राष्ट्रीय
मडीकेरी (कर्नाटक), 7 अगस्त (आईएएनएस)| कर्नाटक के ब्रह्मगिरि पहाड़ी में हुए भूस्खलन के कारण ढहे घर में यहां के मंदिर के एक प्रधान पुजारी सहित पांच लोगों के जिंदा दफन होने की आशंका है। ब्रह्मगिरी पहाड़ी बेंगलुरु से लगभग 300 किमी दूर दक्षिण पश्चिम में है। मडीकेरी के उप पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार ने आईएएनएस को बताया, "भारी बारिश और भीषण हवाओं के कारण पहाड़ी पर भूस्खलन हुआ, जिसमें पांच लापता व्यक्तियों के जिंदा दफन होने की आशंका है।"
यहां राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) खोज और बचाव अभियान चला रहा है लेकिन लगातार बारिश, खराब दृश्यता और भूस्खलन के बाद फैले मलबे के कारण बचाव कार्य में खासी दिक्कत आ रही है।
कुमार ने कहा, "भूस्खलन ने ढलानदार पहाड़ी से घर के मलबे को इतने नीचे गिरा दिया है उसके अस्तित्व का कोई निशान नहीं नजर आ रहा है। एनडीआरएफ की 12 सदस्यीय टीम मलबे को हटाने के लिए जेसीबी मशीन तैनात करने के लिए रास्ता साफ करने में जुटी है।"
बता दें कि बुधवार की रात जब भूस्खलन हुआ तब ताला कावेरी मंदिर के प्रमुख पुजारी नारायण अचर के घर में उनके अलावा, उनकी पत्नी शांता, उनके भाई और मंदिर के दो कर्मचारी घर में थे।
मडीकेरी विधानसभा क्षेत्र से सत्ताधारी दल भाजपा के विधायक के.जी. बोपैया ने कहा कि भारी बारिश और बाढ़ के कारण उन लोगों को तलहटी में बने क्वार्टर में शिफ्ट होने के लिए कहा गया था, लेकिन प्रधान पुजारी वहां शिफ्ट नहीं हुए। जबकि उनके बगल के घर में रहने वाले सहायक पुजारी वहां शिफ्ट हो गए थे।
बोपैया ने आईएएनएस को बताया, "हमें डर है कि भूस्खलन के बाद ध्वस्त हो चुके मकान के मलबे में सभी पांचों जिंदा दफन हो गए होंगे क्योंकि पहाड़ी पर घर का नामो-निशान नहीं बचा है।"
बता दें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के तेज होने के साथ 3 अगस्त से राज्य के तटीय, मध्य और दक्षिणी हिस्सों में जमकर बारिश हो रही है।
कोट्टायम, 7 अगस्त (आईएएनएस)| जालांधर के पूर्व बिशप फ्रैको मुलक्कल शुक्रवार को यहां एक अदालत में पेश हुए और केरल नन दुष्कर्म मामले में जमानत मिल गई। मुलक्कल ने इसके पहले मामले से बरी करने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे दो दिनों पूर्व खारिज कर दिया गया था।
कोट्टायम के अतिरिक्त सत्र अदालत ने पिछले महीने उनके खिलाफ एक गैर जमानती वारंट जारी किया था और मामले में पूर्व में उन्हें दी गई जमानत रद्द कर दी थी, क्योंकि वह मामले में आरोप-पत्र को सुनने के लिए अदालत में पेश नहीं हुए थे।
लेकिन मुलक्कल शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए, जिसके बाद उन्हें जमानत दे दी गई और उनसे कहा गया कि वह 13 अगस्त तक कोट्टायम से नहीं जाएंगे, जब आरोप-पत्र पढ़ा जाएगा।
पूर्व बिशप ने अदालत को सूचित किया कि कोविड पाजिटिव होने के कारण वह पिछले महीने अदालत में उपस्थित नहीं हो पाए थे।
मार्च में एक अदालत ने यहां यौन उत्पीड़न मामले में मुलक्कल द्वारा दाखिल डिस्चार्ज याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से भी उनके अनुरोध को खारिज कर दिया गया।
मुलक्कल को 21 सितंबर, 2018 को दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, और 16 अक्टूबर, 2018 को उन्हें जमानत मिल गई थी। केरल पुलिस ने उनके खिलाफ 1,400 पृष्ठों का आरोप-पत्र दाखिल किया है।
पटना, 7 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच को लेकर कांग्रेस और शिवसेना को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया कि मामले की जांच में बाधा आदित्य ठाकरे के निर्देश पर डाला गया। भाजपा के प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने कहा है कि अगर बृहन्मुंबई नगर निगम ने नियमत: आईपीएस अधिकारी विनय तिवारी को क्वारंटाइन किया होता तो पहले नहीं छोड़ते। उन्होंने आरोप लगाया कि सुशांत की संहेहास्पद मौत मामले में जांच करने गई बिहार पुलिस की जांच में बाधा शिवसेना के 'युवराज' आदित्य ठाकरे के निर्देश पर डाला गया।
उन्होंने कहा, "बिहार सरकार, पुलिस और आम लोग सुशांत को न्याय दिलाने के लिए चिंता कर रहे हैं, लेकिन शिवसेना न्याय के खिलाफ आरोपियों के पक्ष में है। अब बीएमसी ने भद पिटने के बाद एक दूसरा सकरुलर जारी किया है जिसका मकसद निगम का छद्म हरकत वाला चेहरा बचाना तो है ही एक अप्रत्यक्ष मकसद सुशांत के न्याय की राह में रोड़ा अटकाना भी है।"
आनंद ने कहा कि सुशांत मामले में सीबीआई जांच और बिहार पुलिस की जांच को लेकर जितने परेशान शिवसेना के लोग थे उतने ही परेशान राकंपा और कांग्रेस के भी लोग थे। यही कारण है कि संजय राउत, नवाब मलिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला और शक्ति सिंह गोहिल एक भाषा में बात कर रहे हैं।
निखिल आनंद ने सुशांत मामले में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की भूमिका पर भी संदेह जताया है। निखिल ने आरोप लगाया कि सुशांत के मसले पर जिस प्रकार का रुख महाराष्ट्र सरकार में शामिल गठबंधन दलों का है उससे लगता है कि राहुल, प्रियंका ने भी आदित्य ठाकरे से बात कर अपने बालीवुड के साथियों के पक्ष में और सुशांत के न्याय के खिलाफ भूमिका तैयार की है।
मनोज पाठक
पटना, 7 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार की सभी प्रमुख नदियों में उफान जारी है। इस बीच बाढ़ के कारण राज्य के 16 जिलों की 69 लाख की आबादी प्रभावित हो चुकी है। बाढ़ के कारण अब तक 21 लोगों की मौत हो गई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
इधर, राज्य सरकार भी बाढ़ पीड़ित परिवारों के बैंक खाते में 6000 रुपये पहुंचाकर आर्थिक मदद देने में जुटी हुई है।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, राज्य के 16 जिलों के कुल 124 प्रखंडों की 1,185 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हुई हैं। इन क्षेत्रों में करीब 69 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है।
