धमतरी

मणिपुर ही नहीं बस्तर भी बरसों से जल रहा है-मरई
10-Aug-2023 7:07 PM
 मणिपुर ही नहीं बस्तर भी बरसों से जल रहा है-मरई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कुरुद, 10 अगस्त। मणिपुर ही नहीं साहब बरसों से बस्तर भी जल रहा है, राजनीतिक दल अपनी सुविधा के मुताबिक किसी एक घटना को औजार की तरह इस्तेमाल कर आदिवासियों के हितचिंतक होने का दिखावा करते हैं, लेकिन देश का मूलनिवासी अब इनके जाल में फंसने वाला नहीं है। उक्त बातें सर्व आदिवासी समाज धमतरी जिलाध्यक्ष जिवराखन लाल मरई ने विश्व आदिवासी पर मगरलोड में आयोजित कार्यक्रम में कही।

कुरुद एवं सिहावा विधानसभा की राजनीति को प्रभावित करने वाले ब्लॉक मुख्यालय मगरलोड में 9 अगस्त को जिला स्तरीय आदिवासी सम्मेलन का आयोजन किया गया। बुढ़ादेव मंदिर से आंगादेव, जोत जंवारा, डांगा जैसे पारम्परिक तरीके से जुलूस निकाला गया, जिसमें हजारों आदिवासियों ने भाग लिया। मणिपुर एवं बस्तर में आदिवासी समाज के लोगों पर हो रही बर्बरता के खिलाफ हाथों में तख्तियां लिए युवाओं ने बाइक रैली निकाल आक्रोश दिखाया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सर्व आदिवासी समाज धमतरी जिलाध्यक्ष जिवराखन लाल मरई ने सर्व समाज को विश्व आदिवासी दिवस की बधाई देते हुए कहा कि सियासी दलों के भरोसे कुछ होने वाला नहीं है, हमें अपने अधिकारों की लड़ाई स्वयं ही लडऩी पड़ेगी। तीन महीने से मणिपुर जल रहा है, लेकिन केन्द्र सरकार मौन है, 23 अगस्त को संसद में वन संरक्षण अधिनियम संशोधन बिल पारित हो गया और हमारे समाज के राष्ट्रपति, राज्यपाल, मंत्री, सांसद, विधायक मौन साधे देखते रहे।

उन्होंने बताया कि इस बिल से लागू होते ही जल जंगल ज़मीन पर आदिवासियों का अधिकार और 5वीं-6वीं अनुसूची को खत्म करने का रास्ता खुल गया है। श्री मरई ने राज्य सरकार पर तगड़ा हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव करीब देख 32 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है, लेकिन पिछले तीन साल में 600 आदिवासी बच्चे डॉक्टर बनने से वंचित रह गए उनका क्या होगा? इसी तरह प्रदेश की कांग्रेस सरकार आदिवासियों को वन अधिकार के नाम पर फर्जी पट्टा थमा रही है, इसमें भूमि स्वामी का हक़ ना देकर मात्र कब्जा लिखा जा रहा है।

समाज के जिलाध्यक्ष ने पेशा कानून का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य के 85 ब्लॉक पेशा कानून के दायरे में आते हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर भर्ती नहीं कर वर्ग 3-4 श्रेणियों के पद भरने व्यापंम से भरे जा रहे हैं, जिससे स्थानीय मूल निवासियों का नुक़सान हो रहा है। उन्होंने बताया कि12 में से 6 फर्जी एनकाउंटर मामले की जांच रिपोर्ट आ गई है लेकिन सरकार इसे सार्वजनिक नहीं कर रही है। मणिपुर मामले में खुलकर बोलने वाले कांग्रेस नेता बस्तर पर चुप् है, बस्तर पर हाय तौबा मचाने वाले भाजपाई मणिपुर पर मौन साधे बैठे हैं,  वोटों की फसल काटने दोनों प्रमुख दलों आदिवासी समाज को लालीपाप बांटने में लगे हैं।

इस अवसर पर महेश रावटे, कमल नारायण ध्रुव, माधव ठाकुर, जगन्नाथ मंडावी, हरिश्चंद्र नेताम, संतोष सोरी, भोजराज नेताम, कांशीराम कंवर, टिकम कटरिया, ललीत ठाकुर, देवेन्द्र दीवान, भूपेंद्र ध्रुव, आरएल देव, रामप्रसाद मरकाम सहित समाज के हजारों लोग मौजूद थे।

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