रायगढ़
कंपनियों के फ्लाई एश से नहीं हो पा रहा पानी फिल्टर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 27 जुलाई। नगर निगम शहर कि पानी की प्यास नही बुझा पा रहा पिछले कई महीनों से यह समस्या बनी हुई है इसको लेकर प्रदर्शन से लेकर निगम का घेराव तक किया जा चुका है लेकिन पानी की किल्लत दूर होने का नाम नहीं ले रही।
इस संबंध में निगम महापौर व कमिश्नर का कहना है की इंटच्ेल में पानी की पर्याप्त सफाई नही हो पा रही जितना पानी साफ होता है वो शहर की जरूरत को पूरा नहीं कर सकता यहां तक की जिस अमृत मिशन योजना से घर घर पानी पहुंचने का संकल्प लिया गया। उसमें भी एक घंटे से ज्यादा पानी की सप्लाई नहीं हो पाती उसकी भी रफ्तार इतनी धीमी रहती है की पानी तीन से चार फुट ऊपर भी नही चढ़ पता समस्या का कारण जानने का प्रयास किया गया तो पता चला की निगम के पानी सप्लाई में फ्लाई ऐश मिला हुआ पानी आ रहा है।
इसके कारण पानी का फिल्टरेशन उतना नहीं हो पा रहा जितना होना चाहिए बताया जा रहा है कि शाकंभरी एवं शिव शक्ति फैक्ट्रियों व्दारा रेगड़ा गांव के पास (फ्लाई ऐश) राखड़ डंप किया जा रहा है जो नाले के जरिए जीवन दायनी केलो के पानी में मिल जाता है और यही पानी लोगों को पीने के लिए मिलता है, जिसके कारण लोगों को कई प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन ने फ्लाई ऐश डंपिंग पर उद्योगों को सख्त निर्देश जारी किए थे, लेकिन उसके बाद भी उद्योगों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी उन्हें न तो कलेक्टर की परवाह है और नहीं लोगों के स्वास्थ्य से कोई लेना देना है। उद्योगों की इस मनमानी ने लोगों का जीना हराम कर दिया है प्रशासन को इस संबंध में तुरंत कठोर कदम उठाने की जरुरत है। ऐसे दोषी उद्योगों के खिलाफ तो एफआईआर दर्ज करा गिरफ्तारी कराई जानी चाहिए तभी लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले उद्योगपतियों को सबक सिखाया जा सकेगा निगम पार्षदों ने भी कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा से इस संबंध में कार्रवाई किए जाने की मांग की है इस संबध में पूर्व सभापति एवं एमआईसी सदस्य सलीम नियरिया से बात की गई तो उन्होंने समाचार की पुष्टि करते हुए बताया की ग्रामीण क्षेत्र होने से निगम उद्योगों पर सीधे कार्रवाई नहीं कर सकता।
इस संबध में कलेक्टर पर्यावरण विभाग एवं जल संसाधन विभाग ही कार्रवाई कर सकता है इन सभी को निगम ने लेटर जारी किया है, लेकिन उनके व्दारा आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके कारण शहर के लोगो को प्रदूषित पानी पीने विवश होना पड़ रहा है।
सवाल यह उठता है की सरकार ने दो सौ करोड़ रुपए खर्च का जिस अमृत मिशन योजना को अंजाम दिया था उसे प्लांट वालो ने बर्बाद कर दिया उनकी करतूत से लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा और जो मिल रहा है वो किसी जहर से कम नहीं है। शहर में पानी को लेकर लगातार हो रहे प्रदर्शन से निगम भी दबाव में है।
प्रशासन की चुप्पी ने निगम के हौसले को भी पस्त कर दिया है अब वह उन पुराने पंपों को फिर से शुरू कर रहा है, जिसे कुछ दिन पहले ही अमृत मिशन योजना के मुकमल होने पर निकला गया था। इस तरह पानी की व्यवस्था तो बिगड़ी ही साथ में निगम को अब दोहरे खर्च का सामना भी करना पड़ रहा है। पहले पंपों को निकलने का और अब पंपों को दुबारा लगाने का प्लांट की मनमानी से निगम पर आया यह आर्थिक दबाव का जिम्मेदार कोन है और क्यों प्रशासन इन प्लांटों पर कोई कार्रवाई करना नहीं चाहता?