राष्ट्रीय
इसे सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षण कहें या फिर दूसरे क्षेत्रों में अवसर की कमी कि जिस पद के लिए महज दसवीं-बारहवीं पास जैसी शैक्षिक योग्यताओं की जरूरत होती है उसके लिए उच्च शिक्षित लोग आवेदन करते हैं और चयनित होते हैं.
डायचेवेले पर समीरात्मज मिश्र का लिखा
रेलवे सुरक्षा बल यानी आरपीएफ में सोमवार को नई भर्ती हुई महिला कांस्टेबलों की पासिंग आउट परेड हुई तो इन 248 प्रशिक्षुओं में ज्यादातर ऐसी थीं जिनके पास बीए और एमए जैसी ही नहीं बल्कि एमबीए, एमसीए, बीटेक, एमटेक और अन्य तकनीकी डिग्रियां हैं. जबकि इस पद के लिए सिर्फ बारहवीं तक की डिग्री की जरूरत होती है.
आरपीएफ की ये नवनियुक्त 248 महिला कांस्टेबलों का प्रयागराज के सूबेदारगंज स्थित आरपीएफ प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण पूरा होने के बाद सोमवार सात दिसंबर को इनकी पासिंग आउट परेड हुई. इसके बाद ये महिला कांस्टेबल अपनी-अपनी नियुक्ति स्थलों की ओर रवाना हो गईं. ये सभी प्रशिक्षु राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, यूपी, पश्चिमी बंगाल, हरियाणा और छतीसगढ़ राज्यों से हैं.
इनका प्रशिक्षण पिछले साल 16 दिसंबर से ही शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2020 तक पूरा हो जाना था लेकिन कोविड-19 की वजह से यह प्रशिक्षण लंबा खिंच गया. ट्रेनिंग सेंटर में इन महिला प्रशिक्षुओं को कड़ा प्रशिक्षण दिया गया और इस दौरान इन्हें एसएलआर, इनास, एलएमजी, एआरएम जैसे अत्याधुनिक हथियार चलाना भी सिखाया गया.
सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक कर चुकीं कविता सिन्हा छत्तीसगढ़ की रहने वाली हैं. उन्हें इस बात से बिल्कुल परहेज नहीं है कि वो उच्च शिक्षा हासिल करने के बावजूद कांस्टेबल के पद पर चयनित हुई हैं. कविता बताती हैं कि यह शुरुआत है, आगे और तैयारी करनी है, "नौकरी की जरूरत थी. भर्ती का आवेदन निकला तो हमने भी अप्लाई कर दिया और तैयारी भी की. यह मेरी मंजिल नहीं है बल्कि शुरुआत है. नौकरी के साथ आगे की तैयारी भी जारी रखूंगी.”
ज्यादातर महिला कांस्टेबल का यही कहना था कि यह उनकी शुरुआत है और इसे आगे भी वो जारी रखेंगी. यानी एक नौकरी उन्हें मिल गई है और आगे बेहतर मिल गई तो उसे छोड़कर अच्छी वाली नौकरी से नई शुरुआत करेंगी. हालांकि इन परीक्षाओं में शामिल होने वाली कुछ अन्य लड़कियों को यह बात नागवार भी गुजर रही है.
लखनऊ में यूपी पुलिस में महिला कांस्टेबल की परीक्षा देने के बाद रिजेक्ट हो चुकीं शालिनी सिंह कहती हैं कि उच्च शिक्षित लोगों का इन परीक्षाओं के लिए आवेदन करना ठीक नहीं होता है. उनके मुताबिक इससे अन्य अभ्यर्थियों का नुकसान होता है. शालिनी सिंह कहती हैं, "जो बहुत पढ़े-लिखे लोग हैं वो लिखित परीक्षा आसानी से पास कर लेते हैं जबकि केवल इंटर तक पढ़े लोग कांस्टेबल भर्ती की ही तैयारी करते हैं और शारीरिक तैयारी पर ज्यादा जोर देते हैं. एमबीए-एमसीए और बीटेक-एमटेक लोगों के पास तो और भी बहुत सी नौकरियां हैं लेकिन जिसने केवल इंटर तक की पढ़ाई की है उसके पास मौके कम हैं. जब ये लोग इसमें बैठते हैं तो कम पढ़े लोगों से अच्छा परफॉर्म करते हैं और निकल जाते हैं. बाद में ये छोड़ भी देंगे लेकिन इनकी जगह यदि दूसरा हुआ होता तो उसका करियर ठीक हो जाता.”
यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड
ब्रिटेन की यह यूविवर्सिटी पिछले पांच साल से पहली रैंक पर है. दुनिया की कोई भी यूनिवर्सिटी इसे मुकाबला नहीं दे पा रही है.
इससे पहले यूपी में सचिवालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और जिलों में सफाई कर्मचारियों के लिए निकले आवेदन में हजारों की संख्या में उच्च शिक्षित लोग आवेदन कर चुके हैं और चयनित भी हो चुके हैं. इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि सरकारी नौकरी में अच्छी तनख्वाह के साथ-साथ नौकरी को लेकर निश्चिंतता भी रहती है जबकि निजी क्षेत्र में ऐसा नहीं होता है.
दिल्ली में करियर काउंसिलर राजीव सक्सेना कहते हैं, "कोई इंजीनियर और एमबीए कांस्टेबल या सफाई कर्मचारी नहीं बनना चाहता है लेकिन बेरोजगारी कुछ भी करा सकती है. इंजीनियरिंग कॉलेज और मैनेजमेंट कॉलेज कुकुरमुत्तों की तरह खुले हैं और चार साल की पढ़ाई के दौरान बच्चे करीब आठ-दस लाख रुपये खर्च करते हैं लेकिन बाहर निकलने पर उन्हें 15-20 हजार रुपये प्रति माह की नौकरी भी नहीं मिल पा रही है. कुछेक प्रतिष्ठित संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर निजी संस्थानों का यही हाल है. ऐसे में सरकारी नौकरी के नाम पर युवा सोचते हैं कि कम से कम आर्थिक निर्भरता तो हासिल हो ही जाएगी.”
यहां यह बात भी काफी महत्वपूर्ण है कि कम योग्यता वाली नौकरियों में जब उच्च योग्यता के अभ्यर्थी होंगे तो निश्चित तौर पर जिनके लिए नौकरी है, वो इसे पाने में पिछड़ जाएंगे. शायद सरकार को भी यह बात पता है इसीलिए यूपी में राज्य सरकार के कुछ विभागों में जूनियर इंजीनियर की नौकरी के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि सिर्फ पॉलीटेक्नीक डिप्लोमाधारी लोग ही इसके लिए अर्ह होंगे, बीटेक और एमटेक की डिग्री धारक नहीं. जबकि इससे पहले यही होता आया कि इन पदों पर बीटेक और एमटेक के अभ्यर्थी ज्यादा चयनित हो जाते थे और डिप्लोमाधारक प्रतियोगिता से बाहर हो जाते थे.
बहरहाल, प्रयागराज में इन महिला कांस्टेबलों के पहले बैच की ट्रेनिंग 16 दिसंबर 2019 को शुरु हुई थी जो कोविड संक्रमण के कारण अब जाकर पूरी हुई है. इस दौरान 16 प्रशिक्षु भी संक्रमण से प्रभावित हो गए थे जिसकी वजह से ट्रेनिंग को बीच में रोकना भी पड़ा था. अब ये सभी कांस्टेबल अपनी नियुक्ति की जगह जा चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा 97 महिला कांस्टेबलों को उत्तर रेलवे में तैनाती मिली है जबकि सेंट्रल रेलवे में 59, उत्तर मध्य रेलवे में 19, पूर्वोत्तर रेलवे में दो, उत्तर पश्चिम रेलवे में 22, पश्चिम रेलवे में 47 पश्चिम मध्य रेलवे में तीन महिला कांस्टेबलों को नई तैनाती मिली है.
सिंधु घाटी सभ्यता पर हुए एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि उस समय के लोगों के भोजन में मांस का वर्चस्व था, जिसमें गो-मांस भी शामिल था. यह जानकारी उस समय के बर्तनों में बचे लिपिड अवशेषों के अध्ययन से मिली है.
डायचेवेले पर चारु कार्तिकेय का लिखा
नए अध्ययन के नतीजे 'जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजिकल साइंस' में छपे हैं. इसे अध्ययन का नेतृत्व कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर अक्षयेता सूर्यनारायण कर रही थीं. इसके लेखकों में पुणे के डेक्कन कॉलेज के पूर्व उप-कुलपति और जाने-माने पुरातत्वविद प्रोफेसर वसंत शिंडे और बीएचयू के प्रोफेसर रविंद्र एन सिंह भी शामिल हैं.