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में 8 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां 12 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 1,402 सामुदायिक रसोईघर चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिदिन करीब दस लाख लोग भोजन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि बाढ़ के दौरान अलग-अलग इलाकों में हुईं विभिन्न घटनाओं में 21 लोगों की मौत हुई है। इनमें सबसे अधिक सात लोगों की मौत दरभंगा जिले में तथा छह लोगों की मौत मुजफ्फरपुर जिले में हुई है। इस बीच 23 पालतू पशु की भी मौत हो गई है।
उन्होंने बताया कि सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 33 टीमें राहत एवं बचाव का कार्य कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 4,81,939 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया है।
अपर सचिव ने बताया कि बाढ़ प्रभावित प्रत्येक परिवार को ग्रेच्युट्स रिलीफ के अंतर्गत 6,000 रुपये की राशि दी जा रही है। अभी तक 4,50,129 परिवारों के बैंक खाते में कुल 270़80 करोड़ रुपये जीआर की राशि भेजी जा चुकी है। ऐसे परिवारों को एसएमएस के माध्यम से सूचित भी किया गया है।
बिहार राज्य जलसंसाधन विभाग के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि कोसी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। गुरुवार की शाम इसके जलस्तर में वृद्धि हुई थी, लेकिन शुक्रवार को फिर इसकी प्रवृत्ति कमी की दिख रही है। वीरपुर बैराज के पास शुक्रवार को सुबह छह बजे कोसी का जलस्तर 1़ 85 लाख क्यूसेक था जो आठ बजे घटकर 1़ 83 लाख क्यूसेक हो गया।
इधर, गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई है। गंडक का जलस्राव वाल्मीकिनगर बराज पर सुबह छह बजे 1़ 61 लाख क्यूसेक था जो आठ बजे बढ़कर 1़ 63 लाख क्यूसेक पहुंच गया है।
इस बीच, राज्य की करीब सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बागमती जहां ढेंग, सोनाखान, कटौंझा, बेनीबाद और हायाघाट के पास खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, वहीं बूढ़ी गंडक सिकंदरापुर, समस्तीपुर रेल पुल, रोसड़ा रेल पुल और खगड़िया में लाल निशान के ऊपर है। इधर, कमला बलान जयनगर व झंझारपुर रेल पुल के पास खतरे के निशान से ऊपर है। गंगा नदी कहलगांव में लाल निशान के ऊपर है, जबकि घाघरा और अधवारा भी कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के मुताबिक, अगले चार-पांच दिनों तक पूरे बिहार में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है, जिसको देखते हुए सभी जिलों को अलर्ट करा दिया गया है।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)| ट्विटर ने ऐलान किया है कि वह राज्य द्वारा नियंत्रित मीडिया संगठनों के ट्वीट्स को एम्पलीफाई नहीं करेगा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों: चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटने और अमेरिका के सरकारी मीडिया संगठनों व प्रमुख सरकारी अधिकारियों के अकांउट्स को लेबल करेगा ट्विटर ने कहा कि उनकी लेबलिंग की नई नीति में इन पांच देशों से प्रमुख सरकारी अधिकारियों के अकाउंट्स शामिल होंगे जैसे कि विदेशी मंत्री, संस्थागत संस्थाएं, राजदूत, आधिकारिक प्रवक्ता और प्रमुख राजनयिक नेता इत्यादि।
कंपनी ने गुरुवार को एक बयान में कहा, "इस वक्त हमारा ध्यान उन वरिष्ठ अधिकारियों और संस्थाओं पर है जो विदेशी राज्यों की आधिकारिक आवाज हैं।"
इस कदम से जो अकाउंट्स प्रभावित होंगे, वे नोटिफिकेशंस या सर्च रिजल्ट में कम दिखाई देंगे।
ट्विटर राज्य से संबद्ध मीडिया संस्थाओं, उनके संपादकों और उनके वरिष्ठ कर्मचारियों के खातों को भी लेबल करेगा।
इस कदम के तहत रूस के आरटी और चीन की सिन्हुआ समाचार एजेंसी जैसे राज्य-नियंत्रित मीडिया संगठनों को भी लेबल किया जाएगा।
ट्विटर ने साल 2019 में सभी राज्य समर्थित मीडिया विज्ञापनों और राजनीतिक विज्ञापनों को ट्विटर से प्रतिबंधित कर दिया था।
कंपनी ने कहा, "पारदर्शिता और व्यावहारिकता के लिए हम भविष्य में कई अन्य देशों में विस्तार करने से पहले स्पष्ट रूप से परिभाषित एक सीमित समूह के साथ इसकी शुरूआत कर रहे हैं।"
कंपनी ने कहा कि फिलहाल उनकी तरफ से राज्य प्रमुखों के पर्सनल अकांउट्स को लेबल नहीं किया जा रहा है क्योंकि इनसे लोग पहले से ही वाकिफ हैं।
कंपनी ने कहा, हालांकि इनके कार्यालयों से जुड़े संस्थागत अकांउट्स को लेबल किया जाएगा जिनमें चुनाव परिणामों के आधार पर परिवर्तन होते रहते हैं।
ट्विटर ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा फंडेड लेकिन संपादकीय स्वतंत्रता रखने वाले मीडिया आउटलेट्स जैसे कि ब्रिटेन में बीबीसी और अमेरिका में एनपीआर को लेबल नहीं किया जाएगा।
ट्विटर ने बताया, "अब हम अपने अपने रिकमंडेशन सिस्टम के जरिए राज्य-संबद्ध मीडिया अकाउंट्स या उनके ट्वीट्स को एम्प्लीफाई नहीं करेंगे।"
जिन खातों को लेबल किया जाएगा ट्विटर की ओर से उसके बारे में सूचित कर दिया जाएगा और अगर अकाउंट ओनर को लगता है कि कंपनी ने कोई गलती की है तो वे सीधे तौर पर कंपनी से संपर्क भी कर सकते हैं।
लखनऊ , 7 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना से बचाव के लिए स्वास्थ्यकर्मियों व अन्य के प्रयोग में लाए जा रही पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई किट) की बड़ी भूमिका है। विशेषज्ञों का मानना है कि पीपीई किट यदि ठीक से डिस्पोजल नहीं हुआ तो यह पर्यावरण और संक्रमण को भी बढ़ावा दे सकती है। अस्पतालों, एम्बुलेंस, एयरपोर्ट और यहां तक कि श्मशान घाटों तक पर खुले में फेंकी गई पीपीई किट के बारे में चिकित्सकों का साफ कहना है कि ऐसा करके हम खुद को बचा नहीं रहें हैं, बल्कि अपने साथ ही दूसरों को भी मुश्किल में डालने का काम कर रहे हैं।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ़ सूर्यकान्त का कहना है कि इस्तेमाल की गयी पीपीई किट से कम से कम दो दिन तक संक्रमण का पूरा खतरा रहता है। इसलिए किट का चाहे मास्क हो या गाउन उसको कदापि इधर-उधर न फेंके, बल्कि उसके लिए निर्धारित ढक्कन बंद पीली डस्टबिन में ही डालें और अस्पतालों को भी चाहिए कि इस बायो मेडिकल वेस्ट (अस्पताल के कचरे) के निस्तारण की व्यवस्था दुरुस्त रखें ।
उन्होंने बताया कि ऐसा देखने में आया है कि कुछ लोग किट को इस्तेमाल करने के बाद इधर-उधर फेंक देते हैं जो कि बहुत ही गंभीर मामला है। ऐसे लोगों के खिलाफ आपदा अधिनियम के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि इससे संक्रमण के साथ पर्यावरण पर भी असर पड़ता है।
