जशपुर
जशपुरनगर, 2 अगस्त। छत्तीसगढ़ ग्राम रोजगार सहायकों के प्रांतीय पदाधिकारी अपनी लंबित मांगों को पूरा करने के लिए संसदीय सचिव यू. डी. मिंज से मिले। जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा कर ग्राम रोजगार सहायकों की माँग पूरी कराने के लिए आवश्यक पहल करेंगे।
उन्होंने संसदीय सचिव से निवेदन किया कि छत्तीसगढ़ ग्राम रोजगार सहायकों के द्वारा विगत 18 वर्षों से मनरेगा योजना अन्तर्गत निष्ठापूर्वक अल्प मानदेय में संविदा पर कार्य कर रहे हैं जो कि यह मनरेगा योजना यूपीए सरकार की महत्वपूर्ण योजना में से एक है। ग्राम रोजगार सहायकों के अथक प्रयास से ही कई बार छत्तीसगढ़ शासन को केन्द्र सरकार के द्वारा प्रथम स्थान से समानित किया जा चुका है।
ग्राम रोजगार सहायकों की स्थानांतरण नीति नहीं होने के कारण ग्राम पंचायत में 18 वर्षों से पदस्थ होने से शिकायत की आशंका होती है, दुष्परिणाम ग्राम रोजगार सहायकों को भुगतना पड़ता है। जिससे ग्राम रोजगार सहायक को बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाती है।
मनरेगा योजना अन्तर्गत ग्राम रोजगार सहायकों छोडक़र चपरासी से लेकर उच्च अधिकारी तक ग्रेडपेय निर्धारण है जबकि ग्राम रोजगार सहायकों को ग्रेडपेय निर्धारण नहीं है। भारत देश के छत्तीसगढ़ प्रदेश में मजदूरों को 150 दिवस की रोजगार उपलब्ध कराने का कार्य ग्राम रोजगार सहायकों के द्वारा किया जाता है जबकि अन्य प्रदेशों में 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराते हैं। छत्तीसगढ़ के ग्राम रोजगार सहायकों को 5000-6000 मानदेय भुगतान किया जाता है। जो कि अन्य प्रदेश (मध्यप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश) में 100 दिवस रोजगार उपलब्ध कराने वाले को 18,000-30,000 मानदेय भुगतान किया जाता है। ग्राम रोजगार सहायकों के द्वारा मनरेगा कार्य के अलावा गोधन न्याय योजना श्रम योजन ग्रामीण आवास निर्वाचन कार्य आर्थिक जनगणना स्वच्छ भारत मिशन एवं अन्य शासकीय कार्य लिया जाता है। ग्राम रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण करते हुए नियमतीकरण किया जावे। ग्राम रोजगार सहायकों का नियमतीकरण होने तक ग्रेडपेय निर्धारण करते हुए पंचाय नियमावली 1966 लागू किया जाए।