धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 2 मई। मजदूर दिवस के दिन बोरे बासी खाकर श्रमिकों का सम्मान करने की रिवायत पिछली सरकार के छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री ने शुरू की थी। जिसका अनुसरण करते हुए आज भी कांग्रेसी नेताओं ने बोरे बासी खाकर किसान मजदूर वर्ग को श्रमिक दिवस की बधाई दी। नपं अध्यक्ष ने तो श्रमिक भवन में सामूहिक बासी भोज का आयोजन कर सबके साथ बोरे बासी का मजा लिया।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1 मई मजदूर दिवस के दिन बोरे बासी खाकर श्रम का सम्मान करने की परम्परा शुरू की थी। जिसका आम लोगों ने जमकर स्वागत किया था। कांग्रेस शासन काल में बड़े बड़े नेता, अधिकारी एवं उद्योगपतियों ने भी बासी खाकर इसके फायदे गिनाए थे। लेकिन अब हालात बदल गए हैं फिर भी कांग्रेसी कार्यकर्ता अपने नेता की बात पर अमल कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी एवं जिलापंचायत सभापति तारिणी चंद्राकर ने बासी खाते हुए तस्वीर सोशल मीडिया में पोस्ट कर बताया कि मजदूर दिवस के दिन पूर्व मुख्यमंत्री ने बोरे बासी खाने की परंपरा शुरू कर श्रमिकों और छत्तीसगढ़ी संस्कृति का मान बढ़ाया है। वैसे तो छत्तीसगढ़ में बासी खाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। आम की सिलपटी चटनी, बरीयुक्त चेंच भाजी प्याज के साथ बोरे बासी खाना मुझे बेहद पसंद है।
नपं अध्यक्ष तपन चंद्राकर ने बताया कि गर्मी के दिनों में वह रोज बोरे बासी चटनी खाकर ही घर से निकलते हैं। हमारे नेता भूपेश बघेल ने श्रमिक दिवस के दिन मजदूर और किसान भाइयों के सम्मान और छत्तीसगढ़ी संस्कृति की पहचान के तौर पर बोरे बासी खाने की परम्परा डाली है उसे कायम रखते हुए मैंने आज श्रमिक भाइयों के साथ सामूहिक रूप से बोरे बासी का लुत्फ उठाया है।
जिला पंचायत सदस्य कुसुमलता साहू ने माना कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा शुरू इस पहल का असर आज भी ठेठ छत्तीसगढिय़ों में साफ-साफ दिखाई दे रहा है। मजदूर दिवस पर बोरे बासी खाने की अपील का सीधा और साकारात्मक प्रभाव श्रमिक वर्ग में पड़ है।
पूर्व मंडी अध्यक्ष नीलम चन्द्राकर ने बताया कि प्रदेश में जब तक कांग्रेस की सरकार रही सीएम बघेल ने छत्तीसगढिय़ा संस्कृति, लोक उत्सव, तीज त्यौहारों को नई रंगत देने के साथ साथ बासी एवं ठेठरी, खुर्मी जैसे व्यंजनों पर फोकस किया था। उन्होंने सिद्ध किया कि छत्तीसगढिय़ों के भोजन श्रृंखला में बोरे बासी का कोई विकल्प नहीं है।
जनपद अध्यक्ष शारदा साहू, नपं उपाध्यक्ष मंजू प्रमोद साहू, सभापति मनीष साहू, अजजा आयोग पूर्व उपाध्यक्ष राजकुमारी दीवान, युकां नेता देवव्रत साहू ने भी बोरेबासी खाकर कहा कि बटकी मं बासी अऊ चुटकी मं नुंन वाली पुरानी परंपरा को जीवित कर किसान पुत्र श्री बघेल ने बता दिया कि बासी खाने वाला कोई गरीब, अमीर या देहाती नहीं होता बल्कि यह हमारा एक पौष्टिक आहार है।