अस्पतालों ने वैसे इस काम को एजेंसियों के जिम्मे कर रखा है जो कि कचरे को निस्तारित करने के लिए इन्सीनरेटर मशीन लगा रखी हैं, जहां पर इसका समुचित निस्तारण होता है ताकि किसी तरह के प्रदूषण का खतरा न रहे ।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के एनेस्थीजीआलजी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. तन्मय तिवारी का कहना है कि इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बाकायदा गाइड लाइन जारी की है कि पीपीई किट के इस्तेमाल और निस्तारण में किस तरह से सावधानी बरतनी है । उसके मुताबिक ही इसके निस्तारण में सभी की भलाई है।
उन्होंने बताया कि देश में इस समय रोजाना लाखों पीपीई किट का इस्तेमाल हो रहा है और यह एक बार ही इस्तेमाल के लिए हैं। इसलिए इस्तेमाल के बाद इसको मशीन के जरिये ही नष्ट किया जाना सबसे उपयुक्त तरीका है।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि तीन-चार साल के विचार-मंथन और लाखों सुझावों के बाद नई शिक्षा नीति को मूर्त रूप दिया गया है और यह नए भारत की नींव रखने का काम करेगा।
श्री मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में होने वाले परिवर्तनकारी सुधारों पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज हर विचारधारा के लोग इस नयी शिक्षा नीति पर मंथन कर रहे हैं। इस नीति का कोई विरोध नहीं कर रहा है क्योंकि इसमें कुछ भी एकतरफा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कोई सर्कुलर नहीं बल्कि एक महायज्ञ है, जो नए देश की नींव रखेगा और एक सदी तैयार करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा नीति में देश के लक्ष्यों का ध्यान रखना जरूरी है ताकि भविष्य के लिए पीढ़ी को तैयार किया जा सके। कई दशकों से शिक्षा नीति में बदलाव नहीं हुआ था इसलिए समाज में भेड़चाल को प्रोत्साहन मिल रहा था। कभी डॉक्टर, कभी इंजीनियर कभी वकील बनाने की होड़ लगी हुई थी लेकिन अब युवा क्रिएटिव विचारों को आगे बढ़ा सकेगा, अब सिर्फ पढ़ाई नहीं बल्कि वर्किंग कल्चर को विकसित किया गया है। युवाओं में क्रिटिकल सोच विकसित करना होगा।
उन्होंने कहा, हमारे सामने सवाल था कि क्या हमारी नीति युवाओं को अपने सपने पूरा करने का मौका देती है। क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था युवा को सक्षम बनाती है। नई शिक्षा नीति को बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया है। दुनिया में आज एक नई व्यवस्था खड़ी हो रही है, ऐसे में उसके हिसाब से शिक्षा व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। नयी शिक्षा नीति में ऐसा प्रावधान किया गया है कि छात्रों को ग्लोबल सिटीजन बनाने के साथ साथ उनको अपने जड़ों से भी जोडक़र रखना है।
श्री मोदी ने कहा कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में सीखने की भाषा एक ही होनी चाहिए ताकि बच्चों को सीखने में आसानी हो। पांचवीं कक्षा तक बच्चों को जहां तक संभव हो उनकी मातृभाषा में ही शिक्षा देने की व्यवस्था हो। अभी तक शिक्षा नीति व्हाट टू थिंक के साथ आगे बढ़ रही थी, अब हम लोगों को हाउ टू थिंक पर जोर देंगे। बच्चों पर किताबों का बोझ कम करना होगा। उच्च शिक्षा को स्ट्रीम से मुक्त करना होगा।
श्री मोदी ने कहा देश में ऊंच-नीच का भाव, मजदूरों के प्रति हीन भाव क्यों पैदा हुआ। इसके पीछे बड़ी वजह शिक्षा का समाज से लगाव नहीं होना रहा है। इस नयी शिक्षा नीति में इस पर भी विशेष जोर दिया गया है। छात्र जब तक किसानों को खेतों में काम करते नहीं देखेंगे तब तक श्रम की महत्ता को कैसे समझेंगे।
इस सम्मेलन का आयोजन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और शिक्षा मंत्रालय ने मिलकर किया है। इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और शिक्षा राज्य मंत्री डॉ संजय धोत्रे तथा अन्य अधिकारीगण भी मौजूद थे। इस सम्मेलन में देश के एक हजार से भी अधिक विश्वविद्यालय, 45 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज, आईआईटी, आईआईआईटी, आईआईएम, एनआईटी सहित देश के लगभग 150 से भी अधिक राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों ने हिस्सा लिया। देशभर के कुलपति और संस्थानों के प्रमुख भी शामिल हुए।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (वार्ता)। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आगामी गुरुवार 13 अगस्त को लन्दन में एक ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
यह पहला मौका है जब भारत के स्वतंत्रता दिवस पर कोई कवि सम्मेलन हो रहा है और वह भी ऑनलाइन। भारतीय उच्चायोग और कथा यूके द्वारा आयोजित यह कवि सम्मेलन लंदन में शाम 16.00 बजे यानी भारतीय समयानुसार रात 20.30 बजे होगा।
कथा यूके के संस्थापक तेजेन्द्र शर्मा ने यूनीवार्ता को लन्दन से फोन पर बताया कि कोरोना काल मे हमें डिजिटल माध्यम से इस कवि सम्मेलन को आयोजित करना पड़ रहा है। इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन में ब्रिटेन के वरिष्ट एवं युवा कवियों की रचनाएं सुनने को मिलेंगी। कवियों में डॉ. पद्मेश गुप्त, डॉ. निखिल कौशिक, जकिया •ाुबैरी, जय वर्मा, आशिष मिश्रा, शिखा वाष्र्णेय, तिथि दानी, आशुतोष कुमार, ऋचा जिन्दल, इन्दु बैराठ, स्वाति पटेल, मिनी नारंग शामिल होंगे। अतिथि कवि के रूप में हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी तरुण कुमार भी शामिल होंगे। कार्यक्रम का संचालन युवा कवि आशीष मिश्रा करेंगे।
उन्होंने बताया कि कवि सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के तौर पर नेहरू सेंटर के निदेशक अमीष त्रिपाठी एवं उप निदेशक बृज कुमार गुहारे मौजूद रहेंगे।
बहराइच, 7 अगस्त (वार्ता)। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में सरयू नदी से तीन तहसीलों के कम से कम 63 गांव प्रभावित है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि आज सुबह आठ बजे नदी का एल्गिन ब्रिज पर जलस्तर खतरे के निशान 106.07 मी. के सापेक्ष 106.586 मी., घूरदेवी पर जलस्तर 112.135 मी. के सापेक्ष 111.560 मी., गिरजापुरी बैराज पर जलस्तर खतरे के निशान 136.80 मी. के सापेक्ष 135.30 मी., गोपिया बैराज पर जलस्तर खतरे के निशान 133.50 मी. के सापेक्ष 129.75 मी. तथा शारदा बैराज पर जलस्तर खतरे के निशान 135.49 मी. के सापेक्ष 135.05 मी. दर्ज किया गया है।
