रायगढ़

नाले में पुलिया नहीं, लकड़ी की पुलिया से आवाजाही
24-Jul-2023 2:27 PM
नाले में पुलिया नहीं, लकड़ी की पुलिया से आवाजाही

आज भी विकास से कोसों दूर है लैलूंगा का ग्राम पंचायत सुबरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
रायगढ़, 24  जुलाई।
विकासखण्ड मुख्यालय लैलूंगा से चंद किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम पंचायत सुबरा के ग्रामीणों को आज भी मूलभूत सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है। 
विकास के नाम पर एक गांव को दूसरे गांव में जोडऩे के लिए 75 साल बाद भी ग्रामीणों को एक छोटी पुलिया की सौगात नहीं मिल पाई है। ग्राम पंचायत सुबरा के अश्रित ग्राम कटंगपारा से सलिहापारा और विधायक के गृह ग्राम को जोडऩे वाला यह एक मात्र रास्ता है, जिसमें से होकर सुबरा, कटंगपारा के बच्चे हाई स्कूल कटकलिया जाते हैं।

लोगों ने बताया कि नाले में पुलिया नहीं होने से ग्रामीणों को तो परेशानी होती है, लेकिन बरसात के दिनों में स्कूली बच्चों को भारी परेशानी का समाना करना पड़ता है।
ग्रामीणों द्वारा नाले में पुलिया बन जाये, इसके लिए नेताओं के पास बार-बार गुहार लगाई कि हमारे गांव के नाले में एक छोटा से पुलिया बना दीजिए लेकिन गांव वालों की गुहार क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के कानों तक नहीं पहुंची, ग्रामीणों ने थक हारकर नाले में चलने लायक लकड़ी से एक पुलिया का निर्माण किया। देशी जुगाड़ लकड़ी के बनाये गये पुलिया से अब ग्रामीण आना जाना करते हैं।

मुख्यमंत्री के घोषणा का कोई असर नहीं

लैलंूगा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भेंट मुलाकात कार्यक्रम में लैलूंगा विधायक चक्रधर सिंह सिदार ने मांग की थी कि कटंगपारा के नाले में पुलिया नहीं होने से बरसात के दिनों में भारी परेशानी होता है। कई गांव के लोग एक दूसरे से सपंर्क कर नहीं पाते हैं स्कूली बच्चे स्कूल नहीं आ पाते हंै इस नाले में एक पुलिया का निर्माण करवाया जाए।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट मुलाकात के मंच से घोषणा भी किया था कि जल्द ही कटंगपारा के नाले में पुलिया का निर्माण हो जाएगा, पुलिया बन जाने से ग्रामीणों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगा। लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा एक बार फिर चुनावी घोषणा साबित होते दिख रही है और यहां की समस्या जस की तस बनी हुई है।

क्षेत्र की समस्या के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि पुलिया के लिए हम लोग किसके-किसके चौखट नहीं गये लेकिन किसी ने नहीं सुनी, 15 साल तक छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार रही और दो बार भाजपा के विधायक, एक बार लैलूंगा विधायक सत्यानंद राठिया को मंत्री भी बनाया गया था, लेकिन मंत्री बनने के बाद भी हमारे लिए कुछ नहीं किया, सिर्फ अपने नेताओं के लिए काम किया।

सोचा था कि 15 साल बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बना और हमारे पड़ोसी नेता जी विधायक बने हैं इस बार तो हम लोगों का दुख दर्द जरूर सुनेंगे, लेकिन विधायक चक्रधर सिंह सिदार भी वैसे ही निकले।

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