अध्ययन के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हड़प्पा से जुड़े स्थलों पर मिले मिट्टी के बर्तनों में वसा के अवशेषों का विश्लेषण किया गया. विश्लेषण में सूअरों, गाय-बैलों, भैंसों, भेंड़-बकरियों जैसे पशु उत्पाद और डेरी उत्पादों के अवशेष मिले. अध्ययन के अनुसार अवशेषों में पालतू जानवरों में से 50 से 60 प्रतिशत हड्डियां गाय, बैलों और भैंसों की मिली हैं और केवल 10 प्रतिशत हड्डियां भेड़ों और बकरियों की थीं.
उनके अनुसार यह इस बात का संकेत है कि सिंधु घाटी की सभ्यताओं में सांस्कृतिक तौर पर भोजन में बीफ खाने में पसंद की वस्तु रही होगी. हड़प्पा में 90 प्रतिशत गाय-बैलों को तीन, साढ़े तीन साल तक की उम्र तक जिन्दा रखा जाता था. मादा पशुओं को डेरी उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाता था और नर पशुओं को सामान खींचने के लिए.
पाकिस्तान में कराची के पास सिंधु घाटी सभ्यता के शहर मोहनजोदड़ो के अवशेष.
कई स्थानों पर बर्तनों में कम मात्रा में हिरन, खरगोश, पक्षी और जलचरों के भी अवशेष मिले हैं. कुछ विशेष किस्म के मर्तबानों की समीक्षा में वाइन और तेल के भंडारण के भी संकेत मिले हैं. सिंधु घाटी सभ्यता आधुनिक पाकिस्तान, उत्तर-पश्चिमी और पश्चिमी भारत अफगानिस्तान में फैली हुई थी.
इस अध्ययन में पांच गांवों और दो कस्बों पर ध्यान केंद्रित किया गया है. गांवों में आलमगीरपुर (मेरठ, उत्तर प्रदेश), मसूदपुर (हिसार, हरियाणा) में दो गांव, लोहारी राघो (हिसार) और खनक (भिवानी, हरियाणा) शामिल हैं. कस्बों में फरमाना (जिला रोहतक, हरियाणा) और राखीगढ़ी (हिसार) शामिल हैं.
रामपुर (उत्तर प्रदेश), 10 दिसम्बर| उत्तर प्रदेश के रामपुर में 15 साल की एक लड़की के साथ दुष्कर्म करने केविफल प्रयास के बाद एक शख्स द्वारा उसे छत से गिराए जाने की बात कही जा रही है। पुलिस ने इसकी सूचना दी है।
लड़की की हड्डियों में कई फ्रैक्च र आए हैं, जिसके इलाज के लिए उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से चिकित्सकों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे एक ट्रॉमा सेंटर में रेफर कर दिया।
यह घटना मंगलवार रात को सिविल लाइंस में हुई और बुधवार शाम को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
रामपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अरुण कुमार सिंह ने कहा, सिविल लाइंस थाने के अंतर्गत पहाड़ी गेट इलाके में रहने वाले आरोपी के खिलाफ कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इनमें भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो एक्ट के तहत आने वाली धाराएं शामिल हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ , 10 दिसंबर| उत्तर प्रदेश में माता-पिता की संपत्ति हड़प कर उन्हें घर से बाहर निकालने वाली संतानों की अब खैर नहीं। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण नियमावली 2014 में संशोधन किया जाएगा। इसमें बेदखली की प्रक्रिया जोड़ी जाएगी। राज्य विधि आयोग ने संबंधित प्रस्ताव का प्रारूप तैयार कर शासन को भेजा है। आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन में बच्चों के साथ रिश्तेदारों को भी जोड़ा गया है। यह प्रक्रिया भी जोड़ी गई है कि किस तरह पीड़ित पक्ष अपने मामले को पहले एसडीएम और फिर प्राधिकरण के समक्ष रख सकता है। गौरतलब है कि उतर प्रदेश में माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण नियमावाली वर्ष 2014 में प्रभाव में आई थी। परन्तु इस नियमावली में वृद्घ माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों की सम्पत्ति के संरक्षण हेतु विस्तृत कार्य योजना नहीं बन सकी थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के भी संज्ञान में वृद्घ माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों के बच्चों द्वारा उनकी सम्पति से उन्हें बेदखल करने की कोशिशों के मामले सामने आए हैं। न्यायालय ने भी अपने कई निर्णयों में माना कि वृद्घ माता-पिता की देखभाल न करके उनको उन्हीं के घर में बेगाना बना दिए जाने के प्रकरण अत्यन्त शर्मनाक है।
दरअसल, यह नियमावली 2014 में ही बना दी गई थी, लेकिन इसमें वृद्घ माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की संपत्ति को संरक्षित करने के लिए विस्तृत कार्य योजना नहीं बनाई गई। कोर्ट से मिल रहे निर्णयों से पता चला है कि बूढ़े माता-पिता को उनके ही बच्चे उनकी प्रॉपर्टी से निकाल देते हैं, या उनका ख्याल रखने की जगह घर में माता-पिता से पराया व्यवहार करते हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने अपनी रिसर्च के बाद यह डाटा तैयार किया है। रिसर्च में पता चला है कि माता-पिता की देखभाल न करके उनको उन्हीं के घर में बेगाना बना देते हैं़, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अध्यादेश की मंजूरी के बाद बुजुर्ग मां-बाप की सेवा न करने वालों को प्रॉपर्टी से ही बेदखल कर दिया जाएगा।
यूपी लॉ कमीशन की स्टडी में पता लगा है कि उत्तर प्रदेश माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण एवं कल्याण नियमावली-2014 और माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण अधिनियम 2007 जिन उद्देश्यों से बने थे वे उसे पूरा नहीं कर पा रहे। ऐसे में आयोग ने खुद ही नियमावली-2014 की विस्तृत कार्य योजना बनाई है और बेदखल की प्रक्रिया को भी शामिल करते हुए संशोधन का ड्राट तैयार किया है। जल्द ही शासन इसपर फैसला लेगा। आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने बताया कि शासन को प्रारूप का प्रतिवेदन चार दिसंबर को प्रस्तुत किया गया है। (आईएएनएस)
भोपाल, 10 दिसंबर | केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के देशव्यापी आंदोलन का दौर जारी है। वहीं दूसरी ओर, मध्य प्रदेश के कृषि विकास और किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल ने इन कानूनों पर किसानों का समर्थन जुटाने के लिए अभियान शुरु कर दिया है। कृषि मंत्री पटेल ने बुधवार को हरदा जिले के ग्राम भैंसादेह में किसानों की चैपाल को संबोधित करते हुए कहा कि किसान जागरुक हों और इन कानूनों को अपना समर्थन देकर कृषि के विकास में अपनी सहभागिता दें।
मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों के कल्याण के लिए प्रभावी कदम उठा रहे हैं जिससे बिचौलियों में हड़कंप मच गया है। बिचौलिए किसानों को भ्रमित कर उन्हें आंदोलन के लिए उकसा रहे हैं।
कमल पटेल ने किसानों से आह्वान किया कि किसान स्वयं चौपाल लगाकर कानूनों पर चर्चा करें और दूसरे किसानों को भी समर्थन के लिए प्रेरित करें।
उन्होंने किसानों को चेताते हुए कहा कि यदि अभी कानून वापस लेना पड़ा तो इसका नुकसान किसानों की भावी पीढियों को भी उठाना पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छोटे किसानों को कृषि से जोड़े रखने के लिए किसान सम्मान निधि देना आरंभ किया है, इससे किसानों को आर्थिक मदद मिली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस सम्मान निधि में राज्य का अंश जोड़कर इसे बढ़ा दिया है।
कमल पटेल ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत तभी बनेगा जब किसान आत्मनिर्भर होगा, लेकिन बिचौलिए किसानों को मिलने वाले लाभांश में बाधा खड़ी कर रहे हैं, इसे किसानों को ही एकजुट होकर विफल करना होगा।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों से कृषि कानूनों के समर्थन में आगे आकर अपनी आवाज उठाने की अपील की है जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ²ढ़ता के साथ कृषि कानूनों को लागू कर सकें। चौपाल में मौजूद किसानों ने कृषि कानूनों को किसानों के लिए हितकारी बताते हुए कहा कि वह पूरी तरह का समर्थन करते हैं और इन्हें लागू करने के लिए सरकार के साथ हैं।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 दिसंबर | नये कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों का आंदोलन गुरुवार को 15वें दिन जारी है और किसान नेता आंदोलन को आगे और तेज करने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं, नये कानूनों में संशोधन के सरकार के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद सरकार के साथ किसान नेताओं की बातचीत का मार्ग टूट गया है और इस दिशा में फिलहाल कोई नई पहल नहीं हुई है। दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान नेताओं ने कहा कि उनका यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी। भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) से जुड़े किसान नेता गुरविंदर सिंह कूम कलान ने आईएएनएस से कहा, सरकार जब तक नये काूननों को वापस नहीं लेगी हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा। हमारे नेताओं ने दिल्ली की तरफ आने वाले सभी प्रमुख पथों व राजमार्गों को बंद करने का एलान किया है और 14 दिसंबर को पूरे देश में प्रदर्शन होगा।
