धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 6 मई। भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा है कि बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग के स्थानीय लोगों को भाजपा सरकार की भांति भर्ती ने प्राथमिकता का अधिकार कब मिलेगा?
विकास मरकाम ने कहा कि भूपेश सरकार की नाकामी के चलते आदिवासियों का 32फीसदी आरक्षण अधर में लटक गया था और स्थानीय भर्ती पूरी तरह बंद हो चुकी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 58फीसदी आरक्षण पर स्टे ऑर्डर देकर आदिवासी समाज में उम्मीद की एक किरण जगाई है। भाजपा सरकार में सरगुजा, बस्तर और बिलासपुर संभाग के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की शासकीय भर्तियों में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता का अधिकार दिया था, जिसे भूपेश बघेल की इस सरकार ने 2022 से छीन लिया है। मैं भूपेश बघेल सरकार से कहना चाहता हूं कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के स्टे आर्डर के बाद पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में 100फीसदी स्थानीय भर्ती के अधिकार को शीघ्रतापूर्वक वापस किया जाए। पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्रों के आदिवासी युवाओं को उनका अधिकार, उनका रोजगार शीघ्र ही प्रदान किया जाए।
वनांचल के युवा मुख्यधारा से विमुख हो रहे हैं। ऐसे में तत्काल और त्वरित रूप से इन क्षेत्रों में भर्तियों और नियुक्तियों की आवश्यकता है। पूरे प्रदेश में भूपेश कार्यकाल में बेरोजगारी लगभग 25फीसदी के दर से बढ़ी है। लेकिन छत्तीसगढ़ के पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में बेरोजगारी का दर और अधिक भयावह रूप से बढ़ा है। बड़ी बड़ी बात करने वाले सरगुजा और बस्तर संभाग के तीरंदाज मंत्री द्वय कवासी लखमा और अमरजीत भगत सत्ता सुख में बस्तर - सरगुजा के आदिवासियों का अधिकार भूल गए हैं। बेरोजगारी प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या है। इससे प्रदेश का हर युवा ग्रसित है। कई भर्तियां भूपेश सरकार की अनिच्छा के चलते 2018 से लंबित है जबकि आदिवासी अंचलों में भर्तियां न के बराबर हुई है। विकास मरकाम ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा यदि बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर के पांचवी अनुसूची क्षेत्रों की शासकीय भर्तियों ने स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता का अधिकार वापस नहीं दिया गया।
तो अजजा मोर्चा द्वारा शीघ्र ही बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जायेगा।