुए भाग गया।
अनुविभागीय अधिकारी को जब इस धोखाधड़ी की शिकायत प्राप्त हुई तो उन्होंने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सरलीकरण अधिनियम 1920 के तहत प्रकरण दर्ज किया तथा बलराम पुत्र मंगाराम परिहार निवासी बाजना को सूचना पत्र जारी किया गया। इसके साथ ही सुलह बोर्ड का गठन किया गया।
सुलह बोर्ड द्वारा बताया गया है कि चूंकि आरोपी फरार है, सुलह नहीं की जा सकती। लिहाजा, आरोपी की संपत्ति को कुर्क कर नीलाम किया जाए। बोर्ड द्वारा जानकारी ली गई कि आरोपी के पास ग्राम बाजना में 20 गुणा 50 वर्गफुट में मकान तथा शामिल खाते में भूमि है। पटवारी के प्रतिवेदन के आधार पर संपत्ति कुर्क कर वारंट जारी किया गया।
बताया गया है कि शनिवार को तहसील मुख्यालय पर नीलामी की कार्रवाई की गई, जिसमें मकान एक लाख 45 हजार रुपये में तथा भूमि दो लाख 75 हजार रुपये में नीलाम हुई। नीलामी में प्राप्त हुई राशि को जिन किसानों के साथ धोखाधड़ी हुई थी उनको वितरित की गई।
अनुविभागीय अधिकारी भितरवार, अश्विन कुमार ने बताया कि बलराम परिहार उर्फ बल्लू के विरुद्ध पुलिस थाना बेलगढ़ा में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। पुलिस आरोपी को पकड़ने की कोशिश कर रही है। (आईएएनएस)
अमरावती, 27 दिसंबर | ब्रिटेन से आंध्र प्रदेश में लौटने वाले छह यात्रियों समेत उनके संपर्क में आए चार व्यक्ति अब तक कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को इसकी जानकारी दी है। ब्रिटेन से आंध्र प्रदेश में लौटे कुल 1,216 यात्रियों में से 1,187 की पहचान कर ली गई है और बाकी के 29 यात्रियों का पता लगाने का प्रयास जारी है।
कुल 1,162 यात्रियों को क्वॉरंटाइन किया गया है। यहां से लौटे छह यात्री कोरोना की जांच में पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें से दो गुंटूर जिले से हैं और एक-एक क्रमश: गोदावरी, कृष्णा, अनंतपुर और नेल्लोर जिले के रहने वाले हैं।
अधिकारियों ने ब्रिटेन से लौटे यात्रियों के संपर्क में आए 3,282 लोगों की भी पहचान कर ली है और परीक्षण के लिए इनके नमूने भी भेज दिए गए हैं। इनमें से चार अब तक कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। इनमें से एक गुंटूर जिले का है, जबकि एक नेल्लोर का रहने वाला है। (आईएएनएस)
इम्फाल, 27 दिसंबर | केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर को अपने दिल में बसाए रखा है और इसी वजह से वह इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर केंद्रीय फंड्स दे रहे हैं। साथ ही प्रधानमंत्री ने दशकों पुराने आतंकवाद को यहां शांत किया और शांति की स्थापना की
शाह ने यहां कई परिरयोजनाओं की आधारशिला रखने के बाद कहा, "पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास मोदी जी का मंत्र है, इसलिए उन्होंने (प्रधानमंत्री) और उनके नेतृत्व वाली सरकार ने इस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित किया है और सभी वर्गों के आर्थिक उत्थान के लिए काम किया है।
यहां हाप्ता कंगजेईबंग मैदान में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक इस क्षेत्र के सभी राज्यों का लगभग 40 बार दौरा कर चुके हैं। मोदी जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इस क्षेत्र को एक नई पहचान दी है।"
"भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद, पूर्वोत्तर क्षेत्र को विकास में प्राथमिकता दी गई है।"
एक दिवसीय यात्रा पर रविवार को गुवाहाटी से यहां आए गृहमंत्री ने कहा कि पहले, मणिपुर आतंकवाद, नाकाबंदी, बंद, आंदोलन के लिए जाना जाता था, लेकिन वर्तमान में, अधिकांश आतंकवादी संगठन अपनी हिंसक गतिविधियों से दूर हो गए हैं और मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।
कांग्रेस की आलोचना करते हुए, शाह ने कहा कि पार्टी मणिपुर की कई समस्याओं को हल करने में विफल रही। कांग्रेस का यहां 2017 तक शासन था।
गृहमंत्री ने कहा, "पिछले तीन वर्षों के दौरान, मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह के नेतृत्व में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार राज्य में प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रही है।
शाह असम और मणिपुर की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के अंतिम चरण में, रविवार दोपहर को गुवाहाटी से इंफाल पहुंचे और चूराचंदपुर में एक मेडिकल कॉलेज सहित सात परियोजनाओं की नींव रखी।
शाह ने कहा कि रविवार को अनावरण किए गए प्रोजेक्ट पर्याप्त रोजगार के अवसर लाएंगे और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद को काफी बढ़ावा देंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि राज्य में एक फोरेंसिक साइंस कॉलेज स्थापित किया जाएगा और मुख्यमंत्री से इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कहा है।
शाह ने कहा कि राज्य के युवाओं के पास उत्कृष्ट आईटी कौशल है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे में अच्छी तरह से जानते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि मोदी ने मंत्रियों को हर 15 दिनों में पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा करने को कहा था।
गृहमंत्री ने घोषणा की कि राज्य में एक स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी शुरू हो रही है, जबकि इंफाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का आधुनिकीकरण किया जा रहा है।
दिल्ली रवाना होने से पहले, शाह ने कुछ नागरिक समाज संगठनों के नेताओं और महत्वपूर्ण हस्तियों के साथ बंद दरवाजे की बैठक की। (आईएएनएस)
चंड़ीगढ़, 27 दिसंबर | कृषि कानून के खिलाफ किसानों के विरोध के बीच, हरियाणा में नगरपालिका चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। मगर काफी कम मतदान हुआ। राज्य में सत्ताधारी पार्टी भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी और कांग्रेस आमने सामने रही।
मतदान के अंत तक अंबाला, पंचकूला और सोनीपत के नगर निगमों का मतदान प्रतिशत क्रमश: 52 प्रतिशत, 35 प्रतिशत और 48 प्रतिशत रहा।