किसान नेताओं ने जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे को शनिवार तक बंद करने का एलान किया है।
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार की ओर से बुधवार को जो प्रस्ताव दिए गए उसमें कुछ नई बात नहीं थी और उससे जाहिर होता है कि सरकार हठधर्मिता पर अड़ी हुई है इसलिए उन प्रस्तावों को सर्वसम्मति से नकार दिया गया। उन्होंने कहा कि इसके बाद सरकार से बातचीत का मार्ग बंद हो गया है और अब इसके आगे अगर कोई नया प्रस्ताव आएगा तो बातचीत शुरू होगी।
सरकार द्वारा दिए गए प्रस्तावों को नकराने के बाद बुधवार को किसान नेताओं ने आगे आंदोलन तेज करने का फैसला लिया। उन्होंने 12 दिसंबर को देशभर में सड़कों पर लगे टॉल को फ्री करवाने का आह्वान किया है। इसके अलावा 14 दिसंबर को पूरे देश में जिला मुख्यालयों पर धरना देने की अपील की गई है। किसान नेताओं ने लोगों से जियो की सीम पोर्ट करवाने या उसे बंद करवाने की भी अपील की है।
किसान संगठनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नये कानून, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सभी फसलों की खरीद की गारंटी भी चाहते हैं। इसके अलावा, उनकी मांगों में पराली दहन से जुड़े अध्यादेश में कठोर दंड और जुर्माने के प्रावधानों को समाप्त करने और बिजली (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग भी शामिल है। इस संबंध में उनकी केंद्र सरकार के साथ पांच दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं और छठी दौर की वार्ता नौ दिसंबर को ही होने वाली थी, लेकिन इससे पहले आठ दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ किसान नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात में हुई बातचीत के बाद प्रस्तावित वार्ता टल गई। गृहमंत्री के साथ बातचीत के बाद किसान नेताओं को सरकार की ओर से उनकी तमाम मांगों के संबंध में प्रस्तावों का एक मसौदा सरकार की ओर से बुधवार को भेजा गया जिसे उन्होंने सर्वसम्मति से नकार दिया।(आईएएनएस)
भोपाल, 10 दिसंबर| देश में बाघ संरक्षण कार्यक्रम के तहत मध्य प्रदेश से ओडिशा भेजी गई मादा बाघ 'सुंदरी' को राज्य में वापस लाने की कवायद तेज हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संदर्भ में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को खत भी लिखा है। ज्ञात हो कि राज्य से बाघ संरक्षण कार्यक्रम के तहत बाघ पुर्नस्थापना के लिए बाघ का एक जोड़ा वर्ष 2018 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एवं ओडिशा सरकार के अनुरोध पर ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व भ्ेाजा गया था। इसमें से बाघ की कुछ समय बाद मौत हो गई। मादा बाघा सुंदरी के जनहानि किए जाने के चलते उसे नवंबर-2018 से बाड़े में रखा जा रहा है। अब वह नैसर्गिक व्यवहार नहीं कर रही है।
मुख्यमंत्री चौहान ने मध्यप्रदेश की बाघिन सुंदरी को वापस प्रदेश लाने के तारतम्य में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से अनुरोध किया है कि जब तक बाघिन कान्हा टाइगर रिजर्व के घोरेला केन्द्र में वापस नहीं लाई जाती, तब तक सुंदरी बाघिन की पर्याप्त देखभाल और उसे अनुकूल वातावरण प्रदान किये जाने के संबंध में निर्देश दें।
मुख्यमंत्री चौहान ने मीडिया रिपोर्टस का हवाला देते हुए कहा है कि सतकोसिया टाइगर रिजर्व में सुंदरी बाघिन का रख-रखाव वन्य-जीव अधिनियम के मानकों के अनुरूप नहीं है। इसके कारण वह नैसर्गिक व्यवहार प्रदर्शित नहीं कर पा रही है।
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने पत्र में कहा है कि ओडिशा सरकार के अनुरोध पर मध्य प्रदेश से विशेषज्ञ दल भेजकर बाघिन को पुन: राज्य में लाकर मुक्त किये जाने की संभावनाओं पर विचार किया गया था, किन्तु विशेषज्ञ दल ने पाया कि लम्बी अवधि तक बाड़े में रहने और निरंतर मानव की उपस्थिति की आदी होने के फलस्वरूप खुले वन क्षेत्र में मुक्त करने पर बाघिन और नागरिकों दोनों की सुरक्षा को खतरा होना संभावित है।
मुख्यमंत्री ने ओडिशा के मुख्यमंत्री पटनायक से अनुरोध किया है कि मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व के घोरेला केन्द्र में सुंदरी बाघिन को वापस रखने की परिस्थितियां निर्मित होने तक उसकी पर्याप्त देखभाल एवं अनुकूल वातावरण प्रदान किये जाने के बारे में संबंधितों को निर्देश देने का अनुरोध करें। (आईएएनएस)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर को 12:30 बजे देश के नए संसद भवन का शिलान्यास करेंगे. हालाँकि इसके निर्माण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. अदालत ने अभी केवल आधारशिला रखने की इजाज़त दी है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को इस बात का भरोसा दिया है कि इससे संबंधित याचिकाओं पर जब तक सुप्रीम कोर्ट अपना फ़ैसला नहीं दे देती तब तक सरकार किसी भी तरह के निर्माण या तोड़-फोड़ के काम को अंजाम नहीं देगी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने कहा था कि सिर्फ़ शिलान्यास का कार्यक्रम होगा और अभी इस पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य या किसी भी तरह की तोड़-फोड़ नहीं होगी. पेड़ों को भी नहीं गिराया जाएगा.
दरअसल नई संसद बनाने की योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब तक 10 याचिकाएँ दायर हो चुकी है. इसमें से एक अहम याचिका वकील राजीव सूरी ने पूरे प्रोजेक्ट के निर्माण और ज़मीन के इस्तेमाल पर आपत्ति दर्ज करते हुए दायर की है. इसके अलावा कई और आधार पर भी इस निर्माण को लेकर आपत्ति दर्ज की गई है.
क्या है याचिकाकर्ताओं की आपत्तियाँ
बीबीसी के लिए क़ानूनी मामलों को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुचित्र मोहंती के मुताबिक याचिकाकर्ताओं की दलील है कि संसद भवन वाले इलाके में नई इमारत बनाने पर रोक लगी हुई है.
उन्होंने नई संसद बनाने के लिए ज़मीन के इस्तेमाल को लेकर किए गए प्रस्तावित बदलाव पर आपत्ति दर्ज की है.
राजीव सूरी ने अपनी याचिका में ज़मीन के इस्तेमाल को लेकर किए गए कई बदलावों को लेकर अधिकारियों पर सवाल खड़े किए हैं.
सेंट्रल विस्टा कमिटी की ओर से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) जारी करने को लेकर भी याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी है. नई संसद के निर्माण से जुड़ी पर्यावरण संबंधी सवालों पर मंजूरी देने पर आपत्ति दर्ज की गई है.
एक याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा कि सरकारी पैसे खर्च करके इस तरह के निर्माण को उचित ठहराने को लेकर किसी भी तरह का कोई अध्ययन नहीं हुआ है. इसे भी किसी तरह से साबित नहीं किया गया है कि मौजूदा संसद की इमारत के साथ ऐसी क्या समस्या है जिससे कि इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
श्याम दीवान कहते हैं कि सरकार को इस तरह के फैसले लेने से पहले उचित परामर्श करना चाहिए था और निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिकतम पारदर्शिता बरतनी चाहिए थी. इसके लिए पूरा वक्त लेना चाहिए था ताकि अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों से राय ली जा सके.