उन्होंने बताया कि जिले की तीन तहसीलों के 63 ग्राम बाढ़ से प्रभावित हैं जबकि मैरूण्ड ग्राम सात हैं। बाढ़ से 151222 ग्रामीण , 34431 पशु बुरी तरह प्रभावित है वहीं 15513.470 हेक्टेयर जमीन पानी में डूबी हुयी है। बाढ़/कटान से अब तक 142 मकानों अथवा झोपड़ी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित 23 बाढ़ चौकियों पर तैनात कर्मी स्थिति पर पैनी निगाह बनाये हुये है वहीं एकमात्र बाढ़ शरणालय में नौ लोग रह रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि राहत एवं बचाव कार्य में 197 नावें और एक मोटर बोट लगायी गयीं हैं। जबकि खोज एवं बचाव कार्य के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 01 प्लाटून पी.ए.सी. व 01 टीम एन.डी.आर.एफ. की तैनात है। प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को त्वरित उपचार की सुविधा प्रदान करने के लिए 48 मेडिकल टीमें गठित की गयी हैं। अब तक 356 लोगों को चिकित्सकीय सुविधा प्रदान की गयी है।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार सरकार ने एक हलफनामे में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि सुशांत सिंह राजपूत मामले में अभिनेता की तत्कालीन प्रेमिका और अब मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती दिवंगत अभिनेता की संपत्ति हथियाने के लिए उनके करीब आई थी। बिहार सरकार की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि अभिनेत्री ने दिवंगत अभिनेता को पहले अधिक मात्रा में दवाईयां दी और फिर यह बात फैलाई कि वह दिमागी तौर पर बीमार थे। उन्होंने यह तथ्य सुशांत के पिता की शिकायत का हवाला देते हुए पेश किया और सुप्रीम कोर्ट में रिया चक्रवर्ती की याचिका का विरोध किया, जिसमें उन्होंने मामले की जांच पटना से मुंबई स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
एफिडेविट में कहा गया है कि मृतक के पिता ने एसएचओ राजीव नगर पीएस को दी गई लिखित शिकायत में कहा है कि साल 2019 में याचिकाकर्ता रिया चक्रवर्ती मृतक अभिनेता के संपर्क में आई, जिसके पीछे उनका एकमात्र उद्देश्य अभिनेता के करोड़ों रुपये हड़पने का था, जिसे अभिनेता ने कड़ी मेहनत से कमाया था।
उसमें आगे कहा गया है, कि याचिकाकर्ता और उनके रिश्तेदार यानी इंद्रजीत चक्रवर्ती, संध्या चक्रवर्ती, शोविक चक्रवर्ती दिवंगत अभिनेता के जीवन में पूरी तरह से हस्तक्षेप करते थे।
एफिडेविट में सुशांत के पिता के.के. सिंह का हवाला देते हुए कहा गया है, "याचिकाकर्ता (रिया) और उसके रिश्तेदार ने दिवंगत अभिनेता को यह बताने की पूरी कोशिश की कि वह मानसिक बीमारी से पीड़ित है जिसके लिए उसे उपचार की आवश्यकता थी। याचिकाकर्ता मृतक को अपने घर भी ले गई, जहां उसने उसे दवाइयों का ओवरडोज देना शुरू कर दिया।"
एफिडेविट में कहा गया कि रिया ने सुशांत के सभी सामानों को भी अपने कब्जे में ले लिया और उसे अपने परिवार से दूर रखने का हर संभव प्रयास किया।
एफिडेविट में आगे कहा गया है," याचिकाकर्ता ने अभिनेता के बैंक खाते का विवरण भी लिया और अपनी इच्छा के अनुसार बैंक खाते का उपयोग करना शुरू कर दिया। दिवंगत अभिनेता फिल्म उद्योग को छोड़कर कूर्ग में जैविक खेती करना चाहता था, हालांकि, याचिकाकर्ता ने मृतक अभिनेता को यह कहकर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया कि वह उनकी मेडिकल रिपोर्ट मीडिया को देगी और उसे पागल साबित करेगी।"
उसमें आगे कहा गया, "मृतक अभिनेता ने अपनी बहन को सूचित किया था कि अगर मृतक ने उसकी बात नहीं मानी तो याचिकाकर्ता उस पर गलत आरोप लगा देगी।"
राज्य सरकार ने जोर देकर कहा कि पटना पुलिस के पास एफआईआर दर्ज करने का अधिकार क्षेत्र है और पटना में अदालत के पास अधिकार है कि राजीव नगर पीएस (पटना) में दर्ज एफआईआर में उल्लेखित अपराध के लिए याचिकाकर्ता से पूछताछ करें।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के कार्यालय ने स्पष्ट किया कि वह शिमला नहीं जा रही हैं और हिमाचल की राजधानी जाने की अनुमति सिर्फ उनके बच्चों और घरेलू कर्मचारियों के लिए मांगी गई थी। उनके कार्यालय ने आईएएनएस से कहा कि शायद कुछ गड़बड़ी हुई है और उनके शिमला आने की खबर गलत है।
उनके कार्यालय ने उन समाचार रिपोटरें को लेकर जवाब दिया जिसमें कहा गया कि प्रियंका गांधी ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ कुछ हफ्तों के लिए राष्ट्रपति र्रिटीट के पास अपने शिमला घर जाने की अनुमति मांगी है।
इससे पहले जुलाई में प्रियंका गांधी ने सरकार द्वारा एसपीजी विदड्रॉल का हवाला देते हुए आवंटन रद्द किए जाने के बाद 35, लोधी एस्टेट निवास खाली कर दिया था।
सहारनपुर, 7 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक व्यक्ति पंकज कुमार ने हांफते हुए कहा अपने मरने की घोषणा का 80-सेकेंड का वीडियो रिकॉर्ड किया है। इस वीडियो में व्यक्ति ने उन सभी का नाम लिया है, जिन्होंने उसे जहर दिया था। यह घटना बुधवार को सहारनपुर की है और कथित आरोपी उसके खुद के परिवार के सदस्य हैं।
पंकज का शव एक खेत में उसी स्थान के आसपास पाया गया, जहां उसने वीडियो शूट किया था।
सहारनपुर के कोतवाली देहात के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) मुनेंद्र सिंह ने कहा, "पंकज की चाची, उनकी दो बेटियों और बहु पर मुकदमा दर्ज किया गया है। मौत का कारण अभी तक अनिश्चित है और आगे की जांच के लिए विसेरा के नमूने संरक्षित किए गए हैं।"
एसएचओ ने कहा कि प्रथम ²ष्टया यह पारिवारिक विवाद का मामला प्रतीत हो रहा है।
पंकज (20) अपनी चाची के घर में पिछले चार सालों से रह रहा था।
वीडियो में पंकज को न्याय की गुहार लगाते हुए भी देखा जा सकता है और वह अपने शव का अंतिम संस्कार तभी करने की मांग कर रहा है जब उसके अपराधियों की गिरफ्तारी हो जाए।
पंकज वीडियो में कह रहा है, मैं इस वीडियो को फेसबुक पर डाल रहा हूं। मैं पुलिस विभाग से अनुरोध करता हूं कि वे सभी मेरे शरीर का दाह संस्कार करने से पहले मेरे साथ ऐसा करने वालों को गिरफ्तार किया जाए।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गुरुवार को वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने संज्ञान लिया और सहारनपुर के सरसावां पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई। बाद में इसे कोतवाली देहात थाने में स्थानांतरित कर दिया गया।
सहारनपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विनीत भटनागर ने कहा, "कोतवाली देहात पुलिस स्टेशन में हत्या का मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू की गई है।"
लखनऊ, 7 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में चार दिन का विधानसभा सत्र 20 अगस्त से शुरू होने वाला है। इस नए सामान्य में होने जा रहे इस सत्र का अनुभव अलग होगा क्योंकि इसे कोविड -19 महामारी के प्रोटोकॉल के अनुसार आयोजित किया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए विशेष इंतजाम किए जाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा, "उत्तर प्रदेश विधानसभा इस बात का उदाहरण देगी कि महत्वपूर्ण मामलों पर कानून बनाने के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी सत्र का आयोजन कैसे किया जाए। मुझे विश्वास है कि हमारे सभी सदस्य देश के सामने एक मिसाल कायम करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सत्र में जनता से जुड़े गंभीर विषयों को संबोधित किया जा सके। हमें उम्मीद है कि इस संक्षिप्त सत्र के दौरान कोई व्यवधान नहीं होगा।"
उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य होगा जहां महामारी के दौरान नियमित सत्र होगा।
फरवरी में हुए आखिरी सत्र के बाद 6 महीनों के भीतर सत्र आयोजित करने के संवैधानिक दायित्व को पूरा करने के लिए यह मानसून सत्र बुलाया गया है।
विधान सभा के प्रधान सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने कहा, "वायरस के प्रसार को रोकने के लिए केंद्रीय एयर कंडीशनिंग प्रणाली में विशेष फिल्टर का उपयोग किया जाएगा। केंद्रीय कैंटीन बंद रहेगा।"
सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने के लिए विधायकों को प्रेस दीर्घा समेत विभिन्न दीर्घाओ में बैठाया जाएगा। लिहाजा सभी मीडिया पास रद्द करने का भी प्रस्ताव है।
सूत्रों ने कहा कि गुरुवार को एक सर्वदलीय बैठक के दौरान नेताओं ने सत्र के आयोजन की समय सीमा को 8 महीने या उससे अधिक करने के लिए मामले को राष्ट्रपति के पास समीक्षा के लिए भेजने की भी बात कही।
बात दें कि राज्य के नौ मंत्री कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और विधानसभा में कई स्टाफ सदस्य भी संक्रमित हैं।
विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी को हाल ही में अस्पताल से छुट्टी दी गई है। फिर भी विपक्ष चाहता है कि कई मुद्दों पर चर्चा जरूरी है लिहाजा विधानसभा सत्र बुलाया जाए।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान-दिल्ली और रुड़की के पूर्व छात्रों द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि लॉकडाउन के कारण दिल्ली में साइकिल उपयोग में लाने वालों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई लेकिन इंफ्रास्टक्च र की कमी के कारण काम और फिटनेस के लिए साइकिल उपयोग में लाने वालों के लिए कई तरह की दुश्वारियां बनी हुई हैं। सर्वे 'लाइवलीहुड साइकिलिस्ट इन दिल्ली' नाम के इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि दिल्ली में 11 लाख साइकिल सवार हैं लेकिन यहां मात्र 100 किमी साइकिल ट्रैक है। ऐसे में अलग-अलग उद्देश्यों के लिए साइकिल का उपयोग करने वालों को रोजाना अनचाहे खतरों का भय सताता रहता है।
इस सर्वे में लगभग 1400 लोगों के शामिल किया गया, जिनमें से 97 प्रतिशत ने रोजाना के आवागमन के माध्यम के रूप में साइकिल का उपयोग करने की इच्छा जतायी लेकिन साथ ही वे कई चीजों को लेकर डरे हुए भी दिखे। इसमें सबसे प्रमुख उनकी सुरक्षा है।
इस 'परसेप्शन स्टडी' में यह खुलासा हुआ कि सुरक्षित और सुविधाजनक साइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्च र का अभाव, डेडिकेटेड साइक्लिंग लाइंस का न होना, दूषित वायु और अनियंत्रित ट्रैफिक के चलते दिल्ली के अधिक लोग साइकिल की सवारी नहीं कर पा रहे हैं।
इसी कारण कई सामाजिक दिल्ली सरकार के सामने इन मुद्दों को रखने के लिए आगे आई हैं। इन संस्थाओं की मांग है कि दिल्ली सरकार जनता के लिए सुरक्षित साइक्लिंग ढांचा और स्थायी रूप से डेडिकेटेड साइकिल लेन्स स्थानपित करे।
इसके लिए हैशटैगदिल्लीधड़कनेदो कैंपेन शुरू किया गया है। यह दिल्ली में स्वच्छ वायु समाधानों और बेहतर एवं टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन साधन विशेषकर साइक्लिंग को लेकर काम कर रहे नागरिक समाज संगठनों का सामूहिक प्रयास है। यह मुहिम दिल्ली को भारत का पहला साइक्लिंग-फ्रेंड्ली शहर बनाने में सहायता करने के लिए चलाया गया है।
इसके तहत दिल्ली सरकार के पास एक याचिका दिया जाना है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट पॉलिसी लाई जाये, जिसमें दो पहलुओं को प्राथमिकता मिले। पहला- साइकिल के लिए लेन बनाने को प्राथमिकता दिया जाना और दूसरा-परिवहन के कोविड-प्रूफ साधन के रूप में हर किसी को साइकिल के उपयोग की अनुमति देना।
दिल्ली में लम्बे समय से पर्यावरण, शिक्षा, सामाजिक उत्थान और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए काम कर रही अग्रणी गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) 'स्वच्छा' के कार्यकारी निदेशक और प्रमुख विमलेंदु झा ने कहा, ''दिल्ली में साइकिलों के माध्यम से आजीविका चलाने वाले 91 प्रतिशत लोग हर रोज साइकिल चलाकर अलग-अलग जगहों पर जाते हैं, लेकिन क्या हमारी सड़कें सुरक्षित तरीके से पैदल और साइकिल से चलने के लिए डिजाइन की गयी हैं? इसका उत्तर है, नहीं। दिल्ली के लगभग 11 लाख साइकिल चालकों के लिए मात्र 100 किमी साइकिल ट्रैक है। यही नहीं, दिल्ली कई वर्षों से वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। दिल्ली के वायु प्रदूषण की समस्या को परंपरागत साधनों जैसे कि साइकिल इंफ्रास्ट्रक्च र से हल नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसके लिए शहर के कोने-कोने तक कनेक्टिविटी भी बेहद जरूरी है। इसलिए, पैदल चलने वालों की सुरक्षा और दिल्लीं में पैदल व साइकिल से चलने के उनके अधिकार की रक्षा हेतु मजबूत नीतियों की सख्त आवश्यमकता है।''
