रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 1 मार्च। लोकसभा निर्वाचन की तैयारियों की कड़ी में आज वे आदर्श आचरण संहिता, मीडिया प्रमाणन तथा निगरानी समिति एवं व्यय निगरानी समिति के जिला स्तरीय नोडल अधिकारियों और मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा।
अतिरिक्त सीईओ निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने कहा है कि निर्वाचन के दौरान आदर्श आचरण संहिता का पालन सुनिश्चित कराने में निर्वाचन क्षेत्र के अधिकारियों की भूमिका अहम होती है। हर स्तर के अधिकारी आचार संहिता के सभी पहलुओं को जानें, तभी नियमों का पालन सुनिश्चित हो सकेगा।
प्रशिक्षण के दौरान आज मास्टर ट्रेनर, डिप्टी सीईओ यू.एस. अग्रवाल ने प्रशिक्षण में बताया कि आदर्श आचरण संहिता के दौरान किसी भी शासकीय भवन, शासकीय मशीनरी का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों के लिए न हो। इस दौरान धन के बड़े पैमाने पर लेन-देन, जुलूस, राजनीतिक सभा, समारोह की रिकॉर्डिंग, आपत्तिजनक भाषा में राजनीतिक भाषण, वाहनों की अनाधिकृत आवाजाही, प्रचार सामग्री के परिवहन सहित अन्य विषय जो सीधे अथवा परोक्ष रूप से निर्वाचन गतिविधि के तहत संपन्न हो रही है, ऐसे सभी कार्यों पर निगरानी रखें। आचार संहिता के उल्लंघन की स्थिति में तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करना प्रशासनिक अधिकारी का दायित्व है। प्रशिक्षण के दौरान वाहनों के उपयोग, विश्राम भवनों तथा स्कूल भवनों के उपयोग जैसे विषयों को लेकर भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों की भी जानकारी दी गई।
मास्टर ट्रेनर दुष्यंत रायस्त और अपूर्व प्रियेश टोप्पो ने निर्वाचन व्यय निगरानी समितियों के दायित्वों की जानकारी दी।
सहायक सीईओ श्रीमती शारदा अग्रवाल ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया का राजनीतिक विज्ञापन के लिए उपयोग निर्वाचन के दौरान लगातार बढ़ा है। एमसीएमसी के जरिए राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के प्रचार-प्रसार के तरीकों पर नजर रखी जाती है। उन्होंने बताया कि एमसीएमसी समिति के पास पर्याप्त अधिकार है कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन वाले विज्ञापन को प्रमाणन के स्तर पर ही अनुमति प्रदान नहीं करें। संदिग्ध पेड न्यूज के प्रकरणों पर भी विशेष ध्यान देकर नियमानुसार कार्यवाही की जाए।