सरकार की दलील
भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार के इस कई सौ करोड़ के प्रोजेक्ट का बचाव किया है. उन्होंने कहा है कि मौजूदा संसद की इमारत करीब 100 साल पुरानी है. इस पर ज्यादा दबाव है. नई संसद बनाते वक्त इस इमारत की एक भी ईंट नहीं निकाली जाएगी.
उन्होंने कहा कि मौजूदा संसद की इमारत 1927 में बनी थी और अब यह बहुत पुरानी पड़ चुकी है. इसमें अब सुरक्षा संबंधी समस्याएँ हैं. जगह की कमी है. ये इमारत भूकंपरोधी भी नहीं है. इसमें आग लगने से बचाव संबंधी सुरक्षा मापदंडों का भी अभाव है.
नई योजना के तहत संसद की नई इमारत के अलावा केंद्रीय सचिवालय और कई मंत्रालयों की इमारत बनाई जाएंगी.
उन्होंने यह भी कहा कि फिर से इन इमारतों को बनाने की योजना से पहले पर्याप्त रूप से विचार-विमर्श किया गया है और इसके व्यावहारिक पक्ष को भी ध्यान में रखा गया है.
उन्होंने बताया कि इससे सालाना खर्च होने वाले 1000 करोड़ रुपये की बचत होगी और मंत्रालयों के बीच आपसी समन्वय में सुधार आएगा क्योंकि 10 नई इमारतों में शिफ्ट हुए ये मंत्रालय आपस में बेहतर तरीके से मेट्रो से जुड़े होंगे.
तुषार मेहता ने यह भी कहा कि सरकार के कामकाज में सुधार लाने के लिए यह ज़रूरी है कि सभी केंद्रीय मंत्रालय एक जगह पर हो. इसलिए इस योजना की ज़रूरत है.
नई संसद का ढांचा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पाँच दिसंबर को बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर को इस नई इमारत की नींव रखेंगे और इसे 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसमें अनुमान के मुताबिक़ क़रीब 971 करोड़ रुपये की लागत लगेगी.
उन्होंने यह भी बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर होगा. यह मौजूदा संसद भवन से 17,000 वर्ग मीटर अधिक होगा.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि नई इमारत में लोक सभा कक्ष भूतल में होगा, जिसमें 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी जबकि राज्य सभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. संयुक्त बैठक के दौरान 1272 सदस्य इसमें बैठ सकेंगे.
इस निर्माण कार्य से जुड़ी कई याचिकाएँ कई पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कोर्ट में दाख़िल की गई है. इसमें इस प्रोजेक्ट से जुड़ी पर्यावरण संबंधी चिंताएँ भी शामिल हैं.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
इसे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है. इसके तहत राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट के बीच कई इमारतों के निर्माण की योजना बनाई गई है.
संसद की नई इमारत तिकोना होगी हालांकि पुराने संसद भवन का इस्तेमाल भी किया जाएगा.
मौजूदा संसद की इमारत 93 साल पुरानी है.
नई संसद के निर्माण का अनुमानित ख़र्च 971 करोड़ रुपये बताया जा रहा है. नई संसद के 2022 तक तैयार हो जाने की संभावना है.
प्रोजेक्ट के तहत नया केंद्रीय सचिवालय भी तैयार किया जाएगा जिसमें क़रीब 10 इमारतें होंगी. इस पूरे प्रोजेक्ट के पूरा होने की समय सीमा 2024 तक रखी गई है. (bbc)
नई दिल्ली, 9 दिसंबर | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को टीआईई ग्लेबल समिति 2020 को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में एक व्यापक बुनियादी ढांचे के निर्माण और इसे एक वैश्विक स्टार्ट-अप डेस्टिनेशन में बदलने को लेकर दिल्ली सरकार के प्रयासों को साझा किया। केजरीवाल इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले भारत के एकमात्र मुख्यमंत्री थे। मुख्यमंत्री ने कहा, "दिल्ली सरकार कोविड के प्रभाव को पीछे छोड़ते हुए मजबूती से वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुझे खुशी है कि दिल्ली ने भारत में स्टार्ट-अप स्थान के रूप में नेतृत्व करने की स्थिति प्राप्त कर ली है।"
दिल्ली में 7000 से अधिक स्टार्ट-अप हैं। दिल्ली, देश में सबसे अधिक सक्रिय स्टार्ट-अप वाला शहर है, जिसका अनुमानित मूल्यांकन करीब 50 अरब डॉलर है। इस क्षेत्र में लगभग 13 प्रभावशाली स्टार्टअप जैसे पेटीएम, ओयो, और जोमैटो हैं। 2013 के बाद से प्रत्येक वर्ष कम से कम एक नया प्रभावशाली स्टार्टअप उभर रहा है।
सीएम ने कहा, "दिल्ली में नए हाईटेक औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के साथ पुराने औद्योगिक क्षेत्रों के उद्योगों को बिना कंवर्जन शुल्क का भुगतान किए नए क्षेत्रों में स्थानांतरित करने का विकल्प होगा। यह साफ-सुथरी और ग्रीन दिल्ली बनाने में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। स्टार्ट-अप नीति के तहत हम समानांतर मुक्त ऋण प्रदान करने और स्टार्टअप के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "टीआईई ग्लोबल समिट का हिस्सा बनना और आज आप सभी से बात करना खुशी की बात है। दिल्ली को वैश्विक स्टार्ट-अप स्थान में बदलने के लिए व्यापक ढांचे के निर्माण को लेकर किए गए प्रयासों को आप सभी के साथ साझा करुंगा।"
दिल्ली-एनसीआर शीर्ष पांच वैश्विक स्टार्ट-अप हब में से एक बनने के लिए तैयार है, जिसमें 12,000 स्टार्टअप और 30 प्रभावशाली स्टार्टअप हैं। उनका मूल्यांकन 2025 तक बढ़कर लगभग 150 अरब डॉलर हो जाएगा।
दिल्ली सरकार 150 एकड़ भूमि में रानी खेड़ा में एक हाईटेक बिजनेस पार्क भी बना रही है। यह दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट से महज 15 मिनट की दूरी पर होगा। इसमें आईटी और सेवा उद्योग होंगे। पार्क में ग्रीन बिल्डिंग, हर फ्लोर पर बड़े साइज के वर्कस्पेस, मल्टीपर्पज बिजनेस की सुविधाएं और पैदल यात्री प्लाजा होंगे। इसमें रिटेल, फूड एंड बेवरेज (एफएंडबी) सभी तरह की सुविधाएं होंगी। दिल्ली सरकार सात अलग-अलग चरणों में अपनी तरह का पहला बिजनेस पार्क को विकसित करेगी।
--आईएएनएस
भोपाल, 10 दिसंबर | मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तेवर तल्ख हो चले हैं और अब यह नजर भी आ रहे हैं। नीमच के पुलिस अधीक्षक और कटनी के जिलाधिकारी के कामकाज से असंतुष्ट मुख्यमंत्री ने दोनों ही अधिकारियों को हटा दिया है। मुख्यमंत्री चौहान ने बुधवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कलेक्टर्स-कमिश्नर्स, पुलिस अधीक्षक और पुलिस महानिरीक्षक कान्फ्रेंस में साफ किया था कि राज्य में पदस्थापना मेरिट के आधार पर होगा। रात होते-होते नीमच के पुलिस अधीक्षक मनोज राय को हटा दिया है और उनके स्थान पर इंदौर के पुलिस अधीक्षक सूरज कुमार वर्मा को पदस्थ किया गया है ।
इसी तरह कटनी के जिलाधिकारी शशिभूषण सिंह को हटा दिया है। सिंह के स्थान पर किसे पदस्थ किया गया है अभी यह तय नहीं हुआ है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 10 दिसंबर | भले ही दुनिया कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए कई वैक्सीन पर तेजी से चल रही प्रगति को चीयर्स कर रही है, लेकिन संक्रमितों के लिए असरकारक दवा को लेकर वैज्ञानिक अभी भी शोध में जुटे हुए हैं। अब वैज्ञानिकों की एक टीम ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसी दवा ढूंढ ली है, जो किसी भी व्यक्ति के शरीर में मौजूद कोरोनावायरस को महज 24 घंटे में खत्म करने में सक्षम है। इस दवा को मोल्नूपीराविर नाम दिया गया है। इसे फार्मास्यूटिकल कंपनी मार्क और रिजबैंक एक साथ मिलकर बना रहे हैं। यह दवा सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के खिलाफ अपने दूसरे/तीसरे नैदानिक परीक्षणों (क्लीनिकल ट्रायल) में है।
अमेरिका में जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर बायोमेडिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि सार्स-सीओवी-2 संक्रमण का इलाज एक नई एंटी वायरल दवा मोल्नूपीराविर से किया जा सकता है। दावा किया गया है कि यह दवा इतनी प्रभावी है कि 24 घंटे के भीतर वायरस पूरी तरह से खत्म हो जाता है।
जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रिचर्ड प्लेंपर के नेतृत्व में समूह ने मूल रूप से पता लगाया कि दवा इन्फ्लूएंजा वायरस के खिलाफ शक्तिशाली है।
