धमतरी

कलेक्टर ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये बीईओ-बीपीएम से की चर्चा
02-May-2024 3:54 PM
कलेक्टर ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये बीईओ-बीपीएम से की चर्चा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

धमतरी, 2 मई। कलेक्टर नम्रता गांधी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये विकासखंड स्तरीय अधिकारियों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने परीक्षा परिणाम से उत्पन्न तनाव को पालकों एवं शिक्षकों की मदद से दूर करने संबंधी कार्ययोजना तैयार की।

कलेक्टर ने कहा कि आगामी दिनों में माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा कक्षा 10वीं एवं 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित होगा। विद्यार्थियों के अपेक्षित परिणाम नहीं आने से कुछ विद्यार्थी  प्राय: तनाव में रहते हैं तथा कुछ विद्यार्थी तो डिप्रेशन में चले जाते हैं। इन सभी कारणों से बच्चों को सुरक्षित रखने हेतु जिला प्रशासन द्वारा परीक्षा परिणाम से उत्पन्न तनाव एवं डिप्रेशन को दूर करने 4 मई 2024 को सवेरे 9 बजे से जिले के सभी शासकीय एवं निजी स्कूलों में पालक- शिक्षक परिचर्चा का आयोजन किया जाना है।

वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से कलेक्टर गांधी ने विद्यार्थियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए वीडियो क्लीप और पोस्टर तैयार करने कहा। उन्होंने कहा कि विडियो क्लीप और पोस्टर स्थानीय भाषा में तैयार किये जायें ताकि बच्चे आसानी से समझ सकें। इसके साथ ही उन्होंने स्कूलों में पढऩे वाले ऐसे बच्चें जो पढ़ाई में बहुत तेज या कम हो उनकी सूची तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिये। कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी विकासखंडों में कंट्रोल प्रारंभ किया जाये, जिसमें काउंसलर पालकों या बच्चों की समस्याओं का संवेदनशीलता के साथ निराकरण कर सकें।

कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जब आप पालकों या अभिभावकों से चर्चा करें तो तनाव या अवसाद के लक्षणों के बारे में भी उन्हें जानकारी दें ताकि वे समझ सकें कि बच्चे के मनोस्थिति क्या है। उपस्थित अधिकारियों ने अपना सुझाव देते हुए कहा कि सभी स्कूलों में एक लेटर बाक्स स्थापित किया जाए, ताकि कोई बच्चा किसी कारणवश अपनी बात नहीं रख पा रहा हो तो वह बिना संकोच के पत्र के माध्यम से अपनी बात रख सके।

 

कलेक्टर गांधी ने कहा कि परीक्षा परिणाम घोषित होने के पहले या बाद में विद्यार्थियों को निराश होने या तनाव लेने की आवश्यकता नहीं है। पालकों को भी बच्चों से बहुत अधिक एक्सपेक्टेशन नहीं करनी चाहिए। बच्चों की योग्यता उनके परीक्षा के अंकों से तुलना न करें, रिजल्ट को जीवन का पड़ाव मानते हुए बच्चों को आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने आसपास ऐसा माहौल बनाने का आग्रह किया, जिसमें बच्चे एक सुखद वातावरण में रहे और अपने मन की बात बिना किसी संकोच के अपने अभिभावक, पालकों, भाई-बहनों या अपने मित्रों से कह सकें।

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