दुर्ग
दुर्ग, 26 जुलाई। हेमचंद यादव विवि दुर्ग द्वारा संचालित छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल विषय पर एक माह अवधि के सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम के अंतर्गत विगत सप्ताह में 04 आमंत्रित व्याख्यान आयोजित किये गये। कोर्स समन्वयक एवं डीसीडीसी, डॉ. प्रीता लाल ने बताया कि प्रथम व्याख्यान विवि अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ. प्रथम श्रीवास्तव का हुआ जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ के जलप्रपात, नदियां एवं गुफाओं के बारे में रोचक जानकारी दी। डॉ. श्रीवास्तव ने नदियों के विकास के चार अवस्थाएं तथा प्रत्येक अवस्था में बनने वाले संरचना जैसे जल प्रपात आदि के बारे में विस्तार से समझाया। जबलपुर क्षेत्र में भूकम्प संबंधी गतिविधियों का विश्लेषण भी उन्होंने किया।
द्वितीय व्याख्यान में विवि के सहायक कुलसचिव, दिग्विजय कुमार ने छत्तीसगढ़ में रामवनगमन पथ का विस्तार से विवरण प्रस्तुत किया। पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से जानकारी देते हुए श्री दिग्विजय ने प्रतिभागियों को पीएससी की परीक्षा में छत्तीसगढ़ के पर्यटन से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्नों की महत्वपूर्ण जानकारी भी दी। दण्डकारण्य क्षेत्र के विस्तार एवं उसकी प्रासंगिकता के विषय में अनेक प्रतिभागियों ने प्रश्न भी पूछे।
तृतीय व्याख्यान में विवि की डीसीडीसी एवं कोर्स समन्वयक, डॉ. प्रीता लाल छत्तीसगढ़ के वाइल्ड लाइफ पर रंगीन स्लाइड्स के माध्यम से रोचक प्रस्तुतिकरण दिया। डॉ. लाल के प्रस्तुतिकरण का सभी प्रतिभागियों ने आनंद लेते हुए अनेक प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया।
चतुर्थ व्याख्यान में शासकीय वीवायटी पीजी स्वषासी महाविद्यालय, दुर्ग की सेवा निवृत्त, सहायक प्राध्यापक, डॉ. सुचित्रा शर्मा ने छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक एवं धार्मिक स्थलों पर विस्तार से जानकारी दी। डॉ. शर्मा ने छत्तीसगढ़ के खजुराहों कहे जाने वाले भोरमदेव मंदिर, विभिन्न शक्तिपीठों, जैन मंदिरों आदि का विष्लेषण करते हुए उनका एतिहासिक महत्व भी बताया।
उक्त व्याख्यानों में धन्यवाद ज्ञापन विवि के सहायक कुलसचिव, हिमांशु शेखर मंडावी ने किया। सर्टिफिकेट कोर्स के चारों व्याख्यानों में ऑनलाईन रूप से उपस्थित कुलपति, डॉ. अरूणा पल्टा ने उत्कृष्ट प्रस्तुति हेतु चारों रिर्सोस पर्सन तथा कोर्स समन्वयक, डॉ. प्रीता लाल को बधाई दी।