रायपुर

23 फर्जी आदिवासी जाति प्रमाण पत्र की रिपोर्ट राजधानी में धूल खा रही
22-Sep-2022 3:15 PM
23 फर्जी आदिवासी जाति प्रमाण पत्र की रिपोर्ट राजधानी में धूल खा रही

दूसरे राज्य के लोगों ने कंपनी के लिए इसी के जरिये 500 एकड़ जमीन खरीदी, मुआवजा भी लिया

एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान पर अब तक केवल तत्कालीन एसडीएम को नोटिस

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 सितंबर।
कोरबा जिले में 23 आदिवासी जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने के मामले में जिला स्तरीय छानबीन समिति की रिपोर्ट को राज्य स्तरीय कमेटी में कार्रवाई के लिए रुकी हुई है। इस मुद्दे  को उठाने वाले संगठन छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना ने आरोप लगाया  है कि निर्णय लेने में देरी कर आरोपियों को बचाने का और उन्हें फरार होने का मौका दिया जा रहा है। इधर सामान्य प्रशासन विभाग ने तत्कालीन एसडीएम को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब मांगा है।  

ज्ञात हो कि सन् 2013-14 में 23 लोगों का स्थायी आदिवासी जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया था। छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना के प्रदेश महामंत्री दिलीप मिरी ने इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक कोरबा से की थी। इसमें बताया गया था कि ये जाति प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेज और रिकॉर्ड में कूट रचना करके तैयार किए गए। जिन 23 लोगों को मुंडा, उरांव जाति का प्रमाण पत्र दिया गया वे दूसरे राज्यों के हैं।

उल्लेखित ग्राम ढुरेना में इनका परिवार कभी नहीं रहा। ये सभी आर्यन कोल बेनिफेशरी (एसीबी) कंपनी के मजदूर हैं। इनके नाम पर करीब 500 एकड़ जमीन खरीदी गई जिनमें ही एसीबी कंपनी का कोल वाशरी या पावर प्लांट उद्योग स्थापित किया गया। रेल कॉरिडोर के लिए दीपका-पेंड्रारोड के बीच इस भूमि के कुछ हिस्से का अधिग्रहण होने पर 40 करोड़ रुपये का मुआवजा भी प्राप्त किया गया। जिन स्थानों पर जमीन खरीदी गई उनमें कटघोरा, पाली व रायगढ़, घरघोड़ा, फगुरम इलाके शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के भोले आदिवासियों की जमीन औने-पौने दाम पर डरा-धमका कर कंपनी ने इन फर्जी आदिवासियों के नाम पर खरीदी ताकि वह उद्योग की स्थापना कर सके। तत्कालीन एसडीएम गजेंद्र सिंह ठाकुर जो अभी राजनांदगांव जिला पंचायत में सीईओ हैं पर  कई आरोप लगाए हैं।

क्रांति सेना ने कहा कि मूल छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति, जनजाति का एक भी कागज कम पड़ जाने पर जाति प्रमाण पत्र बन नहीं पाता जिससे उन्हें विशेष जाति का लाभ मिलने से वंचित होना पड़ता है वहीं, दूसरी ओर दूसरे राज्य के लोगों का बिना मिसल, वंश वृक्ष देखे बिना प्रमाण पत्र बना दिया गया।  

उन्होंने प्रमाण पत्र जारी करने वाले एसडीएम, तहसीलदार तथा रिपोर्ट तैयार करने वाले पटवारी के विरुद्ध भई कार्रवाई की मांग की है।
कोरबा कलेक्टर संजीव झा ने कहा है कि फर्जी पाए गए आदिवासियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लिए गए लाभ की वसूली भी की जाएगी।

जिन लोगों का स्थायी जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया गया है उनमें रघुनाथ बानरा, नंदूलाल, ईश्वर एक्का, रंजीत लकड़ा, जोरमुण्डा बुधन सिंह, गवरियल, मोतीराम, सिकुर, तुबीड, राजू, हिजकेल, कमल, शिवम उरांव, सिकन्दर, विनोद टुडू, पाण्डव होन, पिताम्बर, सेनाराम, जोगेंदर, विश्वनाथ, मघुरा, कुंवर मांझी तथा राम तिर्की शामिल हैं।

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