दिल्ली सरकार के आंकड़े बताते हैं कि शहर में लगभग 11 लाख नियमित साइकिल उपयोगकर्ता हैं। यह आंकड़ा कोविड-19 महामारी से पहले से है और रुझानों से संकेत मिलता है कि संख्या केवल बढ़ेगी। आईआईटी- दिल्ली और रुड़की के पूर्व छात्रों द्वारा किए गए अध्ययन से यह साफ है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में साइकिल चलानों की संख्या चार फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो गई है।
दिल्ली में राहगिरी डे की सह-संस्थापक सारिका पांडा मानती हैं कि दिल्ली में अभी भी गतिशीलता के संकट से निपटना जरूरी है और शहर को पैदल चलने और साइकिल चलाने की योजनाओं के कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
नई दिल्ली/इस्लामाबाद (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने गुरुवार को पाकिस्तान को आगाह किया कि वह अपने भड़काऊ बयानों से भारत में सांप्रदायिक तनाव भड़काने से बाज आए।
पाकिस्तान ने बुधवार को आयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन समारोह की कड़ी निंदा की थी।
इस मुद्दे पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा, "भारत के एक आंतरिक मामले पर इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान द्वारा प्रेस को दिए गए बयान हमने देखे हैं।"
प्रवक्ता ने पाकिस्तान को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि उसे भारत के मामलों में हस्तक्षेप करने से बाज आना चाहिए और सांप्रदायिक उकसावे से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा, "सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले और अपने यहां अल्पसंख्यकों को उनका धार्मिक अधिकार देने से इंकार करने वाले किसी राष्ट्र का यह रुख कोई आश्चर्यजनक नहीं है। इस तरह की टिप्पणियां अत्यंत खेदजनक है।"
इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने एक आधिकारिक बयान में बुधवार को दावा किया था कि जिस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, वहां लगभग पांच सदी तक ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद खड़ी थी।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले ने मंदिर निर्माण का रास्ता साफ किया है, उसे त्रुटिपूर्ण बताते हुए इस्लामाबाद ने कहा कि इसने न केवल न्याय के ऊपर आस्था की प्राधना को जाहिर किया है, बल्कि आज के भारत में बढ़ते बहुसंख्यकवाद को भी, जहां अल्पसंख्यक, खासतौर से मुस्लिम और उनके धर्मस्थल हमले के शिकार हो रहे हैं।
इमरान खान सरकार ने कहा, "एक ऐतिहासिक मस्जिद के स्थान पर मंदिर का निर्माण आने वाले समय के लिए तथाकथित भारतीय लोकतंत्र के चेहरे पर एक धब्बा बना रहेगा। वर्ष 1992 में भाजपा और उससे संबद्ध चरमपंथी हिंदू संगठनों द्वारा बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दृश्य दुनिया भर के मुसलमानों के मन में ताजा बने हुए हैं।"
बयान में कहा गया है कि उसके बाद से ओआईसी ने सदियों पुरानी मस्जिद को तोड़े जाने के जघन्य कृत्य की निंदा के लिए कई सारे प्रस्ताव पारित किए हैं।
अयोध्या, 6 अगस्त। अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के भव्य 'भूमिपूजन' समारोह का प्रसाद सबसे पहले एक दलित परिवार को दिया गया। परिवार महाबीर का है और उन्हें राम चरित मानस की एक प्रति और 'तुलसी माला' के साथ प्रसाद दिया गया। इसके बाद ही अयोध्या में अन्य लोगों के लिए प्रसाद का वितरण शुरू हुआ।
महाबीर वही शख्स हैं, जिनके घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए थे, जहां उन्होंने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भोजन भी किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को भूमिपूजन किया गया। प्रधानमंत्री के अलावा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे।
पूरे राम जन्मभूमि परिसर की गुरुवार को सफाई की गई। मंदिर का निर्माण शनिवार से शुरू होगा।(ians)
नई दिल्ली, 6 अगस्त। देश की राजधानी दिल्ली में पांच साल की बच्ची 'गुड़िया' के साथ हुई निर्मम सामूहिक दुष्कर्म की घटना के सात साल बाद, एक 12 साल की लड़की के साथ इसी तरह की घटना घटी है, जो एम्स अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही है। बाहरी दिल्ली के पश्चिम विहार में मंगलवार शाम एक अज्ञात व्यक्ति ने 12 साल की लड़की के साथ दुष्कर्म करने के बाद कथित रूप से धारदार हथियार से बेरहमी से हमला कर दिया। आरोपी फरार है।
डीसीडब्ल्यू प्रमुख स्वाति मालीवाल ने गुरुवार को एम्स में पीड़िता के परिवार से मुलाकात करने के बाद कहा, "लड़की की स्थिति बहुत गंभीर है। उसके पेट पर गंभीर चोटों के अलावा पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं।"
नाबालिग को पहले संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों की एक टीम ने उसकी चोटों को देखने के बाद एम्स रेफर कर दिया। पुलिस ने अज्ञात हमलावर के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पास्को) और आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया है।
दिल्ली पुलिस ने आरोपियों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कई टीमों का गठन किया है। पश्चिम विहार के जिस इलाके में हमला हुआ, वहां के सीसीटीवी की जांच की जा रही है।
जब पीड़िता के साथ दुष्कर्म हुआ उस वक्त वह घर में अकेले थी, क्योंकि उसके माता पिता दिहाड़ी मजदूर हैं।
मालीवाल ने डीसीपी आउटर दिल्ली को भी तलब किया है और वह चाहती हैं कि इस मामले के घटनाक्रम के बारे में आयोग को सूचित करते रहें।
इस जघन्य अपराध ने 15 अप्रैल, 2013 की दुखद यादों को फिर से ताजा कर दिया है, जब दो लोगों ने पांच साल की लड़की के साथ दुष्कर्म कर उसके प्राइवेट पार्ट को क्षत विक्षत कर दिया था और मृत समझ कर उसे कमरे में ही छोड़ कर फरार हो गए थे।
बच्ची को घटना के 40 घंटे बाद बचाया गया था।
इस साल जनवरी में दिल्ली की एक अदालत ने दोनों आरोपियों को 20 साल की जेल की सजा सुनाई, साथ ही पीड़िता को मुआवजे के रूप में 11 लाख रुपये देने का आदेश दिया, जिसे घटना के बाद 'गुड़िया' नाम दिया गया था।(ians)
नई दिल्ली, 6 अगस्त। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कोविड-19 से लड़खड़ाती इकॉनमी को सहारा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक समाप्त होने का बाद उन्होंने कहा कि रीपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया गया है। एमपीसी की बैठक में लिए गए अहम फैसले इस प्रकार हैं..