चुनाव अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि और जगहों का आंकड़ा आने पर मतदान का प्रतिशत और बढ़ने की उम्मीद है।
अक्टूबर 2019 में राज्य में भाजपा-जेजेपी गठबंधन के सत्ता में आने के बाद ये राज्य में पहला चुनाव हैं।
मेयर और अंबाला, पंचकूला और सोनीपत के नगर निगमों के वार्डो के सदस्यों और रेवाड़ी की नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष और सदस्यों और सांपला (रोहतक), धारूहेड़ा (रेवाड़ी) और उकलाना (हिसार) नगरपालिका समितियों के सदस्यों के लिए मतदान हुआ।
मतगणना 30 दिसंबर को होगी। (आईएएनएस)
कोलकाता, 27 दिसंबर | सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) समर्थित बुद्धिजीवियों के एक समूह ने रविवार को नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के समर्थन में यहां प्रदर्शन किया। ये लोग विश्व भारती विश्वविद्यालय (वीबीयू) परिसर में सेन का नाम गैरकानूनी ढंग से रहने वालों की सूची में डाले जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। थियेटर से जुड़े और पश्चिम बंगाल के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ब्रात्य बासु द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन कोलकाता के ललित कला अकादमी के परिसर के सामने आयोजित किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भारती विश्वविद्यालय ने कहा कि अमर्त्य सेन के दिवंगत पिता द्वारा कानूनी तौर पर पट्टे पर ली गई 125 डिसमिल जमीन के अलावा, 13 डिसमिल जमीन पर अवैध रूप से कब्जा है।
ब्रात्य बासु ने कहा, "अमर्त्य सेन का अपराध यह है कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ आवाज उठाई है। यदि बंगाल में भगवा पार्टी सत्ता में आती है, तो ये आम लोगों के लिए अच्छी बात नहीं होगी। वे सेन जैसे लोगों का सम्मान नहीं कर सकते हैं, जो एक प्रसिद्ध शिक्षाविद और नोबेल पुरस्कार विजेता हैं।"
विरोध प्रदर्शन में बंगाली कवि जॉय गोस्वामी, सुबोध सरकार, चित्रकार जोगन चौधरी, कलाकार शुवाप्रसन्ना, फिल्म निर्माता अरिंदम सिल, गायक सौमित्र रॉय सहित अन्य लोग शामिल थे। कुछ लोग हाथ में टीएमसी का झंडा लिए हुए थे। लेकिन इस कार्यक्रम में बासु के अलावा तृणमूल का कोई और नेता नहीं दिखा।
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व भारती विश्वविद्यालय द्वारा सेन को कैंपस में अवैध रूप से रहने वालों की सूची में नाम डाले जाने के बाद उन्हें पत्र लिखा। ममता ने पत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता के साथ एकजुटता भी जताई।
विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना 1921 में रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। मई 1951 में इसे संसद के एक अधिनियम द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था।
आर्टिस्ट शुवाप्रसन्ना ने कहा, "विश्वविद्यालय के अधिकारी टैगोर के नोबेल पुरस्कार को नहीं बचा पाए। वे अमर्त्य सेन जैसे बुद्धिजीवियों का सम्मान क्या करेंगे। बंगालियों के रूप में, हमें वास्तव में शर्म महसूस हो रही है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को उत्तर प्रदेश में स्थित ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के 351 किलोमीटर लंबे न्यू भूपुर-न्यू खुर्जा खंड का उद्घाटन करेंगे, जहां एल्युमिनियम, डेयरी और टेक्सटाइल जैसे स्थानीय उद्योगों में उत्पादन के नए अवसर खोले जाएंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुबह ग्यारह बजे प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में भाग लेंगे और इस दौरान वह प्रयागराज में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) का भी उद्घाटन करेंगे।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी उपस्थित रहेंगे।
ईडीएफसी के भूपुर-न्यू खुर्जा खंड का निर्माण 5,750 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था।
इस खंड से एल्यूमीनियम उद्योग (कानपुर देहात जिले का पुखरायां क्षेत्र), डेयरी उद्योग (औरैया जिला), कपड़ा उत्पादन/ब्लॉक प्रिंटिंग (इटावा जिला), कांच से बनने वाले पदार्थों से संबंधित उद्योग (फिरोजाबाद जिला), मिट्टी के बर्तनों के उत्पाद (बुलंदशहर जिले का खुर्जा क्षेत्र), हींग उत्पादन (हाथरस जिला) और ताला व हार्डवेयर उद्योग (अलीगढ़ जिला) जैसे स्थानीय उद्योगों के क्षेत्र में नए-नए अवसर पैदा होंगे।
इस खंड से कानपुर-दिल्ली मेन लाइन पर व्यस्तता भी कम होगी, जिससे भारतीय रेलवे और भी तेजी से अपना सफर पूरा कर पाएगी।
अब रही बात प्रयागराज के अत्याधुनिक ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) की, तो यह ईडीएफसी के पूरे रूट के लिए एक कमांड सेंटर के तौर पर काम करेगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 दिसंबर | एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, जो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक पारा बढ़ा सकता है और जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री राहत कोष से तारा टीवी के कर्मचारियों को नियमित रूप से 23 महीने तक भुगतान किया गया। तारा टीवी शारदा समूह के हस्से के रूप में जांच के दायरे में था।
सीबीआई ने कहा कि सीएम राहत कोष से नियमित रूप से राशि का भुगतान किया गया - प्रति माह 27 लाख रुपये - मई 2013 से अप्रैल 2015 के बीच।
आवेदन में कहा गया, "ये राशि कथित तौर पर मीडिया कंपनी के कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए दी गई, जो जांच के तहत शारदा ग्रुप ऑफ कंपनीज का हिस्सा थी।"
पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री राहत कोष से तारा टीवी कर्मचारी कल्याण संघ को कुल 6.21 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
सीबीआई ने कहा कि एक निजी मीडिया कंपनी को भुगतान किए जाने की जांच के लिए 16 अक्टूबर, 2018 को एक पत्र मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल को लिखा गया, लेकिन कई प्रयासों के बावजूद राज्य सरकार ने अधूरे उत्तर दिए।