अध्ययन के लेखक रिचर्ड प्लेंपर के मुताबिक, कोरोना के इलाज के लिए गटकी जाने वाली दवाई के तौर पर यह पहली दवा है और कोरोना के इलाज में यह गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने कहा, "क्योंकि यह दवा सामान्य रूप से ही निगल कर खाई जाने वाली है, इसलिए इसके लाभ भी अन्य से तीन गुना तेजी से देखने को मिलते हैं। मरीज के लक्षणों को देखते हुए यह दवा इस्तेमाल में लाई जा सकती है।"
उन्होंने कहा कि मुंह से ली जाने वाली इस दवा का प्रदर्शन अच्छा है और यह तेजी से सार्स-सीओवी-2 ट्रांसमिशन को ब्लॉक करने का काम करती है।
बड़े पैमाने पर टीकाकरण उपलब्ध होने तक कोविड-19 का व्यापक सामुदायिक प्रसारण बाधित करना कोविड-19 के प्रबंधन के लिए सर्वोपरि है और यह महामारी के भयावह परिणामों को कम करता है।
प्लेंपर ने कहा कि शुरुआती शोध में इस दवा को इंफ्लूएंजा जैसे जानलेवा फ्लू को खत्म करने में असरदार पाया गया था, जिसके बाद कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए इस पर शोध किया गया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने कुछ जानवरों को पहले कोरोना से संक्रमित किया और उसके बाद जैसे ही उन जानवरों ने नाक से वायरस को छोड़ना शुरू किया, उन्हें तुरंत मोल्नूपीराविर दवा दी गई।
मोल्नूपीराविर दवा देने के बाद संक्रमित जानवरों को स्वस्थ जानवरों के साथ एक ही पिंजरे में रखा गया, ताकि यह देखा जा सके कि उनमें संक्रमण फैलता है या नहीं।
इस अध्ययन के सह लेखक जोसफ वुल्फ ने बताया कि शोध के दौरान यह पाया गया कि संक्रमित जानवरों से स्वस्थ जानवरों में संक्रमण नहीं फैला। उनका कहना है कि इस दवा का इस्तेमाल अगर संक्रमित मरीजों पर किया जाता है तो महज 24 घंटे में ही मरीज के शरीर से संक्रमण खत्म हो जाएगा।
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) जल्द ही दवा के लिए मानव नैदानिक परीक्षण करने पर निर्णय लेगा।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 10 दिसम्बर | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को रेफरेंडम 2020 (सिख फॉर जस्टिस) के बैनर तले एक सोची-समझी साजिश के तहत अलगाववादी अभियान शुरू करने के आरोप में 16 विदेशी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। एनआईए ने खालिस्तान के निर्माण के लिए एक अलगाववादी साजिश की अपनी जांच के सिलसिले में यह आरोप पत्र (चार्जशीट) दायर किया है।
एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि एजेंसी ने जिन लोगों के नाम चार्जशीट में शामिल किए हैं, उनमें न्यूयॉर्क स्थित गुरपतवंत सिंह पन्नू, हरदीप सिंह निज्जर, परमजीत सिंह उर्फ पम्मा, अवतार सिंह पन्नू, गुरप्रीत सिंह बागी, हरप्रीत सिंह, सरबजीत सिंह, अमरदीप सिंह पुरेवाल, जे. एस. धालीवाल, दुपिंदरजीत सिंह, कुलवंत सिंह, हरजाप सिंह, सरबजीत सिंह, जतिंदर सिंह ग्रेवाल, कुलवंत सिंह मोताथा और हिम्मत सिंह का नाम शामिल है।
अधिकारी ने कहा कि 16 नामजद आरोपी सिख फॉर जस्टिस के सदस्य हैं, जिसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत 'गैरकानूनी संगठन' के रूप में घोषित किया गया है।
ये सभी खालिस्तानी आरोपी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन में बैठकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान यह पता चला कि सिख फॉर जस्टिस ने ह्यूमन राइट्स एडवोकेसी ग्रुप की आड़ में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि जैसे विभिन्न बाहरी देशों में अपने कार्यालयों को स्थापित किया है।
सिख फॉर जस्टिस को पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा है और इसकी मंशा भारत में अशांति फैलाकर इसके टुकड़े करने की कोशिश की है।
असल में ये पाकिस्तान में बैठे खालिस्तानियों की साजिश का एक बड़ा हिस्सा है। बता दें कि सिख फॉर जस्टिस सोशल मीडिया, फोन कॉल, फेसबुक, ट्वीटर, यूट्यूब, वेबसाइट के जरिये प्रोपेगैंडा फैलाने में लगा हुआ है। अधिकारी ने कहा कि ये लोग शांति और सद्भाव में खलल डालना और आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के काम में लिप्त हैं।
एनआईए अधिकारी ने आगे कहा कि एसएफजे भारत के खिलाफ विद्रोह फैलाने के लिए भारतीय सेना में सिख कर्मियों को उकसाकर भारत की सुरक्षा को कम करने का प्रयास कर रहा है।
अधिकारी ने कहा, "एसएफजे कश्मीर के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और खुले तौर पर भारत से कश्मीर के अलगाव के लिए समर्थन देने की कोशिश कर रहा है।"
अधिकारी ने कहा, "एनआईए और अन्य एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराए गए डोजियर के आधार पर, एसएफजे के मुख्य संरक्षक गुरपतवंत सिंह पन्नू, हरदीप सिंह निज्जर और परमजीत सिंह को पहले ही यूएपीए अधिनियम के तहत 'आतंकवादी' के रूप में नामित किया जा चुका है।"
जांच के दौरान एनआईए ने पंजाब के अमृतसर में आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू और पंजाब के जालंधर में आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की अचल संपत्तियों की पहचान की है।
अधिकारी ने कहा कि एनआईए के अनुरोध पर गृह मंत्रालय ने यूएपीए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया है।
--आईएएनएस
पटना, 10 दिसंबर | मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में एक और कार्यकाल के लिए पद संभाला है, लेकिन राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनके लिए एक चुनौती बना हुआ है। बुधवार सुबह दरभंगा में एक ज्वैलरी शॉप पर छह हथियारबंद लोगों ने धावा बोल दिया और 5 करोड़ रुपये से अधिक के गहने लूट ले गए।
पीड़ित सुनील लाठ ने दावा किया कि लुटेरों ने नकदी के साथ 10 किलो से अधिक वजन का सोना लूट लिया। शहर की सबसे बड़ी आभूषण दुकान खोलने के कुछ ही समय बाद, सुबह 10.30 बजे लुटेरों ने दुकान पर हमला कर दिया।
यह दुकान भाजपा विधायक संजय सरावगी के निवास से सिर्फ दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित है।
हथियारबंद लुटेरों ने बंदूक दिखाकर कर्मचारियों को धमकी दी और 10 मिनट से भी कम समय में अपराध को अंजाम दिया और हवा में फायरिंग के बाद अपराध स्थल से भाग गए।
दरभंगा रेंज के आईजी अजिताभ कुमार और एसपी बाबू राम जांच के लिए मौके पर पहुंचे थे।
बाबू राम ने आईएएनएस को बताया, "हम आभूषण और नकदी के मूल्य का विश्लेषण करने और आरोपियों की पहचान करने के लिए सीसीटीवी फुटेज देखने की प्रक्रिया में हैं।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 10 दिसंबर | केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को आत्मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत कोविड रिकवरी चरण के दौरान रोजगार के नए अवसरों के सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को मंजूरी दे दी। कैबिनेट ने चालू वित्तवर्ष के लिए 1,584 करोड़ रुपये और पूरी योजना अवधि-2020-2023 के लिए 22,810 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी है।
इस योजना के तहत केंद्र 1 अक्टूबर, 2020 को या उसके बाद लगे नए कर्मचारियों के संबंध में दो साल और 30 जून, 2021 तक सब्सिडी देगा।
सरकार दो साल तक 1,000 कर्मचारियों को रोजगार देने वाले प्रतिष्ठानों में नए कर्मचारियों के संबंध में ईपीएफ के लिए 12 प्रतिशत कर्मचारियों के योगदान और 12 प्रतिशत नियोक्ताओं के योगदान यानी 24 प्रतिशत वेतन का भुगतान करेगी।
इसके अलावा, केंद्र दो साल के लिए 1,000 से अधिक कर्मचारी को रोजगार देने वाले प्रतिष्ठानों में नए कर्मचारियों के संबंध में ईपीएफ अंशदान के कर्मचारियों के हिस्से, मजदूरी का 12 प्रतिशत भुगतान करेगा ।
15,000 रुपये से कम की मासिक मजदूरी लेने वाला कर्मचारी जो 1 अक्टूबर, 2020 से पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में पंजीकृत किसी भी प्रतिष्ठान में काम नहीं कर रहा था और 1 अक्टूबर, 2020 से पहले एक सार्वभौमिक खाता संख्या या ईपीएफ सदस्य खाता संख्या नहीं था, लाभ के लिए पात्र होगा।
--आईएएनएस
रोहित वैद
नई दिल्ली, 9 दिसम्बर | राष्ट्रीय राजधानी के आईजीआई एयरपोर्ट ने भारत की ओर से कोविड-19 महामारी के खिलाफ आगामी कार्रवाई के लिए कमर कस ली है।