कारोबारियों और कर्जदारों को राहत
-7 जून के स्ट्रेस्ड एसेट रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क के तहत एक विंडो मुहैया कराई जाएगी जिससे लेंडर्स को ऑनरशिप में बदलाव किए बिना एक समाधान योजना लागू करने का मौका मिलेगा।
-आरबीआई के वी कामथ की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करेगा जो समाधान योजना के लिए जरूरी वित्तीय मानकों का निर्धारण करेगा।
छोटी और मझोली कंपनियों को सहारा
-दबावग्रस्त एमएसएमई कर्जदार मौजूदा व्यवस्था के तहत अपने कर्ज का पुनर्गठन कर सकेंगे, लेकिन इसके लिए यह शर्त रखी गई है कि 1 मार्च, 2020 तक उनका अकाउंट स्टैंडर्ड होना चाहिए।
-इस पुनर्गठन को 31 मार्च, 2021 तक लागू किया जाएगा।
इससे एमएसएमई को काफी राहत मिलेगी क्योंकि कोविड-19 के कारण उनका कामकाज और कैश फ्लो बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
गोल्ड ज्वेलरी पर ज्यादा लोन
-वर्तमान में गिरवी रखे जाने वाले सोने के जेवर और आभूषण के मूल्य के 75 प्रतिशत तक कर्ज देने की व्यवस्था है, जिसे बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। -यह राहत 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध होगी।
इससे लोगों को गोल्ड पर पहले से ज्यादा लोन मिलेगा और उन्हें ज्यादा नकदी लेने के लिए सोने को बेचना नहीं पड़ेगा।
रियल एस्टेट के लिए ज्यादा पैसा
-नेशनल हाउसिंग बैंक को हाउसिंग सेक्टर को नकदी संकट से बचने के लिए 5000 करोड़ रुपये मिलेंगे।
-छोटी एनबीएफसी और एमएफआई को राहत देने के लिए नाबार्ड को 5000 करोड़ रुपये मिलेंगे।
बैंकों को राहत
-बैंकों को डे-एंड कैश रिजर्व रेश्यो बैलेंस के प्रबंधन में ज्यादा अधिकार देने के लिए रिजर्व बैंक एक ऑप्शनल फसिलिटी शुरू करेगा।
-बैंक अब यह तय कर सकेंगे कि दिन के अंत में वे आरबीआई के पास अपने चालू खाते में कितना बैलेंस रखें।
अन्य घोषणाएं
-भारत में एक इनोवेशन हब बनाया जाएगा।
-50000 रुपये और उससे अधिक राशि के चेकों के लिए पॉजिटिव पे की एक व्यवस्था बनाई जाएगी।(nbt)
पटना, 6 अगस्त। सुशांत सिंह राजपूत के कथित आत्महत्या मामले को लेकर जांच करने गई चार सदस्यीय पटना पुलिस टीम गुरुवार को वापस पटना लौट गई। हालांकि टीम को मदद करने के लिए मुंबई गए पटना के नगर पुलिस अधीक्षक आईपीएस अधिकारी विनय तिवारी फिलहाल मुंबई में अभी भी क्वारंटीन हैं। टीम गुरुवार को दोपहर पटना हवाईअड्डे पर पहुंची। यहां टीम के सदस्यों ने पत्रकारों से खुलकर तो बात नहीं की, लेकिन इतना जरूर कहा कि प्रतिकूल परिस्थितियों में सुशांत मामले में जो भी साक्ष्य मिला है, वह इकट्ठा किया गया है।
टीम के सदस्यों ने कहा, "जितना समय मिला, उतना अनुसंधान किया गया। हालांकि अनुसंधान की सभी बातें नहीं बताई जा सकती।"
टीम के सदस्यों ने कहा कि पटना से सभी वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग मिलता रहा।
इधर, पुलिस सूत्रों के मुताबिक मुंबई गई टीम अपनी रिपोर्ट पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उपेंद्र शर्मा को सौंपेगी । टीम के सदस्य पटना रेंज के पुलिस महानिरीक्षक संजय कुमार से भी मिलेंगे और जांच संबंधी जानकारी देंगे।
सूत्रों का कहना है कि बिहार सरकार द्वारा इस मामले की जांच सीबीआई कराने की अनुशंसा करने और केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद पुलिस मुख्यालय ने अपनी जांच टीम को वापस लौटने का निर्देश दिया था।
बिहार के पटना के राजीवनगर थाना में सुशांत के पिता के. के .सिंह द्वारा 25 जुलाई को मामला दर्ज कराने के बाद हरकत में आई पटना पुलिस की चार सदस्यीय टीम 27 जुलाई को मामले की जांच करने मुंबई गई थी। इसके बाद पटना के सिटी एसपी विनय तिवारी को भी मुंबई भेजा गया था, जिसे मुंबई पहुंचते ही क्वारंटीन कर दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि 14 जून को पटना के रहने वाले और बॉलीवुड के अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का शव मुंबई के बांद्रा स्थित उनके फ्लैट से बरामद किया गया था। इसके बाद इस मामले की जांच मुंबई पुलिस ने प्रारंभ की थी।(ians)
कोडागु (कर्नाटक), 6 अगस्त (आईएएनएस)| कर्नाटक के कोडागु जिले के तालाकावेरी के पास ब्रम्हगिरी पहाड़ियों में भारी बारिश और तेज हवाओं के बाद हुए भूस्खलन के कारण कुछ घर ढह गए। इस हादसे में पांच लोगों के लापता होने की खबर है। जिला अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "पिछले 2-3 दिनों में हुई भारी बारिश के कारण ब्रह्मगिरी की पहाड़ियों में भूस्खलन हो गया, जिससे कुछ घर ढह गए। भूस्खलन से मंदिर के पुजारियों के कम से कम 2 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसमें एक पुजारी के परिवार के सदस्यों सहित 5 लोग लापता हैं। उनका पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए प्रयास जारी हैं।"
ताला कावेरी बेंगलुरू से लगभग 300 किमी दूर दक्षिण पश्चिम में है।
अधिकारी ने कहा, "लापता लोगों को बचाने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है।"
तलहटी पर बना ताला कावेरी मंदिर भी बारिश के पानी से भरा हुआ था। इस भूस्खलन ने घाट रोड को भी अवरुद्ध कर दिया है, जिससे क्षेत्र में बचाव अभियान और वाहनों के आवागमन में रुकावट आ रही है।
इस बीच, राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र ने दक्षिणी राज्य के तटीय, मध्य और दक्षिणी अंदरूनी क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण रेड अलर्ट जारी किया है।
जिले में पिछले 24 घंटों के दौरान 117 मिमी वर्षा हुई है, जिसके चलते कई नदियों में बाढ़ आ गई है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता के चलते दक्षिण कन्नड़, उडुपी, उत्तर कन्नड़, चिक्कमगलुरु, शिवमोगा, हासन और हावेरी में भारी बारिश हुई है।
चेन्नई, 6 अगस्त (आईएएनएस)| तमिलनाडु में दो सांसद और दो विधायक कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए हैं। कोरोना पॉजिटिव निकले दोनों सांसद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के एम. सेल्वराज और द्रमुक के एस. रामलिंगम हैं। सेल्वाराज नागपट्टिनम का प्रतिनिधित्व करते हैं और रामलिंगम माइलादुतुरै का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इसी तरह अभिनेता से नेता बने और सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के टिकट पर तरुवदनई निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए करुणास और अन्नाद्रमुक के ही पूम्पुहर से विधायक एस. पावुनराज भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक और विपक्षी द्रमुक के मंत्रियों और राजनेताओं नेताओं सहित कई विधायक हाल के दिनों में कोरोना से संक्रमित निकले हैं।
कोरोना के कारण द्रमुक के विधायक जे. अनबझगन के दुर्भाग्यूपर्ण निधन को छोड़कर अन्य सभी संक्रमित या तो ठीक हो गए हैं या ठीक होने की राह पर हैं।
प्रशांत भूषण अवमानना मामले में दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आलोचना के बिंदु उठाए
नई दिल्ली, 6 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायपालिका पर ट्वीट करने के कारण अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ शुरू हुए अवमानना के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में 3 घंटे की लंबी सुनवाई के दौरान दिलचस्प तर्क दिए गए। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की खंडपीठ के समक्ष भूषण की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे पेश हुए। दवे की दलीलों का केंद्रबिंदु यह था कि श्री भूषण के ट्वीट अवमाननापूर्ण थे या नहीं।
इस दौरान दवे ने न्यायालय से आग्रह किया कि भूषण की टिप्पणियों को न्यायपालिका की बेहतरी के लिए की गई निष्पक्ष आलोचना के रूप में देखा जाना चाहिए, जिनमें कोई ऐसी दुर्भावना नहीं है। न ही यह टिप्पणियां न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता का अपमान करने के इरादे से की गई थी। उनकी दलीलों का मूलबिंदु यह था कि कई दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के चलते वास्तव में न्यायपालिका की प्रभावशीलता कम हो रही थी। इसलिए भूषण के ट्वीट को उस संदर्भ में समझा जाना चाहिए।
दवे-भूषण जैसे लोग कई बार ऐसे मुद्दों को उठाते हैं जिनको कार्यकारी या राज्य के कर्मचारी भी उठाने को तैयार नहीं होते हैं। निश्चित रूप से उनकी कई याचिकाएं खारिज कर दी जाती हैं, यह ठीक है क्योंकि आपको फैसला करना है, लेकिन मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि इस पर ध्यान दिया जाए। यदि श्री भूषण कोई ‘प्रो-इस्टैब्लिश्मंट या संस्थान’ होते तो आप उनको उनके काम के लिए पद्म विभूषण दे देते।
12 जनवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के चार सिटिंग जजों द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ द्वारा दिए गए बयानों का उल्लेख करते हुए दवे ने जोर दिया कि न्यायिक दृष्टिकोण के बारे में की गई आलोचना पूरी तरह से अनुचित नहीं थी।
अपने बयानों में इन न्यायाधीशों ने कहा था कि अन्य बातों के अलावा शीर्ष कोर्ट का प्रशासन भी ‘‘सुव्यवस्था में नहीं था’’ और कई ऐसी चीजें हो रही हैं जो ‘वांछनीय नहीं थी’।
दवे- जब आपको लगता है कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है तो अपने विचारों को रोक न पाने में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन क्या इसे अवमानना माना जा सकता है?