सीबीआई ने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला दिया जिसमें आदेश दिया गया था कि "कर्मचारियों के वेतन का भुगतान उपलब्ध धनराशि से किया जाना चाहिए" और यह कहीं नहीं कहा गया कि एक निजी टीवी चैनल के कर्मचारियों को मुख्यमंत्री राहत से भुगतान किया जाय।
याचिका में कहा गया, "अदालत के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कर्मचारियों को कंपनी के फंड से भुगतान किया जाना है। सीएम रिलीफ फंड से भुगतान एक बड़ी साजिश और सांठगांठ की ओर इशारा करती है।"
घोटाले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर शक की सुई की ओर इशारा करते हुए, सीबीआई ने कहा, "सीबीआई और राज्य प्राधिकरणों के बीच हुए पत्राचार से पता चलेगा कि कानून की प्रक्रिया से बचने के लिए एक ठोस प्रयास किया गया।"
सीबीआई ने 2013 में पूर्व राज्यसभा सांसद कुणाल कुमार घोष से पूछताछ का हवाला देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शारदा समूह के प्रमोटर- सुदीप्त सेन के बीच अच्छे संबंध थे।
जांच एजेंसी ने कहा कि सेन और घोष के दो नंबरों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड से पता चलता है कि उनके बीच एक नंबर पर 298 बार और दूसरे नंबर पर 9 बार बातचीत हुई थी।
पूर्व कोलकाता कमिश्नर राजीव कुमार से हिरासत में पूछताछ की मांग करते हुए सीबीआई ने कहा कि जांच से यह भी पता चला है कि पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ त्रिणमूल और शारदा समूह के साथ मिलकर बिधाननगर पुलिस ने राजीव कुमार के कहने पर सबूत छुपाए।
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गवाह के रूप में घोष से पूछताछ अक्टूबर 2013 में हुई थी, जिसमें पता चला कि राजीव कुमार गिरफ्तार अभियुक्तों, सुदीप्त सेन, देबयानी मुखर्जी और अन्य गवाहों की पूछताछ के दौरान ईडी अधिकारियों के संपर्क में थे। ये पूछताछ सितंबर से नवंबर 2013 के दौरान हुई थी।
"अधिकारियों द्वारा यह सुनिश्चित किया गया था कि इन आरोपी व्यक्तियों या गवाहों द्वारा दिए गए सबूत रिकॉर्ड में नहीं लिए जाने चाहिए, क्योंकि जांच का एक हिस्सा प्रभावशाली व्यक्तियों को बचाने के उद्देश्य से था।"
सीबीआई ने कहा कि मामले में काफी सारे सबूत उभर कर सामने आए हैं, जिसके बाद पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर की भूमिका की पुष्टि हुई है, जो प्रभावशाली सह-अभियुक्तों को बचाने में सफल रहे। इन्होंने पोंजी कंपनियों की अवैध व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया और इससे लाभान्वित हुए।
सीबीआई ने शारदा समूह के कर्मचारी सफीकुर रहमान से पूछताछ का भी हवाला दिया। "यह कहा जाता है कि उक्त कथन (रहमान द्वारा) के अनुसार, जब मुख्यमंत्री ने विधायक सीट के लिए चुनाव लड़ा, तो सुदीप्त सेन को भवानीपुर, कोलकाता में सभी पूजाओं के लिए पैसे देने के लिए मजबूर होना पड़ा। रहमान ने आगे कहा कि 'जंगलमहल' परियोजना को मुख्यमंत्री ने राइटर्स बिल्डिंग, कोलकाता में आयोजित एक समारोह में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
2013 में, बिधाननगर पुलिस आयुक्त के रूप में कुमार के कार्यकाल के दौरान, घोटाले का खुलासा किया गया था। कुमार इस घोटाले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी का हिस्सा थे। इससे पहले शीर्ष अदालत ने 2014 में सीबीआई को जांच सौंपी थी।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल नवंबर में कलकत्ता कोर्ट द्वारा मामले में कुमार को दी गई अग्रिम जमानत के खिलाफ सीबीआई की अपील पर आईपीएस अधिकारी की प्रतिक्रिया मांगी थी। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 27 दिसंबर | इस वर्ष अक्टूबर में दो एके-47 राइफल के साथ भागे जम्मू-कश्मीर के एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) को गिरफ्तार कर लिया गया है। साथ ही अधिकारी से हथियार बरामद कर लिया गया है। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि एसपीओ अलताफ हसन को दो एके-47 राइफलों और गोला-बारूद के साथ पकड़ा गया है।
उन्होंने कहा, "एसपीओ इस साल 24 अक्टूबर को बडगाम जिले के चौड़ोरा इलाके में स्थानीय पुलिस के एसओजी (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) के एक शिविर से दो एके-47 हमला राइफल के साथ भाग गया था।"
अधिकारी ने कहा, "आतंकवादियों के साथ उनके संबंधों के लिए उनसे पूछताछ की जा रही है।"
एसपीओ को आतंकवादियों से लड़ने के लिए पुलिस एक निश्चित मासिक पारिश्रमिक आधार पर रखती है। अधिकतर एसपीओ के साथ कोई हथियार नहीं दिया जाता है, क्योंकि सभी हथियारों को संभालने के लिए प्रशिक्षित नहीं होते। (आईएएनएस)
लीमा, 27 दिसंबर | पेरू के अधिकारियों ने कोरोनावायरस के नए मामलों के नए स्रोत बनने से रोकने के प्रयास के तहत लोगों के समुद्र तटों पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह घोषणा की। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने लीमा क्षेत्रीय पुलिस के प्रमुख जनरल जॉर्ज अंगुलो के शनिवार के बयान के हवाले से कहा कि चिह्न्ति क्षेत्रों को संक्रमण का नया स्रोत बनने से रोकने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है।
अंगुलो ने कहा कि समुद्र तट के क्षेत्रों में नियंत्रण राजधानी के प्रत्येक जिले से सशस्त्र बलों, पुलिस और नगर निगम की निगरानी और सार्वजनिक सुरक्षा सेवाओं द्वारा किया जाएगा।
पेरू के मेडिकल कॉलेज ने नागरिकों से संभावित दूसरी लहर के दौरान संक्रमण को कम करने के लिए अधिकारियों द्वारा लागू किए गए स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करने का आग्रह किया।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में पेरू में नए मामलों में वृद्धि जारी रहेगी।