जीएमआर की ओर से संचालित हवाई अड्डा, जिसने पिछले कई महीनों में पीपीई किट की आपूर्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वह अब कोविड-19 वैक्सीन के साथ तापमान नियंत्रित कार्गो को संभालने की तैयारी कर रहा है।
आईजीआई एयरपोर्ट अब कोरोनावायरस महामारी से निजात दिलाने के लिए पुणे और हैदराबाद स्थित दवा निमार्ताओं की ओर से तैयार की जा रही वैक्सीन के परिवहन में बड़ी भूमिका अदा करने वाला है।
दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के सीईओ विदेह कुमार जयपुरियार ने कहा, "इस महामारी के खिलाफ दूसरे चरण की लड़ाई के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पूरी तरह से तैयार है। जैसे ही वैक्सीन लॉन्च होगी, उसकी हैंडलिंग और उसे वितरित करने की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एयरपोर्ट तैयार है।"
दरअसल जब वैक्सीन आमजन के टीकाकरण के लिए तैयार हो जाएगी, तब देश के विभिन्न हिस्सों में उसकी सप्लाई को लेकर बड़े स्तर पर उचित परिवहन की जरूरत होगी। इसके साथ ही वैक्सीन के भंडारण और वितरण के लिए मानव और भौतिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता भी पड़ेगी।
नतीजतन, दिल्ली हवाई अड्डे ने अपने संसाधनों का प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। इसने पूरे आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क के हितधारकों के साथ एक समन्वय सुविधा स्थापित की और यहां तक कि अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग करके अभ्यास भी किया जा रहा है।
वर्तमान में हवाई अड्डे की सुविधाएं माल के परिवहन को नियंत्रित करने में सक्षम हैं। इसके अलावा वैक्सीन को एक निर्धारित तापमान पर रखकर एक से दूसरे स्थान पर पहुंचाने की जरूरत पड़ेगी और उसके लिहाज से भी एयरपोर्ट तैयार है।
सिर्फ दिल्ली या उत्तर भारत ही नहीं, बल्कि दिल्ली का यह हवाई अड्डा लगभग 70 घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों के लिए इन वैक्सीन के परिवहन में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
अधिकारी इसे लेकर सजग हैं और कोविड-19 टीकों के कुशल और सुरक्षित संचालन के लिए विभिन्न अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "हम हवाई अड्डे से और आने वाले टीकों की आवाजाही के लिए एजेंसियों के साथ मिलकर प्रक्रियाएं शुरू कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "कार्गो टर्मिनल के चौबीसों घंटे परिचालन के लिए प्रावधान किए जा रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि निर्बाध आपूर्ति और कुशल संचालन जैसी सेवाएं चौबीसों घंटे उपलब्ध हों।"
अधिकारी ने कहा कि इससे पहले दिल्ली हवाई अड्डे ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ देश के पहले चरण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अब यह दूसरे चरण यानी वैक्सीन के परिवहन को लेकर भी एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए फिर से तैयार है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को नए संसद भवन का भूमि पूजन करेंगे। अक्टूबर 2022 तक नए भवन का निर्माण पूरा करने की तैयारी है, ताकि देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर इसी भवन में सत्र का आयोजन हो। नए संसद भवन में लोकसभा का आकार मौजूदा से तीन गुना ज्यादा होगा। राज्यसभा का भी आकार बढ़ेगा। कुल 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की ओर से कराया जाएगा। नए संसद भवन का डिजाइन एचसीपी डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, नया संसद भवन वर्ष 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर नये भारत की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप होगा। यह अगले सौ साल की जरूरतों के मद्देनजर बनाया जाएगा। ताकि भविष्य में सांसदों की संख्या बढ़ने पर भी कोई दिक्कत न आए।
मंत्रालय के मुताबिक, नया संसद भवन अत्याधुनिक, तकनीकी सुविधाओं से युक्त होगा। सोलर सिस्टम से ऊर्जा बचत भी होगी। मौजूदा संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी। नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है। नए भवन की सज्जा में भारतीय संस्कृति, क्षेत्रीय कला, शिल्प और वास्तुकला की विविधता का समृद्ध मिलाजुला स्वरूप होगा। डिजाइन योजना में केंद्रीय संवैधानिक गैलरी को स्थान दिया गया है। आम लोग इसे देख सकेंगे।
नए संसद भवन के निर्माण के दौरान पर्यावरण अनुकूल कार्यशैली का इस्तेमाल होगा। नए भवन में उच्च गुणवत्ता वाली ध्वनि तथा दृश्य-श्रव्य सुविधाएं, बैठने की आरामदायक व्यवस्था, आपातकालीन निकासी की व्यवस्था होगी। इमारत उच्चतम संरचनात्मक सुरक्षा मानकों का पालन करेगी। भूकंप के तेज झटके भी इमारत झेल लेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को नए संसद भवन का भूमि पूजन करेंगे। इस समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी, आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह शामिल होंगे। केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, संसद सदस्य, सहित लगभग 200 लोग लाइव वेबकास्ट के जरिये भूमि पूजन समारोह में मौजूद रहेंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 दिसंबर | राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने बुधवार को भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने पर जोर दिया। उन्होंने भ्रष्टाचार से लड़ते हुए देश की सेवा करने वाली भ्रष्टाचार- रोधी एजेंसियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में 'अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक दिवस' के अवसर पर बोलते हुए डोभाल ने यह भी कहा कि आर्थिक रूप से वैश्वीकृत दुनिया ने कैसे अपराध में नए मोर्चे को जन्म दिया है। डोभाल ने विशेष रूप से आर्थिक अपराधों से निपटने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
इस दौरान एनएसए ने 34 सीबीआई अधिकारियों को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक भी प्रदान किए और उन्हें बधाई दी।
उन्होंने अधिकारियों से भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए जांच में बेहतर पेशेवर क्षमता के लिए प्रयास करने का भी आग्रह किया।
इस अवसर पर केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला भी उपस्थित रहे।
डोभाल, भल्ला और सीबीआई प्रमुख ऋषि कुमार शुक्ला ने विदेश स्थित साक्ष्य और आपराधिक खुफिया जानकारी के संग्रह के लिए औपचारिक और अनौपचारिक सहायता चैनलों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में जांचकर्ताओं की सहायता के लिए एक पुस्तिका 'हैंडबुक ऑन इन्वेस्टिगेशन अब्रॉड' भी जारी की।
इस अवसर पर शुक्ला ने कहा कि सीबीआई की विश्वसनीयता स्थापना के बाद से संगठन द्वारा किए गए लगातार उत्कृष्ट कार्य का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि एक प्रमुख जांच एजेंसी के रूप में अपनी भूमिका से अलग, सीबीआई निवारक सतर्कता के संबंध में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी निभा रही है।
शुक्ला ने सीबीआई की ओर से देश में सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग नेटवर्क से जुड़कर समन्वय कायम करने की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। (आईएएनएस)
भोपाल, 9 दिसंबर | मध्यप्रदेश के संजय टाइगर रिजर्व के ब्यौहारी वन परिक्षेत्र के ग्राम बोचरों में शौच के लिए गए आठ साल के रोहित पनिका पर बाघ शावक ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। बाघ के हमले में मारे गए बच्चे को पार्क विकास निधि से चार लाख रुपरु की आर्थिक मदद दी गई है। बताया गया है कि सोमवार को शौच के लिए खेत में गए रोहित पर मादा शावक बाघ ने हमला कर दिया। इस हमले में रोहित की मौत हो गई। संजय टाइगर रिजर्व सीधी एवं उत्तर वनमंडल शहडोल के अधिकारी दल बल के साथ मौके पर पहुंचे और बालक के शव की खोज लिया। दूसरे दिन सुबह हाथियों की मदद से बालक का शव बरामद किया गया। मृतक बालक के परिजन को पार्क विकास निधि से 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की गई है।