इसके बाद उन्होंने हाल के मुद्दों के बारे में बात की और कहा कि उन्होंने न्यायपालिका की प्रभावशीलता को प्रभावित किया है जैसे कि अनुच्छेद 370 के मामलों पर कोर्ट का उदासीनभरा रवैया, बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कोई कार्यवाही न करना आदि।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की ऐसी प्रतिक्रियाओं पर किसी को भी पीड़ा होगी। दवे ने यह भी कहा कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीडऩ के मामले में जिस तरीके से व्यवहार किया गया है,उससे भी संस्था पर बुरा असर पड़ा है।
दवे-उनके मामले को देखें। उसे (शिकायतकर्ता) बहाल कर दिया गया था और सभी आरोपों को हटा दिया गया था। जो यह दर्शाता है कि वह सच बोल रही थी। क्या उसके खिलाफ कोई अवमानना की कार्यवाही की गई थी? इससे क्या धारणा बनी हैै? हमें इन गंभीर मुद्दों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। एक न्यायाधीश शनिवार को अपने स्वयं के मामले में सुनवाई करता है,जो यौन उत्पीडऩ के संबंध में था।
उन्होंने यह भी कहा कि जस्टिस गोगोई को उनकी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद राज्यसभा सीट और जेड प्लस सुरक्षा भी दी गई। जिसने राफेल, अयोध्या, सीबीआई निदेशक आदि जैसे मामलों में दिए गए फैसलों पर सवालिया निशान उठाया है।
इसके बाद दवे ने ये भी कहा कि न्यायाधीशों को मामलों के आवंटन का तरीका भी आलोचना के लिए पर्याप्त आधार तैयार करता हैं। उन्होंने कहा कि केवल कुछ न्यायाधीशों को ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले सुनवाई के लिए दिए जाते हैं।
दवे- उदाहरण के लिए, केवल कुछ न्यायाधीशों को ही क्यों राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले मिलते हैं? उदाहरण के लिए जैसे जस्टिस नरीमन है- उन्हें कभी ऐसे मामले नहीं सौंपे जाते हैं!
मामले की सुनवाई के बाद पीठ ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
भूषण ने अवमानना नोटिस के मामले में एक विस्तृत जवाबी हलफनामा दायर किया है। जिसमें कहा गया है कि न्यायालय के बारे में वास्तविक या यथार्थ विचारों की अभिव्यक्ति अवमानना के समान नहीं है। (hindi.livelaw)
बेंगलुरू, 6 अगस्त (आईएएनएस)| इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) ने चार मोबाइल (गतिमान) संक्रमण परीक्षण और रिपोटिर्ंग प्रयोगशालाओं की शुरूआत की है जिसे यहां की फैकल्टी ने अपने स्टार्ट-अप शनमुख इनोवेशंस के साथ मिलकर विकसित किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी।
जैव-सुरक्षा स्तर 2 के अनुपालन के साथ निर्मित यह देश की पहली और एकमात्र मोबाइल डायग्नोस्टिक लैब है जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राज्य संचालित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा अनुमोदित है।
एक बयान में कहा गया, वैन पर सुसज्जित इस मोबाइल लैब की मदद से स्वास्थ्य कर्मियों के पास जाकर उसी जगह आरटी-पीसीआर का उपयोग करके उनके नमूनों का परीक्षण किया जाएगा और जांच के नतीजों को आईसीएमआर के पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाएगा।
एक अधिकारी ने कहा, तमाम उपकरणों और कर्मियों के साथ इन प्रयोगशालाओं में हर महीने 6,000-9,000 नमूनों को संसाधित करने की क्षमता है।
आईआईएससी के निदेशक गोविंदन रंगराजन ने कहा, "परम्परागत प्रयोगशालाओं में जांच के नतीजों के लिए 2-10 दिन लिए जाते हैं, लेकिन मोबाइल लैब में 4-12 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट दे दिए जांएगे। इससे समय की बचत होगी और संक्रमित व्यक्ति पर खतरा भी कम बना रहेगा।"
नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। बीते 24 घंटों में देश में कोरोनावायरस के 56,282 नए मामले और 904 मौतें सामने आईं हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के गुरुवार को आए आंकड़ों के मुताबिक अब तक देश में कुल 19,64,537 मामले और 40,699 मौतें दर्ज हो चुकी हैं। देश में वर्तमान में, 5,95,501 सक्रिय मामले हैं और 13,28,336 लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं। रिकवरी दर 67.19 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
भारत में छह राज्य ऐसे हैं जहां पिछले 6 महीनों में एक-एक लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
महाराष्ट्र में सबसे अधिक 4,68,265 मामले और 16,476 मौतें दर्ज हुईं। इसके बाद तमिलनाडु में 2,73,460 मामलों और 4,461 मौतें सामने आईं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी एक लाख से अधिक मामले सामने आए हैं।
दूसरी ओर देश में आठ राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, लद्दाख, मिजोरम, अरुणांचल प्रदेश, मेघालय, सिक्किम और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ऐसे हैं जहां सक्रिय मामलों की संख्या 1,000 से कम है।
इस हफ्ते की शुरूआत में एक प्रेस वार्ता में, स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा था कि कुल मामलों में से 82 प्रतिशत मामले दस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक सीमित हैं। उस पर भी इन राज्यों के केवल पचास जिलों में कुल मामलों के 66 प्रतिशत मामले दर्ज हुए हैं।
श्रीनगर, 6 अगस्त (आईएएनएस)| दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड के वेसू में गुरुवार को आतंकवादियों ने एक भाजपा सरपंच की गोली मारकर हत्या कर दी। सरपंच की पहचान सज्जाद अहमद खांडे के रूप में की गई है। आतंकवादियों के हमले के बाद वह गंभीर रूप से घायल थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
कश्मीर में राजनीतिक कार्यकतार्ओं और पंचायत के सदस्यों को आतंकवादी अपना निशाना बनाते चले आ रहे हैं।
पिछले महीने उत्तरी कश्मीर के बांदीपोर जिले के लिए भाजपा नेता और पार्टी के एक पूर्व जिलाध्यक्ष वसीम बारी को आतंकवादियों ने मार दिया था।