देश में अब तक 1,005,546 कोविड-19 मामले और 37,368 मौतें दर्ज हुई हैं।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 दिसंबर | प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रविवार शाम दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर जाएंगे। वह यहां शहीदी सप्ताह के मद्देनजर आयोजित कीर्तन दरबार में शामिल होंगे। केजरीवाल इससे पहले भी कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से मुलाकात कर चुके हैं। दिल्ली-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने 27 और 28 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह का शहीदी दिवस मनाने की घोषणा की है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत पंजाब से आए किसानों ने यहां कीर्तन दरबार और लंगर की व्यवस्था की है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसकी आधिकारिक जानकारी देते हुए कहा, सीएम अरविंद केजरीवाल शाम 6 बजे सिंघु बॉर्डर पर आयोजित किए जा रहे कीर्तन दरबार में शामिल होंगे। इस दौरान वह आंदोलनकारी किसानों से भी मुलाकात करेंगे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 14 दिसंबर को किसानों के समर्थन में एक दिन का उपवास भी रखा था। केजरीवाल के मुताबिक किसान और जवान किसी भी देश की नींव होते हैं और अगर किसी देश के किसान और जवान संकट में हो तो वह देश कैसे तरक्की कर सकता। जिस किसान को खेतों में होना चाहिए वह इतनी कड़कती ठंड में सड़कों पर बैठा है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अपील पर दिल्ली सरकार के सभी मंत्रियों, आम आदमी पार्टी के विधायकों, पार्षदों एवं सैकड़ों अन्य कार्यकतार्ओं ने पार्टी मुख्यालय पर सामूहिक उपवास में बैठकर किसानों के प्रति अपना समर्थन जताया था।
यह दूसरा अवसर है जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों के बीच जा रहे हैं। इससे पहले 7 दिसंबर को अरविंद केजरीवाल आंदोलनकारी किसानों से मिलने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर बॉर्डर पर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ इस दौरान उनके कई कैबिनेट सहयोगी भी मौजूद रहे। यहां कृषि कानूनों के खिलाफ खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को केजरीवाल ने अपना समर्थन दिया। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को भी समर्थन दिया था, हालांकि दिल्ली में इस बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला।
हरियाणा एवं पंजाब से आए ये किसान केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। (आईएएनएस)
लखनऊ, 27 दिसंबर | उत्तर प्रदेश में अब दोपहिया और चौपहिया वाहनों की नंबर प्लेट और विंड स्क्रीन पर अपनी जाति की पहचान के तौर पर कोई स्टीकर नहीं लगाया जा सकेगा और अगर कोई ऐसा करते पाया गया, तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। पिछले कुछ सालों में यहां अपने वाहनों के विंड स्क्रीन और नंबर प्लेट पर यादव, जाट, गुर्जर, ब्राह्मण, पंडित, क्षत्रिय, लोधी और मौर्या जैसे जातिगत नामों को लिखने के फैशन का बोलबाला देखने को मिला है। ऐसा अकसर लोग किसी पार्टी के पक्ष में या उसके आधार पर करते हैं।
अतिरिक्त परिवहन आयुक्त मुकेश चंद्र द्वारा सभी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) को भेजे गए एक आदेश में ऐसे स्टीकर लगे वाहनों को जब्त किए जाने की बात कही गई है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के निर्देश के बाद परिवहन विभाग द्वारा ऐसे वाहनों की पहचान किए जाने का काम शुरू हो चुका है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र के एक शिक्षक के तौर पर कार्यरत हर्षल प्रभु के लिखे एक पत्र के बाद पीएमओ ने इस मामले को संज्ञान में लिया है।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि किसी समाज के निर्माण में इस तरह के स्टीकर से खतरा पैदा होने की संभावना रहती है।
पत्र पर गौर फरमाने के बाद पीएमओ ने उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया, जिसके बाद इस अभियान की शुरुआत की गई।
कानपुर के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर डी.के.त्रिपाठी ने कहा, "हमारी टीम को हर बीस वाहनों में इस तरह के स्टीकर मिले हैं। मुख्यालय की तरफ से ऐसे वाहन मालिकों के खिलाफ हमें कार्रवाई किए जाने का आदेश दिया गया है।" (आईएएनएस)
वाराणसी, 27 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में किसान अब आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किसानी के लिए कर रहे हैं। यहां के किसान अब बीज बोने के लिए ड्रोन चलाना सीख रहे हैं। कृषि विज्ञान संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के निदेशक रमेश चंद के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने हाल ही में खेती के दौरान ड्रोन के उपयोग का प्रदर्शन करने के लिए खुटहन गांव का दौरा किया।
चंद ने मीडिया को बताया, "प्रौद्योगिकी किसानों को खेती की लागत को कम करने और उनकी दक्षता बढ़ाने में मदद करेगी।"
उन्होंने कहा कि किसान इस प्रयोग से काफी संतुष्ट हैं।
उन्होंने कहा कि ड्रोन्स का इस्तेमाल 'राइस-व्हीट क्रॉपिंग सिस्टम' के खेतों में किया जा रहा है, जहां गीली मिट्टी के कारण ट्रैक्टरों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था।
चंद ने कहा कि चावल और गेहूं की खेती के लिए अलग-अलग मिट्टियों की आवश्यकता होती है। अगर चावल को स्थिर पानी की आवश्यकता होती है, तो गेहूं को नमी, हवा और थर्मल रिजाइम के साथ अच्छी तरह से चूर्णित मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसके कारण 'राइस-व्हीट क्रॉपिंग सिस्टम' की एक प्रमुख विशेषता एरोबिक से अनएरोबिक और फिर वापस एरोबिक स्थितियों में मिट्टी का वार्षिक रूपांतरण है।
उन्होंने कहा कि ड्रोन का उपयोग न केवल समग्र प्रदर्शन को बढ़ा सकता है, बल्कि किसानों को अन्य मिश्रित बाधाओं को हल करने और सटीक कृषि के लिए बहुत सारे लाभ प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निग (एमएल) और रिमोट सेंसिंग फीचर्स से लैस ड्रोन तकनीक की मांग इसके फायदों की वजह से बढ़ रही है। (आईएएनएस)