संजय टाइगर रिजर्व सीधी के संचालक विंसेंट रहीम ने बताया है कि वन, राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों के समक्ष परिजनों द्वारा मृत बालक का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसके पहले 19 नवंबर को भी इस क्षेत्र में बाघ ने हमला किया था। दो घटनाओं के बाद मानव जीवन एवं बाघ की सुरक्षा के उद्देश्य से एक मादा बाघ शावक को रेस्क्यू कर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बने बाड़े में रखने का निर्णय लिया गया है। (आईएएनएस)
कोलकाता, 9 दिसंबर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को सांस की समस्या के बाद बुधवार दोपहर को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, 76 वर्षीय भट्टाचार्य को सांस लेने में कठिनाई हुई और बुधवार दोपहर यह समस्या ज्यादा बढ़ गई। वह उम्र संबंधी बीमारी के अलावा क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित हैं।
माकपा के राज्य सचिव सूर्य कांता मिश्रा ने कहा, "कॉमरेड बुद्धदेव भट्टाचार्य को वुडलैंड में उनकी सांस संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए भर्ती कराया गया है।"
अस्पताल के सूत्रों ने कहा कि भट्टाचार्य का इलाज शुरू हो गया है। अस्पताल के फ्लू-क्लिनिक में अनुभवी नेता के आवश्यक टेस्ट किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, "पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को सांस लेने में तकलीफ के चलते अस्पताल में भर्ती कराए जाने से चिंतित हूं। उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामन कर रही हूं। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 9 दिसंबर | तेलंगाना के हैदराबाद में बुधवार को 64 देशों के राजदूतों ने यहां के भारत बायोटेक और बॉयोलॉजिकल ई फैसिलिटी का दौरा किया, जहां कोरोनावायरस के लिए टीके विकसित किए जा रहे हैं। एयर इंडिया के एक विशेष विमान से हैदराबाद पहुंचने के बाद, एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया के राजदूत और उच्चायुक्त दोनों कंपनियों का दौरा करने के लिए शहर के बाहरी इलाके जीनोम वैली पहुंचे।
विदेश मिशन के प्रमुखों की यात्रा का बंदोबस्त विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा किया गया था और यह टीकों के निर्माण और वितरण के लिए साझेदारी विकसित करने के भारत के प्रयासों का हिस्सा था।
पिछले महीने, राजनयिकों को देश में चल रहे टीकों के परीक्षणों पर और खुराक बनाने और वितरित करने के प्रयासों के बारे में जानकारी दी गई थी।
अधिकारियों ने कहा कि राजनयिकों को दो बैचों में बांटा गया था और उन्होंने टीकों के निर्माण के लिए विकसित फैसिलिटी को देखने के लिए दोनों कंपनियों का दौरा किया।
दोनों कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने दूतों को टीके के विकास में अब तक हुई प्रगति और टीकों को नियामकों से मंजूरी मिलने के बाद दोनों कंपनियों की लॉन्चिंग योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
भारत बायोटेक में, प्रतिनिधिमंडल को अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. कृष्णा एला द्वारा कंपनी के टीका विकास कार्यक्रम के बारे में बताया गया।
प्रतिनिधियों को भारत बायोटेक की शोध प्रक्रिया, विनिर्माण क्षमताओं आदि के बारे में बताया गया।
राजदूतों ने कंपनी के राष्ट्रीय और वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व के काम की सराहना की।
भारत के स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन को भारत बायोटेक द्वारा इंजियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया गया है। इस स्वदेशी टीके को भारत बायोटेक के बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) बायो-कन्टेनमेंट फैसिलिटी में विकसित और निर्मित किया गया है।
वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल नवंबर में शुरू हुआ, जिसमें पूरे भारत से 26,000 स्वयंसेवक शामिल थे।
भारत बायोटेक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा एला ने विदेशी दूतों को संबोधित करते हुए कहा, "कोवैक्सीन का विकास और क्लीनिकल इवैल्यूशन भारत में नोवल वैक्सीनोलॉजी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। कोवैक्सीन ने सप्लाई और इंट्रोडक्शन के लिए दुनियाभर के कई देशों का ध्यान खींचा है।"
बॉयोलॉजिकल ई ने पिछले महीने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीदीसीआई) से अनुमोदन के बाद भारत में अपने कोविड-19 सबयूनिट वैक्सीन कैंडिडेट का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया था।
तेलंगाना के मुख्य सचिव सोमेश कुमार ने भी राजनयिकों को संबोधित किया और राज्य की क्षमता का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि तेलंगाना ने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में जबरदस्त प्रगति हासिल की है।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में फार्मा क्षेत्र का कंबाइंड वैल्यू लगभग 50 अरब डॉलर है। हैदराबाद न केवल भारत का, बल्कि पूरे विश्व का वैक्सीन हब है, जिसमें पूरे वैक्सीन के 33 प्रतिशत हिस्से का उत्पादन हैदराबाद में किया जाता है।
प्रमुख सचिव उद्योग और आईटी, जयेश रंजन ने भी पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया और राजनयिकों को राज्य की निवेश क्षमता का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि हैदराबाद फार्मा सिटी एक-दो महीने में ऑपरेशनल हो जाएगा। इसी तरह 500 एकड़ में आउटर रिंग रोड के पास एक मेडिकल डिवाइस पार्क बनाया जा रहा है। (आईएएनएस)
रांची, 9 दिसंबर | एक दिल दहलाने वाले घटनाक्रम में, झारखंड के दुमका जिले में पति की मौजूदगी में 17 लोगों ने कथित रूप से एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया, जिसके बाद बुधवार को इस सिलसिले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। मंगलवार को मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक इलाके में यह अपराध हुआ, जब पांच बच्चों की मां अपने पति के साथ मेले से घर लौट रही थी।
आरोपियों ने उन्हें रास्ते में रोक लिया। बदमाश दोनों पर हावी हो गए और महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
अपराध की जानकारी मिलने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी थाने पहुंचे। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एक अभियान चलाया है। महिला को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है। (आईएएनएस)
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने मंगलवार को कहा कि भारत में 'कड़े' सुधार को लागू करना बहुत मुश्किल है.
भारत समेत तीसरी दुनिया के देशों में आर्थिक नीतियों को 'कॉर्पोरेट फ्रेंडली' बनाने की प्रक्रिया को रिफॉर्म यानी सुधार नाम दिया जाता है. या फिर नीतियों को 'उदार' बनाने की बात कही जाती है.
अमिताभ कांत ने कहा कि भारत में लोकतंत्र कुछ ज़्यादा ही है लेकिन मोदी सरकार सभी सेक्टरों में सुधार को लेकर साहस और प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रही है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कोल, श्रम और कृषि क्षेत्र में सुधार को लेकर साहस दिखाया है.
भारत के किसानों का एक बड़ा तबका जब मोदी सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों को रद्द करने के लिए विरोध कर रहा है, ऐसे में नीति आयोग के सीईओ ने कहा है कि भारत में कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र है.
अमिताभ कांत ने मोदी सरकार के कृषि क़ानून का भी बचाव किया और कहा कि इससे किसानों को विकल्प मिलेगा.
अमिताभ कांत स्वराज पत्रिका की ओर से आयोजित 'आत्मनिर्भर भारत की राह' विषय पर एक ऑन लाइन इवेंट में बोल रहे थे. अमिताभ कांत ने कहा कि इन सुधारों की ज़रूरत है ताकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में चीन से मुक़ाबला किया जा सके.
अमिताभ कांत से पूछा गया कि अगर कोविड 19 महामारी में भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का मौक़ा दिया है तो ऐसी कोशिश तो पहले भी की गई थी. इस पर नीति आयोग के सीईओ ने कहा, ''भारत में कड़े सुधारों को लागू करना बहुत मुश्किल है. हमारे यहां लोकतंत्र कुछ ज़्यादा ही है. पहली बार कोई सरकार हर सेक्टर में सुधारों को लेकर साहस और प्रतिबद्धता दिखा रही है. कोल, कृषि और श्रम सेक्टर में सुधार किए गए हैं. ये बहुत ही मुश्किल रिफ़ॉर्म हैं. इन्हें लागू करने के लिए गंभीर राजनीतिक प्रतिबद्धता की ज़रूरत होती है.''
अमिताभ कांत यह कहना कि भारत में लोकतंत्र कुछ ज़्यादा ही है विवादों में घिर गया.
सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर अमिताभ कांत पर निशाना साधा है. प्रशांत भूषण ने लिखा है, ''आलोचना के बाद अमिताभ कांत ने अपने बयान से पल्ला झाड़ लिया. इसके बाद मीडिया में भी स्टोरी डिलीटी कर दी गई लेकिन वीडियो डिलीट करना भूल गए.'' प्रशांत भूषण ने अमिताभ कांत की कही बातों के उस हिस्से का वीडियो भी पोस्ट किया है.
विवाद के बाद अमिताभ कांत ने भी ट्विटर पर स्पष्टीकरण जारी किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''मैंने जो कहा है वो ये बिल्कुल नहीं है. मैं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर बोल रहा था.''
हाई कोर्ट के वकील नवदीप सिंह ने अमिताभ कांत की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है, ''जो सरकारी पदों पर हैं उन्हें सार्वजनिक रूप से बोलते वक़्त अपने शब्दों के लेकर सावधान रहना चाहिए. ज़्यादा लोकतंत्र होने का मतलब क्या है?''
हाल ही में स्वीडन स्थित एक संस्था 'वी- डेम इंस्टीट्यूट' ने अपनी रिपोर्ट में संकेत दिए हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक कहे जाने वाले भारत में लोकतंत्र कमज़ोर पड़ रहा है,
वी- डेम इंस्टीट्यूट की '2020 की लोकतंत्र रिपोर्ट' केवल भारत के बारे में नहीं है. इस रिपोर्ट में दुनियाभर के कई देश शामिल हैं, जिनके बारे में ये रिपोर्ट दावा करती है कि वहाँ लोकतंत्र कमज़ोर पड़ता जा रहा है.
इस रिपोर्ट को तैयार करने वाली स्वीडन के गोटेनबर्ग विश्वविद्यालय से जुड़ी संस्था वी- डेम इंस्टीट्यूट के अधिकारी कहते हैं कि भारत में लोकतंत्र की बिगड़ती स्थिति की उन्हें चिंता है. रिपोर्ट में 'उदार लोकतंत्र सूचकांक' में भारत को 179 देशों में 90वाँ स्थान दिया गया है और डेनमार्क को पहला.
भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका 70वें स्थान पर है जबकि नेपाल 72वें नंबर पर है. इस सूची में भारत से नीचे पाकिस्तान 126वें नंबर पर है और बांग्लादेश 154वें स्थान पर.
इस रिपोर्ट में भारत पर अलग से कोई चैप्टर नहीं है, लेकिन इसमें कहा गया है कि मीडिया, सिविल सोसाइटी और मोदी सरकार में विपक्ष के विरोध की जगह कम होती जा रही है, जिसके कारण लोकतंत्र के रूप में भारत अपना स्थान खोने की क़गार पर है.
भारत
मार्च 2019 में भारत के जाने-माने चिंतक प्रताप भानु मेहता ने अपने एक लेख में कहा था, ''मुझे ऐसा लग रहा है कि हमारे लोकतंत्र के साथ कुछ ऐसा हो रहा है जो लोकतांत्रिक आत्मा को ख़त्म कर रहा है. हम गुस्से से उबलते दिल, छोटे दिमाग और संकीर्ण आत्मा वाले राष्ट्र के तौर पर निर्मित होते जा रहे हैं.''
उन्होंने कहा था, ''कुछ मायने में लोकतंत्र आजादी, उत्सव का नाम है, ऐसी व्यवस्था में लोग कहां जाएंगे इसे जानना महत्वपूर्ण होता है न कि पीछे कहां से आएं हैं. इस लोकतंत्र में हम क्या खोते जा रहे हैं, इस पर एक नज़र डाल लेते हैं. आप में से कितने लोग नेशनलिस्ट हैं. हाथ ऊपर कीजिए. जिन लोगों ने हाथ ऊपर किए हैं उनमें से कितने लोगों के पास सर्टिफिकेट है, ये दिखाने के लिए आप नेशनलिस्ट हैं. यानी हमारी नेशनलिज्म हमसे ले ली गई है.'' (bbc.com)
कोलकाता, 9 दिसंबर | भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के नेताओं से मिलने और पार्टी की गतिविधियों की समीक्षा करने के लिए बुधवार को राज्य की अपनी दो दिवसीय यात्रा पर हैं। भाजपा प्रमुख यहां नौ पार्टी कार्यालयों का उद्घाटन करेंगे और बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बभनीपुर में भाजपा के 'और नोई अन्याय' के मिशन पर एक कम्युनिटी आउटरीच कार्यक्रम में भाग लेंगे।
नड्डा यहां प्रसिद्ध कालीघाट स्थित काली मंदिर में पूजा-अर्चना भी करेंगे और स्लम कम्युनिटी के सदस्यों के साथ बातचीत करेंगे।
भाजपा प्रमुख पार्टी के आधार के साथ-साथ बूथ स्तर के संगठनों को मजबूत करने के लिए लक्षित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि नड्डा दोपहर में कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरेंगे। एयरपोर्ट पर 'ढाकियों' (बंगाल के ढोल) के साथ भाजपा प्रमुख का भव्य स्वागत करने की व्यवस्था की गई है।
गुरुवार को नड्डा डायमंड हार्बर में दक्षिण 24-परगना के रेडियो स्टेशन के मैदान में भाजपा पार्टी के कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करने वाले हैं। सूत्रों ने कहा कि वह रामकृष्ण आश्रम में भी प्रार्थना करेंगे। (आईएएनएस)
मुंबई, 9 दिसंबर | नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने मुंबई में लगभग 2.50 करोड़ रुपये की 'मलाना क्रीम' हैश (गांजे का एक शुद्धमत प्रकार) जब्त किया है। बुधवार को आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह छापोमारी बुधवार सुबह की गई और मलाना क्रीम के एक सप्लायर रेगेल महाकाल को पहले हिरासत में लिया गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
एनसीबी द्वारा ड्रग्स को लेकर की जा रही जांच के दौरान महाकाल का नाम सामने आया था, जिसके बाद अंधेरी-पश्चिम इलाकों में बुधवार देर रात छापे मारे गए।
इस नए छापे को 14 जून को बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद सामने आए बॉलीवुड-ड्रग माफिया एंगल की जांच से जोड़ा जा रहा है। इसकी जांच के दौरान 25 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और इसमें 50 से अधिक लोग शामिल हैं। इनमें बॉलीवुड हस्तियों, अभिनेताओं, अभिनेत्रियों, कुछ विदेशी, ड्रग सप्लायर्स और पेडलर्स आदि शामिल हैं।
एनसीबी के रडार पर आए लोगों में रिया चक्रवर्ती, उसका भाई शोविक चक्रवर्ती, अर्जुन रामपाल, भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिम्बाचिया शामिल हैं।
मलाना क्रीम हैश की कीमत स्थानीय रूप से 4,000/प्रति 10 ग्राम से शुरू होती है, लेकिन वैश्विक बाजारों में इसकी कीमत बहुत ज्यादा है। (आईएएनएस)
मुजफ्फरनगर (उप्र) 9 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मण सिंह का बुधवार को लंबी बीमारी के बाद मुजफ्फरनगर जिले में उनके घर पर निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। सिंह एक वकील भी थे। उनके बाद परिवार में अब 3 बेटे बचे हैं। वे 1974 में भारतीय क्रांति दल के टिकट पर खतौली विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। 1977 में उन्हें जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में फिर से उसी सीट से चुना गया और उत्तर प्रदेश में राम नरेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री नियुक्त किया गया था। (आईएएनएस)