जम्मू, 27 दिसंबर (आईएएनएस)| जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में सुरक्षा बलों ने रविवार को 'जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स' के 2 आतंकवादियों को पकड़ा है। आतंकियों के पास से विस्फोटक सामग्री भी बरामद हुई है। भारतीय सेना ने एक बयान में कहा है, "खुफिया सूचना के आधार पर सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त अभियान में पुंछ जिले के मेंढर के गलुथा हरनी के पास एक गाड़ी से 2 आतंकी पकड़े हैं और विस्फोटक सामग्री बरामद की है।"
इसमें कहा गया है, "संभावना है कि पकड़े गए आतंकवादी 'जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स' के हैं। इन आतंकवादियों की गिरफ्तारी के साथ सुरक्षा बलों ने एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है जो युद्ध जैसे सामानों की दुकानों और नशीले पदार्थों के काम में शामिल हैं। हथियार और विस्फोटक सामग्री की तलाश के लिए अभी भी अभियान जारी है। ये आतंकवादी राजौरी जिले में विस्फोट करने की फिराक में थे, ताकि इस क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ा जा सके।"
इससे पहले 13 दिसंबर को पुराने मुगल रोड पर डोग्रेन (पुंछ) में हुई मुठभेड़ में जेके गजनवी फोर्स के ही 2 विदेशी आतंकवादी मारे गए थे।
दिल्ली, 27 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को जब अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित कर रहे थे तब आंदोलन की राह पकड़े किसान थाली और ताली बजाकर अपना विरोध जता रहे थे। हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने प्रधानमंत्री से दूसरों की बात सुनने की अपील की। गुरनाम िंसंह हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष हैं और किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल हैं।
हरियाणा के रोहतक जिला स्थित मकड़ोली टोल पर थाली बजाकर 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम का विरोध करते हुए किसान नेता सरदार गुरनाम सिंह चढूनी ने मोदी को संबोधित करते हुए कहा, ''हम आपके मन की बात से राजी नहीं हैं। आप अपने मन की बात करते हैं, लेकिन दूसरों की बात नहीं सुनते हैं।'' किसान नेता गुरनाम सिंह ने प्रधानमंत्री से दूसरों की बात सुनने की अपील की।
किसान आंदोलन का रविवार को 32वां दिन है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमा स्थित सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान 26 नवंबर से डेरा डाले हुए हैं। आंदोलनरत किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर हैं उनका कहना है कि ये कानून किसानों के हितों में नहीं है जबकि सरकार का कहना है कि विपक्षी राजनीतिक दल उन्हें गुमराह कर रहे हैं।
किसान और सरकार के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के लिए कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन मसले का समाधान तलाशने में दोनों पक्ष विफल रहे हैं। अगले दौर की वार्ता 29 दिसंबर को प्रस्तावित है। सरकार के आग्रह पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 40 किसान संगठनों के नेताओं की ओर से अगले दौर की वार्ता की तिथि और समय बताते हुए शनिवार को एक चिट्ठी भेजी गई है जिसमें वार्ता के लिए चार मुद्दे भी सुझाए गए हैं।
ये मुद्दे इस प्रकार हैं:
1. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि
2. सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए गए लाभदायक एमएसएपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान
3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, और
4. किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में जरूरी बदलाव।
किसान नेता डॉ. दर्शनपाल से जब आईएएनएस ने पूछा कि क्या अगले दौर की वार्ता इन शर्तों पर होगी तो उन्होंने कहा कि ये शर्तें नहीं बल्कि वार्ता का एजेंडा है जोकि उन्होंने सरकार के आग्रह पर ही दिए हैं।
आंदोलनकारी किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा सितंबर में लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।(आईएएनएस)
बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश), 27 दिसंबर | मिट्टी की खुदाई कर रही दो महिला और एक बच्ची की मिट्टी ढहने से मौत हो गई। यह दुर्घटना धलना गांव में शनिवार को घटी।
मृतकों में मीनाक्षी (25), कविता (18) और दीपांशी (12) शामिल हैं। ये सभी गांव के ही निवासी हैं। अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने कहा कि स्थानीय प्रशासन द्वारा भेजी गई एक बचाव टीम ने तीनों महिलाओं को मलबे से बाहर निकालने के लिए अर्थ मूवर्स का इस्तेमाल किया और उन्हें नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया।
उन्होंने कहा कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। (आईएएनएस)
दिल्ली, 27 दिसंबर | कड़ाके की ठंड और कोरोना महामारी के संकट के बीच देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर बीते एक महीने से भारी तादाद में किसान जमे हुए हैं। केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान 26 नवंबर से यहां सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि खेतीबारी का काम छोड़ सड़कों पर उतरे किसानों के इस आंदोलन को आखिर ईंधन कहां से मिल रहा है। इस सवाल पर तरह-तरह के कयास लगाए जा चुके हैं। मगर, आईएएनएस को जो जानकारी मिली है उसमें पंजाबी किसानों का जज्बा और उनका भाईचारा ही है जो इस आंदोलन को ताकत दे रहा है। भारतीय किसान यूनियन के नेता पाल माजरा से जब पूछा कि आंदोलन चलाने के लिए उनको धन कहां से मिल रहा है तो उन्होंने बताया कि पंजाब में हर कोई दिल्ली मोर्चा में अपना योगदान दे रहा है। उन्होंने बताया कि पंजाब के गावों से जब कोई दिल्ली मोर्चा के लिए रवाना होता है गांवों के लोग उनके साथ अपने सामथ्र्य के मुताबिक अपना आर्थिक योगदान भेजता है।
पाल माजरा ने बताया कि न लोग न सिर्फ आर्थिक योगदान कर रहे हैं बल्कि हर किसान परिवार से कोई न कोई रोज दिल्ली मोर्चा के लिए पहुंच रहा है। यही वजह है कि किसान आंदोलन एक महीने से ज्यादा समय से चल रहा है फिर भी दिल्ली की सीमाओं पर लाखों की तादाद में लोग जमे हुए हैं।
पंजाब के ही किसान गुरविंदर सिंह से जब पूछा कि क्या किसान आंदोलन से खेती-किसानी का काम प्रभावित नहीं हो रहा है तो उन्होंने बताया कि इस आंदोलन के बाद पंजाबियों में भाई-चारा और बढ़ गया है। गुरविंदर सिंह ने बताया, ''किसान आंदोलन 26 नवंबर से शुरू हुआ जिससे पहले गेहूं की बुवाई तकरीबन पूरी हो चुकी थी और अब तो एक पानी भी गेहूं में पड़ चुका है।'' उन्होंने बताया कि आंदोलन से खेती-किसानी का कोई काम प्रभावित नहीं है, चाहे फसलों की बुवाई हो या फसलों में खाद या पानी देने का काम हो, सब समय पर चल रहा है और गावों में लोग एक-दूसरे के काम में मदद कर रहे हैं। गुरविंदर सिंह ने बताया कि इससे पंजाबियों में भाईचारा बढ़ा है और कई जगहों पर महिलाओं ने खेती-किसानी का काम संभाल रखा है।
पंजाब सरकार के कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले साल राज्य में जहां 35.21 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी वहां इस साल 34.78 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती किसानों ने की है। उन्होंने बताया कि गेहूं का कुछ रकबा आलू और दूसरी फसलों में इस साल गया है। पंजाब में रबी फसलों का कुल रकबा 40.7 लाख हेक्टेयर है और अन्य फसलों में जौ, चना और मक्का शामिल है।
अधिकारी ने बताया कि किसानों के आंदोलन से आरंभ में ट्रेन नहीं चलने से उर्वरक की आपूर्ति में कठिनाई आई थी, लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि धान की बिक्री पहले ही हो चुकी है और बागवानी की जो फसलें है उनकी सप्लाई बाजारों में लगातार हो रही है।
यही स्थिति हरियाणा में भी है। करनाल के किसान हरपाल सिंह बताते हैं कि खेती-किसानी के काम पर किसान आंदोलन का कोई असर नहीं है क्योंकि हर किसान परिवार के सदस्य बारी-बारी से दिल्ली मोर्चा के लिए पहुंच रहे हैं और जो सदस्य गांवों में रहते हैं वो खेती का काम संभालते हैं। (आईएएनएस)
बरेली (उत्तर प्रदेश), 27 दिसंबर | बरेली जिले में 2 अलग-अलग घटनाओं में मुस्लिम महिलाओं ने धर्म परिवर्तन के बाद हिंदू पुरुषों से शादी कर ली, इन महिलाओं को अब पुलिस सुरक्षा दी गई है। पहला मामला बरेली के हाफिजगंज इलाके का है, यहां पुलिस ने दोनों पक्षों के परिवारों को थाने बुलाया और बिना मामला दर्ज किए ही उनकी सुलह करा दी। वहीं बहेड़ी जिले के दूसरे मामले में महिला के परिजनों ने उसके हिन्दू पति के खिलाफ अपहरण और डकैती का मामला दर्ज करा दिया था।
एसएसपी रोहित सिंह साजवान ने संवाददाताओं को बताया, "हाफिजगंज और बहेड़ी इलाके के जोड़े वयस्क हैं। दोनों ही मामलों में हमने लड़की के बयान सुने। हाफिजगंज मामले में जोड़े ने पुलिस स्टेशन पहुंचकर सुरक्षा मांगी। हमने दोनों के परिवारों को थाने बुलाकर मामला सुलझाया। लड़की के परिवार वालों ने शादी को स्वीकार कर लिया है और कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।"
उन्होंने गुरुवार को रितोरा क्षेत्र के एक मंदिर में शादी की थी। भगवा पार्टी के सदस्य भी युगल के समर्थन में आगे आए।
वहीं बहेड़ी क्षेत्र की 29 वर्षीय मुस्लिम महिला मंगलवार को एक हिंदू व्यक्ति के साथ भाग गई थी। उसने एक वीडियो जारी कर कहा कि उसने धर्म परिवर्तन करने के बाद 4 सितंबर को एक मंदिर में शादी कर ली। उसने आरोप लगाया है कि उसके माता-पिता ने उसे जान से मारने की धमकी दी है।
महिला ने वीडियो में कहा है, "अगर मेरे पति के साथ कुछ होता है तो मेरे माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।"
बुधवार को उसके परिवार ने उसके पति के खिलाफ अपहरण और डकैती का मामला दर्ज करा दिया। महिला के परिवार ने यह भी मांग की है कि नए धर्मांतरण विरोधी कानून के प्रावधानों को भी एफआईआर में शामिल किया जाए।
पुलिस ने कहा कि दंपति मामले के जांच अधिकारी के संपर्क में है और उन्हें जल्द ही एक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
एसएसपी ने कहा, "हम हाई कोर्ट के उस निर्देश का पालन कर रहे हैं जिसमें कहा गया है कि दो वयस्कों को आपसी सहमति से अपने परिवारों के हस्तक्षेप के बिना एक साथ रहने का अधिकार है।" (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर (नई दिल्ली/उप्र), 27 दिसंबर | जब रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2020 की आखिरी 'मन की बात' कर रहे थे, तो उसी समय दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान थाली बजा रहे थे। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने मन की बात शुरू होते ही हाथों में ड्रम और थालियां लेकर बजाना शुरू कर दिया। किसानों का कहना है कि, मोदी जी के मन की बात का हम विरोध करते हैं। सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेती, हम इसी तरह प्रधानमंत्री का विरोध करते रहेंगे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रिय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस से कहा कि, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोरोना थाली बजाने से भागेगा, उसी तरह किसान भी थाली बजा रहें हैं ताकि कृषि कानूनों को भगाया जाए।
उन्होंने आगे कहा कि, ये बस सरकार के लिए सुधार संकेत है कि सरकार जल्द सुधर जाए। 29 दिसंबर को हम सरकार के साथ मुलाकात करेंगे। वहीं नया साल सबके लिए शुभ हो और मोदी जी भी कानून वापस ले लें तो हम किसान भाइयों के लिए भी शुभ हो।
दरअसल किसानों ने 29 दिसंबर को सरकार के साथ बातचीत करने का प्रस्ताव रखा है। वहीं इस वार्ता में 4 मुद्दों का एजेंडा भी तय किया गया है। (आईएएनएस)
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार अंतरधार्मिक शादी करने वाले और अंतरधार्मिक रिश्तों वाले युवा गिरफ़्तारी के डर से उत्तर प्रदेश छोड़कर दूसरे राज्यों में जा रहे हैं.
अख़बार ने ऐसे कुछ प्रेमी और शादीशुदा जोड़ों से बात की है, जिन्हें डर है कि कथित लव जिहाद और धर्मांतरण क़ानून के नाम पर राज्य में उनका उत्पीड़न किया जाएगा.
हिंदू युवती से प्रेम करने वाले एक मुसलमान युवक ने अख़बार को बताया, "उत्तर प्रदेश में दक्षिणपंथी संगठन के लोग मेरे पीछे पड़े थे. अब हम दोनों यूपी से बाहर जाकर शादी करेंगे. मैं हिंदू धर्म अपना लूंगा और हम अदालत से सुरक्षा माँगेंगे."
मुसलमान युवक से प्रेम करने वाली एक युवती ने बताया, "मेरे माता-पिता को हमारे रिश्ते के बारे में पता चला तो उन्होंने मेरे फ़ोन से सिम निकाल लिया, मुझे टॉर्चर किया और मेरे बॉयफ़्रेड को जान से मारने की धमकी दी."
उसने बताया, "हम दोनों भागकर दिल्ली आ गए और हमने अदालत से सुरक्षा मांगी. मुझे नही लगता अब हम कभी वापस जाएंगे."
अख़बार लिखता है कि उत्तर प्रदेश के कड़े धर्मांतरण क़ानून ने अंतरधार्मिक रिश्तों को लेकर ख़ौफ़ बढ़ा दिया है (bbc.com/hindi)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक हिंदू युवती को उसके मुसलमान पति से मिलाते हुए कहा है कि महिला को अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीने का अधिकार है.
अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स में छपी ख़बर के अनुसार जस्टिस पंकज नक़वी और विवेक अग्रवाल ने 18 दिसंबर को युवती के पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फ़ैसला सुनाया.
युवती के पति ने अपनी अर्ज़ी में कहा था कि उनके सास-ससुर ने उनकी पत्नी को उनकी इच्छा के ख़िलाफ़ नारी निकेतन आवास में भेज दिया है.
युवक की शिक़ायत पर दोनों जजों की बेंच ने युवती से बातचीत की. बातचीत में युवती ने साफ़-साफ़ कहा कि वो अपने पति के साथ रहना चाहती है.
इसके बाद जजों ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा, "कोई भी बालिग़ महिला बिना किसी की रोकटोक के कहीं भी आने-जाने या रहने के लिए स्वतंत्र है."
अदालत ने युवती के पति पर दर्ज की गई उस एफ़आईआर को भी निरस्त कर दिया जिसमें उन पर युवकी का अपहरण करने का आरोप लगाया गया था.
इतना ही नहीं, बेंच ने चीफ़ जुडिशियल मैजिस्ट्रेट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया जिसके तहत युवती को नारी निकेतन भेजा गया था.
अदालत ने कहा, "युवती वयस्क है और उसने अपना जन्मतिथि प्रमाण पत्र भी सौंपा था. लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया." (bbc.com/hindi)
चंडीगढ़, 27 दिसंबर | विवादास्पद तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच भाजपा और जननायक जनता पार्टी (जजपा) शासित हरियाणा में रविवार को नगरपालिका चुनावों के लिए मतदान शुरू हो गया। राज्य में अक्टूबर 2019 में भाजपा-जजपा गठबंधन के सत्ता में आने के बाद यह पहला चुनाव है।
भाजपा-जजपा गठबंधन और कांग्रेस चुनावी मैदान में हैं।
चुनाव के लिए मतदान शाम 5.30 बजे तक जारी रहेगा। यह चुनाव महापौर और अंबाला, पंचकुला और सोनीपत के नगर निगमों के वाडरें के सदस्यों के लिए और रेवाड़ी की नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष और सदस्य और सांपला (रोहतक) धारूहेड़ा (रेवाड़ी) और उकलाना (हिसार) की नगरपालिका समितियों के सदस्य के लिए है।
दो बार के मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि नगरपालिका चुनाव राज्य में राजनीति का भविष्य तय करेंगे।
उन्होंने कहा कि किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं और उनकी समस्या का समाधान करने के लिए उन्हें संबोधित किए जाने के बजाय, सरकार देश के सबसे बड़े किसान आंदोलनों में से एक की अनदेखी कर रही है।
ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) ने भाजपा-जजपा सरकार द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ किए गए बल के विरोध में इन चुनावों का बहिष्कार किया है।
पंचकूला में इन चुनावों के लिए करीब 1.89 लाख लोग पूर्व मेयर और कांग्रेस उम्मीदवार उपिंदर कौर अहलूवालिया और भाजपा के उम्मीदवार कुलभूषण गोयल और चार अन्य मेयर प्रत्याशियों के अलावा 83 में से 20 पार्षदों का चुनाव करेंगे।
चुनाव अधिकारियों का कहना है कि मतदान सख्त कोविड-19 दिशानिदेशरें के साथ कराया जा रहा है। मतदान से पहले मतदान केंद्रों की अनिवार्य सैनिटाइजेशन की गई।
कोविड-19 रोगियों और कोरोनावायरस के लक्षण वाले लोगों के लिए मतदान के अंतिम एक घंटे का समय निर्धारित किया गया है।
नगरपालिकाओं के लिए चुनाव ईवीएम के माध्यम से आयोजित किए जाएंगे, जबकि महापौर और अध्यक्ष चुनाव के लिए मत पत्रों का उपयोग किया जाएगा।
मतगणना 30 दिसंबर को होगी।
--आईएएनएस
ओडीशा में एक रिटायर्ड अधिकारी ने इस साल नीट की परीक्षा पास कर एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की है. सेवानिवृत बैंक अधिकारी जयकिशोर प्रधान ने 64 साल की उम्र में ये कारनामा किया है.
वो अपनी बेटियों का सपना पूरा करने के लिए मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. प्रधान ने सिर्फ उम्र की बाधा को ही पार नहीं किया है बल्कि एक हादसे के बाद हुई अपंगता पर भी विजय पाई है. साल 2003 में एक कार हादसे के बाद उनका एक पैर नाकाम हो गया था.
पैर में लगे स्प्रिंग की मदद से वो चल तो सकते हैं लेकिन आसानी से नहीं. जयकिशोर ने बीबीसी के बताया कि डॉक्टर बनने की चाह उनके मन में बचपन से ही थी. साल 1974-75 में बारहवीं पास करने के बाद उन्होंने मेडिकल की परीक्षा दी थी लेकिन कामयाबी नहीं मिली थी.
उस समय मेडिकल की परीक्षा के लिए एक साल और गंवाने के बजाय उन्होंने बीएससी में दाख़िला लेकर आगे की पढ़ाई करना सही समझा. उन्होंने भौतिक विज्ञान (फिजिक्स) ऑनर्स के साथ ग्रैजुएशन किया और फिर स्टेट बैंक में नौकरी कर ली.
साल 1982 में प्रधान के पिता बीमार हुए तो उन्होंने उन्हें इलाज के लिए बुर्ला के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया, जहां दो बार उनका ऑपरेशन हुआ. लेकिन इसके बावजूद जब वे ठीक नहीं हुए तो उन्होंने अपने पिता को वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया जहां से वे स्वस्थ होकर घर वापस आए.
डॉक्टरी की पढ़ाई
अपने पिता के इलाज के लिए अस्पताल में रहते समय प्रधान के मन में डॉक्टर बनने की इच्छा एक बार फिर जागी. लेकिन तब तक वे डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए उम्र की सीमा पार कर चुके थे. इसलिए उस समय मन मार कर रह गए.
प्रधान खुद भले ही डॉक्टर नहीं बन पाए लेकिन 30 सितंबर, 2016 में सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने अपनी जुड़वा बेटियों के जरिए अपना सपना पूरा करने की ठान ली. उन्होंने अपनी बेटियों को डॉक्टरी पढ़ने के लिए प्रेरित किया और उनकी तैयारी में मदद भी की. उनकी मेहनत, लगन और प्रेरणा आखिरकार रंग लाई और उनकी दोनों बेटियाँ बीडीएस (डेंटल साइंस) की परीक्षा पास कर गईं.
लेकिन साल 2019 में "नीट" की परीक्षा में आयु सीमा की चुनौती देकर दायर एक याचिका पर जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले के अंतिम फैसले तक आयु सीमा हटा दिया, तो प्रधान ने अपना मौका ताड़ा और उसी वर्ष "नीट" की परीक्षा में बैठ गए. लेकिन उन्हें इस बार भी कामयाबी नहीं मिली.
वे कहते हैं, "सच पूछें तो मैंने पिछले साल "नीट" के लिए अलग से कोई तैयारी नहीं की थी लेकिन बेटियों की जिद के कारण मैं परीक्षा में बैठ गया. उस बार मुझे सफलता नहीं मिली, लेकिन एक फ़ायदा जरूर हुआ. मैं जान गया कि "नीट" की परीक्षा कैसी होती है, उसमें कैसे सवाल पूछे जाते हैं. इस बार मैं बेहतर तैयारी के साथ परीक्षा में बैठा और सफल हुआ."
बेटी की मौत
प्रधान ने सितंबर में "नीट" के परीक्षा दी और दिसंबर में उसका परिणाम आया लेकिन इस दौरान उनके परिवार में एक ऐसा हादसा हो गया जिसने उन्हें झंझोर कर रख दिया. पिछले नवंबर में एक दुर्घटना में उनकी जुड़वां बेटियों में से बड़ी बेटी की मौत हो गई.
वो कहते हैं, "मुझे एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए उसी ने सबसे ज्यादा प्रेरित किया आज वह ज़िंदा होती, तो वही सबसे ज़्यादा ख़ुश होती. लेकिन यह मेरा दुर्भाग्य है कि परिणाम आने से पहले ही वह चल बसी."
यह कहते हुए प्रधान भावुक हो उठते हैं और उनकी आवाज में उनकी पीड़ा साफ छलकती है. पिछले गुरुवार को प्रधान ने बुर्ला सहर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज "वीर सुरेन्द्र साए इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च" यानी "विमसार" में दाखिला ले लिया.
लेकिन अभी कक्षाएं शुरू नहीं हुई हैं. संयोगवश यह कॉलेज उनके निवास स्थान अताबीरा से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है. प्रधान ने अभी तय नहीं किया है कि वे घर पर रहकर पढ़ाई करेंगे या हॉस्टल में रहेंगे.
जब मैंने उनसे पूछा कि अगर उन्हें "विमसार" के बजाय कहीं दूर, किसी दूसरे राज्य के मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलता तो क्या वे तब भी एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई करते, तो उन्होंने तत्काल कहा; "जरूर करता क्योंकि यह केवल मेरा अपना ही नहीं, मेरी खोई हुई बेटी का भी सपना था."
डॉक्टरों की तरह प्रैक्टिस करेंगे
अपने बच्चों के उम्र के नौजवानों के साथ पढ़ाई करना और अपने से कम उम्र के लोगों को अपना शिक्षक मानना क्या उन्हें थोड़ा अटपटा सा नहीं लगेगा? इस सवाल के जवाब में प्रधान ने कहा, "मैं अपनी ओर से कोशिश करूंगा कि मेरे साथ पढ़ने वाले छात्र, छात्राएं मुझे अपना क्लासमेट समझें और मेरे साथ वैसा ही बर्ताव करें. जहां तक शिक्षकों को सवाल है, वे मेरे लिए गुरु होंगे भले ही वे उम्र में मुझसे छोटे हों."
डॉक्टरी की पढ़ाई खत्म करने के बाद क्या वे दूसरे डॉक्टरों की तरह प्रैक्टिस करेंगे? इसपर प्रधान का कहना था, "इसे पेशा बनाने की मंशा लेकर मैं परीक्षा में नहीं बैठा था. बैंक की नौकरी के साथ मेरे पेशेवर जीवन समाप्त हो चुका है. डॉक्टरी से रोज़ी-रोटी कमाने का मेरा कोई इरादा नहीं है. मुझे जो पेंशन मिलता है, उसीसे मेरा गुजारा हो जाता है. मैंने डॉक्टर बनना सिर्फ़ इसलिए चाहा कि अपने इलाक़े में उन गरीबों की मदद कर सकूं, जिनके पास इलाज के पैसे नहीं होते. अगर मैं ऐसा कर पाऊँ तो अपने आप को भाग्यशाली समझूँगा."
प्रधान ने रिकॉर्ड बनाने के लिए भले ही डॉक्टर बनना न चाहा हो. लेकिन संभव है कि इस उम्र में उनकी इस अनोखी सफलता के कारण उन्हें किसी रिकॉर्ड बुक में स्थान मिल ही जाए. प्रधान ने यह ज़रूर साबित किया है कि अगर कोई किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की ठान ले और उसके लिए पूरी लगन से मेहनत करे तो उम्र उसमें बाधक नहीं होती. (bbc)